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पंचांग - 30-04-2025

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 30 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  बुधवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        अक्षय तृतीया    14:11:31 तत्पश्चात चतुर्थी*
*🎈नक्षत्र -            रोहिणी    16:17:05 तत्पश्चात             मृगशीर्षा*
*🎈योग - शोभन    12:00:30 तक, तत्पश्चात अतिगंड, सुकर्मा*
*🎈करण-        गर     14:11:31    
पश्चात विष्टि भद्र*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-12:32pm
से  02:12 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:58:27*
*🎈सूर्यास्त - 07:06:26*
*🎈चन्द्र राशि    -   वृषभ    till 27:13:54*
*🎈चन्द्र राशि-       मिथुन    from 27:13:54*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:31 ए एम से 05:14 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:10 ए एम, मई 01 से 12:54 ए एम, मई 01*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
लाभ    05:58 - 07:37    शुभ
अमृत    07:37 - 09:15    शुभ
काल    09:15 - 10:54    अशुभ
शुभ    10:54 - 12:32    शुभ
रोग    12:32 - 14:11    अशुभ
उद्वेग    14:11 - 15:49    अशुभ
चर    15:49 - 17:28    शुभ
लाभ    17:28 - 19:06    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
उद्वेग    19:06 - 20:28    अशुभ
शुभ    20:28 - 21:49    शुभ
अमृत    21:49 - 23:11    शुभ
चर    23:11 - 24:32*    शुभ
रोग    24:32* - 25:53*    अशुभ
काल    25:53* - 27:15*    अशुभ
लाभ    27:15* - 28:36*    शुभ
उद्वेग    28:36* - 29:58*    अशुभ

kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩अक्षय तृतीया बुधवार 30, अप्रैल , 2025 अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त - 05:58:27 से 12:11
अवधि - 06 घण्टे 27 मिनट्स
तृतीया तिथि प्रारम्भ - 29, अप्रैल 2025 को 17:31 बजे
तृतीया तिथि समाप्त -30, अप्रैल  2025 को 14:11:41 बजे
अक्षय तृतीया वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ही अक्षय तृतीया कहते हैं।
इस वर्ष अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग बन रहा हैं । ज्योतिष शास्त्र में गजकेसरी योग को बहुत शुभ योग माना जाता है। यह गजकेसरी राजयोग गुरु और चंद्रमा की युति से बनता है।
ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर अगर किसी कार्य का शुभारंभ किया जाए तो वह कार्य कभी समाप्त नहीं होता। केवल कार्य ही नहीं, जो भौतिक संसाधन भी इस अवधि में जुटाए जाएं वे भी हमारे जीवन में चिर स्थाई हो जाते हैं। इस तिथि का कुछ लोगों यह भी सदुपयोग किया है कि वे इस दिन दान पुण्य करते हैं, ताकि उनके किए दान अक्षय हो जाएं।
ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन नया काम शुरू करने, नए भौतिक संसाधन जैसे बरतन, सोना, चांदी और अन्य कीमती वस्तुएं, विवाह और दान पुण्य करने का रिवाज बन गया है।
चूंकि यह दिन अपने आप में महत्वपूर्ण है, अत: इस पूरे दिन को अपने आप में अबूझ मुहुर्त कहा गया है, इस दिन न तो राहुकाल देखा जाता है, न चौघडि़या और न ही होरा, पूरे दिन में कभी भी किसी भी समय शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं। हमारे बीकानेर में अक्षय तृतीय के दिन जमकर पतंगबाजी होती है, और मेरे जैसे कुछ लोग छतों पर चढ़कर पतंगों की उड़ान से हवा की दिशा ज्ञात कर आने वाले साल में मानसून कैसा रहेगा, यह तय करने का प्रयास करते हैं।
आप सभी को अक्षय तृतीय की ढेरों शुभकामनाएं। नए वस्त्र खरीदिए, मांगलिक कार्य कीजिए, कीमती आभूषण खरीदिए और दान पुण्य कीजिए, सभी कुछ अक्षय रहे इस कामना के साथ।
प्रचलित मान्यताएं
पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहाँ तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है। यह तिथि यदि सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दान, जप–तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता हैं। इसके अतिरिक्त यदि यह तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो बहुत ही श्रेष्ठ मानी जाती है। यह भी माना जाता है कि आज के दिन मनुष्य अपने या स्वजनों द्वारा किए गए जाने–अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करे तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं, अतः आज के दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान माँगने की परंपरा भी है।
अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समुद्र या गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की शांत चित्त होकर विधि विधान से पूजा करने का प्रावधान है। नैवेद्य में जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित किया जाता है। तत्पश्चात फल, फूल, बरतन, तथा वस्त्र आदि दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा दी जाती है। ब्राह्मण को भोजन करवाना कल्याणकारी समझा जाता है। मान्यता है कि इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए तथा नए वस्त्र और आभूषण पहनने चाहिए। गौ, भूमि, स्वर्ण पात्र इत्यादि का दान भी इस दिन किया जाता है। यह तिथि वसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ का दिन भी है इसलिए अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घडे, कुल्हड, सकोरे, पंखे, खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, चीनी, साग, इमली, सत्तू आदि गरमी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी माना गया है। इस दान के पीछे यह लोक विश्वास है कि इस दिन जिन–जिन वस्तुओं का दान किया जाएगा, वे समस्त वस्तुएँ स्वर्ग या अगले जन्म में प्राप्त होगी। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये।
सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने।
दानकाले च सर्वत्र मंत्र मेत मुदीरयेत्॥
अर्थात सभी महीनों की तृतीया में सफेद पुष्प से किया गया पूजन प्रशंसनीय माना गया है। ऐसी भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षय रहता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन किया गया आचरण और सत्कर्म अक्षय रहता है।
सतयुग और त्रेता का आरंभ बिंदू
भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर–नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं। जी.एम. हिंगे के अनुसार तृतीया 41 घटी 21 पल होती है तथा धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार अक्षय तृतीया 6 घटी से अधिक होना चाहिए। पद्म पुराण के अनुसा इस तृतीया को अपराह्न व्यापिनी मानना चाहिए। इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता। मदनरत्न के अनुसार:
अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं। तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया॥
उद्दिष्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यैः। तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव॥
व्रत कथाएं
एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। उसकी सदाचार, देव और ब्राह्मणों के प्रति काफी श्रद्धा थी। इस व्रत के महात्म्य को सुनने के पश्चात उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान करके विधिपूर्वक देवी–देवताओं की पूजा की, व्रत के दिन स्वर्ण, वस्त्र तथा दिव्य वस्तुएँ ब्राह्मणों को दान में दी। अनेक रोगों से ग्रस्त तथा वृद्ध होने के बावजूद भी उसने उपवास करके धर्म–कर्म और दान पुण्य किया। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना। कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान व पूजन के कारण वह बहुत धनी प्रतापी बना। वह इतना धनी और प्रतापी राजा था कि त्रिदेव तक उसके दरबार में अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मण का वेष धारण करके उसके महायज्ञ में शामिल होते थे। अपनी श्रद्धा और भक्ति का उसे कभी घमंड नहीं हुआ और महान वैभवशाली होने के बावजूद भी वह धर्म मार्ग से विचलित नहीं हुआ। माना जाता है कि यही राजा आगे चलकर राजा चंद्रगुप्त के रूप में पैदा हुआ।
स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों में इस तिथि को परशुराम जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दक्षिण भारत में परशुराम जयंती को विशेष महत्व दिया जाता है। परशुराम जयंती होने के कारण इस तिथि में भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा भी सुनी जाती है। इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है। सौभाग्यवती स्त्रियाँ और क्वारी कन्याएँ इस दिन गौरी–पूजा करके मिठाई, फल और भीगे हुए चने बाँटती हैं, गौरी–पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं। मान्यता है कि इसी दिन जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय भृगुवंशी परशुराम का जन्म हुआ था। एक कथा के अनुसार परशुराम की माता और विश्वामित्र की माता के पूजन के बाद प्रसाद देते समय ऋषि ने प्रसाद बदल कर दे दिया था। जिसके प्रभाव से परशुराम ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय स्वभाव के थे और क्षत्रिय पुत्र होने के बाद भी विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाए। उल्लेख है कि सीता स्वयंवर के समय परशुराम जी अपना धनुष बाण श्री राम को समर्पित कर संन्यासी का जीवन बिताने अन्यत्र चले गए। अपने साथ एक फरसा रखते थे तभी उनका नाम परशुराम पड़ा।
जैन धर्म में महत्व
जैन धर्मावलम्बियों का महान धार्मिक पर्व है। इस दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव भगवान ने एक वर्ष की पूर्ण तपस्या करने के पश्चात इक्षु (शोरडी–गन्ने) रस से पारायण किया था। जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर श्री आदिनाथ भगवान ने सत्य व अहिंसा का प्रचार करने एवं अपने कर्म बंधनों को तोड़ने के लिए संसार के भौतिक एवं पारिवारिक सुखों का त्याग कर जैन वैराग्य अंगीकार कर लिया। सत्य और अहिंसा के प्रचार करते–करते आदिनाथ प्रभु हस्तिनापुर गजपुर पधारे जहाँ इनके पौत्र सोमयश का शासन था। प्रभु का आगमन सुनकर सम्पूर्ण नगर दर्शनार्थ उमड़ पड़ा सोमप्रभु के पुत्र राजकुमार श्रेयांस कुमार ने प्रभु को देखकर उसने आदिनाथ को पहचान लिया और तत्काल शुद्ध आहार के रूप में प्रभु को गन्ने का रस दिया, जिससे आदिनाथ ने व्रत का पारायण किया। जैन धर्मावलंबियों का मानना है कि गन्ने के रस को इक्षुरस भी कहते हैं इस कारण यह दिन इक्षु तृतीया एवं अक्षय तृतीया के नाम से विख्यात हो गया।
भगवान श्री आदिनाथ ने लगभग 400 दिवस की तपस्या के पश्चात पारायण किया था। यह लंबी तपस्या एक वर्ष से अधिक समय की थी अत: जैन धर्म में इसे वर्षीतप से संबोधित किया जाता है। आज भी जैन धर्मावलंबी वर्षीतप की आराधना कर अपने को धन्य समझते हैं, यह तपस्या प्रति वर्ष कार्तिक के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से आरम्भ होती है और दूसरे वर्ष वैशाख के शुक्लपक्ष की अक्षय तृतीया के दिन पारायण कर पूर्ण की जाती है। तपस्या आरंभ करने से पूर्व इस बात का पूर्ण ध्यान रखा जाता है कि प्रति मास की चौदस को उपवास करना आवश्यक होता है। इस प्रकार का वर्षीतप करीबन 13 मास और 10 दिन का हो जाता है। उपवास में केवल गर्म पानी का सेवन किया जाता है।
मांगलिक कार्य इस दिन से शादी–ब्याह करने की शुरुआत हो जाती है। बड़े–बुजुर्ग अपने पुत्र–पुत्रियों के लगन का मांगलिक कार्य आरंभ कर देते हैं। अनेक स्थानों पर छोटे बच्चे भी पूरी रीति–रिवाज के साथ अपने गुड्डा–गुड़िया का विवाह रचाते हैं। इस प्रकार गाँवों में बच्चे सामाजिक कार्य व्यवहारों को स्वयं सीखते व आत्मसात करते हैं। कई जगह तो परिवार के साथ–साथ पूरा का पूरा गाँव भी बच्चों के द्वारा रचे गए वैवाहिक कार्यक्रमों में सम्मिलित हो जाता है। इसलिए कहा जा सकता है कि अक्षय तृतीया सामाजिक व सांस्कृतिक शिक्षा का अनूठा त्यौहार है। कृषक समुदाय में इस दिन एकत्रित होकर आने वाले वर्ष के आगमन, कृषि पैदावार आदि के शगुन देखते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो सगुन कृषकों को मिलते हैं, वे शत–प्रतिशत सत्य होते हैं।
बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक बडी धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है, जिसमें कुँवारी कन्याएँ अपने भाई, पिता तथा गाँव–घर और कुटुंब के लोगों को शगुन बाँटती हैं और गीत गाती हैं। अक्षय तृतीया को राजस्थान में वर्षा के लिए शगुन निकाला जाता है, वर्षा की कामना की जाती है, लड़कियाँ झुंड बनाकर घर–घर जाकर शगुन गीत गाती हैं और लड़के पतंग उड़ाते हैं। यहाँ इस दिन सात तरह के अन्नों से पूजा की जाती है। मालवा में नए घड़े के ऊपर ख़रबूज़ा और आम के पल्लव रख कर पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कृषि कार्य का आरंभ किसानों को समृद्धि देता है।
पहले समझते हैं कि तिथि क्या है, सूर्य और चंद्रमा की निश्चित कोणीय दूरी को एक तिथि कहा जाता है। यही कारण है कि अंग्रेजी कलेण्डर में जब दिन जारी रहता है, तभी तिथि समाप्त हो जाती है अथवा अंग्रेजी कलेण्डर में तारीख वही रहती है और तिथि बदल जाती है।
शेष भाग कल.........
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞
vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 29 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  मंगलवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        द्वितीया    17:30:36 तत्पश्चात तृतीया*
*🎈नक्षत्र -            कृत्तिका    18:46:09 तत्पश्चात             रोहिणी*
*🎈योग - सौभाग्य    15:52:36 तक, तत्पश्चात शोभन*
*🎈करण-        बालव    07:18:33         नाग गर      *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-03:49pm
से  05:28 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     05:59:16*
*🎈सूर्यास्त - 07:05:53*
*🎈चन्द्र राशि    -   वृषभ*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:31 ए एम से 05:15 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:06 पी एम से 12:59 पी एम*
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, अप्रैल 29 से 12:54 ए एम, अप्रैल 29*
*🎈 सर्वार्थ सिद्धि योग    05:58 ए एम से 06:47 पी एम*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
रोग    05:59 - 07:38    अशुभ
उद्वेग    07:38 - 09:16    अशुभ
चर    09:16 - 10:54    शुभ
लाभ    10:54 - 12:33    शुभ
अमृत    12:33 - 14:11    शुभ
काल    14:11 - 15:49    अशुभ
शुभ    15:49 - 17:28    शुभ
रोग    17:28 - 19:06    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
काल    19:06 - 20:27    अशुभ
लाभ    20:27 - 21:49    शुभ
उद्वेग    21:49 - 23:11    अशुभ
शुभ    23:11 - 24:32*    शुभ
अमृत    24:32* - 25:54*    शुभ
चर    25:54* - 27:15*    शुभ
रोग    27:15* - 28:37*    अशुभ
काल    28:37* - 29:58*    अशुभ

kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🚩शक्ति आप में है। उत्तर आप में है। और आप ही अपनी सभी खोजों का उत्तर हैं। आप ही लक्ष्य हैं। आप ही उत्तर हैं। यह कभी बाहर नहीं होता,बाहर की खोज व्यर्थ है,सिर्फ और सिर्फ समय नष्ट होगा।
एक बात समझ लीजिए मित्रों ! जो हम स्कूल से सीखते हैं,जो हम कॉलेज से सीखते हैं,जो हम अपने अध्यापक अथवा गुरु से सीखते हैं,जो हम किताबों व ग्रन्थों से सीखते हैं,जो हम समाज और परिवार से सीखते हैं,जो हम सोशल मीडिया गूगल यूट्यूब फेसबुक इत्यादि प्लेटफार्म से सीखते हैं.......ये सब 'ज्ञान' नही है,इसे ज्ञान समझने की गलती न करें,ये ज्ञान !ज्ञान नही इन्फॉर्मेशन(जानकारी) मात्र है।
ज्ञान आता है भीतर से,ज्ञान आता है स्वयं को साधने से,ज्ञान आता है तब...जब स्वयं की आत्मा केंद्र में स्थापित हो जाती है
🚩🚩


🙏♥️* लग्नेश लग्न में हो तो वह अपनी महादशा /अंतर्दशा में भाग्योदय, राज कृपा, स्वास्थ्य प्रभाव, सुख -संपत्ति आदि का लाभ देगा।
 यदि लग्नेश सबल तथा शुभ प्रभाव में होगा तो शुभ फलों की प्राप्ति में क्रमशः वृद्धि होगी।
 किंतु यदि लग्नेश बलहीन हो अथवा अस्त हो या पापाक्रांत हो या वक्री हो तो वह साधारण फल देकर ही रह जाता है तथा उसकी दशा अंतर्दशा कष्टप्रद भी होती है ।
यदि लग्नेश नवांश कुंडली में नवांश लग्न से द्वादश में पड़ जाए तो जातक को जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ता है, कभी-कभी  दर-दर की ठोकरें भी खानी पड़ती हैं।*

🌞 आज का राशिफल – 29 अप्रैल 2025 (मंगलवार) 🌞
विशेष योग: चंद्रमा वृषभ राशि में, कृत्तिका नक्षत्र में
आज का दिन ऊर्जा, प्रतिस्पर्धा और आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला है।

1. मेष (Aries)
💼 करियर: नेतृत्व क्षमता उभर कर आएगी।
💰 धन: लाभ के नए अवसर मिलेंगे।
❤️ प्रेम: प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता।
🩺 स्वास्थ्य: पेट संबंधित दिक्कत हो सकती है।
✈️ यात्रा: निकट भविष्य में यात्रा के योग।
🎨 शुभ रंग: लाल
🔢 शुभ अंक: 9
🪔 उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें।

2. वृषभ (Taurus)
💼 करियर: कार्य में धैर्य और समझदारी दिखाएं।
💰 धन: फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखें।
❤️ प्रेम: साथी से भावनात्मक सहयोग।
🩺 स्वास्थ्य: गले से संबंधित समस्या।
✈️ यात्रा: जरूरी यात्रा लाभदायक।
🎨 शुभ रंग: गुलाबी
🔢 शुभ अंक: 6
🪔 उपाय: देवी लक्ष्मी को सफेद पुष्प अर्पित करें।

3. मिथुन (Gemini)
💼 करियर: टीम के साथ अच्छे परिणाम आएंगे।
💰 धन: आय के नए स्त्रोत खुलेंगे।
❤️ प्रेम: नये संबंधों का आरंभ।
🩺 स्वास्थ्य: स्किन एलर्जी हो सकती है।
✈️ यात्रा: छोटी यात्रा लाभकारी।
🎨 शुभ रंग: हरा
🔢 शुभ अंक: 5
🪔 उपाय: तुलसी में दीपक जलाएं।

4. कर्क (Cancer)
💼 करियर: कार्यस्थल पर प्रशंसा मिलेगी।
💰 धन: फाइनेंशियल ग्रोथ के योग।
❤️ प्रेम: जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा।
🩺 स्वास्थ्य: तनाव से बचें।
✈️ यात्रा: पारिवारिक यात्रा के योग।
🎨 शुभ रंग: सफेद
🔢 शुभ अंक: 2
🪔 उपाय: चंद्रमा को कच्चा दूध अर्पित करें।

5. सिंह (Leo)
💼 करियर: आत्मविश्वास से निर्णय लें।
💰 धन: धन लाभ संभव।
❤️ प्रेम: रिश्तों में स्पष्टता जरूरी।
🩺 स्वास्थ्य: आंखों में संक्रमण संभव।
✈️ यात्रा: यात्रा में सावधानी रखें।
🎨 शुभ रंग: सुनहरा
🔢 शुभ अंक: 1
🪔 उपाय: सूर्यदेव को जल अर्पित करें।

6. कन्या (Virgo)
💼 करियर: कार्यक्षेत्र में स्थिरता बनी रहेगी।
💰 धन: निवेश से लाभ।
❤️ प्रेम: साथी से सहयोग मिलेगा।
🩺 स्वास्थ्य: पाचन संबंधी समस्या हो सकती है।
✈️ यात्रा: धार्मिक यात्रा संभव।
🎨 शुभ रंग: आसमानी
🔢 शुभ अंक: 7
🪔 उपाय: दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

7. तुला (Libra)
💼 करियर: नई योजनाओं में सफलता।
💰 धन: रुका हुआ धन वापस मिल सकता है।
❤️ प्रेम: संबंधों में मधुरता बढ़ेगी।
🩺 स्वास्थ्य: रक्तचाप सामान्य रखें।
✈️ यात्रा: निकट यात्रा लाभकारी।
🎨 शुभ रंग: फिरोजी
🔢 शुभ अंक: 6
🪔 उपाय: मां लक्ष्मी को कमल पुष्प अर्पित करें।

8. वृश्चिक (Scorpio)
💼 करियर: नयी जिम्मेदारियां मिलेंगी।
💰 धन: बजट संभालकर चलें।
❤️ प्रेम: रिश्तों में गलतफहमी से बचें।
🩺 स्वास्थ्य: अनिद्रा की समस्या रह सकती है।
✈️ यात्रा: यात्रा टालना उत्तम।
🎨 शुभ रंग: मरून
🔢 शुभ अंक: 8
🪔 उपाय: शिवजी को बेलपत्र चढ़ाएं।

9. धनु (Sagittarius)
💼 करियर: मेहनत का फल मिलेगा।
💰 धन: विदेशी स्रोत से लाभ संभव।
❤️ प्रेम: प्रेम संबंध मजबूत होंगे।
🩺 स्वास्थ्य: पेट से जुड़ी दिक्कत हो सकती है।
✈️ यात्रा: यात्रा से लाभ होगा।
🎨 शुभ रंग: पीला
🔢 शुभ अंक: 3
🪔 उपाय: केले के वृक्ष की पूजा करें।

10. मकर (Capricorn)
💼 करियर: कार्यक्षेत्र में स्थिरता।
💰 धन: आर्थिक स्थिति बेहतर।
❤️ प्रेम: संबंधों में समझदारी जरूरी।
🩺 स्वास्थ्य: जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है।
✈️ यात्रा: व्यवसायिक यात्रा संभव।
🎨 शुभ रंग: स्लेटी
🔢 शुभ अंक: 4
🪔 उपाय: शनिदेव को तेल चढ़ाएं।

11. कुंभ (Aquarius)
💼 करियर: पदोन्नति के संकेत।
💰 धन: आय में वृद्धि।
❤️ प्रेम: पुराने मित्र से संबंध प्रगाढ़।
🩺 स्वास्थ्य: तनाव से बचाव करें।
✈️ यात्रा: दस्तावेज संभाल कर रखें।
🎨 शुभ रंग: नीला
🔢 शुभ अंक: 7
🪔 उपाय: श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें।

12. मीन (Pisces)
💼 करियर: रचनात्मकता में वृद्धि।
💰 धन: आय में वृद्धि होगी।
❤️ प्रेम: प्रेम संबंधों में मजबूती।
🩺 स्वास्थ्य: ऊर्जा बनी रहेगी।
✈️ यात्रा: धार्मिक यात्रा के योग।
🎨 शुभ रंग: बैंगनी
🔢 शुभ अंक: 2
🪔 उपाय: भगवान विष्णु को पीले पुष्प अर्पित करें।
🌹🌹🌹
जय श्री कृष्ण 🙏🙏
✅◾◾
🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 28 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  सोमवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        प्रथम    21:10:21 तत्पश्चात द्वितीया*
*🎈नक्षत्र -        भरणी    21:36:45 तत्पश्चात             कृत्तिका*
*🎈योग - आयुष्मान    20:01:21 तक, तत्पश्चात सौभाग्य*
*🎈करण-        किन्स्तुघ्न    11:04:40         नाग बालव      *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-07:38pm
से  09:16 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:00:06*
*🎈सूर्यास्त - 07:05:19*
*🎈चन्द्र राशि-       मेष    till 26:52:41*
*🎈चन्द्र राशि     -  वृषभ    from 26:52:41*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:32 ए एम से 05:15 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:06 पी एम से 12:59 पी एम *
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, अप्रैल 29 से 12:54 ए एम, अप्रैल 29*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
अमृत    06:00 - 07:38    शुभ
काल    07:38 - 09:16    अशुभ
शुभ    09:16 - 10:55    शुभ
रोग    10:55 - 12:33    अशुभ
उद्वेग    12:33 - 14:11    अशुभ
चर    14:11 - 15:49    शुभ
लाभ    15:49 - 17:27    शुभ
अमृत    17:27 - 19:05    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
चर    19:05 - 20:27    शुभ
रोग    20:27 - 21:49    अशुभ
काल    21:49 - 23:11    अशुभ
लाभ    23:11 - 24:32*    शुभ
उद्वेग    24:32* - 25:54*    अशुभ
शुभ    25:54* - 27:16*    शुभ
अमृत    27:16* - 28:38*    शुभ
चर    28:38* - 29:59*    शुभ

kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🙏♥️* आज के युग मैं सभी रिश्ते नाते, इज्जत, खुशी, जरूरत, स्टेंडर्ड, लाइफ का टोटली इंजॉय रुपया का मोहताज है।

क्यों न आप सभी को ऐसा उपाय बता दिया जाए की आपकी  जिंदगी की 90% समस्या खत्म हो जाए।

इसलिए सब से पहले आज मेष राशि से शुरुआत करते है।

सब से पहले तो आपके लिए ये जानना जरूरी है की आपको लगन राशि या चंद्र राशि मैं कोन सी राशि से रिजल्ट मिलते है।

उसके बाद आपके लिए ये जरूरी है की आप की जो भी राशि आप पर एक्टिवेट है वह राशि कितने अंश से शुरू होती है।

इसलिए मोटामोटी तौर पर हर राशि के 1 से 15 अंश और 16 से 30 अंश के बीच से शुरू करते है।

मान लो की आप पर मेष राशि एक्टिवेट है। और आपकी राशि 1 से 15 अंश के बीच शुरू होती हैं।

मेरा मानना ये है की 1से 15 अंश के बीच केतु का नक्षत्र का सब से ज्यादा प्रभाव रहेगा।

केतु का दूसरा नक्षत्र आपके पंचम भाव में आएगा और तीसरा नक्षत्र आपके भाग्य भाव मैं आएगा।

इसलिए आप गुप्त रहस्य और छिपी हुई चीजों पर ज्यादा फोकस रखने वाले इंसान होंगे।

हर तरह के काम की बारीकी से रिसर्च करोगे और हर वक्त सोच विचार मैं रहोगे।

इस हिसाब से आपका कर्म भाव भी और धन भाव भी 1 से 15 अंश के बीच शुरू होगा।

आपके कर्म भाव और धन भाव मैं आने वाले दोनो नक्षत्र एक ही ग्रह के होंगे।

जहा तक मेरा मानना है की 1से 15 अंश के बीच सूर्य का नक्षत्र आपके कर्म भाव और धन भाव मैं ज्यादा एक्टिवेट रहेगा।

इसलिए मेरा मानना ये है की अगर आप सूर्य को स्ट्रॉन्ग कर लेते हो तो आपका कर्म भाव और धन भाव स्ट्रॉन्ग हो जाएगा।

सूर्य से संबंधित कर्म करने से आपके पास से धन से संबंधित समस्या खत्म होगी।

अब आपको करना ये है की जिन लोगो पर मेष राशि एक्टिव है वह सूर्य से संबंधित नक्षत्रों को देखे और उन नक्षत्रों का क्या कलर है वह देखे और ज्यादा से ज्यादा वह कलर पहनने मैं यूज करें।

सभी नक्षत्रों के कलर कैसे होते है उसकी पोस्ट मैं पहले भी कई बार कर चुका हु। इसके इलावा आप सूर्य का रत्न भी धारण कर सकते हो।

इसके इलावा जिन लोगो की मेष राशि 16 से 30 अंश के बीच मैं है इनपर ज्यादातर शुक्र का प्रभाव रहता है।

शुक्र के बाकी के दो नक्षत्र पंचम और नवम भाव में होते है।

इसलीय शुक्र के प्रभाव वाला इंसान ज्यादातर भोग विलासिता और सुख सुविधा उपलब्ध करने मैं ज्यादा फोकस रखता है।

कहने का मतलब ये है की ज्यादा स्टेंडर्ड टाइप का बंदा होता है।

लेकिन 16 से 30 के बीच कर्म भाव और धन भाव मैं आने वाले दोनो नक्षत्र चंद्रमा के प्रभाव मैं होते है।

इसलिए उन लोगो के लिए कर्म और धन से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए चंद्रमा सब से इंपोर्टेंट होता है।

इसलिए चंद्रमा को स्ट्रोंग कर सकते है। मेरा मानना है की जिन लोगो पर 16 से 30 अंश पर मेष एक्टिव है उनके लिए सिर्फ और सिर्फ दो ही उपाय काफी है चांदी की ब्रिसलेट और चांदी मैं मोती रत्न पहन सकते हैं

इससे शुक्र और चंद्र दोनो ही एक्टिवेट हो जाएंगे। लेकिन ये याद रखे की कर्म भाव और धन भाव मैं आने वाले चंद्र के नक्षत्र से संबंधित कलर ज्यादा से ज्यादा यूज करे।

जब यहां तक आपको समझ आ जाए तो ये और चैक कर लेना की उन नक्षत्रों मैं अगर कोई ग्रह बैठा हुआ है तो वह ग्रह भी आपके कर्म और धन भाव मैं इन्वोल्ड हो जाएगा।

अगर वह ग्रह नक्षत्र के प्रभाव को ज्यादा कर रहा है तो अच्छी बात है अगर वह ग्रह नक्षत्र के प्रभाव को कमजोर कर रहा है तो उस ग्रह से संबंधित चीजों का दान कर दो।

वह चाहे किसी भी भाव का मालिक हो। क्योंकि फल नक्षत्र देंगे ग्रह नही।



आगे वक्त मिला तो वृषभ और बाकी की राशियों की जानकारी दी जाएगी।


राशि की बजाय नक्षत्रों के हिसाब से जानकारी दे रहा हु।
लेकिन यह जानकारी आपको उस राशि के नक्षत्र के हिसाब से देखनी है जो राशि आप पर एक्टिव हैं ।

आप पर चाहे लगन राशि एक्टिव हो या चंद्र राशि एक्टिव हो। जो भी एक्टिव है उसके हिसाब से देंखे।

केतु

जिन फ्रेंड्स का जन्म केतु के नक्षत्र में हुआ है। उनके लिए कर्म भाव और धन भाव मैं आने वाले नक्षत्र सूर्य के होते हैं। कहने का मतलब यह है की उनके कर्म और धन का असली मालिक सूर्य है। सूर्य कहा और किस पोजिशन मैं बैठा है उसपर डिपेंड करेगा और कर्म भाव और धन भाव मैं किन ग्रहों का प्रभाव है इनपर डिपेंड करेगा की आपकी कर्म और धन से संबंधित क्या पोजिशन रहेगी। अगर सूर्य सही पोजिशन मैं किसी सही नक्षत्र मैं बैठा है और कर्म भाव और धन भाव किसी ग्रह ने डेमेज नही किए होंगे तो सरकार से संबंधित छेत्र से धन आएगा।
अगर कर्म भाव मैं या धन भाव मैं किसी और ग्रह का प्रभाव बन गया तो सूर्य के साथ वह भी इनवाल्ड हो जाएगा।। जो इन्वोल्ड होगा वह मित्र हुआ तो हर काम आसानी से होगा। और धन भी आसानी से आएगा। अगर शत्रु हुआ तो काम और धन से संबंधित समस्या खड़ी करता रहेगा

बाकी की राशियों का भी ऐसे ही देखना होगा। बस फर्क इतना है की हर ग्रह अलग अलग चीजों से संबंधित काम करवा कर धन देने का काम करते हैं।

किस ग्रह के नक्षत्र से क्या क्या काम होते है वह भी मिल जाएगा।

इस पोस्ट मैं आगे अब यह देखे की किस नक्षत्र मैं जन्मे जातक का कर्म भाव और धन भाव के नक्षत्रों का मालिक कोन है।।

शुक्र

जिन फ्रेंड्स का जन्म शुक्र के नक्षत्र मैं हुआ है उनके लिए कर्म और धन भाव के लिए सब से ज्यादा इंपोर्टेंट चंद्र है। क्योंकि इनके कर्म भाव और धन भाव के का असली मालिक चंद्र है।

सूर्य

जो फ्रेंड्स सूर्य के नक्षत्र मैं जन्मे है उनके लिए कर्म भाव और धन भव के नक्षत्रों का मालिक मंगल है।

सूर्य के नक्षत्र मैं जन्म लेने वाले जातक मंगल से संबंधित कार्य कर के ही धन कमा सकते हैं। लेकिन मंगल की पोजिशन और धन भाव और कर्म भाव मैं दूसरे ग्रहों के प्रभाव की इनवोलडमेंट की पोजिशन कर्म और धन भाव को स्ट्रॉन्ग भी कर सकती है और कमजोर भी कर सकती है।

चंद्र
चंद्र के नक्षत्र मैं जन्म लेने वाले जातकों का कर्म भाव और धन भाव के नक्षत्रों का असली मालिक राहु होता है।

ऐसे जातक राहु से संबंधित कार्य कर के ही धन कमा सकते हैं लेकिन राहु की पोजिशन और कर्म भाव और धन भाव में दूसरे ग्रहों का प्रभाव राहु के नक्षत्रों को स्ट्रॉन्ग भी कर सकते हैं और कमजोर भी कर सकते हैं।

अब आगे  मैं लिख देता हु

मंगल

मंगल के नक्षत्र मैं जन्मे जातकों के कर्म भाव और धन भाव मैं गुरु के नक्षत्र आते है।

राहु

राहु के नक्षत्र मैं जन्मे जातकों के कर्म भाव और धन भाव मैं शनि के नक्षत्र आते है

गुरु

गुरु के नक्षत्र में जन्म लेने वाले फ्रेंड्स के कर्म भाव और धन भाव मैं बुध के नक्षत्र आते है।

बुद्ध

बुद्ध के नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों के लिए शुक्र का नक्षत्र कर्म और धन भाव मैं आता है।

आपको जो ये है ग्रह के नक्षत्र के हिसाब से एक ग्रह कर्म और धन से संबंधित बताया है। वह आपके लिए बहुत इंपोर्टेंट है।

लेकिन इसमें यह चीज भी देखी जाती है की जो ग्रह आपको बताया है वह ग्रह किस पोजिशन मैं है और उसके नक्षत्रों पर किस किस ग्रह का प्रभाव है।

इसी तरह कुंडली में यह देखा जाता है की लाभ भाव और पार्टनर भाव का असली मालिक कोन है

इसी तरह से घर प्रॉपर्टी और घर के सुखों का असली मालिक कोनसा ग्रह है ऐसे ही देखा जाता है।

आपके भाग्य और ज्ञान, संतान और आपका स्वभाव का असली मालिक कोनसा ग्रह है और वो कहा किस पोजिशन मैं बैठा हुआ है।

जिस जिस फ्रेंड्स को अपनी कुंडली के सभी ग्रहों की डिटेल चाहिए है और वह ये भी जानना चाहते है की उनके किस किस भाव मैं कोन कोन ग्रह इन्वोल्ड है और उन भावो के असली मालिक कहा और किस पोजिशन मैं बैठे हुए हैं उसके लिए कुंडली अध्यन के लिए सम्पर्क कर सकते हैं

नक्षत्रों के रंग

1, अश्विनी नक्षत्र जो केतु का है इसका रंग लाल है
2, भरनी नक्षत्र जो शुक्र का है इसका रंग भी लाल है
3, रोहिणी नक्षत्र जो चंद्रमा का है इसका रंग सफेद है
4, मृगशिरा नक्षत्र जो मंगल का है इसका रंग सिल्वर ग्रे है
5, आद्रा नक्षत्र जो राहु का है इसका रंग हरा है
6, पुनर्वसु नक्षत्र जो गुरु का है इसका रंग ग्रह है
7, पुष्य नक्षत्र शनि का है
8, अश्लेषा नक्षत्र जो बुध का है इसका रंग लाल है
9, मघा नक्षत्र जो केतु का है उसका रंग करीम है
10, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र जो शुक्र का है उसका रंग हल्का बदामी है
11, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र जो सूर्या का है उसका रंग नीला है
12, हस्त नक्षत्र जो चंद्रमा का है उसका रंग गहरा हरा है
13, चित्रा नक्षत्र जो मंगल का है उसका रंग काला है
14, स्वाति नक्षत्र जो राहु का है उसका रंग काला है
15, विशाखा नक्षत्र जो गुरु का है उसका रंग सुनहरा है
16, अनुराधा नक्षत्र जो शनि का है उसका रंग लाल बदामी
17, जेष्ठा नक्षत्र जो खुद का है उसका रंग क्रीम है
18, मूल नक्षत्र जो केतु का है उसका रंग बदामी पीला है
19, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र जो शुक्र का है उसका रंग काला है
20, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र जो सूर्य का है उसका रंग का पर है
21, श्रवण नक्षत्र जो चंद्रमा का है उसका रंग हल्का नीला है
22, घनिष्ठा नक्षत्र जो मंगल का है उसका रंग हल्का ग्रह है
23, शतभिषा नक्षत्र जो राहु का है उसका रंग काला है
24, पूर्वाभाद्र नक्षत्र गुरु का है उसका रंग स्लेटी है
25, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शनि का है उसका रंग सलेटी है
26, रेवती नक्षत्र जो बुध का है उसका रंग बैंगनी है
27, कृतिका नक्षत्र जो सूर्य का है उसका रंग सफेद है।
🌹🌹🌹
जय श्री कृष्ण 🙏🙏
✅◾◾
🕉️🕉️🕉️🕉️
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▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞

vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 27 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  रविवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        अमावस्या    25:00:09 तत्पश्चात प्रतिपदा*
*🎈नक्षत्र -                अश्विनी    24:37:47 तत्पश्चात         भरणी*
*🎈योग - प्रीति    24:18:06 तक, तत्पश्चात आयुष्मान*
*🎈करण-        चतुष्पद    14:55:28         नाग किन्स्तुघ्न      *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-05:27pm
से  07:05 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:00:57*
*🎈सूर्यास्त - 07:04:46*
*🎈चन्द्र राशि-      मेष*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:32 ए एम से 05:16 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:07 पी एम से 12:59 पी एम *
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, अप्रैल 28 से 12:54 ए एम, अप्रैल 28*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    06:01 - 07:39    अशुभ
चर    07:39 - 09:17    शुभ
लाभ    09:17 - 10:55    शुभ
अमृत    10:55 - 12:33    शुभ
काल    12:33 - 14:11    अशुभ
शुभ    14:11 - 15:49    शुभ
रोग    15:49 - 17:27    अशुभ
उद्वेग    17:27 - 19:05    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
शुभ    19:05 - 20:27    शुभ
अमृत    20:27 - 21:49    शुभ
चर    21:49 - 23:11    शुभ
रोग    23:11 - 24:32*    अशुभ
काल    24:32* - 25:54*    अशुभ
लाभ    25:54* - 27:16*    शुभ
उद्वेग    27:16* - 28:38*    अशुभ
शुभ    28:38* - 30:00*    शुभ

kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व व पितृ अमावस्या हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे । पेड़ो को पानी दे।

🙏♥️* महादेव अपने हाथ में त्रिशूल इसलिए रखते हैं क्योंकि यह त्रिगुणों - सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण - का प्रतीक है। त्रिशूल के तीन शूल तीनों कालों - भूत, वर्तमान और भविष्य - को भी दर्शाते हैं,

त्रिगुण:
त्रिशूल के तीन शूल सतोगुण (सत्य, ज्ञान), रजोगुण (क्रियाशीलता, इच्छा) और तमोगुण (अज्ञान, निष्क्रियता) को दर्शाते हैं,
 शिवजी ने इन तीनों गुणों पर विजय प्राप्त कर रखी है, इसलिए वे त्रिशूल धारण करते हैं.

तीन काल:
त्रिशूल भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों कालों को भी दर्शाता है, शिवजी महाकाल हैं और तीनों कालों पर नियंत्रण रखते हैं,

ब्रह्मांडीय प्रक्रिया:
त्रिशूल को ब्रह्मांड की रचना, पालन और संहार की प्रक्रिया का प्रतीक भी माना जाता है, टाइम्स नाउ नवभारत. यह दर्शाता है कि शिवजी ब्रह्मांडीय प्रक्रियाओं पर नियंत्रण रखते हैं.

शस्त्र:
शिवजी को सभी शस्त्रों में महारत हासिल है, लेकिन त्रिशूल उनका प्रिय शस्त्र है, अमर उजाला. त्रिशूल को उनकी शक्ति और संतुलन का प्रतीक भी माना जाता है.

🌹साधना की कुछ महत्वपूर्ण बातें
साधक शुरू में जब साधना करता है तो सबसे पहले उसके मन की गंदगी जैसे गंदे विचार बाहर होते है
उसके बाद साधक उस शक्ति से मानसिक तौर पर जुड़ता है फिर वो शक्ति सुक्ष्म रूप से शरीर में विराजती है उसके बाद साधक मनुष्य न रहकर उस शक्ति का सुक्ष्म अंश बन जाता है
लेकिन यह इतना आसान नहीं कुलदेवी कुलदेवता ग्राम देवी देवता स्थान देवी देवता इष्टदेव कुलनाग यह अपने हिस्सा लेने आते है और नकारात्मक ऊर्जा आपको डर कर रोकने आएगी तो कोई मोक्ष के लिए आपके पास
बने रहेंगे

यह सब होगा लेकिन आप ने हिम्मत बनाए रखी आदेश पालन किया तो आप आगे बढ़ जाओगे नही तो पूर्णतः नष्ट हो जाओगे
अगर एक बार साधना में आगे आ गए तो वापिस जाना मुश्किल होता है
🌹🌹🌹

🌹🌹🌹

जय श्री कृष्ण 🙏🙏
✅◾◾
🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞

vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 26 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  शनिवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -        तिथि    त्रयोदशी    08:27:16*
*🎈तिथि    चतुर्दशी    28:49:16*(क्षय ) तत्पश्चात अमावस्या *
*🎈नक्षत्र -                उत्तरभाद्रपदा    06:26:21 तत्पश्चात         अश्विनी*
*🎈योग - वैधृति    08:40:34 तक, तत्पश्चात प्रीति*
*🎈करण-        वणिज    08:27:16          *🎈विष्टि भद्र    18:40:17
तत्पश्चात चतुष्पद     *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-09:17pm
से  10:55 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:01:49*
*🎈सूर्यास्त - 07:04:13*
*🎈चन्द्र राशि       मीन    till 27:37:59*
*🎈चन्द्र राशि-       मेष    from 27:37:59*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:33 ए एम से 05:17 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:07 पी एम से 12:59 पी एम *
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, अप्रैल 27 से 12:54 ए एम, अप्रैल 27*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
काल    06:02 - 07:40    अशुभ
शुभ    07:40 - 09:17    शुभ
रोग    09:17 - 10:55    अशुभ
उद्वेग    10:55 - 12:33    अशुभ
चर    12:33 - 14:11    शुभ
लाभ    14:11 - 15:49    शुभ
अमृत    15:49 - 17:26    शुभ
काल    17:26 - 19:04    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
लाभ    19:04 - 20:26    शुभ
उद्वेग    20:26 - 21:48    अशुभ
शुभ    21:48 - 23:10    शुभ
अमृत    23:10 - 24:33*    शुभ
चर    24:33* - 25:55*    शुभ
रोग    25:55* - 27:17*    अशुभ
काल    27:17* - 28:39*    अशुभ
लाभ    28:39* - 30:01*    शुभ
kundli


🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे ।

🙏♥️* कुबेरमित्र’ मेरी दोनों जाँघों की, ‘जगदीश्वर’ दोनों घुटनों की, ‘पुंगवकेतु’ दोनों पिंडलियों की और ‘सुरवन्द्यचरण’ मेरे पैरों की सदैव रक्षा करें ॥18॥

🍁महेश्‍वर: पातु दिनादियामे मां मध्य-यामेऽवतु वामदेव:।
त्र्यम्बकः पातु तृतीय-यामे वृषध्वज: पातु दिनांत्य-यामे ॥19॥

महेश्वर’ दिन के पहले पहर में मेरी रक्षा करें। ‘वामदेव’ मध्य पहर में मेरी रक्षा करें। ‘त्रयम्बक’ तीसरे पहर में और ‘वृषभध्वज’ दिन के अन्तवाले पहर में मेरी रक्षा करें ॥19॥

🍁पायान्नि-शादौ शशि-शेखरो-मां गंगाधरो रक्षतु मां निशीथे।
गौरीपति: पातु निशा-वसाने मृत्युञ्जयो रक्षतु सर्वकालम् ॥20॥

शशिशेखर’ रात्रि के आरम्भ में, ‘गंगाधर’ अर्धरात्रि में, ‘गौरीपति’ रात्रि के अन्त में और ‘मृत्युंजय’ सर्वकाल में मेरी रक्षा करें ॥20॥

🍁अन्त: स्थितं रक्षतु शंकरो मां स्थाणु: सदा पातु बहि: स्थितम् माम् ।
तदंतरे पातु पति: पशूनां सदाशिवो रक्षतु मां समन्तात् ॥21॥

शंकर’ घर के भीतर रहने पर मेरी रक्षा करें। ‘स्थाणु’ बाहर रहने पर मेरी रक्षा करें। ‘पशुपति’ बीच में मेरी रक्षा करें और ‘सदाशिव’ सब ओर मेरी रक्षा करें ॥21॥

🍁तिष्ठन्त-मव्याद्‍-भुवनैक-नाथ: पायाद्‍ व्रजन्तं प्रमथाधिनाथ: ।
वेदांत-वेद्यो-ऽवतु मां निषण्णं मामव्यय: पातु शिव: शयानम् ॥22॥

भुवनैकनाथ’ खड़े होने के समय, ‘प्रमथनाथ’ चलते समय, ‘वेदान्तवेद्य’ बैठे रहने के समय और ‘अविनाशी शिव’ सोते समय मेरी रक्षा करें ॥22॥

🍁मार्गेषु मां रक्षतु नीलकण्ठ: शैलादि-दुर्गेषु पुरत्रयारि: ।
अरण्य-वासादि-महाप्रवासे पायान्मृगव्याध उदारशक्ति: ॥23॥

नीलकण्ठ’ रास्ते में मेरी रक्षा करें। ‘त्रिपुरारि’ शैलादि दुर्गों में और उदारशक्ति ‘मृगव्याध’ वनवासादि महान् प्रवासों में मेरी रक्षा करें ॥23॥

🍁कल्पांत-काटोप-पटुप्रकोपः स्फुटाट्-टहासोच्-चलिताण्डकोश: ।
घोरारि-सेनार्ण-वदुर्निवार-महाभयाद् रक्षतु वीरभद्र: ॥24॥

जिनका प्रबल क्रोध कल्पों का अन्त करने में अत्यन्त पटु है, जिनके प्रचण्ड अट्टहास से ब्रह्माण्ड काँप उठता है, वे ‘वीरभद्रजी’ समुद्र के सदृश भयानक शत्रुसेना के दुर्निवार महान् भय से मेरी रक्षा करें ॥24॥

🍁पत्त्यश्‍व-मातंग-घटा-वरूथ-सहस्र-लक्षायुत-
    कोटि-भीषणम् ।
अक्षौहिणीनां शत-मात-तायिनां छिंद्यान्मृडो घोर-कुठार-धारया ॥25॥

भगवान् ‘मृड’ मुझ पर आततायीरूप से आक्रमण करने वालों की हजारों, दस हजारों, लाखों और करोड़ों पैदलों, घोड़ों और हाथियों से युक्त अति भीषण सैकड़ों अक्षौहिणी सेनाओं का अपनी घोर कुठारधर से भेदन करें ॥25॥

🍁निहंतु दस्यून् प्रलयान-लार्चिर्-ज्वलत त्रिशूलं त्रिपुरांतकस्य ।
शार्दूल-सिंहर्क्ष-वृकादि-हिंस्रान् संत्रास-यत्वीशधनु: पिनाकं ॥26॥

भगवान् ‘त्रिपुरान्तक’ का प्रलयाग्नि के समान ज्वालाओं से युक्त जलता हुआ त्रिशूल मेरे दस्युदल का विनाश कर दे और उनका पिनाक धनुष चीता, सिंह, रीछ, भेड़िया आदि हिंस्र जन्तुओं को संत्रस्त करे ॥26॥

🍁दु:स्वप्न-दुश्शकुन-दुर्गति-दौर्मनस्य-दुर्भिक्ष-दुर्व्यसन
-दुस्सह-दुर्यशांसि ।
उत्पात-ताप-विषभीतिमसद्‍-ग्रहार्ति व्याधींश्‍च नाशयतु मे जगतामधीश: ॥27॥
॥ मूल कवच समाप्त ॥

अर्थ --वे जगदीश्वर मेरे बुरे स्वप्न, बुरे शकुन, बुरी गति, मन की दुष्ट भावना, दुर्भिक्ष, दुर्व्यसन, दुस्सह अपयश, उत्पात, संताप, विषभय, दुष्ट ग्रहों की पीड़ा तथा समस्त रोगों का नाश करें ॥27॥

| मूल कवच समाप्त |
शेष भाग कल..... भाग ३.

जय श्री कृष्ण 🙏🙏
✅◾◾
🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞

vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓* 


jyotis

*🎈दिनांक - 25 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  शुक्रवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि     द्वादशी    11:44:21 pm तत्पश्चात त्रयोदशी *
*🎈नक्षत्र -                शतभिष    10:48:28 तत्पश्चात                 उत्तरभाद्रपदा,पश्चात रेवती*
*🎈योग - ऐन्द्र    12:29:47 तक, तत्पश्चात वैधृति*
*🎈करण-        तैतुल    11:44:21 तत्पश्चात         वणिज     *

*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-10:56pm
से  12:33 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:02:42*
*🎈सूर्यास्त - 07:03:40*
*🎈चन्द्र राशि-       मीन*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:35 ए एम से 05:18 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:07 पी एम से 12:59 पी एम *
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, अप्रैल 26 से 12:55 ए एम, अप्रैल 26*
  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
चर    06:03 - 07:40    शुभ
लाभ    07:40 - 09:18    शुभ
अमृत    09:18 - 10:56    शुभ
काल    10:56 - 12:33    अशुभ
शुभ    12:33 - 14:11    शुभ
रोग    14:11 - 15:48    अशुभ
उद्वेग    15:48 - 17:26    अशुभ
चर    17:26 - 19:04    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
रोग    19:04 - 20:26    अशुभ
काल    20:26 - 21:48    अशुभ
लाभ    21:48 - 23:10    शुभ
उद्वेग    23:10 - 24:33*    अशुभ
शुभ    24:33* - 25:55*    शुभ
अमृत    25:55* - 27:17*    शुभ
चर    27:17* - 28:40*    शुभ
रोग    28:40* - 30:02*    अशुभ
kundli


🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे ।

🙏♥️* प्रदोष विचार:
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 44:21 मिनट से होगी और अगले दिन यानी 26 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 27:16 मिनट तिथि खत्म होगी। ऐसे में 25 अप्रैल को प्रदोष व्रत किया जाएगा है।*
🚩🚩🙏🙏
   *🌹 #भगवान शिव की कृपा पाने के लिए वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सफेद रंग की चीजों का दान करें । इन चीजों के दान से महादेव प्रसन्न होते हैं।

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा  करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

प्रदोष काल में इन उपायों से करें भगवान शिव को प्रसन्न, पूरी होगी मनचाही मुराद भगवान शिव की महिमा निराली है। अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं।  वहीं अविवाहित जातकों की शादी जल्द हो जाती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।


शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय है।
शुक्र प्रदोष व्रत करने से सुखों में वृद्धि होती है।
प्रदोष व्रत पर विशेष उपाय भी किए जाते हैं।

देवों के देव को समर्पित प्रदोष व्रत हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना यथाशीघ्र पूरी होती है। साथ ही साधक पर भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा बरसती है।

ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर इंद्र योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होगी। साथ ही काल, कष्ट, दुख, संकट और भय दूर हो जाते हैं। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत पर पूजा के समय ये उपाय जरूर करें।

प्रदोष व्रत के उपाय
देवों के देव महादेव जलाभिषेक से जल्द प्रसन्न होते हैं। अपनी कृपा साधक पर बरसाते हैं। इसके लिए प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय भगवान शिव का जलाभिषेक करें। साधक गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं।
अगर आप मानसिक तनाव से निजात पाना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से साधक पर चंद्र देव की कृपा बरसेगी।

अगर आप कारोबार में तरक्की पाना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से भी बुध देव की कृपा साधक पर बरसेगी।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत के दिन स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में काले तिल मिलाकर महादेव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है।
जय श्री कृष्ण 🙏🙏
✅◾◾
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 24 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-   गुरुवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    एकादशी    14:31:52 pm तत्पश्चात  द्वादशी *
*🎈नक्षत्र -                शतभिष    10:48:28 तत्पश्चात             पूर्वभाद्रपदा*
*🎈योग - ब्रह्म    15:54:46 तक, तत्पश्चात इंद्र*
*🎈करण-        बालव    14:31:52 तत्पश्चात         तैतुल     *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-12:34: pm
से  02:11 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:03:35*
*🎈सूर्यास्त - 07:03:07*
*🎈चन्द्र राशि       कुम्भ    till 27:24:52*
*🎈चन्द्र राशि-       मीन    from 27:24:52*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:35 ए एम से 05:18 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:07 पी एम से 12:59 पी एम *
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, अप्रैल 25 से 12:55 ए एम, अप्रैल 25*

 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
शुभ    06:04 - 07:41    शुभ
रोग    07:41 - 09:18    अशुभ
उद्वेग    09:18 - 10:56    अशुभ
चर    10:56 - 12:33    शुभ
लाभ    12:33 - 14:11    शुभ
अमृत    14:11 - 15:48    शुभ
काल    15:48 - 17:26    अशुभ
शुभ    17:26 - 19:03    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
अमृत    19:03 - 20:26    शुभ
चर    20:26 - 21:48    शुभ
रोग    21:48 - 23:10    अशुभ
काल    23:10 - 24:33*    अशुभ
लाभ    24:33* - 25:55*    शुभ
उद्वेग    25:55* - 27:18*    अशुभ
शुभ    27:18* - 28:40*    शुभ
अमृत    28:40* - 30:03*    शुभ
kundli


🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे ।
yantra


🚩🚩🙏🙏
   *🌹 #जीवन के क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त शक्ति की आवश्यकता पड़ती है , इस शक्ति और संकल्प को हनुमान के रूप में यंत्र विभाग में स्थापित किया गया है शक्ति और शौर्य के प्रतीक हनुमान की साधना जीवन के प्रत्येक भाग में विजयदायिनी है , इस यंत्र को अपने पुरोहित से विधिवत बनाकर तत्पश्चात हनुमान जी को प्रतीक मानकर ग्रहण करें निश्चित ही आपको हर कार्य में सफलता हासिल होगी
(नाम की जगह अपना नाम लिखना है वह माता की जगह   अपनी माता का नाम लिखना है)

अगर किसी मनुष्य को यंत्र में शंका होती है तो

 मनुष्य का कर्तव्य बनता है कि अपनी शंका दूर करें शंका दूर करने के लिए फिलहाल अपने आप लाल कलम से या लाल पेन से यह यंत्र लिखकर 9 बार हनुमान चालीसा का पाठ कर यंत्र को धूप-दीप देकर पूजा करे फिर अपने पास रखें आपको थोड़ा बहुत अंतर नजर आने लगेगा क्योंकि विधि पूर्वक नहीं बना है इस कारण थोड़ा बहुत अंतर ही लगेगा कई बार थोड़ा सा फर्क भी विस्वास बहुत कुछ हो जाता है उस अंतर से ही आपको इस यंत्र की शक्ति का आभास हो जाएगा और जब आप बाद में विधि पूर्वक बनाएंगे तब आप खुद ही चमत्कार का अनुभव करेंगे
जय श्री कृष्ण 🙏🙏
 "
✅शुभ समय 4 मई 2025 🌎

कुबेर यंत्र को स्थापित करने से धन के देवता कुबेर का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है और धन में वृद्धि होती है। यह यंत्र व्यापारियों के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसके प्रभाव से व्यापार में उन्नति होती है और धन हमेशा संचित रहता है.

कुबेर यंत्र के लाभ:

धन की प्राप्ति:
कुबेर यंत्र की स्थापना से धन में वृद्धि होती है और आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है.

व्यवसाय में उन्नति:
यह यंत्र व्यापारियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है, जिससे व्यापार में सफलता मिलती है और धन हमेशा संचित रहता है.

मान-सम्मान:
कुबेर यंत्र की स्थापना से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है

शुभता:
यह यंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में सकारात्मक वातावरण बनाता है.

आर्थिक संकटों से मुक्ति:
कुबेर यंत्र की स्थापना से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और धन के आगमन के मार्ग खुलते हैं.

कुबेर यंत्र की स्थापना:
कुबेर यंत्र को सोने, अष्टधातु, भोजपत्र, ताम्रपत्र या कागज़ आदि कई रूपों में इस्तेमाल किया जाता है.

इस यंत्र को घर के पूजा स्थल पर पूर्व दिशा में मंगलवार या शुक्रवार के दिन स्थापित करना चाहिए.
विजयदशमी, धनतेरस, दिवाली और रविपुष्य नक्षत्र के दिन भी इस यंत्र को स्थापित करना शुभ माना जाता है

कुबेर यंत्र का मंत्र:
कुबेर यंत्र का बीज मंत्र है –

 ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:◾◾
🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞

vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 23 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-   बुधवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    दशमी    16:42:49 pm तत्पश्चात एकादशी*
*🎈नक्षत्र -                धनिष्ठा    12:06:41 pm रात्रि तत्पश्चात         शतभिष*
*🎈योग - शुक्ल    18:50:05 am तक, तत्पश्चात ब्रह्म*
*🎈करण-        विष्टि भद्र    16:42:49 pm तत्पश्चात         बालव     *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-12:34: pm
से  02:11 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:04:29*
*🎈सूर्यास्त - 07:02:34*
*🎈चन्द्र राशि-       कुम्भ*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:35 ए एम से 05:19 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं *
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, अप्रैल 24 से 12:55 ए एम, अप्रैल 24*

 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
लाभ    06:04 - 07:42    शुभ
अमृत    07:42 - 09:19    शुभ
काल    09:19 - 10:56    अशुभ
शुभ    10:56 - 12:34    शुभ
रोग    12:34 - 14:11    अशुभ
उद्वेग    14:11 - 15:48    अशुभ
चर    15:48 - 17:25    शुभ
लाभ    17:25 - 19:03    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
उद्वेग    19:03 - 20:25    अशुभ
शुभ    20:25 - 21:48    शुभ
अमृत    21:48 - 23:10    शुभ
चर    23:10 - 24:33*    शुभ
रोग    24:33* - 25:56*    अशुभ
काल    25:56* - 27:18*    अशुभ
लाभ    27:18* - 28:41*    शुभ
उद्वेग    28:41* - 30:04*    अशुभ

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🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे ।
🚩🚩🙏🙏
   *🌹 #एक बार भगवान विष्णु वैकुण्ठ लोक में लक्ष्मी जी के साथ विराजमान थे। उसी समय उच्चेः श्रवा नामक अश्व पर सवार होकर रेवंत का आगमन हुआ। उच्चेः श्रवा अश्व सभी लक्षणों से युक्त, देखने में अत्यंत सुन्दर था।

उसकी सुंदरता की तुलना किसी अन्य अश्व से नहीं की जा सकती थी।अतः लक्ष्मी जी उस अश्व के सौंदर्य को एकटक देखती रह गई।

जब भगवान विष्णु ने लक्ष्मी को मंत्रमुग्ध होकर अश्व को देखते हुए पाया तो उन्होंने उनका ध्यान अश्व की ओर से हटाना चाहा, लेकिन लक्ष्मी जी देखने में तल्लीन रही।झकझोरने पर भी लक्ष्मी जी की तंद्रा भंग नहीं हुई तब इसे अपनी अवहेलना समझकर भगवान विष्णु को क्रोध आ गया और खीझंकर लक्ष्मी को शाप देते हुए कहा-

 “तुम इस अश्व के सौंदर्य में इतनी खोई हो कि मेरे द्वारा बार-बार झकझोरने पर भी तुम्हारा ध्यान इसी में लगा रहा, अतः तुम अश्वी हो जाओ।”जब लक्ष्मी का ध्यान भंग हुआ और शाप का पता चला तो वे क्षमा मांगती हुई समर्पित भाव से भगवान विष्णु की वंदना करने लगी-

“मैं आपके वियोग में एक पल भी जीवित नहीं रह पाउंगी, अतः आप मुझ पर कृपा करे एवं अपना शाप वापस ले ले।”अपने शाप में सुधार करते हुए कहा- “शाप तो पूरी तरह वापस नहीं लिया जा सकता। लेकिन हां, तुम्हारे अश्व रूप में पुत्र प्रसव के बाद तुम्हे इस योनि से मुक्ति मिलेगी और तुम पुनः मेरे पास वापस लौटोगी।”भगवान विष्णु के शाप से अश्वी बनी हुई लक्ष्मी जी यमुना और तमसा नदी के संगम पर भगवान शिव की तपस्या करने लगी।

लक्ष्मी जी के तप से प्रसन्न होकर शिव पार्वती के साथ आए।

उन्होंने लक्ष्मी जी से तप करने का कारण पूछा तब लक्ष्मी जी ने अश्वी हो जाने से संबंधित सारा वृतांत उन्हें सुना दिया और अपने उद्धार की उनसे प्रार्थना की।

तब भगवान शिव ने कहा- “देवी ! तुम चिंता न करो। इसके लिए मैं विष्णु को समझाऊंगा कि वे अश्व रूप धारणकर तुम्हारे साथ रमण करे और तुमसे अपने जैसा ही पुत्र उत्पन्न करे ताकि तुम उनके पास शीघ्र वापस जा सको।”भगवान शिव की बात सुनकर अश्वी रूप धारी लक्ष्मी जी को काफी प्रसन्नता हुई। उन्हें यह आभास होने लगा कि अब मैं शीघ्र ही शाप के बंधन से मुक्त हो जाउंगी और श्री हरि (विष्णु) को प्राप्त कर लुंगी।

भगवान शिव वहां से चले गए। अश्वी रूप धारी लक्ष्मी जी पुनः तपस्या में लग गई। काफी समय बीत गया। लेकिन भगवान विष्णु उनके समीप नहीं आए। तब उन्होंने भगवान शिव का पुनः स्मरण किया। भगवान शिव प्रकट हुए। उन्होंने लक्ष्मी जी को संतुष्ट करते हुए कहा- “देवी ! धैर्य धारण करो। धैर्य का फल मीठा होता है। विष्णु जी अश्व रूप में तुम्हारे समीप अवश्य आएंगे।इतना कहकर भगवान शिव अंतर्धान हो गए।

कैलाश पहुंचकर भगवान शिव विचार करने लगे कि विष्णु को कैसे अश्व बनाकर लक्ष्मी जी के पास भेजा जाए। अंत में, उन्होंने अपने एक गण-चित्ररूप को दूत बनाकर विष्णु के पास भेजा।चित्ररूप भगवान विष्णु के लोक में पहुंचे। भगवान शिव का दूत आया है, यह जानकर भगवान विष्णु ने दूत से सारा समाचार कहने को कहा।

 दूत ने भगवान शिव की सारी बाते उन्हें कह सुनाई।अंत में, भगवान विष्णु शिव का प्रस्ताव मानकर अश्व बनने के लिए तैयार हो गए।

 उन्होंने अश्व का रूप धारण किया और पहुंच गए यमुना और तपसा के संगम पर जहां लक्ष्मी जी अश्वी का रूप धारण कर तपस्या कर रही थी। भगवान विष्णु को अश्व रूप में आया देखकर अश्वी रूप धारी लक्ष्मी जी काफी प्रसन्न हुई।दोनों एक साथ विचरण एवं रमण करने लगे। कुछ ही समय पश्चात अश्वी रूप धारी लक्ष्मी जी गर्भवती हो गई। यथा समय अश्वी के गर्भ से एक सुन्दर बालक का जन्म हुआ।

 तत्पश्चात लक्ष्मी जी वैकुण्ठ लोक श्री हरि विष्णु के पास चली गई।लक्ष्मी जी के जाने के बाद उस बालक के पालन पोषण की जिम्मेवारी ययाति के पुत्र तुर्वसु ने ले ली, क्योंकि वे संतान हीन थे और पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ कर रहे थे।

उस बालक का नाम हैहय रखा गया। कालांतर में हैहय के वंशज ही हैहयवंशी कहलाए।विशेष,,,, इस पौराणिक कथा से स्पष्ट है कि जिस तरह गाय में 33 कोटि देवता माने जाते हैं उसी तरह अन्य कई पशु पक्षियों में देवताओं का वास होता है l पांच पशु ऎसे है जिनकी संज्ञा तामसिक व्रतियों से दी है वे है == बकरे, महिष , ऊंट, बिलाव, एवं मेढ़ाl

ये काम, क्रोध, मद, लोभ एवं मोह का प्रतिनिधित्व करते हैं अतः इनका मांस एवं दूध तामसिक प्रवृत्ति का निर्माण करते हैं l इन पशु पक्षियों को आहार खिलाने से वैश्वानर यज्ञ के पुण्य प्राप्त होते हैं l

2. इस पौराणिक कथा को पढ़ कर यह सत्य भी उजागर होता है की " पुनर्जन्म" की अवधारणा सत्य है l

3. हमारी प्रवृतियों के तामसिक होने पर हमे इन अधम योनियों में जन्म लेना पड़ता है l

जय श्री कृष्ण 🙏🙏
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

 *🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

 

jyotis


*🎈दिनांक - 22 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-   मंगलवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    नवमी    18:12:18 pm तत्पश्चात दशमी*
*🎈नक्षत्र -                श्रवण    12:43:07 pm रात्रि तत्पश्चात         धनिष्ठा*
*🎈योग - शुभ    21:12:04 am तक, तत्पश्चात शुक्ल*
*🎈करण-        तैतुल    06:40:39 pm तत्पश्चात         विष्टि भद्र         *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-07:43: am
से  09:20 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:05:24*
*🎈सूर्यास्त - 07:02:02*
*🎈चन्द्र राशि       मकर    till 24:30:17*
*🎈चन्द्र राशि-       कुम्भ    from 24:30:17*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:36 ए एम से 05:20 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:08 पी एम से 01:pm  *
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, अप्रैल 23 से 12:55 ए एम, अप्रैल 23तक*
*🎈यमगण्ड    - 09:19 ए एम से 10:56 ए एम*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग    12:37 पी एम से 06:04 ए एम, अप्रैल 22 तक*

 

ved



 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    06:07 - 07:44    अशुभ
चर    07:44 - 09:21    शुभ
लाभ    09:21 - 10:57    शुभ
अमृत    10:57 - 12:34    शुभ
काल    12:34 - 14:11    अशुभ
शुभ    14:11 - 15:48    शुभ
रोग    15:48 - 17:24    अशुभ
उद्वेग    17:24 - 19:01    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
शुभ    19:01 - 20:24    शुभ
अमृत    20:24 - 21:47    शुभ
चर    21:47 - 23:10    शुभ
रोग    23:10 - 24:34*    अशुभ
काल    24:34* - 25:57*    अशुभ
लाभ    25:57* - 27:20*    शुभ
उद्वेग    27:20* - 28:43*    अशुभ
शुभ    28:43* - 30:06*    शुभ
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🚩🚩🙏🙏
   *🌹 #गुरुप्राणश्चेतना मंत्र -
     एक ऐसा मंत्र, एक ऐसी विद्या जिसके अभ्यास मात्र से साधक में गुरु तत्व का जागरण होने लगता है । गुरु की सत्ता से साधक की चेतना जुड़ने लग जाती है और वह गुरु से संबंधित उन तथ्यों और ज्ञान को प्राप्त करने लग जाता है जो किसी भी साधना से संभव है ही नहीं ।  

मेरा अपना अनुभव ये रहा है कि अगर साधक इस मंत्र के मात्र 1008 पाठ संपन्न कर ले, तो साधक का चेतना स्तर इतना ऊपर उठ जाता है कि वह गुरु की सूक्ष्म उपस्थिति का भी आभास कर पाता है । जो श्रेष्ठ साधक हैं वह इस मंत्र का नित्य प्रतिदिन 11 या 21 बार तो अभ्यास करते ही हैं । इस मंत्र के प्रयोग से साधक को गुरु से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन मिलता ही है ।  

ये हमारे जीवन का सौभाग्य है कि गुरु प्रेरणा से इस अत्यंत दुर्लभ मंत्र को आज आप सबके लिए पोस्ट किया जा रहा है । ऋषियों के इस दुर्लभ और महत्वपूर्ण ज्ञान को हमें न सिर्फ अपने जीवन में स्थान देना चाहिये बल्कि अपने स्वजनों और बच्चों को भी इस मंत्रों का अभ्यास कराना चाहिए ।  
 
गुरु प्राणश्चेतना मंत्र
।। ॐ पूर्वाह सतां सः श्रियै दीर्घो  येताः वदाम्यै स रुद्रः स ब्रह्मः स विष्णवै स चैतन्य आदित्याय रुद्रः वृषभो पूर्णाह समस्तेः मूलाधारे तु सहस्त्रारे, सहस्त्रारे तु मूलाधारे समस्त रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय उत्तिष्ठ प्राणतः दीर्घतः एत्तन्य दीर्घाम भूः लोक, भुवः लोक, स्वः लोक, मह लोक, जन लोक, तप लोक, सत्यम लोक, मम शरीरे सप्त लोक जाग्रय उत्तिष्ठ चैतन्य कुण्डलिनी सहस्त्रार जाग्रय ब्रह्म स्वरूप दर्शय दर्शय जाग्रय जाग्रय चैतन्य चैतन्य त्वं ज्ञान दृष्टिः दिव्य दृष्टिः चैतन्य दृष्टिः पूर्ण दृष्टिः ब्रह्मांड दृष्टिः लोक दृष्टिः अभिर्विह्रदये दृष्टिः त्वं पूर्ण ब्रह्म दृष्टिः प्राप्त्यर्थम, सर्वलोक गमनार्थे, सर्व लोक दर्शय, सर्व ज्ञान स्थापय, सर्व चैतन्य स्थापय, सर्वप्राण, अपान, उत्थान, स्वपान, देहपान, जठराग्नि, दावाग्नि, वड वाग्नि, सत्याग्नि, प्रणवाग्नि, ब्रह्माग्नि, इन्द्राग्नि, अकस्माताग्नि, समस्तअग्निः, मम शरीरे, सर्व पाप रोग दुःख दारिद्रय कष्टः पीडा नाशय – नाशय सर्व सुख सौभाग्य चैतन्य जाग्रय, ब्रह्मस्वरूपं स्वामी परमहंस निखिलेश्वरानंद शिष्यत्वं, स-गौरव, स-प्राण, स-चैतन्य, स-व्याघ्रतः, स-दीप्यतः, स-चंन्द्रोम, स-आदित्याय, समस्त ब्रह्मांडे विचरणे जाग्रय, समस्त ब्रह्मांडे दर्शय जाग्रय, त्वं गुरूत्वं, त्वं ब्रह्मा, त्वं विष्णु, त्वं शिवोहं, त्वं सूर्य, त्वं इन्द्र, त्वं वरुण, त्वं यक्षः, त्वं यमः, त्वं ब्रह्मांडो, ब्रह्मांडोत्वं मम शरीरे पूर्णत्व चैतन्य जाग्रय उत्तिष्ठ उत्तिष्ठ पूर्णत्व जाग्रय पूर्णत्व जाग्रय पूर्णत्व जाग्रयामि ।।
 
चूंकि, मंत्र बड़ा है और अत्यंत ही प्रभावशाली है तो प्रतिदिन मात्र 11 या 21 बार इसका अभ्यास पर्याप्त रहता है । जो, साधक नये हैं उनको इसका 1, 3, 5 या 7 बार से प्रारंभ करना चाहिए ।
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis


*🎈दिनांक - 21 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-   सोमवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    अष्टमी    18:57:57 pm तत्पश्चात नवमी*
*🎈नक्षत्र -                उत्तराषाढा    12:36:15 pm रात्रि तत्पश्चात         श्रवण*
*🎈योग - साध्य    22:59:03 am तक, तत्पश्चात शुभ*
*🎈करण-        विष्टि भद्र    07:04:19pm तत्पश्चात         तैतुल     *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-07:43: am
से  09:20 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:06:20*
*🎈सूर्यास्त - 07:01:19*
*🎈चन्द्र राशि-     मकर    *
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:37 ए एम से 05:21 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:08 पी एम से 01:pm  *
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:11 ए एम, अप्रैल 22 से 12:55 ए एम, अप्रैल 22 तक*
*🎈यमगण्ड    - 10:57 ए एम से 12:34 पी एम*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग    12:37 पी एम से 06:04 ए एम, अप्रैल 22 तक*

 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
अमृत    06:06 - 07:43    शुभ
काल    07:43 - 09:20    अशुभ
शुभ    09:20 - 10:57    शुभ
रोग    10:57 - 12:34    अशुभ
उद्वेग    12:34 - 14:11    अशुभ
चर    14:11 - 15:48    शुभ
लाभ    15:48 - 17:25    शुभ
अमृत    17:25 - 19:01    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
चर    19:01 - 20:24    शुभ
रोग    20:24 - 21:47    अशुभ
काल    21:47 - 23:10    अशुभ
लाभ    23:10 - 24:33*    शुभ
उद्वेग    24:33* - 25:56*    अशुभ
शुभ    25:56* - 27:19*    शुभ
अमृत    27:19* - 28:42*    शुभ
चर    28:42* - 30:05*    शुभ

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   *🌹कम उम्र में #मृत्यु को प्राप्त बच्चों की #आत्माएं #स्वर्ग जाती हैं या नर्क? जानिए क्या कहता है #गरुड़ पुराण....

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद किसी व्यक्ति को स्वर्ग मिलेगा या नर्क, वहां यमराज उनके साथ क्या करते हैं, उनकी आत्मा कितने दिन किन-किन लोकों में रहेगी और कब दुबारा जन्म लेगी इत्यादि। ये सारे फैसले मनुष्य के कर्मों पर आधारित होते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब किसी बच्चे की मृत्यु होती है, तो उसके बारे में गरुड़ पुराण क्या कहता है?

गरुड़ पुराण की मह्त्ता के कारण जब किसी के घर में मृत्यु हो जाती है तो...बहुत हद तक आपका कर्म यह तय करता है कि आप मृत्यु के बाद स्वर्ग जायेंगे या नर्कबच्चों को केवल स्वर्ग ही क्यों भेजा जाता है?बच्चों के ऐसा कहने पर भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि तुम सब अबोध बालक हो

गरुड़ पुराण एक ऐसा महापुराण है जो मृत्यु से जुड़े कई सवालों के रहस्य को बतलाता है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ की बातचीत की भी व्याख्या करता है, जो मृत्यु के बाद से जुड़ी जिज्ञासा को शांत करता है। गरुड़ पुराण की मह्त्ता के कारण जब किसी के घर में मृत्यु हो जाती है, तो वहां इसका पाठ कराया जाता है ताकि वहां मौजूद मृत आत्मा को इसके पाठ से मिले संदेश की मदद से संसार से अपना बंधन तोड़ने में मदद मिल सके।
बच्चों को केवल स्वर्ग ही क्यों भेजा जाता है?

गरुड़ पुराण इस बारे में कहता है कि वो बच्चे जिनकी उम्र 15 साल से कम होती है, उनकी मृत्यु के बाद उन्हें केवल स्वर्ग ही भेजा जाता है। गरुड़ पुराण कहता है कि इन बच्चों की कम उम्र होने के कारण इनमें अच्छे-बुरे की समझ नहीं होती है, इस कारण इनके कर्मों के आधार पर नहीं बल्कि इन कम उम्र को देखते हुए इन्हें स्वर्ग भेज दिया जाता है। अगर इन्होंने कोई गलती की भी होती है, तो उन्हें भगवान माफ कर देते हैं। इन बच्चों को केवल स्वर्ग ही क्यों भेजा जाता है, इस बारे में एक कथा भी प्रचलित है
कथा के अनुसार, कुछ बच्चे मृत्यु के पश्चात स्वर्ग द्वार पर पहुंचे। उनके माता-पिता भी मृत्यु को प्राप्त हो चुके थे। जब विष्णु जी ने स्वर्ग लोक के द्वार पर आकर उन मृत बच्चों की आत्मा को स्वर्ग लोक के अंदर आने की बात कही, तो उन सबने कहा कि वो सब केवल अपने माता-पिता के साथ ही स्वर्ग लोक में प्रवेश करेंगे। बच्चों के ऐसा कहने पर भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि तुम सब अबोध बालक हो। इसलिए तुमलोगों के कर्मों का मूल्यांकन किए बिना तुमलोगों को स्वर्ग में प्रवेश मिल रहा है लेकिन तुम्हारे माता-पिता बड़े और व्यस्क हैं। इसलिए उन्हें उनके कर्मों का मूल्यांकन कर उन्हें स्वर्ग अथवा नर्क दिया जाएगा। विष्णु जी की इस बात का बच्चों की आत्माओं ने जवाब देते हुए कहा कि उन्हें भी वहीं भेज दिया जाये जहां उनके माता-पिता को भेजा जायेगा, चाहे वो स्वर्ग हो या नर्क। बच्चों का माता-पिता के प्रति सच्चा स्नेह देखकर भगवान विष्णु ने सभी बच्चों के माता-पिता के बुरे कर्मों को माफ कर दिया और उन्हें भी बच्चों के साथ स्वर्गलोक भेज दिया।
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*🎈दिनांक - 20 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-   रविवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
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*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    सप्तमी    19:00:02 pm तत्पश्चात अष्टमी*
*🎈नक्षत्र -            पूर्वाषाढा    11:47:17 pm रात्रि तत्पश्चात         उत्तराषाढा*
*🎈योग - सिद्ध    24:11:22 am तक, तत्पश्चात साध्य*
*🎈करण-        विष्टि भद्र    06:45:30 तत्पश्चात         बालव     *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-05:24: am
से  07:01 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:07:17*
*🎈सूर्यास्त - 07:00:57*
*🎈चन्द्र राशि-       धनु    till 18:03:19*
*🎈चन्द्र राशि-     मकर    from 18:03:19    *
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*🎈दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🎈ब्राह्ममुहूर्त - 04:37 ए एम से 05:52 तक,*
*🎈अभिजीत मुहूर्त - 12:08 पी एम से 01:pm  *
*🎈निशिता मुहूर्त -  12:12 ए एम, अप्रैल 21 से 12:56 ए एम, अप्रैल 21 तक*
*🎈यमगण्ड    - 12:34पीएम  से 02:11 पी एम*
*🎈सर्वार्थ सिद्धि योग    11:48 ए एम से 06:05 ए एम, अप्रैल 21तक* 


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    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    06:07 - 07:44    अशुभ
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लाभ    09:21 - 10:57    शुभ
अमृत    10:57 - 12:34    शुभ
काल    12:34 - 14:11    अशुभ
शुभ    14:11 - 15:48    शुभ
रोग    15:48 - 17:24    अशुभ
उद्वेग    17:24 - 19:01    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
शुभ    19:01 - 20:24    शुभ
अमृत    20:24 - 21:47    शुभ
चर    21:47 - 23:10    शुभ
रोग    23:10 - 24:34*    अशुभ
काल    24:34* - 25:57*    अशुभ
लाभ    25:57* - 27:20*    शुभ
उद्वेग    27:20* - 28:43*    अशुभ
शुभ    28:43* - 30:06*    शुभ
kundli


🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे ।🌞रविवारीसप्तमी (सूर्योदय से रात्रि 07:00 तक), ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ*🚩
   पूर्वकाल में भगवान् कृष्ण ने इन 108 नामों से सूर्य स्तवन किया था। सूर्यनमस्कार करने से सभी लाभ निश्चित रूप से प्राप्त होते हैं। अतः हम प्रतिदिन सूर्य को क्यों न नमन करें ?
       आदित्य, भास्कर, भानु, रवि, सूर्य, दिवाकर, प्रभाकर, दिवानाय तपन, वचनानांश्रेष्ठ, वरेण्य, वरद, विष्णु अना, वासवानुज, बल, वीर्य, सहस्रांश सहस्रकिरणद्युति, मयूखमाली, विश्व, मार्तण्ड, चण्डकिरण, सदागति भास्वान्, सप्ताश्व, सुखोदय, देवदेव, अहिर्बुध्य, धामनिधि, अनुत्तम, तप, ब्रह्ममयालोक, लोकपाल, अपाम्पति, जगत्यबोधक, देव, जगद्वीप, जगत्, अर्क, निश्रेयस पर, कारण, श्रेयसापर, इन प्रभावी, पुण्य, पतंग, पतंगेश्वर मनोवाञ्छितदाता दृश्फलप्रद अदृष्टफलमद, मह, महकर, हंस, हरिदश्य, हुताशन, मंगल्य, मंगल, मेध्य, ध्रुव, धर्मप्रबोधन, भव, सम्भावित, भाव, भूतभव्य, भवात्मक, दुर्गम, दुर्गविहार, हरनेत्र, श्यीमय, त्रैलोक्यतिलक तीर्थ, तरणि, सर्वतोमुख, तेजोराशि, सुनिर्वाण, विश्वेश, शाश्वत, धाम, कल्प, कल्पानल, काल, कालचक्र, क्रतुप्रिय, भूषण, मरुत्, सूर्य, मणिरत्न, सुलोचन, त्वष्टा, विष्टर, विष्व, सत्कर्मसाक्षी, असत्कर्मसाक्षी, सविता, सहस्राक्ष, प्रजापाल, अधोक्षज, ब्रह्मा, वासरारम्भ, रक्तवर्ण, महाद्युति, शुक्र, मध्यन्दिन, रुद्र, श्याम, विष्णु दिनान्त को हम नमस्कार करते हैं।

🍁 *विशेष- सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🪷 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌹 *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
✨ *रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
💥 *स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।*
          
*आज का उपाय- शिवलिंग पर श्वेतार्क के फूल, भगवती काली को गुड़हल (जवाकुसुम)का फूल अर्पित करें।*
 
*दिशाशूल: रविवार को पश्चिम दिशा का दिशाशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।*
🌞
         आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।_*
*ॐ सूर्याय नम: । ॐ भास्कराय नम:।*
*ॐ रवये नम: । ॐ मित्राय नम: ।*
*ॐ भानवे नम: ॐ खगय नम: ।*
*ॐ पुष्णे नम: । ॐ मारिचाये नम: ।*
*ॐ आदित्याय नम: । ॐ सावित्रे नम: ।*
*ॐ आर्काय नम: । ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।*
‼️
*रवि मंत्र:
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।*
*तमोरिसंर्वपापध्नं प्रणोतोsस्मि दिवाकरम्।।*
*ऊँ: ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:*
*ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं।*
*अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम्।*
🚩🚩🙏🙏
   *🌹शिवजी का प्रसाद ग्राह्य अथवा अग्राह्य।।

दृष्ट्वापि शिवनैवेद्यं यान्ति पापानि दूरतः ।
भुक्ते तु शिव नैवेद्ये पुण्यान्यायान्त कोटिशः ।।

शिव आराधको मे भी कथित मत ओर शास्त्र आज्ञा की समझ के अभाव मे अनेकों भ्रांति ओर भय देखे जाते है ...!!
 
शिव आराधन मे भय ओर दोष ...??
   महादेव शिव तो परम कल्याण का पर्याय है। शिव का स्मरण मात्र ही अभयता ओर कल्याण का प्रसार करते है। हमारे अल्प ज्ञान या कथित मान्यताओ से कितने ही दोष ओर कपोल तर्क व्यापक है
- शिवलिंग का स्पर्श वर्जित है।
- महिलाओ को शिवलिंग की पुजा नहीं करनी चाहिये।
- शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा नहीं की जाती।
- शिव के निर्माल्य का उलंगन नहीं करना चाहिये।
- शिवजी को चढ़ाया भोग प्रसाद के रूप मे लेना वर्जित है।
- शिवजी का प्रसाद खाने से दरिद्रता आती है।
- शिवलिंग की घर के पुजा स्थान मे स्थापना नहीं करनी चाहिये।
- घर मे एक से अधिक शिवलिंग रखना दोष पूर्ण है।
ऐसे अनेकों भ्रम भय आशंका ओर कुतर्क आराधको मे व्यापक है। इनहि भय से कुछ अल्पज्ञानी या मूर्ख शिव पूजन ओर प्रसाद का तिरस्कार करते है। शास्त्र आज्ञा ओर कुछ नियम है जिनका पालन हो ये आवकार्य है फिर भी अज्ञान वश शिव का विरोध या निषेध करना ये तो महान घोर अक्षम्य अपराध ही है।

लिङ्गोपरि च यद् द्रव्यं तदग्राह्यं मुनीश्वराः ।
सुपवित्रं च तज्ज्ञेयं यल्लिङ्ग स्पर्श बाह्यतः ।।

विसर्जितस्य देवस्य गन्धपुष्पनिवेदनम् ।
निर्माल्यं तदविजानीयाद् वर्ज्यं वस्त्रविभूषणम् ।
अर्पयित्वा तु ते भूयश्चण्डेशाय निवेदयेत् ।। ( स्कंदपुराण सूतोक्ति )

वाणलिंगे च लोहे च सिद्धलिंगे स्वयम्भुवि ।
प्रतिमासु च सर्वासु न चण्डोधिकृतो भवेत् ।। ( शिवपुराण वि. स. २२.१७ )

न यस्य शिवनैवेद्यग्रहणेच्छा प्रजायते ।
स पापिष्ठो गरिष्ठ: स्यान्नरकं यात्यपि ध्रुवम् ।।

सभी देवी-देवताओं का प्रसाद लोग ग्रहण करते हैं और महादेव का प्रसाद ग्रहण करने से बहुत से लोग हिचकते हैं। शिव जी के प्रसाद को लेकर लोगों के मन में यह भय रहता है कि प्रसाद ग्रहण करने से पाप लगेगा और दरिद्र हो जाएंगे।

इस मान्यता के पीछे कारण यह है कि शिव जी के मुख से चण्डेश्वर नाम का गण प्रकट हुआ है। चण्डेश्वर भूत-प्रेतों का प्रधान है। शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद चण्डेश्वर का भाग होता है।

'चण्डेश्वर का अंश' यानी प्रसाद ग्रहण करना भूत-प्रतों का अंश खाना माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद नहीं खाना चाहिए।

 जबकि शिव पुराण कहता है कि शिवजी का प्रसाद सभी प्रकार के पापों को दूर करने वाला है। जो शिव जी के प्रसाद का दर्शन भी कर लेता है उसके कितने ही पाप कट जाते हैं फिर प्रसाद ग्रहण करने के पुण्य का क्या कहना। जहां तक चण्डेश्वर की बात है तो सभी शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद चण्डेश्वर का भाग नहीं होता है।

जिस शिवलिंग का निर्माण साधारण पत्थर, मिट्टी एवं चीनी मिट्टी से होता उन शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद नहीं खाना चाहिए। इन शिवलिंगों पर चढ़ा प्रसाद किसी नदी अथवा जलाशय में प्रवाहित कर देना चाहिए। धातु से बने शिवलिंग एवं परद के शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद चण्डेश्वर का अंश नहीं होता है। यह महादेव का भाग होता है। इसलिए इन्हें ग्रहण करने से दोष नहीं लगता है।
शिवलिंग के साथ शालग्राम होने पर भी दोष समाप्त हो जाता है। इसलिए शालग्राम के साथ शिवलिंग की पूजा करके शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद खाने से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है और न  दरिद्रता आती है।

जो प्रसाद शिवलिंग के ऊपर चढ़ाया नहीं गया हो और शिव की साकार मूर्ति को अर्पित किया गया हो वह प्रसाद ग्रहण करने से भी किसी तरह की हानि नहीं होती है बल्कि शिव की कृपा प्राप्त होती है।  

वातावरण सहित घूमती धरती या सारे अनन्त ब्रह्माण्ड का अक्स ही लिंग है। इसीलिए इसका आदि और अन्त भी साधारण जनों की क्या बिसात, देवताओं के लिए भी अज्ञात, अनन्त या नेति-नेति है। सौरमण्डल के ग्रहों के घूमने की कक्षा ही शिव तन पर लिपटे सांप हैं। मुण्डकोपनिषद के कथनानुसार सूरज, चांद और अग्नि ही आपके तीन नेत्र हैं। बादलों के झुरमुट जटाएं, आकाश जल ही सिर पर स्थित गंगा और सारा ब्रह्माण्ड ही आपका शरीर है। शिव कभी गर्मी के आसमान (शून्य) की तरह कर्पूर गौर या चांदी की तरह दमकते, कभी सर्दी के आसमान की तरह नीले और कभी बरसाती आसमान की तरह मटमैले होने से राख भभूत लिपटे तन वाले हैं। यानी शिव सीधे-सीधे ब्रह्माण्ड या अनन्त प्रकृति की ही साक्षात् मूर्ति हैं। मानवीकरण में वायु प्राण, दस दिशाएं पंचमुख महादेव के दस कान, हृदय सारा विश्व, सूर्य नाभि या केन्द्र और अमृत यानी जल युक्त कमण्डलु हाथ में रहता है।
आगे क्रमशः अगले भाग में......
◾◾
🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
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*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 19 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  शनिवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    षष्ठी    18:21:18 pm तत्पश्चात सप्तमी*
*🎈नक्षत्र -            मूल    10:19:58 pm रात्रि तत्पश्चात     पूर्वाषाढा*
*🎈योग - शिव    24:51:10* am तक, तत्पश्चात     सिद्ध*
*🎈करण-        वणिज    18:21:17pm तत्पश्चात         विष्टि भद्र     *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-09:21: am
से  10:58 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:08:14*
*🎈सूर्यास्त - 07:00:25*
*🎈चन्द्र राशि-       धनु    *
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:38 ए एम से 05:23 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:09 पी एम से 01:pm  *
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:12 ए एम, अप्रैल 19 से 12:56 ए एम, अप्रैल 19 तक*
*⛅यमगण्ड    - 02:21पीएम  से 03:48 पी एम*

 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
काल    06:08 - 07:45    अशुभ
शुभ    07:45 - 09:21    शुभ
रोग    09:21 - 10:58    अशुभ
उद्वेग    10:58 - 12:34    अशुभ
चर    12:34 - 14:11    शुभ
लाभ    14:11 - 15:47    शुभ
अमृत    15:47 - 17:24    शुभ
काल    17:24 - 19:00    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
लाभ    19:00 - 20:24    शुभ
उद्वेग    20:24 - 21:47    अशुभ
शुभ    21:47 - 23:10    शुभ
अमृत    23:10 - 24:34*    शुभ
चर    24:34* - 25:57*    शुभ
रोग    25:57* - 27:21*    अशुभ
काल    27:21* - 28:44*    अशुभ
लाभ    28:44* - 30:07*    शुभ
kundli


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🚩🚩🙏🙏
   बृहस्पति - गुरुवार- व्रत कथा, पूजा और उद्यापन विधि
बृहस्पतिवार के दिन श्री हरी विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है इस दिन श्रद्धापूर्वक श्री हरी का व्रत और पूजन करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जल्द शादी करने की इच्छा रखे वालो के लिए भी ये व्रत बहतु लाभदायक होता है। अग्निपुराणानुसार अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से प्रारंभ करके सात गुरुवार तक नियमित रूप से व्रत करने से बृहस्पति ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा घर में सुख शांति और श्री विष्णु भगवान् का आशीर्वाद भी मिलता है। लेकिन केवल पूजन करने और व्रत रखने से सम्पूर्ण फल नहीं मिलते। पूर्ण फल के लिये बृहस्पति देव की विधि और भाव से पूजा
करना भी आवश्यक है। व्रती की सुविधा के लिये हम श्री बृहस्पति देव की पूजा और उद्यापन विधि क्रम से बता रहे है आशा है आप इससे लाभान्वित होंगे।
बृहस्पतिवार व्रत उद्यापन विधि एवं नियम

गुरुवार के दिन भगवान विष्णु जी एवं बृहस्पति देव दोनों की पूजा होती है जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है, कुवारी लडकियां इस व्रत को इसलिए करती हैं जिससे की उनके विवाह में आने वाली रुकावटें दूर हो जाएगी। ऐसा कहा जाता है की अगर आप 1 वर्ष में गुरुवार का व्रत करते हैं तो आपके घर में कभी भी पैसे रुपयों की कमी नही होती और आपका पर्स कभी खली नही होता। आपको एक वर्ष में 16 गुरुवार व्रत करने चाहिए। 16 गुरुवार व्रत करने से आपको मनोवांछित फल मिलते हैं और व्रत पूरे करके 17वें गुरुवार को उद्द्यापन करना चाहिए।
गुरुवार व्रत को शुरू करने का शुभ समय

पूष या पौष के महीने को छोड़कर जो कि दिसम्बर या जनवरी में आता है को छोड़कर आप इस व्रत को किसी भी माह के शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से शुरू कर सकते हैं। शुक्ल पक्ष बहुत ही शुभ समय होता है किसी भी नए कार्य को शुरू करने का। अग्नि पुराण के अनुसार गुरुवार का व्रत अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से आरंभ करके लगातार सात या 16 गुरुवार करना चाहिए।
व्रत करने की विधि
आगे क्रमशः अगले भाग में......
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*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 18 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  शुक्रवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    पंचमी    17:06:42pm तत्पश्चात षष्ठी*
*🎈नक्षत्र -            ज्येष्ठा     08:19:57 am रात्रि तत्पश्चात     मूल*
*🎈योग - परिघ    25:02:08 am तक, तत्पश्चात     शिव*
*🎈करण-        तैतुल    17:06:42am तत्पश्चात         वणिज *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-10:58: am
से  12:35 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:09:12*
*🎈सूर्यास्त - 06:59:53*
चन्द्र राशि-    वृश्चिक    till 08:19:57*
*🎈चन्द्र राशि-       धनु    from 08:19:57*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:39 ए एम से 05:23 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:12 पी एम से 01:56  एम*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:12 ए एम, अप्रैल 19 से 12:56 ए एम, अप्रैल 19 तक*
*⛅यमगण्ड    - 03:48 ए एम से 05:24 ए एम*

 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
चर    06:09 - 07:46    शुभ
लाभ    07:46 - 09:22    शुभ
अमृत    09:22 - 10:58    शुभ
काल    10:58 - 12:35    अशुभ
शुभ    12:35 - 14:11    शुभ
रोग    14:11 - 15:47    अशुभ
उद्वेग    15:47 - 17:24    अशुभ
चर    17:24 - 18:59    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
रोग    18:59 - 20:23    अशुभ
काल    20:23 - 21:47    अशुभ
लाभ    21:47 - 23:11    शुभ
उद्वेग    23:11 - 24:34*    अशुभ
शुभ    24:34* - 25:58*    शुभ
अमृत    25:58* - 27:21*    शुभ
चर    27:21* - 28:45*    शुभ
रोग    28:45* - 30:08*    अशुभ
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🚩🚩🙏🙏
      !! जय श्री महाकाल !!

 27 नक्षत्रों में से 22वां नक्षत्र श्रवण नक्षत्र  है  !श्रवण या सुनने की क्षमता के लिए जाना जाता है जो ग्रहणशीलता, बुद्धिमत्ता और सीखने की योग्यता को दर्शाता है। चंद्रमा से संबंधित यह नक्षत्र भगवान विष्णु द्वारा शासित है जिसका प्रतीक तीन पदचिन्ह हैं जो आध्यात्मिक विकास या "कान" का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस नक्षत्र के अंतर्गत जन्मे लोग रचनात्मकता, बुद्धि और अंतर्ज्ञान जैसे गुणों से संपन्न होते हैं।

मकर राशि वाले, श्रवण जन्म नक्षत्र का निर्धारण व्यक्ति की जन्मतिथि से किया जा सकता है।

दया, क्षमा और करुणा के गुणों से युक्त, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु इस नक्षत्र के स्वामी हैं। कुंडली में श्रवण नक्षत्र, करियर और पेशे वाले दसवें भाव से संबंध रखता है।

आमतौर पर परिश्रमी, कर्मठ और मल्टीटास्किंग करने वाले इस नक्षत्र में जन्मे लोग, अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में सफल होते हैं क्योंकि यह प्रभावशाली नक्षत्र इनके लिए सौभाग्य और धन-संपदा लेकर आता है।

पहला  चरण
 सीखने, ज्ञान और रचनात्मकता से संबंधित यह चरण, समझ और ज्ञान की शक्ति प्रदान करता है जिससे इस चरण में जन्मे लोगों में बौद्धिकता, आध्यात्मिक और न्याय की प्रबलता होती है।

दूसरा चरण
 महत्वाकांक्षा, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व से संबंधित यह चरण, लोगों को महत्वाकांक्षी और प्रेरित बनाता है जो उन्हें, परिस्थितियों का सामना करने के साथ ही, दूसरों का नेतृत्व करने की क्षमता प्रदान करता हैं।

तीसरा चरण
अशांति, चिंता और परिवर्तन से संबंधित यह चरण, अपने साथ परिवर्तन और नवीनीकरण की शक्ति लाता है जो इस चरण वाले अशांत और अनमने लोगों को, लगातार नई चुनौतियों और अवसरों की तलाश में प्रवृत्त करता है।

चौथा चरण
 प्रचुरता, समृद्धि और सौभाग्य से संबंधित यह चरण, विपुलता और सौभाग्य लाता है जो इस चरण वाले भाग्यशाली लोगों को, भौतिक संपत्ति के साथ-साथ सफलता और समृद्धि के प्रति आकर्षित करता है।

  !! जय श्री महाकाल !!
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
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*🎈दिनांक - 17 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  गुरुवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    चतुर्थी    03:22:43pm तत्पश्चात पंचमी*
*🎈नक्षत्र -            ज्येष्ठा    32:19:57am रात्रि तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*🎈योग - वरियान    24:49:00 am तक, तत्पश्चात     परिध*
*🎈करण-         बालव    15:22:42am तत्पश्चात         तैतुल*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-02:11: am
से  03:47 pm तक*
goukul


*🎈सूर्योदय -     06:10:10*
*🎈सूर्यास्त - 06:59:21*
*🎈चन्द्र राशि    -   वृश्चिक*
*🎈सूर्य राशि    -   मेष*

*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:40 ए एम से 05:24 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:09 पी एम से 01:00 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:12 ए एम, अप्रैल 17 से 12:57 ए एम, अप्रैल 17 तक*
*⛅यमगण्ड    - 06:09 ए एम से 07:45 ए एम*

 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
शुभ    06:10 - 07:46    शुभ
रोग    07:46 - 09:22    अशुभ
उद्वेग    09:22 - 10:59    अशुभ
चर    10:59 - 12:35    शुभ
लाभ    12:35 - 14:11    शुभ
अमृत    14:11 - 15:47    शुभ
काल    15:47 - 17:23    अशुभ
शुभ    17:23 - 18:59    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
अमृत    18:59 - 20:23    शुभ
चर    20:23 - 21:47    शुभ
रोग    21:47 - 23:11    अशुभ
काल    23:11 - 24:34*    अशुभ
लाभ    24:34* - 25:58*    शुभ
उद्वेग    25:58* - 27:22*    अशुभ
शुभ    27:22* - 28:45*    शुभ
अमृत    28:45* - 30:09*    शुभ
kundli


🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे ।
🚩🚩🙏🙏
1-भगवान शिव कहते है:-

''अंतरिक को अपना ही आनंद-शरीर मानो''।

2-यह दूसरी विधि पहली वि
1-भगवान शिव कहते है:-

''अंतरिक को अपना ही आनंद-शरीर मानो''।

2-यह दूसरी विधि पहली विधि से ही संबंधित है। आकाश को अपना ही आनंद-शरीर समझो। एक पहाड़ी पर बैठकर, जब तुम्‍हारे चारों और अनंत आकाश हो, तुम इसे कर सकते हो। अनुभव करो कि समस्‍त आकाश तुम्‍हारे आनंद-शरीर से भर गया है।सात शरीर होते है।आनंद-शरीर तुम्‍हारी आत्‍मा के चारों और है। इसलिए तो जैसे-जैसे तुम भीतर जाते हो तुम आनंदित अनुभव करते हो। क्‍योंकि तुम आनंद-शरीर के निकट पहुंच रहे हो। आनंद की पर्त पर पहुंच रहे हो।आनंद-शरीर तुम्‍हारी आत्‍मा के चारों ओर है। भीतर से बाहर की तरफ जाते हुए यह पहला और बाहर से भीतर की और जाते हुए यह अंतिम शरीर है। तुम्‍हारी मूल सत्‍ता, तुम्‍हारी आत्‍मा के चारों  ओर आनंद की एक पर्त है, इसे आनंद शरीर कहते है।पर्वत शिखर पर बैठे हुए अनंत आकाश को देखो। अनुभव करो कि सारा आकाश, सारा अंतरिक तुम्‍हारे आनंद-शरीर से भर रहा है। अनुभव करो कि तुम्‍हारा शरीर आनंद से भर गया है ... फैल गया है और पूरा आकाश उसमे समा गया है।

 3-लेकिन तुम यह महसूस या कल्‍पना नहीं कर सकते  क्योकि तुम्‍हें तो पता ही नहीं है कि आनंद क्‍या है ।तो यह बेहतर होगा कि तुम पहले यह अनुभव करो कि पूरा आकाश मौन से भर गया है।लेकिन आकाश को मौन से भरा हुआ अनुभव करो ....आनंद से नहीं। और प्रकृति इसमें सहयोग देगी क्‍योंकि प्रकृति में ध्‍वनियां भी मौन ही होती है। शहरों में तो मौन भी शोर से भरा होता है। प्राकृतिक ध्‍वनियां मौन होती है। क्‍योंकि वे विध्‍न नहीं डालती, वे लयबद्ध होती है। तो ऐसा मत सोचो कि मौन अनिवार्य रूप से ध्‍वनि का अभाव है। एक संगीतमय ध्‍वनि भी मौन हो सकती है। क्‍योंकि वह इतनी लयबद्ध है कि वह तुम्‍हें विचलित नहीं करती बल्‍कि वह तुम्‍हारे मौन को गहराती है।तो जब तुम प्रकृति में जाते हो तो बहती हुई हवा के झोंके, झरने, नदी या और भी जो ध्‍वनियां है वे लयबद्ध होती है।वे एक पूर्ण का निर्माण करती है ... बाधा नहीं डालती है। उन्‍हें सुनने से तुम्‍हारा मौन और गहरा हो सकता है। तो पहले महसूस करो कि सारा आकाश मौन से भर गया है। गहरे से गहरे अनुभव करो कि आकाश और शांत होता जा रहा है कि आकाश ने मौन बनकर तुम्‍हें घेर लिया है।और जब तुम्‍हें लगे कि आकाश मौन से भर गया है। केवल तभी आनंद से भरने का प्रयास करना चाहिए।

 4-जैसे-जैसे मौन गहराएगा, तुम्‍हें आनंद की पहल झलक मिलेगी। जैसे जब तनाव बढ़ता है तो तुम्‍हें दुःख की पहली झलक मिलती है। ऐसे ही जब मौन गहराएगा तो तुम अधिक शांत, विश्रांत और आनंदित अनुभव करोगे। और जब वह झलक मिलती है तो तुम कल्‍पना कर सकते हो कि अब पूरा आकाश आनंद से भरा हुआ है।सारा आकाश तुम्‍हारा आनंद-शरीर बन जाता है।‘अंतरिक्ष को अपना ही आनंद-शरीर मानो।’तुम इसे अलग से भी कर सकते हो। इसे पहली विधि  से जोड़ने की जरूरत नहीं है। लेकिन परिस्‍थिति वही जरूरी है—अनंत विस्‍तार, मौन, आस-पास किसी मनुष्‍य का न होना।आस-पास किसी मनुष्‍य के न होने पर इतना जोर है क्‍योंकि जैसे ही तुम किसी मनुष्‍य को देखोगें ..तुम पुराने ढंग से प्रतिक्रिया करने लगोगे। तुम बिना प्रतिक्रिया किए ,किसी मनुष्‍य को नहीं देख सकते। तत्‍क्षण तुम्‍हें कुछ न कुछ होने लगेगा। यह तुम्‍हें तुम्‍हारे पुराने ढर्रे पर लौटा लाएगा।यदि तुम्‍हें आस-पास कोई मनुष्‍य नजर न आए तो तुम भूल जाते हो कि तुम मनुष्‍य हो। और यह भूल जाना अच्‍छा ही है कि तुम मनुष्‍य हो.. समाज के अंग हो। और केवल इतना स्‍मरण रखना अच्‍छा है कि तुम बस हो। चाहे यह न भी पता हो कि तुम क्‍या हो।

5-तुम किसी व्‍यक्‍ति से, किसी समाज से, किसी दल से, किसी धर्म से जुड़े हुए नहीं हो। यह न जुड़ना सहयोगी होगा।तो यह अच्‍छा होगा कि तुम अकेले कहीं चले जाओ। और इस विधि को करो। अकेले इस विधि को करना सहयोगी होगा। लेकिन किसी ऐसी चीज से शुरू करो जो तुम अनुभव कर सकते हो। यदि तुम अनुभव  न कर सको, या  एक झलक का भी अनुभव न हो, तो सारी बात ही झूठ हो जाती है।ऐसी विधि मत करो; जिनका अनुभव ही नहीं कर सकते।उदाहरण के लिए,एक साधक  ने कहा  , ‘मैं इस बात की साधना कर रहा हूं कि परमात्‍मा सर्वव्‍यापी है।’तो उनसे पूछा गया, ‘साधना कर कैसे सकते हो? तुम कल्‍पना क्‍या करते हो? क्‍या तुम्‍हें परमात्‍मा का कोई स्‍वाद, कोई अनुभव है। क्‍योंकि केवल तभी उसकी कल्‍पना कर पाना संभव होगा। वरना तो तुम बस सोचते रहोगे कि कल्‍पना कर रहे हो और कुछ भी नहीं होगा।’तो तुम कोई भी विधि करो, इस बात को स्‍मरण रखो कि पहले तुम्‍हें उसी से शुरू करना चाहिए जिससे तुम परिचित हो; हो सकता है कि तुम्‍हारा उससे पूरा परिचय न हो। परंतु थोड़ी सी झलक जरूर होगी। केवल तभी तुम एक-एक कदम बढ़ सकते हो। लेकिन बिलकुल अनजानी चीज पर मत कूद पड़ो। क्‍योंकि तब न तो तुम उसको अनुभव कर पाओगे, न उसकी कल्‍पना कर पाओगे।

 6- इसलिए बहुत से गुरूओं ने, विशेषकर गौतम बुद्ध ने , परमात्‍मा शब्‍द को ही छोड़ दिया। बुद्ध ने कहा, ‘उसके साथ तुम साधना शुरू नहीं कर सकते। वह तो परिणाम है और परिणाम को तुम शुरू में नहीं ला सकते। तो आरंभ से ही शुरू करो, उन्‍होंने कहा, ‘परिणाम को भूल जाओ, परिणाम स्‍वयं ही आ जाएगा।’ और अपने शिष्‍यों को उन्‍होंने कहा, ‘परमात्‍मा के बारे में मत सोचो, करूणा के बारे में ,प्रेम के बारे में सोचो।’तो वे यह नहीं कहते कि तुम परमात्‍मा को हर जगह देखने की कोशिश करो, ‘तुम तो बस सबके प्रति करूणा से भर जाओ ...वृक्षों के प्रति, मनुष्‍य के प्रति, पशुओं के प्रति। बस करूणा को अनुभव करो। सहानुभूति से भर जाओ। प्रेम को जन्‍म दो। क्‍योंकि चाहे थोड़ा सा सही, फिर भी प्रेम को तुम जानते हो। हर किसी के जीवन में प्रेम जैसा कुछ होता है। भले ही,तुमने किसी से प्रेम न किया हो पर तुम से तो किसी ने प्रेम किया ही होगा। कम से कम तुम्‍हारी मां ने तो किया ही होगा। उसकी आंखों में तुमने पाया होगा कि वह तुम्‍हें प्रेम करती है। ‘अस्‍तित्‍व के प्रति मातृत्‍व से भर जाओ और गहन करूणा अनुभव करो। अनुभव करो कि पूरा जगत करूणा से भर गया है। फिर सब कुछ अपने आप हो
जाएगा।’तो इसे आधारभूत नियम की भांति स्‍मरण रखो: ‘सदा ऐसी ही चीज से शुरू करो जिसे तुम महसूस कर सकते हो। क्‍योंकि उसके माध्‍यम से ही अज्ञात प्रवेश कर सकता है।’

 

....SHIVOHAM......

◾◾
🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
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*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 16 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  बुधवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    तृतीया    01:16:27 तत्पश्चात चतुर्थी*
*🎈नक्षत्र -            अनुराधा    29:54:03 am रात्रि तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*🎈योग - व्यतिपत    24:17:02 तक, तत्पश्चात     वरियान*
*🎈करण-         विष्टि भद्र    13:16:27 तत्पश्चात         बालव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-12:35: am
से  02:11 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:11:10*
*🎈सूर्यास्त - 06:58:50*
*🎈चन्द्र राशि    -   वृश्चिक
*🎈सूर्य राशि    -   मेष

*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:41 ए एम से 05:25 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:12 ए एम, अप्रैल 17 से 12:57 ए एम, अप्रैल 17 तक*
*⛅यमगण्ड    - 07:46 ए एम से 09:22 ए एम*

 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
लाभ    06:11 - 07:47    शुभ
अमृत    07:47 - 09:23    शुभ
काल    09:23 - 10:59    अशुभ
शुभ    10:59 - 12:35    शुभ
रोग    12:35 - 14:11    अशुभ
उद्वेग    14:11 - 15:47    अशुभ
चर    15:47 - 17:23    शुभ
लाभ    17:23 - 18:59    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
उद्वेग    18:59 - 20:23    अशुभ
शुभ    20:23 - 21:47    शुभ
अमृत    21:47 - 23:11    शुभ
चर    23:11 - 24:35*    शुभ
रोग    24:35* - 25:58*    अशुभ
काल    25:58* - 27:22*    अशुभ
लाभ    27:22* - 28:46*    शुभ
उद्वेग    28:46* - 30:10*    अशुभ
kundli


🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे ।
🚩🚩🙏🙏
शेष भाग आगे.......
।।स्वस्तिवाचन और शान्तिकरण।।
◾◾ पृषदश्वा मरुतः पृश्निमातरः शुभंयावानो विदथेषु जग्मयः ।
अग्निजिह्वा मनवः सूरचक्षसो विश्वे नो देवा अवसा गमन्निह ।।७
भावार्थ:- चितकबरे वर्ण के घोड़ों वाले, अदिति माता से उत्पन्न, सबका कल्याण करने वाले, यज्ञआलाओं में जाने वाले, अग्निरुपी जिह्वा वाले, सर्वज्ञ, सूर्यरुप नेत्र वाले मरुद्-गण और विश्वेदेव देवता हविरुप अन्न को ग्रहण करने के लिये हमारे इस यज्ञ में आयें ।।७

भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः । स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ।।८
भावार्थ:- हे यजमान के रक्षक देवताओं ! हम दृढ़ अंगों वाले शरीर से पुत्र आदि के साथ मिलकर आपकी स्तुति करते हुए कानों से कल्याण की बातें सुनें, नेत्रों से कल्याणमयी वस्तुओं को देखें, देवताओं की उपासना-योग्य आयु को प्राप्त करें ।।८

शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्चक्रा जरसं तनूनाम ।
पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः ।।९
भावार्थ:- हे देवताओं ! आप सौ वर्ष की आयु-पर्यन्त हमारे समीप रहें, जिस आयु में हमारे शरीर को जरावस्था प्राप्त हो, जिस आयु में हमारे पुत्र पिता अर्थात् पुत्रवान् बन जाएँ, हमारी उस गमनशील आयु को आपलोग बीच में खण्डित न होने दें ।।९

अदितिर्द्यौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः ।
विश्वे देवा अदितिः पञ्च जना अदितिर्जातमदितिर्जनित्वम ।।१० (ऋक॰१।८९।१-१०)
भावार्थ:- अखण्डित पराशक्ति स्वर्ग है, वही अन्तरिक्ष-रुप है, वही पराशक्ति माता, पिता और पुत्र भी है । समस्त देवता पराशक्ति के ही स्वरुप हैं, अन्त्यज सहित चारों वर्णों के सभी मनुष्य पराशक्तिमय हैं, जो उत्पन्न हो चुका है और जो उत्पन्न होगा, सब पराशक्ति के ही स्वरुप हैं ।।१०

द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिरेव देवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ।।११
भावार्थ:- द्युलोकरुप शान्ति, अन्तरिक्षरुप शान्ति, भूलोकरुप शान्ति, जलरुप शान्ति, औषधिरुप शान्ति, वनस्पतिरुप शान्ति, सर्वदेवरुप शान्ति, ब्रह्मरुप शान्ति, सर्व-जगत्-रुप शान्ति और संसार में स्वभावतः जो शान्ति रहती है, वह शान्ति मुझे परमात्मा की कृपा से प्राप्त हो ।।११
क्रमशः आगे भाग 3.........
◾◾
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
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*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 15 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  मंगलवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    द्वितीया    10:54:55 तत्पश्चात तृतीया*
*🎈नक्षत्र -            विशाखा    27:09:25 pm रात्रि तत्पश्चात  अनुराधा*
*🎈योग - सिद्वि    23:31:27 तक, तत्पश्चात     व्यतिपत*
*🎈करण-         गर     10:54:55 तत्पश्चात         विष्टि भद्र    *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-03:47: am
से  05:23 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:12:09*
*🎈सूर्यास्त - 06:08:18*
*🎈चन्द्र राशि-     तुला    till 20:26:07
*🎈चन्द्र राशि    -   वृश्चिक    from 20:26:07*
*🎈सूर्य राशि -     मेष*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:41 ए एम से 05:25 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:12 ए एम, अप्रैल 17 से 12:57 ए एम, अप्रैल 17 तक*
*⛅यमगण्ड    - 07:46 ए एम से 09:22 ए एम*

 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
रोग    06:12 - 07:48    अशुभ
उद्वेग    07:48 - 09:24    अशुभ
चर    09:24 - 10:59    शुभ
लाभ    10:59 - 12:35    शुभ
अमृत    12:35 - 14:11    शुभ
काल    14:11 - 15:47    अशुभ
शुभ    15:47 - 17:23    शुभ
रोग    17:23 - 18:58    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
काल    18:58 - 20:22    अशुभ
लाभ    20:22 - 21:47    शुभ
उद्वेग    21:47 - 23:11    अशुभ
शुभ    23:11 - 24:35*    शुभ
अमृत    24:35* - 25:59*    शुभ
चर    25:59* - 27:23*    शुभ
रोग    27:23* - 28:47*    अशुभ
काल    28:47* - 30:11*    अशुभ
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🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे ।
🚩🚩🙏🙏
◾◾ 90% व्यक्तियों का चंद्रमा खराब होता है- इसलिए इन उपायों को ध्यान से पढ़िए - अधिक से अधिक कीजिए - कामयाब उपाय( उपाय करके अपनी कुंडली अनुसार धनवान व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है)

◾मुख्य ग्रह चंद्र
 ◾मुख्य ग्रह चंद्र को अनुकूल करने के लिए निम्नलिखित उपाय करें!
  प्रतिदिन माता का आशीर्वाद लेना!
 शिव की भक्ति! सोमवार का व्रत!
 दान :सोमवार को सफेद वस्तु जैसे दही, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र,1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना!
 शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, ,बैल, दही !
 मोती धारण करे !
 'ॐ सोम सोमाय नमः' का 108 बार जाप करना !
 बुजुर्गो का आशीर्वाद लें ,माता की सेवा करे,  घर के बुजुगों ,साधु और ब्राह्मणों का  आशीर्वाद लेना !
 रात में सिराहने के नीचे पानी रखकर सुबह उसे पौधों में डालना !  
 उत्तरी पश्चिमी कोना चंद्रमा का होता है, यहां पौधे लगाए जाएं !
 जल से होने वाले पेट संबंधित रोग का होना .  
 मातृप्रेम में कमी का होना!  
 खिरनी की जड़ को सफेद कपड़े में बांधकर पूर्णमाशी को सायंकाल गले में धारण करना !
 देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए!  
 चन्द्रमा की रोशनी  मैं सोना चाहिए!
 घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए!
 वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर रखे!◾ कामयाब उपाय
 पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए!
 सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगावे!
 खिरनी की जड़ को सफेद डोरे में बांधकर पहनने से लाभ होता है!  
 हवन में पलाश की लकड़ी का समिधा की तरह उपयोग करना चाहिए!
 ’ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’’ का पाठ करे !
 माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट नही देना चाहिए!
 ऊँ सों सोमाय नमः मंत्र का जप करें!
 ऊँ नमः शिवाय का जप करें!  
 चांदी का कड़ा या छल्ला पहनना चाहिए!   
 चंदन का तिलक लगाना चाहिए! ◾ कामयाब उपाय
 शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए !
 पलंग के नीचे चांदी के बर्तन में जल रखें या चांदी के आभूषण धारण करना चाहिए !  
 गन्ना, सफेद गुड़, शक्कर, दूध या दूध से बने पदार्थ या सफेद रंग की मिठाई का सेवन करना चाहिए !
 चमेली तथा रातरानी का परफ्यूम या इत्र का उपयोग करता चाहिए !
 क्क श्रां: श्रीं: श्रौं: सः चंद्रमसे नमः का जप करें!
 चांदी के गिलास में जल पिएं!
 शिव जी की उपासना करें!

◾◾


🕉️🕉️🕉️🕉️
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞
vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*
🎈दिनांक - 14 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  सोमवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    प्रतिपदा    : प्रातः 08:24 तत्पश्चात द्वितीया *
*🎈नक्षत्र -            स्वाति    24:12:39* pm रात्रि तत्पश्चात  विशाखा*
*🎈योग - वज्र    22:37:03 तक, तत्पश्चात     सिद्वि*
*🎈करण-         कौलव    08:24:31 तत्पश्चात         गर*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-07:49: am
से  09:34 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:15:12*
*🎈सूर्यास्त - 06:56:44
*🎈चन्द्र राशि-     तुला*
*🎈सूर्य राशि -     मेष*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:42 ए एम से 05:27 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:10 पी एम से 01:01 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:13 ए एम, अप्रैल 15 से 12:57 ए एम, अप्रैल 15 तक*
*⛅यमगण्ड    - 11:00 ए एम से 12:35 पी एम*

 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
अमृत    06:13 - 07:49    शुभ
काल    07:49 - 09:24    अशुभ
शुभ    09:24 - 10:59    शुभ
रोग    10:59 - 12:35    अशुभ
उद्वेग    12:35 - 14:11    अशुभ
चर    14:11 - 15:47    शुभ
लाभ    15:47 - 17:22    शुभ
अमृत    17:22 - 18:58    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
चर    18:58 - 20:22    शुभ
रोग    20:22 - 21:46    अशुभ
काल    21:46 - 23:11    अशुभ
लाभ    23:11 - 24:35*    शुभ
उद्वेग    24:35* - 25:59*    अशुभ
शुभ    25:59* - 27:24*    शुभ
अमृत    27:24* - 28:48*    शुभ
चर    28:48* - 30:12*    शुभ
kundli


🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास, बैसाखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगा व परिंदे लगावे ।
🚩🚩🙏🙏

देवी देवताओं की सवारी क्यों होते हैं पशुपक्षी ,प्रमुख देवी देवता ओर उनके वाहन के रहस्य ?
हर देवी और देवता का एक वाहन होता है। खास बात ये है कि इनके वाहन के लिए पशु-पक्षियों को चुना गया है। क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या कहानी है क्यों देवी-देवता की सवारी के लिए पशु-पक्षियों को ही चुना गया।
अध्यात्मिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारणों से भारतीय मनीषियों ने देवताओं के वाहनों के रूप में पशु-पक्षियों को जोड़ा। माना जाता है कि देवताओं के साथ पशुओं को उनके व्यवहार के अनुरूप जोड़ा गया है।
अगर पशुओं को भगवान के साथ नहीं जोड़ा जाता तो शायद पशु के प्रति हिंसा का व्यवहार और ज्यादा होता। भारतीय मनीषियों ने प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों की रक्षा का एक संदेश दिया है। हर पशु किसी न किसी भगवान का प्रतिनिधि है, उनका वाहन है, इसलिए इनकी हिंसा नहीं करनी चाहिए।
ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए का वाहन हंस माना जाता है। हंस पवित्र, जिज्ञासु और समझदार पक्षी होता है। हंस अपने चुने हुए स्थानों पर ही रहता है। तीसरी इसकी खासियत हैं कि यह अन्य पक्षियों की अपेक्षा सबसे ऊंचाई पर उड़ान भरता है और लंबी दूरी तय करने में सक्षम होता है।
भगवान शिव का वाहन माना जाता है नंदी। विश्‍व की लगभग सभी प्राचीन सभ्यताओं में बैल को महत्व दिया गया है। सुमेरियन, बेबीलोनिया, असीरिया और सिंधु घाटी की खुदाई में भी बैल की मूर्ति पाई गई है। इससे प्राचीनकल से ही बैल को महत्व दिया जाता रहा है। भारत में बैल खेती के लिए हल में जोते जाने वाला एक महत्वपूर्ण पशु रहा है।
देवी-देवताओं ने अपनी सवारी बहुत सोच समझकर चुनी। उनके वाहन उनकी चारित्रिक विशेषताओं को भी बताते हैं। शिवपुत्र गणेशजी का वाहन है मूषक। मूषक शब्द संस्कृत के मूष से बना है जिसका अर्थ है लूटना या चुराना।
सांकेतिक रूप से मनुष्य का दिमाग मूषक, चुराने वाले यानी चूहे जैसा ही होता है। यह स्वार्थ भाव से गिरा होता है। गणेशजी का चूहे पर बैठना इस बात का संकेत है कि उन्होंने स्वार्थ पर विजय पाई है और जनकल्याण के भाव को अपने भीतर जागृत किया है।
प्रमुख देवी देवता ओर उनके वाहन?
विष्णु का वाहन गरूड़:- लुप्त हो रहा है गरूड़। माना जाता है कि गिद्धों (गरूड़) की एक ऐसी प्रजाति थी, जो बुद्धिमान मानी जाती थी और उसका काम संदेश को इधर से उधर ले जाना होता था, जैसे कि प्राचीनकाल से कबूतर भी यह कार्य करते आए हैं। भगवान विष्णु का वाहन है गरूड़।
प्रजापति कश्यप की पत्नी विनता के 2 पुत्र हुए- गरूड़ और अरुण। गरूड़जी विष्णु की शरण में चले गए और अरुणजी सूर्य के सारथी हुए। सम्पाती और जटायु इन्हीं अरुण के पुत्र थे।
राम के काल में सम्पाती और जटायु की बहुत ही चर्चा होती है। ये दोनों भी दंडकारण्य क्षेत्र में रहते थे, खासकर मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में इनकी जाति के पक्षियों की संख्या अधिक थी। छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में गिद्धराज जटायु का मंदिर है। स्थानीय मान्यता के मुताबिक दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे थे इसीलिए यहां एक मंदिर है।
दूसरी ओर मध्यप्रदेश के देवास जिले की तहसील बागली में ‘जटाशंकर’ नाम का एक स्थान है जिसके बारे में कहा जाता है कि गिद्धराज जटायु वहां तपस्या करते थे। जटायु पहला ऐसा पक्षी था, जो राम के लिए शहीद हो गया था। जटायु का जन्म कहां हुआ, यह पता नहीं, लेकिन उनकी मृत्यु दंडकारण्य में हुई।
मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू :- लुप्त हो रहा है उल्लू। पश्चिमी मान्यता अनुसार किस व्यक्ति को मूर्ख बनाना अर्थात उल्लू बनाना कहा जाता है। इसका यह मतलब की मूर्ख व्यक्ति को उल्लू समझा जाता है, लेकिन यह धारणा गलत है। उल्लू सबसे बुद्धिमान‍ निशाचारी प्राणी होता है। उल्लू को भूत और भविष्‍य का ज्ञान पहले से ही हो जाता है।
उल्लू को भारतीय संस्कृति में शुभता और धन संपत्ति का प्रतीक माना जाता है। हालांकि अधिकतर लोग इससे डरते हैं। इस डर के कारण ही इसे अशुभ भी माना जाता है। अधिकतर यह माना जाता है कि यह तांत्रिक विद्या के लिए कार्य करता है। उल्लू के बारे में देश-विदेश में कई तरह की विचित्र धारणाएं फैली हुई है।
अधिक संपन्न होने के चक्कर में लोग दुर्लभ प्रजाति के उल्लुओं के नाखून, पंख आदि को लेकर तांत्रिथक कार करने हैं। कुछ लोग तो इसकी दीपावली की रात को बलि भी चढ़ाते हैं जिसके कारण इस पक्षी पर संकट गहरा गया है। हालांकि ऐसे करने से रही सही लक्ष्मी भी चली जाती है और आदमी पहले से अधिक गहरे संकट में फंस जाता है।
रहस्यमी प्राणी उल्लू : जब पूरी ‍दुनिया सो रही होती है तब यह जागता है। यह रात्री में उड़ते समय पंख की आवाज नहीं निकालता है और इसकी आंखें कभी नहीं झपकती है। उल्लू का हू हू हू उच्चारण एक मंत्र है।
उल्लू में पांच प्रमुख गुण होते हैं : उल्लू की दृष्टि तेज होती है। दूसरा गुण उसकी नीरव’ उड़ान। तीसरा गुण शीतऋतु में भी उड़ने की क्षमता। चौथी उसकी योग्यता है उसकी विशिष्ट श्रवण-शक्ति। पांचवीं योग्यता अति धीमे उड़ने की भी योग्यता। उल्लू के ऐसे ऐसे गुण हैं जो अन्य किसी पक्षियों में नहीं है। उसकी इसकी योग्यता को देखकर अब वैज्ञानिक इसी तरह के विमान बनाने में लगे हैं।
उल्लू एक ऐसा पक्षी है जो किसानों के लिए अच्छा साबित हो सकता है। इसके होने के कारण खेत में चूहे, सांप, बिच्छी आदी नहीं आ सकते। इसके आलाव छोटे मोटे किड़े के लिए उल्लू एक दमनकारी पक्षी है। भारत में लगभग साठ जातियों या उपजातियों के उल्लू पाए जाते हैं।
उल्लू कैसे बना लक्ष्मी का वाहन :- प्राणी जगत की संरचाना करने के बाद एक रोज सभी देवी-देवता धरती पर विचरण के लिए आए। जब पशु-पक्षियों ने उन्हें पृथ्वी पर घुमते हुए देखा तो उन्हें अच्छा नहीं लगा और वह सभी एकत्रित होकर उनके पास गए और बोले आपके द्वारा उत्पन्न होने पर हम धन्य हुए हैं। हम आपको धरती पर जहां चाहेंगे वहां ले चलेंगे। कृपया आप हमें वाहन के रूप में चुनें और हमें कृतार्थ करें।
देवी-देवताओं ने उनकी बात मानकर उन्हें अपने वाहन के रूप में चुनना आरंभ कर दिया। जब लक्ष्मीजी की बारी आई तब वह असमंजस में पड़ गई किस पशु-पक्षी को अपना वाहन चुनें। इस बीच पशु-पक्षियों में भी होड़ लग गई की वह लक्ष्मीजी के वाहन बनें। इधर लक्ष्मीजी सोच विचार कर ही रही थी तब तक पशु पक्षियों में लड़ाई होने लगी गई।
इस पर लक्ष्मीजी ने उन्हें चुप कराया और कहा कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन मैं पृथ्वी पर विचरण करने आती हूं। उस दिन मैं आपमें से किसी एक को अपना वाहन बनाऊंगी। कार्तिक अमावस्या के रोज सभी पशु-पक्षी आंखें बिछाए लक्ष्मीजी की राह निहारने लगे। रात्रि के समय जैसे ही लक्ष्मीजी धरती पर पधारी उल्लू ने अंधेरे में अपनी तेज नजरों से उन्हें देखा और तीव्र गति से उनके समीप पंहुच गया और उनसे प्रार्थना करने लगा की आप मुझे अपना वाहन स्वीकारें।
लक्ष्मीजी ने चारों ओर देखा उन्हें कोई भी पशु या पक्षी वहां नजर नहीं आया। तो उन्होंने उल्लू को अपना वाहन स्वीकार कर लिया। तभी से उन्हें उलूक वाहिनी कहा जाता है।
मां सरस्वती का वाहन हंस :- हंस पवित्र, जिज्ञासु और समझदार पक्षी होता है। यह जीवनपर्यन्त एक हंसनी के ही साथ रहता है। परिवार में प्रेम और एकता का यह सबसे श्रेष्ठ उदाहरण है। इसके अलावा हंस अपने चुने हुए स्थानों पर ही रहता है। तीसरी इसकी खासियत हैं कि यह अन्य पक्षियों की अपेक्षा सबसे ऊंचाई पर उड़ान भरता है और लंबी दूरी तय करने में सक्षम होता है। जो ज्ञानी होते हैं वे हंस के समान ही होते हैं और जो बुद्धत्व प्राप्त कर लेते हैं उनको परमहंस कहा गया है।
ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए सबसे बेहतर वाहन हंस ही हो सकता था। मां सरस्वती का हंस पर विराजमान होना यह बताता है कि ज्ञान से ही जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है। ज्ञान से ही जीवन में पवित्रता, नैतिकता, प्रेम और सामाजिकता का विकास होता है। ज्ञान क्या है? जो-जो भी अज्ञान है उसे जान लेना ही ज्ञानी होने का प्रथम लक्षण है।
शिव का वाहन नंदी बैल :- शिव के एक गण का नाम है नंदी। प्राचीनकालीन किताब कामशास्त्र, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र और मोक्षशास्त्र में से कामशास्त्र के रचनाकार नंदी ही थे।
विश्‍व की लगभग सभी प्राचीन सभ्यताओं में बैल को महत्व दिया गया है। सुमेरियन, बेबीलोनिया, असीरिया और सिंधु घाटी की खुदाई में भी बैल की मूर्ति पाई गई है। इससे प्राचीनकल से ही बैल को महत्व दिया जाता रहा है। भारत में बैल खेती के लिए हल में जोते जाने वाला एक महत्वपूर्ण पशु रहा है।
जिस तरह गायों में कामधेनु श्रेष्ठ है उसी तरह बैलों में नंदी श्रेष्ठ है। आमतौर पर खामोश रहने वाले बैल का चरित्र उत्तम और समर्पण भाव वाला बताया गया है। इसके अलावा वह बल और शक्ति का भी प्रतीक है। बैल को मोह-माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला प्राणी भी माना जाता है। यह सीधा-साधा प्राणी जब क्रोधित होता है तो सिंह से भी भिड़ लेता है। यही सभी कारण रहे हैं जिसके कारण भगवान शिव ने बैल को अपना वाहन बनाया। शिवजी का चरित्र भी बैल समान ही माना गया है।
पौराणिक कथा अनुसार शिलाद ऋषि ने शिव की तपस्या के बाद नंदी को पुत्र रूप में पाया था। नंदी को उन्हों वेदादि ज्ञान सहित अन्य ज्ञान भी प्रदान किया। एक दिन शिलाद ऋषि के आश्रम में मित्र और वरुण नाम के दो दिव्य संत पधारे और नंदी ने पिता की आज्ञा से उनकी खुब सेवा की जब वे जाने लगे तो उन्होंने ऋषि को तो लंबी उम्र और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद दिया लेकिन नंदी को नहीं। तब शिलाद ऋषि ने उनसे पूछा कि उन्होंने नंदी को आशीर्वाद क्यों नहीं दिया ?
तब संतों ने कहा कि नंदी अल्पायु है। यह सुनकर शिलाद ऋषि चिंतित हो गए। पिता की चिंता को नंदी ने भांप कर पूछा क्या बात है तो पिता ने कहा कि तुम्हारी अल्पायु के बारे में संत कह गए हैं इसीलिए चिंतित हूं। यह सुनकर नंदी हंसने लगा और कहने लगा कि आपने मुझे भगवान शिव की कृपा से पाया है तो मेरी उम्र की रक्षा भी वहीं करेंगे आप क्यों नाहक चिंता करते हैं। इतना कहते ही नंदी भुवन नदी के किनारे शिव की तपस्या करने के लिए चले गए। कठोर तप के बाद शिवजी प्रकट हुए और कहा वरदान मांगों वत्स। तब नंदी के कहा कि मैं ताउम्र आपके सानिध्य में रहना चाहता हूं।
नंदी के समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने नंदी को पहले अपने गले लगाया और उन्हें बैल का चेहरा देकर उन्हें अपने वाहन, अपना दोस्त, अपने गणों में सर्वोत्तम के रूप में स्वीकार कर लिया।
मां पार्वती का वाहन बाघ :- माता पार्वती का वानह बाघ है तो मां दुर्गा का वहन शेर। मांता दुर्गा को शेरावाली कहा जाता है। बाघ तो माता पार्वती का वाहन है। बाघ अदम्य साहस, क्रूरता, आक्रामकता और शौर्यता का प्रतीक है।
🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞
vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 13 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  रविवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - वैशाख*
*🎈पक्ष- कृष्ण*
*🎈तिथि    -    प्रतिपदा    :अहोरात्र तत्पश्चात द्वितीया *
*🎈नक्षत्र -        चित्रा     21:09:53 pm रात्रि तत्पश्चात  स्वाति*
*🎈योग - हर्शण    21:38:14 तक, तत्पश्चात     वज्र*
*🎈करण-         बालव    19:07:53 तत्पश्चात     कौलव*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-09:26 am
से  11:01 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:15:12*
*🎈सूर्यास्त - 06:56:44
*🎈चन्द्र राशि-     कन्या    till 07:38:01
*🎈चन्द्र राशि-     तुला    from 07:38:01*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:43 ए एम से 05:28 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:10 पी एम से 01:01 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:13 ए एम, अप्रैल 14 से 12:58 ए एम, अप्रैल 14तक*
*⛅यमगण्ड    - 12:36 पी एम से 02:11 पी एम*
 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
उद्वेग    06:14 - 07:50    अशुभ
चर    07:50 - 09:25    शुभ
लाभ    09:25 - 11:00    शुभ
अमृत    11:00 - 12:36    शुभ
काल    12:36 - 14:11    अशुभ
शुभ    14:11 - 15:46    शुभ
रोग    15:46 - 17:22    अशुभ
उद्वेग    17:22 - 18:57    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
शुभ    18:57 - 20:22    शुभ
अमृत    20:22 - 21:46    शुभ
चर    21:46 - 23:11    शुभ
रोग    23:11 - 24:35*    अशुभ
काल    24:35* - 25:59*    अशुभ
लाभ    25:59* - 27:24*    शुभ
उद्वेग    27:24* - 28:49*    अशुभ
शुभ    28:49* - 30:13*    शुभ
kundli


🙏♥️*आप सभी देशवासियों को वैशाख मास की हार्दिक शुभकामनाएं, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए पक्षियों के लिए चुगे लगावे
🚩🚩🙏🙏

ॐ श्री गणेशाय नमः ।
60 संवत्सरों में 12-12 संवत्सर के पांच युग होते हैं ।
प्रत्येक युग के प्रथम संवत्सर में देवगुरु बृहस्पति प्रथम राशि मेष में उदय होते हैं ।
लेकिन गणना भेद के कारण प्रथम संवत्सर में देवगुरु बृहस्पति का उदय मकर राशि में माना जाता है ।
यानिकि तीन संवत्सरों का अंतर ।
49 वाँ संवत पांचवें युग का प्रथम संवत होता है ।
और वर्तमान में 54 वें क्रम का रौद्र नामक संवत है ।
तो बृहस्पति छठी राशि कन्या में होने चाहिए ।
यानिकि तीन संवत्सरों के अंतर के कारण बृहस्पति की राशि में भी तीन राशियों का अंतर अभी भी है ।
जिसको समय-समय पर अतिचार करके अथवा वक्री करके हम बराबर कर लेते हैं ।
विचारणीय :- ? ? ?
🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞
vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

jyotis

🎈दिनांक - 12 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  शनिवार*
*🎈संवत्सर    -

विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    पूर्णिमा    29:51:14 am तत्पश्चात प्रतिपदा *
*🎈नक्षत्र -                    हस्त    18:06:48 am रात्रि तत्पश्चात  चित्रा*
*🎈योग - व्याघात    20:39:11 तक, तत्पश्चात     हर्षण*
*🎈करण-         विष्टि भद्र    16:35:22 तत्पश्चात     बालव    *
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है-09:26 am
से  11:01 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:15:11*
*🎈सूर्यास्त - 06:56:45
*🎈चन्द्र राशि-      कन्या*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*

*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:44 ए एम से 05:29 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:11 पी एम से 01:01 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:13 ए एम, अप्रैल 13 से 12:58 ए एम, अप्रैल 13तक*
*⛅यमगण्ड    - 02:11 पी एम से 03:47 पी एम*
👉*⛅ आप सभी देशवासियों को हनुमान  जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
काल    06:15 - 07:50    अशुभ
शुभ    07:50 - 09:26    शुभ
रोग    09:26 - 11:01    अशुभ
उद्वेग    11:01 - 12:36    अशुभ
चर    12:36 - 14:11    शुभ
लाभ    14:11 - 15:46    शुभ
अमृत    15:46 - 17:22    शुभ
काल    17:22 - 18:57    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
लाभ    18:57 - 20:21    शुभ
उद्वेग    20:21 - 21:46    अशुभ
शुभ    21:46 - 23:11    शुभ
अमृत    23:11 - 24:35*    शुभ
चर    24:35* - 26:00*    शुभ
रोग    26:00* - 27:25*    अशुभ
काल    27:25* - 28:49*    अशुभ
लाभ    28:49* - 30:14*    शुभ
kundli



🙏♥️*आप सभी देशवासियों को महावीर हनुमान  जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 🚩🚩🙏🙏

चैत्र पूर्णिमा :: धन,दौलत,सुख,समृद्धि
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🌹चैत्र पूर्णिमा के उपाय 2025:
           🌹चाहिए धन-दौलत, अथाह संपत्ति तो चैत्र पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी के सामने जलाएं ऐसा दीपक🪔
    🌹 जानें सही विधि, समय, दिशा और मंत्र🌹

🪔🪔🪔       इस साल चैत्र पूर्णिमा 12 अप्रैल दिन शनिवार को है.
      चैत्र पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करने का विधान है.
🪔      इस दिन लक्ष्मी पूजा करने से आपके धन और संपत्ति में वृद्धि होती है.
      पंचांग के अनुसार चैत्र पूर्णिमा 12 अप्रैल को 3:21 am से लेकर 13 अप्रैल को 5:51 am तक है.
🪔       चैत्र पूर्णिमा को आप प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा करें और उनके लिए एक विशेष दीपक जलाएं.
🪔      इस दीपक को जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और आपके धन, संपत्ति में बढ़ोत्तरी कर देंगी.
🪔     इतना ही नहींं, आपकी कुंडली का शुक्र और चंद्रमा ग्रह भी सही हो जाएगा.
🪔चैत्र पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी के चरणों में कौन सा दीपक जलाएं?
🪔उसमें किस तेल का उपयोग करें?
🪔बत्ती कौन सी होनी चाहिए?

🪔माता लक्ष्मी के लिए जलाएं पीतल का दीपक🪔
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
🐦               चैत्र पूर्णिमा के प्रदोष काल में माता लक्ष्मी के लिए पीतल का दीपक जलाना चाहिए.
🐦   पीतल का संबंध देवी लक्ष्मी से जुड़ा है.
     माना जाता है कि पीतल का उपयोग करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
🐦     माता लक्ष्मी के लिए दीपक जलाने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है.
      यदि आप नियम पूर्वक या विधि विधान से दीपक नहीं जलाते हैं, तो उसका उद्देश्य फलीभूत नहीं होगा.

💐माता लक्ष्मी के लिए दीपक जलाने की सही विधि💐

1.  🪔   दीपक में कौन सा बत्ती लगाएं:🪔
🍂           माता लक्ष्मी के लिए आप रुई की बत्ती बनाएं. उसे पीतल के दीपक में अच्छे से रखें. बत्ती ऐसी हो, जो लंब से तक चल सके. वो ज्यादा बड़ी या बहुत छोटी न हो.
🍂       यदि रुई नहीं है तो लाल धागे या फिर रक्षासूत्र या कलावा की बत्ती बना सकते हैं.

2.  🪔 तेल या घी का दीपक:
🚩           यदि आपके पास गाय का शुद्ध घी है तो घी का ही दीपक जलाएं. इस समय में शुद्ध घी का मिलना मुश्किल होता है. अगर घी है तो उसे दीपक में डालकर 📍माता लक्ष्मी के दाहिने रखें.
🚩       यदि गाय का शुद्ध घी नहीं है तो आप सफेद तिल के तेल का उपयोग करें. सफेद तिल के तेल को दीपक में डालें और उसमें बत्ती रखकर दीपक जलाएं.
    तेल के दीपक को 📍माता लक्ष्मी के बाएं रखें.

3.  🪔  दीपक जलाने का सही समय:-
🚩        माता लक्ष्मी के लिए दीपक जलाने का सही समय प्रदोष काल है.
🚩       जब सूर्यास्त हो जाए और अंधेरा होने लगे, तब आप माता लक्ष्मी की पूजा करें और उनके लिए यह विशेष दीपक जलाएं.

 4.  🏹   सही दिशा का चयन:
🚩            वैसे तो लोग अपने घर में पूजा स्थान उत्तर या ईशान कोण में रखते हैं.
🚩        यदि आपके घर में पूजा स्थान इस जगह पर नहीं है तो आप अपने घर में उत्तर या ईशान कोण यानि की उत्तर पूर्व के कोण वाली दिशा में यह दीपक जलाएं.

5.  🪔दीपक जलाने के बाद करें यह पाठ:-
🚩         माता लक्ष्मी के लिए दीपक जलाने के बाद आप कंबल या फिर कुश के आसन पर बैठकर 🚩श्रीसूक्तम🚩 का पाठ करें.
🚩      श्रीसूक्त के 16 मंत्र पढ़ दें.
    🦩माता लक्ष्मी आप पर प्रसन्न होंगी. 🦩आपके यश और सफलता में बढ़ोत्तरी होगी. 🦩धन, 🦩दौलत, 🦩सुख, 🦩समृद्धि से आपका घर भरेगा.
 🌹    इस उपाय को आप हर शुक्रवार को भी कर सकते हैं.

  ❤️     सफेद तिल के तेल का महत्व❤️
🐦‍🔥             यदि आप सफेद तिल के तेल को अपने शरीर पर लगाते हैं तो आपकी कुंडली का चंद्र दोष और शुक्र दोष ठीक होगा. सफेद तिल का संबंध चंद्रमा, शुक्र और बुध से माना जाता है.
🍂        इन तीनों ग्रहों के सही होने से आपका बिजनेस, करियर सही होगा. आमदनी में वृद्धि होगी।
     🚩ऊँ श्रीमहालक्ष्मीनारायणाय नम:🚩

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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
jyotis


*🎈दिनांक - 11 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  शुक्रवार*
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    चतुर्दशी     03:21:00am तत्पश्चात पुर्णिमा **🎈नक्षत्र -                उत्तर फाल्गुनी    15:09:17am रात्रि तत्पश्चात  हस्त*
*🎈योग - ध्रुव    19:44:07 तक, तत्पश्चात     व्याघात*
*🎈करण-         गर    14:08:56 तत्पश्चात         विष्टि भद्र*
*🎈राहु काल_हर जगह, का अलग है- 11:01 am
से  12:36 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:16:13*
*🎈सूर्यास्त - 06:56:14
*🎈चन्द्र राशि    -  कन्या*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:45 ए एम से 05:31 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:11 पी एम से 01:02 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:13 ए एम, अप्रैल 11 से 12:59 ए एम, अप्रैल 11तक*
*⛅06:16 ए एम से 07:51 ए एम तक*
👉*⛅ आप सभी देशवासियों को हनुमान  जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
 
    *🛟चोघडिया, दिन🛟*
चर    06:16 - 07:51    शुभ
लाभ    07:51 - 09:26    शुभ
अमृत    09:26 - 11:01    शुभ
काल    11:01 - 12:36    अशुभ
शुभ    12:36 - 14:11    शुभ
रोग    14:11 - 15:46    अशुभ
उद्वेग    15:46 - 17:21    अशुभ
चर    17:21 - 18:56    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
रोग    18:56 - 20:21    अशुभ
काल    20:21 - 21:46    अशुभ
लाभ    21:46 - 23:11    शुभ
उद्वेग    23:11 - 24:36*    अशुभ
शुभ    24:36* - 26:01*    शुभ
अमृत    26:01* - 27:25*    शुभ
चर    27:25* - 28:50*    शुभ
रोग    28:50* - 30:15*    अशुभ
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🙏♥️*आप सभी देशवासियों को महावीर हनुमान  जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं 🚩🚩🙏🙏

पंचांग के अनुसार, इस साल 12 अप्रैल 2025, शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन हनुमानजी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। मंदिरों में हनुमान जी के जन्मोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है। भक्त पूरे विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी पावन दिन त्रैता युग में हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था।

हनुमान_जन्मोत्सव_शुभ_मुहूर्त:
चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 12 अप्रैल को प्रातः 03 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसतिथि का समापन 13 अप्रैल को प्रातः 05 बजकर 51 मिनट पर होगा। ऐसे में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व शनिवार, 12 अप्रैल को मनाया जाएगा

हनुमान जी पूजा-विधि:
सबसे पहले मंदिर में घी की ज्योत प्रज्वलित करें। इसके बाद हनुमान जी का गंगा जल से अभिषेक करें। अभिषेक करने के बाद एक साफ वस्त्र से हनुमान जी की प्रतिमा को पोछें। अब सिंदूर और घी या चमेली के तेल को मिला लें। इसके बाद हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। चोला चढ़ाने से पहले हनुमान जी को जनेऊ पहनाएं। सबसे पहले हनुमान जी के बाएं पांव में चोला चढ़ाएं। हनुमान जी को चोला चढ़ाने के बाद चांदी या सोने का वर्क भी चढ़ा दें। चोला चढ़ाने के बाद आप हनुमान जी को नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद हनुमान जी की आरती भी अवश्य करें। हनुमान चालीसा का एक से अधिक बार पाठ करें। हनुमान जी को भोग भी लगाएं।

हनुमान जी के मंत्र -
ॐ हं हनुमते नम:
ॐ नोम भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्
ओम नमो भगवते हनुमते नम:
ॐ हं पवननंदनाय स्वाहा
ॐ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा

हनुमान_जन्मोत्सव_पूजा_विधि:
पूजा शुरू करने से पहले घर को साफ करना और नहाना महत्वपूर्ण होता है। पूजा कक्ष को फूलों और अन्य सजावटों से सजाना चाहिए। हनुमान जयंती की पूजा के लिए आवश्यक पूजा सामग्री में भगवान हनुमान की एक तस्वीर या मूर्ति, फूल, धूप, कपूर, नारियल, मिठाई और फल शामिल होते हैं।

धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर पूजा शुरू करें। हनुमान चालीसा या कोई अन्य हनुमान मंत्र का जाप करते हुए भगवान हनुमान को फूलों से अर्पण करें।

भगवान हनुमान के पैर और हाथ धोने के लिए पानी का अर्पण करें। फिर मंत्रों के साथ पंचामृत (दूध, दही, शहद, चीनी और घी का मिश्रण) से उन्हें नहलाएं।

भगवान हनुमान को नए कपड़े पहनाएं और उनकी भोजनी में सिन्दूर (कुमकुम) लगाएं। तुलसी के पत्तों या गेंदे के फूलों से बनी हार को भी उन्हें अर्पण करें।

फल, मिठाई और अन्य प्रसाद को भगवान हनुमान को अर्पित करें मंत्रों के साथ। आप उन्हें पान के पत्ते और मगज भी अर्पित कर सकते हैं।

कपूर जलाकर आरती करें हनुमान चालीसा या किसी अन्य हनुमान मंत्र के साथ। प्रसाद को परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच बाँटें।

#हनुमान_जन्मोत्सव_का_महत्व:
हनुमान जन्मोत्सव का उत्सव भगवान हनुमान को समर्पित होता है, जो शक्ति, भक्ति और निष्ठा के प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि भगवान हनुमान ने हिंदू धर्म के महाकाव्य रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उन्होंने रावण के विरुद्ध लड़ाई में भगवान राम की मदद की थी। उन्हें भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार के रूप में भी माना जाता है। हनुमान जयंती के उत्सव से भक्त अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और भगवान हनुमान से आशीर्वाद मांगते हैं। मान्यता है कि भगवान हनुमान की पूजा करने से व्यक्ति अपनी राह में आने वाली बाधाओं को पार कर सकता है और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। इस त्योहार से भी लोगों में एकता और भाईचारे को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि भक्त समूह में एक साथ भगवान हनुमान जन्मोत्सव मनाते हैं।

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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
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*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞*🗓*

 

आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

पञ्चाङ्ग

jyotis


*🎈दिनांक - 10 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  गुरुवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    त्रयोदशी    12:59:59 pm  तत्पश्चात चतुर्दशी  *
*🎈नक्षत्र -            पूर्व फाल्गुनी    12:23:32 रात्रि तत्पश्चात     उत्तर फाल्गुनी*
*🎈योग -वृद्वि    18:57:31 शाम तक, तत्पश्चात     ध्रुव*
*🎈करण-         कौलव    11:54:59 pm तत्पश्चात     गर*
*🎈राहु काल_हर जगह का अलग है- 02:11 pm
से  03:46 pm तक*
*🎈सूर्योदय -     06:17:16*
*🎈सूर्यास्त - 06:55:43
*🎈चन्द्र राशि-       सिंह    till 19:03:31*
*🎈चन्द्र राशि    -   कन्या    from 19:03:31*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:45 ए एम से 05:31 तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:11 पी एम से 01:02 पी एम तक*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:13 ए एम, अप्रैल 11 से 12:59 ए एम, अप्रैल 11तक*
*⛅यमगण्ड काल     06:16 ए एम से 07:51 ए एम तक*

👉*⛅ विशेष- * यद्यपि युद्ध नहीं कियो, नाहीं रखे असि-तीर।
परम अहिंसक आचरण, तदपि बने महावीर।।

सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और संयम के कल्याणकारी मार्ग के प्रेरणास्रोत, भगवान महावीर स्वामी की जयंती पर समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।

स्वामी महावीर जी की शिक्षाएं हमें मानवता, सहिष्णुता और आत्मसंयम का मार्ग दिखाती रहें।

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
शुभ    06:17 - 07:52    शुभ
रोग    07:52 - 09:27    अशुभ
उद्वेग    09:27 - 11:02    अशुभ
चर    11:02 - 12:36    शुभ
लाभ    12:36 - 14:11    शुभ
अमृत    14:11 - 15:46    शुभ
काल    15:46 - 17:21    अशुभ
शुभ    17:21 - 18:56    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
अमृत    18:56 - 20:21    शुभ
चर    20:21 - 21:46    शुभ
रोग    21:46 - 23:11    अशुभ
काल    23:11 - 24:36*    अशुभ
लाभ    24:36* - 26:01*    शुभ
उद्वेग    26:01* - 27:26*    अशुभ
शुभ    27:26* - 28:51*    शुभ
अमृत    28:51* - 30:16*    शुभ
kundli



🙏♥️*जप के प्रकार और कौन से जप से क्या होता है..?

✴️जप के अनेक प्रकार हैं। उन सबको समझ लें तो एक जपयोग में ही सब साधन आ जाते हैं। परमार्थ साधन के कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग और राजयोग ये चार बड़े विभाग हैं। जपयोग में इन चारों का अंतर्भाव हो जाता है। जप के कुछ मुख्य प्रकार ये हैं- 1. नित्य जप, 2. नैमित्तिक जप, 3. काम्य जप, 4. निषिद्ध जप, 5. प्रायश्चित जप, 6. अचल जप, 7. चल जप, 8. वाचिक जप, 9. उपांशु जप, 10. भ्रमर जप, 11. मानस जप, 12. अखंड जप, 13. अजपा जप और 14. प्रदक्षिणा जप इत्यादि।

1. नित्य जप
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प्रात:-सायं गुरु मंत्र का जो नित्य-नियमित जप किया जाता है, वह नित्य जप है। यह जप जपयोगी को नित्य ही करना चाहिए। आपातकाल में, यात्रा में अथवा बीमारी की अवस्‍था में, जब स्नान भी नहीं कर सकते, तब भी हाथ, पैर और मुंह धोकर कम से कम कुछ जप तो अवश्य कर ही लेना चाहिए, जैसे झाड़ना, बुहारना, बर्तन मलना और कपड़े धोना रोज का ही काम है, वैसे ही नित्य कर्म भी नित्य ही होना चाहिए। उससे नित्य दोष दूर होते हैं, जप का अभ्यास बढ़ता है, आनंद बढ़ता जाता है और चित्त शुद्ध होता जाता है और धर्म विचार स्फुरने लगते हैं। और जप संख्या ज्यों-ज्यों बढ़ती है, त्यों-त्यों ईश्वरी कृपा अनुभूत होने लगती और अपनी निष्ठा दृढ़ होती जाती है।

2. नैमित्तिक जप
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किसी निमित्त से जो जप होता है, वह नैमित्तिक जप है। देव-पितरों के संबंध में कोई हो, तब यह जप किया जाता है। सप्ताह में अपने इष्ट का एक न एक बार होता ही है। उस दिन तथा एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या आदि पर्व दिनों में और महाएकादशी, महाशिवरात्रि, श्री रामनवमी, श्री कृष्णाष्टमी, श्री दुर्गानवरात्र, श्री गणेश चतुर्थी, श्री रथ सप्तमी आदि शुभ दिनों में तथा ग्रहणादि पर्वों पर एकांत स्थान में बैठकर अधिक अतिरिक्त जप करना चाहिए। इससे पुण्य-संग्रह बढ़ता है और पाप का नाश होकर सत्यगुण की वृद्धि होती है और ज्ञान सुलभ होता है। यह जप रात में एकांत में करने से दृष्टांत भी होते हैं। 'न देवतोषणं व्यर्थम'- देव को प्रसन्न करना कभी व्यर्थ नहीं होता, यही मंत्रशास्त्र का कहना है।
 
इष्टकाल में इसकी सफलता आप ही होती है। पितरों के लिए किया हुआ जप उनके सुख और सद्गति का कारण होता है और उनसे आशीर्वाद मिलते हैं। हमारा उनकी कोख से जन्म लेना भी इस प्रकार चरितार्थ हो जाता है। जिसको उद्देश्य करके संकल्पपूर्वक जो जप किया जाता है, वह उसी को प्राप्त होता है, यह मंत्रशास्त्र का सिद्धांत है। इस प्रकार पुण्य जोड़कर वह पितरों को पहुंचाया जा सकता है। इससे उनके ऋण से मुक्ति मिल सकती है। इसलिए कव्य कर्म के प्रसंग में और पितृपक्ष में भी यह जप अवश्य करना चाहिए। गुरु मंत्र से हव्यकर्म भी होता है।

3. काम्य जप
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किसी कामना की सिद्धि के लिए जो जप किया जाता है, उसे काम्य जप कहते हैं। यह काम्य कर्म जैसा है, मोक्ष चाहने वाले के काम का नहीं है। आर्त, अर्थार्थी, कामकामी लोगों के लिए उपयोगी है। इसके साधन में पवित्रता, नियमों का पूर्ण पालन, सावधानता, जागरूकता, धैर्य, निरलसता, मनोनिग्रह, इन्द्रिय निग्रह, वाक् संयम, मिताहार, मितशयन, ब्रह्मचर्य इन सबका होना अत्यंत ही आवश्यक है। योग्य गुरु से योग्य समय में लिया हुआ योग्य मंत्र हो, विधिपूर्वक जप हो, मन की एकाग्रता हो, दक्षिणा दे, भोजन कराएं, हवन करें, इस सांगता के साथ अनुष्ठान हो तो साधक की कामना अवश्य पूर्ण होती है।

इसमें कोई गड़बड़ हो तो मंत्र सिद्ध नहीं हो सकता। काम्य जप करने के अनेक मंत्र हैं। जप से पुण्य संग्रह तो होता है, पर भोग से उसका क्षय भी होता है। इसलिए प्राज्ञ पुरुष इसे अच्‍छा नहीं समझते। परंतु सभी साधक समान नहीं होते। कुछ ऐसे भी कनिष्ठ साधक होते ही हैं, जो शुद्ध मोक्ष के अतिरिक्त अन्य धर्माविरुद्ध कामनाएं भी पूरी करना चाहते हैं। क्षुद्र देवताओं और क्षुद्र साधनों के पीछे पड़कर अपनी भयंकर हानि कर लेने की अपेक्षा वे अपने इष्ट मंत्र का काम्य जप करके चित्त को शांत करें और परमार्थ प्रवण हों, यह अधिक अच्छा है।

4. निषिद्ध जप
〰️〰️〰️〰️〰️
मनमाने ढंग से अविधिपूर्वक अनियम जप जपने को निषिद्ध जप कहते हैं। निषिद्ध कर्म की तरह यह बहुत बुरा है। मंत्र का शुद्ध न होना, अपवित्र मनुष्य से मंत्र लेना, देवता कोई और मंत्र कोई और ही, अनेक मंत्रों को एकसाथ अविधिपूर्वक जपना, मंत्र का अर्थ और विधि न जानना, श्रद्धा का न होना, देवताराधन के बिना ही जप करना, किसी प्रकार का भी संयम न रखना- ये सब निषिद्ध जप के लक्षण हैं। ऐसा निषिद्ध जप कोई न करे, उससे लाभ होने के बदले प्राय: हानि ही हुआ करती है।

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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
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*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
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*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
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*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
JYOTIS


*🎈दिनांक - 09 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  बुधवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    द्वादशी    10:54:48 pm  तत्पश्चात त्रयोदशी  *
*🎈नक्षत्र -            मघा     09:56:09 रात्रि तत्पश्चात     पूर्व फाल्गुनी*
*🎈योग -गण्ड    18:24:13 शाम तक, तत्पश्चात     वृद्वि*
*🎈करण-         बव    10:00:18 pm तत्पश्चात     कौलव*
*🎈राहु काल_हर जगह का अलग है- 12:47 am
से  02:11 am तक*
*🎈सूर्योदय -     06:18:19*
*🎈सूर्यास्त - 06:55:12
*🎈चन्द्र राशि-       सिंह*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:46 ए एम से 05:32  तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:14 ए एम, अप्रैल 10 से 12:59 ए एम, अप्रैल 10तक*
*⛅यमगण्ड काल     07:52 ए एम से 09:27 ए एम. तक*

👉*⛅ विशेष- * गुरु  प्रदोष पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 09 अप्रैल को रात 10 बजकर 55 मिनट से शुरु होगी और अगले दिन यानी 11 अप्रैल को रात 01 बजे तिथि का समापन होगा। ऐसे में 10 अप्रैल को प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 44 मिनट से 08 बजकर 59 मिनट तक है।  

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
लाभ    06:18 - 07:53    शुभ
अमृत    07:53 - 09:28    शुभ
काल    09:28 - 11:02    अशुभ
शुभ    11:02 - 12:37    शुभ
रोग    12:37 - 14:11    अशुभ
उद्वेग    14:11 - 15:46    अशुभ
चर    15:46 - 17:21    शुभ
लाभ    17:21 - 18:55    शुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
उद्वेग    18:55 - 20:20    अशुभ
शुभ    20:20 - 21:46    शुभ
अमृत    21:46 - 23:11    शुभ
चर    23:11 - 24:36*    शुभ
रोग    24:36* - 26:02*    अशुभ
काल    26:02* - 27:27*    अशुभ
लाभ    27:27* - 28:52*    शुभ
उद्वेग    28:52* - 30:17*    अशुभ
jyotis



🙏♥️*भगवान महावीर के 2624वें जन्मकल्याणक वर्ष के अवसर हार्दिक शुभकामनाएं*।
इस पावन अवसर पर भगवान महावीर के उदात्त आदर्शों का अनुसरण करके हम सभी जीवन में धर्म,शांति,और समृद्धि की प्राप्ति के लिए संकल्पित रहें। 🙏

-♥️ श्रीनवसंवत्सर प्रारंभ राजा भी सूर्य और मंत्री भी सूर्य
सिद्धार्थी नाम के इस वर्ष पड़ेगी
नवसंवत्सर प्रारंभ राजा भी सूर्य और मंत्री भी सूर्य
सिद्धार्थी नाम के इस वर्ष पड़ेगी बहुत भीषण गर्मी
194 करोड़ पुरानी हुई हमारी धरती
रविवार से वासंती नवरात्र प्रारंभ रविवार को होगा समापन

विक्रमी संवत 2082 रविवार से प्रारंभ हो रहा है । सिद्धार्थी नामा इस संवत के राजा भी सूर्य होंगे तथा मंत्री पद का दायित्व भी सूर्य के पास रहेगा । एक दिन पूर्व शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव ग्रहों के गुरु बृहस्पति की मीन राशि में प्रविष्ठ हो गए । इस दिन सृष्टि संवत के अनुसार  हमारी धरती 194 करोड़ वर्ष पुरानी हो जाएगी ।

 नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के कलश घर घर स्थापित होंकर संपूर्ण और प्रतिदिन पाठ भी । नौ दिनों की बजाय अबकी बार 8 नवरात्र थे चूंकि एक नवरात्र घट गया है । भगवान राम का जन्मोत्सव रामनवमी के रूप में 6 अप्रैल को मनायी  गई। जगह जगह राम कथाएं और नवान्ह पारायण का प्रारंभ ओर पूर्ण संवत के शुरुआतके साथ ही होगया ।

उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य के नाम पर प्रचलित वर्तमान विक्रमी संवत के कुल 60 नाम हैं जो एक एक कर प्रतिवर्ष आते हैं । लेकिन और भी अनेक महापुरुषों के नाम से संवत्सर चल रहे हैं । पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सबसे पुराना संवत है सृष्टि संवत । इसका प्रतिपादन आदि ऋषियों ने किया । शास्त्रीय अवधारणाओं के अनुसार सृष्टि संवत प्रारंभ हुए 194 करोड़ वर्ष हो गए हैं । इसका निर्धारण चारों युगों की चतुर्युगी , मन्वंतर और कल्प गणना से होता है ।

ज्योतिषीय कालगणना युगों पर आधारित है । चारों युग बयालीस लाख वर्ष में बीतते हैं । मत्स्य पुराण , स्कंद पुराण और गरुड़ पुराण में ही नहीं कालखंड का विवरण ऋग्वेद में भी उपलब्ध है । भारत में महापुरुषों के नाम से भी कईं संवत आज भी प्रचलित हैं । कलयुग के आगामी अवतार कल्कि के नाम से चला कल्कि संवत 5123 वर्ष पुराना है ।

इसी प्रकार श्रीकृष्ण संवत 5256 वर्ष , सप्तऋषि संवत 5098 , बुद्ध संवत 2645 , महावीर संवत 2548 , शक संवत 1945 , हिजरी संवत 1444 , फसली संवत 1430 , नानकशाही संवत 555 तथा खालसा संवत 324 वर्ष पुराने हैं । ये समस्त संवत आज भी प्रचलित हैं । विक्रमी संवत 2082 अंग्रेजी ईस्वी सन 2025 से पहले शुरू हुआ , यह प्रामाणिक है ।

रविवार से विक्रमी संवत 2082 प्रारंभ हो गया है । यह संवत ही सर्वत्र प्रचलित है । इस वर्ष का राजा सूर्य है तथा मंत्री भी सूर्य । परिणामस्वरूप भीषण गर्मी पड़ेगी । नवरात्र  लगे और रविवार को ही संपन्न हो गए । आइए अपना नववर्ष मनाएं , पंचांग पूजन करें , नवरात्र के पहले दिन से मां का पूरे साल  आराधना करें । साथ ही भगवान राम के अवतरण दिवस  भी हो गया अब आप रोजाना मानस पाठ प्रारंभ करें ।
नववर्ष और नवरात्र सर्वत्र मंगलमय हों , यही कामना भगवती से करते हैं ।

🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞
vipul

 

*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*

 
jyotis


*🎈दिनांक - 08 अप्रैल 2025*
*🎈दिन-  मंगलवार *
*🎈संवत्सर    -विश्वावसु*
*🎈संवत्सर- (उत्तर)    सिद्धार्थी*
*🎈विक्रम संवत् - 2082*
*🎈अयन - उत्तरायण*
*🎈ऋतु - बसन्त*
*🎉मास - चैत्र*
*🎈पक्ष- शुक्ल*
*🎈तिथि    -    एकादशी    21:12:22 pm  तत्पश्चात द्वादशी *
*🎈नक्षत्र -        आश्लेषा    07:54:02 रात्रि तत्पश्चात     मघा*
*🎈योग -शूल    18:09:13 शाम तक, तत्पश्चात         गण्ड*
*🎈करण-         वणिज    08:31:50 pm तत्पश्चात     बव*
*🎈राहु काल_हर जगह का अलग है- 03:46 am
से  05:20 am तक*
*🎈सूर्योदय -     06:19:22*
*🎈सूर्यास्त - 06:54:41
*🎈चन्द्र राशि    -   कर्क*
*🎈सूर्य राशि -      मीन*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - 04:47 ए एम से 05:33  तक,*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - 12:12 पी एम से 01:02 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त -  12:14 ए एम, अप्रैल 09 से 12:59 ए एम, अप्रैल 09 तक*
*⛅रवि योग    -    06:18 ए एम से 07:55 ए एम तक*
👉*⛅ विशेष- * एकादशी व्रत
सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। इस प्रकार से 08 अप्रैल (Kamada Ekadashi 2025 Kab hai) को कामदा एकादशी व्रत किया जाएगा।

  *🛟चोघडिया, दिन🛟*
रोग    06:19 - 07:54    अशुभ
उद्वेग    07:54 - 09:28    अशुभ
चर    09:28 - 11:03    शुभ
लाभ    11:03 - 12:37    शुभ
अमृत    12:37 - 14:11    शुभ
काल    14:11 - 15:46    अशुभ
शुभ    15:46 - 17:20    शुभ
रोग    17:20 - 18:55    अशुभ
  *🔵चोघडिया, रात🔵
काल    18:55 - 20:20    अशुभ
लाभ    20:20 - 21:46    शुभ
उद्वेग    21:46 - 23:11    अशुभ
शुभ    23:11 - 24:37*    शुभ
अमृत    24:37* - 26:02*    शुभ
चर    26:02* - 27:27*    शुभ
रोग    27:27* - 28:53*    अशुभ
काल    28:53* - 30:18*    अशुभ

kundli




🙏♥️:*चैत्रीय कामदा एकादशी
की हार्दिक शुभकामनाएं*।

-♥️ श्री स्वामीनारायण
चैत्र, शुक्ल नवमी चैत्र शुक्ल  श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या के पास गोण्डा जिले के छपिया ग्राम में उनका इस पृथ्वी पर अवतरण हुआ। रामनवमी होने से सम्पूर्ण क्षेत्र में पर्व का माहौल था। पिता श्री हरिप्रसाद व माता भक्तिदेवी ने उनका नाम घनश्याम रखा। बालक के हाथ में पद्म और पैर से बज्र, ऊर्ध्वरेखा तथा कमल का चिन्ह देखकर ज्योतिषियों ने कह दिया कि यह बालक लाखों लोगों के जीवन को सही दिशा देगा।

पांच वर्ष की अवस्था में बालक को अक्षरज्ञान दिया गया। आठ वर्ष का होने पर उसका जनेऊ संस्कार हुआ। छोटी अवस्था में ही उसने अनेक शास्त्रों का अध्ययन कर लिया। जब वह केवल 11 वर्ष का था, तो माता व पिताजी का देहांत हो गया। कुछ समय बाद लोगो के कल्याण के हेतु उन्होंने घर छोड़ दिया और अगले सात साल तक पूरे देश की परिक्रमा की। अब लोग उन्हें नीलकंठवर्णी कहने लगे। इस दौरान उन्होंने गोपालयोगी से अष्टांग योग सीखा। वे उत्तर में हिमालय, दक्षिण में कांची, श्रीरंगपुर, रामेश्वरम् आदि तक गये। इसके बाद पंढरपुर व नासिक होते हुए वे गुजरात आ गये।

एक दिन नीलकंठवर्णी मांगरोल के पास 'लोज' गांव में पहुंचे। वहां उनका परिचय स्वामी मुक्तानंद में हुआ, जो स्वामी रामानंद के शिष्य थे। नीलकंठवर्णी स्वामी रामानंद के दर्शन को उत्सुक थे। उधर रामांनद जी भी प्रायः भक्तों से कहते थे कि असली नट तो अब आएगा, मैं तो उसके आगमन से पूर्व डुगडुगी बजा रहा हूं। भेंट के बाद रामांनद जी ने उन्हें स्वामी मुक्तानंद के साथ ही रहने को कहा। नीलकंठवर्णी ने उनका आदेश शिरोधार्य किया।

उन दिनों स्वामी मुक्तानंद कथा करते थे। उसमें स्त्री तथा पुरुष दोनों ही आते थे। नीलकंठवर्णी ने देखा और अनेक श्रोताओं और साधुओं का ध्यान कथा की ओर न होकर महिलाओं की ओर होता है। अतः उन्होंने पुरुषों तथा स्त्रियों के लिए अलग कथा की व्यवस्था की तथा प्रयासपूर्वक महिला कथावाचकों को भी तैयार किया। उनका मत था कि संन्यासी को उसके लिए बनाये गये सभी नियमों का कठोरतापूर्वक पालन करना चाहिए।

कुछ समय बाद स्वामी रामानंद ने नीलकंठवर्णी को पीपलाणा गांव में दीक्षा देकर उनका नाम 'सहजानंद' रख दिया। एक साल बाद जेतपुर में उन्होंने सहजानंद को अपने सम्प्रदाय का आचार्य पद भी दे दिया। इसके कुछ समय बाद स्वामी रामानंद जी का शरीरांत हो गया। अब स्वामी सहजानंद ने गांव-गांव घूमकर सबको स्वामिनारायण मंत्र जपने को कहा। उन्होंने निर्धन सेवा को लक्ष्य बनाकर सब वर्गों को अपने साथ जोड़ा। इससे उनकी ख्याति सब ओर फैल गयी। वे अपने शिष्यों को पांच व्रत लेने को कहते थे। इनमें मांस, मदिरा, चोरी, व्यभिचार का त्याग तथा स्वधर्म के पालन की बात होती थी।

भगवान स्वामिनारायण जी ने जो नियम बनाये, वे स्वयं भी उनका कठोरता से पालन करते थे। उन्होंने यज्ञ में हिंसा, बलिप्रथा, सतीप्रथा, कन्या हत्या, भूत बाधा जैसी कुरीतियों को बंद कराया।

🕉️🕉️🕉️🕉️
*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*👉कामना-भेद-बन्दी-मोक्ष*
*👉वाद-विवाद(मुकदमे में) जय*
*👉दबेयानष्ट-धनकी पुनः प्राप्ति*।
*👉*वाणीस्तम्भन-मुख-मुद्रण*
*👉*राजवशीकरण*
*👉*शत्रुपराजय*
*👉*नपुंसकतानाश/ पुनःपुरुषत्व-प्राप्ति*
*👉 *भूतप्रेतबाधा नाश*
*👉 *सर्वसिद्धि*
*👉 *सम्पूर्ण साफल्य हेतु, विशेष अनुष्ठान हेतु। संपर्क करें।*
*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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🌻श्रीरामजन्ममहोत्सवम्💥 🎈🎈उपलक्ष्य सपरिवारं भूरिशः हार्दिक्यः शुभाशयाः । भगवतः श्रीरामस्य कृपाप्रसादः सर्वदैव भवतु इति मंगलकामनाभिः सह 🙏 🌷🌷🙏🙏💐*♥️रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*🎈

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