*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*🎈दिनांक -30अक्टूबर2025 *
*🎈 दिन - गुरुवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- अष्टमी 10:05:46am* तक तत्पश्चात् नवमी*
*🎈 नक्षत्र - श्रवण 18:32:35
pm तत्पश्चात् धनिष्ठा*
*🎈 योग - शूल 07:19:51 तक तत्पश्चात् गण्ड*
*🎈करण - बव 10:05:47
am तक तत्पश्चात् बालव*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 01:42दोपहर 03:05pm तक
*🎈चन्द्र राशि - मकर *
*🎈सूर्य राशि- तुला *
*🎈सूर्योदय - 06:45:01am*
*🎈सूर्यास्त -17:51:53pm*
*🎈दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 05:01 से प्रातः 05:52 तक *
*🎈अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:41 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:53 पी एम से 12:45 ए एम, अक्टूबर 31तक*
*🎈 व्रत एवं पर्व- 30 अक्टूबर 2025 को गोपाष्टमी पर्व एवं व्रत रहेगा।
*🎈विशेष - अष्टमी: इस तिथि पर नारियल का सेवन करने से बुद्धि का नाश होता है। नवमी: नवमी के दिन लौकी न खाएं। कलंबी शाक न खाएं। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 शुभ - उत्तम-06:44 ए एम से 08:07 ए एम*
*🎈रोग - अमंगल-08:07 ए एम से 09:31 ए एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-09:31 ए एम से 10:55 ए एम*
*🎈चर - सामान्य-10:55 ए एम से 12:18 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-12:18 पी एम से 01:42 पी एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-01:42 पी एम से 03:06 पी एम*
*🎈काल - हानि-03:06 पी एम से 04:30 पी एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-04:30 पी एम से 05:53 पी एम वार वेला*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-05:53 पी एम से 07:30 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-07:30 पी एम से 09:06 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-09:06 पी एम से 10:42 पी एम*
*🎈काल - हानि-10:42 पी एम से 12:19 ए एम, अक्टूबर 31*
*🎈लाभ - उन्नति-12:19 ए एम से 01:55 ए एम, अक्टूबर 31 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-01:55 ए एम से 03:32 ए एम, अक्टूबर 31*
*🎈शुभ - उत्तम-03:32 ए एम से 05:08 ए एम, अक्टूबर 31*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-05:08 ए एम से 06:44 ए एम, अक्टूबर 31*
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🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
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🚩🌼#30 अक्टूबर 2025 गुरुवार :
💐१.गोपाष्टमी पर्व: विवरण:
💐२.आज क्या कहते हैं आपके सितारे जाने अपना राशिफल क्या होगा उसका अपकी राशि में प्रभाव?* ........❤️💐 🌼🪔
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❤️💐मेष:
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रह सकता है। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कुबुद्धि हावी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। मित्रों से संबंध सुधरेंगे।
❤️💐वृषभ:
व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। धैर्य रखें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। पुराना रोग परेशानी का कारण रह सकता है। दूसरों के कार्य में दखल न दें। बड़ों की सलाह मानें। लाभ होगा। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। मानसिक बेचैनी रहेगी।
❤️💐मिथुन:
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। बेवजह कहासुनी हो सकती है। कानूनी अड़चन दूर होगी। व्यापार में वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मियों का साथ मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता रहेगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।
❤️💐कर्क:
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शत्रु पस्त होंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल होंगे। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। किसी अपने के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। शारीरिक कष्ट संभव है।
❤️💐सिंह:
विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का मौका मिलेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। नौकरी में उच्चाधिकारी सहयोग करेंगे। घर के सदस्यों के स्वास्थ्य व अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी।
❤️💐कन्या:
लाभ के अवसर हाथ से निकलेंगे। बेवजह कहासुनी हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यापार ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। धैर्य रखें। शत्रु हानि पहुंचा सकते हैं। दु:खद समाचार मिल सकता है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी।
❤️💐तुला:
पराक्रम बढ़ेगा। लंब समय से रुके कार्य सहज रूप से पूर्ण होंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। शेयर मार्केट में सफलता मिलेगी। व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। शुभ समय। शत्रु पस्त होंगे। सुख के साधन जुटेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
❤️💐वृश्चिक:
दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। अज्ञात भय रहेगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। घर-बाहर प्रसन्नता का माहौल रहेगा। घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा।
❤️💐धनु:
आंखों का ख्याल रखें। अज्ञात भय सताएगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। कानूनी अड़चन आ सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। लॉटरी व सट्टे से दूर रहें। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में प्रमोशन प्राप्त हो सकता है।
❤️💐मकर:
व्यवसाय की गति धीमी रहेगी। आय में निश्चितता रहेगी। कोई बड़ी समस्या आ सकती है। धैर्य रखें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। किसी अपरिचित पर अतिविश्वास न करें। विवाद से क्लेश होगा। दूसरों के उकसाने में न आएं। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे।
❤️💐कुंभ:
व्यवसाय ठीक चलेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है तथा तनाव रहेंगे। सुख के साधन प्राप्त होंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। लंबे समय से रुके कार्यों में गति आएगी।
❤️💐मीन:
आराम तथा मनोरंजन के साधन उपलब्ध होंगे। यश बढ़ेगा। व्यापार वृद्धि होगी। नई योजना बनेगी जिसका तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। विरोधी सक्रिय रहेंगे। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। प्रमाद न करें। चोट व रोग से परेशानी संभव है।*
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♦️: इस साल 30 अक्टूबर को गोपाष्टमी पर्व मनाया जाएगा. यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाने का विधान है. श्रीकृष्णजी ने कार्तिक शुक्ल अष्टमी तिथि पर ही गौ चरण का कार्य इसी दिन से शुरू किया था इसी के कारण इस तिथि को गोपाष्टमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भक्त श्रीकृष्ण भगवान की पूजा करते हैं और फिर गाय माता और बछड़े की पूजा करते हैं. शाम के समय गाइयों को चरानें के लिए भी जाते हैं.
गोपाष्ठमी को लेकर एक कथा भी प्रचलित है कि गोवर्धन पूजा से निरंतर 7 दिनों तक जब घनघोर वर्षा होती रही तो अष्टमी तिथि पर इन्द्रदेव ने अपनी हार मान ली. ऐसे में यह तिथि गोपाष्टमी कहलाई. गोपाष्टमी के दिन कुछ उपाय किए जानें तो इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति को होती ही है साथ ही सुख और समृद्धि का घर में वास रहता है.
♦️गोपाष्टमी के उपाय
धन प्राप्ति और तरक्की
अगर आप अपने धन में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो इस दिन 1 साबुत हल् लें और 5 सफेद कौड़ियां लें. अब इसे गाय के माथे से छुआएं और फिर इसे अच्छे से एक पोटली में रख लें. इस पोटली को धन रखने वाली जगह पर या तिजोरी में रख दें. दिनोदिन तरक्की होगी. धन बढ़ेगा.
♦️सौभाग्य में वृद्धि
गोपाष्टमी के दिन गाय और बछड़ों को स्नान और उनका श्रृंगार कराएं. इसके बाद गायों को फूल, कुमकुम चढ़ाएं और आलता, रोली व हल्दी लगाएं. अब गौ माता की पूजा कर उनकी परिक्रमा कर उन्हें गुड़ खिलाएं और शाम के समय गाय संग बछड़ों को दूर घुमाने ले जाएं. शाम को घर आकर गायों की फिर से पूजा करें और गायों को हरा चारा गुड़ खिलाएं. ऐसा करने से घर में कभी खानपान की कमी नहीं होती है. सौभाग्य में वृद्धि होती है.
♦️मनोकामनाओं की पूर्ति
गाय माता को फल, फूल चढ़ाएं और विधि अनुसार पूजा कर गाय माता की आरती गाएं. इससे एक साथ 33 कोटी देवी देवताओं की पूजा उपासना हो जाएंगी क्योंकि मान्यता है कि गाय माता में 33 कोटी देवी देवताओं का वास होता है और गाय माता की पूजा करने से सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं. सभी काम पूरे होंगे और मनोकामनाओं की भी पूर्ति होगी.
♦️मानसिक शांति
शाम को गौशाले में गंगाजल छिड़कें और गाय की सेवा करें. घर में गौशाला न हो तो अपनी क्षमता के अनुसार किसी अन्य गौशाला में गाय के भोजन के लिए धन व दक्षिणा और अन्य वस्तुओं का दान करें. मानसिक शांति मिलेगी और रोग दोष दूर होंगे.
♦️नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा
अगर आपकों महसूस हो रहा है कि आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा है या आपको किसी नकारात्मकता ने घेरा हुआ है तो आपको गोपाष्टमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से लिपाई करनी चाहिए, इसके अलावा गोबर से स्वास्तिक का चिह्न भी बना सकते हैं. ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होगा और हर ओर सकारात्मकता फैलेगी.
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अक्षय ( आंवला नवमी), अक्षय नवमी शुक्रवार 31, अक्टूबर 2025
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय एवं आंवला नवमी के नाम से मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु का पूजन होता है और आंवले के वृक्ष की पूजा भी की जाती है. स्नान, दान, व्रत-पूजा का विधान रहता है. यह संतान प्रदान करने वाली ओर सुख समृद्धि को बढ़ाने वाली नवमी होती है।
अक्षय नवमी शुक्रवार 31, अक्टूबर 2025
अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय - 06:16 से 10:03
अवधि - 03 घण्टे 47 मिनट्स
नवमी तिथि प्रारम्भ - 30, अक्टूबर 2025 को 10:06 बजे
नवमी तिथि समाप्त - 31, अक्टूबर 2025 को 10:03 बजे
कार्तिक शुक्ल नवमी - अक्षय नवमी तथा ‘आँवला नवमी’ है। कहा जाता है कि यह पूजा व्यक्ति के समस्त पापों को दूर कर पुण्य फलदायी होती है। जिसके चलते कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाएं आँवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल होता है । आँवला नवमी को अक्षय नवमी के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। कहा जाता है कि आंवला भगवान विष्णु का पसंदीदा फल है। आंवले के वृक्ष में समस्त देवी-देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन आँवले के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है।
अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर खाने का भी विशेष महत्व है। यदि आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाने में असुविधा हो तो घर में भोजन बनाकर आंवला के वृक्ष के नीचे जाकर पूजन करने के पश्चात् भोजन करना चाहिए। भोजन में सुविधानुसार खीर , पूड़ी या मिष्ठान्न हो सकता है।
इस दिन पानी में आंवले का रस मिलाकर स्नान करने की परंपरा भी है। ऐसा करने से हमारे आसपास से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है, सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता बढ़ती है, साथ ही ये त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। आंवले के रस के सेवन से त्वचा की चमक भी बढ़ती है।
पूजा विधान
प्रातः काल स्नानादि के अनन्तर दाहिने हाथ में जल, अक्षत्, पुष्प आदि लेकर निम्न प्रकार से व्रत का संकल्प करें -
'अद्येत्यादि अमुकगोत्रोsमुक शर्माहं(वर्मा, गुप्तो, वा) ममाखिलपापक्षयपूर्वकधर्मार्थकाममोक्षसिद्धिद्वारा श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं धात्रीमूले विष्णुपूजनं धात्रीपूजनं च करिष्ये'
ऐसा संकल्प कर धात्री वृक्ष (आंवला) के नीचे पूरब की ओर मुखकर बैठें और
'ऊँ धात्र्यै नम:'
मंत्र से आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करके निम्नलिखित मन्त्रों से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें।
मंत्र
पिता पितामहाश्चान्ये अपुत्रा ये च गोत्रिण:।
ते पिबन्तु मया द्त्तं धात्रीमूलेSक्षयं पय:।।
आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवा:।
ते पिबन्तु मया द्त्तं धात्रीमूलेSक्षयं पय:।।
इसके बाद आंवले के वृक्ष के तने में निम्न मंत्र से सूत्र लपेटें-
दामोदरनिवासायै धात्र्यै देव्यै नमो नम:।
सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोSस्तु ते।।
इसके बाद वृक्ष की जड़ों को दूध से सींच कर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटना चाहिए। तत्पश्चात रोली, चावल, धूप दीप से वृक्ष की पूजा करें। और आँवले के वृक्ष की 108 परिक्रमाएं करने के बाद कपूर या घी के दीपक से आंवले के वृक्ष की आरती करें तथा निम्न मंत्र से उसकी प्रदक्षिणा करें-
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।
इसके बाद आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मण भोजन भी कराना चाहिए और अन्त मे स्वयं भी आंवले के वृक्ष के सन्निकट बैठकर भोजन करें। एक पका हुआ कोंहड़ा (कूष्माण्ड) लेकर उसके अंदर रत्न, सुवर्ण, रजत या रुपया आदि रखकर निम्न संकल्प करें-
'ममाखिलपापक्षयपूर्वकसुखसौभाग्यादीनामुत्तरोत्तराभिवद्धये कूष्माण्डदानमहं करिष्ये'
आज ही विष्णु भगवान ने कुष्माण्डक दैत्य को मारा था और उसके रोम से कुष्माण्ड की बेल उत्पन्न हुई। इसी कारण आज के दिन कुष्माण्ड का दान करने से उत्तम फल मिलता है। इसलिये इसके बाद विद्वान तथा सदाचारी ब्राह्मण को तिलक करके दक्षिणा सहित कूष्माण्ड दे दें और निम्न प्रार्थना करें-
कूष्माण्डं बहुबीजाढ्यं ब्रह्मणा निर्मितं पुरा।
दास्यामि विष्णवे तुभ्यं पितृणां तारणाय च।।
पितरों के शीतनिवारण के लिए यथा शक्ति कम्बल आदि ऊर्णवस्त्र भी सत्पात्र ब्राह्मण को देना चाहिये।
यह अक्षय नवमी 'धात्रीनवमी' तथा 'कूष्माण्ड नवमी' भी कहलाती है। घर में आंवले का वृक्ष न हो तो किसी बगीचे आदि में आंवले के वृक्ष के समीप जाकर पूजा दान आदि करने की परम्परा है अथवा गमले में आंवले का पौधा रोपित कर घर मे यह कार्य सम्पन्न कर लेना चाहिए।
आंवला नवमी की प्रचलित कथा
काशी नगर में एक निःसंतान धर्मात्मा और दानी वैश्य रहता था। एक दिन वैश्य की पत्नी से एक पड़ोसन बोली यदि तुम किसी पराए बच्चे की बलि भैरव के नाम से चढ़ा दो तो तुम्हें पुत्र प्राप्त होगा। यह बात जब वैश्य को पता चली तो उसने मना कर दिया लेकिन उसकी पत्नी मौके की तलाश में लगी रही। एक दिन एक कन्या को उसने कुएं में गिराकर भैरो देवता के नाम पर बलि दे दी। इस हत्या का परिणाम विपरीत हुआ। लाभ की जगह उसके पूरे बदन में कोढ़ हो गया और लड़की की प्रेतात्मा उसे सताने लगी। वैश्य के पूछने पर उसकी पत्नी ने सारी बात बता दी। इस पर वैश्य कहने लगा गौवध, ब्राह्मण वध तथा बाल वध करने वाले के लिए इस संसार में कहीं जगह नहीं है, इसलिए तू गंगातट पर जाकर भगवान का भजन कर गंगा स्नान कर तभी तू इस कष्ट से छुटकारा पा सकती है।
वैश्य की पत्नी गंगा किनारे रहने लगी। कुछ दिन बाद गंगा माता वृद्ध महिला का वेष धारण कर उसके पास आयीं और बोलीं यदि ‘तुम मथुरा जाकर कार्तिक नवमी का व्रत तथा आंवला वृक्ष की परिक्रमा और पूजा करोगी तो ऐसा करने से तेरा यह कोढ़ दूर हो जाएगा।’ वृद्ध महिला की बात मानकर वैश्य की पत्नी अपने पति से आज्ञा लेकर मथुरा जाकर विधिपूर्वक आंवला का व्रत करने लगी। ऐसा करने से वह भगवान की कृपा से दिव्य शरीर वाली हो गई तथा उसे पुत्र की प्राप्ति भी हुई।
ब्रह्मावैवर्तपुराण के वचन के अनुसार, अष्टमी विद्धा नवमी ग्रहण करना चाहिये। दशमी विद्धा नवमी त्याज्य है।
अक्षय नवमी पर जीवन की कठिनाइयों में कमी लाने के उपाय
1 अक्षय नवमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न हो घर में सदा के लिए वास करती है।
2 अक्षय नवमी के दिन अपने स्नान करने के लिए गए जल में आवंला के रस की कुछ बूंदे डालें। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा तो जाएगी ही साथ ही माता लक्ष्मी भी घर में विराजमान होंगी।
3 अक्षय नवमी के दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक प्रज्जवलित करें। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। संभव हो तो दीपक में केसर भी डाल दें। इससे देवी जल्द प्रसन्न हो कृपा करेंगी।
4- 5 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर खीर खिलाएं। सभी कन्याओं को पीला वस्त्र व दक्षिणा देकर विदा करें। इससे माता लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न होती हैं। अपने भक्तों पर कृपा बरसाती है।
5 किसी लंगड़े व्यक्ति को काले वस्त्र और मिठाई दान करें। इस दिन दान देने से देवी दानी के घर में वास करती है। साथ ही उसे अचल सम्पत्ति का वरदान भी देती है।
6 श्रीयंत्र का गाय के दूध के अभिषेक करें। अभिषेक का जल की छींटे पूरे घर में करें। श्रीयंत्र पर कमलगट्टे के साथ तिजोरी में पर रख दें। इससे अवश्य धन लाभ होता है।
7 श्यामा गाय की सेवा कर उन्हें हरा चारा खिलाएं। मान्यता है कि गौ माता में सभी देवी- देवताओं का वास होता है इसलिए उनकी सेवा करने से देवी जल्द ही प्रसन्न होती है। और घर में धन वर्षा करती है।
8 अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है तो अक्षय नवमी के दिन से आरंभ कर 41 दिन लगातार लाल मसूर की दाल की कच्ची रोटी बनाकर मछलियों को खिलाएं इससे मंगल ग्रह मजबूत होता है कर्ज अथवा भूमि जायदाद संबंधित समस्या में कमी आती है साथ ही माता महालक्ष्मी की कृपा भी बरसती है।
9 मंगल ग्रह शांति के लिए ब्राह्मणों एवं गरीबों को गुड़ मिश्रित दूध या चावल खिलाएं।
10 नवमी तिथि की स्वामी देवी दुर्गा हैं ऎसे में जातक को दुर्गा की उपासना अवश्य करनी चाहिए. जीवन में यदि कोई संकट है अथवा किसी प्रकार की अड़चनें आने से काम नही हो पा रहा है तो जातक को चाहिए की दुर्गा सप्तशती के पाठ को करे और मां दुर्गा से अपने जीवन में आने वाले संकटों को हरने की प्रार्थना करे।
💥 ।। शुभम् भवतु।।💥
‼️🙏⛳ ⛳🙏‼️🍁 *
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ 🇪🇬🔱






