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पंचांग - 22-10-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

JYOTIS


नागौर राजस्थान मानक समयानुसार 

*🎈दिनांक -22 अक्टूबर2025*
*🎈 दिन -   बुधवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष -  शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- प्रतिपदा    08:16:10pm तक तत्पश्चात् द्वितीया*
*🎈 नक्षत्र -         स्वाति    25:50:49am तत्पश्चात्         विशाखा*
*🎈 योग -     प्रीति    28:04:40* am तक तत्पश्चात् आयुष्मान*
*🎈करण    - किन्स्तुघ्न    07:03:51*Am तक तत्पश्चात् बालव*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- सुबह 12:19 दोपहर 01:44pm तक  
*🎈चन्द्र राशि    -   तुला*
*🎈सूर्य राशि-       तुला    *
*🎈सूर्योदय - 06:39:59:am*
*🎈सूर्यास्त -17:58:35pm* 
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से प्रातः 05:48 तक 
*🎈अभिजित मुहूर्त-    कोई नहीं
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:54 पी एम से 12:45 ए एम, अक्टूबर 23तक*
*🎈अमृत काल-    04:00 पी एम से 05:48 पी एम*
*🎈 व्रत एवं पर्व- भाई दूज पर्व

shri

gau


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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
   मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 लाभ - उन्नति-06:39 ए एम से 08:04 ए एम*

*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-08:04 ए एम से 09:29 ए एम*

*🎈 काल - हानि-09:29 ए एम से 10:54 ए एम काल वेला*

*🎈 शुभ - उत्तम-10:54 ए एम से 12:19 पी एम*

*🎈 रोग - अमंगल-12:19 पी एम से 01:44 पी एम वार वेला*

*🎈 उद्वेग - अशुभ-01:44 पी एम से 03:10 पी एम*

*🎈 चर - सामान्य-03:10 पी एम से 04:35 पी एम*

*🎈 लाभ - उन्नति-04:35 पी एम से 06:00 पी एम*

      *🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈उद्वेग - अशुभ-06:00 पी एम से 07:35 पी एम*

*🎈शुभ - उत्तम-07:35 पी एम से 09:10 पी एम*

*🎈अमृत - सर्वोत्तम-09:10 पी एम से 10:45 पी एम*

*🎈चर - सामान्य-10:45 पी एम से 12:20 ए एम, अक्टूबर 23*

*🎈रोग - अमंगल-12:20 ए एम से 01:55 ए एम, अक्टूबर 23*

*🎈काल - हानि-01:55 ए एम से 03:29 ए एम, अक्टूबर 23*

*🎈लाभ - उन्नति-03:29 ए एम से 05:04 ए एम, अक्टूबर 23 काल रात्रि*

*🎈 उद्वेग - अशुभ-05:04 ए एम से 06:39 ए एम, अक्टूबर 23*
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🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
  🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩

🍁 *🎈 🦚🦚🔥💚🕉️🥀
अगर किसी जातक का कर्ज नहीं उतर रहा है तो यह प्रयोग करें।

 यह कथा हरिवंश पुराण में वर्णित है । व महाभारत का ही एक भाग है । आप इस कथा में श्रीकृष्ण का अवतार लेना, भगवान श्रीकृष्ण के अन्य भाई बहिनों और कुटुम्बियों का वर्णन तथा कालयवन की उत्पत्ति के बारे में पढ़ेंगे ।

पुराण ( शास्त्र ) भगवान का ही एक रूप है । और हरिवंश पुराण का वचन है कि जो व्यक्ति शास्त्र अनुकूल जीवन जीते हुए, एक वर्ष तक प्रत्येक पर्व पर इस कथा को सुनता है, उसका कर्जा चूक जाता है ।यह कथा वैशम्पायन जी महाराज राजा जनमेजय को श्रवण करवा रहे है । 

वैशम्पायन जी राजा जनमेजय से कहते है : 

राजन ! वसुदेवजी ( श्रीकृष्ण के पिता ) की चौदह सुन्दराङ्गी पत्नियाँ थीं, उनमें रोहिणी और रोहिणी से छोटी इन्दिरा, वैशाखी, भद्रा तथा पाँचवीं सुनाम्नी ये पाँच पौरववंश की थीं । 

सहदेवा, शान्तिदेवा, श्रीदेवा, देवरक्षिता, वृकदेवी, उपदेवी तथा सातवीं देवकी ये सात देवक की पुत्रियाँ थीं तथा सुतनु और वडवा ये दो उनकी परिचर्या करनेवाली स्त्रियाँ थीं ॥

पौरववंश की कुमारी रोहिणी (महाराज शन्तनु के बड़े भाई) बालिक की पुत्री थीं, वे वसुदेवजी की प्रियतमा बड़ी पत्नी थीं ।रोहिणी के ज्येष्ठ पुत्र बलराम और उनसे छोटे सारण, शठ, दुर्दम, दमन, श्वभ्र, पिण्डारक और उशीनर हुए तथा चित्रा नाम की पुत्री उत्पन्न हुई। यह चित्रा एक अप्सरा थी, जो रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न होते ही मर गयी थी। इसने मरते समय अपने को धिक्कारा था कि मैं यादवकुल में जन्म धारण करके भी यदुवंश में उत्पन्न होनेवाले भगवान की लीला को न देख सकी। इस वासना के कारण यह चित्रा ही दूसरी बार सुभद्रा बनकर उत्पन्न हुई। इस प्रकार रोहिणी के दस संतानें उत्पन्न हुईं । वसुदेव से देवकी द्वारा महायशस्वी श्रीकृष्ण उत्पन्न हुए और बलरामजी से रेवती के द्वारा उनके प्रिय पुत्र निशठ उत्पन्न हुए । अर्जुन से सुभद्राद्वारा रथी अभिमन्यु उत्पन्न हुए और अक्रूर से काशिराजकुमारी द्वारा सत्यकेतु उत्पन्न हुए।

वसुदेवजी की सात महाभाग्यवती पत्नियों से जो शूरवीर पुत्र उत्पन्न हुए, उनके नाम इस तरह है :- 

भोज और विजय ये दो शान्तिदेवा के पुत्र थे तथा वृकदेव और गद ये दो सुनाम्नी के पुत्र थे। देवरक्षिता के पुत्र उपासङ्गवर हुए और वृकदेवी के पुत्र महात्मा अगावह हुए ।

त्रिगर्तराज का भर्ता (पुरोहित) गर्गगोत्री शैशिरायण था। उसके साले ने , जो यादवों का पुरोहित था, यह जानना चाहा कि इसमें पुंस्त्व है अथवा नहीं, परंतु व्रतधारी होने से उसका वीर्य स्खलित नहीं हुआ इसपर उसके साले ने हास्यवश उसको मिथ्या ही नपुंसक घोषित कर दिया  बारह वर्ष का नियम पूर्ण होने पर मिथ्या ही नपुंसकता का दोष लगाये जाने के कारण गर्गगोत्री शैशिरायण क्रोध में भर गये, इससे उनके शरीर का वर्ण लोहे के समान काला दीखने लगा।

उन्होंने एक गोपकन्या के साथ सहवास किया। 
वह स्त्री गोप-स्त्री का वेश धारण करनेवाली गोपाली नाम की अप्सरा थी। उसने गार्ग्य शैशिरायण के अच्युत और दुर्धर वीर्य को धारण कर लिया। उस मनुष्य का वेश धारण करनेवाली गार्ग्य की भार्या से शिवजी की आज्ञा से कालयवन नामक प्रसिद्ध महाबली राजा उत्पन्न हुआ था, बैलों के समान आधे शरीरवाले घोड़े युद्ध में उसके वाहन बनते थे।

एक यवन राजा संतानहीन था, उसके अन्तःपुर में वह बालक पलने लगा। इस प्रकार वह कालयवन के नामसे प्रसिद्ध हुआ ।गोपाली अप्सरा शकुन्तला की भाँति कालयवन को उत्पन्न कर छोड़ गयी थी। 

वह राजा युद्ध करने की इच्छासे प्रेरित हो ब्राह्मणों से (अपने समान योद्धाओं को) पूछने लगा। सब जगह पहुँचने वाले नारदजी ने उसे वृष्णि और अन्धककुल के वीरों को उसके समान योद्धा बताया । तब वह एक अक्षौहिणी सेना लेकर मथुरापुरी पर चढ़ आया। उसने वृष्णि और अन्धकों के भवन में दूत को भेजा । तब कालयवन के डर से वृष्णि और अन्धकों ने महामति श्रीकृष्ण के सभापतित्व में इकट्ठे होकर मन्त्रणा की।तब वे सब निश्चय करके शिवजी की मनौती मानते हुए कुशस्थली द्वारका को बसाने की इच्छा से रमणीय मथुरापुरी को त्यागकर भाग खड़े हुए।

जो विद्वान् पुरुष इन्द्रियों को वश में करके पवित्र होकर श्रीकृष्ण के जन्म की इस कथा को पर्व के समय सुनाता है, उसका ऋण चुक जाता है और उसको परम सुख की प्राप्ति होती है ॥ 



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‼️🙏⛳ गौ पूजन⛳🙏‼️
🍁 * गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी । 

1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं । 
      
2. जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस जगह देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं । 

3. गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है । 

4. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है । 

5. गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते । 

6. गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है ।

7. गौ माता कि एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है ।

8. गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है। 

9. गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है । किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है । 

10. गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है , उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है । रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है । 

11. एक गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है ।

12. गौ माता के दूध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं ।

13. जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है । 

14. गौ माता के चारो चरणों के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है ।

15. गौ माता के गर्भ से ही महान विद्वान धर्म रक्षक गौ कर्ण जी महाराज पैदा हुए थे। 

16. गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिये हैं । 

17. जब गौ माता बछड़े को जन्म देती तब पहला दूध बांझ स्त्री को पिलाने से उनका बांझपन मिट जाता है । 

18. स्वस्थ गौ माता का गौ मूत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपड़े में छानकर सेवन करने से सारे रोग मिट जाते हैं । 

19. गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखती है उनके ऊपर गौकृपा हो जाती है । 
20. काली गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं । जो ध्यानपूर्वक धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है । 

21. गाय एक चलता फिरता मंदिर है । हमारे सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी देवता है ,
हम रोजाना तैंतीस कोटि देवी देवताओं के मंदिर जा कर उनके दर्शन नहीं कर सकते पर गौ माता के दर्शन से सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाते हैं । 

22. कोई भी शुभ कार्य अटका हुआ हो बार बार प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं हो रहा हो तो गौ माता के कान में कहिये रूका हुआ काम बन जायेगा !

 23. गौ माता सर्व सुखों की दातार है । 

हे मां आप अनंत ! आपके गुण अनंत ! इतना मुझमें सामर्थ्य नहीं कि मैं आपके गुणों का बखान कर सकूं ।
जय गाय माता ।
जय श्री राधे कृष्णा ।
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ  🇪🇬🔱
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