*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈दिनांक 3 दिसंबर 2025 *
*🎈 दिन - बुधवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - मार्गशीर्ष*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- त्रयोदशी 12:25:16*pm तत्पश्चात् , चतुर्दशी 08:37:02*
*🎈तिथि पूर्णिमा 28:43:06*(क्षय )
व्रत गुरुवार को*
*🎈 नक्षत्र - भरणी 17:58:59* pmतत्पश्चात् कृत्तिका*
*🎈 योग - परिघ 16:56:20*am तक तत्पश्चात् शिव*
*🎈करण - तैतुल 12:25:16pm तत्पश्चात् गर*
*🎈 राहुकाल -हर जगह का अलग है- 12:25pm to 01:44pm तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈चन्द्र राशि - मेष till 23:13:25
*🎈चन्द्र राशि- वृषभ from 23:13:25*
*🎈सूर्य राशि- वृश्चिक*
*🎈सूर्योदय - 07:10:16am*
*🎈सूर्यास्त -17:39:30pm*
*(सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्रह्ममुहूर्त - 05:21 ए एम से 06:15:00( ए एम प्रातः तक *(नागौर
राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:58 पी एम से 12:52 ए एम, नवम्बर02*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग 05:59 पी एम से 07:10 ए एम, दिसम्बर 04 *
*🎈 व्रत एवं पर्व- पूर्णिमा व्रत गुरुवार*
*🎈विशेष - मार्गशीर्ष महात्म्य*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
*🛟लाभ - उन्नति-07:09 ए एम से 08:28 ए एम*
*🛟अमृत - सर्वोत्तम-08:28 ए एम से 09:47 ए एम*
*🛟काल - हानि-09:47 ए एम से 11:06 ए एम काल वेला*
*🛟शुभ - उत्तम-11:06 ए एम से 12:25 पी एम*
*🛟रोग - अमंगल-12:25 पी एम से 01:44 पी एम वार वेला*
*🛟उद्वेग - अशुभ-01:44 पी एम से 03:03 पी एम*
*🛟चर - सामान्य-03:03 पी एम से 04:22 पी एम*
*🛟लाभ - उन्नति-04:22 पी एम से 05:41 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🛟उद्वेग - अशुभ-05:41 पी एम से 07:22 पी एम*
*🛟शुभ - उत्तम-07:22 पी एम से 09:03 पी एम"
*🛟अमृत - सर्वोत्तम-09:03 पी एम से 10:44 पी एम*
*🛟चर - सामान्य-10:44 पी एम से 12:25 ए एम, दिसम्बर 04*
*🛟रोग - अमंगल-12:25 ए एम से 02:06 ए एम, दिसम्बर 04*
*🛟काल - हानि-02:06 ए एम से 03:47 ए एम, दिसम्बर 04*
*🛟लाभ - उन्नति-03:47 ए एम से 05:29 ए एम, दिसम्बर 04 काल रात्रि*
*🛟उद्वेग - अशुभ-05:29 ए एम से 07:10 ए एम, दिसम्बर 04*
🚩*श्रीगणेशाय नमोनित्यं*🚩
🚩*☀जय मां सच्चियाय* 🚩
🌷 ..# 💐🍁🍁✍️ | #🌕 👉
💐 * वास्तु अनुसार aeनक्शा बनवाने में जमीन का मोह।⭐👇🏼.......❗️
आजकल शहरों में बसने की कवायद या मजबूरी है,
ऊपर से शहरों में जमीन की आसमान छूती कीमतें,
लोगों को अपनी थोड़ी सी भी जमीन छूटने पर सोचने
पर मजबूर कर देती है।
और वास्तु अनुसार नक्शा भी चाहिए!
संलग्न नक्शे के निर्माण में यहीं प्रश्न उठा।
प्लॉट पूर्वमुखी है और प्लॉट एरिया में अग्नि कोण में विस्तार है।
अब इसमें थोड़ा शास्त्रों,ग्रन्थों का सहयोग लेते हैं तो :-
भूमि चयन के सन्दर्भ में शास्त्र निर्देश मिलता है
*आग्नेयप्लवका भूमिर्ग्निदाहभयावहा।
शत्रुसन्तापदा नित्यं कलिदो अग्निप्लव: स्मृतः।।
(#अपराजितपृक्षा)
ग्रंथकार कहते हैं कि जो भूमि अग्नि कोण में प्लव
(ढलान, गढ्डा, विस्तार,Slopes) हो तो वहां अग्निदाह का भय रहता है। वहां शत्रुओं से संताप (कष्ट) मिलता है और
वह नित्य ही कलह कराने वाली होती है उपेंद्र।
*पुर्वप्लवे भवेल्लक्ष्मिराग्नेय्यां शोकमादिशेत्।
(#विश्वकर्मप्रकाश)
अगर भूमि की ढलान पूर्व दिशा में हो तो वह लक्ष्मी प्राप्त कराने वाली होती है और अगर अग्नि कोण में ढलान हो तो वह शोक उत्पन्न कराने वाली भूमि होती है।
*वायूच्यमग्निनिचं यद्विथिं वैश्वानरी विदुः।
(#वास्तुविद्या)
अगर भूमि वायव्य कोण में ऊंची और अग्नि कोण में ढलवा हो तो उसे ज्ञानियों ने वैश्वानरी अथवा अग्निविथि बताया है।
और अगर विस्तार के संदर्भ में देखते हैं तो ---
*आग्नेये अग्निभयं विद्याद्राक्षसे तु शिशुक्षयम्।
(#मत्स्यपुराण, #वास्तुमंडन)
शास्त्रकार कहते हैं कि अगर भवन की वृद्धि (विस्तार) करना हो तो सभी दिशाओं में समान वृद्धि करना चाहिए उपेंद्र।
अन्यथा अगर अग्नि कोण में विस्तार होता है तो सदैव अग्नि भय बना रहता है और अगर यह विस्तार नैरित्य कोण में हो तो शिशुओं (बच्चों) संबंधित परेशानी की संभावना रहती है।
अब अगर उपरोक्त शास्त्र संदर्भों को ध्यान में रखते हैं
तो भवन निर्माण में अग्नि कोण में विस्तार
कैसे दिया जा सकता है???
भवन निर्माण में नक्शे का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है ,
क्योंकि वह निर्माण का आधार होता है।
लेकिन जमीन छूटने का लोभ नहीं जा पाता है,
और मनमर्जी करने के बाद परेशानियां उत्पन्न होने पर वास्तुविद या शास्त्र को गलत या ढकोसला मानेंगे!!!
#विमर्श:-- जब हमारे पास कम जगह हो तो भी
अच्छे विन्यास किया जा सकता है,
लेकिन लकीर का फकीर बनने से बचना चाहिए।
शास्त्र नियमों का पालन किया जा सकता है और करना ही चाहिए, लेकिन स्थान/स्थिति अनुसार।
एक तो प्लॉट सूर्यवेधि (पूर्व- पश्चिम अधिक लम्बाई) और दूसरे अग्नि कोण में विस्तार,
कैसे कोई शास्त्रानुसार सहमति दे सकता है??
उचित विन्यास करने के बाद का बचे हुए स्थान का भी अनेकों प्रकार से उपयोग किया जा सकता है।
अधिकस्य अधिकं फलम्।
जितना अधिक स्थान !
उतना अच्छा निर्माण!!
💥“ज्ञान ही सच्ची संपत्ति है।
बाकी सब क्षणभंगुर है।”💥
🌼 ।। जय श्री कृष्ण ।।🌼
💥।। शुभम् भवतु।।💥
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🔱🇪🇬जय श्री महाकाल सरकार 🔱🇪🇬 मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱ॐ 🇪🇬🔱



