*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 🔷आश्विन, शुक्ल पक्ष, विजयादशमी शारदीय नवरात्रि विक्रम सम्वत 2082, 2 अक्टूबर 2025
गुरुवार नवरात्र पर्व🌙 *🙏
*🎈दिनांक -2 अक्टूबर 2025*
*🎈 दिन - गुरुवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- दशमी 19:10:13 शाम तक तत्पश्चात् एकादशी*
*🎈 नक्षत्र - उत्तराषाढा 09:12:16 am तक तत्पश्चात् श्रवण*
*🎈 योग - सुकर्मा 23:27:28* रात्रि तक तत्पश्चात् धृति*
*🎈करण -तैतुल 07:11:15
am तक तत्पश्चात् वणिज*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- सुबह 01:53 am से दोपहर 03:22 am तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - मकर *
*🎈सूर्य राशि- कन्या *
*🎈 सूर्योदय - 06:29:14*
*🎈 सूर्यास्त - 18:18:56* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से प्रातः 05:40 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:48 पी एम (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:00 ए एम, अक्टूबर 03 से 12:49 ए एम, अक्टूबर 03तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈रवि योग- पूरे दिन*
*🎈 व्रत पर्व विवरण - दशमी
नवरात्र का व्रत*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 शुभ - उत्तम-06:28 ए एम से 07:57 ए एम*
*🎈रोग - अमंगल-07:57 ए एम से 09:26 ए एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-09:26 ए एम से 10:55 ए एम*
*🎈चर - सामान्य-10:55 ए एम से 12:24 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-12:24 पी एम से 01:53 पी एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-01:53 पी एम से 03:22 पी एम*
*🎈काल - हानि-03:22 पी एम से 04:51 पी एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-04:51 पी एम से 06:20 पी एम वार वेला*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-06:20 पी एम से 07:51 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-07:51 पी एम से 09:22 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-09:22 पी एम से 10:53 पी एम*
*🎈काल - हानि-10:53 पी एम से 12:24 ए एम, अक्टूबर 03*
*🎈लाभ - उन्नति-12:24 ए एम से 01:55 ए एम, अक्टूबर 03 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-01:55 ए एम से 03:26 ए एम, अक्टूबर 03*
*🎈शुभ - उत्तम-03:26 ए एम से 04:58 ए एम, अक्टूबर 03*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-04:58 ए एम से 06:29 ए एम, अक्टूबर 03*
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🚩 *☀#जय अम्बे☀*
*🌹जय मां सच्चियाय 🌹*
*☀#शारदीय नवरात्र पर्व☀*
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🌷🌷 आश्विन नवरात्रि दशमी
दिवस 🌷🌷
अक्टूबर, गुरूवार2025
🌷🍀🌷विजय दिवस दशहरा पूजा 🌷
🍑* दश महाविद्या: मां दुर्गा की सर्वत्र शक्ति...🍑
2 अक्टूबर 2025 विजया दशमी विशेष लक्ष्मी कुबेर साधना।
जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं रहेगी, हर तरह से पैसा आने का योग बनेगा, पैसे से संबंधित सभी प्रकार के अभाव से मुक्ति मिलेगी।
🟠शुभ समय
विजय मुहूर्त: प्रातः 10:30 से 12:30
या सायं 4:00 से 6:00 (यदि सुबह न कर पाएं)
🟠सामग्री सूची
1. पीले वस्त्र
2. स्वच्छ आसन (पीला कपड़ा उत्तम)
3. माँ लक्ष्मी व कुबेर का चित्र/प्रतिमा
4. घी का दीपक, रुई की बाती
5. 11 पीले फूल (गेंदे के हो तो उत्तम)
6. हल्दी, अक्षत (चावल), चंदन
7. पीली मिठाई (मोतीचूर लड्डू/बूंदी)
8. कुबेर यंत्र (यदि उपलब्ध हो)
9. एक तांबे/चाँदी का सिक्का (न हो तो साधारण सिक्का भी चलेगा)
10. जल का पात्र, अगरबत्ती
🟠 साधना विधि
शुद्धि और आसन
स्नान कर पीले वस्त्र पहनें।
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पीले आसन पर बैठें।
सामने माँ लक्ष्मी व कुबेर का चित्र/प्रतिमा स्थापित करें।
दीपक जलाएँ, धूप/अगरबत्ती जलाएँ।
🟠संकल्प
दोनों हाथ जोड़कर बोलें:
“मैं (अपना नाम), आज विजया दशमी के पावन पर्व पर, माँ लक्ष्मी और कुबेर देव की कृपा प्राप्ति हेतु यह साधना करता हूँ। मेरी सभी ऋण बाधाएँ दूर हों, घर में धन-धान्य व समृद्धि का वास हो।”
🟠पूजन
माँ लक्ष्मी को हल्दी, चंदन, अक्षत और 11 फूल अर्पित करें।
कुबेर यंत्र/सिक्के पर हल्दी-अक्षत रखें।
🟠पाठ और मंत्र-जप
1. श्रीसूक्त पाठ – 3 बार
(वेदपाठी शैली में न हो पाए तो सामान्य पाठ भी कर सकते हैं)
2. फिर मंत्र-जप करें:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः”
न्यूनतम 11 माला (1188 जप)
यदि समय व शक्ति हो तो 21 माला (2268 जप) करें।
🟠विशेष क्रिया
जप के बाद पूजा में रखा सिक्का माँ लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श कर पर्स/तिजोरी में रखें।
यह धन-आकर्षण यंत्र की तरह काम करेगा।
🟠समापन
“ॐ विजयायै नमः” मंत्र 108 बार जपें।
फल/मिठाई अर्पित कर प्रसाद बाँटें।
अंत में आरती करें और साधना पूर्ण करें।
🟠साधना का लाभ
ऋण धीरे-धीरे समाप्त होंगे।
रुका हुआ धन प्राप्त होगा।
व्यवसाय, नौकरी या निवेश से धन-संपत्ति में वृद्धि।
घर में अन्न, वस्त्र और धान्य की कभी कमी नहीं रहेगी।
लक्ष्मी-कुबेर की कृपा से स्थायी समृद्धि।
♨️ ⚜️ 🕉🌞 🌞🕉 ⚜🚩🌷🌷विजयादशमी (दशहरा) स्तवन 🌷🌷
🍁 देवी ध्यानम्
शरत्पूर्णेन्दुसङ्काशं, चतुर्भुजं महेश्वरि ।
त्रिनेत्रां सिंहगमनीं, ध्यायेत् विजयदायिनीम् ॥
अर्थ:
शरत् ऋतु के पूर्ण चन्द्रमा के समान उज्ज्वल मुख वाली, चार भुजाओं से विभूषित, त्रिनेत्रों वाली, सिंहवाहिनी देवी का ध्यान करना चाहिए, जो विजय प्रदान करने वाली हैं।
🍁श्रीसीताराम ध्यानम्🍁
शरत्पूर्णेन्दुवदनं, कदम्बकुसुमप्रभम् ।
चारुभुजं धनुर्धरं, सीतया सहितं हरिम् ॥
शान्तं पद्मासनस्थं च, पीतवाससमव्ययम् ।
त्रैलोक्यनाथं रामं तं, ध्यायेद् रावणमर्दनम् ॥
अर्थ:
हे साधक! शरत् पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान मुखमण्डल वाले, कदम्ब-पुष्प की प्रभा जैसे सुन्दर कांति से युक्त, चार भुजाओं वाले धनुर्धर श्रीहरि राम का ध्यान करो। वे सीताजी के साथ पद्मासन पर विराजमान हैं, पीताम्बर धारण किए हुए, शांत और दिव्य स्वरूप से आलोकित हैं। वही त्रैलोक्य के स्वामी रघुनन्दन रावण-विजयी श्रीराम हैं।
मंगलाचरण
🍁
जयति देवी चामुण्डा जय जयाद्या महामता।
जयतेऽस्तु महाशक्ति: सर्वशत्रुविनाशिनी ॥
अर्थ:
हे जगत्पालिनी देवी चामुण्डा! आपकी जय हो। हे आद्य शक्ति! आप सर्वशत्रुओं का विनाश करने वाली और महान ज्ञान वाली हैं, आपकी महिमा सदा बनी रहे।
🍁
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे।
रामेणाभिहता निशाचरचमूः रामाय तस्मै नमः ॥
अर्थ:
हे रघुकुल नायक श्रीराम, जो राजाओं के बीच रत्न के समान हैं, आपकी विजय सदा बनी रहे। मैं राम का भजन करता हूँ, जिन्होंने अपने वीरता और धर्मपरायणता से रावण और उसके निशाचर सेना का संहार किया। ऐसे श्रीराम को मेरा नमस्कार।
🍁
देव्याः प्रसादात् सर्वं मे भवेद्विजयमेव हि।
दशहरोऽयं महानन्दः पावयेत् सर्वमङ्गलम् ॥
अर्थ:
हे देवी! आपके कृपापरायण होने से मेरे जीवन में सर्वत्र विजय और सफलता प्राप्त हो। यह विजयादशमी का महान पर्व मुझे सर्वसंपन्न और मंगलमय बनाए।
🍁
विजया भव रामेशि विजयाश्रितपालिनि।
विजयादशमी पुण्या विजयं मे प्रदायिनि ॥
अर्थ:
हे श्रीराम और देवी! आप मेरी रक्षा करने वाली और मेरी विजय के आधार हैं। इस पुण्यदायक विजयादशमी पर, आप मुझे सच्ची और स्थायी विजय प्रदान करें।
🍁
महिषासुरसंहारिणि त्रैलोक्यत्राणकारिणि।
कात्यायनि महेशानि विजयदाश्वमे शुभे ॥
अर्थ:
हे कात्यायनी महाशक्ति! आप महिषासुर का संहार करने वाली, त्रैलोक्य की रक्षा करने वाली और शुभ विजय की आदिकर्त्री हैं। आपकी कृपा से यह विजयदशमी मंगलमय और सर्वसिद्धि देने वाली बने।
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🍁
जयति जयति दुर्गा देव्या विजयप्रदा।
जयति रघुनाथो रामो रावणनाशकः॥१
अर्थ: विजय देने वाली माँ दुर्गा की जय हो, और रावण का नाश करने वाले रघुनाथ श्रीराम की जय हो।
🍁
शरणं त्वां प्रपद्येऽहं शरण्ये लोकपालिनि।
शमीपत्रं समादाय जयायै पूजये सदा॥२
अर्थ: हे जगतपालिनी माँ! मैं आपकी शरण में आता हूँ। शमीपत्र अर्पित करके मैं सदा विजय की कामना करता हूँ।
🍁
विजया चापराजिता च पूजिता शस्त्रधारिणी।
सर्वशत्रुविनाशाय सर्वसंपत्प्रदा भव॥३
अर्थ: विजया और अपराजिता देवी शस्त्रधारिणी हैं, वे शत्रुओं का नाश करें और समृद्धि प्रदान करें।
🍁
रामो रावणसंघाते यथा दुर्गां समर्चयत्।
तथा ममापि विघ्नानि नश्यन्तु जननी शुभे॥४
अर्थ: जैसे श्रीराम ने रावण-संग्राम से पहले माँ दुर्गा की पूजा की, वैसे ही मेरे जीवन के विघ्न नष्ट हों।
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महिषासुरसंहत्रि चामुण्डे भीषणप्रिये।
विजयादशम्यै नन्दिन्यै नमोऽस्तु भवतां सदा॥४
अर्थ: महिषासुर का संहार करने वाली भीषण चामुंडा को विजयादशमी के दिन नमन है।
🍁,
सिंहवाहिनि दुर्गे त्वं विजयायै नमोऽस्तु ते।
शस्त्रपूजाफलेनैव मे सदा जयमावह॥६
अर्थ: हे सिंहवाहिनी दुर्गे! शस्त्र-पूजन के पुण्य से मुझे सदैव विजय प्रदान करो।
🍁
शस्त्राणि तेजसा पूर्णानि दिव्यास्त्रप्रदायिनि।
तव कृपान्वितेनैव सदा रक्षां करोतु मे॥७
अर्थ: आपकी कृपा से शस्त्र दिव्य तेज से भर जाते हैं, वे सदा मेरी रक्षा करें।
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अपराजिता नमस्तेऽस्तु विजयादशमीप्रिये।
सर्वविघ्नप्रशमनी शत्रुहन्त्री नमोऽस्तु ते॥८
अर्थ: विजयादशमी की अधिष्ठात्री अपराजिता देवी, जो विघ्न और शत्रु का नाश करती हैं — उन्हें प्रणाम।
🍁
रामेण पूजिता दुर्गा रावणं हत्वा सुतोषिता।
तस्मात्सिद्धिप्रदा नित्यं विजयादशमी स्मृता॥९
अर्थ: राम द्वारा पूजित दुर्गा रावणवध से प्रसन्न हुईं, इसलिए यह विजयादशमी सदा सिद्धि प्रदान करने वाली मानी जाती है।
🍁
मम कार्ये सदा सिद्धिं विजयां त्वं प्रयच्छ मे।
सर्वदुःखनिवारणि विजयादशमि नमः॥१०
अर्थ: हे विजयादशमी! मेरे कार्यों में सफलता दो और दुःखों का निवारण करो।
🍁
शमीपत्रं समादाय यो नरः पूजयेद्धृतः।
तस्य वित्तवृद्धिः स्यात् शत्रवः सर्वतो हताः॥११
अर्थ: जो दशमी को शमीपत्र लेकर पूजा करता है, उसके धन में वृद्धि होती है और शत्रु नष्ट होते हैं।
🍁
सिंहवाहिनि महादुर्गे त्रिनेत्रे पापनाशिनि।
मम जीवनविघ्नानि हन्याः सर्वाणि मातरि॥१२
अर्थ: त्रिनेत्रा सिंहवाहिनी दुर्गा मेरे जीवन के सभी विघ्नों को नष्ट करें।
🍁
नमोऽस्तु शस्त्रदेव्यै च रथिन्यै जयकारिणि।
विजयायै महादेव्यै विजयादशमि नमः॥१३
अर्थ: शस्त्रधारिणी, रथारोहिणी विजय देने वाली महादेवी को प्रणाम।
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रामो रावणवैरिण्यै दुर्गायै प्रणतोऽस्म्यहम्।
लक्ष्मीः स्थिरा मम गृहे धनधान्यसमन्विता॥१४
अर्थ: मैं दुर्गा की वंदना करता हूँ, जिन्होंने राम को रावण पर विजय दिलाई। वे मेरे घर में स्थिर लक्ष्मी और धनधान्य प्रदान करें।
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सर्वशत्रुनिवारणि सर्वरोगनिवारिणि।
सर्वसम्पत्प्रदायिन्यै विजयादशमि नमः॥१५
अर्थ: हे विजयादशमी! आप सभी शत्रु और रोगों का नाश करने वाली और समृद्धि देने वाली हैं — आपको प्रणाम।
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शरणं गच्छ रामं च सीतां लक्ष्मणपूर्वकम्।
हनूमन्तं महाशक्तिं विजया देव्यायै नमः॥१६
अर्थ: मैं राम, सीता, लक्ष्मण और शक्ति-स्वरूप हनुमान की शरण लेकर विजया देवी को प्रणाम करता हूँ।
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आयुधानां पूजनं च शस्त्रसेवा महाफलम्।
कृतं यद्रघुनाथेन तदेवास्तु ममापि हि॥१७
अर्थ: जैसे रघुनाथ श्रीराम ने शस्त्र पूजन किया, वैसे ही वह फल मुझे भी मिले।
🍁
सर्वविघ्नप्रशमनी सर्वसिद्धिप्रदा सदा।
विजयादशमी पुण्या तव स्तोत्रेण तुष्यतु॥१८
अर्थ: विजयादशमी विघ्नों का नाश करने वाली और सिद्धि देने वाली है, वह इस स्तोत्र से प्रसन्न हों।
-🍁
शमीपत्रं सुवर्णं च यो ददाति समाहितः।
तस्य भाग्यवृद्धिः स्यात् शत्रवः सर्वतो हताः॥१९
अर्थ: जो शमीपत्र और स्वर्ण का आदान-प्रदान करता है, उसका भाग्य बढ़ता है और शत्रु नष्ट होते हैं।
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रामोऽस्तु मे मनोवाञ्छितसिद्धिप्रदः सदा।
दुर्गा जयतु मे नित्यं विजयादशमि जयतु॥२०
अर्थ: राम मेरी मनोकामनाएँ पूर्ण करें, दुर्गा सदा मुझे विजय दें और विजयादशमी जयप्रद बने।
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नमो विजयायै दुर्गायै रघुनाथाय च।
हनूमते च शक्त्यै च विजयादशमि नमः॥२१
अर्थ: विजय प्रदान करने वाली दुर्गा, रघुनाथ और शक्ति स्वरूप हनुमान को प्रणाम।
🍁
रामचन्द्रं नमस्यामि धनुर्बाणधरं विभुम्।
यस्य स्मरणमात्रेण दुष्टाः संहर्यते ध्रुवम्॥२२
अर्थ: धनुष-बाणधारी श्रीराम को प्रणाम, जिनका स्मरण करने से ही दुष्टों का नाश हो जाता है।
🍁
सीतया सह रामेण पूजिता या महेश्वरी।
सदा सौख्यप्रदा देवी तां नमामि दशम्यहम्॥२३
अर्थ: जिस महेश्वरी की पूजा राम और सीता ने की, वह सदा सुख देने वाली देवी है — मैं दशमी को प्रणाम करता हूँ।
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विजया जयसिद्धिः सा अपराजिता महाबला।
विजयादशम्यां पूज्येया नरो विजयी भवेत्॥२४
अर्थ: विजया और अपराजिता महाशक्ति दशमी को पूज्य हैं — उनकी उपासना करने वाला सदा विजयी होता है।
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शमीवृक्षसमाराध्यं स्वर्णपत्रसमर्पणम्।
यः करोति सदा भक्त्या तस्य नश्यन्ति विघ्नकाः॥२५
अर्थ: शमीवृक्ष की आराधना और स्वर्णपत्र अर्पण करने से विघ्न नष्ट होते हैं।
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शस्त्रपूजां करोत्येष विजयादशम्यां नरः।
स विजयी सदा लोके धर्मार्थकाममोक्षभाक्॥२६
अर्थ: जो दशमी पर शस्त्र पूजन करता है, वह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का भागी होकर विजयी होता है।
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रथिनां जयदा देवी गजवाहनसंस्थिते।
सिंहवाहिनि दुर्गे त्वं विजयायै नमोऽस्तु ते॥२७
अर्थ: गज और सिंह पर आरूढ़ दुर्गा, जो रथियों को विजय देती हैं — उन्हें प्रणाम।
🍁
रावणं नाशयामास रामो दुर्गां प्रपूजयन्।
तस्माद्विजयादशमी विजयस्य महोत्सवः॥२८
अर्थ: श्रीराम ने दुर्गा की पूजा कर रावण का नाश किया, इसलिए विजयादशमी विजय का महोत्सव है।
🍁
आयुधानि प्रसन्नानि तेजसा पूरितानि च।
रामेण पूजितानि यानि तानि मे जयदा भवेत्॥२९
अर्थ: राम द्वारा पूजित शस्त्र तेज से भरे और विजयदायक हुए — वे मेरे लिए भी विजयकारी हों।
🍁
विजयादशमी पुण्या सर्वकर्मफलप्रदा।
नरो यः श्रद्धया पठ्येत् तस्य सर्वं प्रसीदति॥३०
अर्थ: विजयादशमी पुण्य देने वाली और सभी कर्मों का फल देने वाली है। जो इसे श्रद्धा से स्मरण करता है, उसके कार्य सफल होते हैं।
🍁
जयतु देवी अपराजिता जयतु सीता रघुनाथः।
विजयादशमी पर्वे तेषां स्तुतिर्यथा सदा भवेत्॥३१
हे देवी अपराजिता! हे सीता और रघुनाथ!
इस विजयादशमी पर्व पर आपकी स्तुति सदा बनी रहे।
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शत्रवो नश्यन्ति सर्वे रोगाः क्षीयन्ति नित्यशः।
विजयादशमीस्मरणात् धनधान्यसमन्वितः॥३२
अर्थ: विजयादशमी का स्मरण करने से शत्रु और रोग नष्ट होते हैं और धनधान्य की वृद्धि होती है।
🍁
स्तोत्रं विजयादशमी यः पठेत् भक्तिसंयुतः।
सर्वविजयमाप्नोति श्रीरामदुर्गया सह॥३३
अर्थ: जो भक्तिपूर्वक इस विजयादशमी स्तोत्र का पाठ करता है, वह श्रीराम और दुर्गा की कृपा से सर्वत्र विजय प्राप्त करता है।
-🍁फलश्रुति 🍁
विजयादशमी पर इस स्तोत्र का पाठ करने से —
शत्रु-विनाश, रोग-निवारण, धन-धान्य-समृद्धि और सभी कार्यों में सफलता निश्चित होती है।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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