*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 आश्विन,कृष्ण पक्ष, चतुर्थी
2082 कालयुक्त, विक्रम सम्वत 11 सितम्बर 2025 गुरुवार पितृपक्ष प्रारम्भहै, गुरुवार श्राद्ध, आश्विन*
*🎈 दिनांक -11 सितंबर 2025*
*🎈 दिन- गुरुवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास -अश्विन*
*🎈 पक्ष - कृष्ण*
*🎈 पक्ष -श्राद्ध *
*🎈तिथि एवं वार - चतुर्थी 12:44:52pm रात्रि तत्पश्चात् पंचमी *
*🎈नक्षत्र - अश्विनी 13:56:59pm रात्रि तक तत्पश्चात् भरणी*
*🎈योग - ध्रुव 17:03:36 pm तक तत्पश्चात् व्याघात*
*🎈 करण - बालव 12:44:51pm तक तत्पश्चात् तैतुल*
*🎈 राहुकाल_हर जगह का अलग है- 02:05 pm से 03:38 pm तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - मेष *
*🎈सूर्य राशि - सिंह*
*🎈सूर्योदय - 06:19:50am*
*🎈सूर्यास्त - 06:43:00:pm* (सूर्योदय एवं सूर्यास्त राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से प्रातः 05:32 तक (राजस्थान प्रदेश नागौर मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:07 पी एम से 12:56 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त - 12:08 ए एम, सितम्बर 12 से 12:55 ए एम, सितम्बर 12*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग 06:19 ए एम से 01:58 पी एम*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 शुभ - उत्तम-06:19 ए एम से 07:52 ए एम*
*🎈 रोग - अमंगल-07:52 ए एम से 09:25 ए एम*
*🎈 उद्वेग - अशुभ-09:25 ए एम से 10:58 ए एम*
*🎈 चर - सामान्य-10:58 ए एम से 12:31 पी एम*
*🎈 लाभ - उन्नति-12:31 पी एम से 02:05 पी एम*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-02:05 पी एम से 03:38 पी एम*
*🎈 काल - हानि-03:38 पी एम से 05:11 पी एम काल वेला*
*🎈 शुभ - उत्तम-05:11 पी एम से 06:44 पी एम वार वेला*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम -06:44 पी एम से 08:11 पी एम*
*🎈 चर - सामान्य-08:11 पी एम से 09:38 पी एम*
*🎈 रोग - अमंगल-09:38 पी एम से 11:05 पी एम*
*🎈 काल - हानि-11:05 पी एम से 12:32 ए एम, सितम्बर 12*
*🎈 लाभ - उन्नति-12:32 ए एम से 01:58 ए एम, सितम्बर 12 काल रात्रि*
*🎈 उद्वेग - अशुभ-01:58 ए एम से 03:25 ए एम, सितम्बर 12*
*🎈 शुभ - उत्तम-03:25 ए एम से 04:52 ए एम, सितम्बर 12*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-04:52 ए एम से 06:19 ए एम, सितम्बर 12*
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🚩*☀ #पितृ पक्ष☀*
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🔷 #पितृपक्ष में पूरे सभी दिनों तक श्राद्ध चलता है। गया में पैंतालीस वेदियों पर श्राद्ध संपन्न होता है। पितृपक्ष एक तरह से पितृपर्व है। पितर लोग देवताओं के भी देवता हैं। भगवान श्रीराम प्रत्येक धाम में पूजे जाते हैं किन्तु पिता दशरथ का भी उन्होंने श्राद्ध किया है। प्रत्येक पुत्र का कर्तव्य बनता है कि वह अपने पूर्वजों के निमित्त पितृपक्ष में श्रद्धा रूपी श्राद्ध को धरातल पर तिथि के अनुसार उतारे।
आश्विन कृष्ण पक्ष में पूरे पंद्रह दिनों में कुछ ऐसी भी तिथियां हैं जिनमें श्राद्ध कर्म संपन्न करने का फल अनन्त गुना है। जैसे-
१- भरणी_का_श्राद्ध-
शुक्रवार दिवसांक 12 सितंबर सन् 2025 ई० को पंचमी तिथि में मरने वालों का श्राद्ध भरणी नक्षत्र युक्त होगा। भरणी नक्षत्र में मृत्यु एक तरफ दोषकारक है तो दूसरी ओर पितृ पक्ष में भरणी नक्षत्र में श्राद्ध करने पर पितरों को अक्षय तृप्ति होती है।
२- सौभाग्यवती_स्त्री_का_श्राद्ध -
जो स्त्री पति के रहते ही मृत्यु को प्राप्त करती है उसका श्राद्ध केवल मातृनवमी अर्थात सोमवार दिनांक 15 सितंबर को होगा। इसे सधवा_माता_का_श्राद्ध भी कहा जाता है।
३- संन्यासियों_का_श्राद्ध-
संन्यासियों की मृत्यु तिथि चाहे कुछ भी हो परंतु इनका श्राद्ध आश्विन कृष्ण द्वादशी अर्थात गुरुवार 18 सितंबर को होगा।
४- मघा_त्रयोदशी_का_श्राद्ध -
आश्विन कृष्ण त्रयोदशी को मघा नक्षत्र होने पर इसका महत्व और बढ़ जाता है। पुत्रवान को इस दिन पिंडदान नहीं करने चाहिए बल्कि तर्पण और ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। यह श्राद्ध शुक्रवार दिनांक 19 सितंबर को होगा।
५- दुर्मरण_वालों_का_श्राद्ध -
किसी कारण यदि किसी व्यक्ति का दुर्मरण अर्थात वाहन , अस्त्र-शस्त्र, विष , दुर्घटना या जल, अग्नि आदि से मृत्यु होती है तो उस मृत्यु को दुर्मरण कहा जाता है। उसका श्राद्ध आश्विन कृष्ण चतुर्दशी शनिवार 20 सितंबर को होगा। हां यह भी ध्यान रहे कि यदि किसी की स्वाभाविक मृत्यु चतुर्दशी को हुई है तो उसका -श्राद्ध त्रयोदशी या अमावस्या को होगा, चतुर्दशी को नहीं होगा।
६- अज्ञात_मृत्यु_तिथि_वालों_का_श्राद्ध -
जिनके मृत्यु की तिथि की कोई जानकारी नहीं है तो उनका श्राद्ध आश्विन कृष्ण अमावस्या रविवार दिवसांक २१ सितंबर को होगा।।
७-पूर्णिमा_तिथि_वालों_का_श्राद्ध -
जिनकी मृत्यु वर्ष में किसी भी पूर्णिमा को हुई है उनका श्राद्ध भाद्र शुक्ल पूर्णिमा या महालया अर्थात आश्विन कृष्ण अमावस्या को होगा।
८- फल्गु_योग_का_श्राद्ध -
आश्विन कृष्ण अमावस्या को यदि सोमवार हो तो 'फल्गु' योग होता है। यह योग श्राद्ध के लिए महत्वपूर्ण है। इस वर्ष अमावस्या रविवार के दिन पड़ने से फल्गु योग का अभाव है।
९- गजच्छाया_योग-
आश्विन कृष्ण अमावस्या को यदि गोचर में सूर्य- चंद्र दोनों हस्त नक्षत्र पर हों तो गजछाया योग होता है। मघा नक्षत्र भी इसमें ग्राह्य है। इसमें भी श्राद्ध का विशेष महत्व है। यह योग भी इस वर्ष नहीं है।
१०- ग्रहण_का_श्राद्ध-
यदि आश्विन कृष्ण अमावस्या को सूर्यग्रहण आ पड़े तो उसे ग्रहण श्राद्ध कहा जाता है। श्राद्ध के विहित काल में निमंत्रित ब्राह्मण को भोजन न कराकर उसे केवल दक्षिणा और अपक्वान्न ( कच्चा अन्न- जैसे- चावल , दाल, सब्जी, आटा, तेल, घी, सेंधा नमक इत्यादि) ही दें। परंतु श्राद्ध कर्म का लोप न करें। इस वर्ष इस दिन कोई ग्रहण नहीं है।
श्राद्धीय_ब्राह्मणों_के_लिए_शास्त्रादेश-
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शास्त्रानुसार श्राद्ध में वर्णानुसार भोजन करने का भी प्रायश्चित करना चाहिए। पितृपक्ष के पार्वण श्राद्ध में भोजन करने पर केवल छ: प्राणायाम करना चाहिए। ध्यान रहे, शास्त्रादेश का पालन ही हमारे लोक-परलोक सा सच्चा सहचर है। जिनके लिए हम अशास्त्रीय कार्य कर डालते हैं वे मात्र श्मशानघाट तक ही साथ देंगे। इसलिए शास्त्रीय विधि-विधान पर तर्क न करके उसे शिरोधार्य करना चाहिए।
🙏 जयश्रीहरिः 🙏
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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