*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 आश्विन,कृष्ण पक्ष त्रयोदशी(तेरस)श्राद्ध, व प्रदोष व्रत विक्रम सम्वत २०८२, 19 सितम्बर 2025 शुक्रवार पितृपक्ष चल रहा है।*
*🎈दिनांक -19 सितम्बर 2025*
*🎈 दिन - शुक्रवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - कृष्ण*
*🎈 तिथि - त्रयोदशी रात्रि 11:36 :10तक तत्पश्चात् चतुर्दशी*
*🎈 नक्षत्र - अश्लेशा सुबह 07:04:35 तक तत्पश्चात् मघा*
*🎈 योग - सिद्ध रात्रि 08:40:11 तक तत्पश्चात् साध्य*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 10:57 से दोपहर 12:29 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 चन्द्र राशि - कर्क till 07:04:35*
*🎈 चन्द्र राशि -सिंह from
07:04:35*
*🎈सूर्य राशि- कन्या *
*🎈 सूर्योदय - 06:23:20*
*🎈 सूर्यास्त - 06:33:48 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से प्रातः 05:35 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से दोपहर 12:53 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:05 से रात्रि 12:52 सितम्बर 20 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 व्रत पर्व विवरण - त्रयोदशी का श्राद्ध, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि*
*🎈 विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 चर - सामान्य-06:22 ए एम से 07:54 ए एम*
*🎈लाभ - उन्नति-07:54 ए एम से 09:25 ए एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-09:25 ए एम से 10:57 ए एम वार वेला*
*🎈काल - हानि-10:57 ए एम से 12:29 पी एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-12:29 पी एम से 02:00 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-02:00 पी एम से 03:32 पी एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-03:32 पी एम से 05:03 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-05:03 पी एम से 06:35 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈रोग - अमंगल-06:35 पी एम से 08:03 पी एम*
*🎈काल - हानि-08:03 पी एम से 09:32 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-09:32 पी एम से 11:00 पी एम काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-11:00 पी एम से 12:29 ए एम, सितम्बर 20*
*🎈शुभ - उत्तम-12:29 ए एम से 01:57 ए एम, सितम्बर 20*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-01:57 ए एम से 03:26 ए एम, सितम्बर 20*
*🎈चर - सामान्य-03:26 ए एम से 04:54 ए एम, सितम्बर 20*
*🎈रोग - अमंगल-04:54 ए एम से 06:23 ए एम, सितम्बर 20*
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🚩*☀#पितृ पक्ष or तीर्थ का महत्व☀*
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🔷 🌙 *काशी में मणिकर्णिका घाट पर चिता जब शांत हो जाती है तब मुखाग्नि देने वाला व्यक्ति चिता भस्म पर 94 लिखता है। यह सभी को नहीं मालूम है। खांटी बनारसी लोग या अगल बगल के लोग ही इस परम्परा को जानते हैं। बाहर से आये शवदाहक जन इस बात को नहीं जानते।*
*जीवन के शतपथ होते हैं। 100 शुभ कर्मों को करने वाला व्यक्ति मरने के बाद उसी के आधार पर अगला जीवन शुभ या अशुभ प्राप्त करता है। 94 कर्म मनुष्य के अधीन हैं। वह इन्हें करने में समर्थ है पर 6 कर्म का परिणाम ब्रह्मा जी के अधीन होता है।* *हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश- अपयश ये 6 कर्म विधि के नियंत्रण में होते हैं। अतः आज चिता के साथ ही तुम्हारे 94 कर्म भस्म हो गये। आगे के 6 कर्म अब तुम्हारे लिए नया जीवन सृजित करेंगे।*
*अतः 100 - 6 = 94 लिखा जाता है।*
*गीता में भी प्रतिपादित है कि मृत्यु के बाद मन अपने साथ 5 ज्ञानेन्द्रियों को लेकर जाता है। यह संख्या 6 होती है।मन और पांच ज्ञान इन्द्रियाँ।*
*अगला जन्म किस देश में कहाँ और किन लोगों के बीच होगा यह प्रकृति के अतिरिक्त किसी को ज्ञात नहीं होता है। अतः 94 कर्म भस्म हुए 6 साथ जा रहे हैं।*
*विदा यात्री। तुम्हारे 6 कर्म तुम्हारे साथ हैं।*
*आपके लिए इन 100 शुभ कर्मों का विस्तृत विवरण दिया जा रहा है जो जीवन को धर्म और सत्कर्म की ओर ले जाते हैं एवं यह सूची आपके जीवन को सत्कर्म करने की प्रेरणा देगी।*
*100 शुभ कर्मों की गणना*
*धर्म और नैतिकता
1.सत्य बोलना
2.अहिंसा का पालन
3.चोरी न करना
4.लोभ से बचना
5.क्रोध पर नियंत्रण
6.क्षमा करना
7.दया भाव रखना
8.दूसरों की सहायता करना
9.दान देना (अन्न, वस्त्र, धन)
10.गुरु की सेवा
11.माता-पिता का सम्मान
12.अतिथि सत्कार
13.धर्मग्रंथों का अध्ययन
14.वेदों और शास्त्रों का पाठ
15.तीर्थ यात्रा करना
16.यज्ञ और हवन करना
17.मंदिर में पूजा-अर्चना
18.पवित्र नदियों में स्नान
19.संयम और ब्रह्मचर्य का पालन
20.नियमित ध्यान और योग
*सामाजिक और पारिवारिक
21.परिवार का पालन-पोषण
22.बच्चों को अच्छी शिक्षा देना
23.गरीबों को भोजन देना
24.रोगियों की सेवा
25.अनाथों की सहायता
26.वृद्धों का सम्मान
27.समाज में शांति स्थापना
28.झूठे वाद-विवाद से बचना
29.दूसरों की निंदा न करना
30.सत्य और न्याय का समर्थन
31.परोपकार करना
32.सामाजिक कार्यों में भाग लेना
33.पर्यावरण की रक्षा
34.वृक्षारोपण करना
35.जल संरक्षण
36.पशु-पक्षियों की रक्षा
37.सामाजिक एकता को बढ़ावा देना
38.दूसरों को प्रेरित करना
39.समाज में कमजोर वर्गों का उत्थान
40.धर्म के प्रचार में सहयोग
*आध्यात्मिक और व्यक्तिगत
41.नियमित जप करना
42.भगवान का स्मरण
43.प्राणायाम करना
44.आत्मचिंतन
45.मन की शुद्धि
46.इंद्रियों पर नियंत्रण
47.लालच से मुक्ति
48.मोह-माया से दूरी
49.सादा जीवन जीना
50.स्वाध्याय (आत्म-अध्ययन)
51.संतों का सान्निध्य
52.सत्संग में भाग लेना
53.भक्ति में लीन होना
54.कर्मफल भगवान को समर्पित करना
55.तृष्णा का त्याग
56.ईर्ष्या से बचना
57.शांति का प्रसार
58.आत्मविश्वास बनाए रखना
59.दूसरों के प्रति उदारता
60.सकारात्मक सोच रखना
*सेवा और दान
61.भूखों को भोजन देना
62.नग्न को वस्त्र देना
63.बेघर को आश्रय देना
64.शिक्षा के लिए दान
65.चिकित्सा के लिए सहायता
66.धार्मिक स्थानों का निर्माण
67.गौ सेवा
68.पशुओं को चारा देना
69.जलाशयों की सफाई
70.रास्तों का निर्माण
71.यात्री निवास बनवाना
72.स्कूलों को सहायता
73.पुस्तकालय स्थापना
74.धार्मिक उत्सवों में सहयोग
75.गरीबों के लिए निःशुल्क भोजन
76.वस्त्र दान
77.औषधि दान
78.विद्या दान
79.कन्या दान
80.भूमि दान
*नैतिक.और मानवीय
81.विश्वासघात न करना
82.वचन का पालन
83.कर्तव्यनिष्ठा
84.समय की प्रतिबद्धता
85.धैर्य रखना
86.दूसरों की भावनाओं का सम्मान
87.सत्य के लिए संघर्ष
88.अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना
89.दुखियों के आँसू पोंछना
90.बच्चों को नैतिक शिक्षा
91.प्रकृति के प्रति कृतज्ञता
92.दूसरों को प्रोत्साहन
93.मन, वचन, कर्म से शुद्धता
94.जीवन में संतुलन बनाए रखना
*विधि केअधीन
95.हानि
96.लाभ
97.जीवन
98.मरण
99.यश
100.अपयश
*94 कर्म मनुष्य के नियंत्रण में*
*उपरोक्त सूची में 1 से 94 तक के कर्म वे हैं, जो मनुष्य अपने विवेक, इच्छाशक्ति, और प्रयास से कर सकता है। ये कर्म धर्म, सत्य, और नैतिकता पर आधारित हैं, जो जीवन को सार्थक बनाते हैं।*
*6.कर्म विधि के अधीन
*अंतिम 6 कर्म ( हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश ) मनुष्य के नियंत्रण से बाहर हैं। इन्हें भाग्य, प्रकृति, या ईश्वर की इच्छा के अधीन माना जाता है।* 🙏
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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