*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈दिनांक - 14 दिसंबर2025*
*🎈 दिन- रविवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - पौष मास*
*🎈 पक्ष - कृष्णा पक्ष*
*🎈तिथि- दशमी 18:49:12*pm तत्पश्चात् एकादशी*
*🎈 नक्षत्र - हस्त 08:17:33* am तत्पश्चात् चित्रा*
*🎈 योग - सौभाग्य 11:44:20* pm तक तत्पश्चात् शोभन*
*🎈करण - *विष्टि भद्र 18:49:12 pm तत्पश्चात् बव*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 04:24pm to 05:42 pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि- कन्या * till 21:40:40*
*🎈चन्द्र राशि - तुला from 21:40:40*
*🎈सूर्य राशि- वृश्चिक*
*🎈सूर्योदय - :07:17:50am*
*🎈सूर्यास्त -17:41:47pm*
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 05:28 ए एम से 06:22 ए एम.तक *(नागौर
राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- 12:09 पी एम से 12:51 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:03 ए एम, दिसम्बर 15 से 12:57 ए एम, दिसम्बर 15*
*🎈 अमृत काल - 03:59 ए एम, दिसम्बर 15 से 05:46 ए एम, दिसम्बर 15*
*🎈अमृत सिद्धि-07:17 ए एम से 08:18 ए एम*
*🎈 व्रत एवं पर्व- दशमी व्रत*
*🎈विशेष - पौष मास महात्म्य *
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🛟उद्वेग - अशुभ-07:17 ए एम से 08:35 ए एम*
*🛟चर - सामान्य-08:35 ए एम से 09:53 ए एम*
*🛟लाभ - उन्नति-09:53 ए एम से 11:11 ए एम*
*🛟अमृत - सर्वोत्तम-11:11 ए एम से 12:30 पी एम वार वेला*
*🛟काल - हानि-12:30 पी एम से 01:48 पी एम काल वेला*
*🛟शुभ - उत्तम-01:48 पी एम से 03:06 पी एम*
*🛟रोग - अमंगल-03:06 पी एम से 04:25 पी एम*
*🛟उद्वेग - अशुभ-04:25 पी एम से 05:43 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🛟*शुभ - उत्तम-05:43 पी एम से 07:25 पी एम*
*🛟अमृत - सर्वोत्तम-07:25 पी एम से 09:07 पी एम*
*🛟चर - सामान्य-09:07 पी एम से 10:48 पी एम*
*🛟रोग - अमंगल-10:48 पी एम से 12:30 ए एम, दिसम्बर 15*
*🛟काल - हानि-12:30 ए एम से 02:12 ए एम, दिसम्बर 15*
*🛟 लाभ - उन्नति-02:12 ए एम से 03:54 ए एम, दिसम्बर 15 काल रात्रि*
*🛟उद्वेग - अशुभ-03:54 ए एम से 05:35 ए एम, दिसम्बर 15*
*🛟शुभ - उत्तम-05:35 ए एम से 07:17 ए एम, दिसम्बर 15*
🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
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💐 * #.★★★शनि ग्रह बारे में जानकारी★★★
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( शेष भाग ३ से निरंतरता..........)
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√●शनि आयु का कारक है। महामारक है। स्नायु संस्थान पर इसका प्रभाव रहता है। आलसी, काना, पिंगल नयन, अंधी देह पर बड़े मोठे निकले दाँत कड़े रोम, उभरी शिराएँ, लंगड़ा, लूला, निम्न, चिपटी आँखें, दुबला शरीर, स्थूल भद्दे नख, बेवाई फटा पैर, झुर्रीदार फटो त्वचा, कृश एंव कृच्छ्र अंगांग, अमांसलता दोर्घता अस्थिमयता से शनि के प्रभाव का बोध होता है।
√●शनि स्थविर मह है। दयारहित, मूर्ख, धूर्त, ढंग, चोर, उठाईगीर, लुच्चा, लफंगा, अवारा, मुगुलखोर, झगडालु हेराफेरी करने वाला कृतघ्नी विश्वासघाती दीर्घसूत्री अपवादी दृष्ट बुद्धि, कुटिल छिद्रान्वेषी, स्वार्थी, तृष्णालु, ईर्ष्यालु, समाज विरोधी, बन्धु विरोधी, नौच कर्मी, व्यक्ति शनि प्रधान होते हैं।
√● शनि वृत्ति कारक है। उद्योग धंधे में लगाता है, शारीरिक श्रम वाले कार्यों में लगाता है। जन आन्दोलनों में अग्रणी भूमिका निभाता है। मर्मभेदी बात कहना, असंतोष व्यक्त करना, मनमाना करना, आत्मशंसा चाहना, अपवाद फैलाना, हाथ की सफाई दिखाना, दास वृत्ति से उपजीविका चलाना, द्रव्यापहरण करना, हिंसा पर उतारू हो जाना और अविचारपूर्वक कर्म में उद्यत होना- शनि की विशेषताएँ हैं। जीर्ण घर वा असुन्दर निवास, कृषि कर्म, भार वा बोझा ढोना इस की नियति है।
√●शनि अशुभ ग्रह है। परपोड़ा, पराक्रम, परदेश वास, परसेवा में इस की अभिरुचि रहती है। यह ठंडा ग्रह है, क्योंकि सूर्य से बहुत दूर है। इसलिये शुभ प्रभाव होने पर शनि प्रधान व्यक्ति उच्च कोटि के विचारक एवं तत्ववेत्ता होते हैं।
√●शनि और सूर्य दोनों परस्पर पुत्र एवं पिता हैं। दोनों का आमने सामने होना अथवा दोनों का एक साथ होना अशुभ प्रभाव उत्पन्न करता है। मेष में सूर्य-शनि एक साथ हैं अथवा,
√●तुला में सूर्य-शनि एक साथ हैं तो सूर्य एवं शनि (पिता एवं पुत्र) में से एक उच्च का होगा तो दूसरा नीच का होगा।
√● शनि के साथ सूर्य + मंगल का योग सदा घातक है। इसमें मृत्यु, अपघात, भयंकर रोग, बन्धन, भारी संकट, अनपेक्षित विपत्ति तथा आयु के अंत के समय का नैराश्यपूर्ण होना, निश्चित है। शनि एवं चन्द्र को युति कम घातक है। शनि द्वारा रोहिणी नक्षत्र का पार करना शकट भेदन कहा जाता है। क्यों कि रोहिणी नक्षत्र का आकार शकट जैसा है। यह शकट भेदन लोक संहारक होता है। बुध, गुरु वा शुक्र के साथ शनि हो तो अच्छा फल देता है। परन्तु मन्द गति होने से कंजूसी से (अल्प) फल देता है। वक्री वा चन्द्र के साथ होने से शनि चेष्टा वली होता है। चेष्टाबल युक्त शनि शुभ होता है।
√●शनि पुत्र चिन्ता उत्पन्न करता है। समय की अपेक्षा अति विलम्ब से प्रसूत होना शनि का धर्म है। १,५,९ स्थान में शनि इस प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करता है।
√●शनि और गुरु का दशम केन्द्र योग जातक को राज्याधिकार के योग्य बनाता है। शनि का प्रभाव सूर्य द्वारा घटता है, परन्तु मंगल के आगे जा कर । सूर्य की दृष्टि होने से शनि का प्रभाव न्यून होता है। शनि प्रधान व्यक्ति निर्लज्ज एवं निश्चय ही दुर्गुणी होता है।
√● मिथुन, तुला, कुंभ राशियों में शनि का विशेष महत्व है। यदि शनि बली हो तो बहुत सम्पत्ति देता है। १,४,५,८,९ राशियों में अनिष्ट फल देता है। यह जिस राशि में होता है, उसके आगे एवं पीछे की राशियों को पीड़ित करता है। यह विशेष कर चन्द्र को पीड़ा देता है। इसे साढ़े साती कहते हैं। साढ़े साती का विचार चन्द्र राशि से होता है। चन्द्र की साढ़े साती का परिणाम शरीर एवं कुटुंबी मनुष्यों पर पड़ता है। जन्म काल में यदि चन्द्रमा तथा सूर्य के मध्य में शनि हो तो यह अतीव दुःस्थिति है। १,४,५,८,९ राशि पर सूर्य चन्द्र एकत्रित हो तो शनि की साढ़े साती भयंकर एवं विशेष कष्टप्रद होती है। शनि दम्भ और मत्सर दे करके अमंगल करता है। यह दरिद्रता देता है, आयु का नाश करता है, वातरोग देता है, बुद्धि भ्रमित करता है, जीर्णशीर्ण वस्तुओं की प्राप्ति कराता है, नीचों की संगति कराता है तथा निकृष्ट निवास देता है।
√●शनि के बलहीन होने से भाग्यहीनता होती है। यह पैर में व्रण करता है। अधिक श्रम कराता है, थकान से शैथिल्य देता है तन्द्रा भ्रान्ति, भीति तथा पिशाच से पीड़ा देता है भयानक ज्वर एवं अपंगता का कारक है।
√● शनि का धनुषाकार मण्डल है। अंगुल २, कश्यप गोत्र तथा कृष्ण रंग है। इसका वाहन गीध है, है समिधा शमी है।
√●दान द्रव्य नीलम, लोहा, सोना, काली उड़द, कुलथी, तेल कडुवा, काला कम्बल, नौलावस्त्र, नीला फूल, काली गौ भैंस कस्तूरी खड़ाऊ एवं उपानह।
√● दान-समय- शनिवार सायंकाल ।
√● जड़ी-विच्छोल की जड़ कपित्थ मूल।
★★★★ध्यान मंत्र★★★
"नीलाञ्जन समाभसं रविपुत्र यमाग्रजम् छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।"
♂️शेष भाग निरंतरता.......... ✍️भाग(४)
💥“ज्ञान ही सच्ची संपत्ति है।
बाकी सब क्षणभंगुर है।”💥
🌼 ।। जय श्री कृष्ण ।।🌼
💥।। शुभम् भवतु।।💥
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ 🇪🇬🔱







