*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈दिनांक 02 नवंबर 2025 *
*🎈 दिन - रविवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - कार्तिक*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- तिथि एकादशी 07:30:56
*🎈तिथि- द्वादशी 29:06:43*(क्षय )*
*🎈 नक्षत्र - पूर्वभाद्रपदा 17:02:47
pm तत्पश्चात् उत्तरभाद्रपदा 17:02:47*
*🎈 योग - व्याघात 23:09:32* तक तत्पश्चात् हर्शण*
*🎈करण - विष्टि भद्र 07:30:56
am तक तत्पश्चात् बव*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 04:27am to 05:50pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि- कुम्भ till 11:26:06
*🎈चन्द्र राशि - मीन from 11:26:06*
*🎈सूर्य राशि- तुला *
*🎈सूर्योदय - 06:47:02am*
*🎈सूर्यास्त -17:49:42pm*
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 05:03 से प्रातः 05:54 तक *(नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:41 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:53 पी एम से 12:45 ए एम,3नवंबर 2025तक*
*🎈 सर्वार्थ सिद्धि योग 05:03 पी एम से 06:47 ए एम, नवम्बर 03*
*🎈 व्रत एवं पर्व- एकादशी व्रत 2नवंबर 2025 रविवार को।
*🎈विशेष - एकादशी को कई चीजें नहीं करनी चाहिए, जिनमें क्रोध, वाद-विवाद और झूठ बोलना शामिल है,
एकादशी व्रत में आप आलू, शकरकंद, अरबी, खीरा, लौकी, कच्चा पपीता, टमाटर, और सिंगाड़ा जैसी सब्जियां खा सकते हैं, जो आमतौर पर सात्विक मानी जाती हैं। इन सब्जियों को सेंधा नमक और शुद्ध घी में बनाकर खाया जा सकता है। हालाँकि, गोभी, भिंडी, पालक, मटर और गाजर जैसी कुछ सब्जियों से परहेज किया जाता है।
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 उद्वेग - अशुभ-06:46 ए एम से 08:09 ए एम*
*🎈चर - सामान्य-08:09 ए एम से 09:32 ए एम*
*🎈लाभ - उन्नति-09:32 ए एम से 10:55 ए एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-10:55 ए एम से 12:18 पी एम वार वेला*
*🎈काल - हानि-12:18 पी एम से 01:42 पी एम काल वेला*
*🎈शुभ - उत्तम-01:42 पी एम से 03:05 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-03:05 पी एम से 04:28 पी एम*
*🎈उद्वेग - अशुभ-04:28 पी एम से 05:51 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈शुभ - उत्तम-05:51 पी एम से 07:28 पी एम*
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-07:28 पी एम से 09:05 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-09:05 पी एम से 10:42 पी एम*
*🎈रोग - अमंगल-10:42 पी एम से 12:19 ए एम, नवम्बर 03*
*🎈काल - हानि-12:19 ए एम से 01:56 ए एम, नवम्बर 03*
*🎈लाभ - उन्नति-01:56 ए एम से 03:33 ए एम, नवम्बर 03 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-03:33 ए एम से 05:10 ए एम, नवम्बर 03*
*🎈शुभ - उत्तम-05:10 ए एम से 06:47 ए एम, नवम्बर 03*
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🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
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देवउठनी एकादशी यानी कार्तिक मास में ग्यारस की पूजा।
🚩🌼#🌷🌷 श्री तुलसीपूजा 🌷🌷🌷
(“तुलसी लघुपूजा – २” हिन्दी भावार्थ सहित (आज के अंक में)
🚩.भीष्म पंचक व्रत का महत्व
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शेष भाग से आगे.....
🚩भीष्म पंचक व्रत का महत्व, सही तिथि और पूजा विधि
संक्षेप: सनातन धर्म में पंचक के पांच दिन सामान्यतः अशुभ माने जाते हैं, लेकिन कार्तिक माह का भीष्म पंचक शुभ और मोक्षदायी होती है। आइए, भीष्म पंचक की सही तिथि, महत्व और पूजा विधि।
🚩सनातन धर्म में पंचक के पांच दिन सामान्यतः अशुभ माने जाते हैं, लेकिन कार्तिक माह का भीष्म पंचक शुभ और मोक्षदायी होती है। इसे विष्णु पंचक भी कहते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, इन पांच दिनों में उपवास, पूजा और जल अर्पण से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। महाभारत काल में पितामह भीष्म ने बाणों की शय्या पर लेटे हुए अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा की थी। उन्होंने कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पांडवों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का ज्ञान दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने इन दिनों को भीष्म पंचक नाम देकर मंगलकारी घोषित किया। आइए, भीष्म पंचक की सही तिथि, महत्व और पूजा विधि
🚩भीष्म पंचक 2025 तिथि
पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी कहते हैं 1 नवंबर 2025 को सुबह 9:11 बजे शुरू होगी और 2 नवंबर को सुबह 7:31 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, एकादशी और द्वादशी 2 नवंबर को, 3 नवंबर को त्रयोदशी, 4 नवंबर को चतुर्दशी और 5 नवंबर को पूर्णिमा।
🚩भीष्म पंचक का महत्व और कथा
महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण पांडवों को भीष्म पितामह के पास ले गए। भीष्म ने पांच दिनों तक वर्ण धर्म, राज धर्म और मोक्ष धर्म का उपदेश दिया। श्रीकृष्ण ने कहा, 'हे पितामह! जो व्यक्ति इन पांच दिनों में आपके नाम से जल अर्पित और पूजन करेगा, उसके सभी कष्ट मैं दूर करूंगा।' सतयुग में ऋषि वसिष्ठ, भृगु और गर्ग ने इस व्रत का पाठ किया था। त्रेता में महाराजा अंबरीश ने इसे अपनाया। गरुड़ पुराण कहता है कि भीष्म पंचक से चातुर्मास का पूरा पुण्य मिलता है। यह व्रत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
🚩पूजा विधि
एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में कमल पुष्प अर्पित करें और द्वादशी तिथि पर जांघ पर बिल्व पत्र चढ़ाएं। त्रयोदशी के दिन नाभि पर सुगंध (इत्र) अर्पित करें और चतुर्दशी को कंधों पर जावा का फूल चढ़ाएं। पुर्णिमा के दिन सिर पर मालती पुष्प अर्पित करें।
🚩हर दिन स्नान के बाद श्रीकृष्ण या विष्णु की मूर्ति के सामने जल, फल और तुलसी अर्पित करें। व्रत कथा पढ़ें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपें। दिन में एक समय शुद्ध सात्विक भोजन लें।
🚩भीष्म पंचक में क्या नहीं करें?
मांस, मदिरा, तामसिक भोजन से दूर रहें।
क्रोध, झूठ, अपशब्द और छल ना करें।
दिन में भोजन करें, रात्रि भोजन वर्जित है।
🚩तुलसी को अपवित्र ना करें और स्नान के बाद ही जल चढ़ाएं।
1 नवंबर से 5 नवंबर 2025 तक भीष्म पंचक रहेगा। यह व्रत पाप नाशक और मोक्षदायी है। इन दिनों में पूजा और संयम से श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करें।
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04..🌷🌷🌷 श्री तुलसीपूजा (४) 🌷🌷🌷
(“तुलसी लघुपूजा – २” हिन्दी भावार्थ सहित
👉🍁 प्रारंभिक मंगलाचरण
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥
अर्थ:
जो श्वेत वस्त्र धारण करते हैं, चन्द्रमा के समान उज्ज्वल हैं,
चार भुजाओं वाले और प्रसन्नमुख हैं —
ऐसे श्रीविष्णु का ध्यान करता हूँ ताकि सभी विघ्न दूर हों।
-🍁 संकल्प
परमेश्वरप्रीत्यर्थं श्री तुलसीदेवीप्रीत्यर्थं
दीर्घसौमङ्गल्यप्राप्यर्थं सत्सन्तानसिद्ध्यर्थं
समस्तसम्पत्प्राप्त्यर्थं सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थं तुलसीपूजां करिष्ये ॥
अर्थ:
परमेश्वर और तुलसी देवी की प्रसन्नता के लिए,
दीर्घ सौभाग्य प्राप्त करने के लिए, उत्तम संतान की सिद्धि के लिए,
समस्त ऐश्वर्य-संपत्ति प्राप्ति और सभी इच्छाओं की पूर्ति हेतु मैं तुलसी पूजा करूँगा।
(फिर ‘अप उपस्पृश्य’ — जल लेकर आत्मशुद्धि करें।)
👉🍁 आवाहन एवं ध्यान
अस्मिन् तुलसीक्षुपे तुलसीं वृन्दां ध्यायामि । आवाहयामि ॥
अर्थ:
इस तुलसी पौधे में मैं दिव्य देवी “वृन्दा तुलसी” का ध्यान करता हूँ और उन्हें आवाहन करता हूँ।
👉🍁 उपचार अर्पण
वृन्दावन्यै नमः — आसनं समर्पयामि ।
हे वृन्दावनवासी देवी तुलसी! आपको आसन अर्पित करता हूँ।
विश्वपूजितायै नमः — पाद्यं समर्पयामि ।
हे विश्वभर में पूज्य देवी! आपके चरणों के लिए पाद्य (आगमन-जल) अर्पित करता हूँ।
विश्वपावन्यै नमः — अर्घ्यं समर्पयामि ।
हे पवित्रतादायिनी देवी! आपको अर्घ्य अर्पित करता हूँ।
पुष्पसारायै नमः — आचमनीयं समर्पयामि ।
हे पुष्पों की सारभूता देवी! आचमनीय जल अर्पित करता हूँ।
नन्दिन्यै नमः — स्नानं समर्पयामि ।
हे नन्दिनी रूपा देवी! आपको स्नान अर्पित करता हूँ।
तुलस्यै नमः — वस्रं समर्पयामि ।
हे तुलसी देवी! आपको वस्त्र अर्पित करता हूँ।
कृष्णजीवन्यै नमः — गन्धं समर्पयामि । कुंकुमं समर्पयामि ॥
हे श्रीकृष्ण के प्राणस्वरूपा तुलसी! आपको चंदन और कुंकुम अर्पित करता हूँ।
👉🍁 अर्चना (नामस्मरण)
वृन्दायै नमः । गोलोकवासिन्यै नमः । कृष्णप्रियायै नमः ।
सर्वरोगहरायै नमः । सन्ततिप्रदायै नमः । सौमङ्गल्यदायै नमः ।
सौभाग्यप्रदायै नमः । पतिव्रतायै नमः । अतुलायै नमः । वृन्दावन्यै नमः ॥
अर्थ:
वृन्दा को नमस्कार,
गोलोकधाम में वास करनेवाली को नमस्कार,
कृष्ण की परमप्रिय को नमस्कार,
सभी रोगों का नाश करनेवाली को नमस्कार,
संतान प्रदान करनेवाली, सौम्य-मंगलदायिनी,
सौभाग्य देनेवाली, पतिव्रता स्वरूपिणी,
अतुलनीय महिमा वाली और वृन्दावनवासिनी तुलसी देवी को बारंबार नमस्कार।
--👉🍁दीप, धूप, नैवेद्य आदि
विश्वपूजितायै नमः — धूपं दर्शयामि । दीपं दर्शयामि ॥
हे विश्वपूजिता देवी! आपको धूप और दीप अर्पित करता हूँ।
विश्वपावन्यै नमः — नैवेद्यं समर्पयामि ॥
हे विश्वपावनी देवी! आपको नैवेद्य (भोजन) अर्पित करता हूँ।
पुष्पसारायै नमः — कर्पूरनीराजनं दर्शयामि ॥
हे पुष्पसारायै! आपको कर्पूर आरती अर्पित करता हूँ।
नन्दिन्यै नमः — पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि ॥
हे नन्दिनी देवी! आपको पुष्पांजलि अर्पित करता हूँ।
तुलस्यै नमः — प्रदक्षिणं करोमि ॥
हे तुलसी देवी! मैं आपकी प्रदक्षिणा करता हूँ।
कृष्णजीविन्यै नमः — नमस्कारं समर्पयामि ॥
हे कृष्णजीविनी देवी! मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
👉🍁 विशेष प्रार्थना
ओङ्कारपूर्विके देवि सर्ववेदस्वरूपिणि ।
सर्वदेवमये देवि सौमङ्गल्यं प्रयच्छ मे ॥
अर्थ:
हे ‘ॐ’ से पूज्य देवी! जो सभी वेदों का स्वरूप और सभी देवताओं से परिपूर्ण हैं,
मुझे चिरस्थायी सौमंगल्य (सौभाग्य और कल्याण) प्रदान करें।
वृन्दे मां सर्वदा देवि कृपादृष्ट्या विलोकय ।
पत्युरायुश्च भाग्यं च सदा देहि हरिप्रिये ॥
अर्थ:
हे देवी वृन्दा! मुझे सदा अपनी कृपादृष्टि से देखें,
और मेरे पति को दीर्घायु और शुभभाग्य प्रदान करें, हे हरि की प्रिये!
प्रसीद मम देवेशि प्रसीद हरिवल्लभे ।
इति प्रार्थ्य द्वादशवारं नमस्कुर्यात् तुलसीस्तुतिं पठेत् । पूजां तुलसीचरणयोरर्पयेत् ॥
अर्थ:
हे देवेश्वरी! हे हरिवल्लभे तुलसी! मुझ पर प्रसन्न हों।
ऐसे बारह बार प्रार्थना करके तुलसी स्तुति का पाठ करें,
और समस्त पूजा तुलसी के चरणों में अर्पित करें।
फलश्रुति ( लाभ)
इस विधि से तुलसी देवी की पूजा करनेवाला व्यक्ति
— दीर्घ सौभाग्य, उत्तम संतान, गृह-शांति, और विष्णु-लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करता है।
उसका जीवन पवित्र, रोगमुक्त, और सौम्य सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होता है।
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(भावार्थ सार:
यह पूजा केवल तुलसी पौधे की नहीं, अपितु तुलसी देवी — श्रीहरि की अर्धांगिनी शक्ति — का सम्मान है।
वह भक्ति, पतिव्रता, आरोग्य, और ऐश्वर्य की दात्री हैं।
उनकी कृपा से गृहस्थ जीवन में शांति और विष्णुभक्ति दोनों का वास होता है।)
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
💥 ।। शुभम् भवतु।।💥
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ 🇪🇬🔱

