*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 🔷आश्विन, शुक्ल पक्ष, शारदीय नवरात्रि विक्रम सम्वत 2082, 27 सितम्बर 2025 श शनिवार नवरात्र सप्ताह🌙 *🙏
*🎈दिनांक -27 सितम्बर 2025*
*🎈 दिन - शनिवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- पंचमी 12:03:03 सुबह तक तत्पश्चात् षष्ठी*
*🎈 नक्षत्र - अनुराधा 25:07:11* am तक तत्पश्चात् ज्येष्ठा*
*🎈 योग - विश्कुम्भ -22:49:18 रात्रि तक तत्पश्चात् आयुष्मान*
*🎈करण -प्रीति 23:44:46 Pm तक तत्पश्चात् तैतुल*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 09:26pm से दोपहर 10:56pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि- वृश्चिक*
*🎈सूर्य राशि- कन्या *
*🎈 सूर्योदय - 06:26:56*
*🎈 सूर्यास्त - 06:24:37* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से प्रातः 05:38 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त- 12:02 पी एम से 12:50 पी एम (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:02 ए एम, सितम्बर 28 से 12:50 ए एम, सितम्बर 28तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈रवि योग-06:26 ए एम से 07:15 ए एम*
*🎈 व्रत पर्व विवरण - पंचम
नवरात्र का व्रत*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 काल - हानि-06:26 ए एम से 07:56 ए एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-07:56 ए एम से 09:26 ए एम*
*🎈रोग - अमंगल-09:26 ए एम से 10:56 ए एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-10:56 ए एम से 12:26 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-12:26 पी एम से 01:56 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-01:56 पी एम से 03:26 पी एम वार वेला*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-03:26 पी एम से 04:56 पी एम*
*🎈काल - हानि-04:56 पी एम से 06:26 पी एम काल वेला*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈लाभ - उन्नति-06:26 पी एम से 07:56 पी एम काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-07:56 पी एम से 09:26 पी एम*
*🎈शुभ - उत्तम-09:26 पी एम से 10:56 पी एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-10:56 पी एम से 12:26 ए एम, सितम्बर 28*
*🎈चर - सामान्य-12:26 ए एम से 01:56 ए एम, सितम्बर 28*
*🎈रोग - अमंगल-01:56 ए एम से 03:26 ए एम, सितम्बर 28*
*🎈काल - हानि-03:26 ए एम से 04:56 ए एम, सितम्बर 28*
*🎈लाभ - उन्नति-04:56 ए एम से 06:26 ए एम, सितम्बर 28 काल रात्रि*
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🚩 *☀#जय अम्बे ☀*
*☀#शारदीय नवरात्र पर्व☀*
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🌷🌷 आश्विन नवरात्रि पंचम दिवस 🌷🌷
27 सितम्बर शनिवार 2025
🌷🍀🌷स्कन्दमाता पूजा 🌷
नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। ।
🌷🍀🌷देवी स्कंदमाता ध्यान
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्॥
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥
👉भावार्थ (संपूर्ण):
पाँचवीं दुर्गा स्वरूपा माता स्कन्दमाता अपने भक्तों की सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं। उनके मस्तक पर अर्धचन्द्र की शोभा है और वे सिंह पर आरूढ़ रहती हैं। चार भुजाओं वाली यह देवी श्वेत वर्ण की हैं और विशुद्धि चक्र में विराजमान मानी जाती हैं। उनके एक हाथ में अभयमुद्रा है, दूसरे में कमल पुष्प है और शेष दो भुजाओं में भी पद्म सुशोभित हैं। अपने पुत्र कुमार स्कन्द को गोद में धारण कर मातृत्व की अद्भुत छटा बिखेरती हैं।
पीताम्बर धारण किए वे मधुर मुस्कान से आलोकित रहती हैं और नाना प्रकार के रत्नाभूषणों से विभूषित हैं—पायल, हार, बाजूबंद, कङ्कण और रत्नकुण्डल उनके सौंदर्य को और भी मनोहर बनाते हैं। उनका मुखमंडल खिले हुए कमल सा है, अधर पल्लव समान कोमल हैं, कपोल मनमोहक हैं और वक्षस्थल मातृस्नेह व करुणा से परिपूर्ण है।
इस प्रकार स्कन्दमाता का स्मरण करने से भक्त को सुख, शांति, विजय और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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🌷देवी स्कंदमाता कवच🌷
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयम् पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री ह्रीं हुं ऐं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वाङ्ग में सदा पातु स्कन्दमाता पुत्रप्रदा॥
वाणवाणामृते हुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्ने च वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणी भैरवी चैवासिताङ्गी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥
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🌷स्कन्दमाता के मंत्र 🌷
देवी स्कंदमाता प्रार्थना
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो।।
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
स्कंद गायत्री
ॐ कुमाराय च विदमहे स्कन्दमातायै च धीमहि तन्नो स्कन्दमाता प्रचोदयात्
मंत्र
1.ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ॐ स्कन्दमातायै नमः
2.ॐ ऐं ह्रीं स्कन्दमात्रे ह्रीं ऐं नमः।
3 ॐ ऐं ह्रीं पुत्रान् देही देही ह्रीं ऐं फट्
४..सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
५.ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
६..ॐ स्कन्दमात्रै नम:।।'
७..या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
८..🍁🍁 स्कन्दमाता का महामाला मंत्र 🍁🍁
ॐ स्कन्दमातायै सिंहवाहिन्यै पद्महस्तायै कमलनयायै
कुमारजनन्यै बालस्कन्दसंवल्लभायै जगन्मातर्यै त्रैलोक्यपालिन्यै
विश्वजनन्यै जगद्धात्र्यै जगत्पूजितायै भक्तवत्सलायै अनन्तशक्त्यै।
पद्मासना पद्मगर्भायै पद्मप्रभायै पद्मालङ्कृतायै
सर्वसंपत्प्रदायिन्यै सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै आरोग्यदायिन्यै ऐश्वर्यप्रदायिन्यै
सर्वदुःखनिवारिण्यै सुखसंपत्प्रदायिन्यै भक्ताभीष्टफलप्रदायै।
त्रिनेत्रायै चतुर्भुजायै शंखधरायै चक्रधरायै
गदाधरायै कमलधरायै वरदाभयहस्तायै जगन्मङ्गलायै
सर्वज्ञानप्रदायिन्यै सर्वविजयप्रदायिन्यै धनधान्यप्रदायिन्यै
पुत्रप्रदायिन्यै मोक्षप्रदायिन्यै चतुर्वर्गफलप्रदायै।
ब्रह्मविद्यायै पराशक्त्यै महाशक्त्यै योगमायायै महामायायै
भवान्यै दुर्गायै चण्डिकायै महालक्ष्म्यै महासरस्वत्यै महाकाल्यै
त्रैलोक्यधात्र्यै त्रैलोक्यपालिन्यै त्रैलोक्यपूजितायै
सौम्यरूपिण्यै उग्ररूपिण्यै महातेजस्विन्यै।
सर्वरक्षाकर्यै सर्वकामफलप्रदायिन्यै जयदायिन्यै विजयप्रदायिन्यै
सर्वपापहरायै सर्वशोकनिवारिण्यै भयापहायै रोगनिवारिण्यै
करुणामय्यै दयारूपिण्यै भक्तवत्सलायै अनन्तायै अक्षय्यायै
अनाद्यायै अद्भुतायै सिद्धिदायै वरप्रदायै।
कुमारपालिन्यै कुमारधात्र्यै कुमारेश्वर्यै स्कन्दपालिन्यै
कुमारसम्बलायै कुमारेश्वरपूजितायै स्कन्दसहितायै कुमारवल्लभायै
स्कन्देश्वर्यै कुमारेश्वर्यै विश्वनायिकायै परमानन्दस्वरूपिण्यै
स्कन्दमातायै नमो नमः॥
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🌷माँ स्कंदमाता का पंचश्लोकी (१)🌷
-श्लोक 1
सिंहासनगता नित्यं पद्मश्रियसमन्विता।
षडानन वत्सला देवी स्कन्दमाता नमोऽस्तु ते॥
अर्थ:
जो देवी सदा सिंहासन पर विराजती हैं, जिनके हाथों में कमल शोभित है, षडानन वत्सला हैं, उन स्कंदमाता को मेरा नमस्कार है।
श्लोक 2
पुत्रं स्कन्दं समालिङ्ग्य देवी दिव्यैः सुशोभिता।
सिंहारूढा जगन्माता भक्तानां वरदा सदा॥
अर्थ:
माँ स्कंदमाता अपने बालक कुमार स्कंद को गोद में लेकर शोभायमान हैं। वे सिंह पर आरूढ़ होकर सदा भक्तों को वरदान देने वाली जगन्माता हैं।
श्लोक 3
पद्महस्ता पद्मनयना पद्मगर्भा सदा शुभा।
भक्तकामप्रदा नित्यं स्कन्दमाता नमोऽस्तु ते॥
अर्थ:
कमल को हाथों में धारण करने वाली, कमलनयनी, कमल में उत्पन्न और सदा मंगल देने वाली माँ स्कंदमाता भक्तों की सभी कामनाओं को पूर्ण करती हैं।
श्लोक 4
सुखसंपत्प्रदा देवी दु:खनाशविधायिनी।
सर्वाराध्या जगद्धात्री स्कन्दमाता नमोऽस्तु ते॥
अर्थ:
माँ स्कंदमाता सुख और संपत्ति की दात्री हैं, वे दुखों का नाश करने वाली हैं। समस्त लोक जिनकी आराधना करते हैं, वे ही जगत की धात्री हैं।
-श्लोक 5
या देवी सर्वभूतेषु स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ:
जो देवी सब प्राणियों में स्कंदमाता रूप से स्थित हैं, उन्हें बार-बार नमस्कार है।
🌷श्रीस्कंदमाता स्तोत्रम् (२)🌷
१.
सिंहवाहिनीं काञ्चनीं चन्द्रकान्तारवसन्निभाम् ।
स्कंदं धारयन्तीं तां मातरं नमाम्यहम् ॥१॥
हिन्दी अर्थ:
सिंह पर आरूढ़, सुनहरी, चन्द्रकान्ति जैसी, पुत्र स्कन्द की पालन करने वाली माता स्कंदमाता को मैं प्रणाम करता हूँ।
२.
त्रिभुवनजननीं देवीं भक्तानुग्रहकारिणीम् ।
सर्वसिद्धिदां देविं स्कंदमातरं नमाम्यहम् ॥२॥
हिन्दी अर्थ:
त्रिभुवन की जननी, भक्तों पर कृपा करने वाली, सभी सिद्धियाँ देने वाली स्कंदमाता को नमस्कार।
३.
दुर्गं दुःखनाशनीं तां तारयतीं महाबलाम् ।
सर्वशत्रुविनाशाय स्कंदमातरं नमाम्यहम् ॥३॥
हिन्दी अर्थ:
कठिन दुःखों को नष्ट करने वाली, महाबलशाली, शत्रुहन्त्री स्कंदमाता।
४.
कमण्डलुधरां देविं जपमालां सहस्त्रशृङ्गिनीम् ।
सिंहनादप्रभाभीता स्कंदमातरं नमाम्यहम् ॥४॥
हिन्दी अर्थ:
कमण्डलु और जपमाला धारण करने वाली, सिंहनाद से दुष्ट भयभीत करने वाली स्कंदमाता।
५.
स्तोत्रेणानेन ये भक्त्या स्कंदमातरं स्मरन् ।
सर्वसिद्धिफलं प्राप्नुवन्ति दुःखविनिर्मुक्ताः ॥५॥
हिन्दी अर्थ:
जो भक्तिभाव से इस स्तोत्र का पाठ करता है और स्कंदमाता का स्मरण करता है, सभी सिद्धियाँ पाता है और दुःखों से मुक्त होता है।
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🌷देवी स्कंद माता स्तुति 🌷
माता जै तेरी हो असकन्ध माता।पांचवां नाम तुम्हारा आता ।
सब के मन की जानन हारी।जग जननी सब की महतारी।
तेरी जोत जलाता रहूं मैं । हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं ।
कई नामों से तुझे पुकारा । मुझे एक है तेरा सहारा ।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा । कई शहरों में तेरा बसेरा ।
हर मन्दिर में तेरे नजारे ।गुण गाए तेरे भक्त प्यारे ।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इन्द्र आदि देवता मिल सारे । करें पुकार तुम्हारे द्वारे ।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आये। तू ही खण्डा हाथ उठाये।
दासों को सदा बचाने आई। ‘चमन’ की आस पुजाने आई।
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🌷🍀🌷देवी स्कंदमाता स्तोत्र🌷🍀🌷
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रदीप्ति भास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चितां सनत्कुमार संस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलाद्भुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तितां विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालङ्कार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेदमार भूषणाम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्र वैरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनीं सुवर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोऽन्धकारयामिनीं शिवस्वभावकामिनीम्।
सहस्रसूर्यराजिकां धनज्जयोग्रकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभृडवृन्दमज्जुलाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरम् सतीम्॥
स्वकर्मकारणे गतिं हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनः पुनर्जगद्धितां नमाम्यहम् सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम्॥
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🍏🍁🍏स्कंद माता की पूजा विधि 🍏🍁🍏🍏
सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें।
उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
🌷🍀स्कंदमाता का भोग प्रसाद 🍀🌷🍀
पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी"
नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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