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पंचांग - 20-10*2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓* 

jyotis

नागौर राजस्थान मानक समयानुसार

*🎈दिनांक -20 अक्टूबर2025 *
*🎈 दिन -   सोमवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष - कृष्णपक्ष*
*🎈तिथि- चतुर्दशी     03:44:20 pm तक तत्पश्चात्  अमावस्या *
*🎈 नक्षत्र -     हस्त - 08:17pm तत्पश्चात्         चित्रा*
*🎈 योग -     वैधृति    26:33:59* am तक तत्पश्चात् विश्कुम्भ*
*🎈करण    - शकुनी    15:44:20*
pm तक तत्पश्चात् नाग*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- सुबह 08:03 दोपहर 09:29am तक*  
*🎈चन्द्र राशि     -  कन्या *
*🎈सूर्य राशि- तुला    *
*🎈सूर्योदय - 06:38:am*
*🎈सूर्यास्त -06:02:pm* 

*🎈चंद्रोदय-    06:19 ए एम, अक्टूबर 21*
*🎈चंद्रास्त-    05:16:00*pm
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से प्रातः 05:47 तक *
*🎈अभिजित मुहूर्त-    11:57 ए एम से 12:42 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:55 पी एम से 12:45 ए एम, अक्टूबर 21तक*
*🎈अमृत काल    01:40 पी एम से 03:26 पी एम*
*🎈 व्रत एवं पर्व- दीपावली को  सांय काल में दीपावली के दीपक लगाकर  खाना खाते हैं।

*🎈 दीपावली दीप माला प्रज्वल का शुभ मुहूर्त (दीपमाला 2025 Muhurat)6:01से 7:30pm*

*🎈 वृषभ लग्न -07:28 पी एम से 09:24 pm, अक्टूबर 20*

 *🎈 गोधूलि मुहूर्त    06:02 पी एम से 06:27 पी एम*
  
*🎈प्रदोष काल- सांय 06:01से 8:32pm तक दीपक प्रज्वलन ।*
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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
   मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-06:38 ए एम से 08:03 ए एम*
*🎈 काल - हानि-08:03 ए एम से 09:29 ए एम काल वेला*
*🎈 शुभ - उत्तम-09:29 ए एम से 10:54 ए एम*
*🎈 रोग - अमंगल-10:54 ए एम से 12:20 पी एम*
*🎈 उद्वेग - अशुभ-12:20 पी एम से 01:45 पी एम*
*🎈 चर - सामान्य-01:45 पी एम से 03:11 पी एम*
*🎈 लाभ - उन्नति-03:11 पी एम से 04:36 पी एम वार वेला*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-04:36 पी एम से 06:02 पी एम*

      *🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈चर - सामान्य-06:02 पी एम से 07:36 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-07:36 पी एम से 09:11 पी एम*
*🎈काल - हानि-09:11 पी एम से 10:45 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-10:45 पी एम से 12:20 ए एम, अक्टूबर 21 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-12:20 ए एम से 01:54 ए एम, अक्टूबर 21*
*🎈शुभ - उत्तम-01:54 ए एम से 03:29 ए एम, अक्टूबर 21*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-03:29 ए एम से 05:04 ए एम, अक्टूबर 21*
*🎈चर - सामान्य-05:04 ए एम से 06:38 ए एम, अक्टूबर 21*

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  🚩*☀#*जय गणेश*☀*🚩
  🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩🍁 *🎈 🦚🦚🔥💚🕉️🥀💎♥️⛳🍃❤️‍🔥🚩🦚
 
🔯‼️🙏⛳ दीपावली पूजन⛳🙏‼️
*🕉श्रीगणेशाय नमोनित्यं केशवायच शम्भवेहनुमतेच दुर्गायैसरस्वत्यैनमोनमः।ॐश्रीमंगलामात्र्यैनमोनमः।ॐश्रीमहादेव्यै नमः।ॐश्रीं श्रियैनमः।
सूर्य-वैदिकमन्त्र-
ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यच।हिरण्ययेन सवितारथेना देवोयाति भुवनानि पश्यन्॥हवनसमिधा-आक। 
एकाक्षरी बीजमन्त्र-ॐघृणिःसूर्यायनमः। 
तांत्रिक-सूर्यमन्त्र-ॐह्रां ह्रीं ह्रों सःसूर्याय नमः।जपसंख्या:- ७००० सातहजार।जप काल-सूर्योदय।

जपाकुसुमं संकाशं काश्य पेय महद्युतिं 
तमोरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं।।
      🌞llश्री गुरवे नमः।।🌞
नमो नमस्तेऽस्तु सदा विभावसो सर्वात्मने सप्तहयाय भानवे।
अनन्त शक्तिर्मणि भूषणेनददस्व भुक्तिं मम मुक्तिमव्ययाम्।।*         
       हे सूर्यदेव!आप सर्वात्मा हैं।आपके रथमें सात घोड़े लगे हुए हैं।आप प्रकाशमान सूर्यदेवको बारंबार नमस्कार है।मणिमय आभूषणों से विभूषितआप अनन्त शक्ति से सम्पन्न हैं।मुझे भोग तथाअक्षय मोक्ष प्रदान करें।

*ॐदेवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं, व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं,                      काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥*                                                
     जिनकेपवित्र चरणोंकी सेवा देवराजइंद्र भगवान सदा करते हैं,जिन्होंने शिरोभूषणके रुपमें चंद्रऔर सांप(सर्प)को धारण किया है,जो दिगंबरजीके वेशमें हैंऔर नारद भगवान आदि योगियोंका समूह जिनकी पूजा,वंदना करतेहैं,उन काशीके नाथ कालभैरवजी को मैं भजता हूँ। 


🌞*श्री महालक्ष्मी पूजन*🌞
🌞अमावस्या- सोमवार दोपहर 03:44 से मंगलवार शाम 05:54 तक, 
20 अक्टूबर को शाम 07:24 बजे से 09:20pm तक 
🌞वृषभ स्थिर लग्न व प्रदोषकाल में माँ लक्ष्मी की पूजन करें। 
मिथुन लग्न-शाम 09:20 से 11:35रात्रि तक *

🌞निशीथकाल व मिथुन लग्न में व्यापारिक संस्थानों में पूजा करें। रात्रि 11:56से 12:45 तक महा निशीथ काल। 

🌞मध्यरात्रि 01:54 से रात्रि 3:10 am सिंह स्थिर लग्न में तांत्रिक मन्त्र व सिद्धि करें।
🌞अन्नकूट गोवर्धन पूजा *23 अक्टूबर गुरुवार सर्वार्थ सिद्ध योग भाईदूज,
यम द्वितीया, विश्वकर्मा पूजन, चित्रगुप्त पूजन। 

🌞26 अक्टूबर रविवार सौभाग्य लाभ पंचमी, ज्ञान की देवी सरस्वती आराधना दिवस* दीपावली को मां लक्ष्मी का पूजन कराया मध्य रात्रिमें ही किया जाताहै पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार दीपावली को अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 

🌞*ज्योतिष गणना के अनुसार दीपावली के दिन सूर्य एवं चंद्रमा दोनों ग्रह तुला राशि में होते हैं तुला राशि का स्वामी शुक्र है* जो की सुख सौभाग्य का कारक है इस समय पूजन करने से धन की प्राप्ति होती है और किया गया अनुष्ठान शीघ्र सफलता एवं सिद्धि दायक होता है।लग्न मुहूर्त-लक्ष्मी जी के दो स्वरूप हैं एक चंचल और दूसरा स्थित। चल लक्ष्मी का प्रयोग तो प्रत्येक दिन होता रहता है परंतु लक्ष्मी जी के स्थिर स्वरूप को प्राप्त करनेके लिए धन त्रयोदशीसे यम द्वितीया तक पूजा का विधान है। 

🌞*दीपावली के विशेष उपाय🪔 
(1) दीपावली* पूजन में 11कोड़ी, 21 कमलगट्टा, 25 ग्राम पीली सरसों, एक प्लेट में रखकर लक्ष्मी जी को अर्पण करें अगले दिन तीनों चीज लाल या पीले कपड़े में बांधकर तिजोरी में या जहां पैसा रखते हो वहां रख दें। 
*(2) दीपावली* के दिन अशोक वृक्ष की जड़ का पूजन करने से घर में धन संपत्ति की वृद्धि होती है। *(3) दीपावली* के दिन पानी का नया घड़ा लाकर पानी भरकर रसोई में कपड़े से ढक कर रखने से घर में बरकत तो खुशहाली बनी रहती है। *
(4)धनतेरस* के दिन हल्दी और चावल पीस का उस घोलसे घरके मुख्य दरवाजेपर ॐ बनानेसे घरमें लक्ष्मीका आगमन बना रहताहै। 
*(5)दीपावली* के पूजनके बाद शामको शंख औऱ डमरू बजानेसे दरिद्रता दूर होतीहै।* 
*(6)दीपावली* के दिन पति-पत्नी सुबह लक्ष्मी नारायण विष्णु मंदिर में जाकर और एक साथ लक्ष्मी नारायण जी को वस्त्र अर्पण करने से कभी भी धन की कमी नहीं रहेगी,संतान की उन्नति होगी। *(7)दीपावली* के दिन काली हल्दी को सिंदूर, धूप दीप से पूजन करने के बाद दो चांदी के सिक्कों के साथ लाल कपड़े में लपेटकर धन स्थान पर रखने से आर्थिक समस्याएं कभी नहीं रहती। 
*(8)दीपावली* के अगले दिन गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें पुराने गुड़ की एक डाली और मीठा तेल डालकर दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार के बीचो-बीच रख दे इसे घर में सुख समृद्धि दिनों दिन बढ़ती रहेगी। 
*(9) दीपावली* के दिन मुक्तिधाम (शमशान) भूमिमें स्थित शिव मंदिरमें जाकर दूध में शहद मिलाकर चढ़ाने से शेयर बाजार में लाभ होगा। *
*(10) धनतेरस* के दिन नया झाड़ू खरीद कर लाएं।पूजा से पहले उससे पूजा स्थान की सफाई कर उसे छुपा कर एक तरफ रख दें,अगले दिनमें उसका उपयोग करें इससे दरिद्रता का नाश होगा और लक्ष्मी जी का आगमन बना रहेगा। 
*(11) भाई दूज* के दिन एक मुट्ठी साबुत बासमती चावल बहते हुए पानी में महालक्ष्मी जी को स्मरण करते हुए छोड़ने से धन-धान्य में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती है। 
*(12) दीपावली* के दिन हनुमान मंदिर में लाल पताका चढ़ाने से घर परिवार में उन्नति के साथ ख्याति धन संपदा बढ़ती है। 
*(13)नरक चतुर्दशी* को संध्या के समय घर के पश्चिम दिशा में खुले स्थान में या घर के पश्चिम में *(14 )दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं इसे पितृ दोष का नाश होता है,पितरों के आशीर्वाद से धन समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।

🌞धन तेरस से शुरू होने वाला दिवाली का शुभ पर्व आपके जीवन में *धनतेरस* से शुद्ध धन प्राप्त हो,
*काली चौदस* से जीवन में कलह दूर हो,
*दिवाली* से दिल में मानवता का दीप प्रज्वलित हो,
*नया साल* से जीवन नवपल्लवित हो,
*भाई दूज* से भाई-बहन का प्रेम बढ़े, 
*तीज* से शक्ति बढ़े,*चौथ* से चतुराई बढ़े,
*लाभ पंचमी* से पांच परमेश्वरों की परम कृपा बरसे जिससे पूरा वर्ष सुख, शांति, समृद्धि, सहयोग और सुयोग से भरा हो, इसके लिए प्रार्थना सहित हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। 

🌞*गोवर्धन पूजा 2025* पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 
21 अक्तूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर होगी।
इस तिथि का समापन अगले दिन  यानी 
22 अक्तूबर को रात 8 बजकर 16 मिनट पर है।
ऐसे में गोवर्धन पूजा का पर्व 
22 अक्तूबर को मनाया जाएगा। 
🌞*भाई दूज 2025* कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है। 

इस वर्ष इस तिथि का प्रारंभ 
22 अक्तूबर 2025, को रात 08 बजकर 16 मिनट पर होगा। इसका समापन 
23 अक्तूबर 2025, को रात 10 बजकर 46 मिनट पर है। 
ऐसे में 23 अक्तूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। 
इसके अलावा इस दिन 12:15दोपहर से 01 बजकर 44 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक तिलक का शुभ मुहूर्त रहने वाला है।
⁂शुभमस्तु, कल्याणमस्तु🙏🏻
*आजका दिवस शुभएवं मङ्गलमयहो माँ मंगला,माँगायत्री और श्रीसूर्यदेव आपकी मनोकामनाओंकी पूर्तिकरें, आपका सदा कल्याण करें।
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 ।।दीपावली पर्व का संक्षिप्त  महालक्ष्मी पूजन।।
 
जो लोग विस्तृत  पुजन नहीं कर सकते वे इस संक्षिप्त पुजन को जरुर करे .. दीपावली  का दिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि इसी दिन महालक्ष्मी की साधना करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है .. गृहस्थ जीवन में बिना लक्ष्मी की कृपा के कुछ नहीं हो सकता ..इसीलिए साधक पूरी गंभीरता से महालक्ष्मी की साधना करे 
 .
■यह पूजन आप श्रीयंत्र,दस महाविद्या यन्त्र ,या कोइ भी रत्न या 
रुद्राक्ष पर या कुछ नही तो सुपारी पर कर सकते है .. उस सुपारी को  अपनी तिजोरी मे रखे .. अगले साल उसे विसर्जित कर नइ सुपारी पर पुजन करे ..

पूजन सामुग्री सामान्य यानी हल्दी,कुमकुम ,चन्दन ,अष्टगंध ,
अक्षत ,इत्र ,कपूर,फुल,फल,मिठाई ,पान,अगरबत्ती,दीपक आदि 
रखे ..महालक्ष्मी पूजन में कभी भी कोई कंजूसी न करे ..यथाशक्ति अच्छी से अच्छी सामुग्री रखे ..जैसे मिठाई ,अगरबत्ती ,फुल अच्छी क्वालिटी के रखे ..वातावरण प्रसन्न रखे .घर को सजाये .महालक्ष्मी जी को सजावट और प्रसन्न वातावरण और सफाई पसंद है ..
 
■सबसे पहले आपके सामने गुरुचित्र,लक्ष्मी का चित्र या महाविद्या यन्त्र या फोटो जो भी साधन सामुग्री हो उसे रखे ..दीपक और अगरबत्ती जलाए ..
 
पहले गुरु स्मरण ,गणेश स्मरण करे ..
 
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः 
ॐ श्री गणेशाय नमः 
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः 
 
■अब आप 4 बार आचमन करे ( दाए हाथ में पानी लेकर पिए )
 
श्रीं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा 
श्रीं विद्या तत्त्वं  शोधयामि नमः स्वाहा 
श्रीं शिव  तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा 
श्रीं सर्व   तत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा 
 
■अब आप घंटा नाद करे और उसे पुष्प अक्षत अर्पण करे 

घंटा देवताभ्यो नमः 

अब आप जिस आसन पर बैठे है उस पर पुष्प अक्षत अर्पण करे 

आसन देवताभ्यो नमः 

अब आप दीपपूजन करे उन्हें प्रणाम करे और पुष्प अक्षत अर्पण करे 

दीप देवताभ्यो नमः 

■अब आप कलश का पूजन करे ..उसमेगंध ,अक्षत ,पुष्प ,तुलसी,इत्र ,कपूर डाले ..उसे तिलक करे .
 
कलश देवताभ्यो नमः 

■अब आप अपने आप को तिलक करे 
और दाहिने हाथ में जल,पुष्प,अक्षत 
लेकर संकल्प करे की आप अपना नाम गोत्र बोलकर आज दीपावली ( या धनत्रयोदशी )  के शुभ मुहूर्त पर यथा शक्ति महालक्ष्मी पूजन कर रहे है और वे आपका पूजन ग्रहण करे और आप पर हमेश कृपा दृष्टी रखे या आपकी जो मनोकामना है उसे पुरी करे और जल को पुजन स्थान पर छोडे ..

■अब आप गणेशजी का स्मरण करे ..गणेशजी महालक्ष्मी के मानस पुत्र है ..इसीलिए उनका पूजन इस महालक्ष्मी पूजन में महत्त्व पूर्ण है ....
 
llवक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ 
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येशु सर्वदा ll
 
श्री महागणपति आवाहयामि 
मम पूजन स्थाने ऋद्धि सिद्धि सहित शुभ लाभ सहित स्थापयामि नमः 
त्वां चरणे गन्धाक्षत पुष्पं समर्पयामि 

ॐ श्री गणेशाय  नमः गंधाक्षत  समर्पयामि 
ॐ श्री गणेशाय  नमः  पुष्पं  समर्पयामि 
ॐ श्री गणेशाय  नमः  धूपं   समर्पयामि 
ॐ श्री गणेशाय  नमः  दीपं   समर्पयामि
ॐ श्री गणेशाय  नमः  नैवेद्यं   समर्पयामि 

■अब नीचे दिये हुये नामों से गणेश जी को दुर्वा या पुष्प अक्षत अर्पण करे 

गं सुमुखाय नम: 
गं एकदंताय नम: 
गं कपिलाय नम: 
गं गजकर्णकाय नम: 
गं लंबोदराय नम: 
गं विकटाय नम: 
गं विघ्नराजाय नम: 
गं गणाधिपाय नम: 
गं धूम्रकेतवे नम: 
गं गणाध्यक्षाय नम: 
गं भालचंद्राय नम: 
गं गजाननाय नम: 
गं वक्रतुंडाय नम: 
गं शूर्पकर्णाय नम: 
गं हेरंबाय नम: 
गं स्कंदपूर्वजाय नम: 

अब गणेशजी को अर्घ्य प्रदान करे 

एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात 

आप चाहे तो यहाँ गणपती अथर्वशीर्ष का अन्य किसी गणेश स्तोत्र का पाठ कर सकते है .. 

अनेन पूजनेन श्री महागणपति देवता प्रीयन्तां न मम 

■अब भगवान विष्णु का पूजन करे। महालक्ष्मी विष्णु पत्नी है। 

जहां विष्णु का पूजन होता है वहाँ लक्ष्मी अपने आप आती है 

विष्णु ध्यान :- 

शान्ताकारं भुजंग शयनं पद्मनाभं सुरेशं 
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभांगम 
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगीर्भि ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैक नाथम् 

ॐ श्री विष्णवे नमः 
श्री महाविष्णु आवाहयामि मम पूजा स्थाने स्थापयामि पूजयामि नमः 

ॐ श्री विष्णवे नमः गंधाक्षत  समर्पयामि 
ॐ श्री विष्णवे नमः  पुष्पं  समर्पयामि 
ॐ श्री विष्णवे नमः  धूपं   समर्पयामि 
ॐ श्री विष्णवे नमः  दीपं   समर्पयामि
ॐ श्री विष्णवे नमः  नैवेद्यं   समर्पयामि 

आप चाहे तो यहाँ पुरुषसूक्त , विष्णुसूक्त का पाठ कर सकते है .. 

■अब भगवान विष्णु के 24 नामोंसे तुलसी या पुष्प अर्पण करे 

१. ॐ केशवाय नमः 
२. ॐ नारायणाय  नमः 
३. ॐ माधवाय  नमः 
४. ॐ गोविन्दाय  नमः 
५. ॐ विष्णवे  नमः 
६. ॐ मधुसूदनाय  नमः 
७. ॐ त्रिविक्रमाय  नमः 
८. ॐ वामनाय  नमः 
९. ॐ श्रीधराय  नमः 
१०. ॐ ऋषिकेशाय  नमः 
११. ॐ पद्मनाभाय  नमः 
१२. ॐ दामोदराय  नमः 
१३. ॐ संकर्षणाय  नमः 
१४. ॐ वासुदेवाय  नमः 
१५. ॐ प्रद्युम्नाय  नमः 
१६. ॐ अनिरुद्धाय  नमः 
१७. ॐ पुरुषोत्तमाय  नमः 
१८. ॐ अधोक्षजाय  नमः 
१९. ॐ नारसिंहाय  नमः 
२०. ॐ अच्युताय  नमः 
२१. ॐ जनार्दनाय  नमः 
२२. ॐ उपेन्द्राय  नमः 
२३. ॐ हरये  नमः 
२४. ॐ श्रीकृष्णाय  नमः 

■अब भगवान विष्णु को अर्घ्य प्रदान करे 

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात 

अनेन पूजनेन श्री महाविष्णु देवता प्रियन्ताम्  न मम 

अब आप महालक्ष्मी का ध्यान करे ..
 
■फिर चाहे तो महालक्ष्मी हृदय स्तोत्र से आवाहन करे ..वैसे तो यह स्तोत्र बहुत बडा है लेकिन इसका संक्षिप्त रुप  दुसरी पोस्ट मे प्रस्तुत करुंगा ..
 
महालक्ष्मी का आवाहन करे ..आवाहन के लिये संक्षिप्त हृदय स्तोत्र का 
या ध्यान मंत्र का  पाठ करे ..

ध्यान मंत्र 
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या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी 
गंभीरावर्तनाभिस्तनभारनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया 
या लक्ष्मी दिव्यरुपै मणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः 
सानित्यं पद्महस्ता मम वसतु गॄहे सर्वमांगल्ययुक्ता 
 
श्री महालक्ष्मी आवाहयामि मम गृहे मम कुले मम पूजा स्थाने आवाहयामि स्थापयामि नमः 

(अगर आपको मुद्रा का ज्ञान हो तो भगवती महालक्ष्मी के लिए पद्ममुद्रा दिखाए )
 
फिर पुष्प अक्षत अर्पण करे ..और उनका पंचोपचार या षोडश उपचार पूजन करे 
 
( निचे का  मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै  नमः आवाहनं समर्पयामि 

( निचे का  मन्त्र बोलकर पुष्प अक्षत अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आसनं समर्पयामि 

( निचे का  मन्त्र बोलकर दो आचमनी  जल अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पाद्यो पाद्यं समर्पयामि 

( निचे का  मन्त्र बोलकर जल में चन्दन अष्ट गंध मिलाकर अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अर्घ्यम   समर्पयामि 

( निचे का  मन्त्र बोलकर एक  आचमनी  जल अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि 

( निचे का  मन्त्र बोलकर स्नान के लिए  जल अर्पण करे यहाँ आप चाहे तो श्रीसूक्त या अन्य किसी महालक्ष्मी स्तोत्र से अभिषेक कर सकते है ..  )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि 

( निचे का  मन्त्र बोलकर मौली लाल धागा  या अक्षत  अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः वस्त्रं  समर्पयामि 

( निचे का  मन्त्र बोलकर मौली या अक्षत  अर्पण करे )

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः उप वस्त्रं  समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः हरिद्रा कुमकुम  समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः चन्दन अष्ट गंधं   समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः सुगन्धित द्रव्यम   समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः अलंकारार्थे अक्षतान  समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पं समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पमालाम समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः धूपं  समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः दीपं समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः नैवेद्यं   समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः फलं  समर्पयामि 

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः आचमनीयं समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः ताम्बूलं  समर्पयामि'

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः कर्पुर आरती  समर्पयामि
 
अब आप अष्ट सिद्धियों  का पूजन करे 
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं  अर्पण करे 
 
ॐ अणिम्ने  नमः 
ॐ महिम्ने नमः 
ॐ गरिम्ने नमः 
ॐ लघिम्ने नमः 
ॐ प्राप्त्यै नमः 
ॐ प्राकाम्यै  नमः 
ॐ इशितायै  नमः 
ॐ वशितायै  नमः 
 
■अब आप अष्टलक्ष्मी का पूजन करे 
एकेक मन्त्र से गंध अक्षत पुष्पं  अर्पण करे 
 
ॐ आद्य लक्ष्म्यै नमः 
ॐ धन  लक्ष्म्यै नमः 
ॐ धान्य   लक्ष्म्यै नमः 
ॐ धैर्य  लक्ष्म्यै नमः 
ॐ गज  लक्ष्म्यै नमः 
ॐ संतान  लक्ष्म्यै नमः 
ॐ विद्या   लक्ष्म्यै नमः 
ॐ विजय   लक्ष्म्यै नमः 
 
(यहाँ पर भगवती महालक्ष्मी की 32 नामावली अलग दी है उससे पूजन करे .अगर समय नहि है तो इसको छोडकर आगे का पुजन कर सकते है )

 साधक एकेक नाम पढ़कर पुष्प अक्षत चढ़ाते जाए। 

1. ॐ श्रियै नमः। 

2. ॐ लक्ष्म्यै  नमः।   

3. ॐ वरदायै  नमः। 

4. ॐ विष्णुपत्न्यै नमः। 

5. ॐ वसुप्रदायै नमः। 

6. ॐ हिरण्यरूपिण्यै नमः।  

7. ॐ स्वर्णमालिन्यै नमः। 

8. ॐ रजतस्त्रजायै नमः। 

9. ॐ स्वर्णगृहायै नमः। 

10. ॐ स्वर्णप्राकारायै नमः।  

11. ॐ पद्मवासिन्यै नमः। 

12. ॐ पद्महस्तायै नमः। 

13. ॐ पद्मप्रियायै  नमः।  

14. ॐ मुक्तालंकारायै नमः। 

15. ॐ सूर्यायै नमः। 

16. ॐ चंद्रायै  नमः।  

17. ॐ बिल्वप्रियायै  नमः। 

18. ॐ ईश्वर्यै  नमः।  

19. ॐ भुक्त्यै  नमः।  

20. ॐ प्रभुक्त्यै नमः।  

21. ॐ विभूत्यै नमः। 

22. ॐ ऋद्धयै नमः। 

23. ॐ समृद्ध्यै  नमः। 

24. ॐ तुष्टयै  नमः।  

25. ॐ पुष्टयै  नमः।  

26. ॐ धनदायै नमः। 

27. ॐ धनैश्वर्यै  नमः।

28. ॐ श्रद्धायै  नमः। 

29. ॐ भोगिन्यै  नमः। 

30. ॐ भोगदायै  नमः।  

31. ॐ धात्र्यै  नमः। 

32. ॐ विधात्र्यै  नमः।  

■अब एक आचमनी जल लेकर पूजा स्थान पर छोड़े 
अनेन महालक्ष्मी द्वात्रिंश नाम पूजनेन श्री भगवती महालक्ष्मी देवता प्रीयन्तां  मम  . 

■अब महालक्ष्मी के पुत्रों का पूजन करे
(अगर समय है तो करे ) 
१. ॐ देवसखाय नमः 
२. ॐ चिक्लीताय नमः 
३. ॐ आनंदाय  नमः
४. ॐ कर्दमाय  नमः
५. ॐ श्रीप्रदाय   नमः
६. ॐ जातवेदाय   नमः
७. ॐ अनुरागाय   नमः
८. ॐ संवादाय   नमः
९. ॐ विजयाय  नमः
१०. ॐ वल्लभाय  नमः
११. ॐ मदाय नमः
१२. ॐ हर्षाय नमः
१३. ॐ बलाय नमः
१४. ॐ तेजसे  नमः
१५. ॐ दमकाय नमः
१६. ॐ सलिलाय  नमः
१७. ॐ गुग्गुलाय  नमः
१८ . ॐ कुरूण्टकाय  नमः

अनेन पूजनेन श्री महालक्ष्मी पुत्र सहित श्री महालक्ष्मी प्रियन्ताम् न मम 

■हाथ जोड़ कर क्षमा प्रार्थना करे 
 
त्रैलोक्य पूजिते देवी कमले विष्णु वल्लभे यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा इश्वरी कमला लक्ष्मीश्चचला भूतिर हरिप्रिया पद्मा पद्मालया संपदुच्चे: श्री: पद्माधारिणी 
 
द्वादशैतानी नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत स्थिरा लक्ष्मी भवेत् तस्य पुत्र दारादीभि : सह 
 
अब आचमनी मे जल और कुंकुम लेकर महालक्ष्मी गायत्री से अर्घ्य दे सकते है ..
 
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात 

हाथ जोड़ कर माँ महालक्ष्मी से प्रार्थना करे _

त्राहि त्राहि महालक्ष्मी त्राहि त्राहि सुरेश्वरी त्राहि त्राहि जगन्माता दरिद्रात त्राही वेगत :
 त्वमेव जननी लक्ष्मी त्वमेव पिता लक्ष्मी भ्राता त्वं च सखा लक्ष्मी विद्या लक्ष्मी त्वमेव च 
 रक्ष त्वं देव देवेशी देव देवस्य वल्लभे 
दरिद्रात त्राही मां लक्ष्मी कृपां कुरु ममोपरी 
 
माँ महालक्ष्मी मम गृहे मम कुले मम परिवारे मम गोत्रे मम हृदये 
सदा स्थिरो  भव प्रसन्नो भव वरदो भव 
 
■अब आप  प्रार्थना करे की आपका महालक्ष्मी पूजन पूर्ण रूप से फले ..

दीपावली का  कुबेर पूजन ★

भगवान कुबेर देवोंके कोषाध्यक्ष है। इनकी साधना से धन ,धान्य ,ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति हो जाती है। इनकी पूजा सामान्यत: दीपावली पर्व में धन तेरस और लक्ष्मीपूजन के पर्व पर भगवती महालक्ष्मी के साथ की जाती है.
आप इन्हे स्वतंत्र रूप से भी पूज सकते है।

★यहां पर मैं सिर्फ उनका ध्यान और उनका पूजन दे रहा हूँ आप इस पूजन को दीपावली के महालक्ष्मी पूजन में महालक्ष्मी जी के पूजन से पहले या महालक्ष्मी जी के पूजन के अंत में जोड़कर करे  

★पहले महालक्ष्मी पूजन करे और फिर 
कुबेर जी का ध्यान मन्त्र पढ़कर उनका आवाहन करे और पूजन स्थान में पुष्प अक्षत अर्पण करे

★कुबेर ध्यान :-
----------------

llमनुज बाह्य विधान वरस्थितं गरुड़ रत्ननिभं निधिनायकं 
शिवसखं मुकुटादि विभूषितं वरगदे दधतं भज तुन्दिलंll

ॐ श्री कुबेराय नमः ध्यायामि

कुबेर आवाहन मंत्र :-
--------------------------

आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु 
कोशं वर्द्धय नित्यं , त्वं परिरक्ष सुरेश्वर

ॐ श्री कुबेराय नमः आवाहयामि

आवाहनार्थे पुष्प अक्षत समर्पयामि

अब भगवान कुबेर का पंचोपचार पूजन करे

ॐ श्री कुबेराय नमः गंधाक्षत समर्पयामि 
ॐ श्री कुबेराय नमः पुष्पं समर्पयामि 
ॐ श्री कुबेराय नमः धूपं समर्पयामि 
ॐ श्री कुबेराय नमः दीपं समर्पयामि 
ॐ श्री कुबेराय नमः नैवेद्यं समर्पयामि

★अब भगवान कुबेर का आवरण पूजन करे।

(जिन्हे संक्षिप्त पूजन करना है वे कुबेर का आवरण पूजन ना करे और कुबेर के ध्यान आवाहन और पंचोपचार पूजन के बाद सीधे 108 नामावली से पूजन करे 
वैसे आवरण पूजन छोटा है तो आप चाहे तो कर सकते है जिससे भगवान कुबेर अपने पुरे परिवार सहित आप पर कृपा कर सकते है )
सर्व प्रथम आवरण पूजन हेतु पुष्प अक्षत अर्पण करे

ॐ संविन्मय: परो देव: परामृत रसप्रिय: 
अनुज्ञां देहि धनद परिवाराय अर्चनाय मे

★अब आवरण पूजन में पूजन हेतु पुष्प अक्षत और तर्पण हेतु एक आचमनी जल छोड़े

★प्रथम आवरण :-
-----------------

ॐ यक्षाय हृदयाय नम: हृदय शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ कुबेराय शिरसे स्वाहा शिर शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ वैश्रवणाय शिखायै वषट शिखा शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ धनधान्याधिपतये कवचाय हुं कवच शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ धन धान्य समृद्धिं मे नेत्र त्रयाय वौषट् नेत्र शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ देहि दापय स्वाहा अस्त्राय फट अस्त्र शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

अब पुष्प अक्षत अर्पण करे

अभीष्ट सिद्धिं में देहि शरणागत वत्सल 
भक्त्या समर्पयेत तुभ्यं प्रथम आवरण अर्चनम

अब 3  आचमनी जल छोड़े 
अनेन प्रथम आवरण देवता पूजनेन श्री कुबेर देवता प्रीयतां न मम

★द्वितीय आवरण :-
-----------------

ॐ यक्षाय नम: यक्ष श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ वैश्रवणाय नमः वैश्रवण श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ धनदाय नमः धनद श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ वित्तेश्वराय नमः वित्तेश्वर श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ धनाध्यक्षाय नमः धनाध्यक्ष श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ निधिनायकाय नमः निधिनायक श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ धान्याधिपतये नमः धान्याधिपति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ शिवसखाय नमः शिवसखा श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

अब पुष्प अक्षत अर्पण करे

अभीष्ट सिद्धिं में देहि शरणागत वत्सल 
भक्त्या समर्पयेत तुभ्यं द्वितीय आवरण अर्चनम

और 3 आचमनी जल छोड़े 
अनेन द्वितीय आवरण देवता पूजनेन श्री कुबेर देवता प्रीयतां न मम

★तृतीय आवरण :-
-----------------

ॐ इन्द्राय नम: इंद्र श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ अग्नये नमः अग्नि श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ यमाय नमः यम श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ निऋतये नमः निऋति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ वरुणाय नमः वरुण श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ वायवे नमः वायु श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ सोमाय नमः सोम श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ ईशानाय नमः ईशान श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ ब्रह्मणे नमः ब्रह्मा श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

ॐ अनंताय नमः अनंत श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः

अब पुष्प अक्षत अर्पण करे

अभीष्ट सिद्धिं में देहि शरणागत वत्सल 
भक्त्या समर्पयेत तुभ्यं तृतीय आवरण अर्चनम

और 3  आचमनी जल छोड़े 
अनेन तृतीय आवरण देवता पूजनेन श्री कुबेर देवता प्रीयतां न मम

★चतुर्थ आवरण :-
-----------------
कुछ पद्धतियों में अस्त्रों का तर्पण करते है और कुछ में नहीं करते 
इस पद्धति में अस्त्रोंका तर्पण नहीं दिया है तो सिर्फ पुष्प अक्षत अर्पण करे

ॐ वज्राय नम: वज्र श्री पादुकां पूजयामि नमः

ॐ शक्तये नमः शक्ति श्री पादुकां पूजयामि नमः

ॐ दण्डाय नमः दण्ड श्री पादुकां पूजयामि नमः

ॐ खड्गाय नमः खड्ग श्री पादुकां पूजयामि नमः

ॐ पाशाय नमः पाश श्री पादुकां पूजयामि नमः

ॐ अंकुशाय नमः अंकुश श्री पादुकां पूजयामि नमः

ॐ गदायै नमः गदा श्री पादुकां पूजयामि नमः

ॐ त्रिशूलाय नमः त्रिशूल श्री पादुकां पूजयामि नमः

ॐ पद्माय नमः पद्म श्री पादुकां पूजयामि नमः

ॐ चक्राय नमः चक्र श्री पादुकां पूजयामि नमः

★अब पुष्प अक्षत अर्पण करे

अभीष्ट सिद्धिं में देहि शरणागत वत्सल 
भक्त्या समर्पयेत तुभ्यं चतुर्थ आवरण अर्चनम

और 3  आचमनी जल छोड़े 
अनेन चतुर्थ आवरण देवता पूजनेन श्री कुबेर देवता प्रीयतां न मम

फिर से गंध अक्षत पुष्प अर्पण करे_

सर्व आवरण देवता सहित श्री कुबेराय नमः पुनः गंध अक्षत पुष्पं समर्पयामि

★अब कुबेर जी के अष्टोत्तर शत नाम (108 ) से पुष्प अक्षत अर्पण करे

१. ॐ कुबेराय नमः 
२. ॐ धनदाय नमः 
३. ॐ श्रीदाय नमः 
४. ॐ यक्षेशाय नमः 
५. ॐ गुह्यकेश्वराय नमः 
६. ॐ निधिशाय नमः 
७. ॐ शंकरसखाय नमः 
८. ॐ महालक्ष्मीनिवासभुवे नमः 
९. ॐ महापद्मनिधिशाय नमः 
१०. ॐ पूर्णाय नमः 
११. ॐ पद्मनिधीश्वराय नमः 
१२. ॐ शख्यान्खनिधिनाथाय नमः 
१३. ॐ मकराख्य निधिप्रियाय नमः 
१४. ॐ कच्छपाख्य निधिशाय नमः 
१५. ॐ मुकुंद निधिनायकाय नमः 
१६. ॐ कुन्दाख्य निधिनाथाय नमः 
१७. ॐ नीलनिध्यधिपाय नमः 
१८. ॐ महते नमः 
१९. ॐ खर्वनिध्यधिपाय नमः 
२०. ॐ पूज्याय नमः 
२१. ॐ लक्ष्मी साम्राज्य दायकाय नमः 
२२. ॐ इलविलापत्याय नमः 
२३. ॐ कोषाधिशाय नमः 
२४. ॐ कलोचिताय नमः 
२५. ॐ अश्वारूढाय नमः 
२६. ॐ विश्ववन्द्याय नमः 
२७. ॐ विशेषज्ञाय नमः 
२८. ॐ विशारदाय नमः 
२९. ॐ नलकूबर ताताय नमः 
३०. ॐ मणिग्रीवपित्रे नमः 
३१. ॐ गूढ़मन्त्राय नमः 
३२. ॐ वैश्रवणाय नमः 
३३. ॐ चित्रलेखामन:प्रियाय नमः 
३४. ॐ एकपिंगाय नमः 
३५. ॐ अलकाधीशाय नमः 
३६. ॐ पौलस्त्याय नमः 
३७. ॐ नरवाहनाय नमः 
३८. ॐ कैलासशैलनिलयाय नमः 
३९. ॐ राज्यदाय नमः 
४०. ॐ रावणाग्रजाय नमः 
४१. ॐ चित्रचैत्ररथोदयानविहार सुकुतूहलाय नमः 
४२. ॐ महोत्साहाय नमः 
४३. ॐ महाप्राज्ञाय नमः 
४४. ॐ सदापुष्पकवाहनाय नमः 
४५. ॐ सार्वभौमाय नमः 
४६. ॐ अंगनाथाय नमः 
४७. ॐ सोमाय नमः 
४८. ॐ सौम्यदिगीश्वराय नमः 
४९. ॐ पुण्यात्मने नमः 
५०. ॐ पुरुहूतश्रिये नमः 
५१. ॐ पुण्यजनेश्वराय नमः 
५२. ॐ नित्यकीर्तये नमः 
५३. ॐ नीतिवेत्रे नमः 
५४. ॐ लंकाप्राक्तननायकाय नमः 
५५. ॐ यक्षाय नमः 
५६. ॐ परमशांतात्मने नमः 
५७. ॐ यक्षराजे नमः 
५८. ॐ यक्षिणीवृत्ताय नमः 
५९. ॐ किन्नरेशाय नमः 
६०. ॐ किम्पुरुषाय नमः 
६१. ॐ नाथाय नमः 
६२. ॐ खड्गयुधाय नमः 
६३. ॐ वशिने नमः 
६४. ॐ ईशानदक्षपार्शस्थाय नमः 
६५. ॐ वायुवामसमाश्रयाय नमः 
६६. ॐ धर्ममार्गैक निरताय नमः 
६७. ॐ धर्मसम्मुखसंस्थिताय नमः 
६८. ॐ नित्येश्वराय नमः 
६९. ॐ धनाध्यक्षाय नमः 
७०. ॐ अष्टलक्ष्म्याश्रितालयाय नमः 
७१. ॐ मनुष्यधर्मिणे नमः 
७२. ॐ सदवृताय नमः 
७३. ॐ कोषलक्ष्मी समाश्रिताय नमः 
७४. ॐ धनलक्ष्मी नित्यवासाय नमः 
७५. ॐ धान्यलक्ष्मी निवासभुवे नमः 
७६. ॐ अश्वलक्ष्मी सदावासाय नमः 
७७. ॐ गजलक्ष्मी स्थिरालयाय नमः 
७८. ॐ राज्यलक्ष्मी जन्मगेहाय नमः 
७९. ॐ धैर्यलक्ष्मी कृपाश्रयाय नमः 
८०. ॐ अखण्डैश्वर्य संयुक्ताय नमः 
८१. ॐ नित्यानंदाय नमः 
८२. ॐ सुखाश्रयाय नमः 
८३. ॐ नित्यतृप्ताय नमः 
८४. ॐ निधेरदात्रे नमः 
८५. ॐ निराशाय नमः 
८६. ॐ निरुपद्रवाय नमः 
८७. ॐ नित्यकामाय नमः 
८८. ॐ निराकान्क्षाय नमः 
८९. ॐ निरुपाधिकवासभुवे नमः 
९०. ॐ शान्ताय नमः 
९१. ॐ सर्वगुणोपेताय नमः 
९२. ॐ सर्वज्ञाय नमः 
९३. ॐ सर्वसम्मताय नमः 
९४. ॐ शर्वाणीकरुणापात्राय नमः 
९५. ॐ शतानन्दकृपालयाय नमः 
९६. ॐ गन्धर्वकुलसंसेव्याय नमः 
९७. ॐ सौगन्धिककुसुमप्रियाय नमः 
९८. ॐ सुवर्णनगरीवासाय नमः 
९९. ॐ निधिपीठसमाश्रयाय नमः 
१००. ॐ महामेरुत्तरस्थायिने नमः 
१०१. ॐ महर्षिगणसंस्तुताय नमः 
१०२. ॐ तुष्टाय नमः 
१०३. ॐ शूर्पणखाज्येष्ठाय नमः 
१०४. ॐ शिवपुजारताय नमः 
१०५. ॐ अनघाय नमः 
१०६. ॐ राजयोगिने नमः 
१०७. ॐ राजराजाय नमः 
१०८. ॐ राजशेखरपूजकाय नमः

★एक आचमनी लेकर छोड़े

अनेन अष्टोत्तर शत नामावली द्वारा धनधान्याधिपतये श्री कुबेर देवता प्रीयन्तां न मम

अब कुबेर गायत्री से अर्घ्य प्रदान करे 
अर्घ्य के लिए पानी में कुंकुम अष्टगंध ,फूल आदि मिलाकर अर्पण करे

ॐ यक्षराजाय विद्महे वैश्रवणाय च धीमहि तन्नो कुबेर: प्रचोदयात
यहां पर पूजन समाप्त होता है ।🔱🇪🇬ॐ महाकाल ॐ🇪🇬🔱

🍏🍀🍏🍀🍏🍀🍏
♨️  ⚜️ 🕉🌞  🌞🕉 ⚜🚩
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*आपका आज का दिन शुभ मंगलमय*

vipul

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