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पंचांग 01-11-2025

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक  01 नवंबर 2025 *
*🎈 दिन -  शनिवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष -  शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- दशमी    09:11:02*am तक तत्पश्चात् एकादशी*
*🎈 नक्षत्र - शतभिष    18:19:37
pm तत्पश्चात्     पूर्वभाद्रपदा    17:02:47*
*🎈 योग -     ध्रुव    26:08:27* तक तत्पश्चात् व्याघात*
*🎈करण    - गर    09:11:02
am तक तत्पश्चात् वाणिज*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 09:32am to 10:55pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)* 
*🎈चन्द्र राशि-       कुम्भ*
*🎈सूर्य राशि-       तुला    *
*🎈सूर्योदय - 06:46:21am*
*🎈सूर्यास्त -17:50:24pm* 
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 05:02 से प्रातः 05:54 तक *(नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त-    11:56 ए एम से 12:41 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:53 पी एम से 12:45 ए एम,2नवंबर 2025तक*
*🎈 व्रत एवं पर्व-  एकादशी  व्रत 2नवंबर 2025  रविवार को।
*🎈विशेष -  एकादशी को कई चीजें नहीं करनी चाहिए, जिनमें क्रोध, वाद-विवाद और झूठ बोलना शामिल है, 
एकादशी व्रत में आप आलू, शकरकंद, अरबी, खीरा, लौकी, कच्चा पपीता, टमाटर, और सिंगाड़ा जैसी सब्जियां खा सकते हैं, जो आमतौर पर सात्विक मानी जाती हैं। इन सब्जियों को सेंधा नमक और शुद्ध घी में बनाकर खाया जा सकता है। हालाँकि, गोभी, भिंडी, पालक, मटर और गाजर जैसी कुछ सब्जियों से परहेज किया जाता है। 
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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
   मानक सूर्योदय के अनुसार।

*🎈 चर - सामान्य-06:44 ए एम से 08:08 ए एम*

*🎈 लाभ - उन्नति-08:08 ए एम से 09:31 ए एम*

*🎈  अमृत - सर्वोत्तम-09:31 ए एम से 10:55 ए एम वार वेला*

*🎈 काल - हानि-10:55 ए एम से 12:18 पी एम काल वेला*

*🎈 शुभ - उत्तम-12:18 पी एम से 01:42 पी एम*

*🎈 रोग - अमंगल-01:42 पी एम से 03:05 पी एम*

*🎈 उद्वेग - अशुभ-03:05 पी एम से 04:29 पी एम*

*🎈 चर - सामान्य-04:29 पी एम से 05:52 पी एम*

      *🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈रोग - अमंगल-05:52 पी एम से 07:29 पी एम*

*🎈 काल - हानि-07:29 पी एम से 09:06 पी एम*

*🎈लाभ - उन्नति-09:06 पी एम से 10:42 पी एम काल रात्रि*

*🎈उद्वेग - अशुभ-10:42 पी एम से 12:19 ए एम, नवम्बर 01*

*🎈शुभ - उत्तम-12:19 ए एम से 01:55 ए एम, नवम्बर 01*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-01:55 ए एम से 03:32 ए एम, नवम्बर 01*

*🎈 चर - सामान्य-03:32 ए एम से 05:09 ए एम, नवम्बर 01*

*🎈रोग - अमंगल-05:09 ए एम से 06:45 ए एम, नवम्बर 01*

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     🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
  🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
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देवउठनी एकादशी यानी कार्तिक मास में ग्यारस की पूजा।
🚩🌼#🌷🌷 श्री तुलसी लघुपूजा (३) अर्थ सहित 🌷🌷(आज के अंक में)
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शेष भाग से आगे.....

03...🌷🌷 श्री तुलसी लघुपूजा (३) 🌷🌷
(हिन्दी अर्थ सहित)
👉🍁 प्रारंभिक प्रार्थना
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥
अर्थ:
जो श्वेत वस्त्र धारण करते हैं, चन्द्रमा के समान गौरवर्ण हैं, चार भुजाओं वाले हैं, और प्रसन्न मुखमंडल से सुशोभित हैं —
उन श्रीविष्णु का ध्यान मैं करता हूँ, जिससे मेरे सब विघ्न दूर हों।
🍁संकल्प
श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं तुलसीदेवी प्रीत्यर्थं
सर्वारिष्टशान्त्यर्थं सर्वमङ्गलप्राप्त्यर्थं तुलसीपूजां करिष्ये ॥
अर्थ:
परमेश्वर की प्रसन्नता के लिए, तुलसी देवी की कृपा प्राप्ति के लिए,
सभी प्रकार के विघ्न-उपद्रवों की शांति और समस्त मंगल की प्राप्ति हेतु मैं तुलसी देवी की पूजा करूँगा।
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🍁ध्यान (पूर्वांग पूजा)
ध्यायामि तुलसीं देर्वीं श्यामां कमललोचनाम् ।
प्रसन्नां पद्मकल्हार वराभय चतुर्भुजाम् ॥
अर्थ:
मैं तुलसी देवी का ध्यान करता हूँ — जो श्यामवर्णा हैं, कमल की भाँति सुंदर नेत्रों वाली हैं,
प्रसन्नमुख, कमल और कल्हार पुष्प धारण करने वाली, वरद (वर देने की) और अभय (भय मिटाने की) मुद्रा में चार भुजाओं से सुशोभित हैं।
🍁
किरीट हार केयूर कुण्डलादिविभूषिताम् ।
धवलांशुकसंयुक्तां पद्मासन निषेदुषीम् ॥
अर्थ:
जो किरीट, हार, केयूर (बाजूबंद), कुण्डल आदि आभूषणों से अलंकृत हैं,
धवल वस्त्र धारण करती हैं और कमलासन पर विराजमान हैं — ऐसी तुलसी देवी का मैं ध्यान करता हूँ।
🍁
तुलसीं देवीं ध्यायामि ॥
मैं तुलसी देवी का ध्यान करता हूँ।
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👉🍁आवाहन (तुलसी का पूजन प्रारंभ)
अस्मिन् तुलसी क्षुपे तुलसीं देवीं आवाहयामि ।
इस तुलसी पौधे में मैं तुलसी देवी का आवाहन करता हूँ।
विष्णुवल्लभायै नमः — आसनं समर्पयामि ।
हे विष्णुप्रिया तुलसी! आपको आसन अर्पित करता हूँ।
सर्वदेवमयायै नमः — पाद्यं समर्पयामि ।
हे सर्वदेवमयी! आपके चरणों के लिए पाद्य (पानी) अर्पित करता हूँ।
सर्वतीर्थमयायै नमः — अर्घ्यं समर्पयामि ।
हे सर्वतीर्थमयी! अर्घ्य (सत्कारार्थ जल) अर्पित करता हूँ।
दैत्यान्तकृत्प्रियायै नमः — आचमनीयं समर्पयामि ।
हे दैत्यों के विनाशक विष्णु की प्रिया! आचमनीय जल अर्पित करता हूँ।
सर्वलोकहितायै नमः — स्नानं समर्पयामि ।
हे लोकहितायिनी देवी! आपको स्नान अर्पित करता हूँ।
लक्ष्मी सहोदर्यै नमः — वस्रयुग्मं कञ्चुकं च समर्पयामि ।
हे लक्ष्मी की सहोदर (बहन) तुलसी देवी! आपको वस्त्र और कंचुकी (अंगवस्त्र) अर्पित करता हूँ।
महादेव्यै नमः — गन्धं कुङ्कुमं समर्पयामि ।
हे महादेवी! सुगंधित चंदन और कुंकुम अर्पित करता हूँ।
रमावासायै नमः — अक्षतान् समर्पयामि ।
हे रामावासा देवी! आपको अक्षत (चावल) अर्पित करता हूँ।
अभीष्टदायै नमः — पुष्पाणि समर्पयामि ।
हे इच्छित फल देनेवाली देवी! आपको पुष्प अर्पित करता हूँ।
👉🍁 अर्चना (नामस्मरण)
वृन्दायै नमः । वृन्दावन्यै नमः । विश्वपूजितायै नमः ।
विश्वपावन्यै नमः । पुष्प सारायै नमः । नन्दिन्यै नमः । तुलस्यै नमः ।
कृष्णजीवन्यै नमः ।
अर्थ:
वृन्दा को नमस्कार, वृन्दावन में वासिनी देवी को नमस्कार,
संसारभर में पूजित और पवित्र करनेवाली देवी को नमस्कार,
पुष्पों की सारभूता, नन्दिनी और कृष्ण के जीवन समान प्रिय देवी तुलसी को नमस्कार।
(यहाँ आप १६ नाम, १०८ नाम या १००० नाम से अर्चना कर सकते हैं।)
👉🍁अन्य उपचार
पापहारिण्यै नमः — धूपं समर्पयामि ।
हे पापहरिणी देवी! धूप अर्पित करता हूँ।
भगवत्यै नमः — दीपं समर्पयामि ।
हे भगवती! आपको दीप अर्पित करता हूँ।
अमृतसम्भूतायै नमः — नैवेद्यं समर्पयामि ।
हे अमृतसम्भूता देवी! नैवेद्य (भोजन) अर्पित करता हूँ।
जगद्धात्र्यै नमः — ताम्बूलं फलानि च समर्पयामि ।
हे जगत की धात्री देवी! पान (ताम्बूल) और फल अर्पित करता हूँ।
सुदक्षिणायै नमः — नीराजनं समर्पयामि ।
हे सुदक्षिणा देवी! आपको आरती अर्पित करता हूँ।
परमेश्वर्यै नमः — पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि ।
हे परमेश्वरी देवी! पुष्पांजलि अर्पित करता हूँ।
अभीष्टदायै नमः — प्रदक्षिणनमस्कारान् समर्पयामि ।
हे अभीष्टफलप्रदा देवी! आपको प्रदक्षिणा और नमस्कार अर्पित करता हूँ।
👉🍁स्तोत्र एवं प्रदक्षिणा
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणपदे पदे ॥
अर्थ:
पूर्व जन्मों में या इस जन्म में जो भी पाप हुए हों,
वे सब तुलसी की प्रदक्षिणा के प्रत्येक चरण से नष्ट हो जाते हैं।
👉🍁समर्पण मंत्र
तुलसी देव्यै नमः — सर्वोपचारान् समर्पयामि ।
हे तुलसी देवी! आपको सभी उपचार (पूजा के समस्त उपहार) अर्पित करता हूँ।
👉🍁 कर्मफल समर्पण
कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात् ।
करोमि यद्यत्सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि ॥
अर्थ:
शरीर, वाणी, मन, इन्द्रियों, बुद्धि या स्वभाव से मैं जो कुछ भी करता हूँ,
वह सब नारायण को समर्पित करता हूँ।
🍁 समापन
॥ ॐ तत्सत् — ब्रह्मार्पणमस्तु ॥
अर्थ:
यह सब ब्रह्म (परमात्मा) को अर्पित हो — यही सत्य है।
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फलश्रुति:(लाभ)
जो भक्त श्रद्धापूर्वक तुलसी देवी की इस लघुपूजा को करता है,
उसके सब पाप नष्ट होते हैं, विष्णु-लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है,
और उसके जीवन में आरोग्य, समृद्धि, और शांति का वास होता है।
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शेष संपूर्ण भाग कल......
04..🌷🌷🌷 श्री तुलसीपूजा (४) 🌷🌷🌷
        (“तुलसी लघुपूजा – २” हिन्दी भावार्थ सहित अगले अंक में)

   💥 ।। शुभम् भवतु।।💥

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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
vipul


*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ  🇪🇬🔱 

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