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पंचांग - 17-09-2025.

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

JYOTISH



*🎈 आश्विन,कृष्ण पक्ष एकादशी श्राद्ध2082 कालयुक्त, विक्रम सम्वत 17 सितम्बर 2025 बुध वार  पितृपक्ष  चल रहा है।*

*🎈 दिनांक -17 सितंबर 2025*
*🎈 दिन-  बुधवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास -अश्विन*
*🎈 पक्ष - कृष्ण*
*🎈 पक्ष -श्राद्ध *
*🎈तिथि  -         एकादशी    11:38:51 रात्रि तत्पश्चात् द्वादशी* 
*🎈नक्षत्र -     पुनर्वसु    06:24:57 am रात्रि तक तत्पश्चात्         पुष्य*
*🎈योग -         परिघ    22:53:43 
am  तक तत्पश्चात्         शिव*
*🎈 करण    -        बव    11:56:42am तक    तत्पश्चात्  कौलव*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का to get अलग  है-  12:29 am से 02:01  am तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि    -   कर्क*
*🎈सूर्य राशि-       कन्या    *
*🎈सूर्योदय - 06:22:27am*
*🎈सूर्यास्त - 06:36:07:pm* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 04:47 ए एम से 05:34 ए एम तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:06 ए एम, सितम्बर 18 से 12:53 ए एम, सितम्बर 18*
*🎈अमृत सिद्धि योग    12:06 ए एम, सितम्बर 18 से 01:43 ए एम, सितम्बर 18*
 
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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
       सूर्योदय के अनुसार।

*🎈 लाभ - उन्नति-06:21 ए एम से 07:53 ए एम*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-07:53 ए एम से 09:25 ए एम*

*🎈काल - हानि-09:25 ए एम से 10:57 ए एम काल वेला*

*🎈शुभ - उत्तम-10:57 ए एम से 12:29 पी एम*

*🎈रोग - अमंगल-12:29 पी एम से 02:01 पी एम वार वेला*

*🎈उद्वेग - अशुभ-02:01 पी एम से 03:33 पी एम*

*🎈चर - सामान्य-03:33 पी एम से 05:05 पी एम*

*🎈लाभ - उन्नति-05:05 पी एम से 06:37 पी एम*

 *🛟चोघडिया, रात्🛟*

*🎈उद्वेग - अशुभ-06:37 पी एम से 08:05 पी एम*

*🎈शुभ - उत्तम-08:05 पी एम से 09:33 पी एम*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-09:33 पी एम से 11:01 पी एम*

*🎈चर - सामान्य-11:01 पी एम से 12:30 ए एम, सितम्बर 18*

*🎈रोग - अमंगल-12:30 ए एम से 01:58 ए एम, सितम्बर 18*

*🎈काल - हानि-01:58 ए एम से 03:26 ए एम, सितम्बर 18*

*🎈लाभ - उन्नति-03:26 ए एम से 04:54 ए एम, सितम्बर 18 काल रात्रि*

*🎈उद्वेग - अशुभ-04:54 ए एम से 06:22 ए एम, सितम्बर 18*
kundli



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    🚩*☀ #पितृ पक्ष☀*
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🔷 🌙 "नींद में आत्मा कहाँ जाती है?"…..............
 “स्वामी, मैं अक्सर सोचती हूँ कि जब हम सोते हैं, तो हमारे साथ वास्तव में क्या होता है? कभी सपने आते हैं, कभी गहरी नींद में सब शून्य हो जाता है। क्या नींद केवल शरीर का विश्राम है, या इसमें आत्मा की भी कोई यात्रा छिपी है? सच कहिए, नींद में आत्मा कहाँ जाती है?”

शिव मुस्कुराए, उनकी आँखों में गहन करुणा और रहस्य की चमक थी।

शिव: “देवि, यह प्रश्न साधारण नहीं है। जो व्यक्ति नींद का रहस्य समझ लेता है, वह जीवन और मृत्यु दोनों के रहस्यों को जानने लगता है। नींद कोई साधारण अनुभव नहीं, यह आत्मा की रोज़ की यात्रा है।

जब तुम नींद में जाती हो, तुम्हारी चेतना तीन अवस्थाओं से होकर गुजरती है – जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति।

1. जाग्रत अवस्था में आत्मा शरीर और इंद्रियों के साथ जुड़ी रहती है।
2. स्वप्न अवस्था में आत्मा सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर अपने ही अनुभवों की चित्रकला रचती है।
3. सुषुप्ति अवस्था — गहरी नींद में आत्मा शरीर और मन दोनों से अलग होकर विश्राम करती है। यही वह अवस्था है जहाँ आत्मा स्रोत से स्पर्श करती है।
तो, देवी, नींद छोटा-सा मृत्यु का अभ्यास है। जैसे मृत्यु में आत्मा स्थूल शरीर को छोड़ देती है, वैसे ही नींद में आत्मा रोज़ शरीर से थोड़ी दूरी बनाती है।”

  पार्वती
 “तो क्या इसका अर्थ है कि हर रात हम मरते हैं और हर सुबह पुनर्जन्म लेते हैं?”

शिव: “हाँ, देवी, तुम सही समझी। जब तुम सोती हो, आत्मा अपने कर्मों और अनुभवों से मुक्त होकर थोड़ी देर के लिए ब्रह्मांडीय चेतना से मिलती है। और जब सुबह जागती हो, तो पुनः अपनी अधूरी यात्रा पूरी करने लौट आती है।

सोचो, अगर नींद न हो तो मनुष्य पागल हो जाए। क्योंकि नींद आत्मा का स्नान है। हर रात आत्मा शुद्ध होकर लौटती है, तभी तुम नई ऊर्जा के साथ दिन की शुरुआत कर पाती हो।”

पार्वती: “लेकिन स्वामी, नींद में हमें सपने क्यों आते हैं? क्या वे केवल दिमाग की उलझनें हैं, या उनमें कोई संदेश भी छिपा होता है?”

शिव: “देवि, सपने आत्मा की भाषा हैं।
कभी सपने केवल दिनभर के विचारों का प्रतिबिंब होते हैं।
कभी वे अधूरे इच्छाओं और डर का रूप लेते हैं।
और कभी–कभी आत्मा भविष्य या किसी गहरे सत्य का संकेत देती है।

याद रखो, हर सपना व्यर्थ नहीं होता। लेकिन हर सपने को सच मान लेना भी मूर्खता है। साधक वही है जो सपनों को समझे और उनकी भाषा को पहचान सके।”

पार्वती: “स्वामी, गहरी नींद में जब कुछ भी याद नहीं रहता, तब आत्मा कहाँ होती है?”

शिव: “गहरी नींद, या सुषुप्ति, सबसे अद्भुत अवस्था है। उस समय आत्मा परम शांति का अनुभव करती है। तभी तो जब तुम गहरी नींद से जागती हो, कहती हो – ‘आज बहुत अच्छी नींद आई।’ उस सुख का कारण यह है कि आत्मा थोड़ी देर के लिए अपने असली घर, ब्रह्म से जुड़ जाती है।

यही कारण है कि ऋषियों ने कहा — सुषुप्ति छोटी समाधि है।

लेकिन फर्क यह है कि नींद अनजाने में आती है और समाधि सजग होकर। जाग्रत साधक जब ध्यान करता है, तो बिना सोए ही उस शांति का अनुभव कर सकता है।”

  पार्वती 
 “तो नींद तो वरदान है, पर लोग इसे केवल थकान मिटाने का साधन समझते हैं!”

शिव: “हाँ, यही अज्ञान है। नींद को केवल शारीरिक आराम मानना, आत्मा के रहस्य को न पहचानना है।
देवि, जो अपनी नींद को साध लेता है, वह मृत्यु से भी नहीं डरता। क्योंकि मृत्यु तो केवल लंबी नींद है। नींद हर रोज़ हमें मृत्यु का अभ्यास कराती है, ताकि जब अंतिम क्षण आए, आत्मा सहजता से यात्रा कर सके।”

  पार्वती 
 “स्वामी, क्या इसी कारण योग और ध्यान में ‘योगनिद्रा’ का महत्व बताया गया है?”

शिव: “सही कहा, देवी। योगनिद्रा कोई साधारण नींद नहीं। इसमें साधक शरीर को शिथिल करके, मन को शांत करके सजग अवस्था में नींद जैसी गहराई तक जाता है।

उसमें शरीर विश्राम करता है,

मन विचारों से खाली होता है,

और आत्मा भीतर की गहराई को छूती है।

यह नींद से भी गहरी और समाधि के निकट ले जाने वाली प्रक्रिया है। इसलिए ऋषि कहते हैं कि साधक को नींद पर भी विजय पाना चाहिए।”

पार्वती: “स्वामी, अगर नींद इतनी पवित्र है तो आधुनिक लोग बेचैन क्यों रहते हैं? क्यों उन्हें नींद नहीं आती?”

शिव: “क्योंकि उनका मन अशांत है।

दिनभर का लोभ, क्रोध और चिंता उन्हें सोने नहीं देती।

कृत्रिम रोशनी और स्क्रीन उनकी जैविक लय बिगाड़ देती हैं।

और सबसे बड़ा कारण यह है कि उन्होंने जीवन से मौन खो दिया है।

जो मौन खो देता है, वह नींद खो देता है। तभी आज लोग दवाइयों से नींद ढूँढ़ते हैं, जबकि आत्मा को केवल शांति चाहिए।

पार्वती: “तो समाधान क्या है, स्वामी? लोग अपनी नींद को कैसे पवित्र बना सकते हैं?”

शिव: “समाधान सरल है, पर धैर्य चाहता है:

1. दिनभर सत्य और संतुलन में जियो। झूठ और पाप से मन बोझिल होगा तो नींद भी अशांत होगी।

2. रात्रि में मौन को अपनाओ। सोने से पहले शांति, प्रार्थना या ध्यान आत्मा को गहराई में ले जाता है।

3. प्रकृति के साथ रहो। सूर्यास्त के बाद कृत्रिम चमक से बचो। अंधकार आत्मा को विश्राम देता है।

4. कृतज्ञता से सोओ। हर रात सोचो कि आज का दिन वरदान था। यह भाव आत्मा को हल्का कर देता है।

ऐसे व्यक्ति की नींद केवल शरीर को नहीं, आत्मा को भी ताज़ा कर देती है।”

  पार्वती 
 “स्वामी, अब मैं समझ गई। नींद कोई साधारण बात नहीं, यह आत्मा का उत्सव है। हर रात जब हम सोते हैं, आत्मा ब्रह्मांड की गोद में जाकर लौटती है। सचमुच, नींद मृत्यु का अभ्यास ही है।”

शिव ने पार्वती की ओर देखा। उनके नेत्रों में वही गहन शांति थी, जो नींद की गहराई में मिलती है।

 “देवि, जो नींद के रहस्य को समझ लेता है, वह जीवन और मृत्यु दोनों से परे चला जाता है। और जो जाग्रत रहते हुए नींद जैसी शांति पा ले, वही योगी है, वही मुक्त है।”

हर हर महादेव 🙏🙏

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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩

vipul

 

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