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पंचांग - 20-09-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

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*🎈 आश्विन,कृष्ण पक्ष त्रयोदशी(तेरस)श्राद्ध, व प्रदोष व्रत  विक्रम सम्वत 2082, 20 सितम्बर 2025 शनिवार  पितृपक्ष  चल रहा है।*
*🎈दिनांक -20 सितम्बर 2025*
*🎈 दिन - शनिवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - कृष्ण*
*🎈 तिथि - चतुर्दशी    24:16:05 रात्रि*तक तत्पश्चात् अमावस्या*
*🎈 नक्षत्र -     मघा    08:04:37 सुबह तक तत्पश्चात् पूर्व फाल्गुनी*
*🎈 योग - साध्य    20:05:31 रात्रि तक तत्पश्चात् शुभ*
*🎈करण    विष्टि भद्र    11:52:43 तक तत्पश्चात्।चतुष्पद*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 09:26 से दोपहर 10:57 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*  
*🎈 चन्द्र राशि    -सिंह*
*🎈सूर्य राशि-       कन्या    *
*🎈 सूर्योदय - 06:23:47*
*🎈 सूर्यास्त - 06:32:39 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से प्रातः 05:35 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त    -12:04 पी एम से 12:53 पी एम तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:05 ए एम, सितम्बर 21 से 12:52 ए एम, सितम्बर 21 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अमृत काल-    02:45 ए एम, सितम्बर 21 से 04:27 ए एम, सितम्बर 21*
*🎈 व्रत पर्व विवरण - चतुर्दशी का श्राद्ध*
*🎈 विशेष -  चतुर्दशी तिथि पर मूली, मांसाहार, मदिरा, तामसिक भोजन (जैसे प्याज, लहसुन, तीखा और मसालेदार भोजन) और सादा नमक नहीं खाना चाहिए।  (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*

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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
       सूर्योदय के अनुसार।

*🎈 काल - हानि-06:23 ए एम से 07:54 ए एम काल वेला*

*🎈शुभ - उत्तम

07:54 ए एम से 09:25 ए एम

*🎈रोग - अमंगल-09:25 ए एम से 10:57 ए एम*

*🎈उद्वेग - अशुभ-10:57 ए एम से 12:28 पी एम*

*🎈चर - सामान्य-12:28 पी एम से 02:00 पी एम*

*🎈लाभ - उन्नति-02:00 पी एम से 03:31 पी एम वार वेला*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-03:31 पी एम से 05:02 पी एम*

*🎈काल - हानि-05:02 पी एम से 06:34 पी एम काल वेला*

 *🛟चोघडिया, रात्🛟*

*🎈लाभ - उन्नति-06:34 पी एम से 08:03 पी एम काल रात्रि*

*🎈 उद्वेग - अशुभ-08:03 पी एम से 09:31 पी एम*

*🎈शुभ - उत्तम-09:31 पी एम से 11:00 पी एम*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-11:00 पी एम से 12:28 ए एम, सितम्बर 21*

*🎈चर - सामान्य-12:28 ए एम से 01:57 ए एम, सितम्बर 21*

*🎈रोग - अमंगल-01:57 ए एम से 03:26 ए एम, सितम्बर 21*

*🎈काल - हानि-03:26 ए एम से 04:54 ए एम, सितम्बर 21*

*🎈लाभ - उन्नति-04:54 ए एम से 06:23 ए एम, सितम्बर 21 काल रात्रि*

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kundli


    
🚩*☀#पितृ पक्ष महालया ☀*
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महालया अमावस्या न सिर्फ पितृ पक्ष का समापन मानी जाती है, बल्कि यही दिन शारदीय नवरात्रि और दुर्गा पूजा की शुरुआत का प्रतीक भी है. साल 2025 में महालया अमावस्या 21 सितंबर को पड़ेगी. इस अवसर पर पूर्वजों को तर्पण अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से विदा लेकर पृथ्वी पर आगमन करती हैं. आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष में महालया अमावस्या का क्या महत्व है, इस दिन कौन-कौन से उपाय करने चाहिए और इसका मां दुर्गा और पितरों से क्या कनेक्शन है. 

महालया अमावस्या 2025 के मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारंभ- 21 सितंबर 2025, सुबह 12:16

अमावस्या तिथि समाप्त-22 सितंबर 2025, सुबह 1:23

अन्य शुभ मुहूर्त

कुतुप मुहूर्त- सुबह 11:50 से दोपहर 12:38 तक

रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12:38 से 1:27 तक

अपराह्न काल- दोपहर 1:27 से 3:53 तक

महालया अमावस्या पर क्या करें उपाय

पितरों की श्रद्धा से पूजा करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं. शाम के समय दीपदान करने से पूर्वजों को अपने लोक में सहजता से लौटने में मदद मिलती है. यह भी मान्यता है कि इन उपायों से पितर प्रसन्न होकर परिवार पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं.

महालया पर माता दुर्गा का आगमन

धार्मिक परंपराओं के अनुसार महालया के दिन मां दुर्गा अपने परिवार सहित कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर प्रस्थान करती हैं. इसी कारण इस दिन को देवी आगमन का प्रतीक माना जाता है. इस अवसर पर पितरों का तर्पण करने की परंपरा भी है. साथ ही, अगले दिन से शुरू होने वाली नवरात्रि की तैयारियों के लिए देवी की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जाता है और विशेष रूप से उनकी आंखों का चित्रण किया जाता है.

महालया अमावस्या की कथा

महालया की कथा का संबंध महाभारत के पात्र दानवीर कर्ण से जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि स्वर्ग पहुंचने के बाद कर्ण को वहां सिर्फ सोना और रत्न भोजन के रूप में प्राप्त हुए. आश्चर्यचकित होकर उन्होंने कारण पूछा तो ज्ञात हुआ कि जीवन में उन्होंने दान तो बहुत किया, लेकिन कभी अपने पूर्वजों को अन्न या जल अर्पित नहीं किया.

इसके बाद कर्ण ने मृत्यु के देवता यमराज से पृथ्वी पर लौटने की अनुमति मांगी ताकि वे अपने पितरों को श्राद्ध और तर्पण कर सकें. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें 15 दिन का समय दिया. इन्हीं पंद्रह दिनों को आगे चलकर पितृ पक्ष के रूप में मान्यता मिली. इसी काल में पितरों की आत्मा की शांति के लिए अन्न, जल और प्रार्थना अर्पित की जाती है.♦️

.🕉🚩अपना जीवन सुधारें🇮🇳 20.09.2025 के लिए। 🙏
हमारे ऋषियों की सत्यता के लिए इस ब्लॉग को सुरक्षित रखें।
          👏🏽 राम राम 👏🏽

A. 20.09.2025 का मंत्र *ॐ भग-ये नमः ॐ भग-ये नमः, ॐ (108 बार जपें)।

B. तिल और दही से परहेज करें।

B1 घर से बाहर निकलते समय भुनी हुई मूंगफली खाएँ।

B2 चतुर्दशी श्राद्ध। और मासिक शिवरात्रि। आज रात से 11 रातें आपके आस-पास के वृद्धाश्रमों में दान और मंत्र साधना के लिए आदर्श हैं।

C1 पूर्वाफाहुनी नक्षत्र में किया गया श्राद्ध सौभाग्य प्रदान करता है।

C2 अब सूर्य कन्या राशि में गोचर कर रहा है। हमारे ऋषियों ने कन्या राशि को पृथ्वी, व्यवस्था, सूक्ष्मताओं, व्यावहारिक मामलों और कैसे रोज़मर्रा के छोटे-छोटे निर्णय मिलकर एक बड़ी तस्वीर बनाते हैं, को दर्शाने वाली राशि बताया है।

C3. और राष्ट्रपति ट्रम्प के ज़मीनी बयानों से सभी इसकी पुष्टि कर सकते हैं। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की व्यावहारिक ज़रूरतों का सम्मान करते हुए व्यापार समझौते की बारीकियों पर काम करने की अपनी मंशा ज़ाहिर की है। और हम जानते हैं कि अगली राशि तुला होगी, जिससे आपसी हितों का सही संतुलन बनेगा।

C4 विशेष मंत्रों का जाप करने से सर्पदंश से बचाव होता है, खासकर बरसात के मौसम में।

D. जिन लोगों का जन्मदिन 20 सितंबर को है, उन्हें घर पर प्लाश के फूल लाने चाहिए और अगली दो रातों में सिद्धि के लिए उनका उपयोग करना चाहिए। प्लाश देश के अधिकांश हिस्सों में पाया जाने वाला एक आम पेड़ है और इसके फूल कई रंगों में आते हैं, जैसे लाल, केसरिया, पीला, सफेद।

ई. संवत् 2082 आश्विन मास ॐ घृणि सूर्य आदित्य श्रीं का पाठ करें।

21 सितंबर 2025 के लिए एफ
मंत्र: ॐ भग-ये नमः (सुबह 9.30 बजे तक)।

सर्व-पितृ अमावस्या।
सूर्य ग्रहण (भारत में दिखाई नहीं देगा)।🔷 🌙 *🙏
♨️  ⚜️ 🕉🌞  🌞🕉 ⚜🚩
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
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vipul

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