*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 🔷आश्विन, शक्ल पक्ष,त्रयोदशी विक्रम सम्वत 2082, 6अक्टूबर 2025
सोमवार 🌙 *🙏
*🎈दिनांक - 6 अक्टूबर 2025*
*🎈 दिन - सोमवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- चतुर्दशी 12:23:05 pm तक तत्पश्चात् पूर्णिमा*
*🎈 नक्षत्र - रेवती 10:16:46
am तक तत्पश्चात् आश्विनि- 07:58:15*pm तत्पश्चात् भरणी 29:21:58*am
*🎈 योग - वज्र 20:41:55* रात्रि तक तत्पश्चात् सिद्वि*
*🎈करण -वणिज 12:23:05pm* तक तत्पश्चात् बव*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 07:59 pm से दोपहर 09:27 pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - मीन till 10:16:46*
*🎈चन्द्र राशि- मेष from 10:16:46 *
*🎈सूर्य राशि- तुला*
*🎈 सूर्योदय - 06:31:14*am
*🎈 सूर्यास्त -18:14:35*pm (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से प्रातः 05:41 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त- 11:59 पी एम से 12:45 पी एम (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:59 पी एम से 12:48 ए एम, अक्टूबर 06तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अमृत काल 11:40 पी एम से 01:07 ए एम, अक्टूबर 07*
*🎈 व्रत पर्व विवरण शरद पुर्णिमा *
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-06:30 ए एम से 07:58 ए एम*
*🎈काल - हानि-07:58 ए एम से 09:26 ए एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-09:26 ए एम से 10:55 ए एम*
*🎈 रोग - अमंगल-10:55 ए एम से 12:23 पी एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-12:23 पी एम से 01:51 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-01:51 पी एम से 03:19 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-03:19 पी एम से 04:48 पी एम वार वेला*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-04:48 पी एम से 06:16 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈चर - सामान्य-06:16 पी एम से 07:48 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-07:48 पी एम से 09:19 पी एम*
*🎈 काल - हानि-09:19 पी एम से 10:51 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-10:51 पी एम से 12:23 ए एम, अक्टूबर 07 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-12:23 ए एम से 01:55 ए एम, अक्टूबर 07
*🎈शुभ - उत्तम-01:55 ए एम से 03:27 ए एम, अक्टूबर 07*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-03:27 ए एम से 04:59 ए एम, अक्टूबर 07*
*🎈चर - सामान्य-04:59 ए एम से 06:31 ए एम, अक्टूबर 07*
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🚩 *☀#जय गणेश☀*
*🌹जय मां सच्चियाय 🌹*
🚩#कार्तिकमास_ महत्त्व!!🚩
कार्तिक मास महात्म्य के प्रकरण में ब्रह्माजी ने नारद जी से कार्तिक मास की श्रेष्टता, उसमे करने योग्य स्नान, दान, पूजन आदि धर्मो का माहात्म्य बतलाकर स्नान की विधि एवं कार्तिक व्रत करने वालो के लिए पालनीय नियमो का वर्णन किया है ।
कार्तिक मास के सम्बन्ध में ब्रह्माजी ने बताया है कि कार्तिक मास के समान कोई मास नही, सतयुग के समान कोई युग नही, वेदों के समान कोई शास्त्र नही और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नही तथा इसी प्रकार अन्न दान के समान कोई दूसरा दान नही है।
मनुष्य को कार्तिक मास में शालिग्राम शिला का पूजन और भगवान वासुदेव का ध्यान करना चाहिए। नारद ! सब दानों से बढ़कर कन्यादान है, उससे भी अधिक विद्यादान है, विद्यादान से भी अधिक गोदान का महत्व अधिक है, और अन्नदान का भी महत्त्व अधिक है, क्योंकि यह अन्न के आधार पर ही जीवित रहता है इसलिए कार्तिक मास में अन्न दान अवश्य करना चाहिए ।
पूर्व काल में सत्यकेतु नामक ब्राह्मण ने केवल अन्न दान से सब पुण्यों का फल पाकर परम दुर्लभ मोक्ष को प्राप्त किया था।
*कार्तिके मासि विपेन्द्र यस्तु गीतां पठेन्नर:।*
*तस्य पुण्यफलं वक्तुं मम शक्तिं विदधते॥*
*गीतामास्तु समं शास्त्रं न भूतं न भविष्यति।*
*सर्वपापहरा नित्यं गीतेका मोक्षदायनी॥*
जो मनुष्य कार्तिक मास में नित्य गीता का पाठ करता है उसके पुण्य फल का वर्णन करने की शक्ति मेरे में नही हैं। गीता का एक पाठ करने से मनुष्य घोर नरक से मुक्त हो जाता है। एक मात्र गीता ही सदा सब पापों को हरने वाली तथा मोक्ष देने वाली है।
🚩. सिद्धलक्ष्मी_सहस्त्राक्षरीमहाविद्यामंत्र 🚩
शरदपूर्णिमा या पुष्यनक्षत्र या शुक्रवार में करें 21पाठ।
🪷विनियोग:-ॐ अस्य श्रीसर्वमहाविद्या महारात्रि गोपनीय मंत्र रहस्याति रहस्य मयी पराशक्ति श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी सहस्राक्षरी सहस्त्र रूपिणी महाविद्याया: श्री इन्द्र ऋषिः, गायत्र्यादि नाना छन्दांसि, नवकोटि शक्तिरूपा श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी देवता, श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी प्रसादादखिलेष्टार्थे जपे पाठे विनियोगः।
*ऋष्यादि न्यास*
श्री इन्द्र ऋषिभ्यां शिरसे नमः ।
गायत्र्यादि नानाछन्देभ्यो नम: -मुखे ।
नव कोटि शक्तिरूपा श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी प्रसादादखिलेष्टार्थे जपे पाठे विनियोगाय नमः -सर्वाङ्गे।
*अंग न्यास*
ॐ श्रीं- सहस्त्रारे ।
ॐ ह्रीं -नमः भाले।
ॐ क्लीं नमो -नेत्रयुगले ।
ॐ ऐं नमो- हस्त युगले।
ॐ श्रीं नमः- हृदये।
ॐ क्लीं नमः- कटौ।
ॐ ह्रीं नमः -जंघा द्वये ।
ॐ श्रीं नमः -पादादि सर्वांगे।
*ध्यान*
या माया मधुकैटथ प्रमथिनी या माहिषोन्मूलिनी।
या धुम्रेक्षण चण्ड मुण्ड दलनी या रक्त बीजशानी।।
शक्तिः शुम्भनिशुम्भ दैत्यमथनी या सिद्धलक्ष्मी परा।
सा देवी नवकोटि मूर्तिसहिता मां पातु विश्वेश्वरि।।
🚩*सहस्राक्षरी सिद्धलक्ष्मी महाविद्या मंत्र*🚩
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ह्सौं श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं सौ: सौ: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं जय जय महालक्ष्मी, जगदाद्ये, विजये, सुरासुर -त्रिभुवन -निदाने, दयांकुरे, सर्व देव तेजो रूपिणी, विरंचि- संस्थिते, विधि- वरदे, सच्चिदानन्दे, विष्णु- देहावृते, महा- मोहिनी, नित्यवरदान- तत्परे, महा सुधाब्धि वासिनि, महा तेजो धारिणी, सर्वाधारे, सर्व कारण कारिण्यै, अचिन्त्य रूपे, इन्द्रादि सकल निर्जर सेविते, साम गान गायन-परिपूर्णोदय कारिणी, विजये, जयंति, अपराजिते, सर्व सुन्दरि रक्तांशुके, सूर्य कोटि संकाशे, चन्द्र कोटि सुशीतले, अग्निकोटि दहन शीले, यम कोटि वहन शीले, ॐ कार नाद बिन्दु रूपिणी, निगमागम -भागदायिनी, त्रिदश -राजदायिनी, सर्व स्त्री रत्न स्वरूपिणी, दिव्य देहिनि ,निर्गुणे, सगुणे, सदसद् -रूपधारिणी, सुर- वरदे, भक्त त्राण तत्परे, बहु वरदे, सहस्त्राक्षरे, आयुताक्षरे, सप्त कोटि लक्ष्मी रूपिणी, अनेकलक्ष-लक्ष स्वरुपे, अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायिके, चतुर्विंशति मुनि जन संस्थिते, चतुर्दश भुवन भाव विकारिणे, गगन -वाहिनि, नाना मंत्र राज विराजिते, सकल सुंदरी गण सेविते, चरणारविन्दे, महात्रिपुर -सुन्दरि, कामेश दायिते, करुणा रस कल्लोलिनि, कल्प वृक्षादि स्थिते, चिंतामणि द्वय मध्यावस्थिते, मणि मन्दिरे निवासिनी, विष्णु वक्षस्थल कारिणे, अजिते, अमिले, अनुपम चरिते ,मुक्ति क्षेत्राधिष्ठायिनी, प्रसीद प्रसीद, सर्व मनोरथान पूरय पूरय, सर्वारिष्ठान छेदय छेदय, सर्व ग्रह पीड़ा ज्वराग्र भयं विध्वंसय विध्वंसय, सर्व त्रिभुवन जातं वशय वशय, मोक्ष मार्गाणि दर्शय दर्शय, ज्ञान मार्ग प्रकाशय प्रकाशय, अज्ञान तमो नाशय नाशय, धन धान्यादि वृद्धिं कुरु कुरु, सर्व कल्याणानि कल्पय कल्पय, मां रक्ष रक्ष, सर्वापदभ्यो निस्तारय निस्तारय, वज्र शरीरं साधय साधय ह्रीं क्लीं सहस्राक्षरी सिद्धलक्ष्मी महाविद्यायै नमः।।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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