*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈दिनांक - 7 दिसंबर2025
*🎈 दिन - रविवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - पौष मास*
*🎈 पक्ष - कृष्णा पक्ष*
*🎈तिथि- तृतीया 18:24:18*pm amतत्पश्चात् चतुर्थी*
*🎈 नक्षत्र - पुनर्वसु 28:10:46
amतत्पश्चात् पुष्य*
*🎈 योग - शुक्ल 20:06:19*pm तक तत्पश्चात् ब्रह्म*
*🎈करण - वणिज 07:50:26pm तत्पश्चात् विष्टि भद्र18:24:18
करण बव 29:07:59*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 04:22pm to 05:40pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - मिथुन till 22:37:339*
चन्द्र राशि कर्क from 22:37:33
*🎈सूर्य राशि- वृश्चिक*
*🎈सूर्योदय - :07:13:10am*
*🎈सूर्यास्त -17:39:59pm*
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 05:23 ए एम से 06:17:00( ए एम प्रातः तक *(नागौर
राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- 12:05 पी एम से 12:47 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:59 पी एम से 12:54 ए एम, दिसम्बर 07*
*🎈 द्विपुष्कर योग - 07:11 ए एम से 08:48 ए एम*
*🎈 व्रत एवं पर्व- द्वितीया व्रत*
*🎈विशेष - पौष मास महात्म्य *
🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴
*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🛟उद्वेग - अशुभ-07:12 ए एम से 08:31 ए एम
*🛟चर - सामान्य-08:31 ए एम से 09:49 ए एम*
*🛟लाभ - उन्नति-09:49 ए एम से 11:08 ए एम*
*🛟अमृत - सर्वोत्तम-11:08 ए एम से 12:27 पी एम वार वेला*
*🛟काल - हानि-12:27 पी एम से 01:45 पी एम काल वेला*
*🛟शुभ - उत्तम-01:45 पी एम से 03:04 पी एम*
*🛟रोग - अमंगल-03:04 पी एम से 04:23 पी एम*
*🛟उद्वेग - अशुभ-04:23 पी एम से 05:41 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🛟शुभ - उत्तम-05:41 पी एम से 07:23 पी एम*
*🛟अमृत - सर्वोत्तम-07:23 पी एम से 09:04 पी एम*
*🛟 चर - सामान्य-09:04 पी एम से 10:46 पी एम*
*🛟रोग - अमंगल-10:46 पी एम से 12:27 ए एम, दिसम्बर 08*
*🛟काल - हानि-12:27 ए एम से 02:08 ए एम, दिसम्बर 08*
*🛟लाभ - उन्नति-02:08 ए एम से 03:50 ए एम, दिसम्बर 08 काल रात्रि*
*🛟उद्वेग - अशुभ-03:50 ए एम से 05:31 ए एम, दिसम्बर 08*
*🛟शुभ - उत्तम-05:31 ए एम से 07:13 ए एम, दिसम्बर 08*
🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
🌷 ..# 💐🍁🍁✍️ | #🌕 👉
❤️💐 🌼🪔🌷❤️💐 🌼🪔
👉 🍁 👉♦️ ⭐
💐 * #. नारद जी ने भक्ति के 84 सूत्र बताएं है ........ ⭐👇🏼.......❗️
*🛟 जब दूसरा सत्ययुग चल रहा था, उस सतयुग में सारस्वत नामक एक ब्राह्मण हुए, उन्हें सारे वेद वेदाङ्ग पुराण कंठस्थ थे । उत्तम बुद्धि तो ब्राह्मण के पास थी ही, साथ ही उनके पास अचूक सम्पति और सेवा करने वाले अनेको सेवको की भरमार थी ।।
एक दिन देवयोग से ब्राह्मण एकांत में बैठकर सोचने लगा, यह धन, यह लाभ हानि, यह तो संसार का चक्र है, यह तो ऐसे ही चलता रहेगा । इन सब नाशवान भोगों को लेकर मैं क्या करूँ ??
🍁ब्राह्मण ने सोचा की क्यो न् अपना सबकुछ पुत्र को सौंपकर सरस्वती नदी के किनारे जप करूँ । जब उन्होंने इस कार्य के लिए भगवान की आज्ञा लेनी चाही तो, अंतरात्मा ने कहा :- पहले पितरो
देवताओं, तथा मनुष्यो को संतुष्ठ करो । तब श्राद्ध आदि के द्वारा उस ब्राह्मण ने पितरो को प्रसन्न किया । यज्ञ के द्वारा उन्होंने देवताओं को प्रसन्न किया ।। और अतिथियों का सत्कार करके, दान आदि करके , मनुष्य के साथ मनुष्य सा व्यवहार करके, मनुष्य ऋण उतारा ।
🍁उसके पश्चात समय आने पर, वह ब्राह्मण पुष्कर तीर्थ चले गए, वहां जाकर उन्होंने नारायणमन्त्र का जाप करना एवं ब्रह्मपार नामक स्रोत जपना शुरू कर दिया ।।
🔥नारायणदेव प्रगट हो गए .... बोले "वर मांगो"
🔥ब्राह्मण ने कहा ;- मैं आपमे लीन हो जाऊं
🔥नारायणदेव मुस्कुराते हुए कहने लगे, अभी तो यह शरीर धारण किये रहो ....लेकिन जो तुमने अपने पितरो को जल ( नार) दिया है, इससे तुम्हारा नाम नारद हो जाएगा ।
और जब ब्राह्मण के शरीर का अंत हो गया, तब वह ब्रह्मलोक पहुंच गए , और ब्रह्मा ने अपने 10 पुत्रों में नारदजी को भी अपना पुत्र माना, और उसी दिन समस्त देवताओं की सृष्टि हुई ....
🔥अपने स्वाध्याय के विषय मे नारदजी कहते है ...
मैं ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद- चारों वेदों को जानता हूँ ।
🛟इनके अतिरिक्त इतिहास पुराण ( ब्राह्मण तथा कल्पादि ) वेदों का वेद - व्याकरण तथा निरुक्त , पित्र्य- वायुविज्ञान , राशि- गणितविद्या , दैव - प्रकृतिविज्ञान , निधि - भूगर्भविद्या , वाकोवाक्य तर्कशास्त्र , एकायन ब्रह्मविज्ञान , इन्द्रिय - विज्ञान , भक्ति शास्त्र , पञ्चभूतज्ञान , धनुर्वेद , ज्योतिष शास्त्र , सर्पविज्ञान , देवजन - विज्ञान- सर्पों को वश में करनेवाली गन्धर्व विद्या को मैं जानता हूँ । इतना मैंने अध्ययन किया है । यह है महर्षि नारद का अद्भुत स्वाध्याय ।।
🛟नरस्येद नारं ज्ञानम्--
✨नरसम्बन्धी ज्ञान अथवा नर-नारायण-
से उपलब्ध ज्ञान को 'नार' कहते हैं, नारं ददातीति नारदः- उस ज्ञान का जो दाता है उसका नाम है नारद ।
✨नरस्येन नारं नरसम्बन्ध्यज्ञानं, तद् द्यति खण्डयति इति नारदः--
मनुष्य के हृदय में जो अज्ञान है उसे 'नार' कहते हैं, उस अज्ञान को जो मिटा दे, उसका नाश कर दे, उसे नारद कहेंगे ।
🛟नारद जी ने भक्ति के 84 सूत्र बताएं है .... 👏
💥“ज्ञान ही सच्ची संपत्ति है।
बाकी सब क्षणभंगुर है।”💥
🌼 ।। जय श्री कृष्ण ।।🌼
💥।। शुभम् भवतु।।💥
♨️ ⚜️ 🕉🌞 🌞🕉 ⚜🚩
🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ 🇪🇬🔱








