*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈दिनांक 18 नवंबर 2025 *
*🎈 दिन - मंगलवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - मार्गशीर्ष*
*🎈 पक्ष - कृष्ण पक्ष*
*🎈तिथि- त्रयोदशी 07:11:32*am तत्पश्चात् चतुर्दशी*
*🎈 नक्षत्र - स्वाति 31:58:25* am तत्पश्चात् स्वाति*
*🎈 योग -आयुष्मान 08:08:12 *am* तक तत्पश्चात् सौभाग्य*
*🎈करण - वणिज 07:11:32
Pm तक तत्पश्चात् विष्टि भद्र*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 03:01 pm to 04:21pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि- तुला *
*🎈सूर्य राशि- वृश्चिक*
*🎈सूर्योदय - 06:58:48am*
*🎈सूर्यास्त -17:41:27pm*
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 05:12 ए एम से 06:05 ए एम प्रातः तक *(नागौर
राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त-11:59 ए एम से 12:42 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:54 पी एम से 12:47 ए एम, नवम्बर 19*
*🎈अमृत काल -10:06 पी एम से 11:54 पी एम*
*🎈 व्रत एवं पर्व-चतुर्दशी
*🎈विशेष - मार्गशीर्ष महात्म्य*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🍁 *रोग - अमंगल-06:58 ए एम से 08:18 ए एम*
*🍁 उद्वेग - अशुभ-08:18 ए एम से 09:39 ए एम वार वेला*
*🍁 चर - सामान्य-09:39 ए एम से 10:59 ए एम*
*🍁 लाभ - उन्नति-10:59 ए एम से 12:20 पी एम*
*🍁 अमृत - सर्वोत्तम-12:20 पी एम से 01:41 पी एम*
*🍁 काल - हानि-01:41 पी एम से 03:01 पी एम काल वेला*
*🍁 शुभ - उत्तम-03:01 पी एम से 04:22 पी एम*
*🍁 रोग - अमंगल-04:22 पी एम से 05:43 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈*रात्रि का चौघड़िया
*🎈काल - हानि-05:43 पी एम से 07:22 पी एम*
*🎈लाभ - उन्नति-07:22 पी एम से 09:02 पी एम काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-09:02 पी एम से 10:41 पी एम*
*🎈शुभ - उत्तम-10:41 पी एम से 12:21 ए एम, नवम्बर 19*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-12:21 ए एम से 02:00 ए एम, नवम्बर 19*
*🎈चर - सामान्य-02:00 ए एम से 03:39 ए एम, नवम्बर *
*🎈रोग - अमंगल-03:39 ए एम से 05:19 ए एम, नवम्बर 19*
*🎈काल - हानि-05:19 ए एम से 06:58 ए एम, नवम्बर 19*
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🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
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🌷 ..# 💐🍁🍁✍️ ज्वर की उत्पत्ति के विषय में........❗️🍁🍁
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👉 🍁 ज्वर की सर्वप्रथम उत्पत्ति — शिव के कोप से 🍁
✍️ज्वर की उत्पत्ति के विषय में आर्ष संहिताओं एवं पुराणों में एक प्राचीन गाथा वर्णित है। कहा गया है कि जब भगवान शिव ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करने हेतु उग्र कोप धारण किया, तब उसी कोप-अग्नि से वीरभद्र का प्राकट्य हुआ।
कार्य पूर्ण होने पर जब वीरभद्र ने भगवान से पूछा— “अब मेरी आगे क्या आज्ञा है?”
तब शिव ने अपने क्रोध-रूप ज्वर को आदेश दिया कि—
“तुम मनुष्यों में जन्म, मृत्यु तथा जीवन के विविध संकटकालों में उपस्थित हुआ करो।”
इसी प्रकार भगवान शिव ने ज्वर-योनि की प्रथम स्थापना की।
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🌿▪️शीत-ज्वर की उत्पत्ति :🌽
एक बार बाणासुर नामक दैत्य ने भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र का हरण कर लिया। तब भगवान शिव ने भगवान कृष्ण पर दण्डस्वरूप ज्वर प्रेषित किया। उस ज्वर से उद्धार हेतु भगवान श्रीकृष्ण ने शीत-ज्वर की उत्पत्ति की, जिससे वे उस ताप से मुक्त हुए।
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🪴▪️ज्वर-नाशक मंत्र :🌽
(१) बसवराजीयम् – प्रथम प्रकरण
“ॐ नमो भगवते परमार्थिनि सर्वज्वर-रक्ष स्वाहा।
हरिणासारङ्गसारङ्गस्वामिन् प्रसादम्।”
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🌿चरक संहिता -----चिकित्सा 🌽३/३१०–३१२
“सोमं सानुचरं देवं समातृगणमीश्वरम् ॥३१०॥
पूजयन् प्रयतः शीघ्रं मुच्यते विषमज्वरात्।
विष्णुं सहस्रमूर्धानं चराचरपतिं विभुम् ॥३११॥
स्तुवन्नामसहस्रेण ज्वरान् सर्वानपोहति।
ब्रह्माणमश्विनाविन्द्रं हुतभक्षं हिमाचलम् ॥३१२॥
गङ्गां मरुद्गणांश्चेष्ट्या पूजयन्न् जयति ज्वरान्।”
🎈भावार्थ :---👏
उमा, नन्दी तथा मातृगणों सहित भगवान शिव की उपासना करने से मनुष्य विषम-ज्वर से शीघ्र मुक्त होता है।
🎈सहस्रनाम के स्तोत्र द्वारा 💙सहस्रशिरोमय विष्णु की स्तुति करने से समस्त ज्वर नष्ट होते हैं।
♂️ब्रह्मा, अश्विनीकुमार, इन्द्र, अग्नि, हिमालय, गंगा तथा मरुद्गण— इन देवताओं की पूजा यज्ञादि द्वारा करने से भी ज्वर पर विजय प्राप्त होती है।
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🌿▪️ज्वर-निवृत्ति का शास्त्रीय विधान👁️
भक्ति–श्रद्धा से—
✍️माता-पिता एवं गुरुजनों का पूजन, ब्रह्मचर्य-पालन, तप, सत्य, नियम, जप, हवन, दान, वेद-श्रवण, और साधु-दर्शन—
इन सबके द्वारा रोगी शीघ्र ज्वर-मुक्त हो जाता है।
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🌿▪️ज्वर में उपवास का विधान :🌻
“इहापहाय व्रतमुष्णवारि ज्वरारियूषादि गदापहारि ।
ज्वरच्छिदं जीवितदञ्च नित्यं मृत्युञ्जयं चेतसि चिन्तयस्व ॥६६५॥” -----भावप्रकाश – चिकित्सा १/६५५
🪴अर्थात :—
ज्वरावस्था में उपवास, ऊष्ण-जल, हल्के आहार तथा मृत्युंजय-ध्यान शास्त्रसम्मत उपाय हैं।
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🍁▪️अंतक-ज्वर का निर्देश :
अत्यन्त उग्र अंतक-ज्वर में अन्य किसी चिकित्सा का विशेष उपयोग नहीं माना गया है। ऐसी दशा में रोगी को औषध के स्थान पर गंगा जल दिया जाए। यदि रोगी भगवान शिव का ध्यान करने में असमर्थ हो, तो वैद्य को स्वयं ध्यान करना चाहिए।
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🍁▪️रावण-संहिता-प्रोक्त मंत्र :🌼
“ॐ नमो भगवते रुद्राय छिन्धि छिन्धि ज्वरं ज्वराय
ज्वरो-ज्वलित-कपाल-पाणये हुँ फट् स्वाहा।”
💥इस मंत्र को भोजपत्र पर लिखकर दाहिने हाथ में बांधने तथा १०८ बार जप करने से सभी प्रकार के ज्वरों का नाश होता है।
🌼 ।। जय श्री कृष्ण ।।🌼
💥।। शुभम् भवतु।।💥
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ 🇪🇬🔱







