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पंचांग - 23-09-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotish


*🎈 🔷आश्विन, शुक्ल पक्ष, शारदीय नवरात्रि विक्रम सम्वत 2082,  23 सितम्बर 2025  मंगलवार नवरात्र सप्ताह🌙 *🙏
*🎈दिनांक -23 सितम्बर 2025*
*🎈 दिन - मंगलवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- द्वितीया
03:51:04 रात्रि तक तत्पश्चात्   तृतीया*
*🎈 नक्षत्र -         हस्त    01:39:10 pm तक तत्पश्चात् चित्रा*
*🎈 योग -     ब्रह्म    20:21:58 सांय तक तत्पश्चात् इन्द्र*
*🎈करण    -बालव 03:50:33pm तक तत्पश्चात् तेतुल*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 03:28pm से दोपहर 04:59pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)* 
*🎈चन्द्र राशि-     कन्या    -    till 26:55:09 रात्रि*
*🎈चन्द्र राशि    -  तुला    from 26:55:09*
*🎈सूर्य राशि-       कन्या    *
*🎈 सूर्योदय - 06:25:07*
*🎈 सूर्यास्त - 06:29:12 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:49 से प्रातः 05:36 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त    -12:03 पी एम से 12:51 पी एम तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:04 ए एम, सितम्बर 24 से 12:51 ए एम, सितम्बर 24 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
 *🎈 द्विपुष्कर योग-    01:40 पी एम से 04:51 ए एम, सितम्बर 24*

*🎈 व्रत पर्व विवरण - द्वितीय नवरात्र का व्रत*
*🎈 विशेष -  नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी माँ दुर्गा का दूसरा रूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है. "ब्रह्मचारिणी" का अर्थ है तपस्या आचरण करने वाली देवी. मां के एक हाथ में रुद्राक्ष की माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है. इनकी पूजा से व्यक्ति में तप, त्याग, और संयम आता है. 
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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
       सूर्योदय के अनुसार।

*🎈 रोग - अमंगल-06:24 ए एम से 07:55 ए एम*

*🎈उद्वेग - अशुभ-07:55 ए एम से 09:26 ए एम वार वेला*

*🎈चर - सामान्य-09:26 ए एम से 10:56 ए एम*

*🎈लाभ - उन्नति-10:56 ए एम से 12:27 पी एम*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-12:27 पी एम से 01:58 पी एम*

*🎈काल - हानि-01:58 पी एम से 03:29 पी एम काल वेला*

*🎈शुभ - उत्तम-03:29 पी एम से 05:00 पी एम*

*🎈रोग - अमंगल-05:00 पी एम से 06:30 पी एम*

    *🛟चोघडिया, रात्🛟*

*🎈काल - हानि-06:30 पी एम से 08:00 पी एम*

*🎈लाभ - उन्नति-08:00 पी एम से 09:29 पी एम काल रात्रि*

*🎈उद्वेग - अशुभ-09:29 पी एम से 10:58 पी एम*

*🎈शुभ - उत्तम-10:58 पी एम से 12:27 ए एम, सितम्बर 24*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-12:27 ए एम से 01:57 ए एम, सितम्बर 24*

*🎈चर - सामान्य-01:57 ए एम से 03:26 ए एम, सितम्बर 24*

*🎈रोग - अमंगल-03:26 ए एम से 04:55 ए एम, सितम्बर 24*

*🎈काल - हानि-04:55 ए एम से 06:24 ए एम, सितम्बर 24*
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🚩 *☀#जय अम्बे ☀*
 *☀#शारदीय नवरात्र पर्व☀*
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*🌷 आश्विन नवरात्रि द्वितीया 🌷
     आश्विन नवरात्रि का दूसरा दिन 
 23  सितम्बर 2025 मंगलवार .
             द्वितीया तिथि, 
   मां ब्रह्मचारिणी पूजन दिवस 

🌷🌷ब्रह्मचारिणी देवी🌷🌷

 नवरात्र की द्वितीया तिथि को मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल है।

दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

ध्यान 
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥
परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

🌺 ब्रह्मचारिणी महामाला मन्त्र 🌺

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं ब्रह्मचारिण्यै तपस्विन्यै कमण्डलुधारिण्यै
अक्षमालाधारिण्यै शान्तस्वभावायै विद्यामय्यै योगिनीश्वरीyai
सत्यस्वरूपिण्यै ज्ञानप्रदायै नमो नमः।

सकलतपःफलप्रदायिन्यै वैराग्यदायिन्यै श्रद्धालक्ष्म्यै
धैर्यप्रदायिन्यै पापविनाशिन्यै क्लेशमोचन्यै
भक्तजनाभीष्टफलप्रदायिन्यै नमः।

त्रैलोक्यपूजितायै ब्रह्मविद्यायै योगमातायै जगन्मातर्यै
महाशक्त्यै महामायायै कल्याणरूपिण्यै
सर्वमङ्गलमङ्गल्यै शरणागतवत्सलायै नमोऽस्तु ते नमः नमः।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं ब्रह्मचारिण्यै परमेश्वर्यै तपोधनायै
सर्वाभीष्टफलप्रदायै सर्वसिद्धिप्रदायै नमो नमः॥

गायत्री मंत्र
१..ॐ ब्रह्मचारिण्यै विदमहे ज्ञानमालायै च धीमहि तन्नो देवी
       प्रचोदयात् ।

२..ॐ  ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै  ॐ ब्रह्मचारिणी दैव्यै 
       नमः।
३..ॐ श्रीं पूर्ण भाग्योदयं ब्रहमचारिण्यै श्रीं नमः।
४   ॐ  ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिण्यै नमः।
५...ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥ 
६..या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
       नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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🌷🌷ब्रह्मचारिणी देवी कवच स्तोत्र🌷🌷

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी॥ 

🌷🌷ब्रह्मचारिणी माता की कथा 🌷🌷

ब्रह्मचारिणी मां ज्ञान, विशेषज्ञता, अविवाहित मन की इच्छाशक्ति की प्रतीक हैं
प्रेम और निष्ठा का प्रतीक हैं। ब्रह्मचारिणी मां ज्ञान, विशेषज्ञता, अविवाहित मन की इच्छाशक्ति की प्रतीक हैं और उन्हें नव दुर्गाओं में सबसे शक्तिशाली कहा जाता है।

भगवान शिव को पति के रूप में पाने  के लिए मां ब्रह्मचारिणी  ने घोर तपस्या की थी। उन्होंने कठोर तपस्या की और जिसके कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया।

ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए अपनी तपस्या के दौरान उन्होंने फूलों और फलों के आहार और जमींन पर सोते हुए पर हज़ारों साल बिताए।
इसके अलावा, उन्होंने भीषण गर्मी, कठोर सर्दियों और तूफानी बारिश में खुले स्थान पर रहने के दौरान सख्त उपवास का पालन किया। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हज़ारों वर्षों तक बिल्वपत्र के आहार पर उन्होंने तपस्या की और भगवान शंकर को पाने की प्रार्थना की थी। बाद में उन्होंने बिल्वपत्र खाना भी बंद कर दिया और बिना अन्न-जल के अपनी तपस्या जारी रखी। जब उन्होंने बिल्व पत्र खाना छोड़ दिया तो उन्हें अपर्णा के नाम से जाना गया। 
भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए अपनी तपस्या के दौरान उन्होंने फूलों और फलों के आहार और जमींन पर सोते हुए पर हज़ारों साल बिताए।
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🍀मां ब्रह्मचारिणी को पसंद है ये भोग🍀🍀

मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें। चूंकि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं। इस भोग से देवी ब्रह्मचारिणी प्रसन्न हो जाएंगी। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।

🌷माँ ब्रह्मचारिणी स्तुति 🌷🌷🌷🌷

जै अम्बे ब्रह्मचारिणी माता । जै चतुराणन प्रिय सुख दाता ।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो ।
ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा । जिस को जपे सकल संसारा।
जै गायत्री वेद की माता । जो जन निस दिन तुम्हें ध्याता ।
चमन लालकमी कोई रहने न पाए।कोई भी दुःख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने । जो तेरी महिमा को जाने ।
रुद्राक्ष की माला लेकर। जपे जो मन्त्र श्रद्धा देकर।
आलस छोड़ करे गुणगाना ।मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम । पूर्ण करो सब मेरे काम ।
चमन’ तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी ।
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🌷स्तोत्र 
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

🌷कवचम् 
त्रिपुरा में हृदयम् पातु ललाटे पातु शङ्करभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पञ्चदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अङ्ग प्रत्यङ्ग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

🌷🌷 श्रीब्रह्मचारिणी स्तवन  हिन्दी अर्थ सहित 🌷🌷

१.
कपाळं जटिलां ध्यायेत्कमण्डलुधरां शुभाम् ।
जपमालां करस्थां च तपस्विनीं नमाम्यहम् ॥१॥
हिन्दी अर्थ: जटाधारी, कमण्डलु और जपमाला धारण करनेवाली तपस्विनी ब्रह्मचारिणी देवी का ध्यान करता हूँ।

२.
अखण्डानन्दमयीं देवीं ब्रह्मज्ञानप्रदायिनीम् ।
अनघां तपसा तुष्टां ब्रह्मचारिण्युपास्महे ॥२॥
हिन्दी अर्थ: अखण्ड आनन्दमयी, ब्रह्मज्ञान देनेवाली, तपस्या से प्रसन्न ब्रह्मचारिणी देवी की उपासना करता हूँ।

३.
दुर्गमं पापसम्भूतं दुःखसागरमुत्तमम् ।
तारयत्येषा भक्तानां ब्रह्मचारिण्यनामया ॥३॥
हिन्दी अर्थ: जो भक्तों को पाप और दुःख के सागर से पार कराती हैं, ब्रह्मचारिणी देवी।

४.
कृपया भक्तिकामेष्टां सौभाग्यं सुखमेव च ।
ददाति योगिनी नित्यं ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥४॥
हिन्दी अर्थ: भक्तों को भक्ति, सौभाग्य और सुख देनेवाली, कृपालु ब्रह्मचारिणी।

५.
स्तोत्रेणानेन ये नित्यं ब्रह्मचारिण्यनुस्मरन् ।
सर्वपापविनिर्मुक्ताः सर्वान् कामानवाप्नुयुः ॥५॥
हिन्दी अर्थ: जो इस स्तोत्र का नित्य पाठ करते हैं, सभी पापों से मुक्त होकर मनोवांछित फल पाते हैं।
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🌷🌷🌷 ब्रह्मचारिणी अष्टोत्तरशतनामावलि 🌷🌷🌷

(ब्रह्मचारिणी के १०८ नाम)

ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः
ॐ तपस्विन्यै नमः
ॐ अक्षमालाधारिण्यै नमः
ॐ कमण्डलुधारिण्यै नमः
ॐ शान्तस्वरूपिण्यै नमः
ॐ सत्यरूपिण्यै नमः
ॐ धर्मचर्यायै नमः
ॐ योगिनीश्वरीyai नमः
ॐ साध्वीश्वरीyai नमः
ॐ ब्रह्मविद्यायै नमः  (10)

ॐ ज्ञानप्रदायै नमः
ॐ श्रद्धारूपिण्यै नमः
ॐ धैर्यदायै नमः
ॐ शीलमय्यै नमः
ॐ संयमात्मिकायै नमः
ॐ तपोधनायै नमः
ॐ वैराग्यप्रदायै नमः
ॐ क्लेशहरायै नमः
ॐ भक्तवत्सलायै नमः
ॐ पापविनाशिन्यै नमः  (20)

ॐ दुर्गतिनाशिन्यै नमः
ॐ योगमातायै नमः
ॐ महाशक्त्यै नमः
ॐ महामायायै नमः
ॐ कल्याणरूपिण्यै नमः
ॐ सर्वमङ्गलायै नमः
ॐ सौम्यायै नमः
ॐ चन्द्रप्रभायै नमः
ॐ सुषमायै नमः
ॐ तपोधनायै नमः  (30)

ॐ ब्रह्मवर्चस्विन्यै नमः
ॐ योगिन्यै नमः
ॐ विद्याधारिण्यै नमः
ॐ शुद्धसत्त्वायै नमः
ॐ अनघायै नमः
ॐ मनोबुद्धिप्रदायै नमः
ॐ आद्यायै नमः
ॐ त्रैलोक्यपूजितायै नमः
ॐ तपःशक्त्यै नमः
ॐ तपोमय्यै नमः  (40)

ॐ शीलसम्पन्नायै नमः
ॐ सदाशिवप्रियायै नमः
ॐ त्रिनेत्रायै नमः
ॐ ज्ञानगम्यायै नमः
ॐ निर्विकारायै नमः
ॐ अक्षय्यायै नमः
ॐ निरामय्यै नमः
ॐ सौभाग्यदायै नमः
ॐ शरणागतवत्सलायै नमः
ॐ भव्यायै नमः  (50)

ॐ चिरंजीविन्यै नमः
ॐ ब्रह्मतेजस्विन्यै नमः
ॐ भक्ताभीष्टफलप्रदायै नमः
ॐ शान्तिदायिन्यै नमः
ॐ सिद्धिदायिन्यै नमः
ॐ योगप्रवर्तिन्यै नमः
ॐ ध्यानगम्यायै नमः
ॐ समाधिस्थायै नमः
ॐ तपश्चर्यायै नमः
ॐ सत्यप्रतिज्ञायै नमः  (60)

ॐ अनन्तशक्त्यै नमः
ॐ नित्यानन्दायै नमः
ॐ ब्रह्मलक्ष्म्यै नमः
ॐ निर्मलायै नमः
ॐ सत्यमय्यै नमः
ॐ ज्योतिरूपिण्यै नमः
ॐ ज्ञानमय्यै नमः
ॐ विज्ञानमय्यै नमः
ॐ ब्रह्मरूपिण्यै नमः
ॐ वेदविद्यायै नमः  (70)

ॐ तपोवत्यै नमः
ॐ तपोधारिण्यै नमः
ॐ नित्यमुक्तायै नमः
ॐ योगमय्यै नमः
ॐ परमानन्दायै नमः
ॐ सर्वज्ञायै नमः
ॐ जगन्मातर्यै नमः
ॐ सर्वेश्वर्यै नमः
ॐ अखण्डरूपिण्यै नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायै नमः  (80)

ॐ मोक्षदायिन्यै नमः
ॐ भवरोगहरायै नमः
ॐ सर्वदुःखनिवारिण्यै नमः
ॐ त्रैलोक्यरक्षिण्यै नमः
ॐ त्रैलोक्यधारिण्यै नमः
ॐ महेश्वर्यै नमः
ॐ सर्वकारणकारिण्यै नमः
ॐ अनादिनिदनायै नमः
ॐ अनन्तरूपिण्यै नमः
ॐ परब्रह्मस्वरूपिण्यै नमः  (90)

ॐ ब्रह्मसंस्थायै नमः
ॐ अखिलेश्वर्यै नमः
ॐ सच्चिदानन्दरूपिण्यै नमः
ॐ शरण्यायै नमः
ॐ भक्तिगम्यायै नमः
ॐ अनन्तगुणायै नमः
ॐ सर्वगुणायै नमः
ॐ अद्वितीयायै नमः
ॐ तपःस्वरूपिण्यै नमः
ॐ ध्यानरूपिण्यै नमः  (100)

ॐ ब्रह्मविद्यायै नमः
ॐ धर्मरूपिण्यै नमः
ॐ योगलक्ष्म्यै नमः
ॐ श्रद्धाशक्त्यै नमः
ॐ अखण्डतेजस्विन्यै नमः
ॐ साधनारूपिण्यै नमः
ॐ शुद्धात्मायै नमः
ॐ परमशक्त्यै नमः
ॐ अखिलसिद्धिदायिन्यै नमः
ॐ सर्वमङ्गलरूपिण्यै नमः  (108)
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🌹 ब्रह्मचारिणी देवी कीआरती 🌹
जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने ना पाए। उसकी विरति रहे ठिकाने॥
जो तेरी महिमा को जाने। रद्रक्षा की माला ले कर॥
जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर। आलस छोड़ करे गुणगाना॥
माँ तुम उसको सुख पहुँचाना। ब्रह्मचारिणी तेरो नाम॥
पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी॥
रखना लाज मेरी महतारी।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩
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