*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈01, आश्विन,कृष्ण पक्ष, प्रतिपदा 2082 कालयुक्त, विक्रम सम्वत 08 सितम्बर 2025 सोमवार पितृपक्ष प्रारम्भ, प्रतिपदा श्राद्ध, आश्विन प्रारम्भ *उत्तर, इष्टि, पञ्चक, आडल योग, विडाल योग।*
*🎈 दिनांक -08 सितंबर 2025*
*🎈 दिन- सोमवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास -अश्विन*
*🎈 पक्ष - कृष्ण*
*🎈 पक्ष -श्राद्ध *
*🎈तिथि - प्रतिपदा 21:11:08pm रात्रि तत्पश्चात्
द्वितीया *
*🎈नक्षत्र - पूर्वभाद्रपदा 20:01:33pm रात्रि तक तत्पश्चात् उत्तरभाद्रपदा*
*🎈योग - धृति 06:28:59am तक तत्पश्चात् गण्ड*
*🎈 करण - बालव 10:26:54am तक तत्पश्चात् तैतुल*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- 07:51 am से 09:25 am तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - कुम्भ till 14:28:06*
*🎈चन्द्र राशि - मीन from 14:28:06*
*🎈सूर्य राशि - सिंह*
*🎈सूर्योदय - 06:18:04am*
*🎈सूर्यास्त - 06:47:32:pm* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से प्रातः 05:31 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:07 पी एम से 12:57 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:10 ए एम, सितम्बर 09 से 12:56 ए एम, सितम्बर 09*
*🎈अमृत काल 12:35 पी एम से 02:04 पी एम *
*🎈आज तीसरे पंचक है।
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-06:17 ए एम से 07:51 ए एम*
*🎈 काल - हानि-07:51 ए एम से 09:25 ए एम काल वेला*
*🎈 शुभ - उत्तम-09:25 ए एम से 10:59 ए एम*
*🎈 रोग - अमंगल-10:59 ए एम से 12:32 पी एम-
*🎈 उद्वेग - अशुभ-12:32 पी एम से 02:06 पी एम*
*🎈 चर - सामान्य-02:06 पी एम से 03:40 पी एम*
*🎈 लाभ - उन्नति-03:40 पी एम से 05:14 पी एम वार वेला*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-05:14 पी एम से 06:48 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈चर - सामान्य-06:48 पी एम से 08:14 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-08:14 पी एम से 09:40 पी एम*
*🎈काल - हानि-09:40 पी एम से 11:06 पी एम*
*🎈 लाभ - उन्नति-11:06 पी एम से 12:33 ए एम, सितम्बर 09 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-12:33 ए एम से 01:59 ए एम, सितम्बर 09*
*🎈शुभ - उत्तम-01:59 ए एम से 03:25 ए एम, सितम्बर 09*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-03:25 ए एम से 04:51 ए एम, सितम्बर 09*
*🎈चर - सामान्य-04:51 ए एम से 06:18 ए एम, सितम्बर 09*
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🚩*☀ #कर्म_भोग ☀*
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🔷 पूर्व जन्मों के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नि, प्रेमी-प्रेमिका, मित्र-शत्रु, सगे-सम्बन्धी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते हैं, सब मिलते हैं । क्योंकि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है या इनसे कुछ लेना होता है ।
♦ *सन्तान के रुप में कौन आता है ?*
🔷 वेसे ही सन्तान के रुप में हमारा कोई पूर्वजन्म का 'सम्बन्धी' ही आकर जन्म लेता है । जिसे शास्त्रों में चार प्रकार से बताया गया है --
🔷 *ऋणानुबन्ध :* पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट किया हो, वह आपके घर में सन्तान बनकर जन्म लेगा और आपका धन बीमारी में या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा, जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो जाये ।
🔷 *शत्रु पुत्र :* पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला लेने के लिये आपके घर में सन्तान बनकर आयेगा और बड़ा होने पर माता-पिता से मारपीट, झगड़ा या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा । हमेशा कड़वा बोलकर उनकी बेइज्जती करेगा व उन्हें दुःखी रखकर खुश होगा ।
🔷 *उदासीन पुत्र :* इस प्रकार की सन्तान ना तो माता-पिता की सेवा करती है और ना ही कोई सुख देती है । बस, उनको उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ देती है । विवाह होने पर यह माता-पिता से अलग हो जाते हैं ।
🔷 *सेवक पुत्र :* पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की खूब सेवा की है तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के लिए आपका पुत्र या पुत्री बनकर आता है और आपकी सेवा करता है । जो बोया है, वही तो काटोगे । अपने माँ-बाप की सेवा की है तो ही आपकी औलाद बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगी, वर्ना कोई पानी पिलाने वाला भी पास नहीं होगा ।
🔷 आप यह ना समझें कि यह सब बातें केवल मनुष्य पर ही लागू होती हैं । इन चार प्रकार में कोई सा भी जीव आ सकता है । जैसे आपने किसी गाय कि निःस्वार्थ भाव से सेवा की है तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है । यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पालकर उसको दूध देना बन्द करने के पश्चात घर से निकाल दिया तो वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी । यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा और आपसे बदला लेगा ।
🔷 इसलिये जीवन में कभी किसी का बुरा ना करें । क्योंकि प्रकृति का नियम है कि आप जो भी करोगे, उसे वह आपको इस जन्म में या अगले जन्म में सौ गुना वापिस करके देगी । यदि आपने किसी को एक रुपया दिया है तो समझो आपके खाते में सौ रुपये जमा हो गये हैं । यदि आपने किसी का एक रुपया छीना है तो समझो आपकी जमा राशि से सौ रुपये निकल गये ।
🔷 ज़रा सोचिये, "आप कौन सा धन साथ लेकर आये थे और कितना साथ लेकर जाओगे ? जो चले गये, वो कितना सोना-चाँदी साथ ले गये ? मरने पर जो सोना-चाँदी, धन-दौलत बैंक में पड़ा रह गया, समझो वो व्यर्थ ही कमाया । औलाद अगर अच्छी और लायक है तो उसके लिए कुछ भी छोड़कर जाने की जरुरत नहीं है, खुद ही खा-कमा लेगी और औलाद अगर बिगड़ी या नालायक है तो उसके लिए जितना मर्ज़ी धन छोड़कर जाओ, वह चंद दिनों में सब बरबाद करके ही चैन लेगी ।"
🔶 मैं, मेरा, तेरा और सारा धन यहीं का यहीं धरा रह जायेगा, कुछ भी साथ नहीं जायेगा । साथ यदि कुछ जायेगा भी तो सिर्फ *नेकियाँ* ही साथ जायेंगी । इसलिए जितना हो सके *नेकी* कर, *सतकर्म* कर ।
श्रीमद्भभगवतगीता।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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