*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 🔷आश्विन, शुक्ल पक्ष, शारदीय नवरात्रि विक्रम सम्वत 2082, 1 अक्टूबर 2025
बुधवार नवरात्र सप्ताह🌙 *🙏
*🎈दिनांक -1अक्टूबर 2025*
*🎈 दिन - बुधवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- महानवमी 07:10:13 शाम तक तत्पश्चात् दशमी*
*🎈 नक्षत्र - पूर्वाषाढा 08:05:22 am तक तत्पश्चात् उत्तराषाढा*
*🎈 योग - अतिगंड 24:32:42* रात्रि तक तत्पश्चात् सुकर्मा*
*🎈करण -बालव 06:38:23 Pm तक तत्पश्चात् तैतुल*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 12:24 am से दोपहर 01:53 am तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - धनु till 14:26:14
*🎈चन्द्र राशि - मकर from 14:26:14*
*🎈सूर्य राशि- कन्या *
*🎈 सूर्योदय - 06:28:46*
*🎈 सूर्यास्त - 06:20:03* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - उतर दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से प्रातः 05:39 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:00 ए एम, अक्टूबर 02 से 12:49 ए एम, अक्टूबर 02तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈रवि योग- 08:06 ए एम से 06:28 ए एम, अक्टूबर 02*
*🎈 व्रत पर्व विवरण - नवमी
नवरात्र का व्रत*
🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴
*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 लाभ - उन्नति-06:28 ए एम से 07:57 ए एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-07:57 ए एम से 09:26 ए एम*
*🎈काल - हानि-09:26 ए एम से 10:55 ए एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-10:55 ए एम से 12:24 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-12:24 पी एम से 01:54 पी एम वार वेला*
*🎈उद्वेग - अशुभ-01:54 पी एम से 03:23 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-03:23 पी एम से 04:52 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-04:52 पी एम से 06:21 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈उद्वेग - अशुभ-06:21 पी एम
से 07:52 पी एम*
*🎈शुभ - उत्तम-07:52 पी एम से 09:23 पी एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-09:23 पी एम से 10:54 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-10:54 पी एम से 12:25 ए एम, अक्टूबर 02*
*🎈रोग - अमंगल-12:25 ए एम से 01:56 ए एम, अक्टूबर 02*
*🎈काल - हानि-01:56 ए एम से 03:26 ए एम, अक्टूबर 02*
*🎈लाभ - उन्नति-03:26 ए एम से 04:57 ए एम, अक्टूबर 02 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-04:57 ए एम से 06:28
ए एम, अक्टूबर 02*
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🚩 *☀#जय अम्बे☀*
*🌹जय मां सच्चियाय 🌹*
*☀#शारदीय नवरात्र पर्व☀*
➖➖-➖-➖➖
🌷🌷 आश्विन नवरात्रि नवम दिवस 🌷🌷
01 अक्टूबर, बुधवार 2025
🌷🍀🌷मां सिद्धिदात्री पूजा 🌷
🍑 मां दुर्गा की सर्वत्र शक्ति...🍑 🌹🍀🌹 आश्विन शुक्ल नवमी नवरात्र 🌹🍀🌹
🍀सिद्धिदात्री -- माता दुर्गा की नवम और अंतिम शक्ति 🍀
🍁माता ‘सिद्धिदात्री’ (परमेश्वरी) की प्रादुर्भाव कथा 🍁
🍁🍁 ‘सिद्धिदात्री’ का ध्यान मंत्र स्तुति स्तोत्र🍁🍁
🍁🍁माता सिद्धिदात्री के मंत्र एवं कवचम् 🍁🍁🍁
🍁सिद्धिदात्री माता की पूजा विधि एवं भोग प्रसाद 🍁🍁
🍁🍁 सिद्धिदात्री माला मंत्र 🍁🍁
🍁 सिद्धिदात्री अष्टोत्तरशतनामावली🍁
🍁🍁 सिद्धिदात्री पंचश्लोकी (१)- (२)
🍁🍁।।श्री सिद्धिदात्री एवं महालक्ष्मी चालीसा ॥🍁🍁
🍁🍁माँ सिद्धिदात्री की आरती (१) - (२)🍁🍁
सिद्धिदात्री माता की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी पर की जाती है। नवरात्रि नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के लिए व्रत भी किया जाता है। यह दिन उन साधकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो किसी भी प्रकार की सिद्धि अथवा साधना करना चाहते हैं। जैसा कि माँ सिद्धिदात्री का नाम है, वह विभिन्न प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं।
माता सिद्धिदात्री के पूजन के साथ ही नवरात्रि महोत्सव का समापन हो जाता है।
🌷माता ‘सिद्धिदात्री’ (परमेश्वरी) की प्रादुर्भाव कथा 🌷🌷
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब ब्रह्मांड पूरी तरह से अंधेरे से भरा हुआ एक विशाल शून्य था। दुनिया मे कहीं भी किसी प्रकार का कोई संकेत नहीं था तब उस अंधकार से भरे हुए ब्रह्मांड मे ऊर्जा का एक छोटा सा पुंज प्रकट हुआ। देखते ही देखते उस पुंज का प्रकाश चारों ओर फैलने लगा, फिर उस प्रकाश के पुंज ने आकार लेना शुरू किया और अंत मे वह एक दिव्य नारी के आकार मे विस्तृत होकर रुक गया। वह प्रकाश पुंज देवी महाशक्ति के आलवा कोई और नहीं था।
सर्वोच्च शक्ति ने प्रकट होकर त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी) को अपने तेज़ से उत्तपन्न किया और तीनों देवों को इस सृष्टि को सुचारु रूप से चलाने के लिए अपने-अपने कर्तव्यों के निर्वाहन के लिए आत्मचिंतन करने को कहा।
देवी के कथनानुसार तीनों देव आत्मचिंतन करते हुए जगतजननी से मार्गदर्शन हेतु कई युगों तक तपस्या मे लीन रहें। अंतत: उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महाशक्ति ‘माँ सिद्धिदात्री’ के रूप मे प्रकट हुईं। देवी ‘माँ सिद्धिदात्री’ ने ब्रह्माजी को सरस्वती जी, विष्णुजी को लक्ष्मी जी और शिवजी को उमा या गौरी प्रदान की।
‘माँ सिद्धिदात्री’ ने ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना का भर सौंपा, विष्णु जी को सृष्टि के पालन का कार्य दिया और महादेव को समय आने पर सृष्टि के संहार का भार सौंपा। ‘माँ सिद्धिदात्री’ ने तीनों देवों को बताया की उनकी शक्तियाँ उनकी पत्नियों मे हैं जो उनके कार्यनिर्वाहन मे उनकी सहायता करेंगी। उन्होने त्रिदेवों को दिव्य-चमत्कारी शक्तियाँ भी प्रदान की जिससे वो अपने कर्तव्यों को पूरा करने मे सक्षम हो सकें। देवी ने उन्हें आठ अलौकिक शक्तियाँ प्रदान की।
इस तरह दो भागों नर एवं नारी, देव-दानव, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा दुनिया की कई और प्रजातियों का जन्म हुआ। आकाश असंख्य तारों, आकाशगंगाओं और नक्षत्रों से जगमगा उठा। पृथ्वी पर महासागरों, नदियों, पर्वतों, वनस्पतियों और जीवों की उत्पत्ति हुई। इस प्रकार ‘माँ सिद्धिदात्री’ की कृपा से सृष्टि की रचना, पालन और संहार का कार्य संचालित हुआ।
🌹एक अन्य कथा के अनुसार जब पृथ्वी पर दानव महिषासुर का उत्पात बहुत बढ़ गया था तब सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शरण मे जाते हैं, तत्पश्चात सभी देवों के सामूहिक तेज़ से माता सिद्धिदात्री देवी अष्टादशभुजा महालक्ष्मी के रूप में प्रकट होती है।और सिंहवाहिनी ‘दुर्गा’ रूप मे महिषासुर का वध करके समस्त सृष्टि की रक्षा करती हैं।
🌹एक अन्य कथा के अनुसार यही सिद्धिदात्री परमशक्ति जिन्हें आदि नारायणी या त्रैलोक्यमोहनी शक्ति भी कहते हैं।
यही सिद्धिदात्रीदेवी, त्रिदेवियों के अंश से वैष्णो देवी के रूप में पुन: धर्म और सत्य की रक्षा के लिए प्रकट हुई। और त्रिकूट पर्वत पर एक गुफा में तीन पिण्डियो के रूप में स्थापित हुईं।
🌹एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार
सृष्टि के आरंभ में, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। साथ ही मां सिद्धिदात्री की कृपा ने भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। और शक्ति के सहयोग से उन्होंने सृष्टि लीला की।
मां दुर्गा का यह अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है।
यह त्रैलोक्य मोहिनी नारायणी शक्ति भी कहलाती है
यह बहुत रूपों और अवतारों में प्रकट हुई
भगवान शिव विष्णु और ब्रहमा की समस्त शक्तियों
की मूल आधार है। इन्हीं देवी की महिमा मार्कण्डेय पुराण की
दूर्गा सप्तशती के प्राधानिक रहस्य में आद्या महालक्ष्मी परमेश्वरी के रूप में वर्णन है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व सिद्धियां हैं। माता रानी अपने भक्तों को सभी आठों सिद्धियों से पूर्ण करती हैं। मां सिद्धिदात्री को जामुनी या बैंगनी रंग अतिप्रिय है। ऐसे में भक्त को नवमी के दिन इसी रंग के वस्त्र धारण कर मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से माता की हमेशा कृपा बनी रहती हैं।
मां सिद्धिदात्री के कई नाम हैं। इनमें अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकायप्रवेशन, वाक्सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व, भावना और सिद्धि शामिल हैं। माता सिद्धिदात्री की कृपा से अठारह सिद्धिऔर नवनिधी प्राप्त होती है।
🌹मां सिद्धिदात्री का स्वरुप🌹
सिद्धिदात्री दुर्गा आद्या महालक्ष्मी स्वरूप है
सिद्धिदात्री मां कमल के फूल पर विराजमान हैं जबकि उनकी सवारी सिंह है। वह लाल कपड़े पहने हुई हैं और उसके चार हाथ हैं। उनके निचले बाएं हाथ में कमल का फूल है जबकि ऊपरी बाएं हाथ में एक शंख विराजमान है।
उनके ऊपरी दाहिने हाथ में चक्र है जबकि निचले दाहिने हाथ में एक गदा है। सिद्धिदात्री का अर्थ है- सिद्धि का अर्थ पूर्णता है जबकि दात्री का अर्थ है देने वाला।
।
कमल पुषप पर आसीन मां की 4 भुजाएं हैं। मां का वाहन सिंह है। सिद्धिदात्री मां की आराधना-उपासना कर भक्तों की लौकिक, पारलौकिक सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मां अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं जिससे कुछ भी ऐसा शेष नहीं बचता है जिसे व्यक्ति पूरा करना चाहे। व्यक्ति अपनी सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं से ऊपर उठता है और मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता है और फिर विषय-भोग-शून्य हो जाता है। इन सभी को पाने के बाद व्यक्ति को किसी भी चीज को पाने की इच्छा नहीं रह जाती है।ऐसा माना जाता है कि माता अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं, इसलिए उन्हें माता सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है।
🌷🌷माँ ‘सिद्धिदात्री’ का ध्यान 🌷🌷
🍁
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥१
अर्थ:
मैं उस देवी सिद्धिदात्री को नमन करता हूँ, जो इच्छाओं और मनोरथों की पूर्ति करने वाली हैं, जिनका चन्द्रमा आधा मुकुट जैसा जगमगाता है, और जो कमल पर विराजमान, चार भुजाओं वाली और परम यशस्विनी हैं।
🍁
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम् ।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥२
अर्थ:
मैं उस सिद्धिदात्री को भजता हूँ, जो सुनहरे वर्ण की हैं, निर्वाणचक्र पर स्थित हैं, नौ दुर्गाओं में से एक त्रिनेत्रा रूप धारण किए हैं, और जिनके हाथों में शङ्ख, चक्र, गदा और कमल है।
🍁
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्।।३
अर्थ:
वे देवी सिद्धिदात्री पटाम्बर (पीले वस्त्र) पहनती हैं, मृदु हास्यवती हैं, अनेक प्रकार के आभूषणों से अलंकृत हैं, जैसे मंजीर, हार, कंगन, बाली और रत्नकुण्डल।
🍁
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम् ॥४
अर्थ:
उनकी वन्दना और हृदय की भक्ति पल्लवों जैसी ताजगी से भरी हुई है। उनके कांतिमय कपोल, सौम्य मुखमुद्रा और मधुरता पूर्ण रूप अत्यंत आकर्षक हैं। उनका शरीर सुंदर और संतुलित, स्तन और नितम्ब सुकोमल हैं।
🌷🌷माँ ‘सिद्धिदात्री’ स्तोत्रम 🌷🌷
🍁
कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
अर्थ:
मैं उस देवी सिद्धिदात्री को नमन करता हूँ, जो सुनहरे वर्ण की हैं, जिनके हाथों में शङ्ख, चक्र, गदा और पद्म है, जिनका मुकुट तेज से चमकता है, और जिनका स्मित मुख अत्यंत आकर्षक है। वे भगवान शिव की पत्नी भी हैं।
🍁
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
नलिस्थिताम् नलनार्थी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥
अर्थ:
मैं उस सिद्धिदात्री को नमन करता हूँ, जो पीले वस्त्र धारण किए हैं, अनेक प्रकार के आभूषणों से सुसज्जित हैं, और जिन्होंने भक्तों की नारियों के हृदय में निवास किया है।
🍁
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा ।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
अर्थ:
मैं उस देवी को नमन करता हूँ, जो परमानंदमयी हैं, जो परब्रह्म और परमात्मा स्वरूप हैं, और जिनमें परम शक्ति और परम भक्ति विद्यमान है।
🍁
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
अर्थ:
मैं उस सिद्धिदात्री को नमन करता हूँ, जो संपूर्ण ब्रह्मांड की रचयिता, पालनहार, संहारक और प्रिय हैं, जो सर्वत्र पूज्य और विश्वातीत हैं।
🍁
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी ।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
अर्थ:
मैं उस देवी को नमन करता हूँ, जो भुक्ति और मुक्ति देने वाली, भक्तों के कष्ट हरने वाली, और भवसागर से पार लगाने वाली हैं।
🍁
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं ।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते।।
अर्थ:
मैं उस सिद्धिदात्री को नमन करता हूँ, जो धर्म, अर्थ और काम प्रदान करती हैं, महामोह का नाश करने वाली, मोक्ष देने वाली, और सिद्धियां प्रदान करने वाली हैं।
🌹माता सिद्धिदात्री के मंत्र 🌹🌹
१..या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
२..ॐ सिद्धिदात्र्यै च विदमहे सर्वसिद्धि दायिनी च धीमहि
तन्नो भगवति प्रचोदयात्।
३..ॐ आदिनारायण्यै च विदमहे सिद्धिदात्र्यै धीमहि तन्नो
भगवति प्रचोदयात्।
४...ॐ ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं सौ: त्रिभुवनमोहिनी सिद्धिदात्र्यै
जगतजनन्यै नमः।
५...ॐ श्रीं ह्रीं सिद्धिदात्री शक्ति रूपाय ह्रीं श्रीं ॐ।
६...ॐ ऐं श्रीं ह्रीं सिद्धिदात्री महालक्ष्मी मम् सर्व कार्य सिद्धिम्
देही देही नमः।
७...ॐ ऐं ह्री श्रीं आदिलक्ष्मी महागौरी ह्रीं शिव शक्ति नमः।
🌷🌷माँ ‘सिद्धिदात्री’ कवच 🌷🌷
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, ऐं बीजम् माँ हृदयो।
हीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजम् पातु क्लीं बीजम् माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्ववदनो।।
🌹🌹सिद्धिदात्री माता की पूजा विधि 🌹🌹
नवें दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है माता को विदा किया जाता है अतः आज के दिन प्रातः काल मे उठकर स्नान-ध्यान करके माता का आसान (चौकी) लगाना चाहिए। इसपर माता सिद्धिदात्री की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए। माता को पुष्प अर्पित कर के उन्हे अनार (फल), नैवैद्य, अर्पित करें। माता की स्तुति, ध्यान मंत्र एवं दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करना चाहिए। उसके बाद माता को मिष्ठान, पंचामृत एवं घर मे बने पकवान का भोग लगाएँ। माँ की आरती करें। इस दिन पूजा के अंत मे हवन करने का विधान है। इसी दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। माता को बैंगनी (जामुनी) रंग अत्यंत प्रिय है अतः भक्त को नवमी के दिन इसी रंग के वस्त्र पहनकर माँ सिद्धिदात्री की पूजा करनी चाहिए।
मां को मिष्ठान और फलों का भोग लगाएं। पीले फलों का भोग माता के लिए शुभ माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें।
इस दिन मां की आरती अवश्य करें।
🌹सिद्धिदात्री माता का भोग प्रसाद:+-+🌹
सिद्धिदात्री को लगाएं इन चीजों का भोग
यदि आप माता के इस स्वरुप को भोग में हलवा पूड़ी का भोग लगाएंगे तो सुख शांति बनी रहती है। इस दिन माता को काले चने का भोग भी लगाना चाहिए और इसी का भोग कन्याओं को भी खिलाना शुभ माना जाता है।
इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है
नवरात्रि के नौवें दिन विधि विधान के साथ कन्या पूजन भी किया जाता है। आमतौर पर दस वर्ष से कम उम्र की इस दिन पूजा होती है।
कन्याओं को घर में आमंत्रित किया जाता हाउ और उन्हें भोजन आदि कराया जाता है। इसके साथ उन्हें उपहार भी दिया जाता है।
कन्या रूप में देवी जी के नौवें रूप की पूजा का प्रतीक माना जाता है।
पूजन के बाद मां सिद्धिदात्री की आरती की जाती है और पूजन के साथ ही नवरात्रि का समापन हो जाता है।
नवरात्रि के नौवें दिन के बाद दशहरा मनाया जाता है।
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
🌷🌷सिद्धिदात्री माला मंत्र 🌷🌷
ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः।
ॐ काञ्चनाभायै शङ्खचक्रगदापद्मधरायै मुकुटोज्ज्वलायै स्मेरमुख्यै आद्यलक्ष्म्यै त्रैलोक्यमोहिन्यै नारायण्यै शिवशक्तिमय्यै सर्वसिद्धिदात्र्यै जगतजनन्यै प्रसीद प्रसीद भगवति।
ज्ञानदायै कर्मदायै परमानन्दमय्यै परब्रह्मरूपिण्यै परमेश्वर्यै सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै भुक्तिमुक्तिकारिण्यै भवसागरतारिण्यै।
धर्मकामप्रदायिन्यै मोक्षदायिन्यै जगन्मातृकायै नमः।
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै आरोग्यप्रदायिन्यै वैभवप्रदायिन्यै धनधान्यप्रदायिन्यै बुद्धिप्रदायिन्यै सौभाग्यप्रदायिन्यै।
धर्मसंपत्तिप्रदायिन्यै मनोवाञ्छितप्रदायिन्यै सर्वसिद्धिनाथायै त्रिनेत्रायै।
शङ्खचक्रगदाहस्तायै पद्मासनायै सुवर्णवर्णायै पीताम्बरधारिण्यै शान्तायै दयालुरूपिण्यै सर्वलोकहितायै।
तेजस्विन्यै आराध्यायै प्रचण्डसंकल्पविनाशिन्यै भक्तवत्सलायै ज्ञानप्रदायिन्यै शुभाननाम् शुभलक्षणायै।
सर्वविघ्ननाशिन्यै महामायायै महाशक्त्यै शुभंकर्यै नमः।
सर्वसंपदां प्रदायिन्यै धन्यलाभप्रदायिन्यै सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै आरोग्यसंपत्तिप्रदायिन्यै वैभवप्रदायिन्यै।
सर्वलोकहितायै महाशक्त्यै सर्वरूपसंपन्नायै त्रिलोकमात्रे चतुर्भुजायै।
अष्टभुजायै अष्टादशभुजायै सहस्रभुज्यै सहस्राननायै सिद्धगन्धर्वसेवितायै अमृतवासिन्यै।
त्रिभुवनेश्वर्यै जगन्मात्रे नमः।
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
🌷🌷 सिद्धिदात्री अष्टोत्तरशत नामावली 🌷🌷
(सिद्धिदात्री के १०८ नाम)
ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः ।
ॐ सर्वसिद्धिप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ आरोग्यप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ वैभवप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ धनधान्यप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ बुद्धिप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ सौभाग्यप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ धर्मसमृद्धिदायिन्यै नमः ।
ॐ मनोवाञ्छितफलप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ सर्वसिद्धिनाथायै नमः ॥१०॥
ॐ त्रिनेत्रायै नमः ।
ॐ चतुर्भुजायै नमः ।
ॐ पद्मासनायै नमः ।
ॐ श्वेतवर्णायै नमः ।
ॐ शान्तस्वरूपिण्यै नमः ।
ॐ करुणामूर्त्यै नमः ।
ॐ सर्वलोकहितायै नमः ।
ॐ तेजस्विन्यै नमः ।
ॐ सर्वाराध्यायै नमः ।
ॐ संकल्पविघ्नविनाशिन्यै नमः ॥२०॥
ॐ भक्तप्रियायै नमः ।
ॐ ज्ञानप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ चतुर्मुखपूजितायै नमः ।
ॐ शुभलक्षणायै नमः ।
ॐ रौद्ररूपिण्यै नमः ।
ॐ सौम्यरूपिण्यै नमः ।
ॐ विनायकपूजितायै नमः ।
ॐ महाशक्त्यै नमः ।
ॐ महादयालुशक्त्यै नमः ।
ॐ त्रैलोक्यसिद्धिप्रदायिन्यै नमः ॥३०॥
ॐ सर्वक्लेशनाशिन्यै नमः ।
ॐ दुष्टविनाशिन्यै नमः ।
ॐ सर्वरोगहरायै नमः ।
ॐ महौग्ररूपिण्यै नमः ।
ॐ भयानकायै नमः ।
ॐ चण्डरूपिण्यै नमः ।
ॐ सिद्धिनाथायै नमः ।
ॐ महाभयविनाशिन्यै नमः ।
ॐ सर्वसंपत्प्रदायिन्यै नमः ।
ॐ धनलाभप्रदायिन्यै नमः ॥४०॥
ॐ आयुष्यप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ सौम्यदायिन्यै नमः ।
ॐ कीर्तिप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ धर्मपालिन्यै नमः ।
ॐ कामधेनुरूपिण्यै नमः ।
ॐ सर्वमंगलायै नमः ।
ॐ योगिनीशक्त्यै नमः ।
ॐ तत्त्वज्ञानप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ समाधिसुखदायिन्यै नमः ।
ॐ निरामयायै नमः ॥५०॥
ॐ त्रिनेत्रधारिण्यै नमः ।
ॐ चतुर्भुजधारिण्यै नमः ।
ॐ शंखचक्रगदाधारिण्यै नमः ।
ॐ कमलकरायै नमः ।
ॐ अभयप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ वरदायिन्यै नमः ।
ॐ कमलमालाभूषितायै नमः ।
ॐ स्वर्णाभरणशोभितायै नमः ।
ॐ श्वेतपुष्पप्रियायै नमः ।
ॐ गजवाहनायै नमः ॥६०॥
ॐ ऋषिपूजितायै नमः ।
ॐ देवपूजितायै नमः ।
ॐ ब्रह्मादिसंस्तुतायै नमः ।
ॐ विष्णुप्रियायै नमः ।
ॐ महेश्वराराधितायै नमः ।
ॐ वेदगम्यायै नमः ।
ॐ वेदमातृकायै नमः ।
ॐ मन्त्रेश्वर्यै नमः ।
ॐ तन्त्रस्वरूपिण्यै नमः ।
ॐ ध्यानगम्यायै नमः ॥७०॥
ॐ साधकानुग्रहकारिण्यै नमः ।
ॐ तपोफलप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ योगसिद्धिप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ अद्भुतरूपिण्यै नमः ।
ॐ सर्वशक्तिस्वरूपिण्यै नमः ।
ॐ निर्भयायै नमः ।
ॐ अनन्तशक्त्यै नमः ।
ॐ परमेश्वर्यै नमः ।
ॐ कामरूपिण्यै नमः ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः ॥८०॥
ॐ महासरस्वत्यै नमः ।
ॐ महाकाल्यै नमः ।
ॐ दुर्गारूपिण्यै नमः ।
ॐ अन्नपूर्णायै नमः ।
ॐ आदिशक्त्यै नमः ।
ॐ जगदम्बायै नमः ।
ॐ विश्वजनन्यै नमः ।
ॐ त्रिगुणात्मिकायै नमः ।
ॐ ब्रह्ममायायै नमः ।
ॐ नारायण्यै नमः ॥९०॥
ॐ महेश्वर्यै नमः ।
ॐ कात्यायन्यै नमः ।
ॐ कालरात्र्यै नमः ।
ॐ महागौरीशक्त्यै नमः ।
ॐ चण्डिकायै नमः ।
ॐ शूलधारिण्यै नमः ।
ॐ खड्गधारिण्यै नमः ।
ॐ शरणागतवत्सलायै नमः ।
ॐ भक्ताभीष्टफलप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ सर्वसंपन्नायै नमः ॥१००॥
ॐ अनन्तरूपिण्यै नमः ।
ॐ जगत्पालिन्यै नमः ।
ॐ मायामोहनाशिन्यै नमः ।
ॐ महाभद्रायै नमः ।
ॐ सर्वविद्येश्वर्यै नमः ।
ॐ महामंगले नमः ।
ॐ परमकारुणिकायै नमः ।
ॐ भव्यरूपिण्यै नमः ।
ॐ त्रैलोक्यमोहिन्यै नमः ।
ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः ॥१०८॥
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
🌷🌷श्रीसिद्धिदात्री पंचश्लोकी (१)🌷🌷
🍁
सिद्धिदात्रीं चतुर्भुजां पद्मासने संस्थिताम् ।
लक्ष्मीकान्ति महादेवीं नमामि सिद्धिदातरम् ॥१॥
हिन्दी अर्थ:
सिद्धि देने वाली, चार भुजाओं वाली, कमलासन पर विराजित लक्ष्मी जैसी महादेवी सिद्धिदात्री को नमन।
🍁
कामाञ्छत्यर्थदात्रीं जीवितं जयप्रदां च ।
सर्वसिद्धिप्रदायां च सिद्धिदात्रीं नमाम्यहम् ॥२॥
हिन्दी अर्थ:
कामना, अर्थ, जीवित, और विजय देने वाली, सर्वसिद्धि प्रदान करने वाली सिद्धिदात्री को प्रणाम।
🍁
शक्तिपट्टं मण्डितां च श्रीसिद्धिदात्रीं भजेऽहम् ।
शेषसर्वविनाशायां जम्बुकुण्डलधारिणीम् ॥३॥
हिन्दी अर्थ:
शक्तिपट्ट से सुशोभित, जटामालाओं से सजित श्रीसिद्धिदात्री को मैं भक्तिभाव से पूजता हूँ, जो शेष शत्रुओं का विनाश करती हैं।
🍁
पापहरे शुभालये च स्तोम्ये कल्याणदायिने ।
शरण्ये दुःखभञ्जने च सिद्धिदात्रि नमोऽस्तु ते ॥४॥
हिन्दी अर्थ:
पाप हरने वाली, शुभ परिणाम देने वाली, शरण देने वाली और दुःख हरने वाली सिद्धिदात्री देवी को नमस्कार।
🍁
स्तोत्रं ये पठन्ति श्रद्धया सिद्धिदात्रीं स्मरन् ।
सर्वकामसिद्धिं तेषां दैत्यानाशं लभते जनः ॥५॥
हिन्दी अर्थ:
जो श्रद्धापूर्वक सिद्धिदात्री का स्मरण करते हुए यह स्तोत्र पढ़ते हैं, उन्हें सभी कामनाएं पूरी होती हैं और दैत्य नाश होता है।
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
🌷🌷श्रीसिद्धिदात्री पंचश्लोकी (२)🌷🌷
सिंहवाहिनीं देवीं त्रिनेत्रां शङ्खचक्रगदापद्मधराम्।
सर्वसिद्धिप्रदां नित्यां सिद्धिदात्रीं नमाम्यहम्॥१॥
हिन्दी अर्थ:
सिंह पर आरूढ़, त्रिनेत्रधारी, शंख-चक्र-गदा-पद्म धारण करने वाली, नित्य सिद्धियाँ प्रदान करने वाली सिद्धिदात्री को मैं प्रणाम करता हूँ।
🍁
त्रितापसंहारिणीं देवीं शत्रुसंघारकारिणीम्।
भक्तवत्सलतां नित्यां सिद्धिदात्रीं नमाम्यहम्॥२॥
हिन्दी अर्थ:
जो त्रिविध ताप का नाश करने वाली, शत्रुओं का संहार करने वाली और भक्तवत्सला हैं, उस सिद्धिदात्री देवी को नमस्कार है।
🍁
दुष्टभीतहरां देवीं भक्ताभीष्टफलप्रदाम्।
श्रीमद्सिंहासनारूढां सिद्धिदात्रीं नमाम्यहम्॥३॥
हिन्दी अर्थ:
जो दुष्टों का भय हरती हैं, भक्तों को मनोवांछित फल देने वाली और दिव्य सिंहासन पर विराजमान हैं, उन सिद्धिदात्री को प्रणाम करता हूँ।
🍁
सिद्धगन्धर्वपूजितां देवीं शुभां सुखसमृद्धिदाम्।
त्रैलोक्यजननीं नित्यां सिद्धिदात्रीं नमाम्यहम्॥४॥
हिन्दी अर्थ:
सिद्धों और गंधर्वों द्वारा पूजित, सुख और समृद्धि प्रदान करने वाली, त्रिलोक की जननी नित्य स्वरूपिणी सिद्धिदात्री को नमस्कार है।
🍁
स्तोत्रेणानेन ये नित्यं भक्त्या सिद्धिदात्रीम्।
स्मरन्ति ते लभन्त्येव सर्वसिद्धिं विनिर्मलाम्॥५॥
हिन्दी अर्थ:
जो भक्तिपूर्वक इस स्तोत्र से नित्य सिद्धिदात्री का स्मरण करते हैं, वे सभी निर्मल सिद्धियाँ प्राप्त करते हैं और दुःखों से मुक्त होते हैं।
🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀
🌷🌷सिद्धिदात्री माता चालीसा🌷🌷
१
जय सिद्धिदात्री जगदम्बे, करुणा रूप अपार।
भक्तन हित कर दया सदा, जग में तेरा सार॥
२
नवमी तिथि में पूजी जाती, सिद्धि की तू खान।
नौ सिद्धि, अठारह शक्ति, तेरे ही वरदान॥
३
सिंहासन पर विराजे माता, कमल पुष्प सुसज्ज।
चतुर्भुजा कर में शोभा, गदा, शंख और ग्रंथ॥
४
भक्ति कर जो ध्यावे तुझको, पावे सिद्धि महान।
सर्व मनोरथ पूर्ण होवें, मिटे भवसंताप॥
५
असुरन दल भयभीत हुए, जब तेरा रूप निहारा।
साधक, योगी, देव सभी ने, तुझको ही संजोया॥
६
ज्ञान, विवेक, ध्यान की दात्री, तू ही परम विद्या।
तेरे बिना अधूरा जग है, तुझसे ही सब सिद्धा॥
७
सिद्धियों की अधिष्ठात्री माता, सबकी तू आधार।
भक्तन पर करुणा कर देती, जीवन सफल अपार॥
८
भक्ति भाव से जो जपे, तेरा नाम निशान।
वह पावन हो, पूर्ण होवे, पावे मुक्ति दान॥
९
गंध, पुष्प, नैवेद्य चढ़ाकर, करें भक्त उपास।
सिद्धिदात्री कृपा करें जब, मिटे सभी संकर्ष॥
१०
जय जय जय सिद्धिदात्री, जगदम्बा भवतारिणी।
भक्तन के हित काम करनारी, भव भविनाशिनि॥ (१०)
११
नवदुर्गा में अंतिम तू ही, पूर्ण करे साधन।
तेरी भक्ति से जीव सदा, पावे मोक्ष महान॥
१२
ध्यान धरूँ जब तेरे चरण, मन हो निर्मल।
संसारिक बंधन कट जाते, बनूँ मैं निष्कल्मल॥
१३
तेरी महिमा का गुणगान, वेद पुराण सुनाएँ।
सभी देव तुझको प्रणम्य, तेरे चरण धरें॥
१४
भक्त की रक्षा करनेवाली, संकट दूर हटाती।
सिद्धिदात्री कृपा करनारी, सबको सुख पहुँचाती॥
१५
ध्यान तेरे करूँ निरंतर, मिले समाधि सुख।
भवसागर से पार कराती, कर देती दुख मुख॥
१६
अणिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्त हों सहज।
तेरे ही वर से मिलते, भक्तन जीवन सशक्त॥
१७
ईश्वरीय सिद्धि दायिनी, तू ही परम समर्थ।
तेरे चरणों की शरण में, मिले सदा सुखपथ॥
१८
तुझसे सिद्धि पाकर योगी, त्रिकाल जान पाते।
तेरे बिना जगत अधूरा, देव सभी गुनगाते॥
१९
नवदुर्गा की महिमा में, तेरी महिमा न्यारी।
भक्त तुझे जब भजते नित, कष्ट मिटें भारी॥
२०
तेरा ध्यान करूँ दिन-रैन, मन पावे विश्राम।
सिद्धिदात्री माँ कृपा करो, दो भक्ति अविराम॥ (२०)
२१
तेरे ध्यान से सिद्धियाँ मिलें, साधक हो प्रसन्न।
जीवन में सुख-शांति लहराए, बन जाए अति धन्य॥
२२
कठिन कार्य सब सहज बने, जो तेरा स्मरण करे।
विघ्न-बाधा कभी न आवे, जीवन सुख भरे॥
२३
तेरे चरणों का ध्यान करूँ, हर पल मैं प्राण।
भवबन्धन से मुक्त कराती, तू ही मोक्ष प्रदान॥
२४
तेरे बिना न शक्ति कहीं, न कोई और सहारा।
तू ही विश्व की पालक माता, तू ही भवतारिणी प्यारी॥
२५
तेरी पूजा से साधक पाए, अष्टसिद्धि समस्त।
रिद्धि, सिद्धि और ऐश्वर्य, बनते उसके हस्त॥
२६
तेरा नाम जपें जब कोई, मिटे सबी विषाद।
तेरे आशीष से बढ़े जीवन, मिले सुख अनादि॥
२७
नवदुर्गा की पूर्ण महिमा, तुझसे ही समायी।
सिद्धिदात्री माँ के चरणों में, शक्ति अमोघ समाई॥
२८
सच्चे मन से जो तुझे ध्यावे, बने परम ज्ञानी।
तेरी कृपा से जग में पावे, अमर सुख कहानी॥
२९
भक्ति से जो गाये गुण तेरा, बने भव से मुक्त।
तेरी कृपा से साधक पाए, जीवन का सच्चा सुख॥
३०
जय सिद्धिदात्री जगदम्बे, भक्तन की रखवाली।
तू ही जग की शक्ति असीम, तू ही त्रैलोक्य प्यारी॥ (३०)
३१
तेरी महिमा अपरंपार, गाता नहीं जुबां।
माता तुझसे ही जग है, तुझसे ही सब प्राण॥
♨️ ⚜️ 🕉🌞 🌞🕉 ⚜🚩
~~~~~~~~~~~💐💐〰
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩