नागौर राजस्थान मानक समयानुसार
*🎈दिनांक -19अक्टूबर2025 *
*🎈 दिन - रविवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष - कृष्णपक्ष*
*🎈तिथि- त्रयोदशी 13:51:00 pm तक तत्पश्चात् रूपचतुर्दशी *
*🎈 नक्षत्र - उत्तर फाल्गुनी 17:48:47 pm तत्पश्चात् हस्त*
*🎈 योग - वणिज 13:51:00* pm तक तत्पश्चात् वैधृति*
*🎈करण - तैतुल 12:18:29*pm तक तत्पश्चात् शकुनी*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- सुबह 04:36 दोपहर 06:01 सांय तक*
*🎈चन्द्र राशि - कन्या *
*🎈सूर्य राशि- तुला *
*🎈सूर्योदय - 06:38:12am*
*🎈सूर्यास्त -18:01:20pm*
*🎈चंद्रोदय- 16:47:59pm*
*🎈चंद्रास्त- 29:26:13*am
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से प्रातः 05:47 तक *
*🎈अभिजित मुहूर्त- 11:57 ए एम से 12:43 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:55 पी एम से 12:45 ए एम, अक्टूबर 20तक*
*🎈अमृत सिद्धि योग 05:49 पी एम से 06:38 ए एम, अक्टूबर 20*
*🎈 व्रत एवं पर्व- नरक चतुर्दशी
रविवार प्रदोष व्रत होगा।
*🎈कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 18 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 51:01pm मिनट से हो रहा है, जो 20 अक्टूबर, रविवार को दोपहर 3 बजकर 44pm मिनट पर समाप्त होगी।
*🎈 नरक चतुर्दशी दीपदान का शुभ मुहूर्त
*🎈 अमृत सिद्धि योग 05:49 पी एम से 06:38 ए एम, अक्टूबर 20*
*🎈 सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन*
*🎈शुभ-उन्नति(अमृत) चौघड़िया मुहूर्त- सांय 06 बजे से लेकर रात्रि 09 बजकर 11मिनट तक।
*🎈प्रदोष काल- सांय 06:01से 8:32pm तक दीप दान का समय।
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 उद्वेग - अशुभ-06:37 ए एम से 08:03 ए एम*
*🎈 चर - सामान्य-08:03 ए एम से 09:28 ए एम*
*🎈 लाभ - उन्नति-09:28 ए एम से 10:54 ए एम*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-10:54 ए एम से 12:20 पी एम वार वेला*
*🎈 काल - हानि-12:20 पी एम से 01:45 पी एम काल वेला*
*🎈 शुभ - उत्तम-01:45 पी एम से 03:11 पी एम*
*🎈 रोग - अमंगल-03:11 पी एम से 04:37 पी एम*
*🎈 उद्वेग - अशुभ-04:37 पी एम से 06:03 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈शुभ - उत्तम-06:03 पी एम से 07:37 पी एम*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-07:37 पी एम से 09:11 पी एम*
*🎈 चर - सामान्य-09:11 पी एम से 10:46 पी एम*
*🎈 रोग - अमंगल-10:46 पी एम से 12:20 ए एम, अक्टूबर 20*
*🎈 काल - हानि-12:20 ए एम से 01:54 ए एम, अक्टूबर 20*
*🎈 लाभ - उन्नति-01:54 ए एम से 03:29 ए एम, अक्टूबर 20 काल रात्रि*
*🎈 उद्वेग - अशुभ-03:29 ए एम से 05:03 ए एम, अक्टूबर 20*
*🎈 शुभ - उत्तम-05:03 ए एम से 06:38 ए एम, अक्टूबर 20*
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🚩*☀#*जय गणेश*☀*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩🍁 *🎈 🦚🦚🔥💚🕉️🥀💎♥️⛳🍃❤️🔥🚩🦚
🔯‼️🙏⛳नरकचतुर्दशी छोटी दीपावली⛳🙏‼️
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¶- १-नरकचतुर्दशी- इस दिन चार बत्तियों के दीपक ( चौमुखा) प्रज्वलित करके पूर्वाभिमुख होकर निम्न मंत्र उच्चारण करे!
" दत्तो दीपश्चतुर्दश्यां नरकप्रीयते मया!
चतुर्वर्तिसमायुक्तः सर्वपापानुत्तये!! उच्चारण करके दान करें!
¶-2-- रूपचतुर्दशी अरुणोदय स्नान--- इस दिन अरुणोदय से पूर्व ही स्नान करना चाहिये, यद्यपि कार्तिक मास में तेल नहीं लगाया जाता, फिर भी इस शरीर में तेल लगाकर स्नान करना चाहिये, इस दिन "अपामार्ग" (उँगा) , हल से उखड़ी हुई मिट्टी का ढेला, तुम्बी, को मस्तकपर से 7 बार घूमाकर फिर शुद्ध स्नान करें, स्नान करके, तिलक लगाकर दक्षिणाभिमुख हो निम्न नाम मंत्रों से तिलयुक्त तीन- तीन जलांजलि दे!
जानिए नरक चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी) क्यों मनाई जाती है
हिंदू धर्म के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी ( नरक चतुर्दशी ) कहा जाता है। इसे कहीं-कहीं चौदस भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने हेलासुर नामक राक्षस का वध किया था। कहा जाता है कि यह बहुत ही भयानक था जो त्रयोदशी की पूरी रात चली और चतुर्दशी तिथि के दूसरे दिन समाप्त हुई। युद्ध में भगवान श्री कृष्ण को विजय की प्राप्ति हुई थी।
ऐसी भी मान्यता है कि असुर वध के लिए ही ये श्री कृष्ण की एक लीला थी। वे सभी सेल हजार स्त्रियां श्री कृष्ण की सेल हजारों शक्तियां स्थित थीं, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण उस राक्षस का वध करने में सफल हुए थे।
¶ - ॐ यमाय नमः, ॐ धर्मराजाय नमः,, ॐ मृत्यवे नमः, ॐ अन्तकाय नमः,, ॐ वैवस्वताय नमः, ॐ कालाय नमः,, ॐ सर्वभूतक्षयाय नमः,, ॐ औदुम्बराय नमः,, ॐदध्नाय नमः, ॐ नीलाय नमः,, ॐ परमेष्ठिने नमः,, ॐ वृकोदराय नमः, ॐ चित्राय नमः,, ॐ चित्रगुप्ताय नमः!
¶ - ये तर्णण करके सायंकाल में, मंदिर, रसोईघर, स्नानघर, देववृक्षो के नीचे, गोशाला आदि में दीपदान करें यमराज के निमित्त!
¶- 3-- माता लक्ष्मी पूजन- वरूण पूजन, गणपति, मातृका, कलश, नवग्रह करे, फिर महालक्ष्मी, माता काली, सरस्वती, कुबेर,इन्द्र ,का पूजन करे! हर वर्ष लक्ष्मी जी का नया चित्र लावें तो पुराने का विसर्जन करें, यदि लक्ष्मी जी की चाँदी की मुर्ति या तस्वीर हो तो उनका पञ्चामृतादि स्नान करें फिर विधिवत् पूजन करें!
¶ - मंत्र - गोवर्धन धराधार गोकुलत्राणकारक!
विष्णुबाहुकृतोच्छा्य गवां कोटिप्रदो भव !!
" इसके बाद गौओं का पूजन करें और निम्न मंत्र से प्रार्थना करें!
¶ मंत्र- लक्ष्मीयां लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता!
घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु !!
¶ - 5- यमद्वितीया ( भैयादूज) -- इस दिन व्रती बहनों को प्रातः स्नानादि के अनन्तर अक्षतादि से निर्मित अष्टदल कमल पर गणेशादि का स्थापन करके यम, यमुना, चित्रगुप्त तथा यमदूतो की पूजा करके यमराज की प्रार्थना निम्न मंत्र से करें!
¶ मंत्र- धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज!
पाहि मां किड़्करैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते!!
" फिर यमुना जी की प्रार्थना निम्न मंत्र से करें!
¶ मंत्र- यमस्वसर्नमस्तेऽस्तु यमुने लोकपूजिते!
वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते!!
" निम्न मंत्र से चित्रगुप्त की प्रार्थना करें!
¶ मंत्र- मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्!
लेखनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्!!
¶ तत्पश्चात् बहन भाई को शुभ आसन पर बैठाकर तिलकादि करके भोजन कराये- भोजन के बाद भाई बहन को यथासामर्थ्य अन्न- वस्त्र- आभूषणादि देकर शुभाशिष प्राप्त करें! फिर व्रती बहनों को कथा सुननी चाहिये! यम यमुना की कथा है!!
#प्रश्न - एक वर्ष के 365 दिनों में वे दिन/दिवस कौन कौन से है, जिनमें कि लक्ष्मी पूजन करना निषेध है।। हां जी यदि जानकारी है तो कृपया कर सभी को अवगत कराने की कृपा करावें।। 🙏🙏
#आपका_प्रश्न_अत्यंत_महत्वपूर्ण और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है।
*वास्तव में देवी लक्ष्मी का पूजन तो प्रतिदिन किया जा सकता है*, लेकिन *कुछ विशेष तिथियाँ और योग ऐसे माने जाते हैं*, जिनमें *लक्ष्मी पूजन वर्जित या निषेध* बताया गया है, खासकर तंत्र-शास्त्र, धर्म-सिंधु, निर्णय-सिन्धु आदि ग्रंथों में।
नीचे ऐसे *दिन/तिथियाँ* दी जा रही हैं *जिनमें लक्ष्मी पूजन वर्जित माना गया है* — विशेषत: *साधना या तांत्रिक प्रयोगों के संदर्भ में*:
--- #लक्ष्मी_पूजन_निषिद्ध_दिन (वर्जित माने जाते हैं):*
1. *अमावस्या के बाद की प्रतिपदा (शुक्ल पक्ष की)*
2. *पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) के 16 दिन* – इन दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य वर्जित होता है।
3. *चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय* – ग्रहण काल में कोई पूजन वर्जित होता है।
4. *होली के दिन (फाल्गुन पूर्णिमा)* – इस दिन देवी पूजन नहीं करते, विशेष रूप से रात में।
5. *भूत चतुर्दशी / नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण 14)* – इस दिन लक्ष्मी पूजन नहीं, दीपदान होता है।
6. *अशुद्ध तिथि/वार का संयोग (जैसे सोमवार+अमावस्या, शनिवार+अष्टमी आदि)* – कुछ पंचांग मानते हैं कि ऐसे दोषयुक्त योग में पूजन वर्जित है।
7. *अशुभ नक्षत्र (कृत्तिका, मृगशिरा, मूल आदि) में कुछ तांत्रिक परंपराएँ लक्ष्मी पूजन टालती हैं।*
8. *चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी तिथि* – ये तिथियाँ देवी लक्ष्मी के पूजन हेतु अनुकूल नहीं मानी जातीं।
9. *राहुकाल* – किसी भी दिन लक्ष्मी पूजन राहुकाल में नहीं करना चाहिए।
🔱🇪🇬ॐ महाकाल ॐ🇪🇬🔱
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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रूप चौदस/ नरक चतुर्दशी,,
तैले लक्ष्मीले गङ्गा दीपावल्याश्चतुर्दशीम् ।
दीपावली की चतुर्दशी प्राप्त हो तैल में लक्ष्मी और जल में गंगा का वास माना जाता है। इसलिए इस दिन स्नान(सूर्योदय से पूर्व) से पहले तिल के तैल से मालिश करनी चाहिए, सुगंधित उबटन आदि का प्रयोग करके स्नान करना चाहिए।
वैसे कार्तिक मास में अभ्यंगस्नान (मालिश) करना मना है पर रूपचौदस/नरक चतुर्दशी के दिन स्नान से पूर्व अवश्य अभ्यंग करना चाहिए।
अपामार्गमथो तुम्ब प्रन्नाटमथापरम् ।।
भ्रामयेत्स्नानमध्ये तु नरकस्य क्षयाय वै ।
"मदनरत्न"
अपामार्ग, तुम्बी(लौकी), चक्रमर्द/टाकला को स्नान के बीच मे अपने शरीर मे फिराना चाहिए। ये नरक के भय को खत्म करता है।
दिनत्रयं त्रिवारं च पठित्वा मन्त्रमुत्तमम् ।
सनतकुमारों के उपदेशों अनुसार, इन तीन दिनों (त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या) उत्तम मंत्रों का पाठ करना चाहिए।
सितासोष्ठसमायुक्तं सकंटकदलान्वितम् ।
हर पापमपामार्ग ग्राम्यमाणः पुनःपुनः ।
हल की नोक को "सीता" कहते हैं, हल की नोक से निकले हुए मिट्टी के ढेले, अपामार्ग और काँटेयुक्त पत्तों को स्नान से पूर्व सिर के ऊपर से बार बार घुमाकर, हे अपामार्ग मेरे पापों को हर लो कहकर प्रार्थना करनी चाहिए और इनको गाँव/घर की दक्षिण दिशा में फेंक आना चाहिए।
💠कब मनाएं रूपचौदस/नरक चतुर्दशी💠
रूपचौदस का स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाना चाहिए, इसलिए स्नान के लिए कल का दिन उपयुक्त रहेगा, हनुमान पूजा, काली पूजा और यम दीपदान भी करें।
अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए इस दिन घर के द्वार पर गाय के गोबर, आटे या मिट्टी का नया दिया चतुर्मुखी (चार बत्तियों वाला) लगाया जाता है।
इसदिन घर के बाहर दिया तो रखते ही हैं साथ ही पूरे घर के हर कोने की सफाई आदि करके लक्ष्मी जी की बड़ी बहन "दरिद्रा/अलक्ष्मी" के लिए भी कूड़ा करकट (घर के बाहर) वाले स्थान पर भी दिया रखा जाता है ताकि वे महालक्ष्मी के आने के एक दिन पहले ही प्रसन्न होकर बाहर ही बाहर से चले जाएं।
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि
रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं
अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से
परामर्श अवश्य लेवें.*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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