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पञ्चाङ्ग - 06-12-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

JYOTISH


*🎈दिनांक - 6 दिसंबर 2025
*🎈 दिन - शनिवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - पौष मास*
*🎈 पक्ष -  कृष्णा पक्ष*
*🎈तिथि-    द्वितीया    21:25:12*pm तत्पश्चात् तृतीया*
*🎈 नक्षत्र -     मृगशीर्षा    08:47:54
*🎈 नक्षत्र    -आद्रा    30:12:37* 
amतत्पश्चात्     पुनर्वसु*
*🎈 योग    -     शुभ    23:44:47*pm तक तत्पश्चात्     शुक्ल*
*🎈करण    -     तैतुल    11:07:16pm  तत्पश्चात् गर*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 09:49pm to 11:08pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)* 
*🎈चन्द्र राशि-     मिथुन*
 *🎈सूर्य राशि-       वृश्चिक*
*🎈सूर्योदय - :07:12:27am*
*🎈सूर्यास्त -17:39:49pm* 
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 05:23 ए एम से 06:17:00( ए एम प्रातः तक *(नागौर 
राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- 12:05 पी एम से 12:47 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:59 पी एम से 12:54 ए एम, दिसम्बर 07*
*🎈 द्विपुष्कर योग    - 07:11 ए एम से 08:48 ए एम*
*🎈 व्रत एवं पर्व-प्रतिपदा व्रत* 
*🎈विशेष -  पौष मास महात्म्य पूर्ण*
🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴
   
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
   मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🛟काल - हानि-07:11 ए एम से 08:30 ए एम काल वेला*

*🛟शुभ - उत्तम-08:30 ए एम से 09:49 ए एम*

*🛟रोग - अमंगल-09:49 ए एम से 11:07 ए एम*

*🛟उद्वेग - अशुभ-11:07 ए एम से 12:26 पी एम*

*🛟चर - सामान्य-12:26 पी एम से 01:45 पी एम*

*🛟लाभ - उन्नति-01:45 पी एम से 03:04 पी एम वार वेला*

*🛟अमृत - सर्वोत्तम-03:04 पी एम से 04:22 पी एम*

*🛟 काल - हानि-04:22 पी एम से 05:41 पी एम काल वेला*


      *🛟चोघडिया, रात्🛟*

*🛟लाभ - उन्नति-05:41 पी एम से 07:22 पी एम काल रात्रि*

*🛟उद्वेग - अशुभ-07:22 पी एम से 09:04 पी एम*

*🛟शुभ - उत्तम-09:04 पी एम से 10:45 पी एम*

*🛟अमृत - सर्वोत्तम-10:45 पी एम से 12:26 ए एम, दिसम्बर 07*

*🛟चर - सामान्य-12:26 ए एम से 02:08 ए एम, दिसम्बर 07*

*🛟रोग - अमंगल-02:08 ए एम से 03:49 ए एम, दिसम्बर 07*

*🛟काल - हानि-03:49 ए एम से 05:31 ए एम, दिसम्बर 07*

*🛟लाभ - उन्नति-07:12 ए एम, दिसम्बर 07 काल रात्रि 05:31 ए एम से*
kundli


     🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
    🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
🌷 ..# 💐🍁🍁✍️ | #🌕 👉       
❤️💐 🌼🪔🌷❤️💐 🌼🪔
 👉 🍁 👉♦️ ⭐ 

  💐 * #. लक्ष्मी रूठने के 15 बड़े कारण .... ⭐👇🏼.......❗️
*🛟 अपने हिस्से का प्रसाद किसी और को दे देना।
● हमेशा दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके सोना।
● मंदिर से आने के बाद तुरंत पैर धोना।
● रात के गुथे हुए आटे से रोटियाँ बनाना।
● सूर्यास्त के बाद उधार लेना व देना।
● खाने के बाद थाली में हाथ धुलना।
● रात में सोने से पहले पैसे गिनना।
● अमावस्या व एकादशी के दिन बाल कटवाना।
● जूठे हाथों से पैसे को छूना।
● संध्या के समय घर में झाड़ू लगाना।
● अन्न और जल का अपमान करना।
● रात के समय किचन में जूठे बर्तन छोड़ना।
● बिस्तर पर बैठकर भोजन करना।
● घर की साफ-सफाई न करना।
● सूर्योदय के बाद देर तक और सूर्यास्त के समय सोना।

💕पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा🪴
   
🍁भगवान को अपने भक्तों का यश बढ़ाना होता है तो वे नाना प्रकार की लीलाएँ करते हैं। श्री लक्ष्मी जी, श्री सती जी और श्री सरस्वती जी को अपने पातिव्रत्य का बड़ा अभिमान था।
🍁तीनों देवियों के अभिमान को नष्ट करने तथा अपनी परम भक्तिनी पतिव्रता धर्मचारिणी अनसूया के मान बढ़ाने के लिये भगवान ने नारद जी के मन में प्रेरणा की। फलत: वे श्री लक्ष्मी जी के पास पहुँचे, नारद जी को देखकर लक्ष्मी जी का मुख-कमल के समान खिल उठा।
🍁लक्ष्मी जी ने कहा: आइये, नारद जी! आप तो बहुत दिनों बाद आये। कहिये, क्या हाल है?
नारद जी बोले: माता! क्या बताऊँ, कुछ बताते नहीं बनता। अब की बार मैं घूमता हुआ चित्रकूट की ओर चला गया। वहाँ मैं महर्षि अत्रि के आश्रम पर पहुँचा। माता! मैं तो महर्षि की पत्नी अनुसूया जी का दर्शन करके कृतार्थ हो गया। तीनों लोकों में उनके समान पतिव्रता कोई नहीं है।

🍁लक्ष्मी जी को नारद जी की बात पर आश्चर्य हुआ।
उन्होंने पूछा: नारद! क्या वह मुझसे भी बढ़कर पतिव्रता है?
नारद जी ने कहा: माता! आप ही नहीं, तीनों लोकों में कोई भी स्त्री सती अनुसूया की तुलना में किसी भी गिनती में नहीं है।

🍁इसी प्रकार देवर्षि नारद ने माता पार्वती एवं माता सरस्वती के पास जाकर उनके मन में भी सती अनुसूया के प्रति यही भाव जगा दिया। अन्त में तीनों देवियों ने त्रिदेवों से हठ करके उन्हें सती अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेने के लिये आग्रह किया। ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश महर्षि अत्रि के आश्रम पर पहुँचे। तीनों देव मुनि वेष में थे। उस समय महर्षि अत्रि अपने आश्रम मे नहीं थे। अतिथि के रूप में आये हुए त्रिदेवों का सती अनुसूया ने स्वागत-सत्कार करना चाहा, किन्तु त्रिदेवों ने उसे अस्वीकार कर दिया।

💕त्रिदेव बन गए शिशु
सती अनुसूया ने उनसे पूछा: मुनियो! मुझसे कौन-सा ऐसा अपराध हो गया, जो आप लोग मेरे द्वारा की हुई पूजा को ग्रहण नहीं कर रहे हैं?
मुनियों ने कहा: देवि! यदि आप बिना वस्त्र के हमारा आतिथ्य करें तो हम आपके यहाँ भिक्षा ग्रहण करेंगे।
यह सुनकर सती अनुसूया सोच में पड़ गयीं। उन्होंने ध्यान लगाकर देखा तो सारा रहस्य उनकी समझ में आ गया।
वे बोलीं: मैं आप लोगों का विवस्त्र होकर आतिथ्य करूँगी। यदि मैं सच्ची पतिव्रता हूँ और मैंने कभी भी काम-भाव से किसी पर-पुरुष का चिन्तन नहीं किया हो तो आप तीनों छ:-छ: माह के बच्चे बन जाएँ।

💕पतिव्रता माता अनसूइया का इतना कहना था कि त्रिदेव छ:-छ: माह के बच्चे बन गये। माता अनुसूया ने विवस्त्र होकर उन्हें अपना स्तनपान कराया और उन्हें पालने में खेलने के लिये डाल दिया। इस प्रकार त्रिदेव माता अनुसूया के वात्सल्य प्रेम के बन्दी बन गये।

🍁उधर जब तीनों देवियों ने देखा कि हमारे पति तो आये ही नहीं तो वे चिन्तित हो गयीं। अंततः तीनों देवियाँ अपने पतियों का पता लगाने के लिये चित्रकूट गयीं। संयोग से वहीं नारद जी से उनकी भेंट हो गयी। त्रिदेवियों ने उनसे अपने पतियों के बारे मे पूछा। नारद जी ने कहा कि वे लोग तो आश्रम में बालक बनकर खेल रहे हैं।

💕दत्तात्रेय जन्म कथा
त्रिदेवियों ने अनुसूया जी से आश्रम में प्रवेश करने की आज्ञा माँगी। अनुसूया जी ने उनसे उनका परिचय पूछा?
त्रिदेवियों ने कहा: माता जी! हम तो आपकी बहुएँ हैं। आप हमें क्षमा करदें और हमारे पतियों को लौटा दें।
अनुसूया जी का हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने बच्चों पर जल छिड़ककर उन्हें उनका पूर्व रूप प्रदान किया और अन्तत: उन त्रिदेवों की पूजा-स्तुति की।

💕त्रिदेवों ने प्रसन्न होकर अपने-अपने अंशों से अनुसूया के यहाँ पुत्र रूप में प्रकट होने का वरदान दिया। इस प्रकार त्रिदेवों के अंश के रूप मे दत्तात्रेय का जन्म हुआ।


   💥“ज्ञान ही सच्ची संपत्ति है।
      बाकी सब क्षणभंगुर है।”💥
     🌼 ।। जय श्री कृष्ण ।।🌼
       💥।। शुभम् भवतु।।💥
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जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ  🇪🇬🔱

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