*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 दिनांक - 25 अगस्त 2025*
*🎈 दिन सोमवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - भाद्रपद*
*🎈 पक्ष - शुक्ल*
*🎈तिथि - द्वितीया 12:34:08 pm तत्पश्चात् तृतीया*
*🎈नक्षत्र - उत्तर फाल्गुनी 27:48:46* am, तक तत्पश्चात् हस्त*
*🎈योग - सिद्ध 12:05:01pm तक तत्पश्चात् साध्य*
*🎈 करण - कौलव 12:34:09pm तक तत्पश्चात् गर *
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- 07:48am से 09:25 am तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि -सिंह till 08:27:41
*🎈चन्द्र राशि - कन्या from 08:27:41 *
*🎈सूर्य राशि - सिंह*
*🎈सूर्योदय - 06:12:12am*
*🎈सूर्यास्त - 07:01:35am* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:42 से प्रातः 05:27 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:11 पी एम से 01:03 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:15 ए एम, अगस्त 26 से 12:59 ए एम, अगस्त 26*
*🎈रवि योग 03:50 ए एम, अगस्त 26 से 06:11 ए एम, अगस्त 26*
*🎈ॐ नमः श्रीकृष्ण
*🎈मंत्र जाप में अशुद्ध उच्चारण का प्रभाव
क्या आपको पता है कई बार मानव अपने जीवन में आ रहे दुःख ओर संकटो से मुक्ति पाने के लिये किसी विशेष मन्त्र का जाप करता है.. लेकिन मन्त्र का बिल्कुल शुद्ध उच्चारण करना एक आम व्यक्ति के लिये संभव नहीं है ।
कई लोग कहा करते है.. कि देवता भक्त का भाव देखते है . वो शुद्धि अशुद्धि पर ध्यान नही देते है..
उनका कहना भी सही है, इस संबंध में एक प्रमाण भी है...
"" मूर्खो वदति विष्णाय, ज्ञानी वदति विष्णवे ।
द्वयोरेव संमं पुण्यं, भावग्राही जनार्दनः ।।
भावार्थ:-- मूर्ख व्यक्ति "" ऊँ विष्णाय नमः"" बोलेगा... ज्ञानी व्यक्ति "" ऊँ विष्णवे नमः"" बोलेगा.. फिर भी इन दोनों का पुण्य समान है.. क्यों कि भगवान केवल भावों को ग्रहण करने वाले है...
जब कोइ भक्त भगवान को निष्काम भाव से, बिना किसी स्वार्थ के याद करता है.. तब भगवान भक्त कि क्रिया ओर मन्त्र कि शुद्धि अशुद्धि के ऊपर ध्यान नही देते है.. वो केवल भक्त का भाव देखते है...
लेकिन जब कोइ व्यक्ति किसी विशेष मनोरथ को पूर्ण करने के लिये किसी मन्त्र का जाप या स्तोत्र का पाठ करता है.. तब संबंधित देवता उस व्यक्ति कि छोटी से छोटी क्रिया ओर अशुद्ध उच्चारण पर ध्यान देते है... जेसा वो जाप या पाठ करता है वेसा ही उसको फल प्राप्त होता है...।
एक बार एक व्यक्ति कि पत्नी बीमार थी । वो व्यक्ति पंडित जी के पास गया ओर पत्नी कि बीमारी कि समस्या बताई । पंडित जी ने उस व्यक्ति को एक मन्त्र जप करने के लिये दिया ।
मन्त्र:- ""भार्यां रक्षतु भैरवी"" अर्थात हे भैरवी माँ मेरी पत्नी कि रक्षा करो ।
वो व्यक्ति मन्त्र लेकर घर आ गया । ओर पंडित जी के बताये मुहुर्त में जाप करने बेठ गया..
जब वो जाप करने लगा तो "" रक्षतु"" कि जगह "" भक्षतु"" जाप करने लगा । वो सही मन्त्र को भूल गया ।
"" भार्यां भक्षतु भैरवी"" अर्थात हे भैरवी माँ मेरी पत्नी को खा जाओ । "" भक्षण"" का अर्थ खा जाना है ।
अभी उसे जाप करते हुये कुछ ही समय बीता था कि बच्चो ने आकर रोते हुये बताया.. पिताजी माँ मर गई है ।
उस व्यक्ति को दुःख हुआ..
साथ ही पण्डित जी पर क्रोध भी आया.. कि ये केसा मन्त्र दिया है...
कुछ दिन बाद वो व्यक्ति पण्डित जी से जाकर मिला ओर कहा आपके दिये हुये मन्त्र को में जप ही रहा था कि थोडी देर बाद मेरी पत्नी मर गई...
पण्डित जी ने कहा.. आप मन्त्र बोलकर बताओ.. केसे जाप किया आपने...
वो व्यक्ति बोला:-- "" भार्यां भक्षतु भैरवी""
पण्डित जी बोले:-- तुम्हारी पत्नी मरेगी नही तो ओर क्या होगा.. एक तो पहले ही वह मरणासन्न स्थिति में थी.. ओर रही सही कसर तुमने " रक्षतु" कि जगह "" भक्षतु!" जप करके पूरी कर दी.. भक्षतु का अर्थ है !" खा जाओ... "" ओर दोष मुझे दे रहे हो...
उस व्यक्ति को अपनी गलति का अहसास हुआ.. तथा उसने पण्डित जी से क्षमा माँगी ।
इस लेख का सार यही है कि जब भी आप किसी मन्त्र का विशेष मनोरथ पूर्ण करने के लिये जप करे तब क्रिया ओर मन्त्र शुद्धि पर अवश्य ध्यान दे.. अशुद्ध पढने पर मन्त्र का अनर्थ हो जायेगा.. ओर मन्त्र का अनर्थ होने पर आपके जीवन में भी अनर्थ होने कि संभावना बन जायेगी । अगर किसी मन्त्र का शुद्ध उच्चारण आपसे नहीं हो रहा है.. तो बेहतर यही रहेगा.. कि आप उस मन्त्र से छेडछाड नहीं करे । और यदि किसी विशेष मंत्र का क्या कर रहे हैं तो योग्य और समर्थ गुरु के मार्गदर्शन में ही करें और मंत्र के अर्थ को अच्छी तरह से समझ लेना के बाद ही उसका प्रयोग भाव विभोर होकर करें।
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*🎈 द्वितीया तिथि*
*🎈विशेष - किसी भी महीने की द्वितीया तिथि पर छोटे बैंगन या कटेहरी (बृहत) का सेवन नहीं करना चाहिए. यह हिंदू धर्मशास्त्रों में वर्जित माना जाता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इन्हें इस तिथि पर खाना नुकसानदायक हो सकता है.
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
🌹🌹जो मनुष्य तीनों समय अथवा दो समय श्रीचण्डी कवच के बाद सप्तशती का मध्यम चरित्र तथा हर अष्टमी की रात कवच के बाद सप्तशती ( ७०० श्लोक ) पढ़ता है उसका वंश जब तक चलता है तब तक कि इस भूमि पर वन पर्वत हैं। यहाँ तक कि यह कहा गया है कि पृथ्वी के अस्तित्व तक उसका वंश नष्ट नहीं होता ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कि एक तुलसी का पौधा जो आरंभ में शंखचूड की पत्नि तुलसी के केशों से बना था और उसी के बीज से आज तक उस तुलसी का वंश चल रहा है। तुलसी कोई नयी पैदा नहीं हुई वही की वही उसी का अंश हमारी भूमि पर है।
तथा पराम्बा देवी के स्मरण मात्र से भी अभ्युदय होता है।
कुछ न बने तो मात्र 100 दिन संयम रखकर मात्र 10 माला श्री दुर्गा नाम की जप करके देखो अपने आप ही प्रभाव दिखाई देगा।
ध्यान रहे भोगी नर नारी को औपचारिक फल ही मिलता है। मात्र शम दम युक्त नर नारी ही धन, यश और कीर्ति
पाते हैं। हर दो चार दिन में संभोग करने वाले
नारी या नर कभी भी भाग्य नही बदल सकते। पर जिनका भाग्य जन्मजात ही अच्छा है वे न भी करें तो उनको अपने आप धन व नौकरी मिल जाती है वह अलग बात है। पर सभी के साथ ऐसा नहीं होता कारण- पूर्व जन्म के पाप अथवा शासन की आरक्षण नीति। पर देवी की कृपा से आपका नाम सबसे ऊपर उठ ही जाता है कारण पुरुषार्थ के अलावा देवी का प्रसाद ( कृपा )।
भगवान ब्रह्मा ने मार्कण्डेय जी से कहा था कि -
यैस्तु भक्त्या स्मृता नूनं तेषां वृद्धि प्रजायते।
ये त्वां स्मरंति देवेशि रक्षसे तान्न संशयः। ।
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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