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पंचांग - 03-08-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈 दिनांक - 03 अगस्त 2025*
*🎈 दिन - रविवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - वर्षा*
*🎈 मास - श्रावण*
*🎈 पक्ष - शुक्ल*
*🎈तिथि - नवमी सुबह 09:41:33 तक तत्पश्चात् दशमी*
*🎈नक्षत्र - विशाखा 06:33:59am तत्पश्चात् अनुराधा
 तक*  
*🎈योग - शुक्ल    06:23:02am अगस्त 03 तक तत्पश्चात्
ब्रह्म*
*🎈 करण    -    कौलव    09:41:33 तत्पश्चात् गर*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग  है- सुबह 05:41 से  सांय 07:21 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि -     वृश्चिक*
*🎈 सूर्य राशि -       कर्क*
*🎈सूर्योदय - 06:01:18*
*🎈सूर्यास्त - 07:20:51 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:35 से प्रातः 05:18 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 01:08*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:20 ए एम, अगस्त 04 से 01:03 ए एम, अगस्त 04 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 

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*🎈व्रत पर्व विवरण - मासिक नवमी व्रत*
*🎈विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*

    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
       सूर्योदय के अनुसार।

उद्वेग -  06:01- 07:41अशुभ*

चर-    07:41 - 09:21शुभ*

लाभ-  09:21 - 11:01 शुभ*

अमृत-11:01- 12:41 शुभ*

काल- 12:41 - 14:21अशुभ*

शुभ - 14:21- 16:01 शुभ*

रोग- 16:01- 17:41 अशुभ

उद्वेग- 17:41-19:21अशुभ*
  
   *🔵चोघडिया, रात🔵*

शुभ-19:21- 20:41शुभ*

अमृत-20:41- 22:01शुभ*

चर- 22:01- 23:21-शुभ*

रोग-23:21- 24:41*अशुभ*

काल -24:41* --26:01*अशुभ*

लाभ-26:01* -27:22* शुभ*

उद्वेग-27:22* -28:42*अशुभ*

शुभ-28:42* -30:02*शुभ

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*🔹♦️रामचरित मानस के प्रभावी चमत्कार♦️
kundli



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*🌹सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाते हैं रामचरित मानस के ये चमत्कारिक मंत्र🌹*

*⭕रामचरित मानस जन-जन में लोकप्रिय एवं प्रामाणिक ग्रंथ हैं। इसमें वर्णित दोहा, सोरठा, चौपाई पाठक के मन पर अद्‍भुत प्रभाव छोड़ते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इसमें रचित कुछ पंक्तियाँ समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी सक्षम है। हम अपने पाठकों के लिए कुछ चयनित पंक्तियाँ दे रहे हैं। ये पंक्तियाँ दोहे-चौपाई एवं सोरठा के रूप में हैं।* 
 
*इन्हें इन मायनों में चमत्कारिक मंत्र कहा जा सकता है कि ये सामान्य साधकों के लिए है। मानस मंत्र है। इनके लिए किसी विशेष विधि-विधान की जरूरत नहीं होती। इन्हें सिर्फ मन-कर्म-वचन की शुद्धि से श्रीराम का स्मरण करके मन ही मन श्रद्धा से जपा जा सकता है। इन्हें सिद्ध करने के लिए किसी माला या संख्यात्मक जाप की आवश्‍यकता नहीं हैं बल्कि सच्चे मन से कभी भी इनका ध्यान किया जा सकता है।*
 
*📿प्रस्तुत है चयनित मंत्र* *ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*
* *विद्या प्राप्ति के लिए*

गुरू गृह गए पढ़न रघुराई। 
अल्प काल विद्या सब आई।। 
 
* *यात्रा की सफलता के लिए*

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। 
ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
 
* *झगड़े में विजय प्राप्ति के लिए* 

कृपादृष्‍टि करि वृष्‍टि प्रभु अभय किए सुरवृन्द। 
भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुंद ।। 
 
* *ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए* 

लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान। 
होई सगुन मंगल सुखद क‍रहि अप्सरा गान।। 
 
* *दरिद्रता मिटाने के लिए* 

अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। 
कामद धन दारिद दवारि के।। 
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।
सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।। 
 
* *संकट नाश के लिए* 

दिन दयाल बिरिदु सम्भारी। 
हरहु नाथ मम संकट भारी।। 
 
* *जीविका प्राप्ति के लिए* 

विस्व भरण पोषण कर जोई। 
ताकर नाम भरत जस होई।।
 
* *सभी प्रकार की विपत्ति नाश के लिए* 

राजीव नयन धरे धनु सायक। 
भगत विपत्ति भंजक सुखदायक।।
 
* *विघ्न निवारण के लिए* 

सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही। 
राम सुकृपा बिलोकहि जेही।। 
 
* *आकर्षण के लिए* 

जेहि के जेहि प‍र सत्य सनेहू। 
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।। 
 
* *परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए* 

जेहि पर कृपा करहि जनु जा‍नी। 
कवि उर अजिर नचावहि बानी।। 
मोरि सुधारिहि सो सब भाँति। 
जासु कृपा नहि कृपा अघाति।। 

           ।।🙏🙏।।

एक #बुढ़िया रेगिस्तान में झोपड़ी बनाकर रहती होती थी। बुढिया का एक बेटा भी होता है। वो सुबह सुबह हाट पर सामान बेचने के लिए चला जाता है और शाम को वापस आता है बुढ़िया सारा दिन झोपड़ी  में अकेली ही रहती है ।1 दिन रेगिस्तान में दो-तीन साधु वहां से गुजर रहे होते हैं तो उनको प्यास लगती है आसपास वह पानी की तलाश करते हैं लेकिन उनको पानी कहीं से नहीं मिलता तभी उनको एक झोपड़ी नजर आती है तो वह बाहर से ही झोपड़ी में आवाज लगाते हैं अंदर कोई है हमें प्यास लगी है। क्या पीने के लिए पानी मिलेगा ?वह दो-तीन बार आवाजे लगाते हैं तभी अंदर से बुढ़िया बाहर आती है और देखती है और पूछती है आप लोग कौन हैं तो वह कहते हैं कि हम महात्मा  लोग हैं हमें बहुत प्यास लगी है क्या पीने के लिए पानी मिलेगा बुढ़िया जो कि बहुत ही दयालु होती है वह कहती हां हां महात्मा जी आओ अंदर और कुछ खाना हो तो खा भी लो पानी भी पी लो। महात्मा लोग अंदर चले जा ते हैं तो बुढ़िया ने थोड़ी सी दाल भात बनाई होती है वह उन महात्मा लोगों को खिलाकर और पानी पिलाती है। महात्मा लोग बहुत प्रसन्न होते हैं वह बातों बातों में बुढ़िया से पूछते हैं माता जी क्या आप इस झोपड़ी में अकेले रहते हो तो वह बोलती है नहीं मेरा एक बेटा है वह सुबह हाट पर सामान बेचने जाता है और रात को वापस आता है और हम लोग खाना खा कर फिर सो जाते हैं। तो वह महात्मा लोग कहते हैं तो क्या सारा दिन तुम ऐसे ही बैठी रहती हो भगवान का नाम नहीं लेती ठाकुर जी का नाम नहीं लेती अपने मुरली मनोहर को नहीं मानती तो वह कहती वह कौन है तो वह कहते हैं वही जो संसार को चलाता है वही ठाकुर जी है वही किशोरी जी  जो सब जीवो की रक्षा करती हैं उसका नाम नहीं लेती तो वह कहती हैं मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता तो आप मुझे बताओ वह कहते हैं मुरली मनोहर जो है बहुत दयालु है अगर तुम उसको  जिस रूप में भजोगी  वो उसी रूप में तुम्हारे पास आएंगे ।तो वह कहती है मुझे तो उसके बारे मे  कुछ भी नहीं पता उसके बारे में उसकी छवि के बारे में कुछ नहीं  पता है। वह कैसा दिखता है ।महात्मा लोगों ने  कहा कि मुरली मनोहर को जैसे तुम अपने मन में उसकी छवि बना लोगी वैसे ही तुम्हारे सामने आएंगे तो बुढ़िया  यह सब बातें सुनकर बहुत खुश होती है।और कहती हैं  कि महात्मा जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने मुझे ठाकुर जी और किशोरी जी के बारे में बताया। अब महात्मा लोग वहां से चले जाते हैं ।अगले दिन बुढ़िया ठाकुर जी को याद करते करते बाहर बैठी होती है तभी वहां पर बहुत ज्यादा तूफान आना शुरू हो जाता है तो वह   देखती है कि वहां पर रेत का एक बवंडर सा बन जाता है और उस उस उस को महात्मा जी ने बताया था कि ठाकुर जी बहुत अच्छा नृत्य करते हैं तो उसको ऐसे लगता है कि वह बवंडर नहीं ठाकुर जी ही हैं बवंडर  में ही ठाकुर जी का दर्शन करती है और भागीं  भागी अंदर जाकर एक दूध का गिलास लेकर आती है और कहती है अरे ओ मुरली मनोहर तू तो बहुत अच्छा नृत्य करता है है यह ले  दूध पी ले।तभी  तूफान शांत हो जाता है और उसको लगता है ठाकुर जी चले गए हैं ऐसे ही दो-चार दिन  लगातार रेत का तूफान आता रहता है तो और वह देखती है कि बवंडर बनते हैं और उसको ठाकुर जी समझती है कि वो इधर-उधर घूम घूम कर नृत्य  कर रहे  हैं ।कई बार तो दो-तीन बवंडर बन जाते है तो वह कहती है अरे ओ कान्हा क्या अपने सखा को भी साथ लेकर आया है ऐसे ही बहुत सारी चीजों का अंदर से लाकर भोग  लगाती है । जब तूफान शांत हो जाता है तो उसको लगता है कि ठाकुर जी अपने घर चले गए हैं। 1 दिन ऐसा होता है कि रेगिस्तान में  बारिश के कारण रेत नीचे बैठ जाती है  तो बुढ़िया  समझती हैं कि ठाकुर जी आए नहीं है  बुढ़िया़ बहुत उदास होती है कि ना जाने मुझसे कौन सी भूल हो गई है जो आज मुरली मनोहर आए नहीं है दो-तीन दिन लगा तार ऐसे ही रेगिस्तान में बारिश होती रहती है और जो है  रेत गीली होने के कारण नीचे बैठी रहती है और अब उसका बवंडर नहीं बनता और बुढिया को लगता है कि कान्हा उसको मिलने नहीं आ रहे तो वह बहुत उदास रहने लग पड़ती है और कान्हा को याद करके रोती है कि मैं तो इतने दिन हो गए हैं इतना कुछ बना कर बैठी रहती हूं कान्हा  आता ही नहीं   उसको इतनी लो लग जाती है कि अब उसको देखे बिना उसको चैन नहीं आता चाहे उसको दूर से ही उसके दर्शन कर लेती है लेकिन अब दो-तीन दिन न आने से जो है बहुत बेचैन हो जाती है ।1 दिन बुढ़िया ने हलवा कचोरी बनाई  होती है वो कान्हा को याद करके कहती है अरे ओ मुरली मनोहर मुझसे क्या भूल हो गई जो तुम मुझे मिलना ही नहीं आया देख मैंने आज तेरे लिए हलवा कचोरी बनाया है अब आ भी जा खाने अभी वह इतना सोच ही रही होती है तभी बाहर से जोर जोर से दरवाजा पीटने की आवाज आती है और कोई बोलता है  अरे मैया दरवाजा खोलो। क्या आज हलवा कचोरी बनाई है हमें  खिलाएगी नहीं। तो बुढ़िया एक दम से हैरान हो जाती है अभी तो मैं सोच रही हूं ।और  दरवाजे पर कौन आ गया है तभी वह जाकर दरवाजा खोल कर देखती है कि बहुत ही सुंदर सा बालक  सिर पर मोर पंख लगाकर कमर पर मुरली को लटकाया हुआ है  और कह रहा है अरे ओ मैया हलवा  कचोरी नहीं खिलाएगी हमारे लिए तो बनाया है और उसके साथ दो-तीन सखा भी होते हैं तो वह कहती है कौन है तू वह कहता है क्या भूल गई मैं तो मुरली मनोहर हूं तूने तो  मेरे लिए तो हलवा कचोरी बनाई है क्या मुझे नहीं खिलाएगी उनको अंदर ले आती आती है और कहती है कान्हा  आज तू बड़ा सुंदर लग रहा है दूर से तू  इतना सुंदर नहीं लगता था पहले तो तू दूर से ही भोग लगा कर चला जाता था आज तु घर कैसे आ गया ।तो कान्हा कहता है मैया पहले तो तू मुझे दूर दूर से भोग लगा देती थी  पास आने के लिए नही कहती थी  तो मै दूर से ही भोग लगा कर चला जाता था आज तूने मुझे बुलाया    तो मैं दौड़ा चला आया ।
  तुम लोग प्यार से बुलाते नहीं  और बाद में मुझे दोष देते हो। 

'प्यार नाल कोई भी बुलान्दा नहीं फेर कैन्दे मुरली वाला आंदा नही '

बुढ़िया कहतीअच्छा ऐसाहोता है तो कान्हा कहते  हैं।
तो कान्हा कहते हैं तुम मुझे जिस रूप में भजोगे तो मैं तुमसे उस रूप में मिलुगा  तुम मुझे दूर से भोग  लगाती तो मैं दूर से   चला जाता था आज तूने मुझे प्यार से घर पर बुलाया तो मैं खाने चला आया ।इसलिए ठाकुर जी को जैसे हम प्यार से भजेगे वैसे ही हमारी मनोकामना पूरी करते हैं बुढ़िया के  बुलाने से ठाकुर जी दौड़े चले आए ऐसे अगर हम  प्यार से ठाकुर जी को अपने पास बुलाएंगे तो वह दौड़े चले आएंगे ।हमारे ठाकुर जी बहुत ही करुणा अवतार है ।
बोलो मुरली मनोहर की जय हो।
    ।।जय श्री बंशी वाले की।।
🌹जय श्री मुरली मनोहर की 🌹

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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* जय शिव शंकर🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
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vipul

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