*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 दिनांक - 24 अगस्त 2025*
*🎈 दिन रविवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - भाद्रपद*
*🎈 पक्ष - शुक्ल*
*🎈तिथि - प्रतिपदा 11:47:49 Am तत्पश्चात् द्वितीया*
*🎈नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी - 02:05 ए एम, अगस्त 25 तकतत्पश्चात् उत्तरा फाल्गुनी*
*🎈योग - शिव - 12:30 पी एम तक तत्पश्चात् सिद्ध*
*🎈 करण - बव - 11:48 ए एम तक तत्पश्चात् बालव *
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- 05:26 पी एम से 07:03 पी एम तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - सिंह *
*🎈 सूर्य राशि - सिंह*
*🎈सूर्योदय - 06:11:44am*
*🎈सूर्यास्त - 07:02:36am* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:42 से प्रातः 05:26 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:11 पी एम से 01:03 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:15 ए एम, अगस्त 25 से 01:00 ए एम, अगस्त 25*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग 02:05 ए एम, अगस्त 25 से 06:11 ए एम, अगस्त 25*
*🎈ॐ नमः श्रीकृष्ण
*🎈ॐ नमःश्रीकृष्ण
*🎈क्या आप श्रीकृष्ण की बांसुरी बनना चाहेंगे? माधव की मुरली है आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का माध्यम -
*🎈पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण जब बांसुरी बजाते थे, तो गोपियाँ, पशु-पक्षी, प्रकृति सब उनकी ओर खिंचे चले आते हैं। यह खिंचाव सिर्फ संगीत को लेकर नहीं होता था, बल्कि यह आत्मा का परमात्मा की ओर आकर्षण होता है। उनका यह वाद्य यंत्र आत्मा, प्रेम और ईश्वर से जुड़ने का माध्यम बनता था। उनकी बांसुरी की महिमा आप इस बात से समझ सकते हैं कि एक बार कृष्ण ने अपने भक्तों से पूछा कि वे स्वयं को उनके हाथों में किस रूप में देखना चाहेंगे। कुछ ने कमल, शंख या चक्र कहा, लेकिन किसी ने बांसुरी का नाम नहीं लिया। तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अपनी बांसुरी बनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यदि तुम मेरी बांसुरी बन जाओ, तो मैं तुम्हें उठाकर अपने होंठों से छूकर तुम्हारे हृदय के खोखलेपन से तुम्हारी आत्मा को फूंक सकता हूँ। इससे न केवल तुम्हें ज्ञान प्राप्त होगा, बल्कि सभी प्राणियों के लिए एक मनमोहक संगीत भी उत्पन्न होगा।
*🎈श्रीकृष्ण की बांसुरी का शास्त्रों में वर्णन श्रीमद्भागवतम् में बताया गया है कि श्रीकृष्ण ने स्वयं बांसुरी बजाना सीखा था, लेकिन ब्रह्म संहिता जैसे अन्य ग्रंथों में वर्णन है कि भगवान शिव और देवी सरस्वती ने कृष्ण को बांसुरी दी थी और भगवान् शिव ने कृष्ण को इसे बजाना भी सिखाया था। ब्रह्म संहिता में बताया गया है कि भगवान कृष्ण के पास विभिन्न प्रकार की बांसुरियाँ हैं और सबका उद्देश्य अलग-अलग है। उनमें से तीन बांसुरी मुख्य हैं -
*🎈1. वेणु - यह बांसुरी काफी छोटी होती है और इसमें धुन निकालने के लिए छह छेद होते हैं। जब कृष्ण वेणु बजाते हैं, तो वेणु की ध्वनि से निकलने वाले दिव्य स्पंदनों से आकर्षित होकर चारों वेद उनके समक्ष उपस्थित हो जाते हैं। वेणु के छह छिद्र शरीर के चक्रों गुदा, जननांग, नाभि, वक्ष, कंठ, भौंहों के मध्य के अनुरूप हैं।
*🎈2. मुरली - मुरली लगभग अठारह इंच लंबी होती है, जिसके सिरे पर एक छेद होता है और इसके पूरे शरीर में चार अतिरिक्त छेद होते हैं, जो मिलकर एक असाधारण मनमोहक धुन उत्पन्न करते हैं। जो लोग निरंतर कृष्ण का नाम जपते हैं, उनके लिए वे कृपापूर्वक उनकी आत्मा में मुरली बांसुरी बजाते हैं। मुरली के पाँच छिद्र इंद्रियों आँख, कान, नाक, मुख, त्वचा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
*🎈3. वंशी - वंशी बांसुरी लगभग पंद्रह इंच लंबी होती है और इसके शरीर पर नौ छेद होते हैं। वंशी की ध्वनि ब्रजभूमि की युवतियों के हृदय और मन को मोहित कर लेती है और उन्हें कृष्ण की उपस्थिति की ओर अनायास ही आकर्षित कर लेती है। वंशी के नौ छिद्र आँख, कान, नाक, मुख, जननांग, गुदा का प्रतीक हैं, जिससे बांसुरी शरीर का प्रतिबिंब बन जाती है।
बांसुरी का आध्यात्मिक महत्व बांसुरी, श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय वस्तु मानी जाती है। यह उनके दिव्य प्रेम, करुणा और आकर्षण का प्रतीक है। बांसुरी अंदर से पूरी तरह खाली होती है। यह दर्शाता है कि जब मनुष्य अपने भीतर के अहंकार, स्वार्थ और इच्छाओं को खाली कर देता है, तभी ईश्वर हमारे माध्यम से कार्य कर सकते हैं। बांसुरी में जब वायु प्रवाहित होती है, तब वह मधुर ध्वनि उत्पन्न करती है। यह दर्शाता है कि जब जीवन में प्राण सही दिशा में प्रवाहित होता है, तो जीवन भी मधुर और संतुलित हो जाता है। जैसे बांसुरी में अलग-अलग छेद होते हैं, वैसे ही मनुष्य के शरीर में इंद्रियां हैं। जब इन्हें सही तरीके से नियंत्रित किया जाए, तो जीवन में दिव्य संगीत गूंजने लगता है। बांसुरी की ध्वनि ध्यान की अवस्था को गहरा करती है। इसकी मधुरता मन को शांत करती है और ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है। यह हृदय चक्र (अनाहत चक्र) को सक्रिय करने में मदद करती है, जिससे प्रेम और करुणा का भाव बढ़ता है। बांसुरी हमें यह सिखाता है कि जब हम अपने भीतर की नकारात्मकता और अहंकार को त्यागकर प्रेम, भक्ति और विनम्रता से भर जाते हैं, तब ईश्वर हमें अपना साधन बनाकर दुनिया में आनंद और शांति का संदेश फैलाते हैं। इसलिये, हमें श्रीकृष्ण के हाथों की बांसुरी बननी चाहिए और उनकी मधुर तान से अपने जीवन को संगीतमय रखना चाहिए।
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*🎈प्रतिपदा तिथि
*🎈विशेष - प्रतिपदा तिथि को पेठा या कुम्हड़ा नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसे धन के नाश का कारण माना जाता है. यह ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी बताया गया है कि प्रतिपदा को पेठा खाने से व्यक्ति के धन का नाश होता है.
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🛟चोघडिया, दिन🛟*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
🌹🌹भैरव बाबा के रहस्य और धन प्राप्ति के अचूक टोटके
एक ऐसी रहस्यमयी शक्ति, जो गरीब को धनवान बना दे… बस आस्था और विधि चाहिए!
रात्रि के अधिपति, तंत्र के सम्राट, रक्षण करने वाले रौद्र रूपी देवता — भैरव बाबा का नाम मात्र लेने से भय दूर होता है। जहां देवी-देवताओं के द्वार तक पहुंचने में समय लगता है, वहीं भैरव बाबा अपने भक्त की एक पुकार पर दौड़े आते हैं।
भैरव बाबा कौन हैं?
काल भैरव, भगवान शिव का एक उग्र रूप हैं। ये तंत्र साधना के अधिपति, रात्रि के स्वामी, और कर्मों के त्वरित फल देने वाले देवता हैं।
भैरव बाबा की पूजा से:
✅ जीवन की बाधाएं दूर होती हैं
✅ अदृश्य शक्तियों से रक्षा होती है
✅ अटके काम पूर्ण होते हैं
✅ और सबसे महत्वपूर्ण - अचानक धन प्राप्ति होती है
साबर मंत्र एक विशेष प्रकार के मंत्र होते हैं जो आम लोगों के लिए भी फलदायी और शीघ्र परिणाम देने वाले होते हैं।
इन मंत्रों को:
🔸 सिद्ध योगियों
🔸 नाथ संप्रदाय के गुरुओं
🔸 और अघोरियों ने
जनसामान्य के लिए तैयार किया था ताकि कोई भी साधना कर सके।
इनकी खासियत है – सरल भाषा, त्वरित प्रभाव, और बिना दीक्षा के भी सिद्धि की संभावना।
धन प्राप्ति हेतु भैरव बाबा का साबर मंत्र व टोटका
अगर आप आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, कर्ज में डूबे हैं या आय के स्रोत बंद हो गए हैं, तो यह मंत्र और टोटका आपके लिए संजीवनी है।
धनप्राप्ति मंत्र
“ॐ ह्रीं भैरवाय क्लीं स्वाहा ||”
विधि:
इस मंत्र को शनिवार या रविवार से शुरू करें
रात 9 से 12 के बीच भैरव बाबा के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं
108 बार इस मंत्र का जाप करें (कम से कम 21 दिन)
साथ में गुड़ और उड़द की दाल का भोग लगाएं
अंत में कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं (भैरव बाबा का वाहन)
भैरव बाबा का धन बुलाने वाला टोटका
“भैरव बाबा के नाम पर 7 शनिवार लगातार किसी गरीब को काले तिल और सिक्का दान करें”
साथ में एक सुपारी पर भैरव बाबा का नाम लेकर उसे लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें।
ये टोटका पुराने कर्ज को मिटाता है, अचानक धन लाभ कराता है और कारोबार को तेज करता है।
लाभ क्या होगा?
🔶 नौकरी में तरक्की
🔶 व्यवसाय में अचानक लाभ
🔶 कर्ज से मुक्ति
🔶 रुका हुआ पैसा वापस
🔶 जीवन में स्थायी लक्ष्मी का वास
सावधानी और आस्था
किसी को नुकसान पहुंचाने की नीयत से ना करें
तंत्र साधना में शुद्धता, निष्ठा और नियम जरूरी हैं
भैरव बाबा भक्त की परीक्षा लेते हैं, लेकिन अगर आप सच्चे हैं तो वे तुरंत फल देते हैं
अगर आपकी तिजोरी सूनी है… मन उदास है… मेहनत का फल नहीं मिल रहा… तो आज से ही भैरव बाबा की साधना शुरू करें।
"जहां भैरव वहां भय नहीं… जहां भैरव वहां धन की कमी नहीं!"
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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