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पंचांग - 24-09-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

MAA


*🎈 🔷आश्विन, शुक्ल पक्ष, शारदीय नवरात्रि विक्रम सम्वत 2082,  24 सितम्बर 2025 बुध वार नवरात्र सप्ताह🌙 *🙏
*🎈दिनांक -24 सितम्बर 2025*
*🎈 दिन -  बुधवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- तृतीया    अहोरात्र रात्रि तक तत्पश्चात्   तृतीया*
*🎈 नक्षत्र -         चित्रा     04:15:45 pm तक तत्पश्चात्     स्वाति*
*🎈 योग -     ऐन्द्र    09:01:37रात्रि तक तत्पश्चात् वैद्युति*
*🎈करण    -तैतुल    05:56:18pm तक तत्पश्चात् गर*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 12:27pm से दोपहर 01:57pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)* 
*🎈चन्द्र राशि    -  तुला    *
*🎈सूर्य राशि-       कन्या    *
*🎈 सूर्योदय - 06:25:34*
*🎈 सूर्यास्त - 06:28:03* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:49 से प्रातः 05:37 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त-    कोई नहीं (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:03 ए एम, सितम्बर 25 से 12:51 ए एम, सितम्बर 25 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
 *🎈रवि योग    04:16 पी एम से 06:25 ए एम, सितम्बर 25*

*🎈 व्रत पर्व विवरण -  तृतीया
नवरात्र का व्रत*
*🎈 विशेष -  नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की के दौरान ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः मंत्र का कम-से-कम 11 या फिर 21 बार जप करना चाहिए। ऐसा करने से देवी साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
       सूर्योदय के अनुसार।

*🎈 रोग - अमंगल-06:24 ए एम से 07:55 ए एम*

*🎈उद्वेग - अशुभ-07:55 ए एम से 09:26 ए एम वार वेला*

*🎈चर - सामान्य-09:26 ए एम से 10:56 ए एम*

*🎈लाभ - उन्नति-10:56 ए एम से 12:27 पी एम*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-12:27 पी एम से 01:58 पी एम*

*🎈काल - हानि-01:58 पी एम से 03:29 पी एम काल वेला*

*🎈शुभ - उत्तम-03:29 पी एम से 05:00 पी एम*

*🎈रोग - अमंगल-05:00 पी एम से 06:30 पी एम*

    *🛟चोघडिया, रात्🛟*

*🎈काल - हानि-06:30 पी एम से 08:00 पी एम*

*🎈लाभ - उन्नति-08:00 पी एम से 09:29 पी एम काल रात्रि*

*🎈उद्वेग - अशुभ-09:29 पी एम से 10:58 पी एम*

*🎈शुभ - उत्तम-10:58 पी एम से 12:27 ए एम, सितम्बर 24*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-12:27 ए एम से 01:57 ए एम, सितम्बर 24*

*🎈चर - सामान्य-01:57 ए एम से 03:26 ए एम, सितम्बर 24*

*🎈रोग - अमंगल-03:26 ए एम से 04:55 ए एम, सितम्बर 24*

*🎈काल - हानि-04:55 ए एम से 06:24 ए एम, सितम्बर 24*
kundli



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🚩 *☀#जय अम्बे ☀*
 *☀#शारदीय नवरात्र पर्व☀*
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*🌷 आश्विन नवरात्रि तृतीया 🌷🌷🌷 🌷🌷
24 /25 सितम्बर बुधवार ,गुरुवार 2025 
(इस बार तृतीया दो दिन मनाई जाएगी)

🍁 चंद्रघंटा स्तुति ध्यान कवचम् 
🍁 चंद्रघंटा देवी पूजा विधि 
🍁मां चंद्रघंटा की कथा
🍁 चंद्रघंटा दुर्गाजी के १०८ नाम 
🍁🍁 दुर्गा चालीसा 
🍁🍁 चंद्रघंटा देवी की आरती 
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    🌷मां चन्द्रघन्टा देवी🌷

शक्ति के रूप में विराजमान मां चंद्रघंटा मस्तक पर घंटे के आकार के चंद्रमा को धारण किए हुए हैं। देवी का यह तीसरा स्वरूप भक्तों का कल्याण करता है। इन्हें ज्ञान की देवी भी माना गया है। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के चारों तरफ अद्भूत तेज है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। यह तीन नेत्रों और दस हाथों वाली हैं। इनके दस हाथों में कमल, धनुष-बाण, कमंडल, त्रिशूल और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्र हैं। कंठ में सफेद पुष्पों की माला और शीर्ष पर रत्‍‌नजडि़त मुकुट विराजमान हैं। यह साधकों को चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न होने का वरदान देती हैं।  
चंद्रघंटा माता का प्रभाव शुक्र ग्रह पर है.
इस कारण से अगर किसी मनुष्य को शुक्र गृह की विपरीत परिस्थिति के कारण कोई कष्ट आदि हो तो उन्हें सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ चंद्रघंटा की आराधना और स्तुति करनी चाहिए.
इससे उन्हें माँ चंद्रघंटा की कृपा से समस्त कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.
माँ चंद्रघंटा की कृपा से मनुष्य को जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है.
चंद्रघंटा माता की कृपा से मनुष्य के अंदर साहस और आत्मबिस्वास का संचार होता है.
माँ चंद्रघंटा का साधक निर्भीक होता है.
समस्त नकारात्मक शक्तियों से माँ चंद्रघंटा अपने साधक की रक्षा करती है.

 🌷माँ चंद्रघंटा का  ध्यान 🌷

🍁
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चंद्रघण्टा यशस्विनीम्॥
अर्थ:
मैं उस चंद्रघंटा माता को प्रणाम करता हूँ, जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली हैं। उनका मुकुट आधे चंद्र के आकार का है और वे सिंह पर विराजमान हैं। वे महान यशस्विनी हैं।

🍁
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

अर्थ:
यह तीसरी दुर्गा, जो मणिपुर चक्र (नाभि क्षेत्र) में स्थित हैं, तीन नेत्रों वाली हैं। उनके चारों हाथों में खड्ग, गदा, त्रिशूल, धनुष-बाण, पद्म (कमल), कमण्डलु और माला हैं, जो भयभीत करने वाले भी हैं और वर देने वाले भी हैं।
🍁
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥

अर्थ:
माँ चंद्रघंटा पीले वस्त्रों में सुसज्जित हैं, उनका हँसता चेहरा अत्यंत मधुर है और वे अनेक अलंकारों से विभूषित हैं। उनके गले में मणि की माला, झंकारियाँ, हार, बाजूबंद, झांझ और रत्नों से जड़े कुंडल हैं।

🍁
प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

अर्थ:
माँ की वन्दना से हृदय प्रफुल्लित होता है। उनके कोमल और सुंदर गाल आकर्षक हैं। उनके कमर और नितम्ब अत्यंत सुडौल और मनोहर हैं।

🍁
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

अर्थ:
माँ चंद्रघंटा कमल पर विराजमान हैं और उनके हाथ में प्रचंड क्रोध से भरे शस्त्र हैं। जो भी उनकी भक्ति से प्रसन्न होता है, उसे वे अपने अनुग्रह से सब प्रकार का लाभ देती हैं।

🍁
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अर्थ:
जो देवी सभी जीवों में माँ चंद्रघंटा के रूप में निवास करती हैं, मैं उन्हें बार-बार प्रणाम करता हूँ।

🌷🌷🌷चंद्रघंटा स्तुति 🌷🌷
माँ चंद्रघंटा की आराधना के लिए यहाँ दिए गए स्तोत्र का सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक पाठ करें. यह अत्यंत ही सिद्ध स्तोत्र है. सम्पूर्ण श्रद्धापूर्वक इस माँ चंद्रघंटा स्तोत्र के पाठ का फल अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी होता है.

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

 🍀🍀 माँ चंद्रघंटा कवच 🍀🍀

रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥

बिना न्यासम् बिना विनियोगम् बिना शापोध्दा बिना होमम्।
स्नानम् शौचादि नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिदाम॥

कुशिष्याम् कुटिलाय वञ्चकाय निन्दकाय च।
न दातव्यम् न दातव्यम् न दातव्यम् कदाचितम्॥
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀

🌷🌷चंद्रघंटा के मंत्र 🌷🌷

🍁🍁चन्द्रघण्टा माला मंत्र 🍁🍁

ॐ चन्द्रार्धकृतशेखरायै सिंहवाहिन्यै त्रिनेत्रायै त्रिशूलधरायै
क्षीरोद्भवा करुणामयी भीषणरूपायै खड्गधारिण्यै धनुर्धारिण्यै
पाशधारिण्यै वरदायै अभयप्रदायै सर्वसंकटहरायै
सुरभ्यै सुरपूजितायै दुर्गापीडापहारिण्यै त्रैलोक्यमोहिन्यै
त्रैलोक्यपालिन्यै त्रैलोक्यमोक्षदायै जयायै विजयायै जयरूपायै
जयश्रियै जयप्रियायै शक्त्यै पराशक्त्यै योगिन्यै सिद्धिदायै
ऋद्धिदायै स्मृतिदायै ज्ञानदायै सुखदायै मोक्षदायै कल्याण्यै
शिवायै शिवपूजितायै शिवप्रियायै शिवानन्दायै शिवशक्त्यै
शिवेश्वर्यै शिवजनन्यै सर्वेश्वर्यै सर्वदुष्टनाशिन्यै नमो नमः ॥

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
चन्द्रघन्टा गायत्री
ॐ चंन्द्रधंटायै च विदमहे अर्धचन्द्राय धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै  ॐ चंन्द्रधंटा दैव्यै नमः।
ॐ क्लीं रोगान् रोधय चंद्रघण्टायै क्लीं फट् ।
---+++++++++++++++++++

🌷🌷श्रीचन्द्रघण्टा  पंचश्लोकी 🌷🌷

🍁
सिंहवाहिनीं देवी त्रिनेत्रा चन्द्रशेखरा ।
त्रिशूलखड्गगदाधारा चन्द्रघण्टा नमोऽस्तु ते ॥१॥
हिन्दी अर्थ: 
सिंहवाहिनी, त्रिनेत्रधारी, मस्तक पर चन्द्र धारण करने वाली देवी चन्द्रघण्टा को नमस्कार।

🍁
चन्द्रार्धकृतकुण्डला सुशोभिता महेश्वरी ।
कण्ठस्थघण्टानिनदा चन्द्रघण्टा नमोऽस्तु ते ॥२॥
हिन्दी अर्थ: 
अर्धचन्द्र कुण्डल, कर्णस्थ घण्टा वाली महेश्वरी देवी को प्रणाम।

🍁
रक्तवस्त्रपरिधाना रक्तवर्णा मनोहरा ।
सर्वशत्रुविनाशाय चन्द्रघण्टा नमोऽस्तु ते ॥३॥
हिन्दी अर्थ
: रक्तवर्णा, रक्तवस्त्र धारण, शत्रुहन्त्री चन्द्रघण्टा को
नमस्कार है।

🍁
सुरासुरार्चिता नित्यं महाबला च भक्त्यया ।
सिंहनादप्रभाभीता चन्द्रघण्टा नमोऽस्तु ते ॥४॥
हिन्दी अर्थ: 
देव और दानव द्वारा पूजित, महाबलशाली, सिंहनाद से दुष्टों को भयभीत करने वाली चंद्रघंटा को नमस्कार।

🍁
कृपया परमेशानि भक्तानां वरदा सदा ।
दुर्गात्तारणकर्त्री त्वं चन्द्रघण्टा नमोऽस्तु ते ॥५॥
हिन्दी अर्थ
: भक्तों को वर देने वाली, दुःख और संकट से पार करने वाली देवी चन्द्रघण्टा।को नमस्कार है।
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 🌷🌷चंद्रघण्टा स्तुति 🌷🌷🌷🌷

जय मां चन्द्र घंटा सुख धाम ।पूर्ण कीजो मेरे काम ।
चन्द्र समान तू शीतल दाती।चन्द्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शान्त बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।🥹
मन की मालक मन भाती हों ।चन्द्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये ।श्रद्धा सहित जो विनय सुनाये।
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए । सन्मुख घी की जोत जलाए।
शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगतदातां
कान्ची पुर स्थान तुम्हारा । करनाटिका में मान तुम्हारा ।
नाम तेरा रटूं महारानी।’चमन’ की रक्षा करो भवानी।
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🌷चंद्रघंटा देवी की पूजा विधि और प्रिय भोग प्रसाद 🌷

ब्रह्ममुहुर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर माता का ध्यान करें और फिर पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करें। इसके बाद माता का ध्यान करते हुए पांच घी के दीपक जलाएं और फिर माता को सफेद कमल या पीले पुष्प अर्पित करें 
विद्वानों  के अनुसार तृतीय नवरात्रि के दिन माता चंद्रघंटा की पूजा—अर्चना से आनंद की प्राप्ति होती है। मां की विश्वासपूर्वक की गई पूजा से दुखों से मुक्ति मिल जाती है। मां चंद्रघंटा को दूध और दूध से बने मिष्ठान्न बहुत पसंद हैं. इसलिए उनको खीर का भोग लगाना सबसे अच्छा माना जाता है। मां को दूध या दूध से बने मिष्ठान्न का भोग लगाकर इसका दान जरूर करें।
मां चंद्रघंटा की आराधना में रंगों का विशेष महत्व है। माता चंद्रघंटा को हरा, भूरा और सफेद रंग पसंद है। हालांकि उन्हें लाल रंग सबसे प्रिय है। मान्यता है कि मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करते समय सफेद रंग का वस्त्र पहनना शुभ होता है। सफेद रंग शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य ले...
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
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