*कृषक दुर्घटना बीमा क्लेम की राशि भुगतान करने का आदेश*
अपुष्ट खबर के आधार पर आत्महत्या का मामला मानना उचित नहीं
नागौर, 26 जुलाई। जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने रेल की चपेट में आकर किसान की मृत्यु होने के मामले में बीमा कंपनी को कृषक दुर्घटना बीमा क्लेम की राशि के भुगतान करने का आदेश दिया है।
उक्त मामले के अनुसार जाखेड़ा (डेगाना) निवासी मंजू देवी ने आयोग में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उसके पति सुखाराम द्वारा ग्राम सेवा सहकारी समिति जाखेड़ा से ऋण लेकर किसान कार्ड जारी करवाया था। उसी समय प्रीमियम राशि की कटौती कर उसका कृषक दुर्घटना बीमा किया गया था। जुलाई, 2017 में खेत में कार्य करने के दौरान शौच जाते समय ट्रेन की चपेट में आने से उनकी मृत्यु हो गई । किन्तु उक्त बीमा कंपनी ने सुखाराम द्वारा आत्महत्या किया जाना मानते हुए बीमा क्लेम को खारिज कर दिया है।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्यामसुन्दर लाटा, सदस्य बलवीर खुड़खुड़िया, चन्द्रकला व्यास ने अपने निर्णय में कहा कि बीमा कंपनी ने मात्र अखबार में सुखाराम द्वारा आत्महत्या संबंधी समाचार प्रकाशित होने के आधार पर क्लेम को अस्वीकार कर दिया है, जबकि इस घटना को लेकर पुलिस थाना डेगाना द्वारा मर्ग दर्ज कर जांच कार्रवाई में इसे शौच जाते समय दुर्घटना का मामला माना है। उपखण्ड मजिस्ट्रेट, डेगाना ने भी धारा 174 के अन्तर्गत पुलिस की जांच कार्रवाई से सहमत होने बाबत आदेश पारित किया है। उक्त न्यायिक आदेश के मुकाबले बीमा कंपनी द्वारा अपुष्ट खबर के आधार पर इसे आत्महत्या का मामला मानना पूर्णतया अनुचित व अवैध है।
आयोग ने विपक्षी युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी की सेवा में कमी मानते हुए दुर्घटना क्लेम की राशि मय ब्याज भुगतान करने के अतिरिक्त परिवादिनी को मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति हेतु दस हजार रुपए व परिवाद व्यय के निमित्त पांच हजार रुपए हर्जाना भी बीमा कंपनी द्वारा अदा करने का आदेश दिया है।