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पंचांग - 21-08-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈 दिनांक - 21 अगस्त 2025*
*🎈 दिन गुरुवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - वर्षा*
*🎈 मास - भाद्रपद*
*🎈 पक्ष - कृष्ण*
*🎈तिथि - त्रयोदशी    12:44:10 रात्रि तत्पश्चात् चतुर्दशी*
*🎈नक्षत्र -         पुष्य    24:07:27 रात्रि तत्पश्चात्     आश्लेषा*
*🎈योग -     व्यतिपत    16:12:54 तक तत्पश्चात् वरियान🎈*
*🎈 करण    -    वणिज    12:44:09 तत्पश्चात् शकुनी*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग  है-  दोपहर 02:15 से  सांय 03:52 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि       कर्क *
*🎈 सूर्य राशि -     सिंह*
*🎈सूर्योदय - 06:10:19am*
*🎈सूर्यास्त - 07:05:35pm* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈दिशा शूल -  दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:41 से प्रातः 05:25 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:12 पी एम से 01:04 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:16 ए एम, अगस्त 22 से 01:00 ए एम, अगस्त 22*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग    06:09 ए एम से 12:08 ए एम, अगस्त 22
अमृत सिद्धि योग    06:09 ए एम से 12:08 ए एम, अगस्त 22*

*🎈#vastu_tips आपके घर हेतु।।

#जानिए_दक्षिण_मुखी_घर_का_संपूर्ण_वास्तु
#यदि_आपका_घर_दक्षिण_मुखी_है_तो_उसके_लिए_क्या_है_उचित_और_क्या_है_अनुचित


दक्षिण मुखी घर के वास्तु के अनुसार, शयन कक्षों को दक्षिण-पश्चिम और उत्तर दिशा में बनाएं, मुख्य द्वार दक्षिण दिशा के सकारात्मक ऊर्जा वाले हिस्से में हो और मुख्य दरवाजे पर अभिमंत्रित अष्टधातु का पिरामिड वाला स्वास्तिक या पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाएं। रसोई दक्षिण-पूर्व में और पानी के टैंक को उत्तर-पूर्व कोने में रखें। घर के केंद्र में दरवाजा न बनाएं और लिविंग रूम को दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में रख सकते हैं।
 
घर का मुख्य दरवाजा
स्थान:
दक्षिण मुखी घर के लिए मुख्य द्वार को दक्षिण दिशा के चौथे पाद (सकारात्मक ऊर्जा क्षेत्र) में रखना शुभ माना जाता है। 
रंग:
मुख्य द्वार को लाल या भूरे रंग से रंग सकते हैं। 

उपचार:
द्वार पर  अभिमंत्रित अष्टधातु का पिरामिड वाला स्वास्तिक लगाएं  या चांदी का अभिमंत्रित स्वास्तिक लगाएं। पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर लगाना भी वास्तु दोष दूर करने में मदद करता है। 
कमरों की दिशा 

शयन कक्ष 
मास्टर बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। अन्य शयन कक्ष पूर्व या उत्तर दिशा में बनाए जा सकते हैं।

रसोई 
दक्षिण-पूर्व दिशा रसोई के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। पर यदि वहां पर जगह नहीं मिल रही है तो आप वायव्य कोण में भी बना सकते हैं

लिविंग रूम 
इसे दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में बना सकते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण बातें
पानी का टैंक:
अंडरग्राउंड पानी का टैंक घर के उत्तर-पूर्व कोने में रखना शुभ होता है। 

घर का केंद्र:
घर के केंद्र  ब्रह्म स्थान  में दरवाजा स्थापित करने से बचें। ब्रह्मीस्तान हमेशा ऊंचा होना चाहिए और साफ सुथरा होना चाहिए
दीवारें:
दो दिशाओं में मोटी दीवारें बनाने से घर में संतुलन बना रहता है। 
सकारात्मक ऊर्जा:
घर के मुख्य द्वार के सामने नीम का पेड़ लगाना और कुछ सकारात्मक ऊर्जा वाले पौधे लगाना भी लाभदायक होता है। 
सीढ़ियाँ:
आंतरिक सीढ़ियाँ घर के उत्तर-पूर्व भाग में नहीं होनी चाहिए, जबकि दक्षिण/दक्षिण-पूर्व या पश्चिम/उत्तर-पश्चिम में हो सकती हैं। 
 सेप्टिक टैंक का वास्तु
सेफ्टी टैंक की स्थिति सही रखें, क्योंकि सेप्टिक टैंक नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है किसी अच्छे वास्तु विशेषज्ञ की सलाह से ही सेप्टिक टैंक का निर्माण करें
वास्तु दोष को दूर करने के लिए क्या करें 
मित्रों यदि आपको लगता है कि हमारे घर  दुकान फैक्ट्री या ऑफिस में भी वास्तु दोष हो सकता है तो आप वहां का नक्शा हमारे व्हाट्सएप पर भेज कर मात्र ₹500 मैप रीडिंग चार्ज में संपूर्ण वस्तु की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही यदि कुछ वास्तु दोष पाया जाता है तो बिना तोड़फोड़ अभिमंत्रित यंत्रों की रेमेडीज की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं जो की 100% सफल होती है 
*🎈विशेष - त्रयोदशी को, विशेष रूप से प्रदोष व्रत के दिन, बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह पुत्र के लिए हानिकारक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, अगर आप व्रत कर रहे हैं, तो लहसुन, प्याज, मांसाहार और शराब से बचें, और सामान्य भोजन में गेहूं, चावल, सादा नमक और लाल मिर्च का भी सेवन नहीं करें, क्योंकि ये चीजें व्रत को खंडित कर सकती हैं और भगवान शिव को नाराज कर सकती हैं। 
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*


    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
       सूर्योदय के अनुसार।

शुभ-06:10-07:47शुभ*

रोग-07:47-09:24अशुभ*

उद्वेग-09:24-11:01अशुभ*

चर-11:01-12:38 शुभ

लाभ-12:38-14:15शुभ*

अमृत-14:15-15:52शुभ*

काल-15:52-17:29 अशुभ*

शुभ-17:29-19:06शुभ*

 *🛟चोघडिया, रात्रि🛟*

अमृत-19:06 -20:29शुभ*

चर*20:29- 21:52शुभ*

रोग-21:52- 23:15अशुभ*

काल-23:15 24:38*अशुभ*

लाभ24:38* -26:01शुभ*

उद्वेग-26:01* -27:25*अशुभ*

शुभ-27:25* -28:48*शुभ*

अमृत-28:48* -30:11*शुभ
kundli



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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
           
 *♨️  ⚜️ जाने हुए असत् का त्याग करना है। हमारे सबके शरीर मरण-धर्मा हैं, इनका नाश होना अवश्यम्भावी है। जैसे ही इन शरीरोंके प्रारब्ध समाप्त होंगे, इनका नाश हो जायेगा। शरीरको बनाये रखनेकी इच्छासे क्या यह सदा बना रहेगा? और जीनेकी इच्छा नहीं रखेंगे तो क्या यह मर जायेगा? जिसका निश्चित ही वियोग होना है, उसमें पहले ही ममताका त्याग कर दें, तो सदाके लिए सुखी हो जायँ, जन्म-मरण मिट जाय, भगवान् के चरणोंका प्रेम प्राप्त हो जाय; और इसको रखना चाहेंगे तो जन्मते-मरते रहेंगे, तरह-तरहके दुःख पाते रहेंगे।*
*⚜️ कहते हैं कि हम कामनाका त्याग करना चाहते तो हैं, पर त्याग कर नहीं पा रहे हैं। इस संबंधमें बात बताई जाती है कि हमारी मनचाही हो जाय तो हम सुखी हो जाते हैं और मनचाही नहीं हो तो दुःखी हो जाते हैं; संसारके सुख-दु:खका यही स्वरूप है। हमारे मनकी बात पूरी होने अथवा पूरी नहीं होनेमें एक अलग विधानकी मुख्यता है; इस विधानको रचने वाले भगवान् हैं। भगवान् प्राणी मात्रके परम सुहृद् हैं, इसलिए भगवान् का रचा हुआ प्रत्येक विधान हमारे कल्याणके लिए ही होता है, इसका अन्य कोई हेतु है ही नहीं।*
*⚜️ हमारे मनकी बात पूरी करना भी हमारा रोग मिटानेके लिए है और पूरी नहीं करना भी हमारा रोग मिटानेके लिए है। हम भगवान् के भक्त हैं तो हमारा कल्याण भगवान् की मर्जीके अनुसार चलनेमें है; अपने मनके अनुसार चलनेमें हमारा पतन है, अहित है। एक व्रत-तप हम अपनी मर्जीसे करते हैं और एक तप भगवान् की भेजी हुई प्रत्येक परिस्थितिको प्रसन्नता पूर्वक सहन करनेमें है; तो दोनोंमें भगवान् की भेजी हुई प्रत्येक परिस्थितिमें प्रसन्न रहना श्रेष्ठ तपस्चर्या है। भगवान् का मन्तव्य हमारी पारमार्थिक उन्नति हेतु इच्छाओंका त्याग करवानेमें है।*
*⚜️ भगवान् का कामनाके त्याग पर बड़ा जोर है। कामनासे ही जीवका जन्म-मरण होता है; कामना नहीं रखें तो जन्म-मरणका कोई कारण है ही नहीं। स्वयंज्योतिजी महाराजने एक बार बताया कि जिसके 'ऐसा होना चाहिए और ऐसा नहीं होना चाहिए'— यह मिट जाता है, वही जीवन-मुक्त है। इच्छाका त्याग ही जाने हुए असत् का त्याग है। भक्तोंको जीवनमें अनुकूलता आने पर संकोच होता है कि— 'मेरे मनकी बात पूरी करनेके लिए भगवान् को अनुकूलता भेजनी पड़ी!'*
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👉 कामना त्यागके संबंधमें बहुत विलक्षण प्रवचन है।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
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vipul

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