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नागौर में दीपावली महोत्सव 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी

 नागौर में दीपावली महोत्सव 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी

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इस वर्ष पूर्व वर्ष की भांति जनता भ्रमित हो रही है कि कब दीपावली मनावें पिछले वर्ष के वें पिछले वर्ष देश में अधिकतर चतुर्दशी को तथा कुछ विद्वानों के मतानुयायी अमावस्या को दीपावली मनाई लेकिन इस वर्ष पहले वाली स्थिति में कुछ अंतर है l

 इस वर्ष नागौर विद्वज्जन की ओर से
महन्त मोहन महाराज निरंजनी, डॉ महेश दाधीच, प. मधुसूदन, रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेमजी,प.बलभद्र,प. सुनील,प. कैलाश, प. दिलीप मुथा,पंडित गोविंद सहित नागौर विद्वज्जन ने कहा अमावस्या प्रदोष काल में नहीं है। प्रदोषकाल सूर्यास्त से लेकर 144 मिनट का होता है निर्णयसागर पंचाग में "दण्डैक रजनी योगे" वाला मत भी अगर मान लें तो भी सूर्यास्त से एक घड़ी अधिक अमावस्या न होने से तारीख 21 को दीपावली मनाने का औचित्य नहीं रहा। कारण पंचाग के अनुसार सायं 6:00 बजे सूर्यास्त है। तथा अमावस्या 5:55 तक ही है। जबकि श्लोक के अनुसार सूर्यास्त से एक घड़ी से अधिक अमावस्या होनी चाहिए। इस विषय में व्रत परिचय, जयसिंहकल्पद्रुम, व्रतराज, निर्णय सिन्धु, राज मार्तण्ड में दिये गये निर्णय का अवलोकन किया। यह दीपावली अर्द्धरात्रि व्यापिनी एवं प्रदोषयुक्त मुख्य मानी गई है।

अमावस्या यदा रात्रौ दिवा भागे चतुर्दशी।

पूजनीया तदा लक्ष्मी र्विज्ञेया सुख रात्रि का ।। (राजमार्तण्ड)

अर्थः रात्रे भ्रमत्येव लक्ष्मी राश्रयितुं गृहान् ।

वर्ष निर्णयसागर पंचाग के अनुसार किंचित मात्र भी प्रदोषकाल में तारीख 21 को अमावस्या नहीं है।

इस फिर प्रश्न उठता है कि प्रदोष वाली अमावस्या मुख्य रूप मानी है। दूसरे दिन वाली को क्यों महत्व दिया तथा कोई भी शुभकार्य (मंगलकार्य) से पूर्व पितरों का कार्य किया जाता है। बाद में मंगलकार्य किया जाता है। यदि 20 तारीख को दीपावली होगी तो इस दिन अपरान्ह में अमावस्या न होने से पितृ एवं देव अमावस्या ता. 21 को कुछ पंचागकारों ने लिखा है। इस क्रम का व्यतिक्रम नहीं होगा क्या? अस्तु इस विषय में जयसिंहकल्पद्रुम में स्पष्ट लिखा है पृष्ठ संख्या 780।

प्रदोषार्थ रात्र व्यापिनी मुख्या। एकैक व्याप्तौ परैव। प्रदोषस्य मुख्यत्वादर्धरात्रेऽनुष्ठेया भावाच्चेति ।

यदा पूर्वेद्युरेव प्रदोषे लक्ष्मीं संपूज्य दीप दानं कार्यम् श्रद्धं परदिने परान्हे कार्यम् ।

यस्तु अपरान्हे प्रकर्त्तव्यं श्राद्धं पितृपरायणैः। प्रदोष समये राजन् कर्त्तव्या दीप मालिका।

करें। इससे स्पष्ट हो जाता है कि चतुर्दशी को दीपावली, लक्ष्मीपूजन कर अमावस्या के दिन अपरान्ह में पितृ कार्य श्राद्ध आदि

अगर 21 ता. को दीपावली मनायेंगे तो उस दिन प्रदोषकाल में अमावस्या न होने से मंत्र जप अनुष्ठान कैसे सिद्ध होंगे। अतः 20 त्ता. को ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। तथा अमावस्या 21 ता. को दिन में पितृ कार्य पार्वण श्राद्ध कर सकते है। इसमें किसी प्रकार की शंका की बात नहीं। अमावस्या को बलि पूजन, अन्नकूट उत्सव निषेध नहीं है। विशेष व्रतराज व्रत परिचय देख सकते है।

या कुहुः प्रतिपन्मिश्रा तत्र गाः पूजयेत्नृपः। पूजनात् त्रीणि वर्धन्ते, प्रजा गावो महिपतिः ।। (निर्णयसिन्धु पृ.सं. 255) भदायां गोकुलं क्रीडा, सदेशो वै विनश्यति। (यहां भद्रायां का अर्थ दूज से है 2-7-12 तिथि भद्रा संज्ञयक होती है।)

धार्मिक ग्रंथो के अलावा अगर बलि पूजा, गोक्रीड़न, वष्टिकाकर्षण, विषयक संदेह हो तो संवत् 2019 में निर्णयसागर पंचाग में भी (यही स्थिति बनी थी) उस समय पंडित रविशंकर जी ने चतुर्दशी को दीपावली तथा अमावस्या को गोवर्धन पूजा, बलि पूजन व अन्नकुट लिखा था। (अन्नकुट यथार्थ में गोवर्धन पूजा का ही समारोह है)

लक्ष्मीजी का सुखरात्रि व्यतीत होने से देश की प्रजा में सुख शांति समृद्धि गो जीवन वृद्धि, राज पुरूषों में विवेक, शक्ति की वृद्धि होती है। पिछले वर्ष ऐसा देखा जाये तो कुछ पंचागकारों के अनुसार दूसरे दिन पूजन करने से कितना अशांतमय वर्ष रहा है। मानवता व्यवहार वर्षा ऋतुकाल का व्यतिक्रम आपसी सामन्जस्य का अभाव, सरकार, शेयर बाजार पर कितना असर पड़ा है आप देख सकते हैं।

आशा है कि सभी विद्वज्जन धर्मप्रेमी इस निवेदन को समझकर अपना हठ छोड़कर चतुर्दशी को दीपावली मनाने का निर्णय करेंगे।

मुहूर्त:

धन तरेस ता. 18.10.2025, शनिवार

नरकचतुर्दशी ता. 19.10.2025, रविवार

दीपावली व लक्ष्मीपूजन ता. 20.10.2025, सोमवार

अन्नकूट, गोर्वधन, बलि पूजन ता. 21.10.2025, मंगलवार

गोवर्धन पूजन बलि पूजा में द्वितीया विद्धा प्रतिपदा, चन्द्र दर्शन (उदय) निषेध है जो अमावस्या में नहीं है।

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