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पंचांग - 25-12-2024

 

jyotish


*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक -25 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन - बुद्धवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमन्त*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि -   दशमी रात्रि 10:28:39 दिसम्बर 24 तक, तत्पश्चात एकादशी *
*⛅नक्षत्र - चित्रा शाम 03:21:15 तक तत्पश्चात     स्वाति*
*⛅योग - अतिगंड रात्रि 09:45:20 तक, तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल_हर  जगह का अलग है- दोपहर 12:35 से शाम 01:53 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:23:44*
*⛅सूर्यास्त - 05:46:56*
*⛅ चन्द्र राशि-      तुला*
*⛅सूर्य राशि    -   धनु*
👉 *दिशाशूल - उत्तर दिशा मे*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:34 से 06:28 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं है*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 दिसम्बर 26 से रात्रि 01:03 दिसम्बर 26 तक*

   *⛅*चोघडिया, दिन*⛅*
लाभ    07:24 - 08:42    शुभ
अमृत    08:42 - 09:59    शुभ
काल    09:59 - 11:17    अशुभ
शुभ    11:17 - 12:35    शुभ
रोग    12:35 - 13:53    अशुभ
उद्वेग    13:53 - 15:11    अशुभ
चर    15:11 - 16:29    शुभ
लाभ    16:29 - 17:47    शुभ
  *⛅*चोघडिया, रात*⛅*
उद्वेग    17:47 - 19:29    अशुभ
शुभ    19:29 - 21:11    शुभ
अमृत    21:11 - 22:53    शुभ
चर    22:53 - 24:36    शुभ
रोग    24:36* - 26:18    अशुभ
काल    26:18 - 27:59    अशुभ
लाभ    27:59 - 29:42 शुभ
उद्वेग    29:42 - 31:24    अशुभ

kundli


*⛅ व्रत पर्व विवरण - द्वादशी व्रत *
*⛅विशेष - ब्रह्म वैवर्त पुराण के मुताबिक, एकादशी के दिन सेम की फली नहीं खानी चाहिए. वहीं, एकादशी व्रत के दौरान इन चीज़ों से बचना चाहिए:
चावल,मांस, मछली, अंडे,प्याज़, लहसुन,मसूर दाल, चना दाल, उड़द दाल,गोभी, गाजर, शलजम, पालक का साग,शराब,पान,किसी दूसरे व्यक्ति से दिया गया अन्न(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
   
*🪷*⭐आज का टॉपिक हर हर महादेव जय माता पार्वती💜💜*
*👉 जय नंदी बाबा

*👉शिव को उनके विचित्र स्वभाव व विचित्र अवतरण के कारण त्रिलोचन, महेश्वर, शत्रुहंता, महाकाल, वृषभध्वज, नक्षत्रसाधक, त्रिकालधृष, जटाधर, गंगाधर, नीलकंठ, त्र्यंबकं आदि अनेक नामों से जाना जाता है।

*👉२. शास्त्रों के अनुसार ज्योतिष शास्त्र व वास्तु शास्त्र की उत्पत्ति महादेव के द्वारा ही की गई है।

*👉३. श्री शिव शंकर का निवास स्थान उत्तर में हिमालय पर्वत पर स्थित होने की वजह से उत्तर दिशा को पूर्व दिशा की तरह ही उत्तम माना गया है। उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा भी कहा जाता है।

*👉४. शास्त्रों के अनुसार मंत्रो में प्रमुख महामत्युंजय मंत्र, जो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए है, को अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभाव को समाप्त करने तथा मृत्यु को टालने के लिए अचूक माना जाता हैं। यह महामंत्र विधि - विधान से यथा शक्ति जपने से साधक अपने जीवन में निरोगी रहकर लंबी आयु की भावना को प्रबल बना सकता है।

*👉 ५. पौराणिक कथाओं में जिस प्रकार भगवान विष्णु के दस अवतारों की कथा आती हैं, उसी प्रकार भगवान शिव भी समय - समय पर अवतार लीलाऐं करते आए हैं जिनमें प्रमुख है :- नंदिश्वर अवतार, हनुमान अवतार, यक्षावतार, कालभैरव अवतार, दुर्वासा अवतार, तथा पिप्पलाद अवतार। इसके अलावा ऐसी मान्यता हैं कि बाबा बालकनाथ, शिर्डी के सांई बाबा तथा शंकराचार्य भी शिवजी के ही अवतार थे।

*👉६. यहां यह स्पष्ट कर देना लाभदायक होगा कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ग्रहों के अनुसार उपयुक्त नवरत्नों से बने शिवलिंगो की पूजा अर्चना करने से उस संबंधित ग्रह की अनुकूलता बढ जाती है। उदाहरण के लिए यदि बुध ग्रह पत्रिका में कमजोर है, तो पन्ना रत्न से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। यदि रत्नों से निर्मित शिवलिंग उपलब्ध न हो, तो सात या ग्यारह कैरेट के रत्न की शिवपूजा भी लाभदायक रहती है।

७. इसके अलावा दीर्घायु के लिए चंदन से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए तथा रोगनिवारण के लिए मिश्री से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। गुड या किसी भी अन्न से बनाये शिवलिंग की पूजा करने से सुख - समृद्धि व कृषि वृद्धि में लाभ होता है।

८. सोने, चांदी, पारे आदि से बने शिवलिंग की पूजा का भी सुख - समृद्धि व शांति प्राप्ति हेतु विशेष महत्व है।

९. शास्त्रों के अनुसार मोक्ष पाने के लिए आँवलें से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।

१०. महादेव शिव को पंचमुखी तथा दशभुजाओं से युक्त माना जाता है अर्थात्‌ पंचतत्वों के रुप में पांचों मुखों की अवधारणा मानी गयी हैं। इन्ही पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के द्वारा संपूर्ण चराचर संसार का प्रादुर्भाव हुआ माना गया हैं।

हर हर महादेव*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष
👉वाद-विवाद (मुकदमे में) जय👉दबे या नष्ट-धन की पुनः प्राप्ति👉 वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण
👉राजवशीकरण
👉 शत्रुपराजय
👉नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति
👉 भूतप्रेतबाधा नाश
👉सर्वसिद्धि
👉 सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
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🚩 *व्रत पर्व विवरण - तुलसी पूजन दिवस,विश्व गुरू भारत कार्यक्रम (25 दिसम्बर से 01 जनवरी तक)*
🌷 *एकादशी व्रत के लाभ* 🌷
➡️ *25 दिसम्बर 2024 बुधवार को रात्रि 10:29 से 26 दिसम्बर, गुरुवार को रात्रि 12:43 तक एकादशी है।*
💥 *विशेष - 26 दिसम्बर, गुरुवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।*
🙏🏻 *जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण- दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख- शांति बनी रहती है ।*
🙏🏻 *धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
🙏🏻 *कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
🙏🏻 *परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*
        
🌷*एकादशी के दिन करने योग्य* 🌷
🙏🏻 *एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें  👉🏻    .......विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l*
   
🌷 *एकादशी के दिन ये सावधानी रहे* 🌷
🙏🏻 *महीने में १५-१५ दिन में  एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो  चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है...ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में कहा

*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
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