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पञ्चाङ्ग - 10-12-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 10 दिसंबर2025*
*🎈 दिन- बुधवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - पौष मास*
*🎈 पक्ष -  कृष्णा पक्ष*
*🎈तिथि-    षष्ठी    13:45:54*pm तत्पश्चात् सप्तमी*
*🎈 नक्षत्र -         मघा    26:43:25** 
amतत्पश्चात्     पूर्व फाल्गुनी*
*🎈 योग    -     वैधृति    12:45:04*pm तक तत्पश्चात्     विश्कुम्भ*
*🎈करण    -     *वणिज    13:45:54pm  तत्पश्चात् विष्टि भद्र*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 12:28pm to 01:44pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)* 
*🎈चन्द्र राशि    - सिंह*
 *🎈सूर्य राशि-       वृश्चिक*
*🎈सूर्योदय - :07:15:12am*
*🎈सूर्यास्त -17:40:33pm* 
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 05:26 ए एम से 06:20:00( ए एम प्रातः तक *(नागौर 
राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:01 ए एम, दिसम्बर 11 से 12:55 ए एम, दिसम्बर 11*
nersing


*🎈    रवि योग-    07:14 ए एम से 02:44 ए एम, दिसम्बर 11*
*🎈 व्रत एवं पर्व-  षष्ठी  व्रत* 
*🎈विशेष -  पौष मास महात्म्य *
kundli


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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
   मानक सूर्योदय के अनुसार।

 *🛟लाभ - उन्नति-07:14 ए एम से 08:32 ए एम*

 *🛟अमृत - सर्वोत्तम-08:32 ए एम से 09:51 ए एम*

 *🛟काल - हानि-09:51 ए एम से 11:09 ए एम काल वेला*

  *🛟शुभ - उत्तम-11:09 ए एम से 12:28 पी एम*

 *🛟रोग - अमंगल-12:28 पी एम से 01:46 पी एम वार वेला*

 *🛟उद्वेग - अशुभ-01:46 पी एम से 03:05 पी एम,*

 *🛟चर - सामान्य-03:05 पी एम से 04:23 पी एम*

 *🛟लाभ - उन्नति-04:23 पी एम से 05:42 पी एम*


      *🛟चोघडिया, रात्🛟*
   
 *🛟उद्वेग - अशुभ05:42 पी एम से 07:24 पी एम*

  *🛟शुभ - उत्तम-07:24 पी एम से 09:05 पी एम*

  *🛟अमृत - सर्वोत्तम-09:05 पी एम से 10:47 पी एम*

  *🛟चर - सामान्य-10:47 पी एम से 12:28 ए एम, दिसम्बर 11*

  *🛟रोग - अमंगल-12:28 ए एम से 02:10 ए एम, दिसम्बर 11*

  *🛟काल - हानि-02:10 ए एम से 03:51 ए एम, दिसम्बर 11*

  *🛟लाभ - उन्नति-03:51 ए एम से 05:33 ए एम, दिसम्बर 11 काल रात्रि*

  *🛟उद्वेग - अशुभ-05:33 ए एम से 07:15 ए एम, दिसम्बर 11*
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     🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
    🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
🌷 ..# 💐🍁🍁✍️ | #🌕 👉       
❤️💐 🌼🪔🌷❤️💐 🌼🪔
 👉 🍁 👉♦️ ⭐ 

  💐 * #.★★★शनि ग्रह बारे में जानकारी★★★
 ?....... ⭐👇🏼.......❗️
  
     💕 √●वेद में अशनि शब्द आया है। अशनि का अर्थ है विद्युत् इसे वज्र भी कहते हैं। इसकी गति अचिंत्य है, अत्यन्त तीव्र। शनैः शनैः (धीरे-धीरे) जो चलता है, वह शनिश्चर है। संक्षेप से शनि है। जो धीरे-धीरे नहीं चलता वह अशनि है। नवग्रहों की श्रेणी में सब से कम गति वाला ग्रह होने से इस का नाम शनि पड़ा है। यह सूर्य से बहुत दूर है। ढाई वर्ष में एक राशि को पार करता है। पूरा राशि चक्र पार करने में इसे लगभग ३० वर्ष का समय लगता है। श्रीमद् भागवत में इसके सन्दर्भ में एक वाक्य है...

 💕"व्रत उपष्टिशत् योजनलक्षद्वयात् प्रतीयमानः शनैश्चर:
 एकैकस्मिन् राशौ त्रिंशन् मासान् विलम्बमानः सर्वेनेवानुपर्येति तावद्भिरनुवत्सरैः प्रायेण हि सर्वेषामशान्तिकरः।"
       ( भागवत ५। २३ । १६ )

💕√●[ बृहस्ति से दो लोख योजन कर शनैश्चर दिखायी देते हैं ये तीस-तीस महीने तक एक-एक राशि में रहते हैं। अतः इन्हें सब राशियों को पार करने में तीस वर्ष लग जाते हैं। ये प्रायः सभी के लिये अशांति करने वाले हैं।

💕√●शनि के पर्यायछापात्मज, पंगु, यम, अर्कपुत्र, कोण, असित, सौरि, नील क्रूर, कुशांग, कपिलाक्ष, दीर्घ, तरणितनय, छायासून, आर्कि, मन्द ।

💕√● छायात्मज अर्थात् छाया का पुत्र इस संबंध में एक आख्यान प्रस्तुत है। कश्यप तनय विवस्वान् को त्वष्टा तनया संज्ञा देवी भार्या के रूप में मिली। विवस्वान (सूर्य) के तीव्र ताप तेज दीप्ति से संज्ञा अप्रसन्न रहती थी। सूर्य के निकट रहने से संज्ञा की काया संतप्त होती थी। संज्ञा के गर्भ से सूर्य के द्वारा तीन सन्तानों का जन्म हुआ- २ प्रजापति तथा १ कन्या। उनमें से एक प्रजापति वैवस्वत मनु तथा दूसरे प्रजापति श्राद्धदेव यम थे।

💕 √●कन्या का नाम यमुना हुआ जब सूर्य का तेजस्वी रूप संज्ञा के लिये असह्य हो गया तो उसने अपने हो समान एक स्त्री को अपनी छाया से रच दिया। यह मायामयी स्त्री संज्ञा के तद्रूप थी। इस का नाम छाया हुआ। सूर्य की सेवा में छाया को छोड़ कर संज्ञा अपने पिता त्वष्टा के पास चली गई। त्वष्टा ने उसे अपने पास नहीं रखा तो वह अश्विनी का रूप धर कर विचरने लगी। उधर छाया, संज्ञा की तीनों संतानों के साथ रहती हुई सूर्य की भार्या के रूप में रहने लगी। इस दूसरी संज्ञा को संज्ञा समझते हुए सूर्य भगवान् ने उसके गर्भ से दो पुत्र उत्पन्न किया। पहलापुत्र अपने बड़े भाई वैवस्वत मनु के समान वर्ण शक्ति वाला होने से सावर्ण मनु कहलाया। उस छाया से जो दूसरा पुत्र हुआ वह शनि के नाम से जाना गया।

 "मनुरेवाभवन्नाम्ना सावर्ण इति चोच्यते ।
 द्वितीयो यः सुतस्तस्याः स विज्ञेयः शनैश्चरः ।।"
           (महाभारते हरिवंशे ८।२०) 

शेष भाग निरंतरता.......... भाग(१)

   💥“ज्ञान ही सच्ची संपत्ति है।
      बाकी सब क्षणभंगुर है।”💥
     🌼 ।। जय श्री कृष्ण ।।🌼
       💥।। शुभम् भवतु।।💥
♨️  ⚜️ 🕉🌞  🌞🕉 ⚜🚩
🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ  🇪🇬🔱
vipul

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