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पंचांग - 16-08-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

JYOTIS


*🎈 दिनांक - 16 अगस्त 2025*
*🎈 दिन - शनिवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - वर्षा*
*🎈 मास - भाद्रपद*
*🎈 पक्ष - कृष्ण*
*🎈 तिथि - अष्टमी रात्रि 09:33:58 तक तत्पश्चात् नवमी*
*🎈 नक्षत्र - कृत्तिका प्रातः 04:37:41 अगस्त 17 तक तत्पश्चात् रोहिणी*
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*🎈 योग - वृद्धि सुबह 07:20:00 तक, तत्पश्चात् ध्रुव प्रातः 04:27:04 अगस्त 17 तक, तत्पश्चात् व्याघात*
*🎈 राहुकाल - सुबह 09:24 से सुबह 11:01 तक ( नागौर राजस्थान के मानक समयानुसार)* 
*🎈 सूर्योदय - 06:07:54*
*🎈 सूर्यास्त - 07:10:19 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त नागौर राजस्थान के मानक समयानुसार)*
*🎈 चन्द्र राशि    -   मेष    till 11:42:42
*🎈 चन्द्र राशि    -   वृषभ    from 11:42:42*
*🎈 सूर्य राशि-       कर्क    till 25:50:40*
*🎈 सूर्य राशि    -   सिंह    from 25:50:40*

*🎈 दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से प्रातः 05:23 तक (नागौर राजस्थान के मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से दोपहर 01:05*
*🎈 निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 अगस्त 17 से रात्रि 01:01 अगस्त 17 तक ( नागौर राजस्थान के मानक समयानुसार)*
*🎈 व्रत पर्व विवरण - श्री कृष्ण जन्माष्टमी (भागवत), कालाष्टमी, दही हाण्डी*
*🎈 विशेष - अष्टमी को नारियल फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*

    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
       सूर्योदय के अनुसार।

काल-06:08- 07:46 अशुभ*

शुभ-07:46-09:24 शुभ*

रोग-09:24-11:01अशुभ*

उद्वेग-11:01-12:39अशुभ*

चर -12:39-14:17 शुभ*

लाभ-14:17-15:55 शुभ*

अमृत-15:55-17:33शुभ*

काल-17:33-19:10अशुभ*

 *🛟चोघडिया, रात्रि🛟*

लाभ- 19:10 - 20:33 शुभ*

उद्वेग-20:33-21:55 अशुभ*

शुभ-21:55-23:17 शुभ*

अमृत-23:17-24:39*शुभ*

चर-24:39* -26:02*शुभ*

रोग-26:02* -27:24*अशुभ*

काल-27:24* -28:46*अशुभ*

लाभ-28:46* -30:08*शुभ*
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🍁।।कृष्ण जन्माष्टमी आज।।🍁🌻सनातन धर्म में विष्णु के अवतार🪴
कृष्ण भगवान का जन्मोत्सव
जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 भाद्रपद कृष्ण अष्टमी  संवत २०८२ शनिवार को धूमधाम से मनाया जायेगा क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण का प्राकट्य हुआ था।

 यह पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देश विदेशों में भी मनाया जाता है।
 सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व माना गया है। हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। लेकिन, इस बार तिथियों का ऐसा अद्भूत योग बना है कि जन्माष्टमी की तारीख को लेकर  असमंजस है। ऐसा रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेमजी ने बताया उदय तिथि के अनुसार इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को होगी और 16 अगस्त तक अष्टमी तिथि रहेगी। 15 अगस्त को अष्टमी तिथि की शुरुआत मध्यरात्रि 11:49 बजे के बाद होगी हालांकि, इस दौरान राहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है। 
और चंद्रमा इस दिन वृषभ राशि में होना चाहिए इसलिए दिनांक15 अगस्त  की जगह 16  को जन्माष्टमी का पर्व करना सभी के लिए करना शुभ रहेगा। 
इसमें अष्टमी तिथि अलग-अलग पंचाग के मत अनुसार 16 तारीख की रात में 09:33 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी और इस दिन मध्यरात्रि में चंद्रमा वृषभ राशि में भी प्रवेश कर जाएंगे। इसलिए जन्माष्टमी पर्व व्रत 16 तारीख को करना शुभ रहेगा। जन्माष्टमी के दिन 16 अगस्त को मध्यारात्रि की पूजा 11 बजकर 42 मिनट के बाद करना शुभ रहेगा। जबकि कुछ जगह रोहिणी नक्षत्र के संयोग में व्रत रखते हैं वह 17 तारीख को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे इसी दिन गोकुला अष्टमी और नंदोत्सव भी मनाया जाएगा।

कृष्ण जन्माष्टमी आज 
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हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही खास माना जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। श्रीकृष्ण के भक्तों को जन्माष्टमी का पूरे साल इंतजार रहता है। हर साल पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन वृंदावन की जन्माष्टमी का महत्व ही अलग है, जहां स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भक्तों में इस दिन को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिलता है। इस खास मौके पर मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जाता है, विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, साथ ही भजन-कीर्तन भी किए जाते हैं। खासकर वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में यह पर्व अत्यंत भव्यता के साथ मनाया जाता है। 

कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास
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कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे जन्माष्टमी भी कहा जाता है, भारत के प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। यह भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का उत्सव है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कृष्ण प्रेम, करुणा, स्नेह और भक्ति के देवता हैं। वे न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में सबसे लोकप्रिय और प्रिय देवताओं में से एक हैं। कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्ण जयंती, गोकुलाष्टमी, सतम अथम और कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक, लोग इस उत्सव को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। हिंदू परंपरा में कृष्ण जन्माष्टमी का गहरा महत्व है। यह वर्षों से मनाया जाता रहा है। दरअसल, कृष्ण जन्माष्टमी के इतिहास की बात करें तो यह काफी समृद्ध है। यह उत्सव लगभग 5,200 साल पुराना है। इस प्रकार, यह सबसे पुराने और स्थायी उत्सवों में से एक है। तब से, यह त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता रहा है। जन्माष्टमी पर, भक्त कृष्ण के बाल रूप की पूजा करते हैं, जिन्हें लड्डू गोपाल, बाल कृष्ण या बाल गोपाल कहा जाता है। 

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा समय
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कृष्ण जन्माष्टमी 2025 में 16 अगस्त, 2025 को मनाई जाएगी। 
कृष्ण जन्माष्टमी मनाने का सांस्कृतिक महत्व
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कृष्ण जन्माष्टमी का सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। इस वर्ष हम भगवान कृष्ण की 5252वीं जयंती मना रहे हैं। इसका सांस्कृतिक महत्व भगवान कृष्ण की जन्म कथाओं से जुड़ा है, जिन्हें भगवान विष्णु का आठवाँ अवतार या रूप भी कहा जाता है। यह त्योहार न केवल कृष्ण, बल्कि उनके माता-पिता, माँ देवकी और वासुदेव का भी सम्मान करता है। माँ देवकी ने कारागार में रहते हुए, कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए, कृष्ण को जन्म दिया। जन्माष्टमी प्रेम और धर्म में विश्वास का उत्सव है। यह कृष्ण की कंश पर विजय, बुराई पर अच्छाई की विजय का स्मरण कराती है। 

जन्माष्टमी पूजा अनुष्ठान
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• सुबह की सफाई
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आप जन्माष्टमी के दिन की शुरुआत सुबह की सफाई से कर सकते हैं। अपने घर की सफाई करें और फिर पूजा स्थल को व्यवस्थित करें। आप उसे फूलों, रंगों वगैरह से कृष्ण जन्माष्टमी रंगोली से सजा सकते हैं। 

• उपवास या उपवास व्रत
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भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में भक्तजन व्रत भी रखते हैं। यह दो प्रकार का हो सकता है। आप फल या दूध का सेवन कर सकते हैं। या फिर आप बिना पानी के निर्जला व्रत भी रख सकते हैं। यह व्रत भगवान के प्रति आपके प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। 

• मूर्ति अभिषेकम 
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इसके बाद, आधी रात को, आप अभिषेक जैसे अनुष्ठान कर सकते हैं। अभिषेक पूजन के लिए आप पंचामृत, गंगाजल जैसी वस्तुओं का उपयोग कर सकते हैं। 

• ड्रेस अप और सजावट
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 अब, अपने बाल गोपाल को सुंदर पोशाक पहनाएं और उनकी उपस्थिति का स्वागत करें। 

• आरती और भजन
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मध्य रात्रि में कृष्ण जन्माष्टमी की आरती और भजन भी गाये जाते हैं, जिसमें कृष्ण के नवजात शिशु अवतार का स्वागत करने के लिए घी के दीये जलाए जाते हैं। 

• नैवेघ 
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इस अनुष्ठान में मूर्ति को भोग अर्पित किया जाता है। इसमें फल, सूखे मेवे, खीर या अन्य प्रकार की भोग सामग्री शामिल हो सकती है। 

• झूला समारोह 
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झूला समारोह में कृष्ण जन्माष्टमी भजन या लोरी के साथ कृष्ण के पालने को थोड़ा झुलाना शामिल है। 

• पाराना
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एक बार जब आप आरती और प्रसाद ग्रहण कर लें, तो आप पारण मुहूर्त में अपना व्रत तोड़ सकते हैं। 

• अतिरिक्त परंपराएँ
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विभिन्न क्षेत्रों में दही हांडी और रास लीला जैसे अतिरिक्त अनुष्ठान भी किए जाते हैं। 


☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
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