*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
(नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)
*🎈दिनांक -26अक्टूबर2025 *
*🎈 दिन - रविवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- पंचमी 30:04:18*am तक तत्पश्चात् ज्ञान षष्ठी*
*🎈 नक्षत्र - ज्येष्ठा 10:45:43am तत्पश्चात् मूल*
*🎈 योग - शोभन 06:44:34 am तक तत्पश्चात् अतिगंड*
*🎈करण - बव 16:58:05
Pm तक तत्पश्चात् कौलव*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- सुबह 04:32दोपहर 05:56pm तक *
*🎈चन्द्र राशि- वृश्चिक *
*🎈सूर्य राशि- तुला *
*🎈सूर्योदय - 06:41:52:am*
*🎈सूर्यास्त -17:55:59pm*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से प्रातः 05:50 तक *
*🎈अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:41 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:54 पी एम से 12:45 ए एम, अक्टूबर 27तक*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग- 10:46 ए एम से 06:42 ए एम, अक्टूबर 27*
*🎈 व्रत एवं पर्व- पंचमी
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*🛟चोघडिया, दिन🛟
*🎈 उद्वेग - अशुभ-06:41 ए एम से 08:06 ए एम*
*🎈चर - सामान्य-08:06 ए एम से 09:30 ए एम*
*🎈लाभ - उन्नति-09:30 ए एम से 10:54 ए एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-10:54 ए एम से 12:19 पी एम वार वेला*
*🎈काल - हानि-12:19 पी एम से 01:43 पी एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-01:43 पी एम से 03:08 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-03:08 पी एम से 04:32 पी एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-04:32 पी एम से 05:56 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈शुभ - उत्तम-05:56 पी एम से 07:32 पी एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-07:32 पी एम से 09:08 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-09:08 पी एम से 10:43 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-10:43 पी एम से 12:19 ए एम, अक्टूबर 27*
*🎈काल - हानि-12:19 ए एम से 01:55 ए एम, अक्टूबर 27*
*🎈लाभ - उन्नति-01:55 ए एम से 03:30 ए एम, अक्टूबर 27 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-03:30 ए एम से 05:06 ए एम, अक्टूबर 27*
*🎈शुभ - उत्तम-05:06 ए एम से 06:42 ए एम, अक्टूबर 27*
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🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
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🚩🌼छठ पूजा विशेष ............❤️💐 🌼🪔
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छठ पूजा 25 से 28 अक्टूबर विशेष
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कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के तुरंत बाद मनाए जाने वाले इस चार दिवसिए व्रत की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है। इसी कारण इस व्रत का नाम करण छठ व्रत हो गया। छठ पर्व षष्ठी तिथि का अपभ्रंश है।
सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। इस पर्व को वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-स्मृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है।
छठ पर्व में सूर्य और छठी मैया की पूजा
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छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य प्रत्यक्ष रूप में दिखाई देने वाले देवता है, जो पृथ्वी पर सभी प्राणियों के जीवन का आधार हैं। सूर्य देव के साथ-साथ छठ पर छठी मैया की पूजा का भी विधान है।
सूर्य और छठी मैया का संबंध भाई बहन का है। मूलप्रकृति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण इनका नाम षष्ठी पड़ा। वह कार्तिकेय की पत्नी भी हैं। षष्ठी देवी देवताओं की देवसेना भी कही जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने की थी।
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो षष्ठी के दिन विशेष खगोलिय परिवर्तन होता है। तब सूर्य की पराबैगनी किरणें असामान्य रूप से एकत्र होती हैं और इनके कुप्रभावों से बचने के लिए सूर्य की ऊषा और प्रत्यूषा के रहते जल में खड़े रहकर छठ व्रत किया जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया या षष्ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं।
शास्त्रों में षष्ठी देवी को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कहा गया है। पुराणों में इन्हें माँ कात्यायनी भी कहा गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि पर होती है। षष्ठी देवी को ही बिहार-झारखंड में स्थानीय भाषा में छठ मैया कहा गया है।
छठ पर्व परंपरा
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यह पर्व चार दिनों तक चलता है। भैया दूज के तीसरे दिन से यह आरंभ होता है। पहले दिन सैंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरंभ होता है। इस दिन रात में खीर बनती है। व्रतधारी रात में यह प्रसाद लेते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। इस पूजा में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है; लहसून, प्याज वर्ज्य है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहां भक्तिगीत गाए जाते हैं। आजकल कुछ नई रीतियां भी आरंभ हो गई हैं, जैसे पंडाल और सूर्य देवता की मूर्ति की स्थापना करना। उसपर भी रोषनाई पर काफी खर्च होता है और सुबह के अर्घ्य के उपरांत आयोजनकर्ता माईक पर चिल्लाकर प्रसाद मांगते हैं। पटाखे भी जलाए जाते हैं। कहीं-कहीं पर तो ऑर्केस्ट्रा का भी आयोजन होता है; परंतु साथ ही साथ दूध, फल, उदबत्ती भी बांटी जाती है। पूजा की तैयारी के लिए लोग मिलकर पूरे रास्ते की सफाई करते हैं।
छठ व्रत
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छठ उत्सव के केंद्र में छठ व्रत है जो एक कठिन तपस्या की तरह है। यह प्रायः महिलाओं द्वारा किया जाता है किंतु कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाली महिला को परवैतिन भी कहा जाता है। चार दिनों के इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग किया जाता है। पर्व के लिए बनाए गए कमरे में व्रती फर्श पर एक कंबल या चादर के सहारे ही रात बिताई जाती है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नए कपड़े पहनते हैं। पर व्रती ऐसे कपड़े पहनते हैं, जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की होती है। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं। ‘शुरू करने के बाद छठ पर्व को सालोंसाल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहित महिला को इसके लिए तैयार न कर लिया जाए। घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है।’
ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएं यह व्रत रखती हैं। किंतु पुरुष भी यह व्रत पूरी निष्ठा से रखते हैं।
शेष भाग कल....
💥 ।। शुभम् भवतु।।💥
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ 🇪🇬🔱


