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पञ्चाङ्ग - 02-12-2025

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

JYOTISH


*🎈दिनांक 2 दिसंबर 2025 *
*🎈 दिन - मंगलवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - मार्गशीर्ष*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि-    द्वादशी    15:56:33*pm तत्पश्चात्  त्रयोदशी*
*🎈 नक्षत्र -     अश्विनी    20:50:42* pmतत्पश्चात्     भरणी*
*🎈 योग    -     वरियान    21:07:22*am तक तत्पश्चात् परिघ*
*🎈करण    -     बालव    15:56:33pm  तत्पश्चात् कौलव*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 03:02am to 04:21pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)* 
*🎈चन्द्र राशि    -   मेष    *
 *🎈सूर्य राशि-       वृश्चिक*
*🎈सूर्योदय - 07:09:32am*
*🎈सूर्यास्त -17:39:27pm* 
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 05:20 ए एम से 06:14:00( ए एम प्रातः तक *(नागौर 
राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- 12:03 पी एम से 12:45 पी एम*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:57 पी एम से 12:51 ए एम, नवम्बर०१*
*🎈अमृतसिद्धि  योग    -09:05 ए एम से 010:34 ए एम, *
*🎈 व्रत एवं पर्व- एकादशी व्रत सोमवार* 
*🎈विशेष -  मार्गशीर्ष महात्म्य*
kundli


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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
   नागौर, राजस्थान, (भारत)    
   मानक सूर्योदय के अनुसार।
day





      *🛟चोघडिया, रात्🛟*
night




     🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
  🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
🌷 ..# 💐🍁🍁✍️ | #🌕 👉       👇🏼.......❗️
❤️💐 🌼🪔🌷❤️💐 🌼🪔
 👉 🍁 👉♦️ ⭐ 

  💐 * #मंगल क्या है! 
कुंडली में कई प्रकार के दोष बताए गए हैं, इन्हीं दोषों में से एक है मांगलिक दोष, यह दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है वह मांगलिक कहलाता है जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के 1, 4, 7, 9, 12वें स्थान या भाव में मंगल स्थित हो तो वह व्यक्ति मांगलिक होता है।
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मां‍गलिक दोष - परिचय
वैदिक ज्योतिष में मंगल दोष को एक बड़ा ज्योतिषीय दोष माना जाता है जिससे व्यक्ति की जिंदगी, शादी आदि बाधित होती हैं और यह दुर्भाग्य को जन्म देता है। यह कुज दोष, भौम दोष और अंगरखा दोष के नाम से भी जाना जाता है।

ज्योतिष के अनुसार जातक की कुंडली में पहले, दुसरे, चौथे, सातवे, आठवे और बारहवें स्थान में मंगल के होने से मांगलिक दोष होता है।
बारह में से इन छ में मंगल दोष होता है। जिनकी कुंडली में यह दोष होता हैं उन्हें मांगलिक कहा जाता है।
मांगलिक दोष क्यों होता है
मांगलिक दोष कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल होता है तब मांगलिक दोष लगता है। इस दोष को शादी के लिए अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये दोष जिनकी कुण्डली में होता है, उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करनी चाहिए।

मांगलिक होने का मतलब
कोई जातक चाहे वह स्‍त्री हो या पुरुष उसके मांगलिक होने का अर्थ है कि उसकी कुण्‍डली में मंगल अपनी प्रभावी स्थिति में है। शादी के लिए मंगल को जिन स्‍थानों पर देखा जाता है वे 1,4,7,8 और 12 भाव हैं। इनमें से केवल आठवां और बारहवां भाव सामान्‍य तौर पर खराब माना जाता है। सामान्‍य तौर का अर्थ है कि विशेष परिस्थितियों में इन स्‍थानों पर बैठा मंगल भी अच्‍छे परिणाम दे सकता है। तो लग्‍न का मंगल व्‍यक्ति की पर्सनेलिटी को बहुत अधिक तीक्ष्‍ण बना देता है।

चौथे का मंगल जातक को कड़ी पारिवारिक पृष्‍ठभूमि देता है।
सातवें स्‍थान का मंगल जातक को साथी या सहयोगी के प्रति कठोर बनाता है।
आठवें और बारहवें स्‍थान का मंगल आयु और शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करता है।
इन स्‍थानों पर बैठा मंगल यदि अच्‍छे प्रभाव में है तो जातक के व्‍यवहार में मंगल के अच्‍छे गुण आएंगे और खराब प्रभाव होने पर खराब गुण आएंगे।

मांगलिक दोष के लक्षण
मांगलिक दोष के लक्षण निम्नलिखित है:

स्त्री और पुरुष दोनों में मांगलिक दोष हो सकता है।
मांगलिक दोष के कारण शादी में देरी होती है।
विवाह के समय विघ्न आते हैं।
जातक का विवाह संबंध तय नहीं हो पाता।
विवाह संबंध तय होकर छूट जाता है।
अधिक उम्र गुजरने पर भी विवाह नहीं हो पाता।
विवाह पश्चात् जीवनसाथी से प्रायः विवाद के कारण पति-पत्नी के संबंधों में कटुता की स्थिति बनी रहती है।
मंगल को उग्रता वाला ग्रह माना जाता है इसलिए मांगलिक दोष वाले लोगो का स्वभाव गर्म माना जाता है।
मांगलिक लोगो में बहुत गर्म और उग्र उर्जा होता है जिसका यदि सही इस्तेमाल नहीं किया जाए तो कुछ न कुछ गलत हो सकता है।

मांगलिक के विशेष गुण
इन विशेषताओं के कारण गैर मांगलिक व्‍यक्ति अधिक देर तक मांगलिक के सानिध्‍य में नहीं रह पाता है:

कठोर निर्णय लेने वाला
कठोर वचन बोलने वाला
लगातार काम करने वाला
अपनी जिम्मेदारी को पूर्णनिष्ठा से निभाना
कठिन से कठिन कार्य समय से पूर्व करना
नेतृत्व की क्षमता का होना
ये लोग से जल्दी घुलते-मिलते नहीं
गलत के आगे झुकना इनको पसंद नहीं होता
विपरीत लिंग के प्रति कम आकर्षित होने वाला
प्‍लान बनाकर काम करने वाला
कठोर अनुशासन बनाने और उसे फॉलो करने वाला
एक बार जिस काम में जुटे उसे अंत तक करने वाला
नए अनजाने कामों को शीघ्रता से हाथ में लेने वाल
लड़ाई से नहीं घबराने वाला होता है।

मंगल कब समस्या करता है
यदि मंगल पहले स्थान में है तो शादी के बाद विवाद और हिंसा की सम्भावना रहती है।
जब मंगल दुसरे स्थान में रहता है तो व्यक्ति के परिवार के कारण उसका विवाह और नौकरी पेशा प्रभावित होता है।
जब मंगल चौथे स्थान में रहता है तो व्यक्ति व्यावसायिक तौर पर सफलता प्राप्त नहीं करता है और लगातार जॉब बदलता है।
यदि मंगल 7वे स्थान में होता है तो उसका स्वाभाव उग्र होता है, जिसके कारण वह अपने परिवार से भी मधुर सम्बन्ध नहीं रख पाता है।
यदि मंगल 8वे स्थान में होता है तो वह व्यक्ति परिवारजनों द्वारा अलग कर दिया जाता है और जायदाद से बेदखल हो जाता है।
जब मंगल 10वे स्थान में होता है तो व्यक्ति को दिमाग से सम्बंधित समस्याएं होती है साथ ही इससे दुश्मन पैदा होना या आर्थिक नुकसान जैसी चीजें भी हो सकती हैं।

मांगलिक दोष कितने साल तक रहता है
मांगलिक दोष होने पर मांगलिक व्यक्ति से ही विवाह करना सबसे अच्छा माना जाता है। ज्ञानी जन यह भी कहते हैं कि 28 साल की उम्र के बाद इस दोष से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए कई लोग इस दोष के होने पर 28 साल की उम्र के बाद ही विवाह करते हैं।

मंगल दोष निवारण के उपाय
मंगल दोष शांति के उपाय निम्नलिखित है:

कुम्भ विवाह भी इसका एक समाधान है. इस विवाह में व्यक्ति को शादी से पूर्व किसी पेड़ से या कलश से विवाह करना पड़ता है।
मंगलवार के दिन व्रत रखकर सिन्दूर से हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगलीक दोष शांत होता है।
दो मांगलिक लोगों का विवाह करने से इसका प्रभाव खत्म हो जाता है।
मांगलिक लोगों को 28 साल की उम्र के बाद शादी करने की सलाह दी जाती है क्योंकि उम्र के अनुसार दोष का असर भी कम हो जाता है।
मंगलवार को हनुमान मंदिर में जाकर पूजा करना भी मांगलिक दोष के निवारण का अच्छा उपाय है।
ज्योतिष के अनुसार मांगलिक दोष वाले लोगों को लाल मूंगा जड़ित सोने की अंगूठी दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करनी चाहिए।

मंगली दोष शांति के उपाय
मंगली जातक के साथ मंगली जातक की ही शादी करनी चाहिये। लेकिन एक जातक मंगली और उपरोक्त कारण अगर मिलते है तो दूसरे मे देखना चाहिये कि मंगल को शनि के द्वारा कहीं दृष्टि तो नही दी गयी है, कारण शनि ठंडा ग्रह है और जातक के मंगल को शांत रखने के लिये काफ़ी हद तक अपना कार्य करता है. दूसरे पति की कुंडली में मंगल असरकारक है और पत्नी की कुंडली में मंगल असरकारक नहीं है तो शादी नही करनी चाहिये।

लगन दूसरे भाव चतुर्थ भाव सप्तम भाव और बारहवें भाव के मंगल के लिए वैदिक उपाय यह है:

वैसे मंगली पति और पत्नी को शादी को लाल वस्त्र पहन कर तांबे के लोटे में चावल भरने के बाद लोटे पर सफ़ेद चन्दन को पोत कर एक लाल फ़ूल और एक रुपया लोटे पर रखकर पास के किसी हनुमान मन्दिर में रख कर आना चाहिये।
चान्दी की चौकोर डिब्बी में शहद भरकर रखने से भी मंगल का असर कम हो जाता है,घर में आने वाले महिमानों को मिठाई खिलाने से भी मंगल का असर कम रहता है, मंगल शनि और चन्द्र को मिलाकर दान करने से भी फ़ायदा मिलता है,मंगल से मीठी शनि से चाय और चन्द्र से दूध से बनी पिलानी चाहिये।

मंगल दोष के लिए व्रत
अगर कुण्डली में मंगल दोष का निवारण ग्रहों के मेल से नहीं होता है तो व्रत और अनुष्ठान द्वारा इसका उपचार करना चाहिए.
मंगला गौरी और वट सावित्री का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला है. अगर जाने अनजाने मंगली कन्या का विवाह इस दोष से रहित वर से होता है तो दोष निवारण हेतु इस व्रत का अनुष्ठान करना लाभदायी होता है.
जिस कन्या की कुण्डली में मंगल दोष होता है वह अगर विवाह से पूर्व गुप्त रूप से घट से अथवा पीपल के वृक्ष से विवाह करले फिर मंगल दोष से रहित वर से शादी करे तो दोष नहीं लगता है.
प्राण प्रतिष्ठित विष्णु प्रतिमा से विवाह के पश्चात अगर कन्या विवाह करती है तब भी इस दोष का परिहार हो जाता है.
मंगलवार के दिन व्रत रखकर सिन्दूर से हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगली दोष शांत होता है.
कार्तिकेय जी की पूजा से भी इस दोष में लाभ मिलता है.
महामृत्युजय मंत्र का जप सर्व बाधा का नाश करने वाला है. इस मंत्र से मंगल ग्रह की शांति करने से भी वैवाहिक जीवन में मंगल दोष का प्रभाव कम होता है.
लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करने से मंगल अमंगल दूर होता है.

मांगलिक पीड़ा निवारण मंत्र
देव प्रबोधिनी एकादशी को देवउठनी ग्यारस और देव उत्थान एकादशी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन देवता गण के उठने से मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है। इस एकादशी को सभी एकादशी में बड़ी और पवित्र माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न किया जाता है।

विष्णु जी स्मरण मंत्र
'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'

लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

विष्णु के पंचरूप मंत्र
।।ॐ अं वासुदेवाय नम:।।

।।ॐ आं संकर्षणाय नम:।।

।।ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।

।।ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।

।।ॐ नारायणाय नम:।।

विष्‍णु जी कामनापूर्ति मंत्र
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम

राजा बाहु सहस्त्रवान।

यस्य स्मरेण मात्रेण

ह्रतं नष्‍टं च लभ्य।।
 💥“ज्ञान ही सच्ची संपत्ति है।
      बाकी सब क्षणभंगुर है।”💥
     🌼 ।। जय श्री कृष्ण ।।🌼
       💥।। शुभम् भवतु।।💥
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले  सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)* 
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।* 
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ  🇪🇬🔱
vipul

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