*🎈 दिनांक -06 सितंबर 2025*
*🎈 दिन- शनिवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - भाद्रपद*
*🎈 पक्ष - शुक्ल*
*🎈तिथि - चतुर्दशी 01:40:30am रात्रि तत्पश्चात्
पूर्णिमा *
*🎈नक्षत्र - धनिष्ठा 22:54:37pm रात्रि तक तत्पश्चात् शतभिष*
*🎈योग - अतिगंड 11:50:30am तक तत्पश्चात् सुकर्मा*
*🎈 करण - गर 14:30:46 pm तक तत्पश्चात् विष्टि भद्र*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- 09:25 pm से 10:49 pm तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - मकर till 11:20:22
*🎈चन्द्र राशि - कुम्भ from 11:20:22 *
*🎈सूर्य राशि - सिंह*
*🎈सूर्योदय - 06:17:38am*
*🎈सूर्यास्त - 06:48:40:pm* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से प्रातः 05:31 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:08 पी एम से 12:55 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:10 ए एम, सितम्बर 07 से 12:56 ए एम, सितम्बर 07*
*🎈रवि योग- 11:38 पी एम से 06:16 ए एम, सितम्बर 06 *
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 काल - हानि-06:23 ए एम से 07:57 ए एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-07:57 ए एम से 09:31 ए एम*
*🎈रोग - अमंगल-09:31 ए एम से 11:04 ए एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-11:04 ए एम से 12:38 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-12:38 पी एम से 02:11 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-02:11 पी एम से 03:45 पी एम वार वेला"
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-03:45 पी एम से 05:19 पी एम*
*🎈काल - हानि-05:19 पी एम से 06:52 पी एम काल वेला*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈लाभ - उन्नति-06:52 पी एम-06:52 पी एम से 08:19 पी एम काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-08:19 पी एम से 09:45 पी एम*
*🎈शुभ - उत्तम-09:45 पी एम से 11:11 पी एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-11:11 पी एम से 12:38 ए एम, सितम्बर 07*
*🎈चर - सामान्य-12:38 ए एम से 02:04 ए एम, सितम्बर 07*
*🎈रोग - अमंगल-02:04 ए एम से 03:31 ए एम, सितम्बर 07*
*🎈काल - हानि-03:31 ए एम से 04:57 ए एम, सितम्बर 07*
*🎈लाभ - उन्नति-04:57 ए एम से 06:24 ए एम, सितम्बर 07 काल रात्रि*
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🌹|| हेरम्ब गणपति: नम्र लोगों के रक्षक और आंतरिक जगत के रक्षक।।
तांत्रिक और शाक्त परंपराओं के हरे-भरे, गोधूलि उपवनों में, जहाँ ईश्वर स्वयं को उग्र और दयालु, दोनों रूपों में प्रकट करता है, भगवान गणेश का एक गहन और राजसी रूप, हेरम्ब गणपति, निवास करता है। वे केवल बाधाओं को दूर करने वाले ही नहीं हैं, वे एक दुर्जेय रक्षक हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि यात्रा स्वयं पवित्र और सुरक्षित रहे। उनका नाम, हेरम्ब, एक वचन फुसफुसाता है,
"वह जो कमज़ोरों की रक्षा करता है" (हे, जिसका अर्थ है 'कमज़ोर' या 'असुरक्षित', और रम्ब, जिसका अर्थ है 'रक्षक')।
एक साधारण दर्शक के लिए, वे एक शक्तिशाली सिंह पर सवार, पाँच मुख वाले, दस भुजाओं वाले देवता हैं, जो विस्मयकारी शक्ति का एक दर्शन हैं। लेकिन आंतरिक दृष्टि, ज्ञान चक्षु के लिए, हेरम्ब ब्रह्मांडीय सिद्धांतों का एक जटिल मानचित्र और आध्यात्मिक साधक के लिए एक गहन मार्गदर्शक हैं।
उनके स्वरूप का गूढ़ प्रतीकवाद।।
उनका भव्य रूप पवित्र ज्यामिति और आध्यात्मिक उद्देश्य का एक समन्वय है:
· पाँच मुख (पंचानन): ये केवल पाँच सिर नहीं हैं, बल्कि पाँच मूल तत्वों, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश, के मूर्त रूप हैं। ये उनकी सर्वव्यापकता और समग्र बोध का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सभी वास्तविकताओं, भूत, वर्तमान, भविष्य, व्यक्त और अव्यक्त, को एक साथ देखते हैं।
· दस भुजाएँ (दशभुज): संख्या दस पूर्णता, सम्पूर्णता और ब्रह्मांडीय नियम (धर्म) की सभी दिशाओं में कार्य करने की शक्ति का प्रतीक है। उनके हाथों में शक्तिशाली प्रतीकों का एक शस्त्रागार है:
· कुल्हाड़ी और पाश (परशु और पाश): अज्ञान (अविद्या) के बंधनों को तोड़ने और भटकते, अनुशासनहीन मन पर लगाम लगाने के लिए।
· अक्षमाला: जप और ध्यान का प्रतीक, पवित्र ध्वनि की निरंतर लय, समय और कर्म के चक्रों का परिवर्तन।
· वरद और भय अभय मुद्रा: परम आश्वासन। उनका निचला दाहिना हाथ आशीर्वाद और आध्यात्मिक उपहार प्रदान करता है, जबकि उनका निचला बायाँ हाथ पूर्ण अभय प्रदान करता है। हेरम्ब के पास जाना सभी भय को दूर करना है, क्योंकि उनकी सुरक्षा पूर्ण है।
· उनका अपना टूटा हुआ दाँत, एक मोदक (मिठाई), और एक कमल: वे अपने यज्ञ के उपकरण (महाभारत लिखने के लिए कलम के रूप में प्रयुक्त दाँत), आध्यात्मिक आनंद का मधुर पुरस्कार (मोदक), और भौतिक अस्तित्व के कीचड़ से बेदाग उभरने वाली शुद्ध पवित्रता (कमल) धारण करते हैं।
सिंह वाहन: यह शायद उनकी सबसे विशिष्ट और गूढ़ विशेषता है। सिंह पशुओं का राजा है, अदम्य शक्ति, राजसी अधिकार और भौतिक जगत पर निर्भय प्रभुत्व का प्रतीक है।
हेरम्ब का सिंह पर सवार होना इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने अहंकार और आदिम प्रवृत्तियों की शक्ति पर विजय प्राप्त कर ली है। वे उन्हें नष्ट नहीं करते, बल्कि उन्हें वश में करते हैं, उनका मार्गदर्शन करते हैं और उनकी अपार ऊर्जा का उपयोग सुरक्षा और धर्म के लिए करते हैं।
गहन दीक्षा: आंतरिक शिशु का रक्षक।।
गूढ़ दृष्टि से, हेरम्ब जिस "कमज़ोर" की रक्षा करते हैं, वह केवल सामाजिक रूप से वंचित लोग ही नहीं हैं। यह हम सभी के भीतर का वह नाज़ुक, नवजात आध्यात्मिक स्व है, वह आत्मा जो अक्सर भयभीत रहती है, संदेह से ग्रस्त होती है, और जीवन के उतार-चढ़ाव और मन की अराजकता से आक्रांत होती है।
हेरम्ब गणपति इस बात की दिव्य पुष्टि हैं कि आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर कोई भी साधक परित्यक्त नहीं होता। जब अज्ञान की छायाएँ लंबी हो जाती हैं और भय, कामना और आसक्ति के आंतरिक राक्षस दहाड़ते हैं, तब हेरम्ब ही एक विशाल, पंचमुखी प्रहरी के रूप में खड़े होते हैं।
उनकी "ॐ" की गर्जना वह ध्वनि है जो सभी आंतरिक उथल-पुथल को शांत कर देती है।
उनका भव्य स्वरूप सदैव आपके हृदय के द्वार पर रक्षक और आपकी आत्मा की यात्रा में साथी बना रहे।
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*🎈01.🌷 अनन्त चतुर्दशी व्रत कथा एवं पूजा-विधि🌷
02.🌷🌷 अनन्त चतुर्दशी माहात्म्य एवं रहस्य 🌷🌷
03..🌷अनन्त नारायण स्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित 🌷🌷
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🍁अनन्त चतुर्दशी व्रत 🍁
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी 06 सितंबर शनिवार 2025
१.ॐ श्रीं अनंताय नमः
२ॐ ह्रीं नमो नारायणाय अनन्ताय श्रीं ॐ
३.ॐ अनन्तदेवाय च विदमहे विश्वरूपाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्
४..अनन्तं ध्यायामहे विश्वरूपं प्रपद्यामहे।
अनादिनित्यं विष्णुं तन्नो मोक्षाय प्रचोदयात् ॥
५..ॐ नमो भगवते अनन्ताय विश्वरूपाय सर्वेश्वराय
प्रलयकालानलसंहारकाय महापुरुषाय परब्रह्मणे नमः ।
ॐ अनन्तोऽसि अनन्तबाहो अनन्तशक्ते अनन्तगते
माम् अमृतत्वाय पावय पावय नमः ॥
01.🌷 अनन्त चतुर्दशी व्रत कथा एवं पूजा-विधि🌷
👉🍁अनन्त चतुर्दशी का महत्व
अनन्त चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के "अनन्त" स्वरूप की उपासना के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है।
शास्त्रों में कहा गया है –
🌹 इस दिन भगवान नारायण ने विराट विश्वरूप धारण कर समस्त ब्रह्माण्ड को अपने सूक्ष्म शरीर में धारण किया।
🌹 अनन्त चतुर्दशी पर व्रत रखने से धन, सुख, संतान, दीर्घायु तथा जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।
🌹 इस दिन गणेश विसर्जन भी होता है, अतः यह पर्व दोहरी महिमा से युक्त है।
--👉🍁2025 का शुभ समय
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी 06 सितंबर शनिवार 2025
तिथि आरंभ: 6 सितम्बर, प्रातः 03:12 बजे
तिथि समाप्ति: 7 सितम्बर, प्रातः 01:41 बजे
पूजा का श्रेष्ठ समय: 6 सितम्बर प्रातः 05:21 बजे से लेकर रात्रि 01:41 बजे तक
👉🍁 व्रत पूर्व तैयारी
1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
2. घर के पवित्र स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
3. लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान विष्णु और गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
4. एक कलश स्थापित करें – उसमें पवित्र जल, आम की पत्तियाँ रखें और ऊपर नारियल रखें।
5. अनन्त सूत्र तैयार करें – यह पीले या लाल धागे का होता है जिसमें 14 गांठें होती हैं।
👉🍁 अनन्त चतुर्दशी व्रत-विधि
1. दीपक व धूप जलाकर भगवान की स्तुति करें।
2. भगवान गणेश का पूजन करें और फिर विष्णुजी का ध्यान करें –
“शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥”
3. चौकी पर 14 तिलक करें और हर तिलक पर 1 पूड़ी और 1 पुआ (या मिठाई) अर्पित करें। यह 14 लोकों का प्रतीक है।
4. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गुड़) से भगवान का अभिषेक करें और पूजा में प्रयोग करें।
5. अनन्त सूत्र को पंचामृत में डुबोकर भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करें।
6. पूजा के बाद सूत्र को पुरुष दाहिनी बांह में और स्त्रियाँ बायीं बांह में बाँधती हैं।
इस समय मंत्र जपें –
“ॐ अनन्ताय नमः”
7. फल, पुष्प, तुलसीदल, नारियल और नैवेद्य अर्पित करें।
8. इसके बाद अनन्त चतुर्दशी की व्रत-कथा सुनें। और आरती करें।
(श्रद्धालु चाहे तो इस दिन विष्णु सहस्रनाम एवं पुरुष सूक्त का
पाठ भी कर सकते हैं।)
इस प्रकार श्रद्धापूर्वक अनन्त चतुर्दशी व्रत-पूजन करने से भगवान विष्णु अपने भक्तों को अनन्त आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
👉🍁व्रत का नियम
इस दिन उपवास रखें और केवल फलाहार करें।
पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें।
अनन्त सूत्र 14 दिन तक धारण करना चाहिए।
व्रत का संकल्प 14 वर्षों तक करने की परंपरा है।
चौदह बर्ष करने के बाद उद्यापन कर व्रत छोड़ सकते हैं
👉🍁 व्रत का फल
पाप नाश होता है।
रोग, शोक और क्लेश दूर होते हैं।
धन-धान्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
संतान-सुख और वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है।
अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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