*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 🔷आश्विन, शुक्ल पक्ष, शारदीय नवरात्रि विक्रम सम्वत 2082, 26 सितम्बर 2025 शुक्रवार नवरात्र सप्ताह🌙 *🙏
*🎈दिनांक -26 सितम्बर 2025*
*🎈 दिन - शुक्रवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- चतुर्थी 09:32:29 सुबह तक तत्पश्चात् पंचमी*
*🎈 नक्षत्र - विशाखा 22:08:09 pm तक तत्पश्चात् अनुराधा*
*🎈 योग - विश्कुम्भ -22:49:18 रात्रि तक तत्पश्चात् प्रीति*
*🎈करण -विष्टि भद्र 09:32:29 am तक तत्पश्चात् बालव*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 10:56pm से दोपहर 12:26pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - तुला से15:22:47*
*🎈चन्द्र राशि- वृश्चिक from 15:22:47*
*🎈सूर्य राशि- कन्या *
*🎈 सूर्योदय - 06:26:29*
*🎈 सूर्यास्त - 06:25:46* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से प्रातः 05:37 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त- 12:02 पी एम से 12:50 पी एम (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:02 ए एम, सितम्बर 27 से 12:50 ए एम, सितम्बर 27 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈रवि योग-10:09 पी एम से 06:26 ए एम, सितम्बर 27*
*🎈 व्रत पर्व विवरण - चतुर्थ
नवरात्र का व्रत*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 चर - सामान्य-06:25 ए एम से 07:55 ए एम*
लाभ - उन्नति-07:55 ए एम से 09:26 ए एम*
अमृत - सर्वोत्तम-09:26 ए एम से 10:56 ए एम वार वेला*
काल - हानि-10:56 ए एम से 12:26 पी एम काल वेला*
शुभ - उत्तम-12:26 पी एम से 01:56 पी एम*
रोग - अमंगल-01:56 पी एम से 03:27 पी एम*
उद्वेग - अशुभ-03:27 पी एम से 04:57 पी एम
चर - सामान्य-04:57 पी एम से 06:27 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈रोग - अमंगल-06:27 पी एम से 07:57 पी एम*
काल - हानि-07:57 पी एम से 09:27 पी एम*
लाभ - उन्नति-09:27 पी एम से 10:57 पी एम काल रात्रि*
उद्वेग - अशुभ-10:57 पी एम से 12:26 ए एम, सितम्बर 27*
शुभ - उत्तम-12:26 ए एम से 01:56 ए एम, सितम्बर 27*
अमृत - सर्वोत्तम-01:56 ए एम से 03:26 ए एम, सितम्बर 27*
चर - सामान्य-03:26 ए एम से 04:56 ए एम, सितम्बर 27*
रोग - अमंगल-04:56 ए एम से 06:26 ए एम, सितम्बर 27*
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🚩 *☀#जय अम्बे ☀*
*☀#शारदीय नवरात्र पर्व☀*
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*🌷 आश्विन नवरात्रि चौथे रूप में मां 🌷
🌷मां मां कूष्मांडा देवी🌷
🌷*क्यों मां कूष्मांडा को ‘ब्रह्मांड की जननी’ भी कहा जाता है?*
क्योंकि उन्होंने केवल सृष्टि की रचना ही नहीं की, बल्कि साधक को यह भी सिखाया कि — जब आत्मा आनंद में डूब जाती है, तभी हर दिशा खुल जाती है। यह रहस्यमयी लेख आपको बताएगा कि कैसे मुस्कान ही सृजन का मूल है।
क्या दुःख और अंधकार भी दिव्यता का द्वार हो सकते हैं?
देवी कूष्मांडा का उत्तर है – हाँ।
क्योंकि सृष्टि की शुरुआत भी शून्य और अंधकार से हुई थी। लेकिन देवी की मुस्कान ने उस अंधकार को प्रकाश में बदल दिया। यही वह रहस्य है जो साधक को सिखाता है — “जब आत्मा मुस्कुराती है, तो संसार बदल जाता है।”
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🔱 देवी कूष्मांडा का रहस्य
चौथे रूप में मां आदिशक्ति प्रकट होती हैं कूष्मांडा के रूप में।
पुराणों में कहा गया है कि देवी ने अपनी मुस्कान से अंधकारमय शून्य को प्रकाशित कर दिया और ब्रह्मांड की रचना हुई।
परंतु साधक के लिए यह रूप और भी गूढ़ है —
👉 कूष्मांडा वह शक्ति हैं जो हमें बताती हैं कि ब्रह्मांड बाहर कहीं नहीं, बल्कि हमारी आत्मा की मुस्कान से ही जन्म लेता है।
कूष्मांडा का अर्थ है —
“कूष्म” = अंड (ब्रह्मांडीय अंड)
“अंडा” = गर्भ, उत्पत्ति
अर्थात, यह देवी वह हैं जिन्होंने “ब्रह्मांडीय अंड” की उत्पत्ति की।
पर आत्मिक रहस्य यह है कि हर साधक के भीतर भी एक “छोटा ब्रह्मांड” (Microcosm) छिपा है,
जो तभी जागृत होता है जब वह भीतर से मुस्कुराना सीख ले।
🌙 आत्मा की चौथी सीढ़ी
पहली सीढ़ी पर साधक ने स्थिरता सीखी (शैलपुत्री)।
दूसरी पर उसने तप की अग्नि जलाई (ब्रह्मचारिणी)।
तीसरी पर उसने मौन की गूंज सुनी (चंद्रघंटा)।
अब चौथी सीढ़ी पर —
साधक भीतर आनंद की किरण पाता है।
यह वह क्षण है जब साधक को लगता है कि
अंधकार के गर्भ में भी प्रकाश का बीज है।
*
🌺 प्रतीकों का गूढ़ अर्थ
कूष्मांडा को प्रायः “अष्टभुजा देवी” कहा गया है।
उनके आठ हाथों में विविध वस्तुएँ होती हैं —
कमल, धनुष-बाण, चक्र, गदा, अमृतकलश आदि।
ये सब क्या हैं?
👉 यह आत्मा की अष्टदिशाओं पर विजय के प्रतीक हैं।
साधक जब आनंद और आंतरिक प्रकाश को पा लेता है,
तो उसके लिए संसार की हर दिशा सुगम हो जाती है।
देवी की मुस्कान —
यही इस रूप का सबसे बड़ा प्रतीक है।
यह हमें बताती है कि सृष्टि की जड़ कोई “कठोर बल” नहीं,
बल्कि “आनंद” है।
जब आत्मा प्रसन्न होती है, तभी ब्रह्मांड की रचना उसके लिए अर्थपूर्ण हो जाती है।
🔮 रहस्यात्मक संदेश
देवी कूष्मांडा साधक से कहती हैं:
👉 “तुम्हारा अंधकार कितना भी गहरा हो,
पर तुम्हारी आत्मा की एक मुस्कान से ब्रह्मांड का प्रकाश जन्म ले सकता है।”
यह संदेश गूढ़ है —
दुख और पीड़ा साधक को अंधकारमय बना सकते हैं।
पर जब साधक अपनी आत्मा में आनंद खोज लेता है,
तब वही अंधकार उसकी शक्ति बन जाता है।
यही कूष्मांडा का दिव्य रहस्य है।
✨ साधक के लिए अनुभव
यदि जीवन में सब कुछ अंधकारमय लगे,
यदि कठिनाइयाँ इतनी हों कि आशा मरने लगे,
तो कूष्मांडा को स्मरण करें।
उनकी मुस्कान आपको याद दिलाएगी —
“सृष्टि की शुरुआत भी अंधकार से हुई थी,
पर एक मुस्कान ने ही उसे प्रकाशमय कर दिया।”
साधना का सूत्र:
“आनंद ही ब्रह्मांड की जड़ है।
आत्मा जब भी मुस्कुराती है, तो संसार बदल जाता है।”
मां कूष्मांडा का रूप हमें यह सिखाता है कि
आत्मा की चौथी अवस्था है आनंद और सृजन की अवस्था।
यह वह क्षण है जब साधक अंधकार से डरना छोड़ देता है
और उसमें छिपे प्रकाश को देखना सीख लेता है।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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