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पंचांग - 25-10-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

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*नागौर राजस्थान मानक समयानुसार*

 *🎈दिनांक -25अक्टूबर2025 *
*🎈 दिन -   शनिवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष -  शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- चतुर्थी    27:47:41*am तक तत्पश्चात्   ज्ञान पंचमी*
*🎈 नक्षत्र -     अनुराधा    07:50:44*am तत्पश्चात्         ज्येष्ठा*
*🎈 योग -     शोभन    30:44:34* am तक तत्पश्चात् शोभन*
*🎈करण    - वणिज    14:34:14*
Pm तक तत्पश्चात् बव*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- सुबह 09:30दोपहर 10:55pm तक* 
*🎈चन्द्र राशि-       वृश्चिक    *

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*🎈सूर्य राशि-       तुला    *
*🎈सूर्योदय - 06:41:52:am*
*🎈सूर्यास्त -17:55:59pm* 

*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से प्रातः 05:50 तक *
*🎈अभिजित मुहूर्त-    11:56 ए एम से 12:41 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:54 पी एम से 12:45 ए एम, अक्टूबर 26तक*
*🎈रवि योग    -07:51 ए एम से 06:41 ए एम, अक्टूबर 26*

*🎈 व्रत एवं पर्व- चतुर्थी
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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
   मानक सूर्योदय के अनुसार।

 *🎈 चर - सामान्य-06:40 ए एम से 08:05 ए एम*

 *🎈 लाभ - उन्नति-08:05 ए एम से 09:29 ए एम*

 *🎈 अमृत - सर्वोत्तम-09:29 ए एम से 10:54 ए एम वार वेला*

 *🎈 काल - हानि-10:54 ए एम से 12:19 पी एम काल वेला*

 *🎈 शुभ - उत्तम-12:19 पी एम से 01:44 पी एम*

 *🎈 रोग - अमंगल-01:44 पी एम से 03:09 पी एम*

 *🎈 उद्वेग - अशुभ-03:09 पी एम से 04:33 पी एम*

 *🎈 चर - सामान्य-04:33 पी एम से 05:58 पी एम*

      *🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈रोग - अमंगल-05:58 पी एम से 07:33 पी एम*

 *🎈 काल - हानि-07:33 पी एम से 09:09 पी एम*

 *🎈 लाभ - उन्नति-09:09 पी एम से 10:44 पी एम काल रात्रि*

 *🎈 उद्वेग - अशुभ-10:44 पी एम से 12:19 ए एम, अक्टूबर 25*

 *🎈 शुभ - उत्तम-12:19 ए एम से 01:55 ए एम, अक्टूबर 25*

 *🎈 अमृत - सर्वोत्तम-01:55 ए एम से 03:30 ए एम, अक्टूबर 25*

 *🎈 चर - सामान्य-03:30 ए एम से 05:05 ए एम, अक्टूबर 25*

 *🎈 रोग - अमंगल-05:05 ए एम से 06:41 ए एम, अक्टूबर 25*

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 🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
  🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
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🚩🌼यमराज का दूसरा नाम धर्मराज क्यों?💐 🌼🪔
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प्राणी की मृत्यु या अंत को लाने वाले देवता यम हैं। यमलोक के स्वामी होने के कारण ये यमराज कहलाए। चूंकि मृत्यु से सब डरते हैं, इसलिए यमराज से भी सब डरने लगे जीवित प्राणी का जब अपना काम पूरा हो जाता है, तब मृत्यु के समय शरीर में से प्राण खींच लिए जाते हैं, ताकि प्राणी फिर नया शरीर प्राप्त कर नए सिरे से जीवन प्रारंभ कर सके।

यमराज सूर्य के पुत्र हैं और उनकी माता का नाम संज्ञा है। उनका वाहन भैंसा और संदेशवाहक पक्षी कबूतर, उल्लू और कौवा भी माना जाता है।

उनका अचूक हथियार गदा है। यमराज अपने हाथ के कालसूत्र या कालपाश की बदौलत जीव के शरीर से प्राण निकाल लेते हैं। यमपुरी यमराज की नगरी है, जिसके दो महाभयंकर चार आंखों वाले कुत्ते पहरेदार हैं। यमराज अपने सिंहासन पर न्यायमूर्ति की तरह बैठकर विचार भवन कालीची में मृतात्माओं को एक-एक कर बुलवाते हैं, जहां चित्रगुप्त सब प्राणियों की बही खोलकर लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। कर्मों को ध्यान में रखकर यमराज अपना फैसला देते हैं, क्योंकि वे जीवों के शुभाशुभ कर्मों के निर्णायक हैं।

यमराज की यूं तो कई पत्नियां थीं, लेकिन उनमें सुशीला, विजया और हेमनाल अधिक जानी जाती हैं। उनके पुत्रों में धर्मराज युधिष्ठिर को सभी जानते हैं। न्याय के पक्ष में फैसला देने के गुणों के कारण ही यमराज और युधिष्ठिर जगत में धर्मराज के नाम से जाने जाते हैं यम द्वितीया के अवसर पर जिस दिन भाई-बहन का त्योहार भैया-दूज मनाया जाता है। यम और यमुना की पूजा का विधान बनाया गया हैं। उल्लेखनीय है कि यमुना नदी को यमराज की बहन माना जाता है।

भौमवारी चतुर्दशी को यमतीर्थ के दर्शन कर सब पापों से छुटकारा मिल जाए, उसके लिए प्राचीन काल में यमराज ने यमतीर्थ में (संकटाघाट) कठोर तपस्या करके भक्तों को सिद्धि प्रदान करने वाले यमेश्वर और यमादित्य मंदिरों की स्थापना की थी। यम द्वितीया को यहां मेला लगता है। इन मंदिरों को प्रणाम करने वाले एवं यमतीर्थ में स्नान करने वाले मनुष्यों को नारकीय यातनाओं को न तो भोगना पड़ता है और न ही यमलोक देखना पड़ता है। इसके अलावा मान्यता तो यहां तक है कि यमतीर्थ में श्राद्ध करके, यमेश्वर 1. का पूजन करने और यमादित्य को प्रणाम करके व्यक्ति अपने पितृ-ऋण से भी उऋण हो सकता है।

श्राद्धं कृत्वा यमे तीर्थे पूजयित्वा यमेश्वरम्। 
यमादित्यं नमस्कृत्य पितृणामनृणो भवेत्॥

दीपावली से पूर्व दिन यमदीप देकर तथा दूसरे पर्वों पर यमराज की आराधना करके मनुष्य उनकी कृपा प्राप्त करने के उपाय करता है। पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि किसी समय माण्डव ऋषि ने कुपित होकर यमराज को मनुष्य के रूप में जन्म लेने का शाप दिया। इसके कारण यमराज ने ही दासी पुत्र के रूप में धृतराष्ट्र तथा पाण्डु के भाई होकर जन्म लिया। यूं तो यमराज परम धार्मिक और भगवद् भक्त है। मनुष्य जन्म लेकर भी वे भगवान् के परम भक्त तथा धर्म-परायण ही बने रहे।
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    💥 ।। शुभम् भवतु।।💥

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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ  🇪🇬🔱
vipul Saxena

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