*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈दिनांक -28अक्टूबर2025 *
*🎈 दिन - मंगलवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- षष्ठी 07:59:10am* तक तत्पश्चात् सप्तमी*
*🎈 नक्षत्र - पूर्वाषाढा 15:44:15pm तत्पश्चात् उत्तरा षाढा*
*🎈 योग - सुकर्मा 07:49:40 am तक तत्पश्चात् धृति*
*🎈करण - तैतुल 07:59:10
am तक तत्पश्चात् वाणिज्य*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- सुबह 03:07दोपहर 04:31pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि- धनु till 22:13:50
*🎈चन्द्र राशि - मकर from 22:13:50*
*🎈सूर्य राशि- तुला *
*🎈सूर्योदय - 06:43:44:am*
*🎈सूर्यास्त -17:53:30pm*
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - उतर दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 05:00 से प्रातः 05:51 तक *(नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:41 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:53 पी एम से 12:45 ए एम, अक्टूबर 28तक*
*🎈त्रिपुष्कर योग 03:45 पी एम से 06:43 ए एम, अक्टूबर 29*
*🎈 व्रत एवं पर्व- षष्ठी मैया व्रत*
*🎈विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 रोग - अमंगल06:43 ए एम से 08:07 ए एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-08:07 ए एम से 09:31 ए एम वार वेला*
*🎈चर - सामान्य-09:31 ए एम से 10:55 ए एम*
*🎈लाभ - उन्नति-10:55 ए एम से 12:19 पी एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-12:19 पी एम से 01:43 पी एम*
*🎈काल - हानि-01:43 पी एम से 03:07 पी एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-03:07 पी एम से 04:31 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-04:31 पी एम से 05:55 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈काल - हानि-05:55 पी एम से 07:31 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-07:31 पी एम से 09:07 पी एम काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-09:07 पी एम से 10:43 पी एम*
*🎈शुभ - उत्तम-10:43 पी एम से 12:19 ए एम, अक्टूबर 29*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-12:19 ए एम से 01:55 ए एम, अक्टूबर 29*
*🎈चर - सामान्य-01:55 ए एम से 03:31 ए एम, अक्टूबर 29*
*🎈रोग - अमंगल-03:31 ए एम से 05:07 ए एम, अक्टूबर 29*
*🎈काल - हानि-05:07 ए एम से 06:43 ए एम, अक्टूबर 29*
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🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
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🚩🌼छठ पूजा विशेष ....भाग २........❤️💐 🌼🪔
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01.🌷छठ महापर्व 2025 की पूजा विधि और मुहूर्त 🌷
02.🌷🌷षष्ठी देवी माहात्म्य एवं स्तोत्र 🌷🌷
03..🌷श्रीदेवसेना अष्टोत्तरशतनामावली 🌷
(षष्ठी देवी या छठी मैया के १०८ नाम)
04 🌷🌷 षष्ठी देवी (छठ मैया) कवचम् 🌷🌷
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🌷🌷छठ महापर्व 2025 की पूजा विधि और मुहूर्त 🌷🌷
इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025, शनिवार से से 28 अक्टूबर मंगलवार तक रहेंगी। 02.🌷🌷षष्ठी देवी माहात्म्य एवं स्तोत्र 🌷🌷
षष्ठी देवी को ही छठी मइया कहते हैं। भगवती षष्ठी ब्रह्माजी की मानसी कन्या हैं। मूलप्रकृति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण इन का नाम ‘षष्ठी देवी’ है। छठी मैया जगत को अनवरत् मंगल प्रदान कर रही हैं।
🌷🌷छठ व्रत कथा🌷🌷
छठी मइया समय-समय पर असुरों का संहार करती रहीं और भक्तों का उद्धार करती रहीं। वह अब भी असुरों का नाश कर रही हैं। वर्तमान कलियुग में असुर सूक्ष्म रूप से हमारे मन-मस्तिष्क में प्रवेश कर गये हैं। हमारे अन्दर के ये असुर हमारे दुर्गुण के रूप में, कुकर्म के रूप में और रोग के रूप में प्रकट हो रहे हैं। इन असुरों से बचने के लिए हमें अनिवार्य रूप से छठी मइया की पूजा करनी चाहिये। छठ में तो सूर्यदेव के साथ छठी माता की पूजा स्वतः हो जाती है। छठ व्रत में ब्रह्म और शक्ति दोनों की पूजा साथ-साथ की जाती है, इसलिए व्रत करने वालों को दोनों की पूजा का फल मिलता है। अन्य किसी भी व्रत में ऐसा नहीं है। कई ग्रन्थों में षष्ठी देवी का वर्णन है। सामवेद की कौथुमी शाखा में भी इन की चर्चा है।
सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग में भी छठी माता की आराधना होती रही है। द्वापर युग में पाण्डव की पत्नी द्रौपदी ने महर्षि धौम्य के बताने पर छठ व्रत किया और युधिष्ठिर को पुनः राजपाट प्राप्त हुआ। उस से पूर्व के काल में नागकन्या के उपदेश से सुकन्या ने छठ किया था।
👉🍁ऐसे करें छठी मइया की पूजा
इन की प्रतिमा या चित्र बनाकर पूजा की जा सकती है। शालग्राम की प्रतिमा बनायी जा सकती है। बिना प्रतिमा के केवल कलश स्थापित करके भी पूजा हो सकती है। वटवृक्ष के जड़वाले भाग में छठी माई की उपस्थिति मानकर अर्चना करनी चाहिये। अगर ये सब सम्भव न हो तो घर की दीवार को साफ कर लें और उस पर चित्र बनाकर प्रकृति के छठे अंश से प्रकट होनेवाली शुद्धस्वरूपिणी भगवती छठी की पूजा करनी चाहिये।
भगवान कार्तिकेय की पत्नी भगवती देवसेना ही षष्ठी देवी का ही रूप है। और नवदुर्गाओं में देवी स्कंदमाता भी षष्ठी देवी की प्रतीक है।
नैसर्गिक रूप से छठी माई का पूजन प्रतिदिन हो रहा है; क्योंकि प्रतिदिन और प्रतिक्षण जन्म का क्रम जारी है। लेकिन श्रद्धावानों को प्रतिमाह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठी मइया की पूजा करनी चाहिये। प्रतिदिन या प्रतिमाह षष्ठी तिथि को भगवती षष्ठी की पूजा न कर सकें तो वर्ष में दो बार चैत्र और कार्तिक में होनेवाले छठ में से कोई एक छठ व्रत तो करना ही चाहिये। छठ को ही रविषष्ठी व्रत या सूर्यषष्ठी व्रत भी कहते हैं।
🌷राजाप्रियव्रत कृत षष्ठीदेवी स्तोत्र ब्रह्मवैवर्तपुराणे🌷
( हिन्दी अर्थ सहित )
🍁सर्व प्रथम षष्ठी देवी का ध्यान इस मंत्र से करें
श्रीमन्मातरमम्बिकां विधि मनोजातां सदाभीष्टदां
स्कन्देष्टां च जगत्प्रसूं विजयदां सत्पुत्र सौभाग्यदाम्।
सद्रत्नाभरणान्वितां सकरुणां शुभ्रां शुभां सुप्रभां
षष्ठांशां प्रकृतेः परां भगवतीं श्रीदेवसेनां भजे॥१।।
अर्थ:
मैं उस भगवती देवसेना का ध्यानपूर्वक स्मरण करता हूँ —
जो अम्बिका रूपिणी मातृका हैं, ब्रह्मा (विधि) और कामदेव की तेजःपुंज से उत्पन्न हुईं।
जो सदा अपने भक्तों के सभी अभीष्ट (मनोकामनाएँ) पूर्ण करती हैं,
स्कन्द (कार्तिकेय) की प्रियतम हैं, जगत् की जननी (जगत्प्रसू) हैं,
जो विजय, सत्पुत्र, और सौभाग्य प्रदान करती हैं।
जो रत्नाभूषणों से विभूषित, करुणामयी, शुभ्रवर्णा,
मंगलमयी, और उज्ज्वल प्रभा से युक्त हैं।
जो प्रकृति की षष्ठांश शक्ति (षष्ठी देवी) होते हुए भी
उस प्रकृति से परे परमशक्ति स्वरूपा हैं —
ऐसी भगवती देवसेना को मैं प्रणाम करता हूँ।
🍁षष्ठांशां प्रकृतेः शुद्धां सुप्रतिष्ठां च सुव्रताम्।
सुपुत्रदां च शुभदां दयारूपां जगत्प्रसूम्।।
श्वेतचम्पकवर्णाभां रत्नभूषणभूषिताम्।
पवित्ररूपां परमां देवसेनां परां भजे।।२।।
अर्थ:
मैं उस देवसेना देवी का भजन करता हूँ —
जो प्रकृति की षष्ठांश शक्ति हैं, किंतु निर्मल और शुद्ध स्वरूपिणी हैं।
जो अटल प्रतिष्ठा देने वाली, उत्तम व्रतों का पालन करने वाली,
संतानदायिनी (सुपुत्रदा), मंगलदायिनी (शुभदा) और दयामयी हैं।
जो जगत् की जननी (जगत्प्रसू) हैं,
जिनका वर्ण श्वेत चम्पक पुष्प के समान उज्ज्वल है,
जो रत्नाभूषणों से विभूषित और पवित्र स्वरूपा परम देवी हैं।
ऐसी परात्पर भगवती देवसेना को मैं सदा प्रणाम करता हूँ।
ध्यान के बाद ॐ ह्रीं षष्ठीदेव्यै स्वाहा इस अष्टाक्षर मंत्र से आवाहन, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्राभूषण, पुष्प, धूप, दीप, तथा नैवेद्यादि उपचारों से देवी का पूजन करना चाहिए।
इस के साथ ही देवी के इस अष्टाक्षर मंत्र का तुलसी या लाल चन्दन के माला से यथाशक्ति जप करना चाहिए। देवी के पूजन तथा जप के बाद षष्ठीदेवी स्तोत्र का पाठ श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। एक वर्ष तक इस के पाठ से नि:संदेह संतान की प्राप्ति होगी।
🌷षष्ठी देवी (छठी मैया)स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित 🌷🌷
यह अत्यंत सुंदर “षष्ठीदेवी स्तोत्रम्” है — जो संतान-सौभाग्य, स्वास्थ्य, समृद्धि और जीवन-संतुलन की कामना से किया जाता है।
🍁नमो देव्यै महादेव्यै सिद्धै शान्त्यै नमो नमः।
शुभायै देवसेनायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः॥१
अर्थ:
मैं उस देवी को नमस्कार करता हूँ —
जो महादेवी, सिद्धि और शांति की मूर्त हैं,
जो शुभस्वरूपा देवसेना और षष्ठी देवी के नाम से पूजित हैं।
हे जगन्माता, आपको बार-बार नमस्कार।
🍁वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः।
सुखदायै मोक्षदायै च षष्ठीदेव्यै नमो नमः॥२
अर्थ:
हे देवी!
आप वरदान देने वाली, संतान देने वाली, और धनप्रदायिनी हैं।
आप सुख देने वाली और अंततः मोक्ष प्रदान करने वाली भी हैं।
ऐसी षष्ठी माता को बार-बार प्रणाम।
🍁सृष्ट्यै षष्ठांशरूपायै सिद्धायै च नमो नमः।
मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः॥३
अर्थ:
आप सृष्टि की शक्ति हैं, प्रकृति के षष्ठांश (छठे अंश) के रूप में प्रकट हुईं।
आप स्वयं सिद्धि, माया और परम योगिनी हैं।
हे षष्ठी देवी! आपको बारंबार नमस्कार।
🍁सारायै शारदायै च परादेव्यै नमो नमः।
बालाधिष्ठातृदेव्यै च षष्ठीदेव्यै नमो नमः॥४
अर्थ:
आप ही ज्ञान की सारस्वती (शारदा) हैं,
आप ही पराशक्ति (सभी देवियों से परे परमशक्ति) हैं।
आप ही बालकों की रक्षिका देवी,
अर्थात् बाल-षष्ठी देवी हैं।
आपको नमस्कार।
🍁कल्याणदायै कल्याण्यै फलदायै च कर्मणाम्।
प्रत्यक्षायै च सर्वभक्तानां षष्ठीदेव्यै नमो नमः॥५
अर्थ:
आप कल्याण देने वाली, कल्याणी, और
सभी कर्मों के शुभ फल देने वाली हैं।
आप भक्तों के सम्मुख प्रत्यक्ष रूप में कृपा करने वाली हैं।
हे षष्ठी माता! आपको बारंबार नमस्कार।
🍁पूज्यायै स्कन्दकान्तायै सर्वेषां सर्वकर्मसु।
देवरक्षणकारिण्यै षष्ठीदेव्यै नमो नमः॥६
अर्थ:
आप पूज्या, भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की प्रिय पत्नी हैं।
आप सभी के कार्यों में सहायक,
और देवताओं की रक्षक शक्ति हैं।
हे षष्ठी देवी! आपको नमस्कार।
🍁शुद्धसत्त्वस्वरूपायै वन्दितायै नृणां सदा।
हिंसाक्रोधवर्जितायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः॥७
अर्थ:
आपका स्वरूप शुद्ध सत्त्वगुणमयी है।
आप सदा मनुष्यों द्वारा पूजित और वंदित हैं।
आप हिंसा, क्रोध, द्वेष से रहित —
शांत, निर्मल और दयामयी माता हैं।
आपको नमस्कार।
🍁धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि।
धर्मं देहि यशो देहि षष्ठीदेव्यै नमो नमः॥८
अर्थ:
हे सुरेश्वरी षष्ठी माता!
मुझे धन, प्रियता (सौभाग्य), और संतान दीजिए।
मुझे धर्म, कीर्ति, और यश भी प्रदान करें।
आपको नमस्कार।
🍁भूमिं देहि प्रजां देहि विद्यां देहि सुपूजिते।
कल्याणं च जयं देहि षष्ठीदेव्यै नमो नमः॥९
अर्थ:
हे सुपूजिता देवी!
मुझे भूमि (स्थायित्व), प्रजा (संतान/समृद्धि), और विद्या (ज्ञान) प्रदान करें।
मुझे कल्याण, विजय, और सर्वमंगल दें।
हे षष्ठी माता! आपको बारंबार नमस्कार।
यह स्तोत्र माता षष्ठी/देवसेना देवी की आराधना है —
जो संतान, सौभाग्य, शांति, विद्या, धन, धर्म, विजय और मोक्ष प्रदान करती हैं।
इनकी आराधना से घर में बालक-संतान की रक्षा,
स्त्रियों को सौभाग्य-सुख,
और पुरुषों को यश-समृद्धि प्राप्त होती है।
शेष भाग कल....
💥 ।। शुभम् भवतु।।💥
‼️🙏⛳ ⛳🙏‼️🍁 *
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ 🇪🇬🔱


