*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 दिनांक - 14 अगस्त 2025*
*🎈 दिन -गुरुवार *
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - वर्षा*
*🎈 मास - भाद्रपद*
*🎈 पक्ष - कृष्ण*
*🎈तिथि - षष्ठी 26:06:35रात्रि तत्पश्चात् सप्तमी*
*🎈नक्षत्र - रेवती 09:04:54 रात्रि तत्पश्चात् अश्विनी*
*🎈नक्षत्र -भरणी 30:04:53 तक*
*🎈योग - शूल 13:10:57* तक तत्पश्चात् गण्ड*🎈*
*🎈 करण - गर 15:15:07* तत्पश्चात् विष्टि भद्र*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- दोपहर 02:18 से सांय 03:56 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - मीन till 09:04:54*
*🎈चन्द्र राशि - मेष from 09:04:54 *
*🎈 सूर्य राशि - कर्क*
*🎈सूर्योदय - 06:06:55am*
*🎈सूर्यास्त - 07:12:07pm* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:38 से प्रातः 05:22 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:18 ए एम, अगस्त 14 से 01:02 ए एम, अगस्त 14*
*🎈विशेष - ऊब छठ का व्रत है।
भाद्र पद महीने की कृष्ण पक्ष की छठ ( षष्टी तिथि ) ऊब छठ होती है। ऊब छठ के दिन चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही व्रत खोला जाता है। सूर्यास्त के बाद से लेकर चंद्रमा उदय होने तक खड़े रहते है। इसीलिए इसको ऊब छठ कहते हैं।
ऊब छठ कल, सूर्यास्त के बाद सुहागिनें चंदन मिले जल का सेवन कर व्रत का संकल्प लेंगी
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की छठ (षष्ठी तिथि) ऊब छठ होती है। ऊब छठ को चानण छठ और चंद्र छठ के नाम से भी जाना जाता है। कई राज्यों में इस दिन को हलषष्टी के रूप में भी मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की छठ (षष्ठी तिथि) ऊब छठ होती है। ऊब छठ को चानन छठ और चंद्र छठ के नाम से भी जाना जाता है। कई राज्यों में इस दिन को हलषष्टी के रूप में भी मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम का जन्म हुआ था। उनका शस्त्र हल था, इसलिए हलषष्टी भी कहा जाता है। कई जगह इस दिन को चंदन षष्ठी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार षष्ठीथा, इसलिए हलषष्टी भी कहा जाता है। कई जगह इस दिन को चंदन षष्ठी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार षष्ठी तिथि 14 अगस्त को है और इसी दिन ऊब छठ पर्व होगा।
भगवान कृष्ण के बड़े भ्राता बलराम का जन्म दिवस (चंद्र षष्ठी पर्व) 14 अगस्त को ऊब छठ के रूप में मनाया जाएगा। सुहागिनें घर-परिवार की सुख समृद्धि और सौभाग्य की कामना के लिए सूर्यास्त बाद चंदनयुक्त जल सेवन कर व्रत का संकल्प लेंगी। संकल्प के बाद निरंतर चंद्रोदय तक खड़े रहकर उपासना एवं पौराणिक कथाओं का श्रवण करेंगी। ऊब छठ का व्रत और पूजा महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए तथा कुंआरी लड़कियां अच्छे पति की कामना के लिए करती हैं। भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की छठ ( षष्टी तिथि ) ऊब छठ होती है। ऊब छठ के दिन चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही व्रत खोला जाता है।
*छठ पूजा के दौरान, कुछ खास चीजें नहीं खानी चाहिए। इनमें मांसाहारी भोजन, मसालेदार और तले-भुने खाद्य पदार्थ, प्याज, लहसुन, और प्रोसेस्ड फ़ूड शामिल हैं। इसके अलावा, व्रत के दौरान नमकीन चीजें और दही-दूध का सेवन भी नहीं करना चाहिए।*
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
शुभ+06:07 -07:45शुभ*
रोग-07:45- 09:23अशुभ*
उद्वेग-09:23-11:01अशुभ*
चर*11:01-12:40शुभ*
लाभ-12:40-14:18शुभ*
अमृत-14:18-15:56 शुभ*
काल+15:56-17:34अशुभ*
शुभ-17:34-19:12शुभ*
*🛟चोघडिया, रात्रि🛟*
अमृत-19:12- 20:34शुभ*
चर-20:34- 21:56शुभ*
रोग-21:56 -23:18अशुभ*
काल-23:18- 24:40*अशुभ*
लाभ-24:40* -26:02*शुभ
उद्वे-26:02* --27:24*अशुभ*
शुभ-27:24* --28:46*शुभ*
अमृत-28:46* -30:07*शुभ
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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
🔥# 🌹🍁 #क्यों काटा था काल भैरव ने ब्रह्मा जी का पांचवा शीश
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शिव की क्रोधाग्नि का विग्रह रूप कहे जाने वाले कालभैरव का अवतरण मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ। इनकी पूजा से घर में नकारत्मक ऊर्जा, जादू-टोने, भूत-प्रेत आदि का भय नहीं रहता। काल भैरव के प्राकट्य की निम्न कथा स्कंदपुराण के काशी- खंड के 31वें अध्याय में है।
कथा काल भैरव की कथा के अनुसार एक बार देवताओं ने ब्रह्मा और विष्णु जी से बारी-बारी से पूछा कि जगत में सबसे श्रेष्ठ कौन है तो स्वाभाविक ही उन्होंने अपने को श्रेष्ठ बताया। देवताओं ने वेदशास्त्रों से पूछा तो उत्तर आया कि जिनके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है, अनादि अंनत और अविनाशी तो भगवान रूद्र ही हैं।
वेद शास्त्रों से शिव के बारे में यह सब सुनकर ब्रह्मा ने अपने पांचवें मुख से शिव के बारे में भला-बुरा कहा। इससे वेद दुखी हुए। इसी समय एक दिव्यज्योति के रूप में भगवान रूद्र प्रकट हुए। ब्रह्मा ने कहा कि हे रूद्र, तुम मेरे ही सिर से पैदा हुए हो।
अधिक रुदन करने के कारण मैंने ही तुम्हारा नाम 'रूद्र' रखा है अतः तुम मेरी सेवा में आ जाओ, ब्रह्मा के इस आचरण पर शिव को भयानक क्रोध आया और उन्होंने भैरव को उत्पन्न करके कहा कि तुम ब्रह्मा पर शासन करो।
उन दिव्य शक्ति संपन्न भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाख़ून से शिव के प्रति अपमान जनक शब्द कहने वाले ब्रह्मा के पांचवे सर को ही काट दिया। शिव के कहने पर भैरव काशी प्रस्थान किये जहां ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली। रूद्र ने इन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त किया।
आज भी ये काशी के कोतवाल के रूप में पूजे जाते हैं। इनका दर्शन किये वगैर विश्वनाथ का दर्शन अधूरा रहता है।
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❗जय महादेव❗
⭕प्रश्न नहीं स्वाध्याय करें‼️
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* जय शिव शंकर🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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