*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 दिनांक - 28 अगस्त 2025*
*🎈 दिन गुरुवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - भाद्रपद*
*🎈 पक्ष - शुक्ल*
*🎈तिथि - ऋषि पंचमी
05:56:19 pm तत्पश्चात् षष्ठी*
*🎈नक्षत्र - चित्रा 08:42:37am तक तत्पश्चात् स्वाति*
*🎈योग - शुक्ल 01:17:01pm तक तत्पश्चात् ब्रह्म*
*🎈 करण - बालव 05:56:19pm तक तत्पश्चात् कौलव*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- 02:12pm से 03:47pm तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - तुला*
*🎈सूर्य राशि - सिंह*
*🎈सूर्योदय - 06:13:36am*
*🎈सूर्यास्त - 06:58:28pm* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से प्रातः 05:27 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:10 पी एम से 01:02 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:14 ए एम, अगस्त 29 से 12:59 ए एम, अगस्त 29*
*🎈रवि योग 08:43 ए एम से 06:13 ए एम, अगस्त 29*
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🪴कुछ विशेष समुदायों, खासकर माहेश्वरी और दाधीच ब्राह्मण समुदायों में, ऋषि पंचमी के दिन राखी बांधी जाती है और इसे रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाता है। यह परंपरा भाई-बहन के प्रेम और रक्षा को दर्शाती है। इसके अलावा, जिन बहनों ने रक्षाबंधन के दिन भाई को राखी नहीं बांधी हो, वे भी ऋषि पंचमी के दिन राखी बांध सकती हैं।
🪴 किंवदंती के अनुसार, भगवान गणेश को उनकी बहन ने सर्वप्रथम ऋषि पंचमी के दिन ही राखी बांधी थी।
*🎈विशेष - पंचमी तिथि को बेल नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इससे अपयश और कलंक लगने की मान्यता है। इसके अतिरिक्त, कुछ लोग व्रत के दौरान अनाज, दालें, प्याज, लहसुन और तली हुई चीजों का सेवन नहीं करते, बल्कि कुछ विशेष तिथियों पर बेल के सेवन से भी बचा जाता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
🌹 ऋषि पंचमी विशेष
ऋषि पंचमी सप्त ऋषियों के प्रति सम्मान व्यक्त करने और जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति पाने के लिए मनाई जाती है, खासकर महिलाओं के लिए, जो मासिक धर्म के दौरान की गई भूलों का प्रायश्चित कर सकती हैं. इस दिन सप्त ऋषियों (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ) की पूजा की जाती है, और इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलने की मान्यता है.
इसलिए मनाई जाती है ऋषि पंचमी?
सप्त ऋषियों का सम्मान:
यह पर्व सप्त ऋषियों को श्रद्धांजलि देने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है.
पापों से मुक्ति:
मान्यता है कि इस व्रत को करने से जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति शुद्ध हो जाता है.
महिलाओं के लिए महत्व:
यह व्रत खासकर महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान हुई किसी भी प्रकार की अपवित्रता या भूलों के प्रायश्चित के लिए इस व्रत को किया जाता है.
गंगा स्नान का महत्व:
इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पापों का शमन होता है और उसका फल कई गुना बढ़ जाता है, ऐसी मान्यता है.
ऋषि पंचमी कब मनाई जाती है?
ऋषि पंचमी हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जो गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद आती है.
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
शुभ-06:14-07:49शुभ*
रोग-07:49-09:25अशुभ*
उद्वेग-09:25-11:00अशुभ*
चर-11:00-12:36शुभ*
लाभ-12:36-14:12शुभ*
अमृत-14:12-15:47शुभ*
काल-15:47-17:23अशुभ*
शुभ-17:23-18:58शुभ*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
अमृत-18:58- 20:23शुभ*
चर-20:23-21:47शुभ*
रोग-21:47- 23:12अशुभ*
काल-23:12-24:36*अशुभ
लाभ-24:36* -26:01*शुभ*
उद्वेग26:01* -27:25*अशुभ*
शुभ-27:25* -28:50*शुभ*
अमृत-28:50* --30:14*शुभ*
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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
🌹🌹श्री गणेशजी की अद्भुत कथा
महर्षि वेदव्यासकृत ब्रह्मवैवर्त पुराण के गणपति खण्ड में श्री गणेश जी के अद्भुत चरित्र का वर्णन है।(उस अद्भुत चरित्र के कुछ प्रसंगों को नीचे लिखा जा रहा है।)
भगवान श्री नारायण से नारद जी ने कहा - मैं " गणपति खंड " को सुनना चाहता हूं , जो मनुष्य के संपूर्ण मङ्गलों का भी मङ्गलस्वरूप तथा गणेश जी के जन्म-वृतान्त से परिपूर्ण है।
तब श्री नारायण ने कहा -
स्कंद-कार्तिकेय के उत्पन्न हो जाने के पश्चात् पार्वती जी ने शंकर जी से एक श्रेष्ठ पुत्र के लिए प्रार्थना की।
महादेव जी ने पार्वती जी को कहा - वरानने ! तुम श्री हरि की आराधना करके " पुण्यक व्रत " का प्रारंभ करो। इस व्रत के पालन से ही तुम्हें संपूर्ण वस्तुओं का साररूप पुत्र प्राप्त होगा। इस व्रत के द्वारा संपूर्ण प्राणियों के मनोरथ सिद्ध करनेवाले श्री कृष्ण की आराधना की जाती है।
इस व्रत का अनुष्ठान करके महाराज मनु की पत्नी शतरूपा को दो पुत्र - प्रियव्रत और उत्तानपाद प्राप्त हुए थे। इसी भांति माता देवहूति को कपिल जैसा पुत्र, माता अदिति को वामन (जो भगवान के अवतार थे) जैसा पुत्र, महर्षि अंगिरा की पत्नी को बृहस्पति जैसा पुत्र प्राप्त हुआ , जो देवताओं के आचार्य हुए। भृगु-पत्नी ने इस व्रत का पालन करके शुक्र को पुत्ररूप में प्राप्त किया , जो दैत्यों के गुरु हुए।
नारदजी कहते हैं - माता पार्वती के द्वारा उस व्रत के पूर्ण किए जाने पर गोपीश श्री कृष्ण ने किस प्रकार जन्म धारण किया ? वह मुझे बताएं।
श्री नारायण ने कहा - नारद ! जिस शुभ मुहूर्त में शुभदायिनी पार्वती देवी ने व्रत का प्रारंभ किया, उस समय चार भुजाधारी भगवान विष्णु लक्ष्मी सहित उपस्थित हुए। श्री महादेव जी ने कमलापति विष्णु जी की स्तुति की।
तब विष्णु जी ने कहा - त्रिलोचन ! इस पुण्यक व्रत के प्रभाव से स्वयं गोलोकनाथ श्रीकृष्ण पार्वती के गर्भ से उत्पन्न होकर आपके पुत्र होंगे।
वे कृपानिधि स्वयं समस्त देवगणों के ईश्वर हैं , इसलिए त्रिलोकी में " गणेश " नाम से विख्यात होंगे।
उनके स्मरणमात्र से ही जगत् के विघ्नों का नाश हो जाता है , इस कारण उन विभु का नाम " विघ्नेश्वर " होगा।
चूंकि पुण्यक व्रत में उन्हें नाना प्रकार के द्रव्य समर्पित किए जाते हैं , जिन्हें खाकर उनका उदर लंबा हो जाता है , अतः वे " लंबोदर " कहलाएंगे।
शनि की दृष्टि पड़ने से उनके सिर के कट जाने पर पुनः हाथी का सिर जोड़ा जाएगा , इस कारण उन्हें " गजानन " कहा जाएगा।
परशुराम जी के फरसे से जब इनका एक दांत टूट जाएगा , तब ये " एकदन्त " नामवाले होंगे। "
" वे ऐश्वर्यशाली शिशु संपूर्ण देवगणों के , हम लोगों के तथा जगत् के पूज्य होंगे। मेरे वरदान से उनकी सबसे पहले पूजा होगी। संपूर्ण देवों की पूजा के समय सबसे पहले उनकी पूजा करके मनुष्य निर्विघ्नतापूर्वक पूजा के फल को पा लेता है। गणेश जी का पूजन करने पर जगत के विघ्न निर्मूल हो जाते हैं। महादेव ! ये देव निरंतर विद्यमान रहनेवाले , नित्य तथा सृष्टिपरायण हैं। "
ऐसा कहकर श्री हरि मौन हो गए। (क्रमशः)
उनका मस्तक शनि देव के कारण किस प्रकार कटा एवं किस प्रकार उनका एक दांत टूटा ? इस पर अगले अंक में प्रकाश डाला जाएगा।
।। विघ्नेश्वर गणपति गणेश की जय ।।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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