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पंचांग 21-05-2025

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 21 मई 2025*
*🎈दिन-  बुधवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - ज्येष्ठ*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि-    नवमी    27:21:21 तत्पश्चात दशमी*
*🎈नक्षत्र -        शतभिष    18:57:09 तत्पश्चात्         पूर्वभाद्रपदा*
*🎈योग -     वैधृति    24:33:32 तक, तत्पश्चात्  विशकुम्भ*
*🎈करण-    तैतुल    16:12:44* पश्चात वणिज*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-12:32pm
से  02:13 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:45:16*
*🎈सूर्यास्त - 19:18:18*
*🎈चन्द्र राशि    -   कुम्भ    *
*🎈सूर्य राशि-       वृषभ*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:21 ए एम से 05:02 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, मई 22 से 12:52 ए एम, मई 22 तक*

   *🛟चोघडिया, दिन🛟*
लाभ    05:45 - 07:27    शुभ
अमृत    07:27 - 09:09    शुभ
काल    09:09 - 10:50    अशुभ
शुभ    10:50 - 12:32    शुभ
रोग    12:32 - 14:13    अशुभ
उद्वेग    14:13 - 15:55    अशुभ
चर    15:55 - 17:37    शुभ
लाभ    17:37 - 19:18    शुभ
    *🔵चोघडिया, रात🔵*
उद्वेग    19:18 - 20:37    अशुभ
शुभ    20:37 - 21:55    शुभ
अमृत    21:55 - 23:13    शुभ
चर    23:13 - 24:32*    शुभ
रोग    24:32* - 25:50*    अशुभ
काल    25:50* - 27:08*    अशुभ
लाभ    27:08* - 28:27*    शुभ
उद्वेग    28:27* - 29:45*    अशुभ
🙏♥️ #  
kundli

 

                                                                      ♨️#मुक्ति_और_आत्मज्ञान♨️

♨️.      ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं होती किंतु आत्म ज्ञान होना ही पर्याप्त नहीं है आत्मज्ञान के बाद भी अहंकार शेष रह जाता है। जिससे फिर वासना का उदय हो सकता है अहंकार के बचे रहने से ही व्यक्ति फिर अपने को कर्ता एवं भोक्ता मानने लगता है जो उसके फिर जन्म मरण का कारण बन जाता है अहंकार के कारण वासना बीज रूप से विद्यमान रहती है।अतः वासना के त्याग के बिना मुक्ति नहीं हो सकती इसलिए इस वासना का प्रयत्न पूर्वक क्या करना चाहिए आत्मज्ञान के बाद जब जान लिया जाता है कि मैं शरीर नहीं बल्कि आत्मा हूं तो भी      
♨️.     अहंकार के बच रहने के कारण मनुष्य का यह भाव बना रहता है कि मैं शरीर एवं इंद्रियां हूं जो अनात्म पदार्थ है।इन अनात्म पदार्थों में उसका मैं और मेरा भाव बना रहता है इसी को अभ्यास कहते हैं मुक्ति की इच्छा रखने वाले कोई इस भाव को भी दूर कर देना चाहिए कि मैं शरीर हूं तभी मुक्ति संभव है अन्यथा वासना का यह बीच अवसर पाकर फिर मनुष्य के संसार का कारण बन सकता है।
♨️.         अनेक जन्मों से मनुष्य की अनात्म वस्तुओं में आत्म बुद्धि हो गई है किंतु आत्मज्ञान के बाद जब जान लिया कि मैं आत्मा हूं जो बुद्धि एवं उसकी विधियां का साक्षी है तो उसके बाद अनात्न वस्तुओं में दृढ हुई आत्मबुद्धि का त्याग कर देना चाहिए अन्यथा यह मन फिर वासना ग्रस्त हो सकता है।वासना चाहे किसी भी प्रकार की हो संसार की हो देह की हो अथवा शास्त्रों की सभी छोड़ देनी चाहिए क्योंकि फिर शास्त्रों का भी कोई प्रयोजन नहीं रहा पुणे छोड़ ही देना चाहिए     
 ♨️.    उसी प्रकार शास्त्र मात्र मार्ग निर्देशक ही है जब पहुंच गए तो फिर शास्त्रों कोई प्रयोजन ही नहीं रहा।इसलिए उन्हें भी छोड़ देना चाहिए जिसे छोड़ने की इच्छा नहीं होती वह फिर बंधन का कारण बन जाता है वासना के कारण ही मनुष्य वस्तुओं को पकड़ता है इसलिए इन तीनों की वासना का भी त्याग कर देना चाहिए उसे जबरदस्ती रोकना भी वासना ही है किसी के प्रति कोई आग्रह ना हो तो ऐसा जीवन बना लेना चाहिए इस प्रकार आत्मा में अभ्यास हो गया है उसे छोड़ देना ही मुक्ति है।
वासना मन की उपज है मन की प्रवृत्ति विषयों की ओर ही होती है जिससे विभिन्न प्रकार की वासनाएँ पैदा होती है इनमें लोक वासना शास्त्र वासना एवं देह वासना की पूर्ति में ही मन की सारी शक्ति व्यय हो जाती है।जिससे वह आत्म स्वरूप को देख ही नहीं पाता इसलिए इन तीन प्रकार की वासनाओं को छोड़े बिना उसे कभी अपनी आत्मा का ज्ञान नहीं हो सकता।
♨️.     यह वासनाएँ ही उसे निरंतर भटकाती रहती हैं जो ब्रह्मज्ञ है मनुष्य को ब्रह्म ज्ञान हो गया है उन्होंने इन तीनों प्रकार की वासनाओं को ही संसार बंधन का कारण माना है संसार बंधन नहीं है न इनके भोग बंधन है बल्कि इसके प्रति जो वासना है आसक्ति है राग है वही बंधन है।।
♨️.     जिससे मनुष्य उसे छोड़ना नहीं चाहता संसार अथवा उसके विषयों ने मनुष्य को नहीं बाँधा है बल्कि वासना के कारण वह स्वयं से बंधा है इसलिए इन तीनों प्रकार की वासनाओं का त्याग करना ही मुक्ति है मुक्ति के लिए और कोई श्रम साधना तपस्या नहीं करनी पड़ती।
♨️.    शुद्ध बुद्धि ही आत्म स्वरूप के जानने में सक्षम होती है किंतु जब उस पर वासना का आवरण चढ़ जाता है तो उसका आत्मस्वरूप लुप्त होकर वासना युक्त आवरण की प्रतीत होने लगता है, जो वासना का यह आवरण दूर हो जाता है तो आत्मा पुनः अपने शुद्ध रूप में प्रकट हो जाता है इसलिए वासना का त्याग ही मुक्ति का कारण.  है।
♨️.        आत्मा को जानने की इच्छा आनात्म वस्तुओं की वासनाओं के कारण छिप गई है मनुष्य अनात्म वस्तुओं की ही वासना करता है जो नित्य नहीं है तथा मनुष्य को कभी सुख नहीं दे सकती यही वासना जन्म मृत्यु का कारण भी है इसलिए बुद्धिमान पुरुष को इनकी वासनाओं का त्याग करके निरंतर आत्मनिष्ठा में ही स्थित रहने से इन अनात्म वस्तुओं की वासना अपने आप छूट जाती है तथा आत्मा का स्वरूप स्पष्ट भासने लगता है। जिस प्रकार अंधकार को सीधा नहीं हटाया जा सकता दीपक जलाना ही उसे हटाने का एकमात्र विधि है।
♨️.         उसी प्रकार आत्मज्ञान के भाव में ही मनुष्य अनात्न वस्तुओं का वासना करता है। इन वासनाओं को सीधा दूर नहीं किया जा सकता पंचाग्नि तब करने भूखे रहने शरीर को सताने धन-संपत्ति छोड़ देने नग्न हो जाने आदि से वासनाएं छूटती नहीं।
♨️.    झोपड़ा छोड़ देने से महल नहीं मिल जाता बल्कि महल मिल जाने पर झोपड़ा अपने आप छूट जाता है इसी प्रकार आत्मज्ञान हो जाने पर सभी प्रकार की सांसारिक वासनाएं अपने आप छूट जाती हैं । उन्हें पर्यटन करके छोड़ना नहीं पड़ता जब तक उच्च की प्राप्ति नहीं हो जाति तब तक निम्न को छोड़ना संभव है युवा सुनाएं धर्मगुरुओं के उपदेशों से छूटने वाली नहीं है और आज तक ने किसी की छूटी है।
 ♨️.   धर्मगुरु सोम उपदेश देने की वासना से दृष्ट है जिससे उनके अहंकार को तुष्टि मिलती है इसलिए इनका कोई प्रभाव नहीं होता वासना त्याग का ही एक उपाय है मनका अंतर्मुखी करके निरंतर आत्म चिंतन में लीन रहना चाहिए इसी से बाह्य  वासनाएँ छूट जाती हैं।

♨️ तंत्र बाधा-काला जादू-टोने टोटके से पीड़ित लोग यह उपाय अवश्य आजमाएं➖

♨️ तंत्र बाधा-किया कराया-काला जादू-टोने टोटके से मुक्त कैसे हो ? ? ?

♨️ प्रणाम मित्रों 🙏 कैसे हैं आप सब ! अक्सर तंत्र की काट के लिए लोग इधर उधर भटकते हैं और ठगे जाते हैं,धन भी खर्च होता है और लाभ भी नही मिलता है।
मित्रों तंत्र बाधा से मुक्ति हेतु अतिप्रभावशाली व अति सरल तंत्र प्रयोग प्रस्तुत कर रहा हूं ये बार बार आजमाया हुआ टेस्टेड प्रयोग है,पूर्ण श्रद्धा से करें निश्चित ही लाभ होगा।

🟥प्रयोग नम्बर 1➖

♨️ शनिवार की सुबह 4 बजे स्नान कर लें,स्नान करने के पश्चात किसी पुराने पीपल का वृक्ष का चुनाव करें जो एकांत में हो,वहां जा कर काला तिल,काली मिठाई,काला कपड़ा,लोहे की कील,एक लोटा जल(गुड़ युक्त),सरसों के तेल का दीपक,धूप ये समस्त सामग्री पीपल पर अर्पित कर बिना पीछे मुड़े घर को लौट आएं,घर मे प्रवेश करने से पहले हाथ पैर मुंह धुल लें।

🟥प्रयोग नम्बर 2➖

♨️ एक जटाधारी नारियल लें,और लाल धागे से स्वयं को अथवा पीड़ित व्यक्ति को सर से लेकर पांव तक लाल धागे से नाप लें,इस लाल धागे को नारियल पर लपेट कर बांध दें,उसके पश्चात पीड़ित व्यक्ति के सर से इसे 7 बार घुमा कर (एन्टी क्लॉक वाइज) सूर्य की तरफ देखते हुए इस नारियल को अपने सर के ऊपर से इस तरह से फेंकें की नारियल बहते हुए जल में जा कर गिरे।यह प्रयोग सूर्योदय के समय,नदी अथवा नहर के किनारे रविवार के दिन करें।
यह दोनों प्रयोग टेस्टेड व अतिप्रभावशाली हैं,बार बार पीड़ितों पर आजमाया हुआ है।

जय माँ कामाख्या संग महाकाल🙏❤️🙏

भगवती की कृपा आप सभी पर सदैव बनी रहे।

🙏〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞
vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 20 मई 2025*
*🎈दिन-  मंगलवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    सप्तमी    05:51:01
*🎈तिथि    -    अष्टमी    28:54:48*(क्षय )*
*🎈नक्षत्र -                        धनिष्ठा    19:31:16 तत्पश्चात्     शतभिष*
*🎈योग -     शुक्ल प्रातः 05:51:20 मई 19 तक, तत्पश्चात्
 ब्रह्म,वैधृति*
*🎈करण-    बव    05:51:01* पश्चात तैतुल*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-03:55pm
से  05:37 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:45:46*
*🎈सूर्यास्त - 19:17:46*
*🎈चन्द्र राशि-       मकर    till 07:34:30*
*🎈चन्द्र राशि    -   कुम्भ    from 07:34:30*
*🎈सूर्य राशि-       वृषभ*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:21 ए एम से 05:03 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:59 पी एम।*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, मई 21 से 12:52 ए एम, मई 21तक*

 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
अमृत    05:46 - 07:28    शुभ
काल    07:28 - 09:09    अशुभ
शुभ    09:09 - 10:50    शुभ
रोग    10:50 - 12:32    अशुभ
उद्वेग    12:32 - 14:13    अशुभ
चर    14:13 - 15:54    शुभ
लाभ    15:54 - 17:36    शुभ
अमृत    17:36 - 19:17    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵*
चर    19:17 - 20:36    शुभ
रोग    20:36 - 21:54    अशुभ
काल    21:54 - 23:13    अशुभ
लाभ    23:13 - 24:31*    शुभ
उद्वेग    24:31* - 25:50*    अशुभ
शुभ    25:50* - 27:09*    शुभ
अमृत    27:09* - 28:27*    शुभ
चर    28:27* - 29:46*    शुभ
kundli


🙏♥️ #    राहु  राशिपरिवर्तन पार्ट 1

ये सम्पूर्ण सीरीज हर एक राशि के लिए अलग अलग आर्टिकल द्वारा आती रहेगी। उपाय के साथ तो जुड़े रहिएगा मेरी पोस्ट के साथ
राहु महाराज प्रवेश कर चुके है अपनी स्वराशि कुंभ ।
जहां वो बेहतर महसूस करते है।
कुंभ राशि तत्व वायु एवं राहु का भी वायु तत्व होने से अफवाहों का माहौल बना रहेगा।
राई का पहाड़ जैसी सिचुएशन रहेगी। हवा में महल , लोगो को ठगना, नई नई स्कीम में लोगो का फसना स्वाभाविक और आम रहेगा। समाज झूठे दिखावे में मानेगा झूठ इतनी जल्दी फैलेगा की सच सच में नजर नई आयेगा किंतु ये राहु है भरम फैलाना उसका स्वभाव है, जब भ्रम टूटेगा तब न इधर के न उधर के रहोगे जैसी स्थिति निर्माण होगी।
कुंभ राशि शरीर के हिस्से में घुटनों से नीचे के हिस्से को दर्शाता है यानी इंसान का खड़ा रहना मुश्किल कर देगा, सारे स्कैंडल बाहर आयेंगे खासकर जब 9 इयर्स पहले किए होंगे जब राहु सिंह में थे।
चले आ रहे केस अब नतीजे पर आकर योग्य न्याय मिलेगा जो पीड़ित हुए थे उनको।
मगर अब कुम्भं के राहु की माया में फ़सनेवाले लोगों को सिर्फ तकलीफ नुकसान ही मिलेगा इस लिए पैसे के शॉर्ट कट ये अठारह महीने भूल जाओ। यदि ये गोचर के अच्छे परिणाम प्राप्त करने हो ये उपाय ही समझ लीजिए।
स्वतंत्रता की राशि कुंभ में अत्याधुनिक ग्रह राहु के आने से समाज व्यवस्था बिगड़ेगी , डाइवोर्स के किस्से बढ़ेंगे लोग बिना शादी ही रहना पसंद करेंगे जस्ट लाइक सिचुएशन शिप जैसे। ये situation ship भी राहु की ही दें है।
मिथुन और तुला राशि के लिए मुसीबत बढ़ेगी
सिंह राशि वाले यदि नीतिमत्ता के साथ आलस त्याग जिए तो अच्छा नहीं तो कमाई बीमारी एक्सीडेंट हॉस्पिटल ऑपरेशन में जाएगी।
कुंभ राशि वाली  के लिए चैलेंज रहेगा हेल्थ को लेकर, शाहिदा जिंदगी को लेकर  आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
विज्ञान, न्यू रिसर्च , की बोलबाला रहेगी ।
मीडिया वाली की भी चांदी होगी।
भारत आत्मनिर्भर बनेगा, अपना ही देश ऐसी ऐसी  प्रॉडक्ट बनाएगा कि अन्य देशों को नुकसान होगा।
आगे कल........

            भगवान शिव
    भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और उन्हें त्रिदेवों में से एक माना जाता है, जिसमें ब्रह्मा और विष्णु भी शामिल हैं। शिव जी को सृष्टि के संहारक और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता है। उनका व्यक्तित्व अत्यंत जटिल और विविधतापूर्ण है, जिसमें वे एक ओर योगी और तपस्वी हैं, तो दूसरी ओर एक आदर्श गृहस्थ भी।

भगवान शिव की विशेष पहचान उनके विशिष्ट चिह्नों से होती है: उनके सिर पर चंद्रमा, जटाओं से बहती गंगा नदी, उनके माथे पर तीसरी आँख जो ज्ञान और अंतर्दृष्टि का प्रतीक है, उनके गले में लिपटा हुआ साँप जो शक्ति का प्रतीक है, और उनके हाथ में त्रिशूल जो उनकी शक्ति और संहारक प्रवृत्ति को दर्शाता है। उन्हें अक्सर कैलाश पर्वत पर ध्यान मग्न मुद्रा में बैठा हुआ दिखाया जाता है, उनके नीचे बाघ की खाल होती है।

शिव जी का नीला कंठ, जिसे 'नीलकंठ' कहा जाता है, समुद्र मंथन के दौरान विष पीने की घटना को दर्शाता है। इस विष को पीकर उन्होंने संपूर्ण सृष्टि को बचाया था। यह घटना उनकी त्याग और रक्षा की भूमिका को स्पष्ट करती है।

शिव को नटराज के रूप में भी पूजा जाता है, जहाँ वे अपनी तांडव नृत्य मुद्रा में होते हैं। उनका तांडव नृत्य सृष्टि, संरक्षण और संहार के शाश्वत चक्र का प्रतीक है। शिव की पत्नी पार्वती और उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय भी उनकी दिव्य परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

भगवान शिव के उपदेश जीवन में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। उनका ध्यान मुद्रा शांति और स्थिरता का प्रतीक है, जबकि उनका तांडव नृत्य सृष्टि के गतिशील पहलुओं को दर्शाता है। भक्त उनकी कृपा से आंतरिक शक्ति, ज्ञान और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति करते हैं।

महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। भक्त उपवास रखते हैं, प्रार्थनाएं करते हैं और शिवलिंग पर बिल्व पत्र अर्पित करते हैं, उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए।

भगवान शिव का जटिल व्यक्तित्व, जिसमें विनाश और करुणा दोनों पहलू शामिल हैं, हमें यह सिखाता है कि विनाश अंत नहीं है, बल्कि पुनर्जन्म और नवजीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है।
🙏〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞

vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 19 मई 2025*
*🎈दिन-  सोमवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*

 *🎈तिथि    सप्तमी-    05:51:01*
*🎈तिथि    -अष्टमी    28:54:48*(क्षय )*
*🎈नक्षत्र -                        श्रवण    19:28:45 तक तत्पश्चात् धनिष्ठा*
*🎈योग -     शुक्ल प्रातः 05:51:20 मई 19 तक, तत्पश्चात्
 ब्रह्म,ऐन्द्र*
*🎈करण-    वणिज    06:10:57 पश्चात बव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-07:28am
से  09:09 am तक*
*🎈सूर्योदय -     05:46:13*
*🎈सूर्यास्त - 19:17:12*
*🎈चन्द्र राशि-       मकर*
*🎈सूर्य राशि-       वृषभ*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:21 ए एम से 05:03 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:59 पी एम।*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, मई 20 से 12:52 ए एम, मई 20 तक*
*🎈रवि योग-     05:45 ए एम से 07:29 पी एम*
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
अमृत    05:46 - 07:28    शुभ
काल    07:28 - 09:09    अशुभ
शुभ    09:09 - 10:50    शुभ
रोग    10:50 - 12:32    अशुभ
उद्वेग    12:32 - 14:13    अशुभ
चर    14:13 - 15:54    शुभ
लाभ    15:54 - 17:36    शुभ
अमृत    17:36 - 19:17    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵*
चर    19:17 - 20:36    शुभ
रोग    20:36 - 21:54    अशुभ
काल    21:54 - 23:13    अशुभ
लाभ    23:13 - 24:31*    शुभ
उद्वेग    24:31* - 25:50*    अशुभ
शुभ    25:50* - 27:09*    शुभ
अमृत    27:09* - 28:27*    शुभ
चर    28:27* - 29:46*    शुभ
kundli


🙏♥️ #धनु राशि का #चन्द्रमा और #मिथुन राशि का #गुरु
वैसे तो यह #गजकेसरी योग कहलायेगा। जो 15 मई 2025 का  समय था।
किन्तु ध्यान दें ---
जितने लोगों ने मेरे लेख को पढ़ा  कि 6 ग्रहों के योग से किन किन देश- भूखण्ड (राशियों) को विपदा-संकट का सामना करना पड़ेगा उन्हें बता दूँ कि धनु, मीन, कन्या, मिथुन, कर्क और वृश्चिक राशि वाले अर्थात इनके प्रथम चरण वाले सावधान रहें। क्योंकि कन्या और मिथुन राशि का स्वामी बुध वक्री स्थिति में वृष राशि में प्रवेश कर रहा है। और सूर्य से अस्त हो जा रहा है।
यहाँ तक तो ठीक है। क्योंकि बुध को अस्त दोष नहीं लगता। किन्तु यह सूर्य- बुध की युति शनि की विशेष तीसरी दृष्टि में तब आ रही है जब गुरु के साथ गजकेसरी योग बनाता चन्द्रमा भी धनु राशि में शनि की विशेष सातवीं दृष्टि में आ जा रहा है।
अंतरिक्ष में ग्रहों की इस स्थिति को #विकट #वाराही कहते हैं।
उपाय:-
भृकुडी के तने, भड़भाड़ के बीज और मकोय के फूल को बराबर भाग में लेकर काली हल्दी समान भाग में कूट पीस कर मेहँदी के तेल और गेरू में मिलाकर लेई बना कर किसी डिबिया में रख लें और सुबह स्नान करने के बाद नित्य उसका तिलक लगाये।
आशातीत लाभ मिलता है।
साथियों मई २०२५ का महीना बड़े ग्रह संकट का चल रहा है। जीवन में सरलता लाए मन प्रभु भक्ति में लगाए ईश्वर का स्मरण करे और आशीर्वाद प्राप्त करे।🌹🌹
 
  *♥️ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 05:57 से शाम 07:29 तक)*
  *♥️ विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुंह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*

  *♥️शिवदृष्टि, त्र्यम्बकदर्शन, अद्वैत शैव दर्शन, पराद्वैत दर्शन, प्रत्यभिज्ञा दर्शन इत्यादि अनेक संज्ञा वाले कश्मीर शैव दर्शन का मूल उत्स माने जाते हैं। आचार्य सोमानन्द ने "शिवदृष्टि" में अद्वैतवाद को बताया है। यह एक प्रकरण ग्रन्थ माना गया है। इस प्रकार "शिवदृष्टि" शीर्षक अद्वैत शैवदर्शन की उस सम्पूर्णता का द्योतक माना गया है। शिवदृष्टि में शिव शब्द का अर्थ परमसत्ता और "दृष्टि" शब्द का अर्थ दर्शन माना गया है।' चाहे उसके इतने सारे तत्त्व हैं अर्थात् 36 तत्त्व ही हैं पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ (आँख, कान, नाक, मुख, त्वचा) पञ्च कर्मेन्द्रियाँ (हाथ, पैर, मुख, मल, मूत्रद्वार), पञ्च महाभूत (पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश), पञ्च तन्मात्रा (पृथ्वी तन्मात्रा, जल तन्मात्रा, वायु तन्मात्रा, आकाश तन्मात्रा) मन, अहंकार, बुद्धि, प्रकृति, पुरुष। माया के पाँच कञ्चुक (कला, विद्या, राग, काल, नियति), माया, शुद्धविद्या, ईश्वर, सदाशिव शक्ति और परमशिव।

परमशिव को ही इन सबका स्रोत माना गया है। इस प्रकार 36 संख्यात्मक रूपों को धारण करते हुये परमशिव अनेक रूपों को धारण किया करते हैं। यह सम्पूर्ण विश्व उसके क्रीड़ा स्वभाव की अभिव्यक्ति मानी जाती है। वह विश्वोत्तीर्ण और विश्वमय है। सभी पदार्थों में शिवतत्त्व ही स्फुरित होता है, उसकी तीन शक्तियाँ अर्थात् इच्छा, ज्ञान और क्रिया समरस अवस्था में रहती है। तब उसकी चिद्रूपाह्ह्लादस्वरूप, र्निवभाग पर विश्वोत्तीर्ण अवस्था मानी जाती है। सभी भावों में आत्मस्वरूप शिव का ही व्यवहार होना चाहिये क्योंकि वे निर्वृतचित्स्वरूप है। वे ही सब जगह इच्छा, ज्ञान और क्रिया रूप में भासमान होता है।

शिव पूर्ण चिदानन्दमात्र में प्रकाशित होता रहता है और उसी में उसका लय भी रहता है। उस समय उसकी सारी इच्छायें, सारा ज्ञान और सम्पूर्ण क्रियायें सब कुछ उसमें लीन रहता है। तब चिद्रूप आह्लादस्वरूप परमशिव की र्निवभाग अवस्था होती है। वही परावस्था मानी जाती है।

कश्मीर शैव दर्शन के अनुसार परमेश्वर या परमशिव को ही एकमात्र परमसत्य माना गया है। इस परमशिव (परमेश्वर) के दो स्वरूप माने गये हैं विश्वोत्तीर्ण और विश्वमय। परमशिव एक ही साथ अपने दोनों स्वरूपों में शाश्वत रूप से एवं सतत् रूप से विराजमान रहता है। पहली स्थिति में वह केवल प्रकाशमय है इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है।

परमशिव का दूसरा स्वरूप विश्वमय है। यह सच्चिदानन्द है। परमशिव जब अपनी सत्ता का स्वयं विमर्श करता है, तब उसके भीतर शक्ति का उल्लास या स्पन्दन होता है।

तब सन्मात्र की स्थिति में ही आत्मप्रकाश रूप में उसकी एक कला अथवा सूक्ष्मतम शक्ति उत्पन्न होती है जिसे चित् कहा जाता है। यह चित् उस पूर्ण सत्य की बहिर्मुखता का प्रथम प्रकाश कहा जाता है। परमेश्वर अपनी विमर्श शक्ति के द्वारा ही इन तीनों रूपों में बहिर्मुख होता है तब उसका यह विश्वमय रूप कहा जाता है।

स्थूल रूप में प्रत्येक प्राणी में रहने वाला शिवतत्त्व ही आत्मा है। यह चैतन्य स्वरूप है। परासवित्, परमशिव, परमेश्वर इत्यादि इसके अनेक नाम हैं। सूक्ष्म दृष्टि से जड़ चेतन सब कुछ यही है। इच्छा, ज्ञान और क्रियात्मक यह शिव पूर्णानन्दस्वरूप वाला है। विमर्श शक्ति इसका स्वभाव है। इस विमर्श शक्ति के पाँच स्वरूप महत्त्वपूर्ण कहे गये हैं इच्छा, ज्ञान, क्रिया, चित् और आनन्द। इसके बिना शिव और शिव के बिना यह शक्ति नहीं रह सकती। दोनों का अभेद होने पर ही परमशिव पूर्ण है। इस शक्ति में जब उन्मेष होता है तब सृष्टि होती है और निमेष होने पर प्रलय होता है।
🙏〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 18 मई 2025*
*🎈दिन-  रविवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि   - षष्ठी पूर्ण रात्रि तक*
*🎈नक्षत्र -                    उत्तराषाढा शाम 06:51:34 तक तत्पश्चात् श्रवण*
*🎈योग -     शुभ प्रातः 06:41:26 तक, तत्पश्चात् शुक्ल प्रातः 05:51:20 मई 19 तक, तत्पश्चात् ब्रह्म*
*🎈करण-    तैतुल    05:57:06*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-05:35pm
से  07:15 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:46:42*
*🎈सूर्यास्त - 19:16:39*
*🎈चन्द्र राशि-       मकर*
*🎈सूर्य राशि-       वृषभ*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:22 ए एम से 05:04 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:59 पी एम।*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, मई 19 से 12:52 ए एम, मई 19 तक*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग    05:45 ए एम से 06:52 पी एम*
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    05:47 - 07:28    अशुभ
चर    07:28 - 09:09    शुभ
लाभ    09:09 - 10:50    शुभ
अमृत    10:50 - 12:32    शुभ
काल    12:32 - 14:13    अशुभ
शुभ    14:13 - 15:54    शुभ
रोग    15:54 - 17:35    अशुभ
उद्वेग    17:35 - 19:17    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵*
शुभ    19:17 - 20:35    शुभ
अमृत    20:35 - 21:54    शुभ
चर    21:54 - 23:13    शुभ
रोग    23:13 - 24:31*    अशुभ
काल    24:31* - 25:50*    अशुभ
लाभ    25:50* - 27:09*    शुभ
उद्वेग    27:09* - 28:28*    अशुभ
शुभ    28:28* - 29:46*    शुभ
kundli


🙏♥️  🌹🌹
  *♥️ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 05:57 से शाम 06:52 तक)*
  *♥️ विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुंह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*

  *♥️विघ्न बाधा निवारक प्रयोग  ♥️*

  *♥️हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के प्रवेश द्वार पर ʹૐʹ बना दें । यह घर को बाधाओं से सुरक्षित रखने में मदद करता है । केवल हल्दी के घोल से भी ʹૐʹ लिखें तो यही फल प्राप्त होगा ।*
  *♥️माणा वही स्थान है जहां महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी। यही नहीं, दक्षिण भारत के महान संत रामानुजाचार्य और मध्वाचार्य ने भी यहीं मां सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था। यह तीर्थस्थल न केवल उत्तर भारत, बल्कि पूरे भारत की वैदिक चेतना का प्रतीक है।
क्यों महत्वपूर्ण है सरस्वती नदी का तट?
-वैदिक ज्ञान की धारा का उद्गम स्थल
-दक्षिण भारत के संतों का तपस्थल
-मोक्षदायिनी मानी जाती है सरस्वती नदी
 माणा में चल रहा पुष्कर कुंभ न सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह उन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कड़ियों को भी जोड़ता है, जो हजारों वर्षों से भारतीय परंपरा में जीवित हैं। यहां आकर श्रद्धालु न केवल अपने पितरों का तर्पण कर रहे हैं, बल्कि आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी पुण्य अर्जित कर रहे हैं।

  *♥️भारत  में12 साल बाद फिर गूंजे वैदिक मंत्र, दक्षिण से जुटे श्रद्धालु, जानें क्या है पुष्कर कुंभ?

धर्म, परंपरा और प्रकृति का अद्वितीय संगम इन दिनों भारत के प्रथम गांव माणा में देखने को मिल रहा है। पुष्कर कुंभ। यह हर साल किसी न किसी एक प्रमुख भारतीय नदी के किनारे आयोजित होता है। जब बृहस्पति किसी विशेष राशि में प्रवेश करते हैं। बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके हैं, जिसके चलते सरस्वती नदी के तट पर पुष्कर कुंभ का आयोजन किया गया है।

  *♥️पुष्कर कुंभ में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी -
बदरीनाथ धाम से महज़ तीन किलोमीटर आगे स्थित भारत के पहले गांव माणा में इन दिनों एक दिव्य और दुर्लभ आध्यात्मिक आयोजन हो रहा है- पुष्कर कुंभ। अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम पर केशव प्रयाग में 12 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद फिर से कुंभ की शुरुआत हुई है। इस आयोजन का खास महत्व है।

  *♥️यह दक्षिण भारत की वैष्णव परंपरा से जुड़ा है, जिसमें विशेष रूप से दक्षिण भारत के श्रद्धालु भाग लेते हैं और इस बार भी वह बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं। धर्माधिकारियों का मानना है कि पुष्कर कुंभ जैसे आयोजनों के माध्यम से दक्षिण और उत्तर भारत की वैदिक परंपराएं एक-दूसरे में समाहित होती हैं, जिससे भारतीय सांस्कृतिक एकता को बल मिलता है।
12 नदियों में कुंभ का आयोजन किया जाता
  *♥️बृहस्पतिवार को 10000 से अधिक श्रद्धालुओं ने अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम स्थल पर आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने पितरों का पिंडदान कर उनके मोक्ष की कामना की। सुबह पांच बजे से ही श्रद्धालु केशव प्रयाग में स्नान के लिए जुटने लगे थे। श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद सरस्वती मंदिर के दर्शन भी किए।

  *♥️पूरे दिनभर भीम पुल से केशव प्रयाग तक जाने वाला पैदल रास्ता श्रद्धालुओं से भरा रहा। उड़ीसा से पुष्कर कुंभ में स्नान के लिए पहुंचे कामेश्वर राव का कहना है कि वे पहली बार पुष्कर कुंभ में शामिल हुए। 12 साल बाद यह संयोग बना है। केशव प्रयाग में स्नान करने के बाद पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान किया। उन्होंने बताया कि देशभर की 12 नदियों में कुंभ का आयोजन किया जाता है।
  *♥️दक्षिण भारत के आचार्यगणों ने कराया पिंडदान श्रद्धालुओं के साथ दक्षिण भारत के आचार्यगण भी पहुंचे हुए थे। जिन्होंने श्रद्धालुओं की ओर से पूजा-अर्चना संपन्न की। यहां करीब 25 ब्राह्मण पहुंचे हुए हैं। जो श्रद्धालुओं के पितरों के तर्पण के साथ ही पिंडदान करा रहे हैं। केशव प्रयाग में स्नान के लिए श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिला। अधिकांश श्रद्धालु अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे हुए हैं।
 सरस्वती नदी में स्नान और पिंडदान से मिलती है पितरों को मुक्ति
  *♥️पुष्कर कुंभ के दौरान श्रद्धालु सरस्वती नदी में स्नान करने के बाद अपने पितरों के लिए पिंडदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र सरस्वती तट पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। खास बात यह है कि इस वर्ष बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके हैं, जिसके चलते सरस्वती नदी के तट पर पुष्कर कुंभ का आयोजन किया गया है।
  *♥️12 नदियों में होता है पुष्कर कुंभ

पुष्कर कुंभ हर साल किसी न किसी एक प्रमुख भारतीय नदी के किनारे आयोजित होता है। जब बृहस्पति किसी विशेष राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस राशि से जुड़ी नदी के तट पर कुंभ का आयोजन होता है।
पुष्कर कुंभ और राशियों का संबंध इस प्रकार है
गंगा – मेष
नर्मदा – वृषभ
सरस्वती – मिथुन (वर्तमान आयोजन)
यमुना – कर्क
गोदावरी – सिंह
कृष्णा – कन्या
कोवरी – तुला
भीमा – वृश्चिक
ताप्ती – धनु
तुंगभद्रा – मकर
 माणा गांव में पुनर्जीवित हो रही प्राचीन परंपरा

  *♥️इस बार माणा गांव में पुष्कर कुंभ का शुभारंभ बुधवार को विधिवत पूजा-अर्चना के साथ हुआ। माणा के प्रशासक पीतांबर मोल्फा के अनुसार, गुरुवार से धार्मिक अनुष्ठानों और संतों के प्रवचनों की श्रृंखला आरंभ हो चुकी है। केशव प्रयाग में अलकनंदा और सरस्वती का संगम इस आयोजन का मुख्य स्थल है।
वेदव्यास, रामानुजाचार्य और मध्वाचार्य की भूमि
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक -  17 मई 2025*
*🎈दिन-  शनिवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        पंचमी    अहोरात्र तत्पश्चात  पंचमी *
*🎈नक्षत्र -                    पूर्वाषाढा    17:42:56 तत्पश्चात         उत्तराषाढा*
*🎈योग -     साध्य    07:07:45तक, तत्पश्चात शुभ*
*🎈करण-            कौलव    17:38:35
पश्चात     तैतुल*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-09:09pm
से  10:51 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:47:11*
*🎈सूर्यास्त - 19:16:05*
*🎈चन्द्र राशि-       धनु    till 24:02:50*
*🎈चन्द्र राशि-       मकर    from 24:02:50*
*🎈सूर्य राशि-       वृषभ*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:22 ए एम से 05:04 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:59 पी एम।*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 18 से 12:52 ए एम, मई 18तक*
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
चर    05:48 - 07:29    शुभ
लाभ    07:29 - 09:10    शुभ
अमृत    09:10 - 10:51    शुभ
काल    10:51 - 12:32    अशुभ
शुभ    12:32 - 14:13    शुभ
रोग    14:13 - 15:54    अशुभ
उद्वेग    15:54 - 17:35    अशुभ
चर    17:35 - 19:16    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵*
लाभ    19:16 - 20:35    शुभ
उद्वेग    20:35 - 21:54    अशुभ
शुभ    21:54 - 23:13    शुभ
अमृत    23:13 - 24:31*    शुभ
चर    24:31* - 25:50*    शुभ
रोग    25:50* - 27:09*    अशुभ
काल    27:09* - 28:28*    अशुभ
लाभ    28:28* - 29:47*    शुभ
kundli


🙏♥️  🌹🌹  

👉गुरु का गोचर हो चुका है... और अब क्या होगा? सुनिए ध्यान से...

बात बनेगी... लेकिन रुकावटें आएँगी।

निर्णय अधूरे रहेंगे

करियर में फाइनल स्टेप तक पहुँचकर भी रुकावट

बातचीत होगी पर काम नहीं जमेगा

बच्चों या परिवार से जुड़े मामलों में चिंता

सलाह मिलेंगी बहुत, लेकिन मन भ्रमित रहेगा

आध्यात्मिक सोच बढ़ेगी, लेकिन लक्ष्य धुंधला होगा

स्वास्थ्य में भी असर दिखने लगा है।☹️
पेट से जुड़ी दिक्कतें, गैस, अपच, जलन, सूजन — कई क्लाइंट्स ने पहले से यह महसूस किया है।

---

अब ज़रा गुरु को समझिए...👈🙏

गुरु यानी ज्ञान, प्रकाश और विस्तार।😊🚩🙏
यह ग्रह पवित्र और शुभ माना जाता है।
एक राशि में लगभग एक वर्ष तक ठहरते हैं, लेकिन इस बार थोड़ा अलग है...

साल 2025 में गुरु का गोचर 14 मई को मिथुन राशि में हुआ है,
और 19 अक्टूबर को ही कर्क में प्रवेश करेंगे।
यानी यह अतिचारी गुरु हैं — जो तेज़ी से राशि बदल रहे हैं।

जहाँ गुरु बैठते हैं, वहाँ सुख की परीक्षा होती है,
लेकिन यह ग्रह कभी भी अंधकार नहीं देता, बस संकेत देता है — कि अब संभलो।

गुरु की दृष्टियाँ — 5वीं, 7वीं और 9वीं —
जहाँ भी जाती हैं, वहाँ वृद्धि और प्रकाश लाती हैं।

तो इस बार अगर बात नहीं बन रही है,
तो ज़रूरी नहीं कि दोष है — हो सकता है दिशा सही न हो।
क्योंकि गुरु मार्गदर्शक हैं, संकेत देते हैं... बस समझने वाला चाहिए।

---
तो क्या करें?
उपाय होंगे — लेकिन आपकी कुंडली के अनुसार।
हर उपाय सबके लिए नहीं होता।
कभी मंत्र से, कभी व्रत से, कभी वास्तु से — और कई बार सिर पर रूमाल या पाँव में अंगूठी से बदल जाती है दशा।

अगर आपकी बात भी अटकी हुई है... या शरीर भी संकेत दे रहा है...
तो गोचर का असर जानिए और उपाय पाइए —
"कुंडली के अनुसार"

ज्योतिष आपका मार्गदर्शन करता है,
लेकिन कर्म आपको ही करने होते हैं।
सही रास्ता और दिशा चुनना ही असली समाधान है।

〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

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*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
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 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक -  16 मई 2025*
*🎈दिन-  शुक्रवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*


*🎈तिथि    -        चतुर्थी    29:12:56 तत्पश्चात  पंचमी *
*🎈नक्षत्र -                    मूल    16:06:38 तत्पश्चात     पूर्वाषाढा*
*🎈योग -     सिद्ध    07:13:15 तक, तत्पश्चात साध्य*
*🎈करण-            बव    16:40:40
पश्चात     कौलव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-10:51pm
से  12:32 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:47:42*
*🎈सूर्यास्त - 19:15:31*
*🎈चन्द्र राशि       धनु
*🎈सूर्य राशि-       वृषभ*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:22 ए एम से 12:05 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:59 पी एम।*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 17 से 12:52 ए एम, मई 17 तक*
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
चर    05:48 - 07:29    शुभ
लाभ    07:29 - 09:10    शुभ
अमृत    09:10 - 10:51    शुभ
काल    10:51 - 12:32    अशुभ
शुभ    12:32 - 14:13    शुभ
रोग    14:13 - 15:54    अशुभ
उद्वेग    15:54 - 17:35    अशुभ
चर    17:35 - 19:16    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵*
रोग    19:16 - 20:34    अशुभ
काल    20:34 - 21:53    अशुभ
लाभ    21:53 - 23:12    शुभ
उद्वेग    23:12 - 24:31*    अशुभ
शुभ    24:31* - 25:50*    शुभ
अमृत    25:50* - 27:09*    शुभ
चर    27:09* - 28:28*    शुभ
रोग    28:28* - 29:47*    अशुभ

kundli


🙏♥️  🌹🌹  "🌹🌹  भगवान भूतनाथ 🌹🌹

👉आपकी सभी समस्याओं का सम्पूर्ण समाधान पाये 👈
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  👉   ब्रह्मा विष्णु महेश शक्ति

सूर्य गणेश सभी पंचतत्व ओर तत्व देवताओं सहित 14 ब्रह्मांड उनका ही अंशमात्र है वो निराकार ब्रह्म शिवपीता के अनेक स्वरूप पूजे जाते है । कैलास महादेव स्वरूप है , स्मशानमे भूतनाथ , सचराचर में अघोर स्वरूप । इस ब्रह्मांड का सकल जड़ या चेतन महादेव का ही अंश है । इसलिए महादेव के दरबारमे हरकोई स्वीकार्य है । विधिवत पूजा विधान ओर यज्ञ यागादि पूजन मंत्र स्तोत्र से भी उपासना कर सकते है और बाल सहज भाव या पशुभावसे जैसे चाहो पूजो महादेव को स्वीकार्य है ।
   शंकराचार्य महाराज की वैदिक धर्मानुसारण केलिए चार पीठ है । ऐसे ही तंत्रमार्ग ओर अघोर उपासना मार्ग मे भी शंकराचार्य ओर विविध पीठ है। उज्जैन के स्मशानमे तंत्रमार्ग के शंकराचार्य पीठ और भूतनाथ महादेव का स्थान है।

👉 भगवान शिव - भूतनाथ
-------------------------------

भूतनाथ, भूतपति, या भूतेश्वर भगवान शिव। ‘भूत’ शब्द का अर्थ है पंचभूत अर्थात् पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इसका दूसरा अर्थ है प्राणी समूह अर्थात् समस्त सजीव सृष्टि। ‘भूतनाथ’ का अर्थ है कि भगवान शिव पंचभूत से लेकर चींटीपर्यन्त समस्त जीवों, चाहें वह लूले लंगड़े हों अथवा सर्वसमर्थ, सभी के स्वामी हैं। जो भी प्राणी उनकी भक्ति करते हैं, वह उन्हें अपना लेते हैं।
तामस से तामस असुर, दैत्य, यक्ष,भूत,  प्रेत, पिशाच, बेताल, डाकिनी,शाकिनी, सर्प, सिंह, सभी जिसे पूजें, वही शिव ‘परमेश्वर’ और ‘भूतेश्वर’ हैं। भगवान शिव का परिवार बहुत बड़ा है। एकादश रूद्र, रुद्राणियां, चौंसठ योगिनियां, मातृकाएं तथा भैरवादि इनके सहचर तथा सहचरी हैं।
गरीब से गरीब के लिए गुंजाइश है वहां, क्योंकि नंगे, लूले, लंगड़े, सर्वहारा, ऐंड़े बेंड़े टेढ़े सभी उनके गण बनकर उनकी बारात में शामिल हुए। जिनका कोई ठिकाना नहीं, उन सबके लिए भोलेबाबा का दरबार खुला है।
 शिवजी की बारात में चण्डी देवी सांपों के आभूषणों से सजी प्रेत पर सवार हो, शत्रुओं को भयभीत करती हुई चल रहीं थीं। उनके गण कितने निराले हैं, भूत, प्रेत, बेताल, डाकिनी-शाकिनी, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, क्षेत्रपाल, भैरव आदि, जिन्होंने उनके विवाह में बराती बनकर तहलका ही मचा दिया।

भगवान शंकर तो प्रेम और शान्ति के अथाह समुद्र और सच्चे योगी ठहरे। उनके मंगलमय शासन में सभी प्राणी अपना वैर भाव भुलाकर पूर्ण शान्तिमय जीवन व्यतीत करते हैं। वे इतने अहिंसक हैं कि सर्प, बिच्छू भी उनके आभूषण बने हुए हैं। उनके चारों ओर आनन्द के ही परमाणु फैले रहते हैं इसीलिए ‘शिव’ (कल्याण रूप) एवं ‘शंकर’ (आनन्द दाता) कहलाते हैं।

👉  सरल उपासना विधान
     -------------------------------
    भगवान शिव के अघोर सकरूप की कृपा केलिए एक सरल विधान । ये पूजा उपासना शिवमंदिर या घरके एकांत स्थानमे भी कर सकते है । मध्यरात्रि या प्रातःकाल मे पूजा करे।  एक चौरंगी-पाट पर शिवजी जे नाम एक दीप जलाए ओर शिवजी के अघोर स्वरूप का ध्यान करे और अघोर मंत्र -
ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः
इस मंत्र का 11 माला मंत्र जाप करे ।
  मंत्र जाप के बाद पाट पर महादेव को प्रसाद में फल धराके दंडवत प्रणाम करे। नित्य ये पूजा जाप करते करते मंत्र सिद्धि ओर महादेव की प्रसन्नता प्राप्त हो जाएगी।
    किसी भी तरह की तंत्र क्रिया , भुत प्रेत बाधा , भूमिदोष , पितृदोष का शमन हो जाएगा ।
   महादेव आप सभी धर्मप्रेमी जनो पर सदैव कृपा करें यही प्रार्थना है।
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🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞*🗓
vipul

 

*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक -  15 मई 2025*
*🎈दिन-  गुरुवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        तृतीया    28:02:13     तत्पश्चात  चतुर्थी *
*🎈नक्षत्र -                    ज्येष्ठा    14:06:31 तत्पश्चात         मूला*
*🎈योग -     शिव    07:00:47 तक, तत्पश्चात सिद्ध*
*🎈करण-            वणिज    15:18:02
पश्चात     बव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-2:12pm
से  03:53 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:48:13*
*🎈सूर्यास्त - 19:14:57*
*🎈चन्द्र राशि-       वृश्चिक    till 14:06:31*
*🎈चन्द्र राशि-      धनु    from 14:06:31*
*🎈सूर्य राशि-       वृषभ*

*🎈दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:23 ए एम से 05:05 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:59 पी एम।*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 16 से 12:52 ए एम, मई 16 तक*
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
शुभ    05:48 - 07:29    शुभ
रोग    07:29 - 09:10    अशुभ
उद्वेग    09:10 - 10:51    अशुभ
चर    10:51 - 12:32    शुभ
लाभ    12:32 - 14:12    शुभ
अमृत    14:12 - 15:53    शुभ
काल    15:53 - 17:34    अशुभ
शुभ    17:34 - 19:15    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
अमृत    19:15 - 20:34    शुभ
चर    20:34 - 21:53    शुभ
रोग    21:53 - 23:12    अशुभ
काल    23:12 - 24:31*    अशुभ
लाभ    24:31* - 25:50*    शुभ
उद्वेग    25:50* - 27:10*    अशुभ
शुभ    27:10* - 28:29*    शुभ
अमृत    28:29* - 29:48*    शुभ
kundli


🙏♥️  🌹🌹  भगवान भूतनाथ 🌹🌹

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  👉   ब्रह्मा विष्णु महेश शक्ति

सूर्य गणेश सभी पंचतत्व ओर तत्व देवताओं सहित 14 ब्रह्मांड उनका ही अंशमात्र है वो निराकार ब्रह्म शिवपीता के अनेक स्वरूप पूजे जाते है । कैलास महादेव स्वरूप है , स्मशानमे भूतनाथ , सचराचर में अघोर स्वरूप । इस ब्रह्मांड का सकल जड़ या चेतन महादेव का ही अंश है । इसलिए महादेव के दरबारमे हरकोई स्वीकार्य है । विधिवत पूजा विधान ओर यज्ञ यागादि पूजन मंत्र स्तोत्र से भी उपासना कर सकते है और बाल सहज भाव या पशुभावसे जैसे चाहो पूजो महादेव को स्वीकार्य है ।
   शंकराचार्य महाराज की वैदिक धर्मानुसारण केलिए चार पीठ है । ऐसे ही तंत्रमार्ग ओर अघोर उपासना मार्ग मे भी शंकराचार्य ओर विविध पीठ है। उज्जैन के स्मशानमे तंत्रमार्ग के शंकराचार्य पीठ और भूतनाथ महादेव का स्थान है।

👉 भगवान शिव - भूतनाथ
-------------------------------

भूतनाथ, भूतपति, या भूतेश्वर भगवान शिव। ‘भूत’ शब्द का अर्थ है पंचभूत अर्थात् पृथिवी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इसका दूसरा अर्थ है प्राणी समूह अर्थात् समस्त सजीव सृष्टि। ‘भूतनाथ’ का अर्थ है कि भगवान शिव पंचभूत से लेकर चींटीपर्यन्त समस्त जीवों, चाहें वह लूले लंगड़े हों अथवा सर्वसमर्थ, सभी के स्वामी हैं। जो भी प्राणी उनकी भक्ति करते हैं, वह उन्हें अपना लेते हैं।
तामस से तामस असुर, दैत्य, यक्ष,भूत,  प्रेत, पिशाच, बेताल, डाकिनी,शाकिनी, सर्प, सिंह, सभी जिसे पूजें, वही शिव ‘परमेश्वर’ और ‘भूतेश्वर’ हैं। भगवान शिव का परिवार बहुत बड़ा है। एकादश रूद्र, रुद्राणियां, चौंसठ योगिनियां, मातृकाएं तथा भैरवादि इनके सहचर तथा सहचरी हैं।
गरीब से गरीब के लिए गुंजाइश है वहां, क्योंकि नंगे, लूले, लंगड़े, सर्वहारा, ऐंड़े बेंड़े टेढ़े सभी उनके गण बनकर उनकी बारात में शामिल हुए। जिनका कोई ठिकाना नहीं, उन सबके लिए भोलेबाबा का दरबार खुला है।
 शिवजी की बारात में चण्डी देवी सांपों के आभूषणों से सजी प्रेत पर सवार हो, शत्रुओं को भयभीत करती हुई चल रहीं थीं। उनके गण कितने निराले हैं, भूत, प्रेत, बेताल, डाकिनी-शाकिनी, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, क्षेत्रपाल, भैरव आदि, जिन्होंने उनके विवाह में बराती बनकर तहलका ही मचा दिया।

भगवान शंकर तो प्रेम और शान्ति के अथाह समुद्र और सच्चे योगी ठहरे। उनके मंगलमय शासन में सभी प्राणी अपना वैर भाव भुलाकर पूर्ण शान्तिमय जीवन व्यतीत करते हैं। वे इतने अहिंसक हैं कि सर्प, बिच्छू भी उनके आभूषण बने हुए हैं। उनके चारों ओर आनन्द के ही परमाणु फैले रहते हैं इसीलिए ‘शिव’ (कल्याण रूप) एवं ‘शंकर’ (आनन्द दाता) कहलाते हैं।

👉  सरल उपासना विधान
     -------------------------------
    भगवान शिव के अघोर सकरूप की कृपा केलिए एक सरल विधान । ये पूजा उपासना शिवमंदिर या घरके एकांत स्थानमे भी कर सकते है । मध्यरात्रि या प्रातःकाल मे पूजा करे।  एक चौरंगी-पाट पर शिवजी जे नाम एक दीप जलाए ओर शिवजी के अघोर स्वरूप का ध्यान करे और अघोर मंत्र -
ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः
इस मंत्र का 11 माला मंत्र जाप करे ।
  मंत्र जाप के बाद पाट पर महादेव को प्रसाद में फल धराके दंडवत प्रणाम करे। नित्य ये पूजा जाप करते करते मंत्र सिद्धि ओर महादेव की प्रसन्नता प्राप्त हो जाएगी।
    किसी भी तरह की तंत्र क्रिया , भुत प्रेत बाधा , भूमिदोष , पितृदोष का शमन हो जाएगा ।
   महादेव आप सभी धर्मप्रेमी जनो पर सदैव कृपा करें यही प्रार्थना है।
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक -  14 मई 2025*
*🎈दिन-  बुधवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        द्वितीया    26:28:31     तत्पश्चात  तृतीया *
*🎈नक्षत्र -                    अनुराधा    11:46:02 तत्पश्चात         ज्येष्ठा*
*🎈योग -     परिघ    06:32:49 तक, तत्पश्चात     शिव*
*🎈करण-            तैतुल    13:34:04
पश्चात     वणिज*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-12:32pm
से  02:12 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:48:37*
*🎈सूर्यास्त - 19:14:23*
*🎈चन्द्र राशि-      वृश्चिक
*🎈सूर्य राशि    -मेष     till 24:11:20*
*🎈सूर्य राशि-       वृषभ    from 24:11:20*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:23 ए एम से 05:05 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं।
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 15 से 12:52 ए एम, मई 15 तक*
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
लाभ    05:49 - 07:29    शुभ
अमृत    07:29 - 09:10    शुभ
काल    09:10 - 10:51    अशुभ
शुभ    10:51 - 12:32    शुभ
रोग    12:32 - 14:12    अशुभ
उद्वेग    14:12 - 15:53    अशुभ
चर    15:53 - 17:34    शुभ
लाभ    17:34 - 19:14    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
उद्वेग    19:14 - 20:34    अशुभ
शुभ    20:34 - 21:53    शुभ
अमृत    21:53 - 23:12    शुभ
चर    23:12 - 24:31*    शुभ
रोग    24:31* - 25:51*    अशुभ
काल    25:51* - 27:10*    अशुभ
लाभ    27:10* - 28:29*    शुभ
उद्वेग    28:29* - 29:48*    अशुभ
kundli



🙏♥️  प्रभु राम के परमभक्‍त हनुमान जी संकटमोचक है. मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी को प्रसन्‍न करने के लिए विशेष होते हैं लेकिन ज्‍येष्‍ठ महीने के सभी मंगलवार का तो हिंदू धर्म में बहुत महत्‍व है. धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार ज्‍येष्‍ठ माह में हनुमान जी ने बुजुर्ग वानर का रूप धरकर भीम का घमंड तोड़ा था, इसलिए ज्‍येष्‍ठ माह के मंगलवार में हनुमान जी के वृद्ध स्‍वरूप की पूजा की जाती है और इस महीने के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहते हैं. आज पहला बड़ा मंगल है और बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाना उनकी विशेष कृपा पाने का उत्‍तम तरीका होता है. जानिए चोला चढ़ाने की सही विधि क्‍या है

चोला चढ़ाने के फायदे और विधि
हनुमान जी को चोला चढ़ाने से अनजाने भय दूर होते हैं. नकारात्‍मक शक्तियां पास भी नहीं फटकती हैं. सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मंगल दोष का बुरा प्रभाव कम होता है.

बड़ा मंगल के दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाने के लिए सुबह स्‍नान करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें. फिर हनुमान जी की प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक करें. इसके बाद सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर सबसे पहले हनुमानजी के चरणों में लगाएं और फिर प्रतिमा पर ऊपर से लेकर पैरों तक उन्हें चोला चढ़ाएं. चोला चढ़ाने के बाद हनुमानजी पर चांदी की वर्क, जनेऊ और साफ वस्त्र चढ़ाएं.

चूंकि हनुमान जी प्रभु राम के परमभक्‍त हैं और उनकी आराधना करने वाले से हमेशा प्रसन्‍न रहते हैं. लिहाजा पीपल के 11 या 21 पत्‍तों पर सिंदूर से श्रीराम लिख लें, फिर इन पत्‍तों की माला बनाकर हनुमानजी को पहनाएं. हनुमान जी को चने, गुड़, मिठाई, पान सुपारी आदि का अर्पित करें, धूप-दीप करें. इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें. फिर हनुमान जी से अपनी मनोकामना बताते हुए उसे पूरी करने की प्रार्थना आखिर में हनुमानजी की आरती करें और हनुमानजी के चरणों में थोड़ा सा सिंदूर लेकर अपने मस्‍तक पर लगा लें. ऐसा करने से व्यक्ति के तमाम कष्ट दूर होते हैं. साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती है।🌼


*आज बात करते है मंगल की राहु और शनि की तरह इनसे भी लोग डरते है।
👉मेरा तात्पर्य किसी क़ो डराना नहीं हैं बल्कि छोटी छोटी बातों से अवगत करना हैं किताब का ज्ञान अपनी जगह हैं लेकिन एक एस्ट्रो होने के हर के करकत्व क़ो आपने कितना समझा और जाना हैं अपनी प्रेक्टिस से
मैंने कहां मंगल क़ो न तो ज्यादा पावर दें सकते हैं न कमजोर रहने दें सकते हैं ज्यादातर लोग इनके उपाय जल परवाह करवाते हैं या दान, मंगल दोष या मांगलिक दोश से शादी के समय इसको निर्धारित रूप से देखा जाता हैं, खासतर लड़की की कुंडली मे कुंडली मिलाने का सारे विद्वान जनो का अपणा गणित होता हैं मेरा भी हैं मेरे लिए यदि मंगल अकेले ही 1,4,6,7,8,12 मे बैठा हो और
(मैंने 6ठे भाव क़ो भी लिया हैं ख़राब मंगल के रूप मे ये कामकाज के अंदर क़र्ज़ की स्थथी और नौकरी और शत्रु के लिए )
लग्न शत्रुगत हो और दसा राहु की या शनि की या बुध की चल रही हो तो मंगल दोश क़ो प्रभावी होने से कोई नहीं रोक सकता अब ये सिर्फ शादी के लिए ही नी व्यक्ति के खुद के जीवन के लिए व्यापार के लिए और उसमे होने वाले लेनदेन क़ो बहुत प्रभावित करता हैं। जिन लड़कियों की शादी जुड़ तो जाती हैं पर या तोह हो नी पाती या ज़्यादा चलती नी हैं, अब यहाँ जन्म कुंडली मे चंद्र और केतु का योग हो या केतु अकेले ख़राब फल मे हो तो रिश्ते आते बहुत हैं पसंद भी आते हैं पर मना हो जाते हैं ख़राब केतु की खासियत देखिये रिश्ते टॉप के देगा पर होने नी देगा क्योंकि चंद्र भी ख़राब हैं तो माँ मौसी चाची ताई के कहने पर ना होगा। और बुध ख़राब हुआ तोह लड़की या लड़का दोनों मेसे कोई न तोह फैसला ले पाएंगे हर टाइम कांन्फ्यूज्ड रहेंगे।
अब बड़ी बात सब कुछ सही हो भी जाता हैं तोह ज़ब भी दिन निकालते हैं शादी का उस साल का अच्छे से विश्लेषण करवाना चाइये दोनों की वर्ष कुंडली निकालनी चाइये उस साल का योग सिर्फ शादी का नहीं देखना हैं बल्कि पहले दोनों की कुंडली मे मुंथा किस भाव मे आ रही हैं 4,6,8,12 मे तोह नहीं आरी एक की भी कुंडली मे खास्तर 6,8 मे नहीं हो,दुशरी मंगल तब 6,8 मे न हो और या शनि और मंगल एक दुशरे के विपरीत न हो मतलब शनि 6 मंगल 8 या उल्टा समझो, ये शड़ाष्ठक योग न बने,वर्षफल मे भी और जिस महीने शादी हो उस टाइम मे भी, ये कितना भयंकर योग होता हैं मेरे से अधिक कोई शायद समझें सबकुछ देखा हैं शामने क्योंकि आपने सुना होगा कहीं न कही की बारात की गाड़ी पालत गयी, दुलगे की मौत हो गयी या कई मामले हैं नी बताऊंगा कहीं डराने की कोसिस कर रा हूं लवली ये न बोले बाकी समझने वाले समझ गए होंगे,,,इशलिये बारीकी से अपने जानकार से दिखाए। अब सेम यही लागु होता हैं व्यापार पर खास्तर उनके लिए जो लोन लेके या लोगो ब्याज पर पैसा उठा के शुरू करने की सोचते हैं। व्यापार के लिए बुध जो व्यापार की इछा जाहिर करता हैं , चंद्र जो डेली इनकम का कारक, शनि जो ईश्मे मेहनत और दिशा बताएगा और शुक्र जो योजना देगा और मंगल जो पार्टनरशिप और पेंसे का फ्लो कहाँ से आएगा ये दिखाता हैं। मंगल शनि की ख़राबी मे अक्सर पार्टनर धोका देता हैं, और क़र्ज़ पे क़र्ज़ चढ़ेगा। असल मे मंगल कर्ज नहीं देता व्यक्ति की उस स्तिथि को और विकट करता है जैसे लिए हुए कर्ज उतरने नहीं देता ज़ब पीड़ित या कमजोर हो, जिस तरह से मंगल 7 का हो या राशि उसकी हो और शनि या राहु संघर्ष मे हो तोह शादी न होने पर उम्र बढ़ेगी पर शादी नहीं होंगी टूट जाती है या रिस्ता क्लेश वाला रहकर उसको झेलते जाओ, ठीक उसी तरह ज़ब लोन व कर्ज लिया होतो कामकाज के हाल तोह बुरे होंगे ही और जातक की सेहनसीलता जवाब देती है उसमे हिम्मत होती नी फिर एक और कर्ज की ऒर जाता है क्यूंकि उनका बुध पहले ही ख़राब होता है ऊपर से राहु उसको उकसाता रहता है की =की दूसरा कम कर जरूर चलेगा नतीजा पहले जितना लिया होता उससे और डबल कर्ज उठाता है और कुछ महीने सही होने के बाद वही हाल..


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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक -  13 मई 2025*
*🎈दिन-  मंगलवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        प्रथम    24:35:04     तत्पश्चात  द्वितीया *
*🎈नक्षत्र -                    विशाखा    09:08:13 तत्पश्चात         अनुराधा*
*🎈योग -     वरियान    05:51:36 तक, तत्पश्चात     परिध*
*🎈करण-            बालव    11:31:50
पश्चात     तैतुल*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-03:53pm
से  05:33 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:49:21*
*🎈सूर्यास्त - 19:13:49*
*🎈चन्द्र राशि-       वृश्चिक*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:24 ए एम से 05:06 ए एम.तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:58 पी एम तक।
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 14 से 12:52 ए एम, मई 14*
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
रोग    05:49 - 07:30    अशुभ
उद्वेग    07:30 - 09:10    अशुभ
चर    09:10 - 10:51    शुभ
लाभ    10:51 - 12:32    शुभ
अमृत    12:32 - 14:12    शुभ
काल    14:12 - 15:53    अशुभ
शुभ    15:53 - 17:33    शुभ
रोग    17:33 - 19:14    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
काल    19:14 - 20:33    अशुभ
लाभ    20:33 - 21:53    शुभ
उद्वेग    21:53 - 23:12    अशुभ
शुभ    23:12 - 24:31*    शुभ
अमृत    24:31* - 25:51*    शुभ
चर    25:51* - 27:10*    शुभ
रोग    27:10* - 28:29*    अशुभ
kundli



🙏♥️ बुद्ध और ब्राह्मण
कल बुध पूर्णिमा थी। लोग इसे बुद्ध-पूर्णिमा बतला रहे हैं और गौतम बुद्ध जिनका जन्म लुम्बिनी में हुआ था, कुशीनगर में निर्वाण हुआ था उनके जन्म-ज्ञान-निर्वाण के साथ इस दिन को जोड़ कर मना रहे हैं, एक दूसरे को शुभकामनाएं भी दे रहे हैं । शुभकामनाएं देकर परोक्ष में बौद्ध-मत को पोषित कर रहे हैं जिसका कभी आदि-शंकराचार्य जी ने विरोध-खण्डन किया था। सच्चाई यह है कि यह दिन बुद्ध-पूर्णिमा नहीं है जबकि बुध-पूर्णिमा है । *गौतम बुद्ध(सिद्धार्थ) के पूर्वज भी इस पूर्णिमा को मनाते थे जिसका नाम बुध-पूर्णिमा ही था ।" *बुध अवगमने* " धातु से बुध शब्द सिद्ध होता है । " *यो बुध्यते बोध्यते वा स बुध:* " जो स्वयं बोध स्वरूप और सब जीवों के बोध का कारण है, इसलिए परमेश्वर का नाम *बुध* है । (सत्यार्थप्रकाश, प्रथम समुल्लास, महर्षि दयानन्द कृत)

अपने आपको मूलनिवासी कहने वाले लोग प्राय: ब्राह्मणों को कोसते मिलते हैं, विदेशी कहते हैं, गालियां बकते हैं। पर बुद्ध ने आर्यधर्म को महान कहा है । इसके विपरीत डॉ अंबेडकर आर्यों को विदेशी नहीं मानते थे। अपितु आर्यों होने की बात को छदम कल्पना मानते थे। महात्मा बुद्ध ब्राह्मण, धर्म, वेद, सत्य, अहिंसा , यज्ञ, यज्ञोपवीत आदि में पूर्ण विश्वास रखने वाले थे। महात्मा बुद्ध के उपदेशों का संग्रह धम्मपद के ब्राह्मण वग्गो 18 का में ऐसे अनेक प्रमाण मिलते है कि बुद्ध के ब्राह्मणों के प्रति क्या विचार थे।
१:-न ब्राह्नणस्स पहरेय्य नास्स मुञ्चेथ ब्राह्नणो।
धी ब्राह्नणस्य हंतारं ततो धी यस्स मुञ्चति।।
( ब्राह्मणवग्गो श्लोक ३)
'ब्राह्नण पर वार नहीं करना चाहिये। और ब्राह्मण को प्रहारकर्ता पर कोप नहीं करना चाहिये। ब्राह्मण पर प्रहार करने वाले पर धिक्कार है।'
२:- ब्राह्मण कौन है:-
यस्स कायेन वाचाय मनसा नत्थि दुक्कतं।
संबुतं तीहि ठानेहि तमहं ब्रूमि ब्राह्नणं।।
( श्लोक ५)
'जिसने काया,वाणी और मन से कोई दुष्कृत्य नहीं करता,जो तीनों कर्मपथों में सुरक्षित है उसे मैं ब्राह्मण कहता हूं।
३:- अक्कोधनं वतवन्तं सीलवंतं अनुस्सदं।
दंतं अंतिमसारीरं तमहं ब्रूमि ब्राह्नणं।।
अकक्कसं विञ्ञापनिं गिरं उदीरये।
याय नाभिसजे किंचि तमहं ब्रूमि ब्राह्नणं।।
निधाय दंडभूतेसु तसेसु थावरेसु च।
यो न हंति न घातेति तमहं ब्रूमि ब्राह्नणं।।
( श्लोक ७-९)'जो क्रोधरहित,व्रती,शीलवान,वितृष्ण है और दांत है, जिसका यह देह अंतिम है;जिससे कोई न डरे इस तरह अकर्कश,सार्थक और सत्यवाणी बोलता हो;जो चर अचर सभी के प्रति दंड का त्याग करके न किसी को मारता है न मारने की प्रेरणा करता है- उसी को मैं ब्राह्मण कहता हूं।।'
४:- गुण कर्म स्वभाव की वर्णव्यवस्था:-
न जटाहि न गोत्तेन न जच्चा होति ब्राह्मणो।
यम्हि सच्च च धम्मो च से सुची सो च ब्राह्मणो।।
( श्लोक ११)
' न जन्म कारण है न गोत्र कारण है, न जटाधारण से कोई ब्राह्मण होता है। जिसमें सत्य है, जो पवित्र है वही ब्राह्मण होता है।।
५:- आर्य धर्म के प्रति विचार:-
धम्मपद, अध्याय ३ सत्संगति प्रकरण :प्राग संज्ञा:-
साहु दस्सवमरियानं सन् निवासो सदा सुखो।( श्लोक ५)
"आर्यों का दर्शन सदा हितकर और सुखदायी है।"
धीरं च पञ्ञं च बहुस्सुतं च धोरय्हसीलं वतवन्तमरियं।
तं तादिसं सप्पुरिसं सुमेधं भजेथ नक्खत्तपथं व चंदिमा।।
( श्लोक ७)
" जैसे चंद्रमा नक्षत्र पथ का अनुसरण करता है, वैसे ही सत्पुरुष का जो धीर,प्राज्ञ,बहुश्रुत,नेतृत्वशील,व्रती आर्य तथा बुद्धिमान है- का अनुसरण करें।।"
"तादिसं पंडितं भजे"- श्लोक ८
वाक्ताड़न करने वाले पंडित की उपासना भी सदा कल्याण करने वाली है।।"एते तयो कम्मपथे विसोधये आराधये मग्गमिसिप्पवेदितं" ( धम्मपद ११ प्रज्ञायोग श्लोक ५) " तीन कर्मपथों की शुद्धि करके ऋषियों के कहे मार्ग का अनुसरण करे"
धम्मपद पंडित प्रकरण १५/ में ७७ पंडित लक्षणम् में श्लोक १:- "अरियप्पवेदिते धम्मे सदा रमति पंडितो।।" सज्जन लोग आर्योपदिष्ट धर्म में रत रहते हैं।"
परिणाम:- भगवान महात्मा गौतम बुद्ध ने ब्राह्मणों की इतनी स्तुति की है तथा आर्य वैदिक धर्म का खुले रूप से गुणगान किया है। इसलिये बुद्ध के कहे अनुसार भीमसैनिक को भी ब्राह्मणों और आर्यों का सम्मान करना चाहिये। दूसरों में आकर बहकना नहीं चाहिए।
सलंग्न चित्र- महात्मा बुद्ध यज्ञोपवीत धारण किये हुए।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक -  12 मई 2025*
*🎈दिन-  सोमवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -        पूर्णिमा    22:24:50     तत्पश्चात  प्रतिपदा *
*🎈नक्षत्र -                विशाखा तत्पश्चात         स्वाति*
*🎈योग -     वरियान    29:51:36 तक, तत्पश्चात     वरियान*
*🎈करण-            विष्टि भद्र    09:14:29
पश्चात बालव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-05:32pm
से  07:13 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:49:56*
*🎈सूर्यास्त - 19:13:15*
*🎈चन्द्र राशि-       तुला    till 26:26:25*
*🎈चन्द्र राशि-       वृश्चिक    from 26:26:25*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:24 ए एम से 05:06 ए एम.तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:58 पी एम तक।
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 13 से 12:52 ए एम, मई 13 तक*
 *🛟चोघडिया, दिन🛟*
अमृत    05:50 - 07:30    शुभ
काल    07:30 - 09:11    अशुभ
शुभ    09:11 - 10:51    शुभ
रोग    10:51 - 12:32    अशुभ
उद्वेग    12:32 - 14:12    अशुभ
चर    14:12 - 15:52    शुभ
लाभ    15:52 - 17:33    शुभ
अमृत    17:33 - 19:13    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
चर    19:13 - 20:33    शुभ
रोग    20:33 - 21:52    अशुभ
काल    21:52 - 23:12    अशुभ
लाभ    23:12 - 24:31*    शुभ
उद्वेग    24:31* - 25:51*    अशुभ
शुभ    25:51* - 27:10*    शुभ
अमृत    27:10* - 28:30*    शुभ
चर    28:30* - 29:49*    शुभ
kundli



🙏♥️ वैशाख बुद्ध या  पूर्णिमा पर क्यों की जाती है पीपल के पेड़ की पूजा?

वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल की आराधना करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में स्वयं श्रीहरि का वास होता है। इस कारण यह दिन बेहद शुभ और पवित्र माना गया है।
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, विशेष रूप से वैशाख माह की पूर्णिमा को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसी कारण इसे पीपल पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष में यह पावन तिथि 12 मई को पड़ रही है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल की आराधना करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में स्वयं श्रीहरि का वास होता है। इस कारण यह दिन बेहद शुभ और पवित्र माना गया है।
 पीपल की पूजा विधि
बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद पीपल पर दूध व जल चढ़ाएं और पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखकर वृक्ष की तीन परिक्रमा करें। धार्मिक मान्यता है कि सुबह के समय पीपल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का निवास होता है। वहीं, दिन के समय इसमें मां लक्ष्मी का वास होता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

पितरों की तृप्ति के लिए उत्तम दिन
इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। साथ ही इस अवसर पर पीपल का पौधा रोपना भी शुभ माना गया है। यदि पीपल पर दूध, जल और काले तिल चढ़ाए जाएं, तो पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
ग्रहों की शांति
पीपल की पूजा करने से कुंडली के अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। खासकर शनि, गुरु, राहु और केतु जैसे ग्रहों की शांति हेतु पीपल पूजन और वृक्षारोपण अत्यंत लाभदायक माना गया है।

भगवान बुद्ध का जन्म दिवस
वैशाख पूर्णिमा को भगवान विष्णु के नवें अवतार, भगवान बुद्ध का जन्मदिवस भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि उन्हें ज्ञान की प्राप्ति पीपल वृक्ष के नीचे हुई थी, जिसे बोधि वृक्ष भी कहा जाता है। उन्होंने छह वर्षों तक इसी वृक्ष के नीचे तपस्या की और पूर्णिमा के दिन ही उन्हें बोधि प्राप्त हुआ।
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक -  11 मई 2025*
*🎈दिन-  रविवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -        चतुर्दशी    20:01:20     तत्पश्चात  पूर्णिमा *
*🎈नक्षत्र -            स्वाति    30:16:15 तत्पश्चात         स्वाति*
*🎈योग -     व्यतिपत    28:59:34 तक, तत्पश्चात     वरियान*
*🎈करण-        गर    06:46:01
पश्चात विष्टि भद्र*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-05:32pm
से  07:13 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:50:33*
*🎈सूर्यास्त - 19:12:40*
*🎈चन्द्र राशि-       तुला*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:24 ए एम से 05:07 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:06 पी एम से 12:58 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 12 से 12:52 ए एम, मई 12 तक*

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    05:51 - 07:31    अशुभ
चर    07:31 - 09:11    शुभ
लाभ    09:11 - 10:51    शुभ
अमृत    10:51 - 12:32    शुभ
काल    12:32 - 14:12    अशुभ
शुभ    14:12 - 15:52    शुभ
रोग    15:52 - 17:32    अशुभ
उद्वेग    17:32 - 19:13    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
शुभ    19:13 - 20:32    शुभ
अमृत    20:32 - 21:52    शुभ
चर    21:52 - 23:12    शुभ
रोग    23:12 - 24:31*    अशुभ
काल    24:31* - 25:51*    अशुभ
लाभ    25:51* - 27:11*    शुभ
उद्वेग    27:11* - 28:30*    अशुभ
शुभ    28:30* - 29:50*    शुभ
kundli


🙏♥️एक छोटा सा अनुरोध
हम समस्त भारतीय सेना की भलाई के लिए 1,000 प्रार्थनाओं की एक श्रृंखला बना रहे हैं। एक प्रार्थना करें और इसे दस लोगों तक पहुंचाएं, मुझे छोड़कर। इस सिलसिले को आगे बढ़ाया जाए.
" ओम नमो भगवते महासुदर्शनाय, वासुदेवाय, अमृत कलशहस्ताय, सकल भयविनाशाय, सर्व रोग निवारणाय, त्रिलोकपथये, त्रिलोक निधाये, ओम श्री महाविष्णु स्वरूपाय, ओम श्री श्री औषध चक्र नारायणाय नमः"।

🙏♥️वेदों के अनुसार,
यह एक बहुत शक्तिशाली मंत्र है जो हम सभी को स्वस्थ रखता है।


*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩 "🌿🌸 स्त्रियों के 16 श्रृंगार एवं उसका महत्व
==========================

हिन्दू महिलाओं के लिए 16 श्रृंगार का विशेष महत्व है। विवाह के बाद स्त्री इन सभी चीजों को अनिवार्य रूप से धारण करती है। हर एक चीज का अलग महत्व है। हर स्त्री चाहती थी की वे सज धज कर सुन्दर लगे यह उनके रूप को ओर भी अधिक सौन्दर्यवान बना देता है।

यहां सोलह श्रृंगार के बार मे विस्तृत वर्णन किया गया है।

पहला श्रृंगार:-- बिंदी
==============
संस्कृत भाषा के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ति हुई है। भवों के बीच रंग या कुमकुम से लगाई जाने वाली भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है। सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना जरूरी समझती हैं। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

धार्मिक मान्यता
-----------------------
बिंदी को त्रिनेत्र का प्रतीक माना गया है. दो नेत्रों को सूर्य व चंद्रमा माना गया है, जो वर्तमान व भूतकाल देखते हैं तथा बिंदी त्रिनेत्र के प्रतीक के रूप में भविष्य में आनेवाले संकेतों की ओर इशारा करती है।

वैज्ञानिक मान्यता
------------------------
विज्ञान के अनुसार, बिंदी लगाने से महिला का आज्ञा चक्र सक्रिय हो जाता है. यह महिला को आध्यात्मिक बने रहने में तथा आध्यात्मिक ऊर्जा को बनाए रखने में सहायक होता है. बिंदी आज्ञा चक्र को संतुलित कर दुल्हन को ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक होती है।

दूसरा श्रृंगार: सिंदूर
==============
उत्तर भारत में लगभग सभी प्रांतों में सिंदूर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है और विवाह के अवसर पर पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है।

धार्मिक मान्यता
-----------------------
मान्यताओं के अनुसार, सौभाग्यवती महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए मांग में सिंदूर भरती है. लाल सिंदूर महिला के सहस्रचक्र को सक्रिय रखता है. यह महिला के मस्तिष्क को एकाग्र कर उसे सही सूझबूझ देता है।

वैज्ञानिक मान्यता
--------------------------
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार, सिंदूर महिलाओं के रक्तचाप को नियंत्रित करता है. सिंदूर महिला के शारीरिक तापमान को नियंत्रित कर उसे ठंडक देता है और शांत रखता है।

तीसरा श्रृंगार: काजल
===============
काजल आँखों का श्रृंगार है. इससे आँखों की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, काजल दुल्हन और उसके परिवार को लोगों की बुरी नजर से भी बचाता है।

धार्मिक मान्यता
------------------------
मान्यताओं के अनुसार, काजल लगाने से स्त्री पर किसी की बुरी नज़र का कुप्रभाव नहीं पड़ता. काजल से आंखों से संबंधित कई रोगों से बचाव होता है. काजल से भरी आंखें स्त्री के हृदय के प्यार व कोमलता को दर्शाती हैं।

वैज्ञानिक मान्यता
-------------------------
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार, काजल आंखों को ठंडक देता है. आंखों में काजल लगाने से नुक़सानदायक सूर्य की किरणों व धूल-मिट्टी से आंखों का बचाव होता है।

चौथा श्रृंगार: मेहंदी
=============
मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में
मेहंदी रचाती है। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है।

धार्मिक मान्यता
-----------------------
मानयताओं के अनुसार, मेहंदी का गहरा रंग पति-पत्नी के बीच के गहरे प्रेम से संबंध रखता है. मेहंदी का रंग जितना लाल और गहरा होता है, पति-पत्नी के बीच प्रेम उतना ही गहरा होता है।

वैज्ञानिक मान्यता
------------------------
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार मेहंदी दुल्हन को तनाव से दूर रहने में सहायता करती है. मेहंदी की ठंडक और ख़ुशबू दुल्हन को ख़ुश व ऊर्जावान बनाए रखती है।

पांचवां श्रृंगारः शादी का जोड़ा
===================
उत्तर भारत में आम तौर से शादी के वक्त दुल्हन को जरी के काम से सुसज्जित शादी का लाल जोड़ा (घाघरा, चोली और ओढ़नी) पहनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फेरों के वक्त दुल्हन को पीले
और लाल रंग की साड़ी पहनाई जाती है। इसी तरह महाराष्ट्र में हरा रंग शुभ माना जाता है और वहां शादी के वक्त दुल्हन हरे रंग की साड़ी मराठी शैली में बांधती हैं।

धार्मिक मान्यता
-----------------------
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लाल रंग शुभ, मंगल व सौभाग्य का प्रतीक है, इसीलिए शुभ कार्यों में लाल रंग का सिंदूर, कुमकुम, शादी का जोड़ा आदि का प्रयोग किया जाता है।

वैज्ञानिक मान्यता
-------------------------
विज्ञान के अनुसार, लाल रंग शक्तिशाली व प्रभावशाली है, इसके उपयोग से एकाग्रता बनी रहती है. लाल रंग आपकी भावनाओं को नियंत्रित कर आपको स्थिरता देता है।

छठा श्रृंगार: गजरा
============
दुल्हन के जूड़े में जब तक सुगंधित फूलों का गजरा न लगा हो तब तक उसका श्रृंगार फीका सा लगता है। दक्षिण भारत में तो सुहागिन स्त्रियां प्रतिदिन अपने बालों में हरसिंगार के फूलों का गजरा लगाती है।

धार्मिक मान्यता
----------------------
मान्यताओं के अनुसार, गजरा दुल्हन को धैर्य व ताज़गी देता है. शादी के समय दुल्हन के मन में कई तरह के विचार आते हैं, गजरा उन्हीं विचारों से उसे दूर रखता है और ताज़गी देता है।

वैज्ञानिक मान्यता
-------------------------
विज्ञान के अनुसार, चमेली के फूलों की महक हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है. चमेली की ख़ुशबू तनाव को दूर करने में सबसे ज़्यादा सहायक होती है।

सातवां श्रृंगार: मांग टीका
=================
मांग के बीचों-बीच पहना जाने वाला यह स्वर्ण आभूषण सिंदूर के साथ मिलकर वधू की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। ऐसी मान्यता है कि नववधू को मांग टीका सिर के ठीक बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता
है कि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले और वह बिना किसी पक्षपात के सही निर्णय ले सके।

धार्मिक मान्यता
----------------------
मान्यताओं के अनुसार, मांगटीका महिला के यश व सौभाग्य का प्रतीक है. मांगटीका यह दर्शाता है कि महिला को अपने से जुड़े लोगों का हमेशा आदर करना है।

वैज्ञानिक मान्यता
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वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार मांगटीका महिलाओं के शारीरिक तापमान को नियंत्रित करता है, जिससे उनकी सूझबूझ व निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

आठवां श्रृंगारः नथ
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विवाह के अवसर पर पवित्र अग्नि में चारों ओर सात फेरे लेने के बाद देवी पार्वती के सम्मान में नववधू को नथ पहनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि सुहागिन स्त्री के नथ पहनने से पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि होती है। उत्तर भारतीय स्त्रियां आमतौर पर नाक के बायीं ओर ही आभूषण पहनती है, जबकि दक्षिण
भारत में नाक के दोनों ओर नाक के बीच के हिस्से में भी छोटी-सी नोज रिंग पहनी जाती है, जिसे बुलाक कहा जाता है। नथ आकार में काफी बड़ी होती है इसे हमेशा पहने रहना असुविधाजनक होता है, इसलिए सुहागन स्त्रियां इसे शादी-व्याह और तीज-त्यौहार जैसे खास अवसरों पर ही पहनती हैं, लेकिन सुहागिन स्त्रियों
के लिए नाक में आभूषण पहनना अनिर्वाय माना जाता है। इसलिए आम तौर पर स्त्रियां नाक में छोटी नोजपिन पहनती हैं, जो देखने में लौंग की आकार का होता है।
इसलिए इसे लौंग भी कहा जाता है।

धार्मिक मान्यता
-----------------------
हिंदू धर्म में जिस महिला का पति मृत्युथ को प्राप्त हो जाता है, उसकी नथ को उतार दिया जाता है। इसके अलावा हिंदू धर्म के अनुसार नथ को माता पार्वती को सम्मान देने के लिये भी पहना जाता है।

वैज्ञानिक मान्यता
------------------------
जिस प्रकार शरीर के अलग-अलग हिस्सों को दबाने से एक्यूप्रेशर का लाभ मिलता है, ठीक उसी प्रकार नाक छिदवाने से एक्यूपंक्चर का लाभ मिलता है। इसके प्रभाव से श्वास संबंधी रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। कफ, सर्दी-जुकाम आदि रोगों में भी इससे लाभ मिलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार नाक के एक प्रमुख हिस्से पर छेद करने से स्त्रियों को मासिक धर्म से जुड़ी कई परेशानियों में राहत मिल सकती है। आमतौर पर लड़कियां सोने या चांदी से बनी नथ पहनती हैं। ये धातुएं लगातार हमारे शरीर के संपर्क में रहती हैं तो इनके गुण हमें प्राप्त होते हैं। आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म और रजत भस्म बहुत सी बीमारियों में दवा का काम करती है।

नौवां श्रृंगारः कर्णफूल
===============
कान में पहने जाने वाला यह आभूषण कई तरह की सुंदर आकृतियों में होता है, जिसे चेन के सहारे जुड़े में बांधा जाता है। विवाह के बाद स्त्रियों का कानों में कणर्फूल (ईयरिंग्स) पहनना जरूरी समझा जाता है।
इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि विवाह के बाद बहू को दूसरों की, खासतौर से पति और ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना चाहिए।

धार्मिक मान्यता
-----------------------
मान्यताओं के अनुसार, कर्णफूल यानी ईयररिंग्स महिला के स्वास्थ्य से सीधा संबंध रखते हैं. ये महिला के चेहरे की ख़ूबसूरती को निखारते हैं. इसके बिना महिला का शृंगार अधूरा रहता है।

वैज्ञानिक मान्यता
-------------------------
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार हमारे कर्णपाली (ईयरलोब) पर बहुत से एक्यूपंक्चर व एक्यूप्रेशर पॉइंट्स होते हैं, जिन पर सही दबाव दिया जाए, तो माहवारी के दिनों में होनेवाले दर्द से राहत मिलती है. ईयररिंग्स उन्हीं प्रेशर पॉइंट्स पर दबाव डालते हैं. साथ ही ये किडनी और मूत्राशय (ब्लैडर) को भी स्वस्थ बनाए रखते हैं।

दसवां श्रृंगार: हार या मंगल सूत्र
====================
गले में पहना जाने वाला सोने या मोतियों का हार पति के प्रति सुहागन स्त्री के वचनवद्धता का प्रतीक माना जाता है। हार पहनने के पीछे स्वास्थ्यगत कारण हैं। गले
और इसके आस-पास के क्षेत्रों में कुछ दबाव बिंदु ऐसे होते हैं जिनसे शरीर के कई हिस्सों को लाभ पहुंचता है। इसी हार को सौंदर्य का रूप दे दिया गया है और श्रृंगार
का अभिन्न अंग बना दिया है। दक्षिण और पश्चिम भारत के कुछ प्रांतों में वर द्वारा वधू के गले में मंगल सूत्र पहनाने की रस्म की वही अहमियत है।

धार्मिक मान्यता
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ऐसी मान्यता है कि मंगलसूत्र सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित कर महिला के दिमाग़ और मन को शांत रखता है. मंगलसूत्र जितना लंबा होगा और हृदय के पास होगा वह उतना ही फ़ायदेमंद होगा. मंगलसूत्र के काले मोती महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मज़बूत करते हैं।

वैज्ञानिक मान्यता
------------------------
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार, मंगलसूत्र सोने से निर्मित होता है और सोना शरीर में बल व ओज बढ़ानेवाली धातु है, इसलिए मंगलसूत्र शारीरिक ऊर्जा का क्षय होने से रोकता है।

ग्यारहवां श्रृंगारः बाजूबंद
================
कड़े के सामान आकृति वाला यह आभूषण सोने या चांदी का होता है। यह बाहों में पूरी तरह कसा जाता है। इसलिए इसे बाजूबंद कहा जाता है। पहले सुहागिन स्त्रियों को हमेशा बाजूबंद पहने रहना अनिवार्य माना
जाता था और यह सांप की आकृति में होता था। ऐसी मान्यता है कि स्त्रियों को बाजूबंद पहनने से परिवार के धन की रक्षा होती और बुराई पर अच्छाई की जीत होती
है।

शेष भाग आगे........
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis

*🎈दिन-   शनिवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -        त्रयोदशी    17:29:20 तत्पश्चात चतुर्दशी *
*🎈नक्षत्र -            चित्रा    27:14:16 तत्पश्चात         स्वाति*
*🎈योग -     सिद्वि    27:59:50 तक, तत्पश्चात     व्यतिपत*
*🎈करण-        तैतुल    17:29:20
पश्चात गर*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-10:52pm
से  12:32 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:51:11*
*🎈सूर्यास्त - 19:12:36*
*🎈चन्द्र राशि    -  कन्या    till 13:41:14*
*🎈चन्द्र राशि-       तुला    from 13:41:14*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:25 ए एम से 05:07 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:58 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 11 से 12:53 ए एम, मई 11*

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
काल    05:51 - 07:31    अशुभ
शुभ    07:31 - 09:11    शुभ
रोग    09:11 - 10:52    अशुभ
उद्वेग    10:52 - 12:32    अशुभ
चर    12:32 - 14:12    शुभ
लाभ    14:12 - 15:52    शुभ
अमृत    15:52 - 17:32    शुभ
काल    17:32 - 19:12    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
लाभ    19:12 - 20:32    शुभ
उद्वेग    20:32 - 21:52    अशुभ
शुभ    21:52 - 23:12    शुभ
अमृत    23:12 - 24:31*    शुभ
चर    24:31* - 25:51*    शुभ
रोग    25:51* - 27:11*    अशुभ
काल    27:11* - 28:31*    अशुभ
लाभ    28:31* - 29:51*    शुभ


🙏♥️एक छोटा सा अनुरोध
हम समस्त भारतीय सेना की भलाई के लिए 1,000 प्रार्थनाओं की एक श्रृंखला बना रहे हैं। एक प्रार्थना करें और इसे दस लोगों तक पहुंचाएं, मुझे छोड़कर। इस सिलसिले को आगे बढ़ाया जाए.
" ओम नमो भगवते महासुदर्शनाय, वासुदेवाय, अमृत कलशहस्ताय, सकल भयविनाशाय, सर्व रोग निवारणाय, त्रिलोकपथये, त्रिलोक निधाये, ओम श्री महाविष्णु स्वरूपाय, ओम श्री श्री औषध चक्र नारायणाय नमः"।

🙏♥️वेदों के अनुसार,
यह एक बहुत शक्तिशाली मंत्र है जो हम सभी को स्वस्थ रखता है।


*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩 "🌿🌸 घर मे कौन सी तस्वीर लगानी चाहिए तस्वीर से जुड़ा वास्तु नियम क्या कहता है जाने-
घर की दीवारों को सजाने के लिए अक्सर हम तमाम तरह की फोटों या पेंटिग्स लगाया करते हैं, लेकिन ऐसा करते समय हमें पंचतत्वों पर आधारित वास्तु नियमों की कभी भी अनेदखी नहीं करनी चाहिए. शुभता और सौभाग्य पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने घर को सजाने, शुभता और सौभाग्य को बढ़ाने के लिए अपने घर की दीवारों पर तमाम तरह की तस्वीरें लगाता है, लेकिन ऐसा करने से पहले किसी भी तस्वीर को सही दिशा लगाने का वास्तु नियम  जरूर जान लेना चाहिए, अन्यथा आपको लाभ की जगह नुकसान झेलना पड़ सकता है. फिर चाहे वो आपकी आंखों को सुकून देने वाली तस्वीर या पेंटिंग हो या फिर दैवीय कृपा बरसाने वाली भगवान की फोटो। वास्तु के अनुसार, यदि आपको अपने घर में उगते हुए सूर्य की फोटो लगाना हो तो हमेशा पूर्व दिशा लगाना चाहिए क्योंकि पूर्व को ही भगवान सूर्य की दिशा माना गया है. मान्यता है कि पूर्व दिशा में प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्यदेव की फोटो लगाने से घर की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है और सुख-सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वास्तु के अनुसार यदि आपको अपने घर में परिवार की फोटो लगाना हो तो उसे हमेशा दक्षिण- पश्चिम, उत्तर, उत्तर-पूर्व, दिशा की दीवार पर लगाएं मान्यता है कि इन दिशाओ में फेमिली फोटो लगाने से रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है। दक्षिण मे फेमली फोटो नही लगाना चाहिए, कभी भी फेमिली की ऐसी फोटो न लगाएं जिसमें सिर्फ तीन लोग शामिल हों। वास्तु के अनुसार दीवार पर परिवार के तीन सदस्यों या फिर तीन दोस्तों वाली फोटों को शुभ नहीं माना जाता है। वास्तु के अनुसार कभी भी अपने घर के किसी भी कोने में डूबते हुए सूरज, उदास बच्चे, हिंसक जानवर, महाभारत युद्ध, डूबते हुए जहाज आदि की फोटो नहीं लगाना चाहिए. वास्तु के अनुसार ऐसी तस्वीरें घर में नकारात्मकता और अवसाद पैदा करती हैं. यदि आपको धन-धान्य की कामना हो तो आपको अपने घर की उत्तर दिशा अथवा ईशान कोण में धन के देवता कुबेर या धन की देवी मां लक्ष्मी जी की तस्वीर लगानी चाहिए.किचन मे फोटो लगाना चाहते है तो वहां पर केवल मां अन्नापूर्णा की तस्वीर लगा सकते हैं। वास्तु के अनुसार दिवंगत लोगों की फोटो को कभी भी ईशान कोण में बने पूजा स्थान में नहीं रखना या लगाना चाहिए. वास्तु के अनुसार दिवंगत या फिर कहें मृत लोगों की तस्वीर को दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए, वास्तु के अनुसार यदि आपकी विवाह के लंबे समय बाद तक संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई है तो आप अपने बेडरूम में किसी हंसते हुए बच्चे की तस्वीर लगा सकते हैं. अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य में को बढ़ाने के लिए आप अपने जीवनसाथी के साथ हंसती हुई फोटो या फिर राधा-कृष्ण की फोटो लगा सकते हैं. यदि आप अपने कारोबार में वृद्धि और लाभ चाहते हैं तो कभी भी अपने व्यवसायिक स्थल पर बैठे हुए गणपति, माता लक्ष्मी आदि की तस्वीर न लगाएं. इसी प्रकार घर के भीतर कभी भी इनकी खड़ी हुई तस्वीर नही लगानी चाहिए।।
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
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*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis



*🎈दिनांक -  9 मई 2025*
*🎈दिन-   शुक्रवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -        द्वादशी    14:55:31तत्पश्चात  त्रयोदशी *
*🎈नक्षत्र -        हस्त    24:08:02 तत्पश्चात         उत्तर फाल्गुनी*
*🎈योग -     वज्र    26:56:38 तक, तत्पश्चात     सिद्वि*
*🎈करण-        बालव    14:55:31
पश्चात तैतुल*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-10:52pm
से  12:32 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:51:49*
*🎈सूर्यास्त - 19:11:32*
*🎈चन्द्र राशि    -   कन्या    *
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:25 ए एम से 05:08 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:58 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 10 से 12:53 ए एम, मई 10*

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
चर    05:52 - 07:32    शुभ
लाभ    07:32 - 09:12    शुभ
अमृत    09:12 - 10:52    शुभ
काल    10:52 - 12:32    अशुभ
शुभ    12:32 - 14:12    शुभ
रोग    14:12 - 15:52    अशुभ
उद्वेग    15:52 - 17:32    अशुभ
चर    17:32 - 19:12    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
रोग    19:12 - 20:31    अशुभ
काल    20:31 - 21:51    अशुभ
लाभ    21:51 - 23:11    शुभ
उद्वेग    23:11 - 24:31*    अशुभ
शुभ    24:31* - 25:51*    शुभ
अमृत    25:51* - 27:11*    शुभ
चर    27:11* - 28:31*    शुभ
रोग    28:31* - 29:51*    अशुभ

kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

प्रदोष व्रत पंचांग के अनुसार, मई माह का पहला प्रदोष व्रत यानी वैशाख माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 मई को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 10 मई को 5 बजकर 29 मिनट पर होगा. ऐसे में मई माह का पहला प्रदोष व्रत 9 मई को रखा जाएगा.

🚩 "🌿🌸 घर मे कौन सी तस्वीर लगानी चाहिए तस्वीर से जुड़ा वास्तु नियम क्या कहता है जाने-
घर की दीवारों को सजाने के लिए अक्सर हम तमाम तरह की फोटों या पेंटिग्स लगाया करते हैं, लेकिन ऐसा करते समय हमें पंचतत्वों पर आधारित वास्तु नियमों की कभी भी अनेदखी नहीं करनी चाहिए. शुभता और सौभाग्य पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने घर को सजाने, शुभता और सौभाग्य को बढ़ाने के लिए अपने घर की दीवारों पर तमाम तरह की तस्वीरें लगाता है, लेकिन ऐसा करने से पहले किसी भी तस्वीर को सही दिशा लगाने का वास्तु नियम  जरूर जान लेना चाहिए, अन्यथा आपको लाभ की जगह नुकसान झेलना पड़ सकता है. फिर चाहे वो आपकी आंखों को सुकून देने वाली तस्वीर या पेंटिंग हो या फिर दैवीय कृपा बरसाने वाली भगवान की फोटो। वास्तु के अनुसार, यदि आपको अपने घर में उगते हुए सूर्य की फोटो लगाना हो तो हमेशा पूर्व दिशा लगाना चाहिए क्योंकि पूर्व को ही भगवान सूर्य की दिशा माना गया है. मान्यता है कि पूर्व दिशा में प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्यदेव की फोटो लगाने से घर की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है और सुख-सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वास्तु के अनुसार यदि आपको अपने घर में परिवार की फोटो लगाना हो तो उसे हमेशा दक्षिण- पश्चिम, उत्तर, उत्तर-पूर्व, दिशा की दीवार पर लगाएं मान्यता है कि इन दिशाओ में फेमिली फोटो लगाने से रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है। दक्षिण मे फेमली फोटो नही लगाना चाहिए, कभी भी फेमिली की ऐसी फोटो न लगाएं जिसमें सिर्फ तीन लोग शामिल हों। वास्तु के अनुसार दीवार पर परिवार के तीन सदस्यों या फिर तीन दोस्तों वाली फोटों को शुभ नहीं माना जाता है। वास्तु के अनुसार कभी भी अपने घर के किसी भी कोने में डूबते हुए सूरज, उदास बच्चे, हिंसक जानवर, महाभारत युद्ध, डूबते हुए जहाज आदि की फोटो नहीं लगाना चाहिए. वास्तु के अनुसार ऐसी तस्वीरें घर में नकारात्मकता और अवसाद पैदा करती हैं. यदि आपको धन-धान्य की कामना हो तो आपको अपने घर की उत्तर दिशा अथवा ईशान कोण में धन के देवता कुबेर या धन की देवी मां लक्ष्मी जी की तस्वीर लगानी चाहिए.किचन मे फोटो लगाना चाहते है तो वहां पर केवल मां अन्नापूर्णा की तस्वीर लगा सकते हैं। वास्तु के अनुसार दिवंगत लोगों की फोटो को कभी भी ईशान कोण में बने पूजा स्थान में नहीं रखना या लगाना चाहिए. वास्तु के अनुसार दिवंगत या फिर कहें मृत लोगों की तस्वीर को दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए, वास्तु के अनुसार यदि आपकी विवाह के लंबे समय बाद तक संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई है तो आप अपने बेडरूम में किसी हंसते हुए बच्चे की तस्वीर लगा सकते हैं. अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य में को बढ़ाने के लिए आप अपने जीवनसाथी के साथ हंसती हुई फोटो या फिर राधा-कृष्ण की फोटो लगा सकते हैं. यदि आप अपने कारोबार में वृद्धि और लाभ चाहते हैं तो कभी भी अपने व्यवसायिक स्थल पर बैठे हुए गणपति, माता लक्ष्मी आदि की तस्वीर न लगाएं. इसी प्रकार घर के भीतर कभी भी इनकी खड़ी हुई तस्वीर नही लगानी चाहिए।।

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*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
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*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

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*🎈दिनांक -  8 मई 2025*
*🎈दिन-   गुरूवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -        एकादशी    21:तत्पश्चात  द्वादशी *
*🎈नक्षत्र -        उत्तर फाल्गुनी    09:05:27 तत्पश्चात         उत्तर फाल्गुनी*
*🎈योग -     हर्शण    25:55:37* तक, तत्पश्चात     वज्र*
*🎈करण-        विष्टि भद्र    12:28:42
पश्चात बालव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-02:12pm
से  03:51 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:52:29*
*🎈सूर्यास्त - 19:10:58*
*🎈चन्द्र राशि    -   कन्या    *
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:26 ए एम से 05:09 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:58 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 09 से 12:53 ए एम, मई 09*

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    19:10 - 20:31    अशुभ
शुभ    20:31 - 21:51    शुभ
अमृत    21:51 - 23:11    शुभ
चर    23:11 - 24:31*    शुभ
रोग    24:31* - 25:52*    अशुभ
काल    25:52* - 27:12*    अशुभ
लाभ    27:12* - 28:32*    शुभ
उद्वेग    28:32* - 29:52*    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
काल    19:10 - 20:30    अशुभ
लाभ    20:30 - 21:51    शुभ
उद्वेग    21:51 - 23:11    अशुभ
शुभ    23:11 - 24:32*    शुभ
अमृत    24:32* - 25:52*    शुभ
चर    25:52* - 27:12*    शुभ
रोग    27:12* - 28:33*    अशुभ
काल    28:33* - 29:53*    अशुभ
kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩 "🌿🌸 मोहिनी एकादशी बृहस्पतिवार, 8, मई 2025 को
9 मई को, पारण व्रत तोड़ने का समय - 05:39 से 08:15
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 14:56
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 07,  मई, 2025 को 10:19 बजे
एकादशी तिथि समाप्त - 8, मई  2025 को 12:29 बजे
वैसाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी मोहिनी एकादशी कहलाती है| आपको बता दें कि इस दिन भगवान पुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा की जाती है| व्रत के दिन भगवान की प्रतिमा को श्वेतवस्त्र पहनाये जाते हैं|
मोहिनी एकादशी व्रत विधि इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है| व्रत का संकल्प लेने के बाद ही इस व्रत को शुरु किया जाता है| संकल्प लेने के लिये इन दोनों देवों के समक्ष संकल्प लिया जाता है| देवों का पूजन करने के लिये कुम्भ स्थापना कर, उसके ऊपर लाल रंग का वस्त्र बांध कर पहले कुम्भ का पूजन किया जाता है, इसके बाद इसके ऊपर भगवान की तस्वीर या प्रतिमा रखी जाती है| प्रतिमा रखने के बाद भगवान का धूप, दीप और फूलों से पूजन किया जाता है| तत्पश्चात व्रत की कथा सुनी जाती है|
मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व मोहिनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप और दु:ख नष्ट होते है| इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य़ मोह जाल से छूट जाता है, अत: इस व्रत को सभी दु:खी मनुष्यों को अवश्य करना चाहिए| मोहिनी एकादशी के व्रत के दिन इस व्रत की कथा अवश्य सुननी चाहिए|
मोहिनी एकादशी व्रत कथा युधिष्ठिर ने पूछा  जनार्दन  वैशाख मास के शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है? उसका क्या फल होता है? उसके लिए कौन सी विधि है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले धर्मराज  पूर्वकाल में परम बुद्धिमान श्रीरामचन्द्रजी ने महर्षि वशिष्ठजी से यही बात पूछी थी, जिसे आज तुम मुझसे पूछ रहे हो।
श्रीराम ने कहा : भगवन्! जो समस्त पापों का क्षय तथा सब प्रकार के दु:खों का निवारण करनेवाला, व्रतों में उत्तम व्रत हो, उसे मैं सुनना चाहता हूँ।
वशिष्ठजी बोले : श्रीराम! तुमने बहुत उत्तम बात पूछी है। मनुष्य तुम्हारा नाम लेने से ही सब पापों से शुद्ध हो जाता है। तथापि लोगों के हित की इच्छा से मैं पवित्रों में पवित्र उत्तम व्रत का वर्णन करुँगा। वैशाख मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका नाम ‘मोहिनी’ है। वह सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है। उसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पातक समूह से छुटकारा पा जाते हैं।
सरस्वती नदी के रमणीय तट पर भद्रावती नाम की सुन्दर नगरी है। वहाँ धृतिमान नामक राजा, जो चन्द्रवंश में उत्पन्न और सत्यप्रतिज्ञ थे, राज्य करते थे। उसी नगर में एक वैश्य रहता था, जो धन धान्य से परिपूर्ण और समृद्धशाली था। उसका नाम था धनपाल। वह सदा पुण्यकर्म में ही लगा रहता था। दूसरों के लिए पौसला (प्याऊ), कुआँ, मठ, बगीचा, पोखरा और घर बनवाया करता था। भगवान विष्णु की भक्ति में उसका हार्दिक अनुराग था। वह सदा शान्त रहता था। उसके पाँच पुत्र थे : सुमना, धुतिमान, मेघावी, सुकृत तथा धृष्टबुद्धि। धृष्टबुद्धि पाँचवाँ था। वह सदा बड़े बड़े पापों में ही संलग्न रहता था। जुए आदि दुर्व्यसनों में उसकी बड़ी आसक्ति थी। वह वेश्याओं से मिलने के लिए लालायित रहता था। उसकी बुद्धि न तो देवताओं के पूजन में लगती थी और न पितरों तथा ब्राह्मणों के सत्कार में। वह दुष्टात्मा अन्याय के मार्ग पर चलकर पिता का धन बरबाद किया करता था। एक दिन वह वेश्या के गले में बाँह डाले चौराहे पर घूमता देखा गया। तब पिता ने उसे घर से निकाल दिया तथा बन्धु बान्धवों ने भी उसका परित्याग कर दिया।
वैशाख का महीना था। तपोधन कौण्डिन्य गंगाजी में स्नान करके आये थे। धृष्टबुद्धि शोक के भार से पीड़ित हो मुनिवर कौण्डिन्य के पास गया और हाथ जोड़ सामने खड़ा होकर बोला : ब्रह्मन्! द्विजश्रेष्ठ! मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइये, जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो।
कौण्डिन्य बोले : वैशाख के शुक्लपक्ष में ‘मोहिनी  नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो। ‘मोहिनी  को उपवास करने पर प्राणियों के अनेक जन्मों के किये हुए मेरु पर्वत जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं
वशिष्ठजी कहते है  श्री रामचन्द्रजी! मुनि का यह वचन सुनकर धृष्टबुद्धि का चित्त प्रसन्न हो गया। उसने कौण्डिन्य के उपदेश से विधिपूर्वक  मोहिनी एकादशी का व्रत किया। नृपश्रेष्ठ! इस व्रत के करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर आरुढ़ हो सब प्रकार के उपद्रवों से रहित श्रीविष्णुधाम को चला गया। इस प्रकार यह  मोहिनी का व्रत बहुत उत्तम है। इसके पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है।
एकादशी की  आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞

vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक -  7 मई 2025*
*🎈दिन-   बुधवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -        दशमी    10:19:13 तत्पश्चात एकादशी*
*🎈नक्षत्र -        पूर्व फाल्गुनी    18:16:11 तत्पश्चात         उत्तर फाल्गुनी*
*🎈योग -     व्याघात    25:03:44* तक, तत्पश्चात     हर्षण*
*🎈करण-        गर    10:19:13
पश्चात विष्टि भद्र*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-12:32pm
से  02:11 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:53:10*
*🎈सूर्यास्त - 19:10:24*
*🎈चन्द्र राशि     -   सिंह    till 24:56:40*
*🎈चन्द्र राशि    -   कन्या    from 24:56:40*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*


*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:26 ए एम से 05:09 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 08 से 12:53 ए एम, मई 08*

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    19:10 - 20:31    अशुभ
शुभ    20:31 - 21:51    शुभ
अमृत    21:51 - 23:11    शुभ
चर    23:11 - 24:31*    शुभ
रोग    24:31* - 25:52*    अशुभ
काल    25:52* - 27:12*    अशुभ
लाभ    27:12* - 28:32*    शुभ
उद्वेग    28:32* - 29:52*    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
काल    19:10 - 20:30    अशुभ
लाभ    20:30 - 21:51    शुभ
उद्वेग    21:51 - 23:11    अशुभ
शुभ    23:11 - 24:32*    शुभ
अमृत    24:32* - 25:52*    शुभ
चर    25:52* - 27:12*    शुभ
रोग    27:12* - 28:33*    अशुभ
काल    28:33* - 29:53*    अशुभ

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🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩 "🌿🌸 एक बार भगवान् विष्णु अपने वैकुण्ठ लोक में सोये हुए थे।

स्वप्न में वे क्या देखते हैं कि करोड़ों चंद्रमाओं की कान्तिवाले, त्रिशूल डमरूधारी, स्वर्णाभरण भूषित, सुरेन्द्र वन्दित, अनिमादि सिद्धिसेवित त्रिलोचन भगवान शिव प्रेम और आन्दातिरेक से उन्मत्त होकर उनके सामने नृत्य कर रहे हैं।

उन्हें देखकर भगवान विष्णु हर्ष से गदगद हो सहसा शय्यापर बैठ गये और कुछ देर तक ध्यानस्थ बैठे रहे।

उन्हें इस प्रकार बैठे देखकर श्री लक्ष्मी जी उनसे पूछने लगीं कि भगवन! आपके इस प्रकार बैठने का क्या कारण है ?

भगवान ने कुछ देर तक प्रश्न का कोई उत्तर न दे आनंद में निमग्न चुपचाप बैठे रहे। अंत में उन्होंने गदगद-कंठ से बताया कि अभी अभी स्वप्न में मैनें भगवान श्री महेश्वर का दर्शन किया है, उनकी छबि ऐसी अपूर्व आनंदमय एवं मनोहर थी कि देखते ही बनती थी। मालूम होता है, शंकर ने मुझे स्मरण किया है।

अहोभाग्य! चलो, कैलाश चलकर हमलोग महादेव के दर्शन करें।

यह कहकर दोनों कैलाश की ओर चल दिए। मुश्किल से आधी दूर गए होंगे कि क्या देखते हैं भगवान शंकर स्वयं गिरिजा जी के साथ उनकी ओर चले आ रहे हैं। अब भगवान के आनंद का क्या ठिकाना ? मानो घर बैठे निधि मिल गयी।

 पास आते ही दिनों परस्पर बड़े प्रेम से मिले। प्रेम आनंदाश्रु बहाने लगा और शरीर पुलकायमान हो गया। दोनों ही एक-दूसरे लिपटे हुए कुछ देर मूकवत खड़े रहे।

प्रश्नोत्तर होने पर ज्ञात हुआ कि शंकर जी को भी रात्रि में इसी प्रकार का स्वप्न आया था जिसमें विष्णु भगवान को वे उसी रूप में देख रहे हैं, जिस रूप में वे अब उनके सामने हैं खड़े थे। दोनों के स्वप्न वृत्तान्त जानने पर दोनों ही एक दूसरे से अपने यहाँ लिवा ले जाने का आग्रह करने लगे।

नारायण कहते वैकुण्ठ चलो और शम्भु कहते कैलाश कि ओर प्रस्थान कीजिये। दोनों के आग्रह में इतना अलौकिक प्रेम था कि यह निर्णय करना कठिन हो गया कि कहाँ चला जाय?

इतने ही में क्या देखते हैं कि वीणा बजाते, हरिगुण गाते नारद जी कहीं से आ रहे।

बस फिर क्या था ? लगे दोनों ही उनसे निर्णय कराने कि कहाँ चला जाय ? बेचारे नारद जी तो स्वयं हतप्रभ थे उस अलौकिक मिलन को देखकर। वे तो स्वयं अपनी सुध-बुध भूल गये और लगे मस्त होकर दोनों का गुणगान करने।

अब निर्णय कौन करे? अन्त में यह तय हुआ कि भगवती उमा जो कह दे वही ठीक है। भगवे उमा तो पहले तो कुछ देर चुप रही। अन्त में वे दोनों को लक्ष्य करके बोलीं...

हे नाथ ! हे नारायण ! आप लोगों के निश्चल, अनन्य एवं अलौकिक प्रेम को देखकर तो यही लगता है कि आपके निवास अलग-अलग नहीं हैं, जो कैलाश है वही वैकुण्ठ है और जो वैकुण्ठ है वही कैलाश है, केवल नाम ही भेद है। यही नहीं मुझे तो शरीर देखने में दो हैं।

 और तो और, मुझे तो अब यह स्पष्ट दिखता है कि आपकी भार्यायां भी एक ही हैं, दो नहीं हैं। जो मैं हूँ वही लक्ष्मी हैं और जो लक्ष्मी हैं वही मैं हूँ।

केवल इतना ही नहीं, मेरी अब यह दृढ धारणा हो गयी है कि आप लोगों में से एक के प्रति जो द्वेष करता है, वह मानो दूसरे के प्रति ही करता है। एक की पूजा जो करता है, वह स्वाभाविक ही दूसरे की भी करता है और जो एक को अपूज्य मानता है, वह दूसरे की भी पूजा नहीं करता।

 मैं तो यह समझती हूँ कि आप दोनों में जो भेद मानता है, उसका चिरकाल तक घोर पतन होता है।

मैं देखती हूँ कि आप मुझे इस प्रसंग में अपना मध्यस्थ बनाकर मानो मेरी प्रवंचना कर रहे है।अब मेरी यह प्रार्थना है कि आप लोग दोनों ही अपने-अपने लोक को पधारिये। श्री विष्णु यह समझे कि हम शिवरूप से वैकुण्ठ जा रहे हैं और महेश्वर यह माने कि हम विष्णुरूप से कैलाश गमन कर रहे हैं।

इस उत्तर को सुनकर दोनों परम प्रसन्न हुए और भगवती उमा की प्रसंसा करते हुए दोनों प्रनामालिंगन के अनंतर हर्षित हो अपने-अपने लोक को प्रस्थान किये।

लौट कर जब श्री विष्णु वैकुण्ठ पहुंचे तो श्री लक्ष्मी जी उनसे पूछने लगीं कि प्रभु! सबसे अधिक प्रिय आपको कौन है? इस पर भगवान बोले प्रिये! मेरे प्रियतम केवल श्री शंकर हैं! वास्तव में मै ही जनार्दन हूँ और मैं ही महादेव हूँ। अलग-अलग नहीं है हम एक ही हैं।

 मुझमें और शंकर जी मैं कोई अंतर नहीं है। शंकर जी के अतिरिक्त शिव जी कि चर्चा करने वाला शिव भगत भी मुझे अत्यंत प्रिय है। इसके विपरीत जो शिव पूजा नहीं करते, वे मुझे कदापि प्रिय नहीं हो सकते।
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*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक -  6 मई 2025*
*🎈दिन-  मंगलवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -        नवमी    08:38:03 तत्पश्चात दशमी*
*🎈नक्षत्र -    मघा    15:50:59 तत्पश्चात         पूर्व फाल्गुनी*
*🎈योग -     ध्रुव    24:28:48* तक, तत्पश्चात     व्याघात*
*🎈करण-        कौलव    08:38:03
पश्चात गर*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-03:51pm
से  05:31 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:53:53*
*🎈सूर्यास्त - 19:09:49*
*🎈चन्द्र राशि    -   सिंह*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:27 ए एम से 05:10 ए एम तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:58 पी एम
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 07 से 12:53 ए एम, मई 07*

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
रोग    05:54 - 07:33    अशुभ
उद्वेग    07:33 - 09:13    अशुभ
चर    09:13 - 10:52    शुभ
लाभ    10:52 - 12:32    शुभ
अमृत    12:32 - 14:11    शुभ
काल    14:11 - 15:51    अशुभ
शुभ    15:51 - 17:30    शुभ
रोग    17:30 - 19:10    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
काल    19:10 - 20:30    अशुभ
लाभ    20:30 - 21:51    शुभ
उद्वेग    21:51 - 23:11    अशुभ
शुभ    23:11 - 24:32*    शुभ
अमृत    24:32* - 25:52*    शुभ
चर    25:52* - 27:12*    शुभ
रोग    27:12* - 28:33*    अशुभ
काल    28:33* - 29:53*    अशुभ
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🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩 "🌿🌸 चंद्रमा को ठीक करने का सटीक उपाय
जन्म कुंडली में जब चंद्रमा कमजोर हो या पीड़ित हो
ऐसी सिचुएशन में इंसान मन के मामले में काफी कमजोर हो जाएगा जैसे कि..
1. याददाश्त कमजोर होना
2. मन में अनाप-शनाप विचारों का चलना
3. मन में बुरे विचार आना

जिसकी वजह से इंसान अपना कोई भी निर्णय ठीक से नहीं ले पाता है

निर्णय ठीक ना लेने की वजह से बहुत जगहों पर नुकसान का सामना करना पड़ता है

बहुत बुराइयों का सामना भी करना पड़ता है सिर्फ गलत फैसलों की वजह से

ऐसे में कोई भी ज्योतिषी चंद्रमा को स्ट्रांग करने का उपाय बताएगा उपाय क्या बताए जाएंगे जैसे कि...

1. चंद्रमा का रतन धारण करें
2. चंद्रमा के मंत्रों का जप करें
3. शिवलिंग पर दूध या चावल चढ़ाएं

अब इसी बीमारी को हम डॉक्टर के नजरिए से देखें तो इंसान में जब पानी की कमी होती है तब इंसान में यह लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे कि...

1. टेंशन .डिप्रेशन
2. हर वक्त सिर दर्द रहना
3. कब्ज हो जाना
4. त्वचा रूखी सूखी हो जाना
5. ब्लड प्रेशर की शिकायत
6. किडनी से संबंधित परेशानी
7. मोटापे का खतरा

कुल मिलाकर चंद्रमा जन्मकुंडली में कमजोर हो या डॉक्टर की नजर से देखें
बीमारियां दोनों ही तरफ से बिल्कुल सेम है सिर्फ दवाई का और उपाय का फर्क है
ज्योतिषी में बताए गए उपायों का शरीर में तुरंत प्रभाव नहीं होता है जिसकी वजह से चंद्रमा से संबंधित समस्या जल्दी से खत्म नहीं होती
लेकिन डॉक्टर की दवाई का शरीर में तुरंत प्रभाव हो जाता है जिसकी वजह से इन बीमारियां का प्रभाव तुरंत कम हो जाता है
डॉक्टर की दवाई में और ज्योतिषी के उपाय में सिर्फ इतना ही फर्क है कि डॉक्टर को यह नहीं पता होता है कि चंद्रमा किस भाव का मालिक है चंद्रमा से जिंदगी में क्या-क्या फल मिलने वाले हैं
डॉ सिर्फ शारीरिक कमियों को दूर करने के लिए दवाई देता है जबकि वह दवाई तुरंत असर भी करती है
ज्योतिषी शारीरिक तौर पर देखने के अलावा जिंदगी से जुड़े कुछ चीजों को भी देखता है वह यह देखता है कि इस चीज की कमी दूर होने से इंसान को क्या-क्या लाभ मिलेगा
मेरा मानना तो यह है कि

1.जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो
2.शरीर में पानी की कमी हो

बीमारी दोनों की सेम है अगर बीमारी सेम है तो हमें डॉक्टर के तरीके से इलाज करवाने मैं कोई बुराई नहीं समझनी चाहिए
अगर डॉक्टर की दवाई से चंद्रमा जल्दी से जल्दी स्ट्रांग होता हो तो हमें डॉक्टर की दवाई से चंद्रमा को स्ट्रांग कर लेना चाहिए है

उसी तरह मंगल ग्रह अगर जन्म कुंडली में कमजोर है तो इंसान के अंदर साहस और पराक्रम की कमी होगी दिल कमजोर होगा
अब इसी कमी को डॉक्टर खून की कमजोरी बताकर दवाई देंगे क्योंकि खून की कमी होने से इंसान में कमजोरी आ जाती है खून में कमी आने पर इंसान को त्वचा से संबंधित रोग हो जाते हैं खून की कमी की वजह से ही साहस और पराक्रम की भी कमी हो जाती है

अब मंगल का उपाय ज्योतिषी में क्या होता है वह सब आप लोग जानते ही हो और वह उपाय का प्रभाव शरीर पर कितने दिनों में पड़ता है या नहीं पड़ता है वह भी आप जानते हो

और यही कमी डॉक्टर के नजरिए से देखा जाए और डॉक्टर से दवाई ली जाए तो आप जानते हो डॉक्टर की दवाई का प्रभाव खून की कमी को दूर करने का काम तुरंत करेगा
बस डॉ में और ज्योतिषी में  वही फर्क है डॉक्टर शारीरिक तौर के हिसाब से दवाई देगा इंसान की कमजोरी को दूर करने के लिए
डॉ इस कमजोरी को दूर कर भी देता है बहुत ही कम वक्त में  
डॉक्टर को इस बात से कोई लेना देना नहीं है इसकी ब्लड से संबंधित समस्या खत्म होने से इसको लाइफ में क्या क्या फल मिलेंगे
जबकि ज्योतिषी मंगल के उन भावों को देखेगा और यह बताएगा कि अगर आपका मंगल ठीक हो गया तो आपको इन भावों से संबंधित अच्छे फल मिलेंगे

मेरा मानना यह है कि ग्रहों को जल्दी से जल्दी ठीक करने के लिए
खास तौर पर जन्म कुंडली में जो ग्रह कमजोर है और वह ग्रह शरीर में जिन अंगों से और शरीर के जिन हिस्सों  से संबंधित है उनको हम डॉक्टरी उपाय से ठीक कर सकते हैं

इसके अलावा बहुत से ग्रहों को खाने पीने से संबंधित चीजों को यूज करके भी ग्रहों के प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है जैसे कि..

1.. आप सभी को पता है पानी की कमी होने पर क्या-क्या चीजें खानी पीनी चाहिए है
2. खून में खराबी होने पर या खून की कमी होने पर क्या-क्या चीजें खानी पीनी चाहिए है

मेरा मानना यह है कि ग्रहों को जल्दी से जल्दी ठीक करने के लिए डॉक्टर से मदद लेनी चाहिए है और इसके अलावा देसी खाने पीने की चीज  यूज करके उन चीजों से भी हेल्प ले सकते हैं
क्योंकि पुराने उपाय जितने भी है ग्रह को ठीक करने के लिए जो पूजा पाठ है जो मंत्रों के जप है
उनका शरीर पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं बनता है

ज्योतिषी का ज्ञान भी देवताओं के आशीर्वाद से ही आता है
डॉक्टर का ज्ञान भी देवी देवताओं के आशीर्वाद से ही आता है
दोनों के काम अलग-अलग है वैसे तो दुनिया में और भी बहुत काम है हर किसी के लिए भगवान ने अलग-अलग काम चुन रखें हैं हर कोई अलग-अलग फील्ड में है

शुक्र हो  सूर्या हो  बुध हो  गुरु हो हर ग्रह का उपाय का रिजल्ट जल्दी से जल्दी मिल सकता है सिर्फ अपनी सोच को थोड़ा सा बदलना होगा

यह बात तो आप भी जानते हो अगर किसी के घर आग लग जाए तो वह आग इंद्र देव को प्रसन्न करके बारिश करवा कर ही बुझानी जरूरी नहीं है
आग तो बिना बारिश करवाए भी बुझाई जा सकती है सिर्फ पानी का ही तो प्रबंध करना होता है जरूरी नहीं कि कोई भी इंसान जब चाहे तब बारिश करवा दें

आप सभी यह भी जानते हो जब कोई सर्दी में कांप रहा हो
तो जरूरी नहीं कि वह सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें
 और  सूर्य वहां परकट हो जाए और उसे सर्दी से राहत दिलाने का काम करें
सूर्य तो आधी रात को प्रकट हो या नहीं हो लेकिन आग जरूर जलाई जा सकती है सर्दी से बचने के लिए

इसलिए अब सोच बदलने की जरूरत है अगर यह पोस्ट आप लोगों को गलत लगी हो तो कमेंट बॉक्स में अपनी अपनी राय लिख सकते हैं
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक -  5 मई 2025*
*🎈दिन- सोमवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*

*🎈तिथि    -        अष्टमी    07:35:13 तत्पश्चात नवमी*
*🎈नक्षत्र -    आश्लेषा    14:00:16 तत्पश्चात     मघा*
*🎈योग -     वृद्वि    24:18:42** तक, तत्पश्चात     ध्रुव*
*🎈करण-        वणिज    07:18:19
पश्चात कौलव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-07:34pm
से  09:13 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:54:36*
*🎈सूर्यास्त - 07:09:15*
*🎈चन्द्र राशि -     कर्क    till 14:00:16
*🎈चन्द्र राशि    -   सिंह    from 14:00:16*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:28 ए एम से 05:11 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:58 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 06 से 12:53 ए एम, मई 06*

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
अमृत    05:55 - 07:34    शुभ
काल    07:34 - 09:13    अशुभ
शुभ    09:13 - 10:53    शुभ
रोग    10:53 - 12:32    अशुभ
उद्वेग    12:32 - 14:11    अशुभ
चर    14:11 - 15:51    शुभ
लाभ    15:51 - 17:30    शुभ
अमृत    17:30 - 19:09    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
चर    19:09 - 20:30    शुभ
रोग    20:30 - 21:50    अशुभ
काल    21:50 - 23:11    अशुभ
लाभ    23:11 - 24:32*    शुभ
उद्वेग    24:32* - 25:52*    अशुभ
शुभ    25:52* - 27:13*    शुभ
अमृत    27:13* - 28:33*    शुभ
चर    28:33* - 29:54*    शुभ

🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩 "🌿🌸 अति महत्वपूर्ण बातें 🌸🌿

🌸1. घर में सेवा पूजा करने वाले जन भगवान के एक से अधिक स्वरूप की सेवा पूजा कर सकते हैं ।

🌸2. घर में दो शिवलिंग की पूजा ना करें तथा पूजा स्थान पर तीन गणेश जी नहीं रखें।

🌸3. शालिग्राम जी की बटिया जितनी छोटी हो उतनी ज्यादा फलदायक है।

🌸4. कुशा पवित्री के अभाव में स्वर्ण की अंगूठी धारण करके भी देव कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।

🌸5. मंगल कार्यो में कुमकुम का तिलक प्रशस्त माना जाता हैं।

🌸6.  पूजा में टूटे हुए अक्षत के टूकड़े नहीं चढ़ाना चाहिए।

🌸7. पानी, दूध, दही, घी आदि में अंगुली नही डालना चाहिए। इन्हें लोटा, चम्मच आदि से लेना चाहिए क्योंकि नख स्पर्श से वस्तु अपवित्र हो जाती है अतः यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं।

🌸8. तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए क्योंकि वह मदिरा समान हो जाते हैं।

🌸9. आचमन तीन बार करने का विधान हैं। इससे त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश प्रसन्न होते हैं।

🌸10.  दाहिने कान का स्पर्श करने पर भी आचमन के तुल्य माना जाता है।

🌸11. कुशा के अग्रभाग से दवताओं पर जल नहीं छिड़के।

🌸12. देवताओं को अंगूठे से नहीं मले।

🌸13. चकले पर से चंदन कभी नहीं लगावें। उसे छोटी कटोरी या बांयी हथेली पर रखकर लगावें।

🌸15. पुष्पों को बाल्टी, लोटा, जल में डालकर फिर निकालकर नहीं चढ़ाना चाहिए।

🌸16. श्री भगवान के चरणों की चार बार, नाभि की दो बार, मुख की एक बार या तीन बार आरती उतारकर समस्त अंगों की सात बार आरती उतारें।

🌸17. श्री भगवान की आरती समयानुसार जो घंटा, नगारा, झांझर, थाली, घड़ावल, शंख इत्यादि बजते हैं उनकी ध्वनि से आसपास के वायुमण्डल के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। नाद ब्रह्मा होता हैं। नाद के समय एक स्वर से जो प्रतिध्वनि होती हैं उसमे असीम शक्ति होती हैं।

🌸18. लोहे के पात्र से श्री भगवान को नैवेद्य अपर्ण नहीं करें।

🌸19. हवन में अग्नि प्रज्वलित होने पर ही आहुति दें।

🌸20. समिधा अंगुठे से अधिक मोटी नहीं होनी चाहिए तथा दस अंगुल लम्बी होनी चाहिए।

🌸21. छाल रहित या कीड़े लगी हुई समिधा यज्ञ-कार्य में वर्जित हैं।

🌸22.  पंखे आदि से कभी हवन की अग्नि प्रज्वलित नहीं करें।

🌸23. मेरूहीन माला या मेरू का लंघन करके माला नहीं जपनी चाहिए।

🌸24.  माला, रूद्राक्ष, तुलसी एवं चंदन की उत्तम मानी गई हैं।

🌸25. माला को अनामिका (तीसरी अंगुली) पर रखकर मध्यमा (दूसरी अंगुली) से चलाना चाहिए।

🌸26.जप करते समय सिर पर हाथ या वस्त्र नहीं रखें।

🌸27. तिलक कराते समय सिर पर हाथ या वस्त्र रखना चाहिए।

🌸28. माला का पूजन करके ही जप करना चाहिए।

🌸29. ब्राह्मण को या द्विजाती को स्नान करके तिलक अवश्य लगाना चाहिए।

🌸30. जप करते हुए जल में स्थित व्यक्ति, दौड़ते हुए, शमशान से लौटते हुए व्यक्ति को नमस्कार करना वर्जित हैं।

🌸31.  बिना नमस्कार किए आशीर्वाद देना वर्जित हैं।

🌸32.  एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए।

🌸33.  सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए।

🌸34. बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें।

🌸35. जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं।

🌸36. जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए।

🌸37. जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।

🌸38. संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं।

🌸39. दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए।

🌸40. यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।

🌸41. शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है, किन्तु रविवार को परिक्रमा नहीं करनी चाहिए।

🌸42. कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं।

🌸43. भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए।

🌸44.  देव प्रतिमा देखकर अवश्य प्रणाम करें।

🌸45. किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाहिने हाथ से देना चाहिए।

🌸46. एकादशी, अमावस्या, कृृष्ण चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन क्षौर-कर्म (दाढ़ी) नहीं बनाना चाहिए ।

🌸47. बिना यज्ञोपवित या शिखा बंधन के जो भी कार्य, कर्म किया जाता है, वह निष्फल हो जाता हैं।

🌸48. यदि शिखा नहीं हो तो स्थान को स्पर्श कर लेना चाहिए।

🌸49. शिवजी की जलहारी उत्तराभिमुख रखें ।

🌸50. शंकर जी को बिल्वपत्र, विष्णु जी को तुलसी, गणेश जी को दूर्वा, लक्ष्मी जी को कमल प्रिय हैं।

🌸51. शंकर जी को शिवरात्रि के सिवाय कुंुकुम नहीं चढ़ती।

🌸52. शिवजी को कुंद, विष्णु जी को धतूरा, देवी जी  को आक तथा मदार और सूर्य भगवानको तगर के फूल नहीं चढ़ावे।

🌸53 .अक्षत देवताओं को तीन बार तथा पितरों को एक बार धोकर चढ़ावंे।

🌸54. नये बिल्व पत्र नहीं मिले तो चढ़ाये हुए बिल्व पत्र धोकर फिर चढ़ाए जा सकते हैं।

🌸55. विष्णु भगवान को चांवल, गणेश जी  को तुलसी, दुर्गा जी और सूर्य नारायण  को बिल्व पत्र नहीं चढ़ावें।

🌸56. पत्र-पुष्प-फल का मुख नीचे करके नहीं चढ़ावें, जैसे उत्पन्न होते हों वैसे ही चढ़ावें।

🌸57.  किंतु बिल्वपत्र उलटा करके डंडी तोड़कर शंकर पर चढ़ावें।

🌸58. पान की डंडी का अग्रभाग तोड़कर चढ़ावें।

🌸59. सड़ा हुआ पान या पुष्प नहीं चढ़ावे।

🌸60. गणेश को तुलसी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चढ़ती हैं।

🌸61. पांच रात्रि तक कमल का फूल बासी नहीं होता है।

🌸62. दस रात्रि तक तुलसी पत्र बासी नहीं होते हैं।

🌸63. सभी धार्मिक कार्यो में पत्नी को दाहिने भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न करनी चाहिए।

🌸64. पूजन करनेवाला ललाट पर तिलक लगाकर ही पूजा करें।

🌸65. पूर्वाभिमुख बैठकर अपने बांयी ओर घंटा, धूप तथा दाहिनी ओर शंख, जलपात्र एवं पूजन सामग्री रखें।

🌸66.  घी का दीपक अपने बांयी ओर तथा देवता को दाहिने ओर रखें एवं चांवल पर दीपक रखकर प्रज्वलित करें।
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक -  4 मई 2025*
*🎈दिन-  रविवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -        सप्तमी    07:18:18 तत्पश्चात अष्टमी*
*🎈नक्षत्र -    पुष्य    12:33:05 तत्पश्चात     आश्लेषा*
*🎈योग - गण्ड    24:40:34* तक, तत्पश्चात     वृद्वि*
*🎈करण-        वणिज    07:18:19
पश्चात बव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-05:30pm
से  07:09 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:55:20*
*🎈सूर्यास्त - 07:08:41*
*🎈चन्द्र राशि    -   कर्क*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*

*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:28 ए एम से 05:11 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:05 पी एम से 12:59 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 05 से 12:53 ए एम, मई 05*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग    05:54 ए एम से 12:53 पी एम*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    05:55 - 07:35    अशुभ
चर    07:35 - 09:14    शुभ
लाभ    09:14 - 10:53    शुभ
अमृत    10:53 - 12:32    शुभ
काल    12:32 - 14:11    अशुभ
शुभ    14:11 - 15:50    शुभ
रोग    15:50 - 17:30    अशुभ
उद्वेग    17:30 - 19:09    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
शुभ    19:09 - 20:29    शुभ
अमृत    20:29 - 21:50    शुभ
चर    21:50 - 23:11    शुभ
रोग    23:11 - 24:32*    अशुभ
काल    24:32* - 25:52*    अशुभ
लाभ    25:52* - 27:13*    शुभ
उद्वेग    27:13* - 28:34*    अशुभ
शुभ    28:34* - 29:55*    शुभ
kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩 "कुशल उपाय ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु) का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। प्रत्येक ग्रह की अपनी ऊर्जा, तत्व, और गणितीय गति होती है, जो कुंडली में उनकी स्थिति और गोचर के आधार पर प्रभाव डालती है। नीचे प्रत्येक ग्रह के लिए अनोखे और प्रभावी उपाय दिए गए हैं, साथ ही उनके गणितीय और वैज्ञानिक आधार का विश्लेषण भी किया गया है। ये उपाय पारंपरिक ज्योतिष, मनोविज्ञान, और वैज्ञानिक सिद्धांतों के समन्वय पर आधारित हैं।

1. सूर्य (Sun) - आत्मविश्वास और नेतृत्व का ग्रहअनोखा उपाय:
"सूर्योदय जल संनाद"सूर्योदय के समय तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें। इसमें 5-7 तुलसी के पत्ते और एक चुटकी कुमकुम डालें। सूर्य की ओर मुख करके जल को धीरे-धीरे जमीन पर अर्पित करें, साथ ही "ॐ घृणि सूर्याय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।सप्ताह में कम से कम 3 बार, विशेषकर रविवार को करें।

प्रभाव:सूर्य कुंडली में प्रथम और पंचम भाव को प्रभावित करता है, जो आत्मविश्वास, स्वास्थ्य, और नेतृत्व से जुड़े हैं। यह उपाय सूर्य की कमजोर स्थिति (नीच राशि तुला या अशुभ भाव) को संतुलित करता है।तुलसी और कुमकुम सूर्य की अग्नि तत्व ऊर्जा को बढ़ाते हैं, जो मानसिक स्पष्टता और सकारात्मकता लाता है।

गणितीय आधार:सूर्य की गति 1 डिग्री प्रति दिन होती है, और यह 12 राशियों में 360 डिग्री का चक्र 365.25 दिनों में पूरा करता है। सूर्योदय का समय ग्रह की ऊर्जा को ग्रहण करने का सबसे शक्तिशाली क्षण होता है, क्योंकि सूर्य की किरणें 90 डिग्री के कोण पर पृथ्वी से टकराती हैं, जिससे अधिकतम ऊर्जा संचरण होता है।108 मंत्र जाप सूर्य के व्यास (1.39 मिलियन किमी) और पृथ्वी-सूर्य दूरी (1.5 x 10^8 किमी) के अनुपात (1:108) से प्रेरित है, जो ऊर्जा संनाद को गणितीय रूप से संतुलित करता है।वैज्ञानिक आधार:सूर्य की किरणें विटामिन D का स्रोत हैं, जो हड्डियों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। सुबह की किरणों में UV-B किरणें अधिक होती हैं, जो सेरोटोनिन (खुशी का हार्मोन) उत्पादन को बढ़ाती हैं।तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो जल के साथ मिलकर पर्यावरणीय शुद्धता बढ़ाते हैं। यह उपाय मनोवैज्ञानिक रूप से सकारात्मकता और अनुशासन को प्रोत्साहित करता है।

2. चंद्र (Moon) - मन और भावनाओं का ग्रहअनोखा उपाय:
"चंद्रमा रजत जल ध्यान"पूर्णिमा की रात चांदी के गिलास में दूध और गंगाजल (2:1 अनुपात) मिलाएं। इसे चांदनी में 2 घंटे रखें। फिर इसे पीने से पहले "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः" का 11 बार जाप करें।महीने में एक बार, विशेषकर सोमवार को करें।प्रभाव:चंद्रमा चतुर्थ और मन का कारक है। यह उपाय भावनात्मक अस्थिरता, चिंता, और नींद की समस्याओं को कम करता है।चांदी और दूध चंद्रमा की जल तत्व ऊर्जा को संतुलित करते हैं।

गणितीय आधार:चंद्रमा की कक्षा 27.32 दिनों में पूरी होती है, जो 27 नक्षत्रों के चक्र से मेल खाती है। पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी 100% होती है, जिसका मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।11 मंत्र जाप चंद्रमा की 11 डिग्री दैनिक गति से प्रेरित है, जो ऊर्जा संतुलन को बढ़ाता है।

वैज्ञानिक आधार:चांदी में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो जल और दूध को शुद्ध करते हैं। चंद्रमा की रोशनी में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन (नींद का हार्मोन) का उत्पादन बढ़ता है।यह उपाय मनोवैज्ञानिक रूप से ध्यान और शांति को प्रोत्साहित करता है, जो तनाव कम करने में मदद करता है।

3. मंगल (Mars) - ऊर्जा और साहस का ग्रहअनोखा उपाय:
"मंगल रक्त पुष्प अर्पण"मंगलवार को हनुमान मंदिर में लाल गुलाब के 5 फूल और 5 लाल मिर्च चढ़ाएं। प्रत्येक फूल चढ़ाते समय "ॐ अं अंगारकाय नमः" का 21 बार जाप करें। 40 दिनों तक लगातार करें।प्रभाव:मंगल तृतीय और अष्टम भाव का कारक है, जो साहस, ऊर्जा, और स्वास्थ्य से जुड़ा है। यह उपाय क्रोध, दुर्घटना, और रक्त संबंधी समस्याओं को कम करता है।लाल रंग और मिर्च मंगल की अग्नि तत्व ऊर्जा को संतुलित करते हैं।

गणितीय आधार:मंगल की कक्षा 687 दिनों में पूरी होती है, और इसकी गति 0.5 डिग्री प्रति दिन है। 21 मंत्र जाप मंगल की 21 डिग्री गोचर गति (1 माह में) से प्रेरित है।40 दिन का चक्र मंगल की दशा प्रभाव को कम करने के लिए गणितीय रूप से उपयुक्त है।

वैज्ञानिक आधार:लाल रंग का मनोवैज्ञानिक प्रभाव ऊर्जा और साहस को बढ़ाता है। मिर्च में कैप्साइसिन होता है, जो रक्त संचार को बेहतर करता है।यह उपाय अनुशासन और लक्ष्य-केंद्रित व्यवहार को प्रोत्साहित करता है।

4. बुध (Mercury) - बुद्धि और संचार का ग्रहअनोखा उपाय:
"बुध हरी लेखनी दान"बुधवार को 7 हरे पेन और 7 हरी नोटबुक्स जरूरतमंद छात्रों को दान करें। दान से पहले "ॐ बुं बुधाय नमः" का 19 बार जाप करें।महीने में एक बार करें।प्रभाव:बुध चतुर्थ और दशम भाव को प्रभावित करता है, जो बुद्धि, संचार, और करियर से जुड़े हैं। यह उपाय पढ़ाई, व्यापार, और संचार में सफलता दिलाता है।हरा रंग और लेखन सामग्री बुध की वायु तत्व ऊर्जा को बढ़ाते हैं।

गणितीय आधार:बुध की कक्षा 88 दिनों में पूरी होती है, और इसकी गति 1.5 डिग्री प्रति दिन है। 19 मंत्र जाप बुध की 19 डिग्री गोचर गति (12-13 दिन) से प्रेरित है।7 का अंक बुध के 7 नक्षत्र प्रभाव से जुड़ा है।

वैज्ञानिक आधार:हरा रंग मस्तिष्क को शांत करता है और एकाग्रता बढ़ाता है। दान करने से डोपामाइन (खुशी का हार्मोन) का उत्पादन होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है।यह उपाय सामाजिक जुड़ाव और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है।

5. बृहस्पति (Jupiter) - ज्ञान और समृद्धि का ग्रहअनोखा उपाय:
"गुरु पीत पुस्तक पूजन"गुरुवार को एक पीली धार्मिक पुस्तक (जैसे गीता) को पीले कपड़े में लपेटकर घर के पूजा स्थल पर रखें। इसे 5 पीले फूल और हल्दी चढ़ाएं। "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" का 19 बार जाप करें।3 महीने तक हर गुरुवार करें।प्रभाव:बृहस्पति पंचम और नवम भाव का कारक है, जो ज्ञान, धन, और भाग्य से जुड़ा है। यह उपाय शिक्षा, विवाह, और धन में सफलता दिलाता है।पीला रंग और हल्दी बृहस्पति की अग्नि-आकाश तत्व ऊर्जा को संतुलित करते हैं।

गणितीय आधार:बृहस्पति की कक्षा 11.86 वर्षों में पूरी होती है, और यह 30 डिग्री प्रति वर्ष चलता है। 19 मंत्र जाप बृहस्पति की 19 डिग्री गोचर गति (7-8 महीने) से प्रेरित है।3 महीने का चक्र बृहस्पति की दशा प्रभाव को संतुलित करने के लिए उपयुक्त है।

वैज्ञानिक आधार:पीला रंग आशावाद और रचनात्मकता को बढ़ाता है। हल्दी में कुरकुमिन होता है, जो मस्तिष्क के कार्य को बेहतर करता है।धार्मिक पुस्तक पढ़ने से मानसिक शांति और नैतिकता बढ़ती है।

6. शुक्र (Venus) - सुख और प्रेम का ग्रहअनोखा उपाय:
"शुक्र सफेद रेशम वस्त्र"शुक्रवार को सफेद रेशमी कपड़ा (1 मीटर) किसी महिला मंदिर पुजारी को दान करें। दान से पहले "ॐ शुं शुक्राय नमः" का 24 बार जाप करें।6 सप्ताह तक करें।प्रभाव:शुक्र सप्तम और द्वादश भाव को प्रभावित करता है, जो प्रेम, वैवाहिक सुख, और विलासिता से जुड़े हैं। यह उपाय रिश्तों और सौंदर्य में सुधार करता है।सफेद रंग और रेशम शुक्र की जल तत्व ऊर्जा को बढ़ाते हैं।

गणितीय आधार:शुक्र की कक्षा 225 दिनों में पूरी होती है, और इसकी गति 1.2 डिग्री प्रति दिन है। 24 मंत्र जाप शुक्र की 24 डिग्री गोचर गति (20 दिन) से प्रेरित है।6 सप्ताह का चक्र शुक्र की दशा प्रभाव को संतुलित करता है।

वैज्ञानिक आधार:सफेद रंग शांति और शुद्धता का प्रतीक है, जो मनोवैज्ञानिक रूप से तनाव कम करता है। दान से सामाजिक जुड़ाव और आत्म-संतुष्टि बढ़ती है।यह उपाय रिश्तों में सहानुभूति और संवेदनशीलता को प्रोत्साहित करता है।

7. शनि (Saturn) - कर्म और अनुशासन का ग्रहअनोखा उपाय:
"शनि काले तिल दीप"शनिवार को सरसों के तेल में 108 काले तिल मिलाकर पीपल के पेड़ के नीचे मिट्टी का दीया जलाएं। "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का 23 बार जाप करें।7 शनिवार तक करें।प्रभाव:शनि षष्ठ और अष्टम भाव का कारक है, जो कर्म, स्वास्थ्य, और दीर्घायु से जुड़ा है। यह उपाय शनि की साढ़ेसाती या दशा के दुष्प्रभाव को कम करता है।काला तिल और तेल शनि की पृथ्वी तत्व ऊर्जा को संतुलित करते हैं।

गणितीय आधार:शनि की कक्षा 29.46 वर्षों में पूरी होती है, और यह 12 डिग्री प्रति वर्ष चलता है। 23 मंत्र जाप शनि की 23 डिग्री गोचर गति (2 वर्ष) से प्रेरित है।108 तिल शनि के 108 नक्षत्र प्रभाव से जुड़े हैं।

वैज्ञानिक आधार:काले तिल में एंटीऑक्सीडेंट और आयरन होता है, जो पर्यावरणीय शुद्धता और स्वास्थ्य को बढ़ाता है। दीया जलाने से नकारात्मक ऊर्जा कम होती है।यह उपाय अनुशासन और धैर्य को प्रोत्साहित करता है।

8. राहु (North Node) - भ्रम और महत्वाकांक्षा का ग्रहअनोखा उपाय:
"राहु नीला धुआं"शनिवार या मंगलवार की रात नीले रंग की अगरबत्ती जलाएं और इसके धुएं को घर के कोनों में फैलाएं। "ॐ रां राहवे नमः" का 18 बार जाप करें।9 सप्ताह तक करें।प्रभाव:राहु दशम और एकादश भाव को प्रभावित करता है, जो महत्वाकांक्षा और भ्रम से जुड़े हैं। यह उपाय मानसिक भटकाव और गलत निर्णयों को रोकता है।नीला रंग और धुआं राहु की वायु तत्व ऊर्जा को शांत करते हैं।

गणितीय आधार:राहु की कक्षा 18.6 वर्षों में पूरी होती है, और यह 20 डिग्री प्रति वर्ष चलता है। 18 मंत्र जाप राहु की 18 डिग्री गोचर गति (1 वर्ष) से प्रेरित है।9 सप्ताह का चक्र राहु के 9 नक्षत्र प्रभाव से जुड़ा है।

वैज्ञानिक आधार:नीला रंग मन को शांत करता है और तनाव कम करता है। अगरबत्ती का धुआं पर्यावरण को शुद्ध करता है और ध्यान को बढ़ाता है।यह उपाय मानसिक स्पष्टता और आत्म-नियंत्रण को प्रोत्साहित करता है।

9. केतु (South Node) - आध्यात्मिकता और मुक्ति का ग्रहअनोखा उपाय:
"केतु भस्म स्नान"मंगलवार या शनिवार को गाय के गोबर से बनी भस्म को पानी में मिलाकर स्नान करें। स्नान से पहले "ॐ कें केतवे नमः" का 18 बार जाप करें।11 सप्ताह तक करें।प्रभाव:केतु नवम और द्वादश भाव को प्रभावित करता है, जो आध्यात्मिकता और मुक्ति से जुड़े हैं। यह उपाय मानसिक अशांति और पिछले कर्मों के प्रभाव को कम करता है।भस्म और गोबर केतु की अग्नि तत्व ऊर्जा को शांत करते हैं।

गणितीय आधार:केतु की कक्षा 18.6 वर्षों में पूरी होती है, और यह 20 डिग्री प्रति वर्ष चलता है। 18 मंत्र जाप केतु की 18 डिग्री गोचर गति (1 वर्ष) से प्रेरित है।11 सप्ताह का चक्र केतु के 11 नक्षत्र प्रभाव से जुड़ा है।

वैज्ञानिक आधार:गोबर में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो त्वचा और पर्यावरण को शुद्ध करते हैं। भस्म स्नान से तनाव कम होता है और ध्यान बढ़ता है।यह उपाय आध्यात्मिक जागरूकता और आत्म-चिंतन को प्रोत्साहित करता है।

सामान्य सावधानियां

उपाय करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से कुंडली का विश्लेषण करवाएं, क्योंकि ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति-विशेष पर निर्भर करता है।सभी उपाय श्रद्धा और नियमितता के साथ करें।उपाय के साथ सत्कर्म, दान, और नैतिक जीवन अपनाएं, क्योंकि ज्योतिष कर्मों के संतुलन पर आधारित है।

ज्योतिषीय सिद्धांतों, गणितीय गणनाओं, और वैज्ञानिक तथ्यों का समन्वय हैं। प्रत्येक उपाय ग्रह की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो मनोवैज्ञानिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। गणितीय आधार ग्रहों की गति और चक्रों पर आधारित है, जबकि वैज्ञानिक आधार रंग, पदार्थ, और मनोविज्ञान के प्रभावों को ध्यान में रखता है। इन उपायों को नियमित और विश्वास के साथ करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव संभव हैं।

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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
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*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
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*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis



*🎈दिनांक - 3 मई 2025*
*🎈दिन-  शनिवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल *
*🎈तिथि    -        षष्ठी    07:51:17 तत्पश्चात सप्तमी*
*🎈नक्षत्र -    पुनर्वसु    12:33:05 तत्पश्चात     पुष्य*
*🎈योग - शूल    25:39:39* तक, तत्पश्चात     गण्ड*
*🎈करण-        तैतुल    07:51:17
पश्चात वणिज*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-09:14pm
से  10:58 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:56:05*
*🎈सूर्यास्त - 07:08:07*
*🎈चन्द्र राशि-     मिथुन    till 06:36:00*
*🎈चन्द्र राशि-       कर्क    from 06:36:00    *
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*

*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:29 ए एम से 05:12 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:06 पी एम से 12:59 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 04 से 12:53 ए एम, मई 04*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
चर    05:57 - 07:36    शुभ
लाभ    07:36 - 09:15    शुभ
अमृत    09:15 - 10:53    शुभ
काल    10:53 - 12:32    अशुभ
शुभ    12:32 - 14:11    शुभ
रोग    14:11 - 15:50    अशुभ
उद्वेग    15:50 - 17:29    अशुभ
चर    17:29 - 19:08    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
रोग    19:08 - 20:29    अशुभ
काल    20:29 - 21:50    अशुभ
लाभ    21:50 - 23:11    शुभ
उद्वेग    23:11 - 24:32*    अशुभ
शुभ    24:32* - 25:53*    शुभ
अमृत    25:53* - 27:14*    शुभ
चर    27:14* - 28:35*    शुभ
रोग    28:35* - 29:56*    अशुभ
kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩 "गणेश जी और चमत्कारी खीर"
एक बार गणेश जी ने बालक का वेश धारण किया और संसार की लीला देखने नगर की ओर निकल पड़े। उनके हाथ में केवल चुटकी भर चावल और चुल्लू भर दूध था। नगर में घूमते हुए वे हर किसी से आग्रह करते—
“माई, मेरे लिए खीर बना दो।”

लोग उनकी बात सुनते और हँसते। कोई कहता, “अरे बालक, इतनी-सी सामग्री से भला खीर कैसे बनेगी?”
कुछ तो ताना भी देते, “इतना सामान लेकर आए हो, या मज़ाक करने आए हो?”

पर गणेश जी न हार मानने वाले थे। वे तो प्रेम और श्रद्धा की परीक्षा ले रहे थे। घंटों बीत गए, पर किसी ने भी उन्हें खीर बनाकर नहीं दी।

तभी एक कोने में बैठी एक बुज़ुर्ग अम्मा ने उन्हें पुकारा—
“आ जा बेटा, मेरे पास कुछ नहीं, पर तेरी सेवा में जो भी हो सकेगा, करूँगी।”

गणेश जी मुस्कराते हुए अम्मा के साथ उनके झोपड़ी जैसे घर में चले गए। अम्मा ने आदर से चावल और दूध को एक छोटे से बर्तन में डालकर चूल्हे पर चढ़ा दिया। तभी कुछ चमत्कार हुआ—
जैसे ही बर्तन में खीर उबलने लगी, वह बर्तन छोटा पड़ने लगा। अम्मा ने चौंककर बड़ा बर्तन रखा। वह भी भर गया। फिर तो जैसे खीर रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।

खीर की मीठी-सुहानी खुशबू चारों ओर फैलने लगी। अम्मा की बहू, जो रसोई के पास से गुजर रही थी, उस सुवास से आकर्षित हो गई। खीर की सुगंध से उसके मन में लालच आ गया।

वह चुपचाप आई, एक कटोरी में खीर निकाली, और दरवाज़े के पीछे बैठकर बोली—
“ले गणेश, तू भी खा, मैं भी खाऊं।”
और बिना किसी को बताए खीर खा गई।

थोड़ी देर बाद अम्मा ने गणेश जी को बुलाया—
“बेटा, तेरी खीर तैयार है, आ जा, खा ले।”

गणेश जी मुस्कराकर बोले—
“अम्मा, तेरी बहू ने भोग लगा दिया, मेरा पेट भर गया है। अब तू इस खीर से सारे गाँव को तृप्त कर।”

अम्मा चौंकी, फिर प्रसन्न होकर पूरे गाँव में संदेश दिया—
“आओ, भगवान ने खीर बनाई है, सब आकर खाओ!”

लोग हँसे, मज़ाक उड़ाया—
“जिसके पास खुद के खाने को नहीं, वो गाँव को क्या खिलाएगी?”
पर फिर भी, जिज्ञासावश कुछ लोग चल पड़े।

जब सब अम्मा के घर पहुँचे, तो देखा कि सचमुच एक बड़ा भंडार खीर का बना है। सबने मिलकर खाया। ऐसी स्वादिष्ट, मीठी और तृप्त करने वाली खीर किसी ने पहले कभी नहीं खाई थी।

गाँव का हर व्यक्ति पेट भर खीर खाकर प्रसन्न हो गया, पर चमत्कार यह था कि खीर फिर भी समाप्त नहीं हुई। जैसे वह एक अक्षय भंडार बन गई हो।

सब समझ गए— यह कोई साधारण बालक नहीं था, स्वयं विघ्नहर्ता गणेश थे, जो श्रद्धा, सेवा और सच्चे भाव की परीक्षा लेने आए थे।
शिक्षा:
सच्ची सेवा, प्रेम और श्रद्धा से किया गया अर्पण कभी व्यर्थ नहीं जाता। भगवान को भोग भाव से प्रिय होता है, भोग की मात्रा से नहीं।
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*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
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*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

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*🎈दिनांक - 2 मई 2025*
*🎈दिन-  शुक्रवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        पंचमी    09:14:07 तत्पश्चात षष्ठी*
*🎈नक्षत्र -                आद्रा    13:03:07 तत्पश्चात             पुनर्वसु*
*🎈योग - धृति    27:18:39 तक, तत्पश्चात शूल*
*🎈करण-        बालव    09:14:08
पश्चात तैतुल*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-2:11pm
से  03:50 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:56:52*
*🎈सूर्यास्त - 07:07:34*
*🎈चन्द्र राशि-       मिथुन    *
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:29 ए एम से 05:12 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:06 पी एम से 12:59 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 03 से 12:53 ए एम, मई 03*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
चर    05:57 - 07:36    शुभ
लाभ    07:36 - 09:15    शुभ
अमृत    09:15 - 10:53    शुभ
काल    10:53 - 12:32    अशुभ
शुभ    12:32 - 14:11    शुभ
रोग    14:11 - 15:50    अशुभ
उद्वेग    15:50 - 17:29    अशुभ
चर    17:29 - 19:08    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
रोग    19:08 - 20:29    अशुभ
काल    20:29 - 21:50    अशुभ
लाभ    21:50 - 23:11    शुभ
उद्वेग    23:11 - 24:32*    अशुभ
शुभ    24:32* - 25:53*    शुभ
अमृत    25:53* - 27:14*    शुभ
चर    27:14* - 28:35*    शुभ
रोग    28:35* - 29:56*    अशुभ
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🚩 भगवान श्री दत्तात्रेय: जीवन, 24 गुरु, और आध्यात्मिक दर्शन का ज्योतिषीय, वैज्ञानिक, और व्यवहारिक विश्लेषण

               एक परिचय
   भगवान श्री दत्तात्रेय हिंदू धर्म में एक अद्वितीय और सर्वोच्च आध्यात्मिक व्यक्तित्व हैं, जिन्हें त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) का संयुक्त अवतार माना जाता है। वे योग, तंत्र, और भक्ति के प्रतीक हैं, जिनका जीवन और शिक्षाएं मानवता को आत्म-साक्षात्कार और विश्व-दृष्टिकोण का मार्ग दिखाती हैं।
दत्तात्रेय के 24 गुरुओं की अवधारणा उनकी शिक्षाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्रकृति और जीवन के प्रत्येक पहलू से सीखने की प्रेरणा देती है। इस लेख में, हम उनके जीवन, 24 गुरुओं, और उनके दर्शन को ज्योतिषीय, वैज्ञानिक, और व्यवहारिक दृष्टिकोण से विश्लेषित करेंगे, साथ ही आध्यात्मिक दर्शन पर शोधात्मक विवेचना करेंगे।

   दत्तात्रेय का जीवन: पौराणिक और ऐतिहासिक संदर्भ

       जन्म और उत्पत्ति

पुराणों के अनुसार, दत्तात्रेय का जन्म महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया के पुत्र के रूप में हुआ। अनसूया की पवित्रता और तपस्या से प्रभावित होकर, त्रिदेवों ने उनके गर्भ से अवतार लिया। दत्तात्रेय का जन्म एक प्रतीकात्मक संदेश है, जो सृजन (ब्रह्मा), पालन (विष्णु), और संहार (शिव) के सामंजस्य को दर्शाता है।

      ज्योतिषीय दृष्टिकोण:
दत्तात्रेय का जन्म नक्षत्र और ग्रहों के विशेष संयोग में माना जाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार, उनका जन्म मृगशिरा या रोहिणी नक्षत्र में हो सकता है, जो बुद्धि और आध्यात्मिकता से संबंधित है। गुरु (बृहस्पति) और शनि का प्रभाव उनकी शिक्षाओं में संतुलन और वैराग्य के रूप में देखा जा सकता है।

    वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
दत्तात्रेय की उत्पत्ति को एक प्रतीकात्मक मॉडल के रूप में देखा जा सकता है, जो मानव चेतना के विकास को दर्शाता है। त्रिमूर्ति का संयोजन मस्तिष्क के त्रिगुणात्मक कार्य (सृजन, संरक्षण, और परिवर्तन) का प्रतीक हो सकता है, जो न्यूरोसाइंस में रचनात्मकता, स्मृति, और अनुकूलन से संबंधित है।

जीवन और कार्य

दत्तात्रेय एक संन्यासी, योगी, और शिक्षक थे, जिन्होंने विभिन्न राजाओं, ऋषियों, और साधकों को मार्गदर्शन दिया। उनकी शिक्षाएं दत्तात्रेय उपनिषद, अवधूत गीता, और त्रिपुरा रहस्य जैसे ग्रंथों में संकलित हैं। वे सहजता, वैराग्य, और विश्व-बंधुत्व के प्रतीक थे।

     व्यवहारिक दृष्टिकोण:
दत्तात्रेय का जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची शिक्षा किताबों तक सीमित नहीं है। उनका जीवन एक खुली पुस्तक था, जो प्रकृति और समाज के प्रत्येक पहलू से सीखने की प्रेरणा देता है। यह आधुनिक शिक्षण पद्धतियों में एक्सपेरिमेंटल लर्निंग (प्रायोगिक शिक्षा) के समान है।

दत्तात्रेय के 24 गुरु: प्रकृति और जीवन से शिक्षा

दत्तात्रेय ने अपने 24 गुरुओं के माध्यम से यह सिखाया कि जीवन का प्रत्येक तत्व—चाहे वह प्रकृति, प्राणी, या परिस्थिति हो—एक शिक्षक हो सकता है। श्रीमद्भागवत पुराण (11.7-9) में इसका वर्णन मिलता है। नीचे प्रत्येक गुरु और उनकी शिक्षाओं का विश्लेषण ज्योतिषीय, वैज्ञानिक, और व्यवहारिक आधार पर किया गया है।

       पृथ्वी (Earth)
शिक्षा: धैर्य और सहनशीलता।
ज्योतिषीय आधार: पृथ्वी शनि का प्रतीक है, जो धैर्य और कर्म का कारक है।
वैज्ञानिक आधार: पृथ्वी की स्थिरता भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं (जैसे टेक्टोनिक प्लेट्स) का परिणाम है, जो दीर्घकालिक संतुलन को दर्शाती है।
व्यवहारिक आधार: तनावपूर्ण परिस्थितियों में शांत रहना और सहनशीलता अपनाना।

       वायु (Air)
शिक्षा: सर्वव्यापकता और अनासक्ति।
ज्योतिषीय आधार: वायु बुध और राहु से संबंधित है, जो गति और स्वतंत्रता का प्रतीक है।
वैज्ञानिक आधार: वायु का प्रवाह थर्मोडायनामिक्स के सिद्धांतों पर आधारित है, जो ऊर्जा के संरक्षण को दर्शाता है।
व्यवहारिक आधार: विचारों और भावनाओं में लचीलापन रखना।

      आकाश (Sky)
शिक्षा: असीमता और शुद्धता।
ज्योतिषीय आधार: आकाश गुरु (बृहस्पति) का प्रतीक है, जो ज्ञान और विस्तार का कारक है।
वैज्ञानिक आधार: आकाश का विस्तार कॉस्मोलॉजी में ब्रह्मांड के विस्तार से तुलनीय है।
व्यवहारिक आधार: मन को संकीर्णता से मुक्त करना।

        जल (Water)
शिक्षा: शुद्धता और अनुकूलन।
ज्योतिषीय आधार: जल चंद्रमा और शुक्र से संबंधित है, जो भावनाओं और सामंजस्य का प्रतीक है।
वैज्ञानिक आधार: जल की तरलता और अनुकूलनशीलता भौतिकी के द्रव-गतिकी सिद्धांतों से समझी जा सकती है।
व्यवहारिक आधार: परिस्थितियों के अनुसार ढलना।

      अग्नि (Fire)
शिक्षा: परिवर्तन और ऊर्जा।
ज्योतिषीय आधार: अग्नि मंगल का प्रतीक है, जो शक्ति और परिवर्तन का कारक है।
वैज्ञानिक आधार: अग्नि रासायनिक प्रतिक्रिया (दहन) का परिणाम है, जो ऊर्जा रूपांतरण को दर्शाता है।
व्यवहारिक आधार: पुरानी आदतों को त्यागकर नया अपनाना।

     चंद्रमा (Moon)
शिक्षा: परिवर्तनशीलता और स्थिरता का संतुलन।
ज्योतिषीय आधार: चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक है।
वैज्ञानिक आधार: चंद्रमा की कलाएं खगोलीय चक्रों का हिस्सा हैं, जो समय और परिवर्तन को दर्शाती हैं।
व्यवहारिक आधार: भावनात्मक स्थिरता बनाए रखना।

         सूर्य (Sun)
शिक्षा: निष्पक्षता और प्रकाश।
ज्योतिषीय आधार: सूर्य आत्मा और नेतृत्व का प्रतीक है।
वैज्ञानिक आधार: सूर्य की ऊर्जा सौर विकिरण से उत्पन्न होती है, जो जीवन का आधार है।
व्यवहारिक आधार: सभी के प्रति समान दृष्टिकोण रखना।

     कबूतर (Pigeon)
शिक्षा: आसक्ति का त्याग।
ज्योतिषीय आधार: शुक्र की अतिशयता आसक्ति को दर्शाती है।
वैज्ञानिक आधार: कबूतर का व्यवहार जीवविज्ञान में प्रजनन और परिवार से संबंधित है।
व्यवहारिक आधार: पारिवारिक मोह से मुक्त होना।

        अजगर (Python)
शिक्षा: संतोष और आवश्यकता के अनुसार ग्रहण।
ज्योतिषीय आधार: शनि और राहु संतोष और संयम का प्रतीक हैं।
वैज्ञानिक आधार: अजगर की शारीरिक संरचना और शिकार की रणनीति जैव-ऊर्जा संरक्षण को दर्शाती है।
व्यवहारिक आधार: न्यूनतम संसाधनों में संतुष्ट रहना।

       समुद्र (Ocean)
शिक्षा: गहराई और स्थिरता।
ज्योतिषीय आधार: चंद्रमा और गुरु समुद्र की गहराई और विशालता से संबंधित हैं।
वैज्ञानिक आधार: समुद्र का पारिस्थितिकी तंत्र जैव-विविधता और संतुलन को दर्शाता है।
व्यवहारिक आधार: भावनात्मक गहराई और स्थिरता बनाए रखना।

(इसी प्रकार, शेष 14 गुरुओं—मधुमक्खी, हाथी, हिरण, पिंगला वेश्या, बाज, बालक, कन्या, तीरंदाज, सर्प, मकड़ी, भृंगी, मछली, और वायु—का विश्लेषण भी ज्योतिषीय, वैज्ञानिक, और व्यवहारिक दृष्टिकोण से किया जा सकता है। स्थान की सीमा के कारण, यहाँ संक्षेप में उल्लेख किया गया है।)

आध्यात्मिक दर्शन: अवधूत गीता और अद्वैत वेदांत

दत्तात्रेय का दर्शन अवधूत गीता में संकलित है, जो अद्वैत वेदांत का सार है। उनका दर्शन निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित है:

आत्म-साक्षात्कार: आत्मा ही एकमात्र सत्य है, और विश्व माया का खेल है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: यह क्वांटम भौतिकी के अवलोकन-सिद्धांत से तुलनीय है, जहां चेतना वास्तविकता को प्रभावित करती है।

सहजता: जीवन को स्वाभाविक रूप से जीना, बिना बंधनों के।
व्यवहारिक दृष्टिकोण: यह माइंडफुलनेस और न्यूरोप्लास्टिसिटी के सिद्धांतों से मेल खाता है।

विश्व-बंधुत्व: सभी प्राणियों में एक ही चेतना का दर्शन।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण: यह गुरु और नेपच्यून के वैश्विक दृष्टिकोण से संबंधित है।

      शोधात्मक विवेचना

दत्तात्रेय का दर्शन और उनके 24 गुरुओं की अवधारणा एक बहुआयामी शिक्षण मॉडल है, जो आधुनिक मनोविज्ञान, न्यूरोसाइंस, और पर्यावरण विज्ञान से गहराई से जुड़ा है। उनके दर्शन को निम्नलिखित संदर्भों में समझा जा सकता है:

     मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण:
दत्तात्रेय की शिक्षाएं संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) और माइंडफुलनेस-आधारित तनाव न्यूनीकरण (MBSR) के समान हैं, जो आत्म-जागरूकता और भावनात्मक संतुलन पर जोर देती हैं।

पर्यावरणीय दृष्टिकोण: 24 गुरुओं की अवधारणा प्रकृति से सीखने पर बल देती है, जो आधुनिक पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के सिद्धांतों से मेल खाती है।

    ज्योतिषीय दृष्टिकोण:
दत्तात्रेय की शिक्षाएं ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव को आत्म-विकास के लिए उपयोग करने की प्रेरणा देती हैं।

    भगवान श्री दत्तात्रेय का जीवन और उनकी 24 गुरुओं की अवधारणा एक सार्वभौमिक शिक्षण मॉडल है, जो ज्योतिष, विज्ञान, और व्यवहारिक दृष्टिकोणों के साथ आध्यात्मिकता का समन्वय करता है। उनका दर्शन हमें सिखाता है कि सच्चा ज्ञान किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह प्रकृति, प्राणियों, और स्वयं के अनुभवों में निहित है। आधुनिक युग में, दत्तात्रेय की शिक्षाएं हमें आत्म-जागरूकता, पर्यावरण संरक्षण, और वैश्विक एकता की दिशा में प्रेरित करती हैं।

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*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis

 

*🎈दिनांक - 1 मई 2025*
*🎈दिन-  गुरुवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -        चतुर्थी    11:23:06 तत्पश्चात पंचमी*
*🎈नक्षत्र -            मृगशीर्षा    14:19:51 तत्पश्चात             आद्रा*
*🎈योग - अतिगंड    08:33:08* तक, तत्पश्चात धृति*
*🎈करण-        विष्टि भद्र    11:23:06
पश्चात बालव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-2:11pm
से  03:50 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:57:39*
*🎈सूर्यास्त - 07:07:00*
*🎈चन्द्र राशि-       मिथुन*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:30 ए एम से 05:13 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:06 पी एम से 12:59 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 02 से 12:54 ए एम, मई 02*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
शुभ    05:58 - 07:36    शुभ
रोग    07:36 - 09:15    अशुभ
उद्वेग    09:15 - 10:54    अशुभ
चर    10:54 - 12:32    शुभ
लाभ    12:32 - 14:11    शुभ
अमृत    14:11 - 15:50    शुभ
काल    15:50 - 17:28    अशुभ
शुभ    17:28 - 19:07    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
अमृत    19:07 - 20:28    शुभ
चर    20:28 - 21:49    शुभ
रोग    21:49 - 23:11    अशुभ
काल    23:11 - 24:32*    अशुभ
लाभ    24:32* - 25:53*    शुभ
उद्वेग    25:53* - 27:14*    अशुभ
शुभ    27:14* - 28:36*    शुभ
अमृत    28:36* - 29:57*    शुभ

kundli



🙏♥️* आज मजदूर दिवस की शुभकामनाएं।

🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩 भगवान शिव के गले में लिपटे नागराज को वासुकी कहते हैं. कुछ बरसों पहले आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों को द्वारका तट पर समुद्री रिसर्च में दुनिया के सबसे बड़े सांप के अवशेष मिले थे. वैज्ञानिकों ने इसकी तुलना नाग वासुकी से की. नाम दिया वासुकी इंडिकस. इस वैज्ञानिक खोज का जिक्र हम ज्योतिर्लिंग सीरीज मे इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि नाग वासुकी का संबंध ना सिर्फ भगवान शिव और द्वारका से है, बल्कि उस पौराणिक कथा से भी बलवती होती है, जो भगवान शिव को नागेश्वर बनाती है. नागेश्वर, यानी नागों के ईश्वर. इस रूप में भगवान द्वारका के तट पर युगों से विराजमान है. भगवान शिव के इस रूप को 8वें ज्योतिर्लिंग के रूप में मिली हुई है. आज हम भगवान शिव के इसी नागेश्वर रूप की रहस्यगाथा बताने जा रहे हैं.

द्वारका के पास है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

गुजरात में श्रीकृष्ण की द्वारका से बीस किलोमीटर की दूरी पर शिव का द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक नागेश्वर स्थित है. द्वारका का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग आध्यात्मिक विरासत, पौराणिक कथाओं और भक्तों की अटूट आस्था का संगम है. जो भी श्रद्धालु द्वारका आते हैं, वो नागेश्वर जरुर जाते हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन और पूजन करने से भक्तों की कुंडली में कालसर्प, सर्प दोष जैसे अशुभ योग का असर कम हो जाता है.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव की दिव्य शक्ति का स्थान माना जाता है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर दर्शकों और उपासकों को सर्प के जहर से बचाने की क्षमता रखता है. जो व्यक्ति स्वच्छ मन से नागेश्वर का ध्यान करते हैं, वे सभी भौतिक और आध्यात्मिक विषाक्त पदार्थों जैसे माया, पाप, क्रोध और लोभ से मुक्त हो जाते हैं.

नागेश्वर शब्द नागों के राजा को संदर्भित करता है जो हर समय भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है... जो व्यक्ति इस मंदिर में प्रार्थना करता है, उसे सांपों से कोई नुकसान नहीं होगा, और यह गहरी मान्यता मंदिर को अद्वितीय महत्व प्रदान करती है, जो शिवभक्तों को आकर्षित करती है.

रुद्र संहिता में भगवान शिव को क्या कहा गया?

शिवपुराण की रुद्र संहिता में शिव जी को नागेशं दारुकावने कहा गया है. नागेश्वर का अर्थ है नागों के ईश्वर. मंदिर की मान्यताएं महाभारत काल से जुड़ी हैं. महाभारत काल में जब पांडव वनवास काट रहे थे, तब वे द्वारका क्षेत्र में भी आए थे. उस समय भीम ने यहां देखा कि एक गाय एक तालाब में दूध दे रही है.

ये बात भीम को हैरान करने वाली लगी. भीम तालाब में उतरकर उस जगह पहुंचे तो वहां एक शिवलिंग देखा. इसके बाद भीम और अन्य पांडवों ने तालाब का पानी खाली किया और शिवलिंग की पूजा-अर्चना की. बाद में श्रीकृष्ण ने पांडवों को बताया था कि ये शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक नागेश्वर है.

भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, न केवल भगवान शिव के बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है, बल्कि यह एक ऐसी गाथा का जीवंत प्रमाण भी है जो सदियों से भक्तों की आस्था और श्रद्धा को प्रेरित करती आई है.

मंदिर अपने आध्यात्मिक महत्व, ऐतिहासिक गहराई और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है. नागेश्वर मंदिर का संबंध महाभारत काल के अलावा एक और पौराणिक कथाओं में मिलता है जिसके मुताबिक, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध दारुकवन नामक एक प्राचीन और रहस्यमय जंगल से भी है.

शिवपुराण में भोलेनाथ की क्या है कथा

शिवपुराण में वर्णित कथा की मानें तो दारुका नाम की शक्तिशाली राक्षसी ने देवी पार्वती से एक विशेष वरदान प्राप्त किया था, जिसके कारण वो दारूकवन को कहीं भी ले जा सकती थी. इस वरदान का दुरुपयोग करते हुए, दारुका और उसके राक्षस पति दारुक ने उस वन में अत्याचार मचाना शुरू कर दिया, जिससे ऋषि-मुनि और आमजन भयभीत हो गए.

इसी वन में सुप्रिया नाम की एक परम शिव भक्त निवास करती थी. जब दारुका ने सुप्रिया समेत कई लोगों को बंदी बना लिया, तो सुप्रिया ने अपनी अटूट भक्ति और भगवान शिव के प्रति पूर्ण समर्पण का परिचय दिया. कारागार में भी, उसने अन्य बंदियों को भगवान शिव की आराधना करने के लिए प्रेरित किया और ''ओम नमः शिवाय'' का जाप निरंतर जारी रखा.

जब राक्षसी दारुका को इस भक्ति के बारे में पता चला, तो उसने सुप्रिया को धमकाया. अपने भक्त की पुकार सुनकर, करुणामय भगवान शिव तत्काल वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने राक्षसों का संहार किया और भक्तों की प्रार्थना पर, भगवान शिव उसी स्थान पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए विराजमान हो गए.

गर्भगृह के निचले स्तर पर मूल ज्योतिर्लिंग स्थापित

ऐसा माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह जहर संबंधी रोगों और अन्य कष्टों से भी मुक्ति दिलाता है. यह स्थान उन लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है जो बुरी वृत्तियों और नकारात्मक प्रभावों से छुटकारा पाना चाहते हैं. नागेश्वर मंदिर का वर्तमान स्वरूप भव्य और आकर्षक है.
 
मंदिर परिसर में भगवान शिव की 125 फीट ऊंची ध्यान मुद्रा में एक विशाल प्रतिमा स्थापित है, जो इसकी आध्यात्मिक आभा को और भी बढ़ाती है. यह विशाल मूर्ति लगभग 3 किलोमीटर की दूरी से भी दिखाई देती है, जो भक्तों को इस पवित्र स्थान की ओर आकर्षित करती है.
 
मंदिर के मुख्य गर्भगृह के निचले स्तर पर मूल ज्योतिर्लिंग स्थापित है, जिसके शीर्ष पर चांदी का एक बड़ा नाग विराजमान है. मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक भारतीय शैली में निर्मित है, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है.

सर्दियों में दर्शन के लिए जाना बेहतर

नागेश्वर मंदिर के पास ही नागेश्वर बीच है जो एक शांत और कम भीड़-भाड़ वाला समुद्र तट है जो अपनी शांति के लिए जाना जाता है. शिवभक्त यहां प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने आते हैं,
शेष भाग कल.........
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