*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈दिनांक - 01 जनवरी 2026*
*🎈 दिन- गुरुवार *
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - पौष मास*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- त्रयोदशी 22:21:34*
तत्पश्चात् चतुर्दशी*
*🎈 नक्षत्र - रोहिणी 22:47:24*am तत्पश्चात् मृगशीर्षा*
*🎈 योग - शुभ 17:11:31 *pm तत्पश्चात् शुक्ल*
*🎈करण - *कौलव 12:05:26pm तक
तत्पश्चात् तैतुल*
*🎈राहुकाल -हर जगह का अलग है- 01:57:am to 03:15 pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि- वृषभ*
*🎈सूर्य राशि- धनु*
*🎈सूर्योदय - :07:26:05am*
*🎈सूर्यास्त - 17:51:10pm*
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 05:36 ए एम से 06:31 ए एम ए एम से 06:29 ए एम तक*(नागौर
राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- 12:18 पी एम से 01:00 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 12:12 ए एम, जनवरी 02 से 01:06 ए एम, जनवरी 02*
*🎈 रवि योग- 10:48 पी एम से 07:25 ए एम, जनवरी 02*
*🎈 व्रत एवं पर्व- प्रदोष व्रत आज
*🎈विशेष -पौष मास महात्म्य *
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
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*🛟चोघडिया, रात्🛟*
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🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
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👉अद्भुत लीला: जब भक्त मीरा का मान रखने के लिए स्वयं श्री कृष्ण ने किया स्त्री-शृंगार! 🦚✨
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❤️💐यह कथा केवल चमत्कार की नहीं, बल्कि उस प्रेम की है जिसके आगे नियम और मर्यादाएं भी नतमस्तक हो जाती हैं।
❤️💐मेवाड़ के राजमहलों का सुख, कुल की मर्यादा और राणा सांगा के पुत्रवधू होने का अभिमान—सब कुछ पीछे छोड़कर, दुखों के पहाड़ और अपनों के अत्याचार सहकर मीराबाई अंततः अपनी अंतिम शरण, श्री धाम वृन्दावन आ पहुँचीं। उनके पैरों में छाले थे, लेकिन हृदय में गिरिधर गोपाल से मिलने की प्यास थी।
उस समय वृन्दावन में वैष्णव-सम्प्रदाय के प्रधान और प्रकांड विद्वान श्री जीव गोस्वामी जी का बड़ा मान था। मीरा के मन में संतों के प्रति अगाध श्रद्धा थी, सो वे गोस्वामी जी के दर्शन की अभिलाषा लेकर उनके आश्रम पहुँचीं।
परन्तु, वहां पहुँचते ही उन्हें द्वार पर रोक दिया गया।
❤️💐शिष्य ने भीतर जाकर संदेश दिया, "गुरुदेव, मेवाड़ की रानी मीराबाई आपके दर्शन चाहती हैं।"
जीव गोस्वामी ने कठोरता से उत्तर भिजवाया, "मीरा से कहो कि मैं किसी 'स्त्री' से नहीं मिलता। यह मेरे नियमों के विरुद्ध है, वे लौट जाएं।"
❤️💐यह सुनकर मीरा के होठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान तैर गई। उन्होंने शिष्य से कहा, "जाकर अपने गुरुदेव से कहो— मैं तो सोचती थी कि वृन्दावन में केवल एक ही 'पुरुष' है, और वे हैं मेरे गिरिधर गोपाल!
बाकी सब तो गोपियां (सखियाँ) हैं। मुझे आज ज्ञात हुआ कि श्री कृष्ण के अलावा यहाँ कोई और भी पुरुष रहता है, जो स्वयं को पुरुष मानता है!"
यह संदेश नहीं, एक व्यंग्य था उस 'पुरुष-अहंकार' पर, जो भक्ति के मार्ग में बाधा था।
❤️💐अगली सुबह जो हुआ, उसने वृन्दावन को हिला कर रख दिया! ⚡
ब्रह्म मुहूर्त में जब जीव गोस्वामी जी ने बांके बिहारी के मंदिर के पट खोले, तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। उनके हाथ से आरती की थाली छूटते-छूटते बची।
सामने सिंहासन पर पीताम्बर धारी कृष्ण नहीं थे!
वहाँ खड़ी थी एक नव-यौवना सखी!
भगवान की मूर्ति ने घाघरा-चोली धारण कर रखी थी। कानों में झुमके, नाक में नथनी, माथे पर बिंदी, पैरों में रुनझुन करती पायल और हाथों में हरी चूड़ियाँ!
त्रिभुवन के स्वामी आज 'स्त्री-वेश' में मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे।
जीव गोस्वामी का कंठ सूख गया। उन्होंने सेवक को चिल्लाकर पूछा, "यह किसका दुस्साहस है? मेरे बाद मंदिर में कौन आया था?"
पुजारी और सेवक थर-थर कांपने लगे, "महाराज, कसम ठाकुर जी की! पट आपने बंद किये थे और आपने ही खोले हैं। यहाँ परिंदा भी पर नहीं मार सकता।"
तभी एक वृद्ध सेवक ने डरते हुए कहा, "गुसाईं जी... क्षमा करें, पर कल जिस महिला (मीरा) को आपने 'स्त्री' जानकर लौटा दिया था... लोग कहते हैं उनके एकतारे में जादू है। जब वे गाती हैं, तो पत्थर भी पिघल जाते हैं। कहीं यह ठाकुर जी का आपको कोई संकेत तो नहीं? कहीं आपने साक्षात भक्ति को तो द्वार से नहीं लौटा दिया?"
क्षण भर में जीव गोस्वामी का सारा ज्ञान, सारा अहंकार, उस शृंगारित मूर्ति के चरणों में बिखर गया। उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ— भक्ति में कोई स्त्री-पुरुष नहीं होता, वहां सब केवल 'आत्मा' हैं और परमात्मा एक ही है।
वे नंगे पाँव दौड़े!
धर्मशाला में जाकर देखा, मीरा अपनी मस्ती में मगन थीं। जीव गोस्वामी, जो किसी के आगे नहीं झुकते थे, आज मीरा के चरणों में दंडवत गिर पड़े।
रुंधे गले से बोले, "हे देवी! मुझ अज्ञानी को क्षमा कर दें। मैंने देह को देखा, आपने आत्मा को। आज आपने मुझे सिखा दिया कि वृन्दावन में 'पुरुष' होने का अहंकार व्यर्थ है।"
मीरा मुस्कुराईं और बोलीं, "चलिए, मेरे गिरधर गोपाल राह देख रहे होंगे।"
जब वे दोनों वापस मंदिर पहुँचे, तो एक और चमत्कार उनकी प्रतीक्षा कर रहा था। भगवान वापस अपने पीताम्बर धारी रूप में आ चुके थे। लेकिन उस दिन जीव गोस्वामी की दृष्टि बदल गई थी।
उन्हें कभी मीरा में कृष्ण दिखते, तो कभी कृष्ण में मीरा।
भक्त और भगवान एकाकार हो चुके थे!
सीख: ईश्वर नियमों के नहीं, निर्मल प्रेम के भूखे हैं।
जय श्री राधे-कृष्ण! 🙏🌸
. 💥“ज्ञान ही सच्ची संपत्ति है।
बाकी सब क्षणभंगुर है।”💥
🌼 ।। जय श्री कृष्ण ।।🌼
💥।। शुभम् भवतु।।💥
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ 🇪🇬🔱




