Type Here to Get Search Results !

पंचांग - 09-09-2025

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
JYOTISH


*🎈 आश्विन,कृष्ण पक्ष, द्वितीया 2082 कालयुक्त, विक्रम सम्वत 09 सितम्बर 2025 मंगलवार पितृपक्ष प्रारम्भ, द्वितीया श्राद्ध, आश्विन प्रारम्भ *

*🎈 दिनांक -09 सितंबर 2025*
*🎈 दिन-  मगलवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास -अश्विन*
*🎈 पक्ष - कृष्ण*
*🎈 पक्ष -श्राद्ध *
*🎈तिथि -   द्वितीया    06:28:26pm रात्रि तत्पश्चात् 
तृतीया * 
*🎈नक्षत्र -                 उत्तरभाद्रपदा    06:06:12pm रात्रि तक तत्पश्चात्             रेवती*
*🎈योग -                 गण्ड    11:57:26 pm  तक तत्पश्चात्     वृद्वि*
*🎈 करण    -        तैतुल    07:51:19pm तक    तत्पश्चात्     विष्टि भद्र*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग  है-   03:39 am से 05:12 am तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि    -   मीन    *
*🎈सूर्य राशि    -   सिंह*
*🎈सूर्योदय - 06:18:57am*
*🎈सूर्यास्त - 06:45:17:pm* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से प्रातः 05:32 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:07 पी एम से 12:57 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:09 ए एम, सितम्बर 10 से 12:55 ए एम, सितम्बर 10*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग    06:18 ए एम से 06:07 पी एम*
 *🎈आज चतुर्थ पंचक है।
 

🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴

    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
       सूर्योदय के अनुसार।

*🎈 

   *🛟चोघडिया, रात्🛟*

*🎈
kundli




🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
    🚩*☀ #कर्म_भोग  ☀*
         ➖➖-➖-➖➖

🔷  सूर्य ग्रह जो तेज धर्म और पवित्रता के प्रतीक है ।
जो अपने धर्म के प्रकाश से शेष ग्रहो का मार्गदर्शन करते है । पापी हो या पुण्यात्मा, असुर हो या देव सबको समभाव से अपना प्रकाश देते है । ऐसे सूर्य देव को में नमन करता हूं ।।

चंद्र देव वो जो साक्षात महादेव के शीष पर सुसज्जित है। जिनकी सीतल श्वेत किरणे अंधकार मयी रात्रि को भी प्रकाश में बदल देती है जो अंधकार में स्वयं सूर्य है । ऐसे चंद्र देव को में नमन करता हूं ।।

मंगल देव वो जो शिवांश है ।। अर्थात शिव के अंश है ।।जिसके होने से व्यक्ति अपनी चर्म सिद्धि पर होता है। स्वार्थ ओर सिद्धि के स्वामी मंगल देव को नमन करता हूं ।।

बुध देव जो बुद्धि और प्रभुत्व के स्वामी है ।जिसकी उपस्थिति से मनुष्य सद्गुणों का धनी होता है। व्यापार के स्वामी चंद्र पुत्र बुध देव को नमन करता हूं ।।

गुरु ग्रह जो नवग्रहों में सबसे प्रभावशाली है । भाग्य , धर्म दर्शन और अध्यात्म के स्वामी  देव गुरु वृहस्पति को नमन करता हूं ।

शुक्र देव जो लाभ और कलात्मक प्रतिभा के स्वामी जो सौभागय ओर विलासिता का संतुलन बनाये रखते है । महा शिव भक्त  महान्यायी  असुर गुरु शुक्राचार्य को में नमन करता हूं ।।

राहु देव जो नवग्रहों में छाया ग्रह के रूप में उपस्थित है । जो अनिष्टकारक परन्तु शक्ति वर्धक है । जिनके प्रभाव से कोई विरला ही बचा है ।  उन राहु देव को में नमन करतां हूं ।।

केतु ग्रह जो ख्यातिकारक मोक्ष्य अध्यात्म ओर वैराग्य के देवता है ।। उन्नति और ऊंचाइयों तक ले जाने वाले  ओर नवग्रहों में जिनकी गढ़ना आखिरी में कई जाती है । उन केतु ग्रह को के नमन करता हूं 

शनि देव जो धर्म के रक्षक ओर नव ग्रहो में  कर्म फल के दाता का प्रभुत्व करते है । शुभ कर्म पर जिसकी उपस्थिति शुभ और दुष्कर्म पर उनकी उपस्थिति अशुभ कहलाती हो । जिसे न संबधो से आसक्ति ओर ना फल का भय ,ऐसे सूर्य पुत्र और शिव भक्त शनि को में नमन करता हूं ।।

🌷🌷 वास्तु अनुसार तांबे का सूर्य किस दिशा में लगाएं

🌷🌷 • वास्तु नियमों के अनुसार पूर्व दिशा और उत्तर दिशा, ज्यादा ऊर्जावान दिशाएं मानी जाती हैं। इन्हीं दिशाओं से स्वास्थ्य समृद्धि और रचनात्मक शक्ति का विकास होता है। फेंगशुई के अनुसार काष्ठ तत्व को घर या दफ्तर के पूर्व दिशा में स्थापित करने से यह दिशा ऊर्जावान होती है।सूर्य का प्रकाश हमारे लिए जीवन का सूचक बनकर आता है। सूर्य के प्रकाश से ही पृथ्वी पर जीवन है और इसी से हमारा अस्तित्व बरकरार है। यह दिशाओं में सर्वाधिक आवश्यक दिशा है और ग्रीष्म ऋतु से संबद्ध है, इस दिशा में फूलों और फलों से दर्शाया जाता है। पूर्व दिशा को प्राची दिशा भी कहा जाता है।

🌷🌷 • पूर्व के स्वामी या देवता स्वयं इंद्र है। इंद्र देवों के राजा है और इनकी उत्पत्ति ब्रह्मा के मुख से हुई मानी जाती है। इंद्र हर कार्य में दक्ष माने जाते है। वे शत्रुओं का नाश करते है और अपनी मर्जी के अनुरूप आकार बदल सकते है तथा कहीं भी प्रकट हो सकते है। इंद्र स्वर्ग के राजा है और उनकी पत्नी शची है। इंद्र मानवीय मस्तिष्क की शक्तियों को दर्शाते है और बुद्धिमत्ता को बढ़ाते है। इंद्र वर्षा के भी देवता है और वर्षा न होने पर लोग इंद्र की ही प्रार्थना करते है। इस कार्य में इंद्र के सहायक पवन देव है। इंद्र का वाहन ऐरावत है, उनका अस्त्र वज्र है और उनके घोड़े का नाम उच्चैश्रवा है।हिंदू परंपराओं के अनुसार पूर्व दिशा को घर के पुरुषों के लिए अति महत्वपूर्ण माना गया है। साथ ही इसको घर के पूर्वजों और परिवार के बड़े-बुजुर्गो के लिए भी आवश्यक माना जाता है, इसी कारण इसको पितृस्थान भी कहते है। ऐसा माना जाता है कि पूर्व दिशा की ओर खुलने वाले दरवाजे वाले कमरों में जन्मे बच्चे निष्ठावान और परिवार को समर्पित रहते है।


*♨️  ⚜️ 🕉🌞  🌞🕉 ⚜🚩
~~~~~~~~~~~💐💐〰
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ

*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩
vipul

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Post Ad