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पंचांग - 02-09-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

JYOTISH



*🎈 दिनांक -02 सितंबर 2025*
*🎈 दिन -मंगलवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - भाद्रपद*
*🎈 पक्ष - शुक्ल*
*🎈तिथि -   दशमी रात्रि    02:52:29*
am तत्पश्चात् एकादशी* 
*🎈नक्षत्र -     मूल    21:50:16pm तक तत्पश्चात्             पूर्वाषाढा*
*🎈योग -             प्रीति    16:38:23pm  तक तत्पश्चात्     आयुष्मान*
*🎈 करण    -    तैतुल    15:22:22pm तक    तत्पश्चात्     वणिज*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग  है-   03:44 pm से 05:18 pm तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि    -   धनु    *
*🎈सूर्य राशि    -   सिंह*
*🎈सूर्योदय - 06:15:51am*
*🎈सूर्यास्त - 06:53:05:pm* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से प्रातः 05:29 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)* 
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:09 पी एम से 01:00 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:12 ए एम, सितम्बर 03 से 12:57 ए एम, सितम्बर 03*
*🎈अमृत काल    02:56 पी एम से 04:40 पी एम    *
*🎈रवि योग    -पूरे दिन*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
       सूर्योदय के अनुसार।

रोग-06:16-07:51अशुभ*

उद्वेग-07:51-09:25अशुभ*

चर-09:25-10:59शुभ*

लाभ-10:59-12:34 शुभ

अमृत-12:34-14:09शुभ*

काल-14:09-15:44अशुभ*

शुभ-15:44-17:18 शुभ*

रोग-17:18-18:53अशुभ*

 *🛟चोघडिया, रात्🛟*

काल-18:53-20:18अशुभ*

लाभ-20:18-21:44शुभ*

उद्वेग-21:44-23:09अशुभ*

शुभ-23:09-24:35*शुभ*

अमृत-24:35* --26:00*शुभ*

चर-26:00* -27:26*शुभ*

रोग-27:26* -28:51*अशुभ*

काल-28:51* -30:16*अशुभ

शुभ*

kundli




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🌹       #।।बृहस्पति।।#

           देवानां   गुरुः  पूज्यः  पीतवर्णः  चतुर्भुजः ।
               दण्डी च वरद : कार्यः साक्षसूत्रकमण्डलुः ॥

            देवगुरु बृहस्पति पीत वर्णके हैं। उनके सिरपर स्वर्णमुकुट तथा गलेमें सुन्दर माला है। वे पीत वस्त्र धारण करते हैं तथा कमलके आसनपर विराजमान हैं। उनके चार हाथोंमें क्रमशः — दण्ड, रुद्राक्षकी माला, पात्र और वरदमुद्रा सुशोभित है।

            महाभारत आदिपर्व एवं तै० सं० के अनुसार बृहस्पति महर्षि अङ्गिराके पुत्र तथा देवताओंके पुरोहित हैं। ये अपने प्रकृष्ट ज्ञानसे देवताओंको उनका यज्ञ-भाग प्राप्त करा देते हैं। असुर यज्ञमें विघ्न डालकर देवताओंको भूखों मार देना चाहते हैं। ऐसी परिस्थितिमें देवगुरु बृहस्पति रक्षोघ्न मन्त्रोंका प्रयोग कर देवताओंकी रक्षा करते हैं तथा दैत्योंको दूर भगा देते हैं।

            इन्हें देवताओंका आचार्यत्व और ग्रहत्व कैसे प्राप्त हुआ, इसका विस्तृत वर्णन स्कन्दपुराणमें प्राप्त होता है। बृहस्पतिने प्रभास तीर्थमें जाकर भगवान् शङ्करकी कठोर तपस्या की। उनकी तपस्यासे प्रसन्न होकर भगवान् शङ्करने उन्हें देवगुरुका पद तथा ग्रहत्व प्राप्त करनेका वर दिया।

            बृहस्पति एक-एक राशिपर एक-एक वर्ष रहते हैं। वक्रगति होनेपर इसमें अन्तर आ जाता है। ( श्रीमद्भा० ५। २२। १५ )

            ऋग्वेदके अनुसार बृहस्पति अत्यन्त सुन्दर हैं। इनका आवास स्वर्णनिर्मित है। ये विश्वके लिये वरणीय हैं। ये अपने भक्तोंपर प्रसन्न होकर उन्हें सम्पत्ति तथा बुद्धिसे सम्पन्न कर देते हैं, उन्हें सन्मार्गपर चलाते हैं और विपत्तिमें उनकी रक्षा भी करते हैं। शरणागतवत्सलताका गुण इनमें कूट-कूटकर भरा हुआ है। देवगुरु बृहस्पतिका वर्ण पीत है। इनका वाहन रथ है, जो सोनेका बना है तथा अत्यन्त सुखकर और सूर्यके समान भास्वर है। इसमें वायुके समान वेगवाले पीले रंगके आठ घोड़े जुते रहते हैं। ऋग्वेदके अनुसार इनका आयुध सुवर्णनिर्मित दण्ड है।

            देवगुरु बृहस्पतिकी एक पत्नीका नाम शुभा और दूसरीका तारा है। शुभासे सात कन्याएँ उत्पन्न हुईं - भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती । तारासे सात पुत्र तथा एक कन्या उत्पन्न हुई। उनकी तीसरी पत्नी ममतासे भरद्वाज और कच नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए। बृहस्पतिके अधिदेवता इन्द्र और प्रत्यधिदेवता ब्रह्मा हैं।

            बृहस्पति धनु और मीन राशिके स्वामी हैं। इनकी महादशा सोलह वर्षकी होती है। इनकी शान्तिके लिये प्रत्येक अमावास्याको तथा बृहस्पतिको व्रत करना चाहिये और पीला पुखराज धारण करना चाहिये। ब्राह्मणको दानमें पीला वस्त्र, सोना, हल्दी, घृत, पीला अन्न, पुखराज, अश्व, पुस्तक, मधु, लवण, शर्करा, भूमि तथा छत्र देना चाहिये। इनकी शान्तिके लिये 

#वैदिक मन्त्र — 'ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु । यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम् ॥', 

#पौराणिक मन्त्र — 'देवानां च ऋषीणां च गुरुं काञ्चनसंनिभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् ॥', 

#बीज मन्त्र — 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः ।', तथा 

#सामान्य मन्त्र — 'ॐ बृं बृहस्पतये नमः 'है। 

इनमेंसे किसी एकका श्रद्धानुसार नित्य निश्चित संख्यामें जप करना चाहिये। जपका समय संध्याकाल तथा जप संख्या १९००० है।

 ꧁||🙏जय माँ🙏||꧂༻


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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
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vipul

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