*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*⛅दिनांक - 06 फरवरी 2025*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी रात्रि 10:52:55 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - कृत्तिका शाम 07:28:26तक, तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - ब्रह्म शाम 06:40:49 तक, तत्पश्चात इंद्र*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 02:12 से दोपहर 03:34 तक*
*🌦️सूर्योदय - 07:19:23*
*🌦️सूर्यास्त - 06:19:08*
*🌦️दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🌦️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:34 से 06:26 तक*
*🌦️अभिजीत मुहूर्त - 12:27 पी एम से 01:11 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 फरवरी 07 से रात्रि 01:15 फरवरी 07 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - नवमी व्रत
*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅ चोघडिया, दिन⛅*
शुभ 07:19 - 08:42 शुभ
रोग 08:42 - 10:04 अशुभ
उद्वेग 10:04 - 11:27 अशुभ
चर 11:27 - 12:49 शुभ
लाभ 12:49 - 14:12 शुभ
अमृत 14:12 - 15:34 शुभ
काल 15:34 - 16:57 अशुभ
शुभ 16:57 - 18:19 शुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
अमृत 18:19 - 19:57 शुभ
चर 19:57 - 21:34 शुभ
रोग 21:34 - 23:11 अशुभ
काल 23:11 - 24:49* अशुभ
लाभ 24:49* - 26:26* शुभ
उद्वेग 26:26* - 28:04* अशुभ
शुभ 28:04* - 29:41* शुभ
अमृत 29:41* - 31:19* शुभ
#एक प्रसंग ज्ञान की खोज के लिए।
कालिदास बोले :- माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा.
स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं. अपना परिचय दो।
मैं अवश्य पानी पिला दूंगी।
कालिदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।
कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं।
पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ?
.(अब तक के सारे तर्क से पराजित हताश तो हो ही चुके थे)
कालिदास बोले :- मैं सहनशील हूं। अब आप पानी पिला दें।
स्त्री ने कहा :- नहीं, सहनशील तो दो ही हैं। पहली, धरती जो पापी-पुण्यात्मा सबका बोझ सहती है। उसकी छाती चीरकर बीज बो देने से भी अनाज के भंडार देती है, दूसरे पेड़ जिनको पत्थर मारो फिर भी मीठे फल देते हैं। तुम सहनशील नहीं। सच बताओ तुम कौन हो ?
(कालिदास लगभग मूर्च्छा की स्थिति में आ गए और तर्क-वितर्क से झल्लाकर बोले)
कालिदास बोले :- मैं हठी हूँ ।
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स्त्री बोली :- फिर असत्य. हठी तो दो ही हैं- पहला नख और दूसरे केश, कितना भी काटो बार-बार निकल आते हैं। सत्य कहें ब्राह्मण कौन हैं आप ?
(पूरी तरह अपमानित और पराजित हो चुके थे)
कालिदास ने कहा :- फिर तो मैं मूर्ख ही हूँ ।
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स्त्री ने कहा :- नहीं तुम मूर्ख कैसे हो सकते हो।
मूर्ख दो ही हैं। पहला राजा जो बिना योग्यता के भी सब पर शासन करता है, और दूसरा दरबारी पंडित जो राजा को प्रसन्न करने के लिए ग़लत बात पर भी तर्क करके उसको सही सिद्ध करने की चेष्टा करता है।
(कुछ बोल न सकने की स्थिति में कालिदास वृद्धा के पैर पर गिर पड़े और पानी की याचना में गिड़गिड़ाने लगे)
वृद्धा ने कहा :- उठो वत्स ! (आवाज़ सुनकर कालिदास ने ऊपर देखा तो साक्षात माता सरस्वती वहां खड़ी थी, कालिदास पुनः नतमस्तक हो गए)
माता ने कहा :- शिक्षा से ज्ञान आता है न कि अहंकार । तूने शिक्षा के बल पर प्राप्त मान और प्रतिष्ठा को ही अपनी उपलब्धि मान लिया और अहंकार कर बैठे इसलिए मुझे तुम्हारे चक्षु खोलने के लिए ये स्वांग करना पड़ा।
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कालिदास को अपनी गलती समझ में आ गई और भरपेट पानी पीकर वे आगे चल पड़े।
शिक्षा :-
विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें, यही घमण्ड विद्वत्ता को नष्ट कर देता है।
दो चीजों को कभी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए.....
अन्न के कण को
"और"
आनंद के क्षण को...
जय मां भवानी 🙏🙏❤️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
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*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉* शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉*सर्वसिद्धि*
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*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
।। आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।
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